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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, March 28, 2012

आर्मी चीफ के खुलासों से कोयले की भूमिगत आग ठंडी नहीं होने वाली!पीएमओ की सफाई को सीएजी विनोद राय ने सिरे से खारिज करके मामले को फिर खोल दिया!

आर्मी चीफ के खुलासों से कोयले की भूमिगत आग ठंडी नहीं होने वाली!पीएमओ की सफाई को सीएजी विनोद राय ने सिरे से खारिज करके मामले को फिर खोल दिया!

मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

जिस भूमिगत आग से कोयलांचल के खतरनाक इलाके के लोग ऱूबरू होते हैं रोज, अब वह केंद्र की य़ूपीए सरकार को झुलसाने लगी है।अब इससे कबाब बनता है कि तंदूरी, देखना यही है। सेनाध्यक्ष के विवदित बयानों में उलझी संसद में यह मामला अभी भूमिगत आग की तरह ही ठंडा सा पड़ा दिखता है। लेकिन अब पीएमओ की सफाई को सीएजी विनोद राय ने सिरे से खारिज करके मामले को फिर खोल दिया है। अब विपक्ष और​ ​ नाराज घटक दलों के भूखे शेर कब हमलावर रुख अपनाते हैं, इसी का इंतजार है। इस मामले से पीछा छुड़ाना इतना आसान भी नहीं है।खबर के बाद उठे सियासी बवंडर को सरकार दबाने की कोशिश कर रही है।सरकार का तर्क है कि सीएजी ने अभी फाइनल रिपोर्ट तैयार नहीं की है और जो बातें लीक हुई हैं वे तथ्य से परे हैं, जबकि सीएजी विनोद राय ने अपनी चिट्ठी में हमारी रिपोर्ट में छपे एक भी आंकड़े को गलत नहीं कहा है। दरअसल, विनोद राय की चिट्ठी का 9 0% हिस्सा लीक के बारे में है, न कि रिपोर्ट के तथ्यों के बारे में।बाजर के लिए फिक्र की बात तो यह है कि फरवरी के मध्य तक बेहतर प्रदर्शन करने वाले भारतीय शेयर बाजार अब विश्व के ज्यादातर बाजारों के मुकाबले फिसल गए हैं। कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, मार्च में घरेलू मोर्चे पर निराशा और वैश्विक निवेशकों के बीच कर संबंधी अनिश्चितता का भारतीय बाजारों पर प्रतिकूल असर पड़ा। राजनीतिक अस्थिरता कारोबार के लिए अच्छ लक्षण नहीं हैं।ऐसे में कांग्रेस और यूपीए पर कारपोरेट लाबिइंग का दबाव लगातार बढ़ते जाने का खतरा है। अंदरखाने उद्योगजगत राजनीतिक विकल्प भी खंगालने लगा है। सुधारों को लागू करने की दिशा और रियायतों पर ही इस सरकार को कारपोरेट इंडिया का समर्थन मिल सकता है। राजनीति से ​
​ज्यादा खुले बाजार का यह समीकरण आने वाले दिनों मे सरकार के लिए सरदर्द साबित होने जा रहा है।इसी दरम्यान भारतीय शेयरों को दम देने वाले विदेशी संस्थागत निवेशक (एफआईआई) ने मार्च में निवेश कम कर दिया है।यह भी प्रणव मुखर्जी की नींद उड़ाने के लिए काफी है।कोयला खानों को सस्ती कीमतों पर बेचने से हुए नुकसान के बारे में मीडिया में छपी नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की मसौदा रिपोर्ट और जनरल एंटी-एवायडेंस रूल्स (जीएएआर) के कारण विदेशी निवेशकों के बीच कर अनिश्चितता की स्थिति होने से भी निवेशकों की धारणाओं पर बुरा असर पड़ा।

वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने  हालांकि कोयला ब्लाकों के आवंटन पर कैग की प्रारंभिक रिपोर्ट पर छिड़े विवाद को  भाव नहीं दिया। मुखर्जी ने पिछले दिनों  वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की की बैठक में कहा, बीता वर्ष वित्तीय मोर्चे पर काफी खराब रहा, सब्सिडी खर्च बढ़ने की वजह से लक्ष्यों को हासिल नहीं किया जा सका, कर प्राप्ति भी अनुमान से कम रही, इस अनुभव को देखते हुए आने वाले वर्ष में सरकारी खर्च प्रबंधन पर नजर रखनी होगी, आने वाले महीनों में कुछ कठिन फैसले लेने होंगे और उन पर अमल करना होगा। प्रणब मुखर्जी ने  संसद में कहा कि मैं सामान्य कर परिवर्जन रोधी साधारण नियम (जीएएआर) का परीक्षण करुंगा और जब कभी जरुर होगी इसमें सुधार किया जाएगा। बजट प्रस्ताव पर सवालों के जवाब देते हुए सोने पर बढ़ी 2 फीसदी की एक्साइज ड्यूटी वापस लेने पर विचार करने की बात कही है।

दूसरी तरफ बुधवार को संसद के दोनों सदनों में जोरदार हंगामा हुआ। सरकार को सफाई देनी पड़ी कि सेना की तैयारियों में कोई कमी नहीं है और देश पूरी तरह सुरक्षित है। थलसेना प्रमुख जनरल वीके सिंह द्वारा रक्षा मंत्री को विश्वास में लेने के बजाय सेना की तैयारियों की स्थिति पर प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के मामले में राजद और सपा ने बुधवार को जनरल सिंह को बर्खास्त करने की मांग की। राजद अध्यक्ष लालू प्रसाद ने संसद परिसर में संवाददाताओं से कहा कि उन्हें (जनरल को) तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। यदि गोला-बारूद की कमी थी तो वह इतने दिन तक चुप क्यों रहे। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई आर्मी चीफ वी.के. सिंह की चिट्ठी ने देश की सियासत को गरमा दिया है। सरकार के साथ-साथ विपक्ष की कई पार्टियों ने भी जनरल के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने इस मुद्दे पर बुधवार को संसद में कहा कि इस मामले में प्रधानमंत्री और अन्य पक्षों से विचार कर वह उचित कदम उठाएंगे। साथ ही उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार देश की सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दे रही है।

कोयला खदानों को लेकर सीएजी रिपोर्ट लीक होने को लेकर सीएजी विनोद राय ने अपनी बातो को पक्का करते हुए कहा है कि सीएजी की रिपोर्ट पूरी तरह से सही है और सीएजी की तरफ से न गलती होती है, न आगे भी होगी।सीएजी विनोद राय ने बेहद मजबूती से अपना बचाव किया है। राय ने बहुत साफ कहा है कि सीएजी की रिपोर्ट गलत नहीं हो सकती।सरकारी लेखा परीक्षक कैग ने कोयला खदानों के आवंटन से संबंधित ड्राफ्ट रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 10.7 लाख करोड़ रुपये की चपत लगने का जो अनुमान लगाया था, उसमें संभवत कोई बदलाव नहीं करने वाला है। लेकिन इस बात की उम्मीद है कि रिपोर्ट में 'नुकसान' के बदले 'अनुमानित लाभ' जैसे ज्यादा स्वीकार्य शब्द का इस्तेमाल किया जा सकता है। गौरतलब है कि पिछले दिनों  एक अखबार में छपी कैग की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2004 से 2009 के बीच कोयला ब्लॉक आवंटन में नीलामी प्रक्रिया नहीं अपनाई गई थी और सरकार को इसके चलते 10।67 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।हालांकि बाद में कैग ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर साफ किया था कि जो रिपोर्ट सामने आई है, वो प्रारंभिक रिपोर्ट का मसौदा भी नहीं हैं। इसी आधार पर पीएमओ ने भी अपना बचाव किया था।

लोकप्रिय टीवी चैनल आजतक पर विनोद राय से पूछे गए सवाल पर कि क्या वे रिपोर्ट लीक होने से नाखुश हैं तो उन्‍होंने कहा, 'मैंने संसद के लिए रिपोर्ट तैयार की। ये लीक क्यों होगी। मैं रिपोर्ट जमा करने के बाद ही इस मुद्दे पर बात करूंगा।नियंत्रक और महालेखा परीक्षक विनोद राय ने नयी दिल्ली में  इंडियन पब्लिक ऑडिटर्स एसोसिएशन के सम्मेलन में अलग से कहा कि सरकारी लेखा परीक्षक ऑडिट रिपोर्ट में मौलिक त्रुटि करें, यह संभव नहीं है। हमारी ऑडिट रिपोर्टों को दो से तीन स्तरों पर जांचा और परखा जाता है। सभी तथ्य और आंकड़े दस्तावेजी सुबूतों पर आधारित होते हैं। उन्होंने कहा कि हमलोगों के पास अत्यधिक पेशवेर और प्रशिक्षित ऑडिटर होते हैं और यहां तक कि हमारे कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली है। हमारी ऑडिट प्रक्रिया सर्वश्रेष्ठ है।

बढ़ते बवाल के बाद प्रधानमंत्री कार्यालय ने सीएजी की चिट्ठी के हवाले से एक बयान जारी किया। खेल इसी में किया गया। बयान में विनोद राय के 3 पेज की चिट्ठी में से सिर्फ एक पैराग्राफ के अंश का हवाला दिया गया है। बयान में इस चिट्ठी को कोट करते हुए कहा गया है , ' इस मामले में जो विवरण बाहर लाए जा रहे हैं, वे अनुमान हैं। इस पर अभी शुरुआती चरण में चर्चा चल रही है और यहां तक कि यह हमारा प्री - फाइनल मसौदा भी नहीं है , इसलिए यह व्यापक रूप से भ्रामक है। ऑडिट रिपोर्ट अभी तैयार हो रही है और यह विचार सीएजी का नहीं है कि आवंटी को मिला गैर-इरादतन लाभ सरकारी खजाने को हुए नुकसान के बराबर है। मसौदा रिपोर्ट का लीक होना बहुत ही शर्मिंदगी की बात है। '

पीएमओ के अधिकारियों ने सीएजी की पूरी चिट्ठी जारी करने से इनकार कर दिया। लेकिन , हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के हाथ सीएजी की वह पूरी चिट्ठी लग गई , जो प्रधानमंत्री कार्यालय को लिखी गई थी। सरकार सीएजी की चिट्ठी में सिर्फ अपने फायदे की बात सामने लेकर आई। बाकी हिस्से को वह दबा गई।  चिट्ठी में कहा गया है, ' ड्राफ्ट रिपोर्ट मीडिया में आने के बाद स्वाभाविक रूप से हमारे ऊपर आरोप लगेगा कि हम लीक कर रहे हैं। मुझे काफी संतुष्टि होगी कि अगर जांच की जाए कि रिपोर्ट कहां से लीक हुई। जैसा कि 5 जुलाई 2011 को लिखी चिट्ठी में भी मैंने इस बात पर जोर दिया था कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि जिस डिपार्टमेंट को 28 फरवरी 2012 को ड्राफ्ट रिपोर्ट उपलब्ध कराई गई थी, वहां से भी लीक हो सकती है। ' यहां डिपार्टमेंट का मतलब कोयला मंत्रालय से है।

नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक की ड्राफ्ट रिपोर्ट के दस्तावेज के मुताबिक आरोप है कि राजस्थान में सरकारी बिजली कंपनी राज्य विद्युत उत्पादन निगम ने छत्तीसगढ़ में मिले दो कोयला ब्लॉक्स से एक निजी कम्पनी को भी अनुचित लाभ पहुंचाया। घोटाले में इस लाभ का हिस्सा 4445 करोड़ रुपये बताया जा रहा है।ब्लॉक से कोयला खनन का लाइसेंस भले ही सरकारी कंपनी को मिला हो, लेकिन इस कम्पनी ने एक बड़ी निजी कंपनी अडानी समूह के साथ मिलकर खनन करना तय किया है। कैग रिपोर्ट के मुताबिक सरकारी कंपनी के बहाने से निजी कंपनी को ही लाभ पहुंचेगा। राजस्थान में कालासिंध और छबड़ा की 1700 मेगावाट की विद्युत परियोजनाओं के लिए उत्पादन निगम को जून 2007 में छत्तीसगढ़ में पारसा ईस्ट और कांटे बेंसन में कोयले की दो खाने आवंटित की गई थी। हालांकि कोयले का आवंटन निगम के नाम हुआ है, लेकिन वहां खुदाई से लेकर कोयले को प्लांट तक पहुंचाने की जिम्मेदारी अडानी समूह को सौंपी गई है। इसके लिए केंद्र सरकार के निर्देशानुसार उत्पादन निगम और निजी समूह ने संयुक्त रूप में पारसा कांटे कोलरिज लिमिटेड कंपनी का गठन किया है जिसमें सरकारी कंपनी की भागीदारी मात्र 30 फीसदी है, जबकि 70 प्रतिशत हिस्सेदारी अडानी समूह की है। इस कंपनी को राजस्थान की इकाइयों को 958 रुपये प्रति टन के भाव में कोयला उपलब्ध कराना है। कैग की ड्राफ्ट रिपोर्ट के मुताबिक कांते बेसन में जून 2007 में आवंटित ब्लॉक में 90 फीसदी खनन संभावना के हिसाब से 4795 लाख टन के कोयला भंडार है जिसके खनन में प्रति टन 9268 रुपये का लाभ पहुंचाया गया। इससे घोटाले की रकम 4445 करोड़ रुपये होती है।

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