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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, February 26, 2011

Fwd: ग़ज़ल:कैसी स्याह रात गयी अब सवेरा..



---------- Forwarded message ----------
From: Shamshad Elahee Ansari 'Shams' <shamshad66@hotmail.com>
Date: 2011/2/26
Subject: ग़ज़ल:कैसी स्याह रात गयी अब सवेरा..
To:


मित्रों,
ओ बी ओ के तरही मुशायरे अंक ८ में दिये गये मिसरे पर एक ग़ज़ल लिखी थी, वह नभाटा में भी छपी है, किसी डिमाण्ड पर लिखना यह मेरा मिजाज नहीं, दरअसल किन्ही हालत के मद्दे नज़र कविता का आना एक अलग बात है, एक अलग कैफ़ियत..और किसी प्रतियोगिता के लिये सिर्फ़ लिखने के लिये लिखना न मेरा मिजाज है न मशगला..फ़िर भी मैंने हालात ए हाजरा को इस कोशिश में बांधा है, आप सभी सुधी जनों, साहित्यिक रसिकों, आलोचकों के समक्ष यह कलाम पेश है..
 
ग़ज़ल
कैसी स्याह रात गयी अब सवेरा लगता है,
शाम ढले इस सूने घर में मेला लगता है.
मेरी कफ़स के बाहर से मुझको रोज़ चिढाता है,
ये कोई दानिश्मंद नहीं यूँ ही आवारा लगता है.
दाना नहीं ये ज़जीरें हैं, ओ नादान परिंदे जान ले,
परवाज़ में मुड़ के देखे ये अंदाज़ सुहाना लगता है.
कपड़ों की तरह बदलता है अब अपने लवा-यकीन,
सैय्याद अपने इरादों पे अब इतराता लगता है.
वो चमकता एक सितारा अचानक गुम हुआ,
गुमशुदगी का ये वही मसला पुराना लगता है.
क़ासिद वही क़ाग़ज़ भी और पैग़ाम भी वही,
हाक़िम तेरे हर्बों का हर जाल स्याना लगता है.
आदिल नही वो क़ातिल है, "शम्स" कह रहा कब से,
वो हमसफ़र, हमक़दम था अब क्यों बेगाना लगता है.
Kaisi Syah Raat gayi ab Sawera lagta hai,
Shaam Dhale is Suney ghar mein Mela lagta hai.
Meri Kafas ke Bahar se mujhko Roz ChiData hai,
Ye koi Danishmand nahi yun hi aawara lagta hai.
Dana nahi Ye janZeerain.N hai.N O Nadan Parinde jaan Le,
Parwaz mein Mud ke Dekhe Ye AndaZ Suhana Lagta Hai.
Kapdo.N Ki Tarah Badalta hai ab Apne Lawa-Yaqee.N,
Syyad apne Iradon pea b Itrata Lagta Hai.
Wo Chamakta ek Sitara Achanak Ghum Hua,
Ghumshudgi ka ye Wahi Masla Purana Lagta Hai.
Kasid vahi kagaz bhi aur paigham bhi Wahi,
Hakim Tere Harbo.N ka har Jaal syana Lagta Hai.
Aadil Nahi vo Katil Hai "shams" kah raha kab se,
Wo humsafar, hum kadam Tha Ab kyun Begana Lagta Hai.
ओ बी ओ पर जाने के लिये यह रास्ता है:
नभाटा की ओर जाने वाला रास्ता ये है:
फ़ेसबुक पर भी मैंने इसे लगा दिया है अगर आप वहां जाना चाहते हैं तब ये लिंक दबायें:
आशा है, आपका खलूस और मौहब्बतें लफ़्जों की शक्ल में जरुर देखने को मिलेगा, यहां भी और नभाटा में भी..मैं आपकी मौहब्बतों के लिये ताबेदार हूँ और रहूँगा भी.
सादर
शमशाद इलाही अंसारी "शम्स"
टोरेंटो, कनैडा



--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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