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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, July 1, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/7/1
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःउर्दू शिक्षकों की भर्ती का रास्ता साफ

Posted: 30 Jun 2011 11:29 AM PDT

मुख्यमंत्री सुश्री मायावती की पहल पर मोअल्लिम-ए-उर्दू प्रशिक्षण प्राप्त हजारों अभ्यर्थियों की उर्दू शिक्षक के पदों पर नियुक्ति का रास्ता साफ हो गया है। सुश्री मायावती के संज्ञान में बसपा के नेताओं द्वारा यह बात लायी गयी थी कि मोअल्लिम-ए- उर्दू उपाधि धारक अभ्यर्थियों को उर्दू अध्यापकों के रिक्त पदों पर नियुक्ति के लिए उच्च न्यायालय ने आदेश दिये थे, परन्तु सरकार द्वारा इसके विरुद्ध विशे अनुज्ञा याचिका दायर करने के कारण उन्हें नियुक्ति का अवसर प्राप्त नहीं हो पा रहा था। मुख्यमंत्री द्वारा इस प्रकरण में उदारता पूर्वक विचार करते हुए राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर अपील को वापस लेने का निर्णय लिया गया। इसके फलस्वरूप मोअल्लिम-ए-उर्दू धारकों को उर्दू अध्यापकों के पदों पर नियुक्ति प्रदान करने का रास्ता साफ हो गया है। उल्लेखनीय है कि मोअल्लिम-ए-उर्दू प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को राज्य सरकार द्वारा 1997 तक बीटीसी प्रशिक्षण की समकक्षता प्रदान की गयी थी और पूर्व में इस प्रकार की सभी समकक्षताओं को समाप्त कर दिया गया था। मोअल्लिम-ए-उर्दू धारकों की निरन्तर यह मांग रही है कि जो अभ्यर्थी 1997 के पूर्व इस प्रशिक्षण को प्राप्त कर चुके हैं उनकी नियुक्ति बेसिक शिक्षा परिषदीय विद्यालयों में उर्दू अध्यापकों के रूप में में की जाये। उच्च न्यायालय ने भी वर्ष 1997 के पूर्व मोअल्लिम-ए-उर्दू के प्रशिक्षण प्राप्त अभ्यर्थियों को नियुक्ति के लिए अर्ह माना है। इस सम्बन्ध में राज्य सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दायर की गयी अपील विचाराधीन थी। अब इसके वापस ले लिये जाने के बाद इस दिशा में आ रही रुकावटें दूर हो गयी हैं(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,30.6.11)।

छत्तीसगढ़ःइंजीनियरिंग काउंसिलिंग के पहले हो रही घेरेबंदी!

Posted: 30 Jun 2011 11:25 AM PDT

तकनीकी शिक्षा संचालना.लय की ओर से प्रदेश के इंजीनियरिंग कॉलेजों में प्रवेश के लिए ऑनलाइन काउंसिलिंग की शुरुआत 14 जुलाई से होगी। संचालनालय की ओर से सूचना जारी करने के पहले ही इसकी जानकारी निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की ओर से छात्रों को एसएमएस द्वारा दी जा रही है।

पीईटी के बाद व्यापमं की ओर से जारी छात्रों की लिस्ट निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों तक कैसे पहुंची यह बड़ा सवाल है। जबकि कई बार मांगने के बाद व्यापमं की ओर से दो-तीन दिन पहले ही तकनीकी शिक्षा संचालनालय को सूची उपलब्ध करवाई गई है।

छात्रों को मैसेज करने का सिलसिला लगातार एक सप्ताह से भी ज्यादा समय से चल रहा है। फिलहाल संचालनालय की ओर से प्रदेश के 50 कॉलेजों की लगभग 20 हजार 250 सीटों के लिए ऑनलाइन काउंसिलिंग के लिए तैयारियां पूरी कर ली गई है।

कट ऑफ से लाखों छात्र होंगे बाहर :


एआईट्रिपलई की काउंसिलिंग में इस बार कट ऑफ तय होने की वजह से लाखों छात्र काउंसिलिंग से बाहर हो जाएंगे। एआईट्रिपलई में कट ऑफ की सीमा 10 प्रतिशत तय करने की वजह छात्रों को 36 नंबर अनिवार्य रूप से लाने होंगे। 
माइनस मार्किग होने की वजह से 36 से कम नंबर पाने वाले छात्रों की संख्या चार लाख से भी ज्यादा है। निजी प्राइवेट कॉलेजों के संचालकों और प्राचार्यो ने इस फैसले के विरुद्ध उच्च स्तर पर विरोध भी दर्ज किया है।

ऑनलाइन काउंसिलिंग से प्राइवेट कॉलेज परेशान : 

संचालनालय की ओर से ऑनलाइन काउंसिलिंग आयोजित करने की वजह से छात्रों तक सीधी पहुंच बनाने के लिए निजी इंजीनियरिंग कॉलेज छात्रों को एसएमएस भेज रहे हैं। सब कुछ ऑनलाइन होने की वजह से प्राइवेट कॉलेज अब काउंसिलिंग स्थल पर अपना स्टॉल भी नहीं लगा पा रहे हैं। 

पासवर्ड न बताने की अपील : 

तकनीकी शिक्षा संचालनालय की ओर से छात्रों से अपील की गई है कि काउंसिलिंग के दौरान उन्हें दिया जाने वाला पासवर्ड वे किसी को भी न बताएं। 

काउंसिलिंग की सभी प्रक्रियाओं को पूरा करने के बाद अलॉटमेंट के लिए छात्रों को एक पासवर्ड दिया जाएगा। अलॉटमेंट के समय छात्रों को यह पासवर्ड बताना होगा इसके बाद ही उन्हें सीट का अलॉटमेंट किया जाएगा।

ऐसे होगी बीई की ऑनलाइन काउंसिलिंग 

प्रथम चरण : 14 से 27 जुलाई तक
(29 जुलाई को होगा सीटों का अलॉटमेंट)

द्वितीय चरण : 6 से 9 अगस्त तक
(10 अगस्त को होगा सीटों का अलॉटमेंट)

एआईट्रिपलई की काउंसिलिंग 10 जुलाई से

एआईट्रिपलई की काउंसिलिंग 10 जुलाई से शुरू होगी।इस काउंसिलिंग से प्रदेश के निजी इंजीनियरिंग कॉलेजों की 10 प्रतिशत सीटें भरी जाएंगी। छत्तीसगढ़ के 45 कॉलेजों में लगभग 1800 सीटें अन्य राज्यों के कोटे की हैं। 

पंजीयन के लिए ऑनलाइन प्रक्रिया पूरी करने 13 जुलाई तक का समय दिया जाएगा। 11 से 14 जुलाई तक परीक्षण केंद्रों में दस्तावेजों का परीक्षण किया जाएगा। 16 जुलाई को सीटों का आवंटन किया जाएगा। 18 से 23 जुलाई तक छात्र आवंटित कॉलेजों में प्रवेश ले सकेंगे(दैनिक भास्कर,रायपुर,30.6.11)।

यूपी बोर्डःयूपी बोर्ड : स्क्रूटनी के लिए नौ तक करें आवेदन

Posted: 30 Jun 2011 11:20 AM PDT

यूपी बोर्ड के इण्टरमीडिएट के स्क्रूटनी फार्म पांच जुलाई और हाईस्कूल के फार्म नौ जुलाई तक क्षेत्रीय कार्यालयों में डाक से लिए जाएंगे। हाईस्कूल के कम्पार्टमेण्ट/इम्प्रूवमेण्ट परीक्षाओं के फार्म क्षेत्रीय कार्यालयों में 15 जुलाई तक जमा होंगे। यह जानकारी यूपी बोर्ड के इलाहाबाद क्षेत्रीय कार्यालय के अपर सचिव डा प्रदीप कुमार ने दी। उन्होंने कहा कि कम्पार्टमेण्ट/इम्प्रूवमेण्ट परीक्षा की तिथियां शीघ्र घोषित होगी। इनके परीक्षा केन्द्र जिले के राजकीय इण्टर कालेज और राजकीय बालिका इण्टर कालेज होंगे। अपर सचिव ने बताया कि जिन परीक्षार्थियों के अंक पत्र में किसी कारण से गड़बड़ी हुई है। उसमें सुधार के लिए क्षेत्रीय कार्यालय में ग्रीवांस सेल का गठन किया गया है। प्रतिदिन सुबह दस बजे से शाम चार बजे तक सेल में आधा दर्जन कर्मचारी बैठते है। यह कर्मचारी परीक्षार्थियों के अंकपत्र में हुई गड़बड़ियों की जानकारी मिलने के बाद ठीक करते है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को किसी प्रकार की दिक्कत हो तो वह मुझसे भी मिल सकते है(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,30.6.11)।

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालयःकॉलेज बढ़े, नतीजे घटे

Posted: 30 Jun 2011 11:15 AM PDT

राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज विश्वविद्यालय से संबद्ध कालेजों के मौजूदा नतीजे देखने के बाद ऊंची दुकान फीके पकवान वाली कहावत चरितार्थ हो रही है। रेवड़ी की तरह बांटे गए कालेजों के दुष्परिणाम एक साल में ही सामने आ गए हैं।

हाल ही में रातुम विश्वविद्यालय द्वारा जारी ग्रीष्मकालीन परीक्षाओं के नतीजों से न सिर्फ विवि की विश्वसनीयता पर प्रश्न चिन्ह लग गया है, बल्कि कालेजों के दावों की कलई खुल गई है। पिछले तीन वर्षो के नतीजों को देखें तो इस वर्ष के नतीजों में सबसे अधिक गिरावट आयी है।

विवि द्वारा नतीजों के आंकड़े सार्वजनिक नहीं किए जाते हैं, जिससे विद्यार्थी और उनके पालक अभी तक इस सच्चई से अनजान हैं। भास्कर की पड़ताल में सामने आए आंकड़ों के मुताबिक विवि की बीए, बी.कॉम, बी.एससी, बीसीसीए, बीबीए और बीसीए प्रथम वर्ष में से किसी भी पाठच्यक्रम की परीक्षा में 20 फीसदी भी विद्यार्थी उत्तीर्ण नहीं हो पाए हैं। इन सभी पाठच्यक्रमों के नतीजे 20 फीसदी से कम हैं।


किसी पाठच्यक्रम के नतीजे 14 फीसदी तो किसी पाठच्यक्रम के नतीजे 17 फीसदी पर आकर अटक गए हैं। गत वर्ष के नतीजों के मुकाबले इस बार नतीजे 4 फीसदी तक कम हुए हैं। गत वर्ष बीबीए और बीसीए को छोड़ शेष सभी गैर व्यावसायिक पाठ्यक्रमों की परीक्षाओं के नतीजे 25 फीसदी तक आए थे। 
इस बार इन पाठच्यक्रमों के नतीजों में वृद्धि नहीं हो पाई है। खास बात यह है कि पिछले दो वर्षों से बीबीए, बीसीसीए और बीसीए पाठच्यक्रमों के नाम से विद्यार्थियों को लूटा जा रहा है। 

नतीजे कम आने का कारण

पाठच्यक्रमों के नतीजे कम आने का प्रमुख कारण कालेजों में पढ़ाने वाले शिक्षकों की भारी कमी होना है। विवि प्रशासन को इस बात का पूरा संज्ञान है कि किन कालेजों में कितने शिक्षक हैं? कितने शिक्षकों की आवश्यकता है? बावजूद इसके कोई कार्रवाई नहीं की गई है। 

विवि की गत वर्ष हुई सीनेट सभा में परीक्षा विभाग की एक रिपोर्ट पेश की गई थी। रिपोर्ट के मुताबिक विवि से संबद्ध बीबीए पाठच्यक्रम संचालित करने वाले 155 महाविद्यालयों में 640 शिक्षकों की जरूरत है। एमबीए के 52 कालेज हैं। 

इन कालेजों में 502 शिक्षकों की जरूरत है। लेकिन इसमें से महज 35 पदों को भरा गया है। इससे भी बुरे हाल बीएमसी और एमसीएम पाठ्यक्रमों के हैं। बीएमसी पाठच्यक्रम संचालित करने वाले 15 महाविद्यालयों में 64 शिक्षकों के पदों में से एक पद भरा गया है। शेष 63 कालेजों में एक भी शिक्षक नहीं हैं। 

एमसीएम पाठ्यक्रम संचालित करने वाले 49 महाविद्यालयों में 296 शिक्षकों की जरूरत है। इसमें से 293 पद खाली पड़े हैं। इसके अलावा कला, वाणिज्य तथा विज्ञान संकाय के तहत शुरू किए गए अन्य पाठच्यक्रमों को पढ़ाने वाले शिक्षकों की स्थिति का भी खुलासा किया गया था। 

विवि प्रशासन मौन

रिपोर्ट के खुलासे के बाद तब भी विवि प्रशासन पूरी तरह से चुप था और आज भी वही स्थिति है। नतीजों के आंकड़ों से पूरी तरह से वाकिफ होने के बावजूद अभी तक विवि प्रशासन ने नतीजों के कम आने पर कालेजों के लिए कोई ताकीद नहीं की है। 

जांच करेंगे 

नतीजे कम आने के कारणों की जांच करेंगे। जांच के बाद जो दोषी पाया जाएगा उस पर कार्रवाई करेंगे। 
डा. महेश कुमार येनकी, विवि, कुलसचिव(आशीष दुबे,दैनिक भास्कर,नागपुर,30.6.11)

डीयू में एमएससी गणित की परीक्षा का मामलाःआउट ऑफ सिलेबस प्रश्न की जांच शुरू

Posted: 30 Jun 2011 11:11 AM PDT

डीयू के एमएससी (गणित) की इम्प्रूवमेंट परीक्षाओं में आउट ऑफ सिलेबस पेपर आने के मामले में डीयू के गणित विभाग की ओर से जांच शुरू हो चुकी है। यदि जांच में प्रश्नपत्र को लेकर विद्यार्थियों द्वारा लगाए गए आरोप सही पाए जाते हैं, तो विद्यार्थियों को राहत देते हुए फिर से परीक्षा भी आयोजित की जा सकती है। फिलहाल जांच के बाद ही इस संबंध में कोई फैसला लिया जाएगा। मामले के अनुसार बीते 17 जून को 40 विद्यार्थियों ने एमएससी गणित की इम्प्रूवमेंट की परीक्षा दी थी। जब परीक्षा में प्रश्नपत्र सामने आया तो परीक्षार्थियों ने देखा कि प्रश्नपत्र में पाठय़क्रम से जुड़े 17 टॉपिक्स में से केवल दो टॉपिक पर पूरा प्रश्नपत्र आधारित था। जिसके बाद विद्यार्थियों ने यह परीक्षा देने से इनकार कर दिया। परीक्षार्थियों ने इस संबंध में परीक्षा विभाग और गणित विभाग में संपर्क किया। साथ ही लिखित रुप से अपनी आपत्ति जताई। एनएसयूआई की छात्र नेता दीपिका देशवाल ने कहा कि इन विद्यार्थियों ने उनसे संपर्क किया, जिसके बाद उन्होने परीक्षा विभाग से संपर्क कर विद्यार्थियों को न्याय दिलानेकी मांग की है। बताया जाता है कि प्रश्नपत्र आउट ऑफ पैटर्न था। गणित विभाग के अध्यक्ष प्रो. बीके दास ने कहा कि विभाग के पास यह मामला आ चुका है और इसकी जांच शुरू कर दी गई है। उन्होंने कहा कि यदि प्रश्नपत्र में किसी तरह का अन्याय होता दिख रहा होगा तो विद्यार्थियों के हित में फैसला लिया जा सकता है। सुश्री देशवाल ने कहा कि यह विद्यार्थियों के भविष्य का सवाल है, यदि उन्होने न्याय नहीं मिलता है, तो वे क्या करेंगे(राष्ट्रीय सहारा,दिल्ली,30.6.11)।

गौतम बुद्ध प्राविधिक विश्वविद्यालयःएमटेक माड्यूलर की काउंसलिंग में हंगामा

Posted: 30 Jun 2011 11:05 AM PDT

गौतम बुद्ध प्राविधिक विविद्यालय में बुधवार को 120 शिक्षकों को माडय़ूलर एमटेक में दाखिला दिया गया। माड्यूलर एमटेक में पहली बार पालीटेक्निक संस्थानों के डिप्लोमा शिक्षकों को भी प्रवेश दिये गये हैं। इंस्टीट्यूट आफ इंजीनियरिंग एण्ड टेक्नोलॉजी (आईईटी) में काउंसलिंग के दौरान पालीटेक्निक के शिक्षकों ने बवाल किया और विविद्यालय के कुलपति तक जा पहुंचे। शिक्षक विविद्यालय को आयी सूची में नाम न मिलने को लेकर हंगामा पर आमादा थे। काउंसलिंग हॉल में पहुंचे प्रतिकुलपति प्रो. वीके सिंह ने शिक्षकों को समझाकर शांत कराया और उन्हें प्रॉविजनली प्रवेश दे दिये गये हैं। जीबीटीयू चार कालेजों में पांच ब्रांच में माड्यूलर एमटेक को लेकर कक्षाएं शुरू कर रहा है। इनमें तीन विषयों के दो स्टडी सेंटर राजधानी में है। आईईटी व राम स्वरूप इंजीनियरिंग कालेज को माड्यूलर एमटेक के लिए अध्ययन केन्द्र बनाया गया है। प्रो. सिंह ने बताया कि सभी अध्ययन केन्द्रों पर 30-30 छात्रों (शिक्षकों) को 45 कक्षाएं लेनी होगी। उन्होंने बताया कि कुछ स्ट्रीम में कम दाखिले हुए हैं, लेकिन एमटेक कम्प्यूटर साइंस के लिए दो-दो स्टडी सेंटर रखे गये हैं। उन्होंने बताया कि कुलपति प्रो. कृपाशंकर ने मामले को शांत करा दिया और कुछ शिकायतें कुलसचिव यूएस तोमर तक भी पहुंची, लेकिन सभी मामलों में छात्रों को प्रवेशदे दिये हैं, लेकिन सभी को एडमीशन लेटर बाद में जारी किये जाएंगे। शिक्षकों को एमटेक में प्रवेश के लिए अपने विभागों से कार्यमुक्त प्रमाणपत्र भी लाना था, लेकिन पालीटेक्निक के करीब 20 शिक्षकों के कागजातों में कमी होने की वजह से उन्हें वेरीफिकेशन में देरी हो रही थी, इसको लेकर शिक्षक भड़क गये और कुलपति तक जा पहुंचे(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,30.6.11)।

पंजाबःरेशनेलाइज होगा सैटेलाइट अस्पतालों में तैनात स्टॉफ

Posted: 30 Jun 2011 11:00 AM PDT

प्रदेश सरकार की ओर से पांच प्यारों के नाम पर बनाए गए सैटेलाइट अस्पतालों के स्टॉफ को जल्द ही रेशनेलाइज किया जाएगा। इनमें तैनात स्लम एरिया की डिस्पेंसरियों के स्टॉफ को जल्द ही वहां से निकाल कर वापस भेज दिया जाएगा। सेहत विभाग के डायरेक्टर हेल्थ डा. अशोक नैय्यर ने अमृतसर के दौरे के बाद पूर्व सिविल सर्जन डा. चंदनजीत सिंह कौंडल से इसे लेकर रिपोर्ट तलब कर ली थी।


ज्ञात रहे कि साल 1997-2002 में तत्कालीन अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने पांच प्यारों के नाम पर लाखों रुपए खर्च कर स्लम एरिया में सैटेलाइट अस्पताल बनवाए थे। रंजीत एवेन्यू में भाई धर्म सिंह, फतहपुर में भाई साहिब सिंह, गिलवाली गेट में भाई मोहकम सिंह, मुस्तफाबाद में भाई दया सिंह और घन्नूपुर काले में भाई हिम्मत सिंह के नाम पर इनका निर्माण कराया गया था।

पांच सैटेलाइट अस्पतालों का निर्माण तो करा लिया गया, लेकिन डाक्टरों व अन्य स्टाफ की कमी के कारण काम सुचारू ढंग से नहीं हो पाया। वर्ष 2007 में एक बार फिर से अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार बनने के बाद इनकी शुरुआत हो पाई थी। राज्य योजना बोर्ड के वाइस चेयरमैन डा. जेएस बजाज ने स्लम क्षेत्रों के लोगों 24 घंटे डिलीवरी सेवाएं मुहैया कराने के उद्देश्य से इन्हें शुरू किया था।

अस्पतालों में तैनात एमएस, फार्मासिस्ट, एएनएम, एलएचवी, स्वीपर और दर्जा चार कर्मचारी तैनात किए गए थे। बसंत एवेन्यू स्लम एरिया डिस्पेंसरी के स्टॉफ को भाई धर्म सिंह, लोहगढ़ स्लम इलाके की डिस्पेंसरी के स्टाफ को भाई साहिब सिंह, भगतांवाला स्लम इलाके की डिस्पेंसरी के स्टाफ को भाई मोहकम सिंह सैटेलाइट अस्पताल में नियुक्तकिया गया था। भाई दया सिंह और हिम्मत सिंह सैटेलाइट अस्पताल में स्टाफ की तैनाती डैपुटेशन पर हुई थी(रविंदर शर्मा,दैनिक भास्कर,अमृतसर,30.6.11)।

विदर्भ के नौ नर्सिंग स्कूलों की मान्यता रद्द

Posted: 30 Jun 2011 10:45 AM PDT

भारतीय नर्सिग परिषद ने मनमानी फीस वसूलने के आरोप में विदर्भ के नौ नर्सिंग स्कूलों की मान्यता रद्द कर दी है। विद्यार्थियों से अपील की गई है कि वे इन स्कूलों में प्रवेश न लें।

राज्य सरकार की ओर जारी की विज्ञप्ति के अनुसार नर्सिंग पाठ्यक्रम चलाने वाले राज्य के कुल 15 शैक्षणिक संस्थानों की मान्यता रद्द की गई है। इनमें विदर्भ के नौ, पश्चिम महाराष्ट्र के चार और मराठवाड़ा व नवी मुंबई के एक-एक शैक्षणिक संस्थान शामिल हैं।

इन सभी शैक्षणिक संस्थानों को पिछड़ी जाति के विद्यार्थियों की छात्रवृत्ति मिलने के बावजूद उनसे फीस वसूलने का दोषी पाया गया है। परिषद के प्रबंधक संजय पाटील ने छात्रों और उनके अभिभावकों को सचेत किया है कि इन स्कूलों में प्रवेश न लें।

श्री पाटील ने अपील की है कि नर्सिग स्कूलों में प्रवेश लेने से पहले संबंधित शैक्षणिक संस्थान की मान्यता संबंधी जानकारी हासिल कर ली जाए।


विदर्भ के जिन स्कूलों की मान्यता रद्द की गई है, उनमें चंद्रपुर के आदर्श जीवन एजुकेशन सोसायटी का भालचंद्र नर्सिग कॉलेज, अकोला के आकांक्षा सोशल वेलफेयर एंड ह्यूमन रिसोर्स डेवलपमेंट एसोसिएशन की नर्सिग स्कूल शामिल है।

इसी तरह यवतमाल के राष्ट्रसंत तुकड़ोजी महाराज बहुद्देशीय संस्था का साक्षी देशमुख नर्सिग स्कूल, ग्रामीण शैक्षणिक व सांस्कृतिक विकास मंडल का नवजीवन नर्सिग स्कूल-गड़चिरोली, सामाजिक विकास संस्था का पडोले नर्सिग स्कूल-यवतमाल, स्व. बालासाहेब गुईखेड़कर विद्या प्रसारक मंडल का मुंगसाजी महाराज नर्सिग स्कूल-यवतमाल, प्रियदर्शनी रूरल एंड ट्रायबल अप्लिफ्टमेंट फाउंडेशन नर्सिग स्कूल का महात्मा फुले पालीक्लिनिक-अकोला, सावित्री फुले विकास मंडल भद्रावती का जीवन ज्योति स्कूल आफ नर्सिग-चंद्रपुर और वर्धा स्थित शेतकरी सोसायटी फॉर रूरल डेवलपमेंट का वीणा इंस्टीट्यूट नर्सिग एजुकेशन शामिल हैं(दैनिक भास्कर,मुंबई,30.6.11)।

एनआइटी दाखिलों में खत्म होगा गृह राज्यों का दबदबा

Posted: 30 Jun 2011 10:30 AM PDT

राष्ट्रीय प्रौद्यागिकी संस्थानों (एनआइटी) में दाखिले का मौजूदा तौर-तरीका बदल सकता है। एनआइटी में दाखिले के लिए गृह राज्य के छात्रों का कोटा 50 प्रतिशत तक सीमित किया जा सकता है। जबकि बाकी 50 प्रतिशत सीटें सिर्फ एआइईईई की रैंकिंग के जरिए गृह राज्य के बाहर के छात्रों से ही भरी जाएंगी। सूत्रों के मुताबिक मौजूदा दाखिला व्यवस्था राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों के गठन की मूल मंशा के विपरीत साबित हो रही है। इन संस्थानों को बनाने के पीछे मूल भावना राष्ट्रीय एकीकरण को और मजबूती देना था। इसीलिए उनमें 50 प्रतिशत सीटें उन राज्यों के छात्रों से भरी जानी हैं, जिस राज्य में वे स्थित हैं, जबकि बाकी 50 प्रतिशत सीटें उस राज्य के बाहर के एआइईईई (अखिल भारतीय इंजीनियरिंग प्रवेश परीक्षा) में सफल अभ्यर्थियों से उनकी मेरिट के आधार पर भरी जानी है। दाखिले की इस मौजूदा व्यवस्था के चलते 50 प्रतिशत छात्र तो गृह राज्य से दाखिला पा ही रहे हैं, जबकि एआइईईई में मेरिट के आधार पर भी गृह राज्य के बच्चों को दाखिला मिल जाता है।बताते हैं कि इसके चलते कई एनआइटी में उस राज्य के छात्रों को उनके कोटे से ज्यादा दाखिला मिल जा रहा है, जबकि बाहरी छात्रों का 50 प्रतिशत कोटा होने के बावजूद उनके साथ नाइंसाफी हो रही है। लिहाजा इस व्यवस्था में बदलाव की जरूरत महसूस की गई है। सूत्रों के मुताबिक मंगलवार को मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल की अध्यक्षता में राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान परिषद की बैठक में भी इस पर चर्चा हुई। बताते हैं कि उसमें भी एनआइटी के राष्ट्रीय स्वरूप को बनाए रखने पर सभी सहमत थे, लेकिन अंतिम फैसला नहीं हो सका। सूत्र बताते हैं कि बैठक में एक सुझाव यह भी आया कि दाखिले की मौजूदा व्यवस्था में सिर्फ इतना बदल दिया जाये कि संस्थान पहले एआइईईई की मेरिट वाले बाहरी छात्रों से ही उनका 50 प्रतिशत का कोटा भर दें और उसके बाद ही गृह राज्य के छात्रों का कोटा भरा जाए। ऐसा करने के लिए कानून में संशोधन भी नहीं करना होगा। यह महज एक अधिसूचना से किया जा सकता है। हालांकि इसमें उत्तर पूर्व के राज्यों में दिक्कत हो सकती है, क्योंकि बाहरी छात्र वहां जाना पसंद नहीं करते। लिहाजा विस्तृत विचार-विमर्श के लिए इस मामले को डा. आरए माशेलकर की अध्यक्षता वाली समिति को सौंप दिया गया है(राजकेश्वर सिंह,दैनिक जागरण,दिल्ली,30.6.11)।

उत्तराखंडःटीईटी अभ्यर्थियों के फार्म स्वीकार करने का आदेश

Posted: 30 Jun 2011 10:15 AM PDT

हाईकोर्ट ने विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर एवं राज्य सरकार को टीईटी परीक्षा के लिए आवेदन करने वालों के फार्म स्वीकार करने को कहा है। न्यायालय ने टीईटी फार्म सही समय पर बोर्ड को उपलब्ध कराने में डाक विभाग की लापरवाही के बाद यह अंतरिम आदेश जारी किया है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया की पीठ ने टीईटी अभ्यर्थियों की याचिका को सुनने के बाद जारी किया। इस याचिका में टीईटी अभ्यर्थियों का कहना था कि उनके द्वारा सही समय पर टीईटी का आवेदन विद्यालयी शिक्षा परिषद रामनगर को भेज दिया गया था, लेकिन डाक विभाग की लापरवाही के कारण तय सीमा में फार्म परिषद दफ्तर में नहीं पहुंच पाए(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,30.6.11)।

कल से जौनपुर में सेना में भर्ती

Posted: 30 Jun 2011 10:00 AM PDT

प्रदेश के जौनपुर में एक से आठ जुलाई तक टी डी महाविद्यालय के मैदान पर सेना भर्ती का आयोजन किया गया है।

सेना भर्ती के संयोजक कर्नल के.प्रसाद ने कहा कि इस भर्ती में जौनपुर. गोरखपुर. बलिया. आजमगढ. सोनभद्र और मिर्जापुर के लडके भाग लेंगे। उन्होंने कहा कि सोल्जर. टेक्निकल सोल्जर. सोल्जर क्लर्क. एस केटी. ट्रेड मैन व जी डी के लिये दो जुलाई को जौनपुर. चार को गोरखपुर. पांच को सोनभद्र. छह को आजमगढ. सात को मिर्जापुर व आठ को बलिया जिलों के लडकों की भर्ती की जायेगी।


उन्होंने कहा कि इसके साथ ही पांच जुलाई को बलिया के लिये केवल ट्रेड मैन की भर्ती की जायेगी। उन्होंने बताया कि सेना भर्ती को देखते हुए जिला प्रशासन ने तीस जून से दस जुलाई तक टी.डी. कालेज परिसर में सुबह शाम भ्रमण करने व खेलकूद पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगा दिया है। उन्होंने कहा कि टीडी इण्टर कालेज में प्रातः चार बजे से आठ बजे तक अभ्यर्थियों को टोकन दिया जायेगा(दैनिक भास्कर,जौनपुर,30.6.11)।

पंजाब में आयुर्वेद की प्रवेश परीक्षा लटकी

Posted: 30 Jun 2011 09:55 AM PDT

प्राचीन चिकित्सा पद्धति को प्रमोट करने के पंजाब सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी होशियारपुर ने पहले ही साल विद्यार्थियों के लिए परेशानी खड़ी कर दी है। इन दिनों जहां देश भर में विभिन्न यूनिवर्सिटी व संस्थान प्रवेश व प्रतियोगी परीक्षाओं के रिजल्ट भी घोषित कर चुके हैं। वहीं गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी की आयुर्वेदिक प्रवेश परीक्षा का कोई अता पता ही नहीं है।

यूनिवर्सिटी ने अभी तक प्रवेश परीक्षा का प्रोस्पेक्ट तक नहीं छापा है। विद्यार्थी दुविधा में हैं कि कहीं ऐसा न हो कि परीक्षा इतनी देरी से हो कि उसमें सीट न मिलने पर वे कहीं दूसरी जगह भी दाखिला न ले सकें। इस चक्कर में वे यूपी, उत्तरांचल, हरियाणा, कर्नाटक व महाराष्ट्र के कालेजों का रुख कर रहे हैं। अंदेशा ये पैदा हो गया है कि अब परीक्षा हो भी गई, तो बीएएमएस की सभी 600 सीटें भर ही नहीं पाएंगी।

पंजाब में 12 आयुर्वेदिक कालेज हैं। इनमें लुधियाना के गोपालगंज व सराभा, पटियाला, मंडी गोबिंदगढ़, जालंधर, अमृतसर, मोगा, दोधर, होशियारपुर, बठिंडा में एक एक व मुक्तसर में दो कालेज हैं। इनमें बीएएमएस की करीब 600 सीटें हैं। पिछले साल तक यह कालेज बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसिज से संबद्ध थे। यूनिवर्सिटी की ओर से ली जाने वाली पीएमटी परीक्षा के आधार पर ही इन कालेजों में बीएएमएस का भी दाखिला होता था।


इस साल पंजाब सरकार ने 12 कालेजों को होशियारपुर में नई बनी गुरु रविदास आयुर्वेदिक यूनिवर्सिटी के साथ जोड़ दिया। फरवरी में कालेजों को पत्र जारी किया गया कि इस बार प्रवेश परीक्षा यूनिवर्सिटी ही लेगी, लेकिन जून बीत जाने के बावजूद अभी तक प्रवेश परीक्षा नहीं हुई है। उधर, पीएमटी समेत करीब करीब सभी प्रतियोगी परीक्षाएं खत्म हो चुकी हैं। ऐसे में आयुर्वेदिक प्रवेश परीक्षा में बैठने वाले विद्यार्थियों को दुविधा है कि कहीं ऐसा न हो कि प्रवेश परीक्षा में पिछड़ने पर उन्हें पंजाब में भी सीट न मिले और वे कहीं और जाने के लायक भी न रहें।

जल्द होगी प्रवेश परीक्षा : डायरेक्टर
जब इस बारे में यूनिवर्सिटी की परीक्षाओं के लिए जिम्मेदार परीक्षा नियंत्रक डॉ.लवलीन कौर से बात की गई तो उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया। कहा कि चेयरमैन डॉ.एएस थिंद से बात कर लें। डिपार्टमेंट ऑफ रिसर्च एंड मेडिकल एजुकेशन के डॉयरेक्टर डॉ.जयकिशन से बात की गई तो उन्होंने कहा यूनिवर्सिटी की प्रवेश परीक्षा के लिए तैयारियां की जा रही हैं। औपचारिकताएं पूरी कर जल्द ही प्रवेश परीक्षा आयोजित कर दी जाएगी।

दूसरे राज्य में जाना पड़ेगा
बाडेवाल निवासी विद्यार्थी अनंत नागरथ आयुर्वेद की पढ़ाई करना चाहते हैं । उनका कहना है कि मेरा बारहवीं का सीबीएसई का नतीजा आए एक महीना हो चुका है। तब से मैं आयुर्वेदिक प्रवेश परीक्षा का इंतजार कर रहा हूं। प्रवेश परीक्षा में देरी होने पर मुझे मजबूरी में घर से दूर रहकर पूणो या बैंगलोर के कालेजों में पढ़ाई करनी पड़ेगी(विपन जंड,दैनिक भास्कर,लुधियाना,30.6.11)।

राजस्थानःनौ हजार सेवारत डॉक्टर्स सामूहिक अवकाश पर

Posted: 30 Jun 2011 09:34 AM PDT

केंद्र के समान वेतनमान देने की मांग को लेकर गुरुवार को प्रदेश के 33 जिलों के सभी जिला अस्पताल एक साथ ठप हो गए। अपनी मांगों को लेकर सेवारत चिकित्सक संघ से जुड़ कर आंदोलन कर रहे करीब नौ हजार चिकित्सकों के एक साथ एक दिन के सामूहिक अवकाश पर जाने से यह हालात पैदा हुए हैं। चिकित्सकों ने आंदोलन को और लंबा खींचने का ऎलान किया है।
जयपुर शहर के जिला स्तरीय व सेटेलाइट अस्पतालों के सेवारत डॉक्टर सामूहिक अवकाश पर रहे। जिसके कारण जिला स्तरीय कांवटिया, सेटेलाइट में जयपुरिया, सेठी कॉलोनी एवं बनीपार्क स्थित अस्पतालों में आने वाले मरीजों को परेशानी का सामना करना पड़ा। आसपास के क्षेत्र से आने वाले मरीजों को आउटडोर में डॉक्टर नदारद मिले तथा लंबी कतारें लगी रही।
कौन है सेवारत डॉक्टर्स
सेवारत डॉक्टर्स वे डॉक्टर्स हैं जो राज्य सरकार के अंतर्गत कार्यरत हैं लेकिन मेडिकल कॉलेज में काम नहीं कर रहे हैं। यानी कि जयपुर में एसएमएस मेडिकल कॉलेज व उससे जुड़े अस्पतालों के अलावा सभी सरकारी अस्पतालों के डॉक्टर और प्रशासनिक पदों पर तैनात सभी डॉक्टर हड़ताल पर है।

अस्पताल प्रशासन का कहना है कि निदेशालय की तरफ मेडिसन, गायनी, सर्जरी एवं नेत्र आदि के डॉक्टर्स नियुक्त कर दिए हैं। उधर, दूसरी तरफ एसएमएस मेडिकल कॉलेज के जुड़े अस्पतालों के रेजिडेंट डॉक्टर्स और सेवारत डॉक्टरों के समर्थन में सुबह आठ से दस बजे तक कार्य का बहिष्कार किया। अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ के प्रदेशाध्यक्ष डॉ.जी.डी.माहेश्वरी ने बताया कि सरकार से वार्ता के बाद भी कोई नतीजा नहीं निकला तथा मजबूरन होकर सामूहिक अवकाश का निर्णय लेना पड़ा। अगर सरकार इन लोगों की मांगे नहीं मानेगी तो यह आंदोलन और लंबा खींचा जा सकता है।
चिकित्सा मंत्री एए खान उर्फ दुर्रूमियां ने कहा कि सरकार को चिकित्सकों के हितों की चिंता है। सेवारत चिकित्सकों की समस्याओं के प्रति भी सरकार पूरी तरह से गंभीर है। चिकित्सा मंत्री ने अवकाश पर गए चिकित्सकों से अपील की है कि मरीजों के हित में वे काम पर लौटें। मिल बैठ कर समस्या का हल निकाला जा सकता है(सुरेन्द्र स्वामी,दैनिक भास्कर,जयपुर,30.6.11)।

राजस्थानःप्री-बीएसटीसी 2011 का परिणाम घोषित

Posted: 30 Jun 2011 09:32 AM PDT

प्री बीएसटीसी (सामान्य) और संस्कृत 2011 का परिणाम बुधवार देर रात घोषित कर दिया है। इस परीक्षा के लिए राजकीय महाविद्यालय अजमेर को नोडल एजेंसी बनाया गया था। बीएसटीसी 2011 में 186135 अभ्यर्थी पंजीकृत हुए थे।


इनमें से 176891 परीक्षा में शामिल हुए। परीक्षा में पास होने के लिए 40 प्रतिशत अंक अनिवार्य थे। मौजूदा परिणामों में 40 या इससे अधिक प्रतिशत पाने वाले अभ्यर्थी काउंसलिंग प्रक्रिया में शामिल हो सकेंगे। बीएसटीसी 2011 के अतिरिक्त समन्वयक डॉ. एमएल अग्रवाल के अनुसार इस वर्ष सिर्फ एक ही दफा काउंसलिंग आयोजित की जाएगी। इसमें सभी योग्य अभ्यर्थी शामिल हो सकते हैं।

अनुचित साधनों के उपयोग के कारण 7 अभ्यर्थियों का परिणाम रोका गया है। बीएसटीसी सामान्य में 13650 और संस्कृत में 1220 सीटें हैं। काउंसलिंग प्रक्रिया जुलाई 2011 के दूसरे सप्ताह में आयोजित होने की संभावना है। अभ्यर्थी बुधवार को घोषित अपने परिणाम www.bstc2011.com, www.bstc2011.org पर देख सकते हैं। इसके अलावा समन्वयक कार्यालय द्वारा अभ्यर्थियों को एसएमएस करके भी परिणाम बताए गए(दैनिक भास्कर,अजमेर,30.6.11)।

बिहार विश्वविद्यालयःकंप्यूटराइज्ड होगा परीक्षा विभाग

Posted: 30 Jun 2011 09:22 AM PDT

बीआरए बिहार विश्वविद्यालय अब नये सत्र से स्नातक प्रोफेशनल व टेक्नि‍कल के छात्रों को कंप्यूटराइज्ड अंक पत्र व सर्टिफिकेट देगा. परीक्षा विभाग का सारा काम कंप्यूटर से ही होगा. छात्रों की पंजीयन रसीद व प्रवेश पत्र भी कंप्यूटर से तैयार कर मिलेगा.
किसी भी कॉलेज में नामांकित छात्रों का खाका अब विवि के कंप्यूटर में कैद रहेगा. इसके लिए विवि सरकार के बिंग बेल्ट्रॉन को ठेका देने की तैयारी कर रहा है. विवि अधिकारियों के मुताबिक अगस्त तक बेल्ट्रॉन को जिम्मा देने का काम पूरा हो जायेगा.

स्नातक सामान्य पाठ्यक्रम के छात्रों का अंक पत्र व सर्टिफिकेट अगले सत्र से कंप्यूटराइज्ड मिलेगा. स्नातक में छात्रों की संख्या काफी है. प्रति कुलपति डॉ पद्माशा झा ने कहा कि स्नातक को कंप्यूटराइज्ड करने का फैसला सेमेस्टर सिस्टम लागू होने के बाद लिया जायेगा.
स्नातक में कंप्यूटराइज्ड करने से पहले विवि परीक्षा विभाग का नया भवन बनेगा. जिस भवन में छात्रों का पंजीयन से लेकर सर्टिफिकेट तैयार करने तक का काम एक साथ होगा.
एचआरडी सचिव से स्नातक में सेमेस्टर सिस्टम लागू करने व परीक्षा विभाग को कंप्यूटराइज्ड करने के लिए बातचीत हुई है. इसके लिए कई बिंदुओं पर सहमति भी बनी है. मुहर विवि में बैठक के बाद ही लगेगा. : डॉ पद्माशा झा, प्रति कुलपति बीआरए बिहार विवि(प्रभात खबर,जमशेदपुर,30.6.11)

जयपुर का पोद्दार मूक-बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालयःबच्चे 'विशेष' तो पढ़ाई सामान्य क्यों?

Posted: 30 Jun 2011 10:15 AM PDT

राजकीय सेठ आनंदीलाल पोद्दार मूक-बधिर उच्च माध्यमिक विद्यालय में अध्ययनरत 529 बच्चे सवा साल से स्पीच थैरेपिस्ट और डैफ ट्रेनर की सुविधाओं से वंचित हैं। स्कूल में स्पीच थैरेपी के लिए 10 लाख रुपए की लागत से साउंड प्रूफ रूम तैयार है।

सवा साल पहले इसके लोकार्पण समारोह पर शिक्षामंत्री मास्टर भंवरलाल ने अतिरिक्त स्पीच थैरेपिस्ट और डैफ ट्रेनर लगाने की घोषणा की थी। नए प्रशिक्षक तो नहीं लगाए गए, बल्कि राजस्थान प्रारंभिक शिक्षा परिषद ने पुराने ट्रेनर्स को और हटा दिया। बहरहाल स्कूली मूक-बधिर छात्रों को विशेषज्ञ ट्रेनर के अभाव में साउंड प्रूफ रूम की जिम्मेदारी एक सामान्य अध्यापक को सौप रखी है। पिछले दिनों मुख्यमंत्री कोटे से ३५ लाख रुपए खर्च कर स्कूल के छह बच्चों का कोलियरी इंप्लांट करा दिया।


इन बच्चों को स्पीच थैरेपी के लिए अलग से दो लाख रुपए खर्च कर ट्रेनिंग ठेके पर दिलाई जा रही है, जबकि स्कूल में ही प्रशिक्षक लगा दिए जाते तो शेष 529 बच्चों को भी इसका फायदा होता। पूरे मामले पर परिषद के अतिरिक्त कमिश्नर वी.के. जैन का तर्क है कि विद्यालय माध्यमिक शिक्षा विभाग के तहत आता है, जो सर्व शिक्षा के कार्यक्षेत्र से बाहर है। साथ ही अभियान में राजकीय सामान्य विद्यालयों के लिए कार्यक्रम चलाए जाते हैं, जबकि पोद्दार विशेष शिक्षा विद्यालय है।
ऐसे में अभियान के तहत प्रशिक्षकों की नियुक्ति नहीं की जा सकती। इस तर्क के ठीक उलट विद्यालय में लगे 32 अध्यापकों के वेतन का भुगतान सर्व शिक्षा के बजट से किया जा रहा है। एक ओर परिषद ने पल्ला झाड़ लिया, वहीं दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा विभाग ने भी प्रशिक्षक लगाने की जहमत नहीं उठाई। अब माध्यमिक शिक्षा के अधिकारी इस सत्र में स्पीच थैरेपिस्ट लगने का दावा कर रहें है, लेकिन डैफ ट्रेनर लगाने के किसी प्रस्ताव से इनकार कर रहे हैं।

बिना प्रशिक्षक सब बेकार: स्पीच थैरेपिस्ट और डैफ ट्रेनर के बिना बोलने-सुनने में असमर्थ बच्चों का विकास सही तरीके से नहीं हो पाता। चाहे उन्हें किसी विशेष स्कूल में भी भर्ती क्यों न करा दिया जाए। एसएमएस कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. मनीष ग्रोवर कहते हैं कि ऑडेट्री ट्रेनिंग, स्पीच थैरेपी, वाणी और भाषा विकास का काम स्पीच थैरेपिस्ट ही कर सकता है। इसी तरह डैफ ट्रेनर बच्चों को सामान्य आदमी की बात समझने और उनकी बाद सामान्य व्यक्तिको समझाने का काम करता है। साथ ही अध्यापकों को कम्युनिकेशन प्रशिक्षण देता है। इसके अलावा जब भी अध्यापकों और बच्चों को एक-दूसरे की बात समझने में दिक्कत होती है तो वह मदद करता है।

स्पीच थैरेपिस्ट और डैफ ट्रेनर विशेष रूप से प्रशिक्षित होते हैं। मेरे पास उस स्तर का प्रशिक्षण नहीं है। मुझे जितना आता है, सिखा देता हूं। - योगेश कुमार तंवर, प्रभारी, साउंड प्रूफ रूम

इस सत्र में लगाएंगे - भास्कर ए. सावंत, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा विभाग से सवाल

पोद्दार में साउंड प्रूफ रूम बनवाया, लेकिन स्पीच थैरेपिस्ट नहीं लगाया?
सर्व शिक्षा अभियान के तहत वहां एक स्पीच थैरेपिस्ट था।

उसे तो एक साल पहले सर्व शिक्षा वालों ने हटा लिया। मंत्रीजी की घोषणा के बावजूद विभाग ने अब तक क्यों नहीं लगाए?
मैंने तो तत्काल कार्रवाई शुरू कर दी थी। शिक्षा विभाग में अकाउंट्स वालों के स्तर पर अटक गया था। अब कोई दिक्कत नहीं है इस सत्र में स्पीच थैरेपिस्ट लग जाएगा।

डैफ ट्रेनर क्यों नहीं लगाया?
केवल स्पीच थैरेपिस्ट का ही प्रपोजल आया था। डैफ ट्रेनर की जरूरत के बारे में तो कोई प्रस्ताव ही नहीं है।

ये सवाल तो सुलझाना पड़ेगा - विमल कुमार जैन, एडिशनल कमिश्नर, राप्राशिप से सवाल

पोद्दार स्कूल से स्पेशल ट्रेनर क्यों हटाए गए?
स्कूल उच्च माध्यमिक स्तर का होने से हमारे कार्यक्षेत्र से बाहर है।

तो फिर वहां 32 स्पेशल टीचर कैसे लगा दिए?
दरअसल उन्हें लगाया तो शिक्षा विभाग ने है, हम तो केवल उनके वेतन का बजट दे रहे हैं। अभियान केवल प्राथमिक शिक्षा के लिए काम करता है।

तो माध्यमिक स्कूल के अध्यापकों का बजट आप कैसे वहन कर रहे हैं, दो साल पहले प्रशिक्षक कैसे लगाए थे?
सवाल तो ठीक है, मैं दिखवाता हूं क्या बेहतर हो सकता है(योगेश शर्मा,दैनिक भास्कर,जयपुर,30.6.11)।

डीयू में दाखिले के बाद पीजी या फ्लैट? कौन सा ऑप्शन बेहतर

Posted: 30 Jun 2011 06:00 AM PDT

पीजी में मिलती है जीरो टेंशन

ज्यादा सेफ है पीजी : ज्यादातर पीजी नॉर्थ और साउथ कैंपस के आसपास बने होते हैं। स्टूडेंट्स एरिया होने की वजह से यहां का माहौल काफी सेफ होता है। इसके अलावा पीजी में आने-जाने के लिए टाइम लिमिट होती है। आपको रात में एक तय वक्त से पहले पीजी में वापस आना होता है। यहां बाहर के लोगों का आना मुमकिन नहीं होता है। इसलिए खासतौर पर लड़कियों के लिए तो यह काफी सेफ रहता है। इसके अलावा एक पीजी में काफी स्टूडेंट्स एक साथ रहते हैं जिससे माहौल और सेफ बन जाता है।

खाने-पीने की नो टेंशन : ज्यादातर पीजी वाले रहने के साथ खाने का भी ऑप्शन देते हैं। यहां हाइजीनिक और घर जैसा खाना मिलता है जिससे घर से दूर रह रहे स्टूडेंट्स को अपनी सेहत बिगड़ने का खतरा नहीं रहता है। आपको न तो बाहर जाकर खाने की जरूरत पड़ती और नहीं ही किचन का सामान जोड़ना पड़ता है। खाने का मेन्यू भी पूरे हफ्ते के लिए अलग होता है यानी हेल्दी खाने के साथ वैरायटी भी मिलती है।

जरूरत की सभी सुविधाएं : पीजी में आपको जरूरत की सभी सुविधाएं मिलती हैं। आपको अपने घर से कपड़ों के सिवा कुछ नहीं लाना पड़ता है। बेड , मेट्रेस , अलमारी , टीवी , फ्रिज जैसी सभी जरूरी सुविधाएं आपको यहां पीजी ओवर देता है। कई पीजी में एसी की फैसिलिटी भी होती है।

लेकिन नुकसान भी हैं


दोस्तों की नो एंट्री : पीजी में आप अपने दोस्तों को नहीं लेकर आ सकते। अगर कभी दोस्तों के साथ पाटीर् करने का प्लान है तो कोई दूसरी जगह ढूंढनी होगी। हालांकि अगर आपका कोई दोस्त बाहर से एक-दो दिन के लिए आता है तो पीजी ओनर से परमिशन लेकर उसे अपने साथ रोक सकते हैं। 

ज्यादा लोगों से होती है दिक्कत : किसी भी पीजी में 20 से लेकर 50 स्टूडेंट्स एक साथ रहते हैं। हर कमरे के लिए अलग वॉशरूम नहीं होता , शेयर करना पड़ता है। ऐसे में कई बार काफी दिक्कत हो जाती है। किसी-किसी पीजी में ज्यादा लोग होने की वजह से शोर-शराबा भी ज्यादा होता है जिससे पढ़ाई नहीं हो पाती। 

रेंटेंड रूम में मिलती है आजादी 

मस्ती अनलिमिटेड और प्राइवेसी भी : आज का यूथ फ्रीडम पसंद करता है। किराए पर कमरा या फ्लैट ले



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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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