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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, August 26, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/26
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


जम्मू-कश्मीरःकम हो रहा इंजीनियरिंग का ट्रेंड

Posted: 24 Aug 2011 09:25 PM PDT

बच्चों को इंजीनियर बनाने के लिए अभिभावकों की रुचि कम हो गई। इसके पीछे एक कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आसानी से नौकरी नहीं मिलना है जबकि इंजीनियरिंग के बाद एमबीए भी लगभग जरूरी हो गया है। इसके कारण अभिभावक बच्चों को मेडिकल या दूसरे प्रोफेशनल कोर्सेस की तरजीह दे रहे हैं।

जम्मू के सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में दाखिले के पहले दौर में 160 में से 123 बच्चों ने दाखिला नहीं लिया जबकि राज्य के चार इंजीनियरिंग कालेजों की क्षमता 858 सीटें होने के बावजूद पहले दौर में 278 सीटें खाली रही। अब इन सीटों को भरने के लिए एक बार फिर काउंसलिंग की जाएगी। इसके अलावा राज्य के पालिटेक्निक कालेजों का भी यही हाल है। राज्य के कुल 14 पालिटेक्निक कालेजों में 2995 सीटें है। इनमें भी पहले दौर में 759 सीटे खाली रही।

बच्चों को इंजीनियर बनाने के लिए अभिभावकों की रुचि कम हो गई। इसके पीछे एक कारण इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद आसानी से नौकरी नहीं मिलना है जबकि इंजीनियरिंग के बाद एमबीए भी लगभग जरूरी हो गया है। इसके कारण अभिभावक बच्चों को मेडिकल या दूसरे प्रोफेशनल कोर्सेस की तरजीह दे रहे हैं।


जम्मू के सरकारी इंजीनियरिंग कालेज में दाखिले के पहले दौर में 160 में से 123 बच्चों ने दाखिला नहीं लिया जबकि राज्य के चार इंजीनियरिंग कालेजों की क्षमता 858 सीटें होने के बावजूद पहले दौर में 278 सीटें खाली रही। अब इन सीटों को भरने के लिए एक बार फिर काउंसलिंग की जाएगी। इसके अलावा राज्य के पालिटेक्निक कालेजों का भी यही हाल है। राज्य के कुल 14 पालिटेक्निक कालेजों में 2995 सीटें है। इनमें भी पहले दौर में 759 सीटे खाली रहीं।

सेंटर फॉर लाइफ लांग स्टडीज की असिस्टेंट डायरेक्टर कविता सूरी कहती हैं कि अभिभावकों का पहला रुझान मेडिकल में ज्यादा रहता है। हाई मेरिट वाले छात्र मेडिकल कालेजों में चले जाते हैं। इसके चलते इंजीनियरिंग कालेजों में सीटें खाली रहती हैं। काउंसलिंग प्रवेश परीक्षा के बाद होने की बजाय बारहवीं कक्षा में होनी चाहिए। इससे बच्चों को पहले से ही मन बनाना आसान हो जाता है।

हर साल पूरी भरी जाती हैं सीटें
हमारे यहां हर साल सीटें पूरी भरी जाती है। काउंसलिंग के बाद कितनी भरी गई, यह मायने नहीं रखता।""
भूपिंद्र सिंह, प्रिंसिपल, जीसीइटी जम्मू(पवित्र गुप्ता,दैनिक भास्कर,जम्मू,25.8.11)

यूपीःएलटी के छह हजार शिक्षकों की भर्ती अधर में

Posted: 24 Aug 2011 09:23 PM PDT

राजकीय बालिका हाईस्कूल में रिक्त छह हजार शिक्षिकाओं की सीधी भर्ती के लिए प्रदेश में काउंसिलिंग होने के बाद भी तैनाती नहीं हो रही है। इससे परेशान चयनित अभ्यर्थी संयुक्त शिक्षा निदेशक कार्यालय (जेडी)का महीनों से चक्कर लगा रहे है लेकिन उनको तैनाती के संबंद्ध में कोई जानकारी देने वाला नहीं है। इससे वह परेशान है। प्रदेश सरकार ने फरवरी-2011 में राजकीय बालिका हाईस्कू लों में जेडी स्तर पर सीधी नियुक्ति के लिए करीब छह हजार पदों की रिक्तियां प्रकाशित की थी। इसके लिए फार्म सभी जीआईसी में करीब एक माह तक बंटा। एक-एक अभ्यर्थी ने 50 से लेकर 80 फार्म डाला। इससे फार्मो को लेकर मारा-मारी रही। अभ्यर्थियों का चयन मेरिट के आधार पर हुआ। इलाहाबाद जिले में 206 पदों पर भी चयन हुआ। सूत्रों ने बताया कि जेडी अमरनाथ वर्मा चयनित अभ्यर्थियों को 17 जुलाई को ज्वाइनिंग लेटर देने वाले थे लेकिन एक अभ्यर्थी के हाईकोर्टें चले जाने के बाद से वह भी पिछे हट गये। इस मामले में अपर शिक्षा निदेशक (माध्यमिक) अमरनाथ वर्मा ने कुछ भी बोलने से इन्कार कर दिया। कहा कि मामला शासन स्तर का है, इसलिए जो कुछ भी होगा शासन से ही(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,25.8.11)।

यूपीःमदरसा बोर्ड बदहाली का शिकार

Posted: 24 Aug 2011 09:20 PM PDT

प्रदेश में लोगों को अरबी की शिक्षा दिलाने में स्थापित मदरसा बोर्ड इन दिनों अव्यवस्था का शिकार है। हालत यह है कि बोर्ड के चेयरमैन तक को मदरसों में चलायी जाने वाली योजनाओं की जानकारी नहीं हैं। एक जानकारी के मुताबिक प्रदेश में उक्त बोर्ड से मान्यता लेकर चलने वाले मदरसों की संख्या पांच हजार से भी अधिक है। सरकार ने इसके संचालन के लिए अलग से रजिस्ट्रार और तमाम कर्मचारियों को नियुक्त कर रखा है। मगर मदरसा बोर्ड के आधीन होने वाले कार्य एक जगह से संचालित नहीं हो रहे हैं। मदरसे की मान्यता से लेकर सभी कार्यों को एक जगह से संचालित न होने से किसी भी जानकारी के लिए चेयरमैन तक को स्टाफ का मुंह ताकना पड़ता है। हाल ही में राष्ट्रीय सहारा प्रतिनिधि द्वारा बोर्ड चेयरमैन अनवर जालालपुरी से मदरसों में आधुनिकीकरण को लेकर किस सरकार से कितना धन मिलता है, कहां-कहां पर यह योजनाएं चलायी जा रही और उनकी प्रगति क्या हैं आदि के बारे में जानकारी लेने की कोशिश की गयी तो उनका कहना था कि अभी उन्हें भी तमाम बातों की जानकारी नहीं है। उन्होंने एक स्टाफ से इसे उपलब्ध कराने को कहा। मगर इस कर्मचारी ने उन्हें बताया कि काम मदरसे ही जुड़ा है मगर सम्बन्धित स्टाफ बोर्ड के आधीन नहीं है। इसपर चेयरमैन भी अवाक रह गये। बहरहाल उन्होंने किसी तरह से बात को टालकर इसे बाद में उपलब्ध कराने को कहा है। बोर्ड की बदहाली का यह आलम है कि यहां बहुत कम स्टाफ ऐसा है जो कि अरबी या उर्दू की मामूली जानकारी भी रखता हो। मदरसों के बारे में अगर बोर्ड में कोई भी मौलवी उर्दू में पत्र आदि भेज दे तो उसे पढ़ने तक के लाले रहते हैं। कोई जानकार स्टाफ उपलब्ध रहा तो बात बन गयी। नहीं तो एक बड़ी समस्या बन जाते हैं ऐसे पत्र। उर्दू की बेहतर जानकारी न होने के वजह से अक्सर मदरसों की परीक्षा के बाद सनद व मार्कशीट तक पर नाम का सही अंकित नहीं हो पाते। 'क्यू' से नाम शुरू होना है तो उसे 'के' से लिख दिया जाता है। हैरत की बात तो यह है कि खुद चेयरमैन भी इसे समझते हैं लेकिन अभी वह भी कुछ बदलाव कर पाने में अपने को असहाय महसूस करते हैं। इस बारे में उनका कहना है कि वैसे भी सब कुछ सरकार के स्तर से होना है। पद को संभाले उन्हें लगभग आठ महीने हो गये और अभी तक वह बोर्ड को राह पर लाने के लिए एक बैंक भी ठीक तरह से नहीं बुला पाये। चेयरमैन के मुताबिक पन्द्रह सितम्बर को बोर्ड की एक बैठक बुलायी जाएगी। इसमें मदरसा बोर्ड के कार्यों में पारदर्शिता लाने एवं स्टाफ में उर्दू व अरबी के जानकारों के लोगों को जोड़ने आदि मसलों पर मुख्य रूप से चर्चा की जानी प्रस्तावित है। उनका कहना है कि इसके अलावा सभी कार्यों को एक जगह से संचालति कराने व अन्य शिकायतों को भी दूर कराने के प्रयास किये जाएंगे(अफरोज रिजवी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,25.8.11)।

यूपीःकॉलेजों को सत्र शुरू होने से पहले ही मान्यता प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश

Posted: 24 Aug 2011 09:17 PM PDT


इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के मामले में कालेजों को आदेश दिया है कि वह सत्र शुरू होने से पहले ही सम्बद्धता मान्यता आदि की प्रक्रिया पूरी कर लें। पीठ ने अपने आदेश में यह भी कहा है कि छात्रों का हित सबसे पहले देखा जाएगा। इससे कोई समझौता नहीं हो सकता। अदालत ने कहा है कि छात्र हित से खिलवाड़ करने वाले कालेजों व विविद्यालयों पर आपराधिक मुकदमा भी चलाया जा सकता है और उनसे छात्रों को हुई हानि का मुआवजा भी वसूल किया जाएगा। यह आदेश न्यायमूर्ति उमानाथ सिंह व न्यायमूर्ति अनिल कुमार की खंडपीठ ने याची एक कालेज एसएन कालेज आफ वेटनरी साइंस एण्ड एनीमल रिसर्च की ओर से दायर याचिका पर दिये हैं। विदित हो कि याची कालेज ने अपनी सम्बद्धता से सम्बन्धित प्रार्थनापत्र विविद्यालय को दिया था जिसे निरस्त कर दिया गया था। इस आदेश को चुनौती देते हुए कालेज ने याचिका प्रस्तुत की थी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,25.8.11)।

बिहारःसिपाही बहाली पर जवाब-तलब

Posted: 24 Aug 2011 09:14 PM PDT

पटना उच्च न्यायालय ने वर्ष 2009 के विज्ञापन के आधार पर आठ हजार सिपाहियों की भर्ती के मामले में राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। न्यायमूर्ति अजय कुमार त्रिपाठी ने सरकार से अपना जवाब तीन हफ्ते में देने को कहते हुए सुनवाई स्थगित कर दी है। ये वे सिपाही अभ्यर्थी हैं जिन्हें सरकार ने अदालती आदेश से नयी सूची बनाते हुए छांट दिया था। राज्य सरकार ने अदालती आदेश के बाद नये सिरे से सफल अभ्यर्थियों की सूची बनायी थी जिसमें पहले के कुछ सफल अभ्यर्थियों को सूची से हटा दिया गया था। उन्हीं में से कुछ अभ्यर्थियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की है। उनकी संख्या 775 है। उनकी तरफ से अधिवक्ता रंजीत कुमार सिंह ने याचिका दाखिल की है। न्यायालय की दो सदस्यीय पीठ ने इस मामले में 13 जुलाई को राज्य सरकार की अपील खारिज कर दी थी। उसने एकल पीठ के आदेश को बरकरार रखा था। एकल पीठ ने सरकार से पहली लिस्ट वालों को पहले नियुक्त करने को कहा। बची हुई सीट पर भी लिखित परीक्षा में पास अभ्यर्थियों को ही बहाल करने को कहा था और नये सिरे से वरीयता सूची अदालत की खबरें बनाने को कहा था। सिपाहियों की बहाली को लेकर वर्ष 2009 में विज्ञापन निकाला गया था। सरकार ने दो परीक्षाएं लेकर 5676 अभ्यर्थियों को सफल घोषित किया था और फिर दूसरी लिस्ट निकालकर कुछ और अभ्यर्थियों को पास घोषित किया। सरकार ने पहली लिस्ट से 2228 अभ्यर्थियों को बहाल कर लिया और शेष बचे पद पर बहाली करने में लेटलतीफी करने लगी। उसके बाद याचिका दाखिल की गयी थी। कुलपतियों को पेश होने का निर्देश पटना (एसएनबी)। पटना उच्च न्यायालय ने बीएन मंडल विविद्यालय, मधेपुरा व ललित नारायण विविद्यालय, दरभंगा के कर्मचारियों को वेतन व बकाया चुकता नहीं करने के मामले में मानव संसाधन विभाग के प्रधान सचिव, दोनों विविद्यालयों के कुलपतियों व रजिस्ट्रार को पेश होने को कहा है। न्यायमूर्ति मृदुला मिश्रा ने सभी अधिकारियों से 7 सितम्बर को पेश होकर स्थिति स्पष्ट करने को कहा है। पप्पू की अपील पर सुनवाई 6 माह बाद पटना (एसएनबी)। अजित सरकार हत्याकांड के अभियुक्त पूर्व सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव की अपील पर छह महीने बाद सुनवाई होगी। ऐसा तकनीकी कारणों से किया जा रहा है। पप्पू यादव ने अपील पर त्वरित सुनवाई के लिए आवेदन दिया था, जिस पर न्यायमूर्ति सीमा अली खान ने सुनवाई करते हुए कहा कि तकनीकी कारणों को दूर करने में चार महीने का समय लगेगा और फिर सुनवाई होगी(राष्ट्रीय सहारा,पटना,25.8.11)।

पटना यूनिवर्सिटी में अब वेबसाइट पर जारी होंगे रिजल्ट

Posted: 24 Aug 2011 09:12 PM PDT


पटना विविद्यालय के छात्रों के लिए एक अच्छी खबर है। पटना विविद्यालय का रिजल्ट अब छात्र अपने कम्प्यूटर स्क्रीन पर माउस की क्लिक पर प्राप्त कर सकते हैं। विविद्यालय की ओर से जल्द ही यह व्यवस्था की जा रही है। अभी तक यह व्यवस्था नहीं होने से छात्रों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा था। पटना विविद्यालय में परीक्षाएं लगातार या तो देर से होतीं हैं या फिर रिजल्ट देर से दिया जाता है। उस पर भी रिजल्ट वेबसाइट पर जारी करने के बजाए यह विवि के कॉलेजों को भेजा जाता था और फिर कॉलेज परिसर से ही छात्रों को अपना रिजल्ट ज्ञात होता था। अब इस व्यवस्था में परिवर्तन लाने पर काम किया जा रहा है। पटना विविद्यालय के कुलपति प्रो. शंभूनाथ सिंह के अनुसार अगर सब कुछ ठीक रहा था नए सत्र से रिजल्ट को वेबसाइट पर जारी कर दिया जायेगा। इससे विवि की व्यवस्था में काफी बदलाव आएगा और छात्रों को अपना रिजल्ट समय पर मिल जायेगा। वहीं देर से रिजल्ट जारी होने की समस्या से भी निजात मिलेगी। वेबसाइट पर रिजल्ट जारी होने से छात्रों को रिजल्ट देखने में काफी सहूलियत होगी और वे कॉलेज आने से भी बच जायेंगे(राष्ट्रीय सहारा,पटना,25.8.11)।

महाराष्ट्रःअठावले ने स्ववित्त पोषित विवि में आरक्षण मांगा

Posted: 24 Aug 2011 09:06 PM PDT

रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के नेता रामदास अठावले ने बुधवार को महाराष्ट्र के राज्यपाल के शंकरनारायणन से मुलाकात की।

उन्होंने अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, वीजेएनटी (विमुक्त जनजाति खानाबदोश आदिवासी) और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए स्ववित्त पोषित विश्वविद्यालयों एवं डीम्ड विश्वविद्यालयों में आरक्षण की मांग की है(दैनिक भास्कर,मुंबई,25.8.11)।

चौ. चरण सिंह विविःछात्र क्या अधकचरे सिलेबस का लेंगे ज्ञान!

Posted: 24 Aug 2011 09:05 PM PDT

राज्य सरकार की ओर से जो कॉमन सिलेबस का फलसफा तैयार किया गया है, उससे चौ. चरण सिंह विवि के शिक्षाविद् सहमती नहीं रखते। विवि के कई प्रोफेसरों की नजर में मिनीमम कॉमन सिलेबस से परेशानी पैदा होगी और कोर्सो का पैनापन खत्म हो जाएगा। इसका असर राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगितामूलक परीक्षाओं के रिजल्ट पर पड़ेगा। बीए हिंदी की ही बात करें तो न्यूनतम साझा पाठ्यक्रम में तीन भागों में विभक्त कर दिया गया है। प्रयोजनमूलक हिंदी, हिंदी भाषा और हिंदी साहित्य के अलग-अलग पाठ्यक्रम हैं। अब तक इन तीनों को संजोकर एक कॉमन सिलेबस का संचालन किया जा रहा था। शिक्षकों का कहना है कि तीन में से किसी एक को ही एडॉप्ट करना है। अगर एक को एडॉप्ट किया तो शेष दो की गूढ़ता से वंचित रहेंगे और जो पढ़ाई होगी, वह अधकचरी ही साबित होगी। इतना ही नहीं, नए सिलेबस के तहत परीक्षा 300 की बजाए 350 अंकों की हो जाएगी। यह भी नई चुनौती साबित होगी। इसी तरह की समस्या अन्य विषयों को लेकर भी देखी जा रही हैं। आदर्श पाठ्यक्रम के आगे नहीं टिकते बात केवल हिंदी की ही नहीं है। इसी तरह अंग्रेजी, बॉटनी और जूलॉजी सरीखे विषयों में भी जो न्यूनतम साझा पाठ्यक्रम आया है वह यूजीसी द्वारा वर्ष 2002 में जारी आदर्श पाठ्यक्रम के आगे कहीं नहीं ठहरता। 

इनका कहना है 
कोर्स में कमी से छात्रों को कोई परेशानी नहीं होने दी जाएगी। न्यूनतम मानक पाठ्यक्रम में और भी जरूरी पाठों को जोड़कर सशक्त कोर्स फ्रेमिंग का काम चल रहा है। - प्रो. एचसी गुप्ता, कुलपति(दैनिक जागरण,मेरठ,25.8.11)।

उत्तराखंडःकुमाऊं विवि ने नए पाठ्यक्रम के लिए नियमों को अनदेखा किया

Posted: 24 Aug 2011 09:03 PM PDT


बिना इजाजत पाठय़क्रम चलाने के एक मामले में कुमाऊं विवि ने बसई रामनगर स्थित रेनेसां कॉलेज ऑफ होटल मैनेजमैंट एंड कैटरिंग टेक्नोलॉजी में होटल मैनेजमैंट की परीक्षा भी संचालित कर दी। वह भी तब जब इस कॉलेज में राज्यपाल की सिफारिश के बगैर 2009-10 में ही होटल मैनैजमैंट की पढ़ाई शुरू कर दी थी। शासन ने 22 जून 2011 को पाठय़क्रम जलाने की इजाजत दी। अहम बात यह है कि कुमाऊं विविद्यालय की नियमावली साफ कहती है कि शासन की अनुमति प्राप्त किए बगैर विविद्यालय किसी भी पाठय़क्रम के लिए परीक्षा नहीं ले सकता। इसी तरह आरटीओ रोड कुसुमखेड़ा हल्द्वानी स्थित पॉल कॉलेज ऑफ टेक्नोलॉजी में भी शासन से इजाजत न मिलने के बावजूद उससे पहले ही 2010-11 के सत्र में प्रवेश दे दिया गया जबकि मान्यता दो अगस्त 2011 को दी गई।
नया कॉलेज स्थापित करने के लिए आवेदक को पहले शासन को कॉलेज स्थापित करने के लिए अनापत्ति प्रमाण पत्र के लिए अर्जी देनी होती है। अनापत्ति प्रमाण पत्र मिलने के बाद ही वह कॉलेज की संबद्धता के लिए विविद्यालय से आवेदन करता है। आवेदन के बाद विविद्यालय निरीक्षण समिति गठित करता है जो आवेदन के विभिन्न पहलुओं का निरीक्षण करके जांच आख्या पेश करती है। इस जांच आख्या के आधार पर विविद्यालय की कार्य परिषद शासन को सिफारिश करती है। शासन यदि जरूरी समझे तो निदेशालय से फिर से प्रकरण की जांच करा सकता है और महामहिम राज्यपाल को उनकी सिफारिश के लिए यह जांच आख्या पेश की जाती है। दीगर बात यह भी है कि उच्च शिक्षा निदेशालय का किसी भी कॉलेज की स्थापना या किसी नए विषय की मान्यता प्रदान करने के प्रक्रिया में कोई सीधा संबंध नहीं है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,25.8.11)।

महाराष्ट्रःनिजी विश्वविद्यालय विधेयक में बदलाव की मांग

Posted: 24 Aug 2011 09:01 PM PDT

विधानमंडल के मानसून अधिवेशन में विधेयक पास कर सरकार ने राज्य में निजी विश्वविद्यालयों को शुरू करने का रास्ता तो साफ कर दिया। लेकिन विधेयक में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं रखा है। इसे शामिल करने की मांग तेज हो रही है।

लोकनिर्माण मंत्री छगन भुजबल ने इस सिलसिले में मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण और उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने दोनों से इस कानून में पिछड़ी जातियों के लिए आरक्षण लागू करने की मांग की है।

श्री भुजबल ने पत्र में लिखा है कि निजी विश्वविद्यालय विधेयक को हाल के मानसून सत्र में पास कर दिया गया। लेकिन विधेयक में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने का प्रावधान मौजूद नहीं है।


इससे पहले जब विधेयक को विधानमंडल की संयुक्त संसदीय समिति के पास विचार-विमर्श के लिए भेजा गया था, तब भी पिछड़ा वर्ग को आरक्षण देने के बारे में कोई विचार नहीं किया गया। उन्होंने लिखा है कि 2006 में विधेयक का मसौदा प्रकाशित होने के बाद से मैं विधेयक में पिछड़े जातियों के लिए आरक्षण की मांग कर रहा हूं। लेकिन उसके पास होने तक प्रारूप में बदलाव नहीं किए गए। लोकनिर्माण मंत्री ने लिखा कि निजी विश्वविद्यालयों में आरक्षण देने को लेकर चौतरफा मांग हो रही है। 

इसके मद्देनजर विधेयक में उचित संशोधन कर उसमें आरक्षण का प्रावधान किया जाए। बता दें कि मानसून सत्र में यह विधेयक बिना किसी चर्चा के पास हो गया था। 

मावल पुलिस फायरिंग के खिलाफ विधानसभा और विधानपरिषद में विपक्ष के हंगामे के बीच सरकार ने विधेयक को जल्दबाजी में मंजूर कर दिया था। बाद में कई मंत्री और विधायकों ने इस पर आपत्ति जताई थी(दैनिक भास्कर,मुंबई,25.8.11)।

झारखंडःस्कूलों में अब दो बार लगेगी हाजिरी

Posted: 24 Aug 2011 09:00 PM PDT

सरकारी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में अब छात्रों की दो बार हाजिरी ली जाएगी। शिक्षकों को अपनी हाजिरी भी दो बार बनानी होगी। उक्त निर्देश उपायुक्त की अध्यक्षता में बुधवार को शिक्षा विभाग की हुई बैठक में दिए गए।

उपायुक्त केके सोन ने कहा कि देखा जा रहा है कि मध्याह्न् भोजन के बाद छात्र स्कूल से घर चले जाते हैं। ऐसे में छात्रों की उपस्थिति का पता नहीं चल पाता है। इसलिए अब शिक्षक सुबह 10 बजे और स्कूल में छुट्टी होने से पहले हाजिरी लेंगे। सितंबर से यह प्रक्रिया सभी स्कूलों में शुरू होगी। यह भी निर्देश दिया गया कि स्कूलों में प्रत्येक माह होने वाली गुरुगोष्ठी में सभी बिंदुओं पर विचार किए जाएंगे। स्कूल में अगर कोई समस्या है तो इसकी जानकारी डीएसई कार्यालय को देने को कहा गया। डीएसई अपने स्तर से समस्या के निदान का प्रयास करेंगे। अगर उनसे निदान नहीं हो पाता है तो इसकी जानकारी उपायुक्त को दें। बैठक में डीईओ शशि कुमार मिश्र, डीएसई प्रदीप कुमार चौबे, डीडीसी और डीपीआरओ सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। उपायुक्त ने निर्देश दिया कि किसी भी स्कूल के शिक्षक बेवजह डीएसई कार्यालय परिसर में नहीं घूमें। जो शिक्षक ट्रेजरी में काम कराने के लिए स्कूल छोड़ कर निकलते हैं, उनके लिए अब महीने में एक तिथि तय की जाएगी। उसी तिथि को शिक्षक ट्रेजरी में काम कराने के लिए जा सकते हैं(दैनिक भास्कर,रांची,25.8.11)।

यूपी बोर्ड से कक्षा नौ की अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा खत्म

Posted: 24 Aug 2011 08:58 PM PDT

यूपी बोर्ड में भी बदलाव की बयार बह रही है। हाईस्कूल में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली (सीसीइ) इस सत्र से लागू कर दी गई है। इसके तहत परीक्षार्थियों का लिखित परीक्षा के अलावा प्रायोगिक और आंतरिक मूल्यांकन किया जाएगा। इस बदले पैटर्न के बाद नौवीं कक्षा से अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा नहीं होगी। सीबीएसइ की तरह यूपी बोर्ड ने इस सत्र से हाईस्कूल में सतत एवं व्यापक मूल्यांकन प्रणाली लागू की है। इसमें हाईस्कूल (नौवीं और दसवीं) में 70 अंकों के एक प्रश्नपत्र की लिखित परीक्षा होगी। 30 अंकों का प्रायोगिक और आंतरिक मूल्यांकन स्कूल स्तर पर होगा। अभी तक नौवीं कक्षा में सौ नंबर की अ‌र्द्धवार्षिक और सौ नंबर की वार्षिक परीक्षा होती थी। दोनों को जोड़कर नौवीं का रिजल्ट तैयार होता था। स्कूलों को जो गजट भेजा गया है। उसे लेकर जिले के स्कूल असमंजस में हैं कि वे नौवीं में अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा कराए कि न कराएं। स्कूलों की असमंजस की स्थिति को दूर करने के लिए दैनिक जागरण ने बोर्ड सचिव प्रभा त्रिपाठी से पूछा तो उन्होंने बताया कि नौवीं कक्षा की अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा अनिवार्य नहीं है। स्कूल कराएं या ना कराएं यह उनकी इच्छा पर निर्भर है। दसवीं में बोर्ड की जिस तरह से 70 नंबर की लिखित परीक्षा होगी। उसी तरह से स्कूल नौवीं कक्षा की 70 नंबर की लिखित वार्षिक परीक्षा कराएंगे।
भ्रम दूर करें, य यह परीक्षा की घड़ी 
बालेराम ब्रजभूषण सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कालेज के प्रधानाचार्य कृष्ण कुमार शर्मा ने कहा कि नौवीं की अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा छात्रों के लिए जरूरी है। इस परीक्षा का स्कूल की इच्छा पर निर्भर होना सही नहीं होगा। भले ही नौवीं में इसके नंबर न जोड़े जाएं, अ‌र्द्धवार्षिक परीक्षा जरूरी है। केके इंटर कालेज के प्रधानाचार्य और प्रधानाचार्य परिषद के अध्यक्ष डा. वीर बहादुर सिंह ने बताया कि गजट देर से मिला। अगस्त में आंतरिक परीक्षा करानी है। इसलिए एक दिन में दो विषयों की आंतरिक परीक्षा होगी(विवेक राव,दैनिक जागरम,मेरठ,25.8.11)।

उत्तराखंडःनिजी कॉलेजों में बिना अनुमति चल रहे कई पाठय़क्रम

Posted: 24 Aug 2011 08:57 PM PDT

प्रदेश में निजी कॉलेज नियमों को ताक पर रख विद्यार्थियों के भविष्य से खिलवाड़ कर रहे हैं। उच्च शिक्षा विभाग में अराजकता का यह आलम है कि प्रदेश में निजी कॉलेज व संस्थानों में शासन की इजाजत के बगैर ही 38 पाठय़क्रम चलाए जा रहे हैं। प्रदेश के शिक्षा विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में 37 ऐसे निजी स्ववित्त पोषित संस्थानों में 99 पाठय़क्रम चल रहे हैं जिनमें संचालित 38 पाठय़क्रमों पर शासन ने आपत्तियां लगाई है। 38 अन्य पाठय़क्रमों के संबंध में विविद्यालयों ने पाठय़क्रम का अनुमोदन किया है लेकिन शासन व उच्च शिक्षा निदेशालय ने उनमें कुछ खामियां पाई हैं। इसलिए इन पाठय़क्रमों को संस्थानों में शुरू करने पर सहमति ही नहीं दी गई है। हैरत की बात यह है कि कुछ कॉलेजों ने नियम कानूनों की धज्जिया उड़ाते हुए शासन की इजाजत के बगैर उन पाठ्यक्रमों में बच्चों को प्रवेश देकर पढ़ाई भी शुरू कर दी गई। यहां तक कि विविद्यालय ने परीक्षा भी आयोजित कर दी। यह खुलासा हुआ है राज्य सूचना आयोग में आए एक मामले से। बरेली उप्र निवासी सुमितपाल सिंह बनाम कुल सचिव कुमाऊं विवि मामले में राज्य सूचना आयुक्त प्रभात डबराल ने शासन को मामले की जांच के आदेश दिए थे। शासन की रिपोर्ट सामने आने के बाद आयोग ने कहा है कि इस मामले से उच्च शिक्षा के क्षेत्र में व्यापक अराजकता उजागर हुई है। राज्य सूचना आयुक्त डबराल ने छात्रों के भविष्य से जुड़े इस मामले में मुख्य सचिव को जांच कर कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। आयोग ने साफ कहा है कि प्रदेश में ऐसे कई मामले हो सकते हैं जहां शासन की अनुमति के बगैर ही कॉलेजों में छात्रों को दाखिला दे दिया गया हो और बाद में छात्रों के भविष्य का सवाल खड़ा करते हुए शासन पर जोर डालते हुए बैकडेट पर सिफारिश प्राप्त कर ली हो(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,25.8.11)।

एआइइइइ भी ऑनलाइन परीक्षा की राह

Posted: 24 Aug 2011 08:54 PM PDT

ऑनलाइन एंट्रेंस टेस्ट का दायरा बढ़ता जा रहा है। कंप्यूटर क्रांति का असर अब हर परीक्षा पर साफ दिखने लगा है। ऑनलाइन फॉर्म भरना लगभग हर प्रतियोगी परीक्षा में लागू हो चुका है। अब कदम ऑनलाइन एग्जाम्स की तरफ बढ़ने लगे हैं। देश के प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान आइआइएम में ऑनलाइन परीक्षा पैटर्न शुरू होने के बाद, इस बार इंजीनियरिंग की दूसरी सबसे प्रतिष्ठित परीक्षा एआइइइइ भी बड़े स्तर पर ऑनलाइन परीक्षा कराने की तैयारी में है। छात्रों को तैयार रहने के लिए कहा 11वां एआइइइइ 2012 बड़े स्केल पर ऑनलाइन होगा। इसके लिए सीबीएसइ के स्पेशल एग्जाम डायरेक्टर द्वारा छात्रों को ऑनलाइन परीक्षा के आधार पर खुद को ढालने के लिए भी कहा गया है। आल इंडिया इंजीनियरिंग एंट्रेंस एग्जाम (एआइइइइ) 2011 में ट्रायल के रूप में एक लाख अभ्यर्थियों के लिए ऑनलाइन परीक्षा कराई गई थी। 2011 में ऑनलाइन व पेपर-पेन दोनों तरह से परीक्षा हुई थी। 29 अप्रैल 2012 को होगी परीक्षा एआइइइइ की परीक्षा 29 अप्रैल 2012 को होनी निर्धारित की गई है। आइआइटी के बाद यह इंजीनियरिंग की दूसरी बड़ी परीक्षा है। इसके रैंक के आधार पर एनआइटी, ट्रिपल आइटी व कई अन्य मुख्य इंजीनियरिंग संस्थानों द्वारा प्रवेश दिया जाता है। इसका आयोजन सीबीएसइ द्वारा होता है। नियुक्ति को 29 तक करें इंतजार मेरठ : राजकीय ग‌र्ल्स इंटर कालेज में प्रशिक्षित शिक्षिकाओं (एलटी ग्रेड) की अंतिम लिस्ट पर निदेशालय की मोहर नहीं लग पाई है। इसके लिए उन्हें इस सोमवार (29 अगस्त) तक इंतजार करना होगा। संयुक्त शिक्षा निदेशक लिस्ट पर अनुमोदन के लिए 28 अगस्त को लखनऊ जाएंगी। मंडल में राजकीय ग‌र्ल्स इंटर कालेजों में रिक्त पड़ी 167 पदों के लिए काउंसिलिंग की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अंतिम रूप से चयनित उम्मीदवारों के चयन पर निदेशक माध्यमिक की मोहर लगनी शेष है। इसके लिए तीन बार जेडी लखनऊ जा चुकी हैं, लेकिन स्थिति जस की तस है। उधर, शैक्षणिक सत्र दो महीना गुजर चुका है। राजकीय स्कूल शिक्षकों की कमी से जूझ रहे हैं। जेडी मंजू सिंह को उम्मीद है कि नियुक्ति इसी सत्र में हो जाएगी(दैनिक जागरण,मेरठ,25.8.11)।

उत्तराखंडःयूसैक की सेवा नियमावली को मंजूरी मिली

Posted: 24 Aug 2011 08:53 PM PDT

शासन ने उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र (यूसैक) की सेवा नियमावली को हरी झंडी दे दी है। बुधवार को सचिवालय में मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) की छठी गवर्निंग बॉडी की बैठक की अध्यक्षता करते हुए अनेक महत्वपूर्ण फैसले लिए। मुख्य सचिव ने की अध्यक्षता वाली इस बैठक में यूसैक की सेवा नियमावली को मंजूरी दे दी गई। मुख्य सचिव ने यूसैक द्वारा किये जा रहे कायरे की सराहना करते हुए कहा कि यूसैक राज्य हित में प्राकृतिक संसाधनों के उपयोग, जलवायु परिवर्तन, जल प्रबन्धन, कृषि, उद्यान, जड़ी-बूटी उत्पादन, बागवानी, दैवीय आपदा प्रबन्धन आदि क्षेत्र में इसका व्यापक उपयोग सुनिश्चित करें। उन्होंने आम आदमी से जुड़ी सुविधाओं के विकास में अंतरिक्ष तकनीक का अधिकाधिक उपयोग करने निर्देश भी दिए। मुख्य सचिव ने अंतरिक्ष आधारित सूचना सहायता परियोजना की राज्य स्तरीय परियोजना क्रियान्वयन समिति के कार्यों की भी भी समीक्षा की। इस परियोजना समिति के राज्य स्तर पर मुख्य सचिव अध्यक्ष है, जबकि अन्य संबंधित विभागों के विभागाध्यक्ष इसके सदस्य है। मुख्य सचिव ने निर्देश दिए कि इस परियोजना के तहत निर्धारित मानकों के अनुसार कार्यों में तेजी लायी जाय। प्रमुख सचिव आईटी राकेशार्मा ने कहा कि (यूसैक) के ज्ञान की उपयोगिता प्रदेश के सामान्य जनता के लिए अधिकाधिक उपयोग में इस्तेमाल की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि राज्य की भौगोलिक परिस्थिति को देखते हुए अंतरिक्ष तकनीकी संवाद के लिए प्रभावी विकल्प साबित हो सकती है। इस दिा में भी कार्य किया जा रहा है। बैठक में यूसैक के निदेशक डॉ. एमएम किमोठी ने बताया कि (यूसैक) राज्य के विकास कार्यो में मार्ग दर्शन के लिए एक नोडल एजेन्सी के रूप में नामित किया गया है। उन्होंने बताया कि अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र वैज्ञानिक आधार पर विभिन्न विभागों की परियोजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन हेतु डाटा को संकलित करता है, जो विभागों द्वारा योजनाओं की सफलता हेतु उपयोग में लाया जाता है। डॉ. किमोठी ने बताया कि परियोजना द्वारा प्राकृतिक संसाधनों के मानचित्र तैयार करना, जल स्रेत, सड़क, जल, संचार तंत्र तथा स्वास्थ्य सुविधाओं का चिन्हांकन एवं मानचित्रीकरण किया जाता है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,25.8.11)।

जेएनवीयू : एमफिल-पीएचडी प्रवेश परीक्षा 19 सितंबर को

Posted: 24 Aug 2011 08:51 PM PDT

जेएनवीयू से पीएचडी व एमफिल में प्रवेश के लिए एमफिल पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट (एमपीईटी) 19 सितंबर को होगा। गुरुवार से ऑनलाइन फार्म भरे जाएंगे। फार्म 7 सितंबर तक भरे जा सकेंगे।

एमपैट के समन्वयक प्रो. एके मलिक ने बताया कि परीक्षा में शामिल होने के लिए अभ्यर्थी 222.ह्वठ्ठद्ब1द्बठ्ठस्रद्बड्ड.orद्द वेबसाइट से फार्म व चालान प्राप्त कर सकेंगे। फार्म ऑनलाइन भरने के बाद उसकी एक कॉपी का प्रिंट निकालना होगा। वेबसाइट से फार्म के साथ अभ्यर्थी को फीस चालान की कॉपी भी डाउनलोड करनी होगी। इसके माध्यम से 1250 रुपए फीस बैंक ऑफ बड़ौदा की किसी भी ब्रांच में जमा करवाई जा सकेगी। फीस जमा करवाने के बाद अभ्यर्थी चालान, श्रेणी का प्रमाण पत्र, भरे गए फार्म का पिंट्र व अन्य दस्तावेज पीटीईटी के ऑफिस में एक लिफाफे में डाल कर जमा करवा सकेगा। फार्म 'समन्वयक, एमफिल पीएचडी एंट्रेंस टेस्ट' के नाम से डाक से भी भेजे जा सकते हैं। अभ्यर्थियों के प्रवेश पत्र 15 सितंबर को वेबसाइट पर उपलब्ध करवा दिए जाएंगे। ऑनलाइन फार्म भरने व फीस जमा करवाने की अंतिम तिथि 7 सितंबर है, जबकि पीटीईटी कार्यालय में फार्म 8 सितंबर तक जमा हो सकेंगे(दैनिक भास्कर,जोधपुर,25.8.11)।

चौ. चरण सिंह विश्र्वविद्यालयःमहंगी हुई तकनीकी पढ़ाई

Posted: 24 Aug 2011 08:50 PM PDT

चौ. चरण सिंह विश्र्वविद्यालय की वित्त समिति ने तकनीकी की पढ़ाई को थोड़ी महंगी करने का फैसला लिया है। सर छोटूराम इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (बी. टेक) के छात्रों की फीस 70 हजार रुपए से बढ़ाकर 75 हजार रुपए करने पर मोहर लगा दी गई। वहीं एमसीए की फीस भी बढ़ाकर 55 हजार (पांच हजार सिक्योरिटी) कर दी गई है। पहली बार विवि ने सेल्फ फाइनेंसिंग में एमएड, एमपीएड और एम. फिल की फीस निर्धारित की है। वित्त समिति ने तय किया कि एमएड और एमपीएड की फीस एक समान 37 हजार, 370 रुपए होगी। वहीं एम.फिल एजुकेशन और एम.फिल फिजिकल एजुकेशन की फीस 40 हजार 370 रुपए तय की गई है। परीक्षा शुल्क वृद्धि पर फिलहाल राहत परीक्षा शुल्क में 10 फीसदी वृद्धि का प्रस्ताव बैठक में था। इस पर एक कमेटी का गठन कर दिया गया जो शुल्क वृद्धि के कारणों और जरूरतों को परिभाषित करेगी। बैठक में गैर शिक्षक कर्मचारियों के वेतन वृद्धि को लेकर फैसला लिया गया कि शिक्षकों से संबंधित प्रो. डी. पांडेय समिति की सिफारिशों को ही लागू किया जाए। कर्मचारियों की नौ सूत्री मांगों के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया गया है। साथ ही अतिरिक्त पारिश्रमिक का भार कम करने की खातिर भी एक कमेटी का गठन बैठक में किया गया। छात्रों का होगा बीमा बैठक में बीटेक छात्रों का बीमा करने को हरी झंडी दे दी गई। न्यू इंडिया इंश्योरेंस को 99 रुपए प्रतिवर्ष का प्रीमियम देना होगा। इस एक्सीडेंटल पॉलिसी में छात्र को एक लाख 55 हजार तक की राहत मिल सकती है(दैनिक जागरण,मेरठ,25.8.11)।

प्रताप यूनिवर्सिटीःकैसे संवारें करियर, चेतन भगत देंगे टिप्स

Posted: 24 Aug 2011 08:40 PM PDT

प्रताप यूनिवर्सिटी द्वारा आज स्थानीय बिड़ला आडीटोरियम, जयपुर में फेस टू फेस कॅरिअर सेमिनार का आयोजन किया जा रहा है, जिसमें मशहूर लेखक चेतन भगत छात्रों को उनकी कॅरिअर सम्बन्धी समस्त शंकाओं का समाधान करेंगे। छात्र सीधे चेतन भगत से संवाद कर सकेंगे। चेतन भगत का नाम हिट फिल्म थ्री ईडियट द्वारा काफी समय तक चर्चा में रहा है, जो उनके द्वारा लिखी पुस्तक द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माई लाइफ से प्रेरित थी।

चेतन भगत ने अपने कॅरिअर में कई पुस्तकों का लेखन किया है, जिसमें फाइव प्वांइट समवन, वन नाइट एट काल सेंटर, द थ्री मिस्टेक्स ऑफ माइ लाइफ, टू स्टेट्स ने काफी लोकप्रियता हासिल की है। प्रताप यूनिवर्सिटी के सेक्रेटरी शैलेन्द्र भदौरिया ने बताया कि उन्होंने इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए छात्रों को जयपुर शहर के कई स्थानों से बस सुविधा उपलब्ध कराई है, जो छात्रों को बिड़ला सभागार, स्टेच्यू सर्किल तक नि:शुल्क लाने और वापस ले जाने का कार्य करेंगी।

इतना ही नहीं, सभागार में प्रवेश के लिए भी कोई शुल्क नहीं लिया जा रहा है, ताकि न केवल छात्र बल्कि उनके अभिभावक भी कार्यक्रम में उपस्थित होकर चेतन भगत के विचारों को सुन सकें और अपने बच्चे के लिए सही मार्गदर्शन प्राप्त कर सकें। ज्ञात हो कि प्रताप यूनिवर्सिटी अपना पहला सत्र इसी वर्ष से प्रारंभ कर रही है जिसमें विभिन्न इंजीनियरिंग, मैनेजमेंट, आई टी, फैशन, मास कम्युनिकेशन, इंटीरियर कोर्सेज का संचालन किया जाएगा। प्रताप यूनिवर्सिटी हर वर्ग के छात्रों के लिए महाराणा प्रताप नेशनल स्कॉलरशिप के माध्यम से उचित छूट भी उपलब्ध करा रही है। यहां तक कि निर्धन एवं मेधावी छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा भी प्रदान कर रही है। प्रताप यूनिवर्सिटी का संचालन महाराणा प्रताप ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के बैनर तले किया जा रहा है, जो पिछले १६ वर्षो से उत्तर प्रदेश, नई दिल्ली, राजस्थान में कई शिक्षण संस्थानों का संचालन कर रहे हैं(दैनिक भास्कर,जयपुर,25.8.11)।

उत्तराखंडःहाईकोर्ट ने पंत विवि और सरकार से स्पष्टीकरण मांगा

Posted: 24 Aug 2011 08:38 PM PDT


नैनीताल उच्च न्यायालय ने पंतनगर विवि एवं राज्य सरकार से यूजीसी के दिशा निर्देश के तहत प्रवक्ताओं की रिटायरमेंट की उम्र सीमा 60 से 65 न करने के मामले पर स्पष्टीकरण मांगा है। यह स्पष्टीकरण मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति बारिन घोष एवं न्यायमूर्ति वीके बिष्ट की संयुक्त पीठ ने गोविन्द बल्लभ पंत विवि शिक्षक एसोसिएशन की एक याचिका पर मांगा है। याचिकाकर्ताओं का आरोप है कि यूजीसी ने प्रवक्ताओं की रिटायरमेंट की उम्र सीमा 60 से बढ़ाकर 65 साल कर दी थी। इसके बाद एक समिति गठित की थी। इस समिति ने भी रिटायरमेंट की आयु सीमार बढ़ाने की सिफारिश की थी। लेकिन इसे लागू नहीं किया गया है। संयुक्त पीठ ने मामले की अगली सुनवाई की तिथि गुरुवार तय की है(राष्ट्रीय सहारा,नैनीताल,25.8.11)।

मप्र में इंस्पेक्टर बढ़ेंगे, एसआई घटेंगे

Posted: 24 Aug 2011 08:37 PM PDT

राज्य सरकार ने प्रदेश में पुलिस इंस्पेक्टरों के पद 1032 से बढ़ाकर 1106 और सब इंस्पेक्टरों (एसआई) के पद 3306 से घटाकर 2629 कर दिए हैं। एसआई के 50 फीसदी पद सीधी भर्ती से और 50 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाएंगे। अब तक 67 प्रतिशत पद सीधी भर्ती और 33 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाते थे।

राज्य शासन ने गृह विभाग के मप्र पुलिस कार्यपालिक अराजपत्रित सेवा भर्ती नियम 1997 में संशोधन किया है। अब तक निरीक्षक/रक्षित निरीक्षक के संयुक्त रूप से कुल 1032 पद स्वीकृत थे। अब निरीक्षक के 1009 तथा रक्षित निरीक्षक के 97 पद अलग से मंजूर किए गए हैं। ये पदोन्नति से भरे जाएंगे।

वहीं कंपनी कमांडर के 248 पद घटाकर 229 किए गए हैं। ये पद सौ प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाने का प्रावधान था, लेकिन अब 97 प्रतिशत पद पदोन्नति से तथा 3 प्रतिशत पद अनुपलब्धता की स्थिति में प्रतिनियुक्ति से भरे जाने का प्रावधान किया गया है।

सूबेदार के पद भी घटे

सूबेदार के पद घटाकर अब 74 से 72 किए गए हैं। वहीं उपनिरीक्षक रेडियो तकनीशियन के पद 159 से 125 किए गए हैं। इनमें 63 सीधी भर्ती तथा 62 पदोन्नति से भरे जाएंगे। उप निरीक्षक अंगुली चिह्न् के 39 पद अब 29 रह गए हैं। ये पद सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। अभी तक 67 फीसदी सीधी भर्ती और 33 प्रतिशत पदोन्नति से भरे जाते थे। उपनिरीक्षक क्वेश्चन डॉक्युमेंट के पद आठ से घटाकर छह किए गए हैं। ये भी सीधी भर्ती से भरे जाएंगे। प्लाटून कमांडर के 738 पद घटाकर 707 कर 40 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 60 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने का प्रावधान किया गया है। 

सहायक उपनिरीक्षक के 3636 पद घटकर 3304 हो गए हैं। इनमें 40 प्रतिशत पद सीधी भर्ती से और 60 प्रतिशत पद पदोन्नति से भरने के बजाय अब 80 प्रतिशत पद प्रधान आरक्षकों की विभागीय परीक्षा से भरे जाएंगे। जबकि 20 प्रतिशत पद अच्छे सर्विस रिकॉर्ड और 15 वर्ष का सेवाकाल पूरा करने वाले प्रधान आरक्षकों से भरे जाएंगे(दैनिक भास्कर,भोपाल,25.8.11)।

राजस्थानःमाध्यमिक बोर्ड की पूरक परीक्षाएं आज से

Posted: 24 Aug 2011 08:36 PM PDT

माध्यमिक शिक्षा बोर्ड राजस्थान की दसवीं और बारहवीं की पूरक परीक्षाएं गुरुवार से शुरू होंगी। ये परीक्षाएं 30 अगस्त तक चलेंगी।

जिला शिक्षा अधिकारी (माध्यमिक) गजरा चौधरी ने बताया कि शहरी क्षेत्र में यह परीक्षा राबाउमावि राजमहल, राजकीय महात्मा गांधी उमावि, सरदार सीसै स्कूल, जयनारायण व्यास बालिका स्कूल सिवांचीगेट तथा चौपासनी उमावि में होंगी। किसी भी सेंटर पर कोई गड़बड़ी न हो इसके लिए प्रत्येक परीक्षा केंद्र की वीडियोग्राफी करवाई जाएगी(दैनिक भास्कर,जोधपुर,25.8.11)।

राजस्थान यूनिवर्सिटीःपुनर्मूल्यांकन रिजल्ट से पहले आया एग्जाम शेड्यूल

Posted: 24 Aug 2011 08:35 PM PDT

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस ने एमबीबीएस सेकंड ईयर का पुनर्मूल्यांकन रिजल्ट घोषित करने से पहले ही रिमांड एग्जाम (सप्लीमेंट्री) का परीक्षा कार्यक्रम घोषित कर दिया है। छात्र पसोपेश में हैं कि परीक्षा दे या नहीं। परिणाम में देरी से छात्र परेशान हैं।

राजस्थान यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंस (आरयूएचएस) ने एमबीबीएस सेकंड ईयर का परीक्षा परिणाम 26 जुलाई को घोषित किया था। परिणाम आने के बाद एक माह की अवधि में पूनर्मूल्यांकन किए जाने का नियम है। इसके अनुसार पुनर्मूल्यांकन के आवेदन की अंतिम तिथि 26 अगस्त है।

छात्रों की यह है परेशानी :


एमबीबीएस सेकंड ईयर के छात्रों ने बताया कि 27 अगस्त से एग्जाम शेड्यूल आने से वे असमंजस में हैं कि रिमांड एग्जाम में शामिल हो की नहीं। चूंकि पुनर्मूल्यांकन में नंबर बढ़ जाते हैं तो उनकी मेहनत व्यर्थ जाएगी। यदि परीक्षा नहीं देते हैं और पुनर्मूल्यांकन में नंबर नहीं बढ़ते हैं तो बैक लग जाएगी। साथ ही और ज्यादा मुश्किल हो जाएगी।

रजिस्ट्रार व वीसी से संपर्क किया

छात्रों ने यूनिवर्सिटी के परीक्षा नियंत्रक व कुलपति से मिलकर समस्या बताई। फैक्स से ज्ञापन भी भेजा, लेकिन समस्या का कोई समाधान नहीं किया गया है।

200 छात्र होंगे प्रभावित

पुनर्मूल्यांकन का रिजल्ट समय पर घोषित नहीं होने से आरएनटी मेडिकल कॉलेज सहित सभी मेडिकल कॉलेज के करीब 200 छात्र प्रभावित हो रहे हैं।

"मेरे पास छात्र यह समस्या लेकर आए थे। यह मामला यूनिवर्सिटी का है इसमें कॉलेज कुछ नहीं कर सकता। इस संबंध में जो भी निर्णय लेना होगा वह यूनिवर्सिटी ही लेगी।"

डॉ. नरेंद्र मोगरा, एडिशनल प्रिंसिपल, आरएनटी मेडिकल कॉलेज(दैनिक भास्कर,उदयपुर,25.8.11)

यूपीःअंशकालिक शिक्षकों के प्रधानाचार्य बनने की राह में रोड़े बरकरार

Posted: 24 Aug 2011 08:33 PM PDT

वित्त विहीन विद्यालयों के अंशकालिक शिक्षकों के लिए प्रधानाचार्य बनने की राह के सारे रोड़े अभी नहीं हटे हैं। शिक्षा विभाग सिद्धांतत: उनके अनुभव को मान्यता देने पर तो राजी है, लेकिन उसने गेंद शासन के पाले में डाल दी है। अब यदि शासन इसे मंजूरी देता भी है, तो अधिकांश शिक्षक आवेदन से वंचित रह जाएंगे, क्योंकि प्रधानाचार्य पद के लिए आवेदन करने के लिए बस गुरुवार का ही दिन शेष रह गया है। गौरतलब है कि अंशकालिक शिक्षकों की मांग है कि उनके आवेदन पत्रों पर उसी तरह विचार किया जाए जैसे कि सीबीएससी और आइसीएससी बोर्ड के विद्यालयों के शिक्षकों के आवेदन पर विचार किया जाता है, लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षकों ने उनके अनुभव प्रमाणपत्र पर प्रति हस्ताक्षर (काउंटर साइन) करने से मना कर दिया। इस पर अशासकीय प्रधानाचार्य परिषद के महासचिव त्रिवेणी प्रसाद त्रिपाठी ने हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को आधार बनाते हुएशिक्षा निदेशक को प्रत्यावेदन दिया था। इस पर विचार करने के बाद शिक्षा निदेशक संजय मोहन ने अपना प्रस्ताव शासन को भेजा है। इसमें कहा गया है कि उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों के अनुसार अंशकालिक शिक्षकों के अनुभव प्रमाणपत्रों को प्रति हस्ताक्षरित किए जाने से अलग नहीं रखा जा सकता। किसी अध्यापक विशेष के बारे में तो यह फैसला किया जा सकता है, लेकिन समूह के रूप में यह गलत होगा। उन्होंने सचिव माध्यमिक से इस संबंध में सचिव माध्यमिक से इस प्रकरण पर विचार करने के साथ ही उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा चयन बोर्ड को निर्देश पत्र जारी करने की अपेक्षा भी की है। शिक्षा निदेशक के अनुसार शासन को समस्त तथ्यों से अवगत करा दिया गया है। दूसरी ओर माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के पास इस संबंध में स्पष्ट शासनादेश का अभाव है। यहां तक कि कुछ आवेदन पत्रों जिन पर जिला विद्यालय निरीक्षकों ने प्रति हस्ताक्षर कर रखे हैं, वह उस पर भी विचार करने को तैयार नहीं है। बोर्ड के सचिव शेषमणि पांडेय कहते हैं-शासन स्तर पर जो भी आदेश आएगा, उसे बोर्ड में रखा जाएगा। बोर्ड तय करेगा कि इस बारे में क्या किया जा सकता है(दैनिक जागरण,लखनऊ,25.8.11)।

यूपीःछात्रवृत्ति परीक्षा 20 को

Posted: 24 Aug 2011 08:28 PM PDT

राष्ट्रीय आय एवं योग्यता आधारित छात्रवृत्ति परीक्षा-2011 प्रदेश के निर्धारित 88 केंद्रों पर बीस नवंबर को होगी। राजकीय व अनुदानित विद्यालयों से 55 प्रतिशत अंकों के साथ कक्षा सात की परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी आवेदन के पात्र होंगे। कक्षा आठ मे पढ़ने वाले इन विद्यार्थियों के अभिभावकों की वार्षिक आय डेढ़ लाख रुपए से अधिक नहीं होनी चाहिए। डीआइओएस कार्यालय, बीएसए कार्यालय व राजकीय इंटर कॉलेज से नि:शुल्क आवेदन पत्र प्राप्त किए जा सकते हैं। आवेदन जमा करने की आखिरी तारीख 25 सितंबर है। छात्रवृत्ति के रूप में विद्यार्थियों को पांच सौ रुपये प्रतिमाह मिलेंगे(दैनिक जागरण,लखनऊ,25.8.11)।

इंदौरःरुचि कम हो रही है मैनेजमेंट कोर्सेस में!

Posted: 24 Aug 2011 08:26 PM PDT

देश के सबसे प्रतिष्ठित मैनेजमेंट संस्थान आईआईएम में प्रवेश के लिए होने वाले कॉमन एडमिशन टेस्ट (कैट) में वर्ष 2009 में 2.5 लाख स्टूडेंट्स बैठे थे। 2010 में यह संख्या दो लाख रह गई। शहर में भी यही स्थिति है। 2009 के पहले छह हजार से ज्यादा स्टूडेंट्स टेस्ट देते थे लेकिन 2010 में करीब पांच हजार ही इसमें शामिल हुए। इस बार भी प्रक्रिया शुरू होने के छह दिन बाद तक शहर से मात्र एक हजार स्टूडेंट्स ने पंजीयन कराया है।

एमबीए नहीं तो क्या?
बढ़ती फीस और प्लेसमेंट के कम चांस होते देख स्टूडेंट्स इंजीनियरिंग, सिविल सर्विसेस, बैकिंग और डिजाइनिंग के दूसरे ऑप्शन चुन रहे हैं। आईआईएम इंदौर में भी 2008 के बाद नंबर ऑफ सिलेक्शन और पैकेज कम हुआ है। यूनिवर्सिटी सहित शहर के प्राइवेट एमबीए कॉलेजों में दो साल से 50 फीसदी से ज्यादा प्लेसमेंट हुआ ही नहीं। 8-9 लाख वार्षिक तक जाने वाले पैकेज 3.80 लाख के आसपास सीमित हो गए। आईआईएम के पूर्व प्रोफेसर डॉ. पी.के. चांदे कहते हैं दूसरी परीक्षाएं आसान हुई हैं। आईआईएम में सीटें बढ़ने के बाद भी कैट पहले की तरह टफ बनी हुई है। 80 फीसदी स्टूडेंट्स दो बार से ज्यादा कैट देने के बाद ही आईआईएम पहुंच पाते हैं। आकाश सेठिया का कहना है इस बार प्लेसमेंट सीजन का भी फर्क रजिस्ट्रेशन पर पड़ रहा है। जो स्टूडेंट्स दूसरे कोर्सेस में पढ़ रहे हैं उनका ध्यान कैट से ज्यादा दो महीने बाद आने वाले प्लेसमेंट सीजन की तैयारी पर है(गजेन्द्र विश्वकर्मा,दैनिक भास्कर,इन्दौर,25.8.11)।
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