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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, May 28, 2011

Fwd: [Right to Education] देव भूमि को आबाद करेगी या बर्बाद केंद्र की...



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From: Rohit Mehta <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2011/5/28
Subject: [Right to Education] देव भूमि को आबाद करेगी या बर्बाद केंद्र की...
To: Palash Biswas <palashbiswaskl@gmail.com>


देव भूमि को आबाद करेगी या बर्बाद केंद्र की कांग्रेस सरकार  हिमाचल की धरा को वन-मयी बनाने वाली धूमल सरकार के आगे रोड़े बिछाने में जुटी कांग्रेस  आखिर क्यों है देव भूमि के विकास से कांग्रेस को घिन्न  दिल्ली (अनिल लाम्बा) : विश्व में एक भारत देश ही ऐसा है जहां तेंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास बताया जाता है | यह भी सच है कि इन सभी देवी देवताओं ने वास के लिए देव भूमि को चुना यह अलग बात है कि भारत जैसे पूरे देश में देवों के अलग-अलग स्वरूप स्थापित हैं | मगर जमीनी हकीकत यह है की देव भूमि के रूप में आज भी भारत में जब भी इसे चर्चा का विषय बनाया जाता है तो सबसे पहला नाम हिमाचल प्रदेश का जुड़ता है | दरअसल माता पार्वती ने भगवान श्री भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली अराधना के स्थल का चयन इसी देव भूमि का किया था जिसे आज हिमाचल प्रदेश के रूप में जाना जाता है | यह ऐसी देव भूमि है जहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति केवल अच्छे कर्म,मानवता,विकास,दूरदर्शिता,स्वालंबन तथा त्याग और भावना की भाषा बोलता है भले ही देव भूमि से लौट कर वह असली अर्थ को मृतप्राय: मान ले लेकिन यथार्थ यही है कि सदियों से चली आ रही देव भूमि पर पाँव रखते ही प्रत्येक व्यक्ति असली सत्य को मान ही लेता है | क्या यह पूरे देश के लोगों के लिए स्वाभिमान के रूप में उभर कर सामने नहीं आ रहा ? क्या यह पूर्व का सत्य नहीं है ? क्या इस देव भूमि का अस्तित्व पूरी दुनिया के लिए जरूरी नहीं है ? यदि है तो हमें यह मान कर चलना चाहिए कि यदि आज हमारे देश और दुनिया का अस्तित्व कायम है तो यह सब इसी देव भूमि यानी हिमाचल के कारण है | यह बात समझ से परे की है कि पूरी दुनिया के लिए मौजूदगी का कारण बन चुकी देव भूमि आज राजनितिक कुंठा का शिकार है | दरअसल देश के नेताओं को देव भूमि की कम और अपनी पार्टी और प्रतिष्ठा की फ़िक्र ज्यादा रहती है | अब सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर केंद्र की मौजूदा यू.पी.ए सरकार देव भूमि के विकास में बड़ी बाधा बन कर सामने क्यों आ रही है | काबिलेगौर बात यह है कि इस देव भूमि में करीब अडसठ लाख की आबादी में से अस्सी प्रतिशत आबादी केवल कृषि पर निर्भर है जिस में बागवानी सबसे प्रथम है | भले ही कृषि योग्य भूमि कम है मगर पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि करना कोई आसान काम भी नहीं है | उधोग और पर्यटन न के बराबर हैं | इसलिए यह देवभूमि पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर है | गौरतलब बात यह है कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशी मिट्टी से जुड़े लोग भी इस देव भूमि कि असलियत और पूर्व के यथार्थ के सत्य को जानने के लिए बार-बार यहाँ चक्कर लगाते हैं | इसलिए देश की महत्वपूर्ण सरकार का फर्ज और भी बड़ जाता है कि वह सदियों से देवों से जुडी और धर्म से औत-प्रोत देव भूमि के विकास के लिए अथक प्रयास भी करे लेकिन राजनितिक कारणों का शिकार बनी देव भूमि के विकास के लिए पिछले सात सालों से केंद्र सरकार ने अपनी तिजौरी का मुंह पूरी तरह से बंद कर दिया है | यहाँ दाद देनी पड़ेगी हिमाचल के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की जिन्होने दौ हजार आठ में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से डायमंड स्टेट अवार्ड , वितमंत्री प्रणब मुखर्जी से स्टेट ऑफ स्टेट्स अवार्ड , मौजूदा लोकसभा की स्पीकर श्रीमती मीरा कुमार से स्टेट डायमंड अवार्ड दौ हजार नौ , एवं देश के उप-राष्ट्रपति डाक्टर हामिद अंसारी से अवार्ड हासिल कर यह साबित कर दिया कि धूमल देव भूमि के संरक्षण तथा उसके विकास को लेकर गम्भीर ही नहीं बल्कि कायदे से प्रयासरत भी हैं | वह सम्मान के लायक ही नहीं बल्कि सम्मान के योग्य भी हैं क्योंकि उन्होने देव भूमि की वनस्थली के दायरे को और अधिक बडाकर यह साबित कर दिया है कि भारत देश के विकास में वनीय क्षेत्रों को बड़ावा देना आज के ग्लोबल वार्मिंग युग में कितना महतवपूर्ण है | मगर जरूरत देखिये कि देश का विकास और पर्यावरण समेत गरीबी और भ्रष्टाचार मिटाओ का दंभ भरने वाली यू.पी.ए सरकार का असली चेहरा कितना खौफनाक है कि उसने वितीय वर्ष में हिमाचल प्रदेश को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भी करीब एक सौ पिचेतर करोड़ की कटौती कर दी | मतलब साफ़ है कि जहां कांग्रेस को दुत्कार दिया गया वहीं देव भूमि की सता में आई भाजपा के भी पाँव खींचे जा रहे हैं | देश की जनता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से यह सवाल पूछ रही है कि यू.पी. के भट्टा-परसौला में आने वाली दिक्कतों का ठीकरा वह मायावती सरकार के सिर पर तो फोड़ रही है लेकिन समूची सृष्टि का आधार देव भूमि के विकास की फ़िक्र आखिर सोनिया और राहुल गांधी को क्यों नहीं है | यह भी कडवा सच है कि कांग्रेस की पिछले लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भी देश की जनता ने सोनिया को विदेशी बता कर उन्हें प्रधानमन्त्री नहीं बनने दिया | फिर त्याग की मूर्ति बता कर देश के ही कुछ हुक्मरानों ने उन्हें यू.पी.ए सरकार की प्रमुख जरुर बना दिया | लेकिन भारत की भूमि देवों से जुडी है जिसकी अस्मिता , भविष्य और सत्यता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता | धूमल भले ही भाजपा से सम्बन्ध रखते हों लेकिन देव भूमि के ही लोगों ने उन्हें सर्वोपरी मानते हुए सता की बागडौर सौंप दी | देव भूमि में चुनावों के दौरान प्रचार करने पहुंचे सोनिया गांधी और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी समेत चुनावों में बिना लड़े प्रधानमन्त्री बने मनमोहन सिंह की अपील देव भूमि के लोगों ने क्यों दरकिनार कर दी | इस सत्य को यू.पी.ए की सरकार को समझ ही लेना चाहिए वर्ना ऐसा ना हो कि देश की राजधानी में बैठीं सोनिया भले ही अपनी सहयोगी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को बंद दरवाजा का डरावा दिखा कर उन्हें समर्थन के लिए मजबूर क्यों ना कर दे मगर देव भूमि के विकास से खींचे हुए कांग्रेस के हाथ घटौतकच की तरह कोसते ही रहेंगे |
Rohit Mehta 1:35am May 28
देव भूमि को आबाद करेगी या बर्बाद केंद्र की कांग्रेस सरकार
हिमाचल की धरा को वन-मयी बनाने वाली धूमल सरकार के आगे रोड़े बिछाने में जुटी कांग्रेस
आखिर क्यों है देव भूमि के विकास से कांग्रेस को घिन्न
दिल्ली (अनिल लाम्बा) : विश्व में एक भारत देश ही ऐसा है जहां तेंतीस करोड़ देवी-देवताओं का वास बताया जाता है | यह भी सच है कि इन सभी देवी देवताओं ने वास के लिए देव भूमि को चुना यह अलग बात है कि भारत जैसे पूरे देश में देवों के अलग-अलग स्वरूप स्थापित हैं | मगर जमीनी हकीकत यह है की देव भूमि के रूप में आज भी भारत में जब भी इसे चर्चा का विषय बनाया जाता है तो सबसे पहला नाम हिमाचल प्रदेश का जुड़ता है | दरअसल माता पार्वती ने भगवान श्री भोले शंकर को प्रसन्न करने के लिए की जाने वाली अराधना के स्थल का चयन इसी देव भूमि का किया था जिसे आज हिमाचल प्रदेश के रूप में जाना जाता है | यह ऐसी देव भूमि है जहां आने वाला प्रत्येक व्यक्ति केवल अच्छे कर्म,मानवता,विकास,दूरदर्शिता,स्वालंबन तथा त्याग और भावना की भाषा बोलता है भले ही देव भूमि से लौट कर वह असली अर्थ को मृतप्राय: मान ले लेकिन यथार्थ यही है कि सदियों से चली आ रही देव भूमि पर पाँव रखते ही प्रत्येक व्यक्ति असली सत्य को मान ही लेता है | क्या यह पूरे देश के लोगों के लिए स्वाभिमान के रूप में उभर कर सामने नहीं आ रहा ? क्या यह पूर्व का सत्य नहीं है ? क्या इस देव भूमि का अस्तित्व पूरी दुनिया के लिए जरूरी नहीं है ? यदि है तो हमें यह मान कर चलना चाहिए कि यदि आज हमारे देश और दुनिया का अस्तित्व कायम है तो यह सब इसी देव भूमि यानी हिमाचल के कारण है | यह बात समझ से परे की है कि पूरी दुनिया के लिए मौजूदगी का कारण बन चुकी देव भूमि आज राजनितिक कुंठा का शिकार है | दरअसल देश के नेताओं को देव भूमि की कम और अपनी पार्टी और प्रतिष्ठा की फ़िक्र ज्यादा रहती है | अब सवाल यह उठ रहे हैं कि आखिर केंद्र की मौजूदा यू.पी.ए सरकार देव भूमि के विकास में बड़ी बाधा बन कर सामने क्यों आ रही है | काबिलेगौर बात यह है कि इस देव भूमि में करीब अडसठ लाख की आबादी में से अस्सी प्रतिशत आबादी केवल कृषि पर निर्भर है जिस में बागवानी सबसे प्रथम है | भले ही कृषि योग्य भूमि कम है मगर पर्वतीय क्षेत्रों में कृषि करना कोई आसान काम भी नहीं है | उधोग और पर्यटन न के बराबर हैं | इसलिए यह देवभूमि पूरी तरह से केंद्र सरकार पर निर्भर है | गौरतलब बात यह है कि भारत ही नहीं बल्कि विदेशी मिट्टी से जुड़े लोग भी इस देव भूमि कि असलियत और पूर्व के यथार्थ के सत्य को जानने के लिए बार-बार यहाँ चक्कर लगाते हैं | इसलिए देश की महत्वपूर्ण सरकार का फर्ज और भी बड़ जाता है कि वह सदियों से देवों से जुडी और धर्म से औत-प्रोत देव भूमि के विकास के लिए अथक प्रयास भी करे लेकिन राजनितिक कारणों का शिकार बनी देव भूमि के विकास के लिए पिछले सात सालों से केंद्र सरकार ने अपनी तिजौरी का मुंह पूरी तरह से बंद कर दिया है | यहाँ दाद देनी पड़ेगी हिमाचल के मौजूदा मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की जिन्होने दौ हजार आठ में देश के तत्कालीन राष्ट्रपति डाक्टर ए.पी.जे. अब्दुल कलाम से डायमंड स्टेट अवार्ड , वितमंत्री प्रणब मुखर्जी से स्टेट ऑफ स्टेट्स अवार्ड , मौजूदा लोकसभा की स्पीकर श्रीमती मीरा कुमार से स्टेट डायमंड अवार्ड दौ हजार नौ , एवं देश के उप-राष्ट्रपति डाक्टर हामिद अंसारी से अवार्ड हासिल कर यह साबित कर दिया कि धूमल देव भूमि के संरक्षण तथा उसके विकास को लेकर गम्भीर ही नहीं बल्कि कायदे से प्रयासरत भी हैं | वह सम्मान के लायक ही नहीं बल्कि सम्मान के योग्य भी हैं क्योंकि उन्होने देव भूमि की वनस्थली के दायरे को और अधिक बडाकर यह साबित कर दिया है कि भारत देश के विकास में वनीय क्षेत्रों को बड़ावा देना आज के ग्लोबल वार्मिंग युग में कितना महतवपूर्ण है | मगर जरूरत देखिये कि देश का विकास और पर्यावरण समेत गरीबी और भ्रष्टाचार मिटाओ का दंभ भरने वाली यू.पी.ए सरकार का असली चेहरा कितना खौफनाक है कि उसने वितीय वर्ष में हिमाचल प्रदेश को दी जाने वाली आर्थिक मदद में भी करीब एक सौ पिचेतर करोड़ की कटौती कर दी | मतलब साफ़ है कि जहां कांग्रेस को दुत्कार दिया गया वहीं देव भूमि की सता में आई भाजपा के भी पाँव खींचे जा रहे हैं | देश की जनता सोनिया गांधी और राहुल गांधी से यह सवाल पूछ रही है कि यू.पी. के भट्टा-परसौला में आने वाली दिक्कतों का ठीकरा वह मायावती सरकार के सिर पर तो फोड़ रही है लेकिन समूची सृष्टि का आधार देव भूमि के विकास की फ़िक्र आखिर सोनिया और राहुल गांधी को क्यों नहीं है | यह भी कडवा सच है कि कांग्रेस की पिछले लोकसभा चुनाव में जीत हासिल करने के बाद भी देश की जनता ने सोनिया को विदेशी बता कर उन्हें प्रधानमन्त्री नहीं बनने दिया | फिर त्याग की मूर्ति बता कर देश के ही कुछ हुक्मरानों ने उन्हें यू.पी.ए सरकार की प्रमुख जरुर बना दिया | लेकिन भारत की भूमि देवों से जुडी है जिसकी अस्मिता , भविष्य और सत्यता पर अंकुश नहीं लगाया जा सकता | धूमल भले ही भाजपा से सम्बन्ध रखते हों लेकिन देव भूमि के ही लोगों ने उन्हें सर्वोपरी मानते हुए सता की बागडौर सौंप दी | देव भूमि में चुनावों के दौरान प्रचार करने पहुंचे सोनिया गांधी और कांग्रेस के युवराज राहुल गांधी समेत चुनावों में बिना लड़े प्रधानमन्त्री बने मनमोहन सिंह की अपील देव भूमि के लोगों ने क्यों दरकिनार कर दी | इस सत्य को यू.पी.ए की सरकार को समझ ही लेना चाहिए वर्ना ऐसा ना हो कि देश की राजधानी में बैठीं सोनिया भले ही अपनी सहयोगी पार्टियों के भ्रष्ट नेताओं को बंद दरवाजा का डरावा दिखा कर उन्हें समर्थन के लिए मजबूर क्यों ना कर दे मगर देव भूमि के विकास से खींचे हुए कांग्रेस के हाथ घटौतकच की तरह कोसते ही रहेंगे |

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Palash Biswas
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http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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