From: nawal kumar <nawal.buildindia@gmail.com>
Date: 2011/10/30
Subject: छठ के नामपर नीतीश की राजनीति
To: cmbihar-bih <cmbihar-bih@nic.in>
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क्या राष्ट्रपति के रुप में राजेंद्र बाबू ने तोड़ी थी पद की मर्यादा? |
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अपना बिहार और राज्य में प्रकाशित विभिन्न अखबारों में प्रकाशित खबरों के अनुसार कल दिनांक29 अक्टूबर 2011 को घटित घटनाओं की संख्या
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![Text Box: एक और शुद्र ने संत बनने की कोशिश की। वह संत बन भी गया। तन से और मन से भी। समाज में उसे संत के रुप में मान्यता भी मिल गई, लेकिन इसका परिणाम यह हुआ कि उसे 23 वर्ष की उम्र में ही मर जाना पड़ा। अभी हाल ही में राजधानी पटना के दीघा थाना के कुर्जी मुहल्ले में उदासीन मठ में एक पुजारी की हत्या कर दी गई। जिस पुजारी की हत्या की गई उसका वास्तविक नाम सरूण पासवान था। सरूण पासवान के महंत अनूपदास बनने की कहानी भी अजीबोगरीब है। अजीबोगरीब इसलिये कि ब्राह्मणवाद के पाखंड ही अजीबोगरीब होते हैं। सरूण दीघा के ही बांसकोठी के पास एक झोपड़पट्टी में रहने वाले राम प्रसाद पासवान और सूर्या देवी का सबसे छोटा पुत्र था। वह बचपन से ही मेधावी था। वह लोगों का स्केच बनाता और लोग उसकी कलाकारी देखकर खुश होते थे। उम्र बढने के साथ ही उसकी कला और निखरती गई। लेकिन गरीब होने का दंश भी उसे झेलना पड़ा। हालत यह हो गई कि छठी कक्षा तक पढने के बाद उसे पढाई बंद करनी पड़ी। लेकिन सरूण के अंदर का कलाकार जिंदा रहा। उसने मूर्तियों को गढना शुरु किया। दो साल पहले उसने दीघा पोल्सन के पास एक दुर्गा मंदिर के लिये देवी दुर्गा की प्रतिमा की रचना की। उसकी कला साधना मंदिर के पुजारी हीरादास (यह भी एक शुद्र पुजारी ही है) को भा गया। उसने सरूण को अपना शिष्य बना लिया। भयंकर गरीबी के कारण खाने-खाने को मोहताज सरूण पासवान को भक्ति की शक्ति समझ में आने लगी। वह हीरादास के साथ ही रहने लगा। करीब एक साल पहले कुर्जी स्थित उदासीन मठ के बाबा श्यामदास का निधन हो गया। बाबा रामदास अंतिम मान्यता प्राप्त महंत थे, जिन्हें उदासीन पंथ के संचालकों का आशीर्वाद प्राप्त था। उनके निधन के बाद मठ की बेशुमार दौलत और बेशकीमती जमीन पर स्थानीय दबंगों की नजर पड़ी। दबंगों ने मठ पर कब्जा करने के इरादे से स्थानीय संत हीरादास को मठ का महंत घोषित कर दिया। लेकिन हीरादास दीघा स्थित दुर्गा मंदिर की आमदनी और वहां प्राप्त होने वाले आनंद से अभिभूत था। इसलिये उसने अपने प्रतिनिधि के रुप मे सरूण दास को प्रतिनियुक्त कर दिया। सरूण की जिम्मेवारी मंदिर की साफ़-सफ़ाई करने से लेकर मंदिर की परिसंपत्तियों की रक्षा करना भी था। मंदिर परिसर में चलने वाले दूकानों से किराया वसूलने से लेकर मंदिर में प्राप्त होने वाली आय का हिसाब रखना भी उसकी जिम्मेवारियों में शामिल था। फ़िर 21 अक्टूबर 2011 की रात हीरादास ने सरूण पासवान ऊर्फ़ अनूपदास के साथ यह कहकर मारपीट किया कि उसने मंदिर के 7 हजार रुपये चुरा लिये। अनूपदास गुहार लगाता रहा। हीरादास ने उसे मंदिर के एक कमरे में ही बंद कर चला गया। फ़िर करीब 5 दिनों के बाद जब कमरे का दरवाजा खोला गया तो अंदर सरूण पासवान की क्षत विक्षत और सड़ी-गली लाश मिली। पुलिस ने निशानदेही के आधार पर हीरादास को हिरासत में लिया और उसने यह कबूल लिया कि उसने ही अपने चेले अनूपदास की हत्या कर दी। इस मामले में हीरादास को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया गया है। यानी पुलिस ने अपनी ओर से अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया है। कल अपना बिहार की टीम ने सरूण पासवान के वास्तविक परिजनों से उनके घर जाकर मुलाकात की। मृतक की मां सूर्या देवी ने बताया कि बेटे की मौत की खबर सुनकर उनके पति सूर्या पासवान अपना मानसिक संतुलन खो चुके हैं। इन्होंने यह भी बताया कि हीरादास द्वारा उनके बेटे पर लगाया जा रहा चोरी का आरोप सरासर बेबुनियाद है। इन्होंने बताया कि सरूण अपने गुरु हीरादास को बहुत मानता था और वह सपने में भी अपने गुरु के साथ विश्वासघात नहीं कर सकता था। सरूण के बड़े भाई संजय ने बताया कि उसका भाई वाकई में एक हीरा था, जिसे हीरादास ने चुरा लिया और फ़िर उसकी हत्या भी कर दी। अपना बिहार की टीम ने कल दीघा थाना में वीआईपी गेस्ट् के रुप में आतिथ्य सुख का लाभ उठा रहे संत हीरादास से भी मुलाकात की। बातचीत के क्रम में हीरादास ने बताया कि उसने सरूण के उपर केवल दो बार गांव वालों की उपस्थिति में प्रहार किया था। लेकिन इस मारपीट में सरूण के शरीर के किसी हिस्से से रक्तस्नाव नहीं हुआ था। कहीं वह भाग नहीं जाये, इस कारण उसने उसे कमरे में बंद कर दिया। हीरादास ने बताया कि सरूण की लाश उसने पुलिस की मौजूदगी में ही देखी। यानी कमरे में बंद करने के बाद वह दुबारा मठ में गया ही नहीं। कुर्जी मठ के स्थानीय निवासियों ने बताया कि हीरादास लगातार झुठ बोल रहा है। वह बार-बार बयान बदल कर किसी और को बचाने की कोशिश कर रहा है। संभव है कि सरूण की हत्या हीरादास ने नहीं की हो और उसके स्थान पर किसी और ने सरूण की हत्या कर दी हो और अब हीरादास पर हत्या की स्वीकारोक्ति के लिये दबाव बना रहा हो। वैसे भी हीरादास को सजा तो तब होगी जब पुलिस यह साबित करेगी कि हीरादास ने ही सरूण की हत्या की है। जबकि वास्तविकता यह है कि स्वयं हीरादास भी अपने आप्को हत्यारा साबित करने में असफ़ल रहा है। ऐसे में पूरे मामले का पटापेक्ष होना लाजमी है। वैसे इस हत्याकांड की एक वजह और भी हो सकती है। यह वजह अत्यंत ही तार्किक है। दरअसल मठ की जमीन का क्षेत्रफ़ल एक बीघा है। राजधानी के हृदयस्थली में इस जमीन की कीमत करोड़ों में है। यह जमीन स्थानीय जमींदार रहे राजन सिंह ने दान में दिया था। अब उनके खानदान की वर्तमान पीढी के लोगों ने जमीन पर अपनी निगाहें टेंढी कर ली है। यही वजह है कि मदन सिंह (राजन सिंह का पोता) ने हीरादास को मठ का महंत घोषित कर दिया और फ़िर वह मठ में प्राप्त होने वाली आय का मालिक बन बैठा। मिली जानकारी के अनुसार सरूण ऊर्फ़ अनूपदास अपने गुरु हीरादास और मदन सिंह की चाल को समझ चुका था और इस बीच कुर्जी की जनता ने उसकी सादगी और निश्छलता को देखते हुए अपना पुजारी मान लिया था। इस प्रकार वह मदन सिंह के लिये सबसे बड़ा खतरा बन चुका था। बहरहाल, अब इस मामले का पटापेक्ष हो चुका है और सच सुशासन के आगे घुटना टेक चुका है। आश्चर्य तो तब होता है जब दीघा थानाप्रभारी यह कहते हैं कि अब इस मामले में कुछ भी नहीं बचा है। बाबा हीरादास ने आरोप स्वीकार कर लिया है। इससे भी बड़ा आश्चर्य यह कि 50 घंटे के बाद हीरादास को न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष कल प्रस्तुत किया गया। जबकि कानूनी प्रावधान के हिसाब से हिरासत में लिये गये व्यक्ति कि अधिकतम 24 घंटे के अंदर उसे न्यायिक दंडाधिकारी के समक्ष पेश किया जाना अनिवार्य है। जाहिर तौर पर जब कानून की रक्षा करने वाले ही कानून को अपनी रखैल मानते हों, वहां सरूण दास के असली हत्यारों को सजा मिल सकेगी, इसकी केवल कल्पना ही की जा सकती है। छठ के नामपर नीतीश की राजनीति पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने छठ के नामपर राजनीति करना शुरु कर दिया है। इसका सबसे बड़ा प्रमाण यह कि पटना में गंगा नदी के घाटों की साफ़-सफ़ाई के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च किये जा रहे हैं और सबसे महत्वपूर्ण यह कि खर्च करने की जिम्मेवारी एनडीए से जुड़े कद्दावर कार्यकर्ताओं को दी गई है। यानी छठ के नाम पर रुपये की लूट तो मचाई ही जा रही है और इसके साथ ही आम जनता के मन में एनडीए की सेवाभावना को साबित करने का कृत्रिम प्रयास भी किया जा रहा है। दूसरी ओर ठेकेदार बने एनडीए कार्यकर्ताओं की मुस्तैदी के कारण छठव्रतियों की सांसें फ़ूली हुई हैं। मिली जानकारी के अनुसार अपवाद के रुप में वीवीआईपी घाटों को छोड़ दें तो सभी घाटों पर छठव्रतियों को गंदगी और अराजकता के बीच ही सूर्य को अर्घ्य देने को बाध्य होंगे। छठ पर हो दिल्ली में छुट्टी – नीतीश पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को पत्र लिखा है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में छठ का अनुष्ठान करने वाले लोग रहते हैं। इस पर्व के महत्व और व्रतियों की बड़ी संख्या को देखते हुए दिल्ली सरकार को छठ के अवसर पर एक दिन का सार्वजनिक अवकाश घोषित किया जाना चाहिये। इससे छठ व्रतियों को सुविधा होगी। राजद को लगा एक और झटका कटिहार (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – राजद को एक और झटका लगने वाला है। मिली जानकारी के अनुसार राजद के वरिष्ठ नेता सह पूर्व मंत्री राम प्रकाश महतो अब राजद की सदस्यता से इस्तीफ़ा देंगे और जदयू की सदस्यता ग्रहण करेंगे। इसकी घोषणा करते हुए श्री महतो ने कल संवाददाता सम्मेलन में बताया कि इस संबंध में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनकी बातचीत हो चुकी है। वाह सुशासन - कृषि मंत्री ने अधिकारियों को दी चेतावनी पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने सूबे के कृषि पदाधिकारियों को सख्त चेतावनी दी है कि आगामी 9 नवंबर से शुरु होने वाली मुख्यमंत्री की सेवा यात्रा के दौरान यदि एक भी किसान मुख्यमंत्री के पास कोई शिकायत लेकर पहूंचा तब संबंधित पदाधिकारियों को बख्शा नहीं जायेगा। कल संवाददाता सम्मेलन में श्री सिंह ने बताया कि सभी कृषि पदाधिकारियों को इस संबंध में निर्देश दिया जा चुका है कि किसानों के लंबित मामलों का जल्द से जल्द निबटारा किया जाये, ताकि सेवा यात्रा के दौरान मुख्यमंत्री को किसानों की समस्या से दो-चार नहीं होना पड़े। पड़ोसी पर दुष्कर्म का आरोप पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – सूबे में सुशासन है और इसका प्रमाण है राजधानी सहित पूरे बिहार में महिलाओं के खिलाफ़ होने वाला अत्याचार। राजधानी पटना के पटना सिटी इलाके आलमगंज में एक महिला ने अपने ही पड़ोसी पर दुष्कर्म का प्रयास करने का आरोप लगाया है। आलमगंज थाना के दादर मंडी के पास रहने वाले मो नसीम की पत्नी ने अपने पड़ोसी मो खुर्शीद पर आरोप लगाया है कि उसने घर में घुसकर दुष्कर्म करने का प्रयास किया। बताया जा रहा है कि मो खुर्शीद मो नसीम का करीबी रिश्तेदार है।](http://www.apnabihar.org/index_files/image949.png)
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नवल की पांच कवितायें (1) ठुंठे पेड़ के शिखर पर, एक नया पीपल उग आया है, पेड़ का ठुंठापन अब दूर हो गया है, अखबारों ने ऐसा दावा किया है, पेड़ की शिकायत है कि, उसकी जड़ें अब उखड़ने लगी हैं। (2) गांव में दो मन्दिर है, एक में लोग पूजा करते हैं, दूसरे का इस्तेमाल बच्चे करते हैं, लोगों का मन्दिर भव्य है, आकर्षक है, भारी चढावा भी जमा होता है, बच्चों का मंदिर बदहाल है, सुना है वहां, निर्जीव मूर्दे नहीं रहते। (3) बीच सड़क कपड़ा बदलने, अर्द्धनग्न हो स्नान करने, सार्वजनिक रुप से हमबिस्तर होने वाली, गरीब महिलायें अधिक इज्जतदार हैं, उन महिलाओं से, जो अट्टालिकाओं में, रोज अपना पार्टनर बदलती हैं। (4) मरते समय उसने कहा था, वह जिन्दगी का मुख चूमना चाहता है, जिन्दगी उसके पास आयी, लेकिन दरवाजे से ही लौट गई, क्योंकि, मरने वाले ने पहले ही मूंह फ़ेर लिया था। (5) इक्कीसवीं सदी के कुरुक्षेत्र में, सारथि बने पार्थ, महान धनुर्धर कृष्ण को, धर्मयुद्ध की शिक्षा दे रहे हैं, कृष्ण लाचार, पार्थ भी लाचार, गीता भी अब असरकारक नहीं रही, सुना है, अब लड़ाई के मायने बदल गये हैं। अस्तित्व के लिये तरस रहा सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय जमुई (अपना बिहार, 23 अक्टूबर 2011) – एक साल पहले बिहार सरकार के मुखिया नीतीश कुमार ने उग्रवाद प्रभावित जमुई जिले में सिमुलतल्ला आवासीय विद्यालय की स्थापना की। सरकार की मुहिम यह थी कि इसे नेतरहाट और नवोदय के रुप में स्थापित किया जाये। लेकिन अपनी स्थापना के एक साल के बाद भी कथित तौर पर हाइटेक आवासीय विद्यालय उपेक्षित है। इसकी उपेक्षा इसलिये भी उल्लेखनीय है कि इस स्कूल में गरीबों के बच्चे नहीं पढते। इस स्कूल में पढने वाले अधिकांश बच्चे नौकरशाहों की संतान हैं। स्कूल की उपेक्षा की बात करें तो स्कूल द्वारा एक साल पूरा होने पर एक स्मारिका का प्रकाशन किया गया है। इस स्मारिका के संपादकीय में स्कूल के प्रिंसिपल डा शंकर कुमार ने स्कूल की बदहाली का जिक्र किया है। इन्होंने अपने संपादकीय में लिखा है कि अभी तक सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल किराये के मकान में चल रहा है और स्कूल कैंपस के निर्माण के लिये कोई कोशिश शुरु नहीं की गई है। इन्होंने इसका जिक्र भी किया है कि स्कूल के सभी शिक्षक प्राइवेट स्कूलों के जैसे अनुबंध पर बहाल किये गये हैं, जिनका मानदेय भी सम्मानजन्क नहीं है। एक साल पूरा होने के बावजूद भी अभी तक शिक्षकों की सेवा शर्तों का निर्धारण नहीं किया गया है। हालांकि डा शंकर ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त किया है कि तमाम प्रतिकुलताओं के बावजूद स्कूल के शिक्षकों की लगन के बूते बच्चों ने एक मिसाल पेश किया है। बताते चलें कि स्कूल में प्रत्येक वर्ष 60 लड़कों और 60 लड़कियों का चयन कर उन्हें निशुल्क स्कूली शिक्षा उपलब्ध कराया जाना है। स्कूल में आधारभूत संरचनाओं की कमी के कारण दूसरे वर्ष में बच्चों का प्रवेश नहीं लिया जा रहा है। वैसे खास बात यह है कि स्कूल के पास अपना कोई वाहन भी नहीं है जो आवश्यकता पड़ने पर बच्चों को अस्पताल भी ले जा सके। बहरहाल, खास खबर यह है कि सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल के नाम पर 7 करोड़ रुपये की लूट हो चुकी है। इस संबंध में एक मामला सीएजी की रिपोर्ट में भी उल्लेखित है। अब सवाल यह उठता है कि क्या सरकार इस लूट की जांच करवाने का साहस करेगी। मिली जानकारी के अनुसार शिक्षा के नाम पर होने वाले इस लूट में स्कूल प्रबंधन से लेकर मुख्यमंत्री तक शामिल हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि सिमुलतल्ला आवासीय स्कूल में पढ रहे बच्चों का भविष्य क्या होगा? बेखौफ़ अपराधियों का दुस्साहस, पुलिसकर्मियों पर हमला, रिवाल्वर छीनने की कोशिश पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – राजधानी पटना के फ़ुलवारीशरीफ़ इलाके में बेखौफ़ अपराधियों ने पुलिसकर्मियों पर ही हमला बोल दिया और एक पुलिसकर्मी से रिवाल्वर छीनने की कोशिश की। मिली जानकारी के अनुसार शुक्रवार की रात फ़ुलवारी शरीफ़ पेठिया बाजार के कुछ नवयुवक प्रतिमा का विसर्जन करने एक जुलूस के रुप में जा रहे थे। युवकों ने शराब पी रखा था। इस बीच पुलिस ने उन्हें जल्दी से जुलूस निकालने को कहा। इस पर युवक भड़क गये और उन्होंने पुलिस टीम पर ही हमला बोल दिया। मारपीट के क्रम में लफ़ंगों ने एक आरक्षी अजीत कुमार से रिवाल्वर छीनने की कोशिश की। इस घटना में एक पुलिसकर्मी घायल हो गया। बाद में पुलिस ने कार्रवाई करते हुए 11 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया।
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विकास का एक और प्रमाण। एक महिला खिलाड़ी हैं कृति। कृति ने अंतराष्ट्रीय स्तर पर एथलेटिक्स में अपने जौहर दिखाये और फ़िर उसने 31 पदक भी कमाये। लेकिन वह पैसे नहीं कमा सकी। कृति शेखपुरा जिले की रहने वाली है। जब उसने एशियाई खेलों में पदक जीता था तो पूरा सूबा गौरवान्वित हुआ था। लेकिन जब उसके पिता की मौत हुई तब किसी ने उसके आंसू नहीं पोछे। उस समय इनाम में मिले पैसे से कृति ने अपने पिता का अंतिम संस्कार कराया था। read more >> |
निष्पक्षता हमारी पहचान |
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विशेष रिपोर्ट – आईटी दे सकता है डेढ लाख युवाओं को रोजगार |
सूबे में आईटी के क्षेत्र में असीम संभावनायें निहित हैं। संभावना यह भी है कि यदि इस दिशा में अपेक्षित निवेश हुआ तब सूबे के डेढ लाख युवाओं को रोजगार मिल सकेगा और सूबे के सकल घरेलू उत्पाद में इस क्षेत्र की हिस्सेदारी 0-6 फ़ीसदी से बढकर कर कम से कम 8 फ़ीसदी हो जायेगी। आगे पढें |
इतना आसान नहीं है कशमीर समस्या का हल
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राष्ट्रीय मुद्दा पर विशेष |
संपादकीय – विकास का यह कैसा मानदंड ? |
उच्चतम न्यायालय के वरिष्ठ वकील और "टीम अन्ना" के सदस्य प्रशांत भूषण पर 12 अक्टूबर 2011 को हुए नितांत निंदनीय हमले ने कई प्रश्नों को जन्म दिया है। हमले के तुरंत बाद,शिवसेना जैसे "अति राष्ट्रवादी" संगठनों ने हमलावरों को बधाई दी। इससे एक बार फिर यह साफ हो गया है कि हमारे समाज में कुछ मुद्दों को read more>>> |
अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भाग लेने दोहा जायेंगे गणितज्ञ आनंद पटना (अपना बिहार, 30 अक्टूबर 2011) – वर्ल्ड इनोवेशन समित फ़ार एजुकेशन नामक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा सम्मेलन में भाग लेने दोहा जायेंगे सुपर 30 के संचालक सह प्राख्यात गणितज्ञ आनंद। मिली जानकारी के अनुसार आनंद इस अवसर पर शिक्षा को और बेहतर एवं जनोपयोगी बनाने के संबंध में अपनी राय रखेंगे। इस सम्मेलन में 120 देशों के प्रतिनिधि भाग लेंगे। |
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