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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, August 4, 2013

47 दिन बाद भी सरकारी सहायता को तरसते आपदा पीडि़त

47 दिन बाद भी सरकारी सहायता को तरसते आपदा पीडि़त


अंबिका सोनी ने कहा कि सरकारी सहायता और मदद से सभी को संतुष्ट किया जाना संभव नहीं है. थोड़ी बहुत शिकायतें और कमियां रहना लाजमी है, लेकिन विपरीत मौसम के बीच सरकार और संगठन ने हरसंभव प्रयास किया है कि पीडि़तों तक सहायता पहुंचे और उसके यह प्रयास लगातार जारी हैं...

मनोज इष्टवाल


http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-00-20/25-politics/4223-47-din-baad-bhee-sarkaari-sahayta-ko-tarste-aapda-peedit


उत्तराखण्ड में आयी भीषण आपदा के 47 दिनों तक प्रदेश के प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्ग और प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न न पहुंच पाने के सवाल पर प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा बगलें झांकते नजर आएं. उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता और मदद से सभी को संतुष्ट नहीं किया जा सकता. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि चरणबद्ध तरीके से प्रभावित क्षेत्रों का पुर्नवास और पुनर्गठन किया जाएगा.

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देहरादून स्थित बीजापुर गेस्ट हाउस में एक पत्रकार वार्ता में प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी ने कहा कि प्रदेश के 28 स्थानों में प्रदेश सरकार ग्रेन बैंक बनाएगी, ताकि आपदा के क्षणों में सुदूरवर्ती अंचलों में खाद्यान्न की कमी आड़े न आए. प्रदेश सरकार पहले चरण में तीन हजार लोगों को फैब्रीकेटिड छत मुहैया कराएगी, ताकि प्रभावित क्षेत्रों के जिन लोगों के घर पूरी तरह उजड़ गए हैं, वे आपदा और राहत केंद्रों को छोड़ इन अस्थाई टिन के बने अस्थाई घरों में स्थाई घर बनने तक निवास कर सकें.

संदेवनशील क्षेत्रों को सांसदों और विधायकों की संस्तुति के बाद पुनर्वासित किया जाएगा. उन्होंने यह भी कहा कि आपदा में बेघर और अपने परिजन को खो चुके ऐसी माता-बहनों को प्रदेश सरकार पेंशन देने की योजना बना रही है, ताकि उनके सामने आर्थिक संकट न आए. सरकार और संगठन आपदा से निपटने और प्रभावितों की मदद के लिए अच्छा काम कर रहे हैं.

लेकिन एक सवाल के जवाब में वे और मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा दोनों बंगले झांकते नजर आए. जब प्रदेश प्रभारी से सवाल किया गया कि बीते 47 दिनों में प्रदेश के राष्ट्रीय राजमार्गों की स्थिति जस की तस बनी है और जब मुख्य मार्गों की यह हालत है तो ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली सड़कों का क्या हाल होगा? पर मुख्यमंत्री और प्रदेश प्रभारी बगलें झांकते नजर आए.

उन्होंने कहा कि सरकारी सहायता और मदद से सभी को संतुष्ट किया जाना संभव नहीं है. थोड़ी बहुत शिकायतें और कमियां रहना भी लाजमी है, लेकिन विपरीत मौसम के बीच सरकार और संगठन ने हरसंभव प्रयास किया है कि पीडि़तों तक सहायता पहुंचे और उसके यह प्रयास लगातार जारी हैं.

दूसरी बार अपने एक दिवसीय दौरे पर दून आयीं कांग्रेस की प्रदेश प्रभारी अंबिका सोनी ने आज यहां सांसदों और मंत्रियों तथा संगठन के पदाधिकारियों से बैठक के बाद पत्रकारों से वार्ता के दौरान कही. राज्य सरकार और प्रदेश संगठन द्वारा चलाये गये बचाव और राहत कार्यों की समीक्षा बैठक में उन्होंने अब तक के कामों की जानकारी ली.

प्रदेश प्रभारी ने अपनी समीक्षा बैठक में ही पीडि़तों की सहायता के लिए अब तक किये गये कामों की जानकारी भी वहीं सांसदों से उनके क्षेत्रों में प्रभावितों की स्थिति तथा बचाव और राहत कार्यों में आ रही परेशानियों के बारे में जानकारी हासिल की. इस बारे में उन्होंने मुख्यमंत्री से भी जानकारी हासिल की. अंबिका सोनी ने सरकार को निर्देश दिये कि वह राज्य में कनैक्टिविटी सुधारने पर ध्यान दे. राज्य के सभी प्रमुख राष्ट्रीय राजमार्गों को दुरुस्त करने का काम सरकार की सबसे पहली प्राथमिकता होनी चाहिए, जिससे प्रभावित क्षेत्रों तक राहत और आवश्यक सामग्री पहुंच सके.

प्रदेश प्रभारी ने सरकार और संगठन के पदाधिकारियों की बैठक के बाद जिला प्रभारियों से भी बातचीत की और रिपोर्ट ली कि उनके क्षेत्रों में कहां-कहां राहत पहुंची है और कहां नहीं. इस अवसर पर केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत सांसद प्रदीप टम्टा, सांसद सतपाल महाराज एवं मुख्यमंत्री के साथ-साथ आपदा प्रबंधन मंत्री यशपाल आर्य और संगठन के पदाधिकारी मौजूद थे.

manoj-ishtwal-uttarakhandमनोज इष्टवाल उत्तराखण्ड में पत्रकार हैं.

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