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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, November 13, 2016

नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा? उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया? मरने वाले और कुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है? पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है? क्या उन कातिलों के किलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्म�

नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा?

उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया?

मरने वाले और कुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है?

पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है?

क्या उन कातिलों के किलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्मत करेंगे?

क्या बाबा साहेब ने ये भी कहा था कि यह सब जनता को एकमुश्त मारने के लिए अचानक कर देना चाहिए ?

मोदी की नोटबंदी बहुजन समाज के खिलाफ!

अब बेनामी संपत्ति जब्त करने का शगूफा! कालाधन निकालने की पेटीएम कवायद के बाद कारिंदों को रक्षा कवच देने का यह ट्रंप कार्ड!

पलाश विश्वास

अंबेडकर छात्र संगठन के कार्यकर्ता हमारे मित्र रजनीश अंबेडकर ने एक ज्वलंत सवाल किया है,कृपया उस पर गौर करेंः


नोटबंदी के बाद अब बेनामी संपत्ति जब्त करने का ताजा शगूफा है।तो दूसरी ओर, भ्रष्टाचार खत्म करने का नया नजारा पेश होने वाला है कि सरकारी बाबुओं के खिलाफ जांच के लिए पूर्व अनुमति लेनी होगी।कालाधन निकालने की पेटीएम कवायद के बाद कारिंदों को रक्षा कवच देने का यह ट्रंप कार्ड है।

आजकल मोदी के हक में हैरतअंगेज तरीके से कुछ अंबेडकरवादी केसरिया नोटबंदी को बाबासाहेब और संविधान से जोड़ रहे हैं कि उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार रोकने के लिए हर दस साल में नोट बदलने चाहिए।  क्या बाबा साहेब ने ये भी कहा था कि यह सब जनता को एकमुश्त मारने के लिए अचानक कर देना चाहिए ?

मोदी की नोटबंदी बहुजन समाज के खिलाफ है क्योंकि यह कोई वित्तीय प्रबंधन नहीं है,बाजार और व्यवसाय,नागिकों की संप्रभूता पर एकाधिकार कारपोरेट पूंजी वर्चस्व का राजनीतिक प्रबंधन है और नोटबंदी की इस कवायद से आम जनता को बुनियादी जरुरतें और बुनियादी सेवाओं से वंचित कर दिया गया है ताकि सत्तावर्ग इस मौके का फायदा उठाकर मनचाहा सत्ता समीकरण अपना धनबल बहाल रखते हुए विपक्ष को कंगाल बनाकर पा सके।

मुक्तबाजार में आम लोगों से क्रयशक्ति छीनने का मतलब हवा पानी केबिना आम जनता को गेस चैंबर में मारने की यह कवायद है क्योंकि दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्था में अब कुछ भी फ्री नहीं है।बिन पैसे एक कदम चलना मुश्किल है तो एक मिनट जीना भी मुश्किल है।

बाजार में खुल्ला और रेजगारी सुनियोजित तरीके से एटीएम के जरिये खत्म कर दी गयी है और आम जनता के पास जो सफेद धन है,वही कतारबद्ध जमा हो रहा है।तामम सांढ़ और भालू छुट्टा घूम रहे हैं।पांच सौ और एक हजार के नोट से कालाधन दमा होता है तो फिर दो हजार के नोट जारी किये जा रहे हैं जो आम जनता के लिए सरदर्द का सबब है तो कालाधन की लेनदेन उससे फिर अबाध ही समझिये।

बाबासाहेब ने ऐसा बताया था?

नोटबंदी से पहले तैयारी का आलम यह है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर ने रिलांयस की कंपनी से छुट्टी लेने के बाद सिर्फ एक महीने पहले पद संभाला था तो रिजर्व बैंक का निजीकरण की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है,जिसके सत्ताइस विभागों में निजी क्षेत्र के कारिंदे बैठे हुए हैं तो ज्यादातर बैंकों के निदेशक निजी क्षेत्र के लोग हैं।

जाहिर है कि नोटबंदी लीक हो जाने से इसका मकसद बेकार हो गया क्योंकि आम जनता मरने को है और अबाध पूंजी के तमाम कारोबारी मजे में हैं और प्लास्टिक मनी के जरिये सत्तावर्ग की क्रय शक्ति जस की तस है।

मारे जाने वाले तो बहुजन समाज के लोग हैं,जिनसे खेती के बाद फासिज्म का राजकाज नौकरियां और आरक्षण और अब काम धंधा कारोबार भी छीन रहा है।बहुजनों के इस नरसंहार के हिंदुत्व एजंडे के पक्ष में कृपया बाबासाहेब को न घसीटें।

यह सारा खेल यूपी के चुनाव जीतने के मद्देनजर चल रहा है।

कश्मीर के बहाने धर्मोन्मादी युद्धोन्माद से भी यूपी का समीकरण सधा नहीं तो वहां सत्ता की प्रबल दावेदार बहुजन समाज पार्टी को ठिकाने लगाने के लिए यह तमाशा खड़ा किया गया है,जिसके नतीजतन देशभर में राशन पानी का टोटा पड़ गया है।

नोट बदलने के फिराक में लोग पंक्तिबद्ध दम तोड़ रहे हैं और भक्तजन फिर युद्धोन्माद की भाषा में पाकिस्तान को सबक सिखाने और कतारबद्ध लोगं को सरहदों पर तैनात जवानों से तुलना कर रहे हैं।

जवानों को किसी ने कहीं बुनियादी जरुरतों और सेवाओं के लिए कतार में खड़े होकर पुलिस की लाठियां खाते हुए देखा है तो बतायें।

पहले तो वित्त मंत्री या रिजर्वबैंक के गवर्नर का अता पता नहीं था।फिर रिजर्व बैंक के नोट जारी होने से पहले नये नोट का डिजाइन लीक हो गया तो बाद में वे अखबार के पन्ने भी सामने गये जिनमें नोटबंदी से पहले अप्रैल और अक्तूबर में पांच सौ और एक हजार के नोट खारिज करने का ऐलान  कर दिया गया,फिर नये नोट खास लोगों तक नोटबंदी से पहले पहुंचने की कबर सामने आने लगीं।

सारी तैयारी कालाधन को चुनिंदा तरह से सफेद धन बनाकर अपना धनबल अटूट रखकर दूसरों को कंगाल बनाने की रही है।

दो दिन में एटीएम से दो दो हजार रुपये की निकासी की घोषणा की गयी तो चार दिन हो गये देश में सारे एटीएम बेकार पड़े हैं।लंबी कतारों में लोग दम तोड़ने लगे हैं।जरुरत के वक्त कंगाल हो जाने से देश के कोने कोने में लोगों के दम तोड़ने या खुदकशी कर लेने,बिना इलाज बच्चों के मरने की खबरें आने लगीं तो वित्त मंत्री की कुंभकर्णी नींद खुल गयी और मैदाने जंग में उतरकर उनने फरमाया कि सारे एटीएम नये नोट उगलने के लायक नहीं हैं और उन्हें उस लायक बनाने में दो तीन हफ्ते लग जायेंगे।

बहरहाल उन्होंने नोटबंदी पर जनता के सहयोग की सराहना की। वित्त मंत्री ने कहा कि नोट बदलने की प्रक्रिया काफी चुनौती भरी है और इसमें समय भी लगेगा उन्होंने कहा कि आने वाले 2-3 हफ्ते में एटीएम में जरूरी बदलाव किए जाएंगे। करीब 2 लाख एटीएम में सुरक्षा के चलते पहले बदलाव नहीं किए गए। आरबीआई के पास पर्याप्त मात्रा में पैसा है। लोगों के पास काफी मोहलत है उनसे अपील है कि जल्दबाजी न करें।

नोटबंदी से बेमौत मारे जाने वाले और खुदकशी करने वालों की मौत की कैफियत कौन देगा?

उनके लिए मौत चुन लेने का विकल्प किसने अनिवार्य बना दिया?

मरने वालों और खुदकशी करने वालों के कब्जे से कितना काला धन मिला है?

पुलिस की लाठियां खाने वालों के पास कितना काला धन है?

क्या उन कातिलों के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत आपमें है?

क्या इस देश में ऐसे वकील भी हैं जो इन कातिलों को कठघरे में खड़े करने की हिम्मत करेंगे?

एक दो दिन मे खर्च चलाने लायक पैसा निकालने के बारे में जो सोचने लगे थे, उन्हें वित्तमंत्री ने सांप सूंघा दिया तो जापान से हिरोशिमा और नागासाकी खरीदकर फारिग हुए पेटीएम के सर्वशक्तिमान माडल महोदय ने वित्तमंत्री को दो तीन हफ्ते की मोहलत को एक झटके से पचास दिनों के इंतजार में बदल दिया है।

पूरे पचास दिन तक कैशलैस हो जाने से उत्पादन इकाइयों और अर्थव्यवस्था, बाजार और प्रतिद्वंद्वता से जो करोडो़ं लोग बाहर हो जायेंगे और बुनियादी जरुरतों, सेवाओं और आपात स्थिति में आम जनता को जो तकलीफ होगी,उसका निदान विशुद्ध देशभक्ति बतायी जा रही है।

आस्था और अस्मिता के सवाल खड़े करके नागरिकों के हक हकूक छीने जा रहे हैं और आप बहुजन समाज के इस कत्लेआम में बाबासाहेब को हत्यारों के हक में खड़े कर रहे हैं और यह भी चाहते हैं कि न्याय और समता की बुनियाद पर समाज बनाने के लिए आप सत्ता दखल कर लें और आपको मामूली सी बात समझ में नहीं आ रही है कि यह सारा खेल आपको ही सत्ता से बेदखल करने का करतब है।

जल्दी मसला सुलझ नहीं रहा है और न जल्दी इस एकतरफा नोटबंदी से आम जनता की बेइंतहा तकलीफें खत्म होने जा रही है।तो मदारी का नया खेल शुरु हो गया कि बेनामी संपत्ति जब्त कर ली जायेगी।

दूसरी तरफ, देशभक्त सरकार ने रिटायर्ड और मौजूदा अधिकारियों को कार्यकाल के दौरान लिए प्रामाणिक फैसलों के चलते बेवजह की जांच से बचाने के लिए सुरक्षा कवच देने का फैसला कर लिया है। वह ऐसा प्रावधान करने जा रही है, जिससे सीबीआइ जैसी जांच एजेंसियों के लिए यह अनिवार्य हो जाएगा कि वे किसी भी अधिकारी के खिलाफ जांच करने से पहले केंद्र और राज्य सरकार की पूर्व अनुमति जरूर हासिल कर लें।

खबरों के मुताबिक  सरकार की इस मंशा के अनुरूप कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) इस बारे में जल्द निर्णय ले सकता है। आधिकारिक सूत्रों ने मंगलवार को यह जानकारी दी। उनका कहना है कि पूर्व एवं मौजूदा अधिकारियों को सुरक्षा कवच प्रदान करने के बारे में डीओपीटी शीघ्र कदम उठा सकता है।

गौरतलब है कि  आइएएस एसोसिएशन बहुत समय से यह मांग कर रहा है कि कार्यकाल के दौरान नेकनीयती से लिए गए फैसलों को लेकर जांच एजेंसियों से उनकी हिफाजत की जाए। अपनी इस मांग के समर्थन में एसोसिएशन ने 2जी और कोयला घोटाले में फंसे वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों श्यामल घोष, पीसी पारेख और एचसी गुप्ता का हवाला दिया और दावा किया कि ये बेहद काबिल अफसर हैं, फिर भी जांच का सामना कर रहे हैं।

कहा जा रहा है कि राज्य सभा की प्रवर समिति की सिफारिशों के अनुरूप डीओपीटी ने अधिकारियों को बेवजह की जांच से सुरक्षा कवच प्रदान कर सकता है। उच्च सदन की इस समिति ने भ्रष्टाचार रोधी कानून, 1988 में संशोधन संबंधी एक विधेयक के परीक्षण के दौरान इस तरह की सिफारिश की थी।

बहरहाल,सरकार के 500-1000 के नोट बंद करने के फैसले से कालाधन पर कितना बड़ा प्रहार हुआ ये तय कर पाना थोड़ा मुश्किल है। लेकिन इस फैसले ने आम जिंदगी गुजारने वाले लोगों को जरूर कंगाल कर दिया है। न तो बैंक और न ही एटीएम लोगों की जरूरत को पूरा कर पा रहे हैं। आज भी पैसे निकालने के लिए लोग मारामारी करते दिखे।ज्यादातर एटीएम में नोट नहीं हैं। लोगों की लंबी लंबी कतारें लगी हैं देश के हर शहर हर कस्बे में एटीएम और बैंकों का बुरा हाल है। छुट्टी का दिन होने के बावजूद लोग एटीएम से पैसे निकालने के लिए सुबह से लाइन में लगे हैं और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। लोगों की शिकायत है कि घंटों खड़े होने के बाद भी एटीएम से पैसे निकालने में नाकामयाब हैं।

पचास दिनों की तकलीफ का मतलब है कि नीति आयोग के विशेषज्ञों की परियोजना के तहत देश को कैशलैस बनाकर एटीएम की जगह पेटीएम चालू करना है।सर्वशक्तिमान सुपर माडल का करतब देखिये कि कैसे पचास दिनों में ही पेटीएम के लिए देश को कैशलैस करके डिजिटल बना रहे हैं।

डिजिटल बनने का ताजा नजारा धोखाधड़ी,जोखिम और फ्रांड का अनंत सिलसिला ही नहीं है सरकारी कामकाज और राजकाज के जरिये मुनाफावसूली भी है।

मसलन फोज जी नेटवर्किंग का ताजा नजारा यह है कि  अगर आप विदेशी वेबसाइट से ई-बुक, फिल्में, गाने या गेम्स डाउनलोड करते हैं तो अब 1 दिसंबर से आपको 15 फीसदी सर्विस टैक्स देना होगा। यही नहीं, विदेशी सर्विस प्रोवाइडर से डाटा स्टोरेज स्पेस लेने पर भी टैक्स लगेगा। सीबीईसी यानि सेंट्रल बोर्ड ऑफ एक्साइज एंड कस्टम ने नोटिफिकेसन जारी कर दिया है इसके तहत भारत में सेवाएं देने वाली तमाम विदेशी कंपनियों को सरकार को टैक्स देना होगा और भारतीय कानून के तहत पंजीकरण कराना होगा।

गौरतलब है कि ये टैक्स केवल पेड सर्विस पर ही लगेगा मुफ्त कंटेंट पर नहीं ऐसे में पेड सर्विसेज के महंगे होने का डर है। इस नोटीफिकेशन के लागू होने के बाद पेड गाने, फिल्में डाउनलोड करना, सॉफ्टवेयर खरीदना, इंटरनेट कॉलिंग करना, पेड गेम्स खरीदना और डाटा स्टोरेज स्पेस खरीदना महंगा हो जाएगा।

बहरहाल कालाधन छिपाने वालों को प्रधानमंत्री मोदी ने एक बार फिर चेतावनी दे डाली है। प्रधानमंत्री मोदी ने जापान में भारतीयों को संबोधित करते हुए कहा कि जिन लोगों ने अपनी अघोषित आय का खुलासा अब तक नहीं किया है उनके पास 30 दिसंबर तक आखिरी मौका है। इसके बाद ना कोई दूसरी स्कीम आएगी और ना ही कोई नरमी बरती जाएगी। 30 दिसंबर के बाद ठिकानों पर छापेमारी होगी। बिना हिसाब के कुछ हाथ आया तो कार्रवाई होगी। पीएम ने कहा कि सरकार ने आईडीएस के जरिए पहले ही काला धन जमा करवाने का मौका दिया था।

पुराने नोट बदलने पर पीएम मोदी ने कहा कि वे आम लोगों के सहयोग को नमन करते हैं। लोगों ने तकलीफ सही और सहयोग दिया। देश के लिए लोग तकलीफ उठा रहे हैं। तकलीफ के बाद भी लोगों ने फैसला स्वीकारा है।

उन्होंने कहा कि नोट बंद करने के फैसले को गोपनीय रखना जरूरी था। चोरी का माल निकलना चाहिए। नोटबंदी के बाद गंगा में नोट बह रहे हैं। नोटबंदी किसी को परेशान करने के लिए नहीं है। 2.5 लाख रुपये तक जमा कराने पर कोई सवाल नहीं किया जाएगा। सरकार ईमानदार लोगों की रक्षा करेगी लेकिन बैंकों में कालाधन लाने वाले नहीं बचेंगे।




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