Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, June 27, 2013

हटाई माता 'धारी देवी' की मूर्ति तो उत्तराखंड में हुआ 'महाविनाश'

हटाई माता 'धारी देवी' की मूर्ति तो उत्तराखंड में हुआ 'महाविनाश'


राजू गुसाईं [Translated By: नमिता शुक्ला] | सौजन्‍य: Mail Today | नई दिल्ली, 27 जून 2013 | अपडेटेड: 14:58 IST
इसे चाहें तो अंधविश्वास कहें या महज एक संयोग! उत्तराखंड में हुई तबाही के लिए जहां लोग प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं वहीं उत्तराखंड के गढ़वाल वासियों का मानना है कि माता धारी देवी के प्रकोप से ये महाविनाश हुआ.

मां काली का रूप माने जाने वाली धारी देवी की प्रतिमा को 16 जून की शाम को उनके प्राचीन मंदिर से हटाई गई थी. उत्तराखंड के श्रीनगर में हाइडिल-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था. प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके कुछ घंटे बाद ही केदारनाथ में तबाही का मंजर आया और सैकड़ों लोग इस तबाही के मंजर में मारे गए.

विश्व हिंदू परिषद के अशोक सिंघल ने कहा, 'लोगों ने हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट के खिलाफ प्रदर्शन किया था और धारी देवी की प्रतिमा को हटाए जाने का विरोध किया था. लेकिन इसके बावजूद 16 जून को धारी देवी की प्रतिमा को हटाया गया. धारी देवी के गुस्से से ही केदारनाथ और उत्तराखंड के अन्य इलाकों में तबाही मची. धारी देवी देश के नास्तिक लोगों को समझाना चाहती थीं कि हिमालय और यहां की नदियों को ना छुआ जाए.'

इस इलाके में धारी देवी की बहुत मान्यता है. लोगों की धारणा है कि धारी देवी की प्रतिमा में उनका चेहरा समय के साथ बदला है. एक लड़की से एक महिला और फिर एक वृद्ध महिला का चेहरा बना.

पौराणिक धारणा है कि एक बार भयंकर बाढ़ में पूरा मंदिर बह गया था लेकिन धारी देवी की प्रतिमा एक चट्टान से सटी धारो गांव में बची रह गई थी. गांववालों को धारी देवी की ईश्वरीय आवाज सुनाई दी थी कि उनकी प्रतिमा को वहीं स्थापित किया जाए. यही कारण है कि धारी देवी की प्रतिमा को उनके मंदिर से हटाए जाने का विरोध किया जा रहा था. यह मंदिर श्रीनगर से 10 किलोमीटर दूर पौड़ी गांव में है.

330 मेगावाट वाले अलखनंदा हाइड्रो पॉवर प्रोजेक्ट का काम अभी भी जारी है. लोगों के विरोध के चलते ही ये प्रोजेक्ट जो 2011 तक पूरा हो जाना चाहिए था अभी तक इस पर काम चल रहा है. जैसे ही धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने की बात शुरू हुई प्रोजेक्ट को लेकर लोगों का विरोध नए स्तर से शुरू हो गया. बीच का रास्ता निकालते हुए प्रोजेक्ट ने फैसला लिया कि पावर प्रोजेक्ट से दूर धारी देवी के मंदिर को स्थानांतरित किया जाएगा. धारी देवी की प्रतिमा को स्थानांतरित करने के लिए प्लेटफॉर्म बन चुका था लेकिन पॉवर प्रोजेक्ट कंपनी और मंदिर कमिटी के लिए उनकी मूर्ति को विस्थापित करना मुश्किल होता जा रहा था.

16 जून को जब मंदाकिनी नदी में बाढ़ आना शुरू हुई तो मंदिर कमिटी ने धारी देवी की प्रतिमा बचाने के लिए तुरंत एक्शन लिया. धारा देवी मंदिर कमिटी के पूर्व सचिव देवी प्रसाद पांडे के मुताबिक, 'शाम तक मंदिर में घुटने तक पानी भर गया था. ऐसी खबरें थीं कि रात तक बहुत तेज बारिश होने वाली है. तो धारा देवी की प्रतिमा को हटाने के अलावा कोई और रास्ता नहीं था. हमने शाम को 6:30 बजे प्रतिमा को स्थानांतरित किया था.'

अन्य अपडेट लगातार हासिल करने के लिए हमें फेसबुक पर ज्वॉइन करें. आप दिल्ली आजतक को भी फॉलो कर सकते हैं.

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV