Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Monday, September 5, 2016

नकली राजमहल में नारायणी सेना का प्रशिक्षण जारी,कूच बिहार बनने लगा सरदर्द का सबब बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य बन रहे हैं जिहादियों के अड्डे एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप संवाददाता

नकली राजमहल में नारायणी सेना का प्रशिक्षण जारी,कूच बिहार बनने लगा सरदर्द का सबब

बंगाल और पूर्वोत्तर के राज्य बन रहे हैं जिहादियों के अड्डे

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप संवाददाता

सिलिगुड़ी।उत्तर बंगाल के हालात आहिस्ते आहिस्ते बेकाबू हो रहे हैं।ममता बनर्जी के कड़े विरोध पर नारायणी सेना को प्रशिक्षण देना बंद कर दिया है भारतीय सीमा सुरक्षा बल ने।फिरभी कूचबिहार में अलग राष्ट्र न सही,नगर के बाहर पांचएकड़ जमीन पर नकली राजप्रासाद बनाकर अलगाववादी संगठन कूचबिहार पीपुल्स एसोसिएशन के एक गुट ने नारायणी सेना का उसी राजप्रासाद में प्रशिक्षण जारी रखा है।


उसी राजप्रासाद में वर्दीधारी पुरुष और महिला राजकर्मियों के लेकर संगय़न के नेता बाकायदा राजसिंहासन पर बैठकर राजकाज चलाते हैं।अलग कूचबिहार के लिए यह अभूतपूर्व तैयारी है।प्रशासन के सारी खबर है।लेकिन इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया अभी नहीं मिल रही है।


आदिवासी विकास परिषद और गोरखालैंड की राजनीति अलग है।कूचबिहार में विभिन्न समुदाओं कामतापुरी सर्थकों,आदिवासियों और गैरकामतापुरी और गैरआदिवासी समुदायों के बीच टकराव के हालात हैं,जो विस्फोटक हो सकते हैं।


वेटिकन सिटी में मद टेरेसा को संत की उपाधि के मौके पर वहां पहुंचकर ममता दीदी ने विदेश मंत्री सुषमा स्वराज और उनकी टीम से दूरी बनाये रखकर वापंथिययों के नक्से कदम पर कोलकाता और बांग्ला राष्ट्रीयता का झंडा बुलंद किया है।इसे उनके समर्थक उनकी ऐतिहासिक जीत मान रहे हैं।


जाहिर है कि सिंगुर में भूमि अधिग्रहण के ऐतिहासिक फैसले से दीदी को बहुतभारी जीत मिली है और वामपंथियों को भी निर्मायक तौर पर उन्होंने शिकस्त जरुर दी है लेकिन राज्यभर में अन्यत्र भूमि अधिग्रहण खारिज करने का जो आंदोलन शुरु हो गया है,उससे पूंजी निवेश का मामला फिर खटाई में है।


सिंगुर फैसले के साथ साथ दीदी ने वर्धमान में तैयार हो रहे आधे अधूरे मिष्टि हब को अन्यत्र हाटोने का ऐलान कर दिया है।इससे उनके ही पीपीपी माडल के विकास के माडल को गहरा झटका लगा है।बाकी देश में बीि इसका असर होना है।


कोचबिहार में राजतंत्र के तौर तरीके के साथ अलग कूचबिहार का जो आंदोलन नारायणी सेना को प्रशिक्षण के साथ उग्रतर होता जा रहा है,वह सिर्फ ममता बनर्जी नहीं,बाकी देश के लिए भी सरदर्द का सबब बनता जा रहा है।

इसी बीच केंद्र सरकार की खुफिया एजंसियों के हवाले से बंगाल और पूर्वोत्तर में जिहादियों की घुसपैठ और उनके अड्डों की खबर मौजूदा अलगाववादी संगठनों के साथ उनके मिलकर भारतविरोधी गतिविधियां चलाने के नतीजे कितने खतरनाक हो सकते हैं,यह मामला भी गरमाने लगा है।


बांगलादेश में हाल में हुई आतंकवादी हरकतों के तार सीधे तौर पर इन्ही राज्यों से जुड़ रहे हैं,इसके बावजूद आत्मघाती राजनीति का जलवा बहार है।


जो राजनीतिक उतना नहीं है जितना सीधे तौर पर कानून और व्यवस्था और राष्ट्रीय सुरक्षा का मसला है और इस सिलसिले में राज्य और केंद्र सरकार दोनों की खास जिम्मेदारियां हैं।


इसके उलट उत्तर बंगाल में पांव जमाने के लिए केंद्र की सत्ता पर काबिज कसरिया पल्टन जिस तरह कामतापुरी से लेकर अल्फा को खुल्ला समर्थन दे रहे हैं,उससे असम अल्फा के हवाले तो हो ही गया है,अब कूचबिहार के हालातभी संगीन है।


गनीमत है कि गोरखालैंड आंदोलन अभी ठंडा है और विमल गुरुंग और उनके प्रतिद्वंद्वी फिलहाल मौन हैं।दार्जिलिंग से सांसद भाजपा के हैं।इसके मद्देनजर गोरखा आंदोलन की कमान भी अब संघियों के हाथ में है।


दीदी वेटिकन सिटी से जर्मनी की ओर कूच कर गयी हैं विदेशी पूंजी की तलाश में।लेकिन विपक्ष के सफाये के बावजूद गैरसंवैधानिक संगठनों की अनदेखी से लोकतांत्रिक विपक्ष से बड़ी चुनौती देर सवेर उन्हें मिलने जा रही है।


प्रशासन और पुलिस को सबकुछ मालूम है लेकिन वे दीदी की हरी झंडी के बिना कुछ भी करने में असमर्थ है।


असम आंदोलन में आठवे दशक के दौरान हुए खूनखराबे के बाद गैरअसमिया कारोबारियों ने अपना कारोबार सिलीगुड़ी में स्थानांतरित कर लिया है।बाकी भारत से असम और पूर्वोततर को जोड़ने वाला सबसे बड़ा जंक्शन है जहां पूरे बंगाल में कारोबर की स्थिति सबसे बेहतर है और पूंजी निवेश का माहौल भी है।


यह सब कभी भी गुड़गोबर हो सकता है।


जाहिर है कि राजनीतिक सत्ता के लिए राष्ट्रहित को बलि चढ़ाने में राजनेताओं को कोई खास परेसानी नहीं होती,इसलिए बंगाल और असम समेत समूचे पूर्वोत्तर के मौजूदा हालात कश्मीर की तुलना में भी ज्यादा पेचीदा होते जा रहे हैं।जिसे लेकर फिलहाल केंद्र या राज्यसरकार को खास तकलीफ नहीं हो रही है।



--
Pl see my blogs;


Feel free -- and I request you -- to forward this newsletter to your lists and friends!

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV