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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, September 25, 2015

संघ का इतिहास ऐसी रहस्‍यमय मौतों से भरा पड़ा है।

Abhishek Srivastava

आज पं. दीनदयाल उपाध्‍याय की 99वीं जयन्‍ती है। आज तक पता नहीं चला कि वे 1968 में मुगलसराय में ट्रेन से कैसे गिरकर मरे थे। नानाजी देशमुख और दत्‍तोपंत ठेंगड़ी जैसे संघ के आला विचारक हादसा बतायी गयी उनकी मौत को साजिश करार देकर जांच पर कब का सवाल उठा चुके हैं। बीते साल दीनदयालजी के परिवार ने मौत की जांच करवाने की सिफारिश सरकार से की थी और इस साल मई में सुब्रमण्‍यम स्‍वामी ने भी मोदी सरकार से इसके लिए एक आयोग बनाने को कहा था। अब तक कुछ नहीं हुआ है। ये तो हाल है संघ के प्रात: स्‍मरणीय लोगों का संगठन और सरकार के भीतर!

संघ का इतिहास ऐसी रहस्‍यमय मौतों से भरा पड़ा है। श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी की 1953 में हुई मौत पर से भी आज तक परदा नहीं हट सका है। संघ लगातार कहता रहा कि छह दशक तक कांग्रेसी सरकारों के कारण इस मौत की जांच को रोका जाता रहा है। अब क्‍या दिक्‍कत है? अब तो अपनी सरकार है, करवा लीजिए जांच! डेढ़ साल हो रहा है, लेकिन इन्‍हें नेताजी सुभाषचंद्र बोस की रहस्‍य-कथा से ही फुरसत नहीं है कि अपने महान लोगों की सुध ले सकें। यह भी हो सकता है संघ चाहता ही न हो कि सच्‍चाई सामने आवे। वैसे, रहस्‍यमय मौतों का सिलसिला अब भी कहां थमा है? गोपीनाथ मुंडे याद हैं? आज भी महाराष्‍ट्र बीजेपी के नेता दबी ज़बान उनकी मौत को साजि़श बताते हैं। थोड़े दिन पहले अब्‍दुल कलाम अचानक मर गए। पूरे देश में आंसुओं का सैलाब आ गया। उनके मरने की फर्जी तस्‍वीरें प्रसारित की गयीं। महीने भर में ही लोग उन्‍हें भूल चुके हैं। क्‍या हुआ, कैसे हुआ, कुछ नहीं मालूम।

दरअसल, अकेले आरएसएस/बीजेपी ही नहीं, दक्षिणपंथी राजनीति में रहस्‍यमय मौतें एक चलन की तरह हैं। व्‍यापमं में हुई दो दर्जन रहस्‍यमय मौतों को याद करिए। आसाराम के गवाहों की मौत को याद करिए। रामदेव के गुरु को याद करिए। स्‍वदेशी वाले राजीव दीक्षित को याद करिए। अहमदाबाद के अक्षरधाम मंदिर वाले मुख्‍य महंत को याद करिए, जो सरकारी बयान के मुताबिक मोदी से मिलकर लौटते ही गोलीबारी में मारे गए। कौन कैसे मरा, कौन जाने? अभी प्रधानजी ऋषिकेश गए थे 11 तारीख को अपने गुरु दयानंद सरस्‍वती से मिलने। उनसे मिलते ही गुरुजी अस्‍पताल में भर्ती हो गए और दस दिन बाद गुज़र गये। मरने वाले को मरने से पहले आने वाले मुलाकाती से उसका भगवान बचाए!!!

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