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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, September 2, 2013

उत्तराखंड सरकार को क्यों है केदारनाथ में पूजा कराने की जल्दी!

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Details Parent Category: [LINK=/state.html]State[/LINK] Category: [LINK=/state/uk.html]उत्तराखंड[/LINK] Created on Monday, 02 September 2013 13:03 Written by राजेन्द्र जोशी                                                                     : [B]जब श्रद्धालु ही नहीं होंगे, तो किसके लिए होगी यह पूजा[/B] : देहरादून, 2 सितम्बर। गौरीकुण्ड से केदारनाथ तक पहुंचने के लिए अभी सड़क बनी नहीं है, पैदल जाना भी दूभर है, ऐसे में प्रदेश सरकार का 11 सितम्बर को केदारनाथ में पूजा कराना किसी के गले नहीं उतर रहा है। मंदिर कमेटी के सदस्यों और धर्माचार्य भी सरकार के इस फैसले पर मजबूर हैं। आपदा प्रभावित क्षेत्रों के लोग और प्रदेश के लोग अभी तक यह समझ नहीं पाए हैं कि आखिर केदारनाथ में पूजा कराने की जिद सरकार क्यों कर रही है और यह पूजा किसके लिए की जा रही है। यह सवाल अभी भी मुंह बाहे खड़ा है कि जब केदारपुरी तक आम श्रद्धालु नहीं पहुंच पा रहा है तो इस पूजा का क्या औचित्य।   सूबे में आयी आपदा को ढ़ाई माह बीत चुके है। आपदा की मार झेल रहे सूबे के लोगों का हाल बेहाल है सूबे के दर्जनों गांवों का अभी भी संपर्क कटा हुआ है और उन तक किसी तरह की सरकारी मदद नहीं पहुंच पाई है वहीं आपदा में बेघर हुए हजारों परिवार अभी भी खुले आसमान के नीेचे जिंदगी जीने पर विवश है राज्य के तीन दर्जन से अधिक गांव अभी भी अंधेरे में डूबे हुए हैं। राज्य की साढ़े तीन सौ सड़कें बंद पड़ी है लेकिन सरकार को इन आपदा प्रभावितों की समस्याओं के समाधन से अधिक चिंता केदारनाथ में पूजा अर्चना शुरु कराना है। राज्य सरकार का पूरा फोकस केदारनाथ में पूजा पर केंद्रित है। केदारनाथ में पूजा शुरु कराये जाने को लेकर सरकार बीते दिनों हुई बैठक के बाद यह घोषणा कर चुकी है कि 11 सितम्बर से यहां पूजा अर्चना विधिवत शुरु करा दी जायेगी। अपनी इस घोषणा पर अमल के लिए सरकारी अमले द्वारा तैयारियां पूरी करने के लिए दिनरात एक किया जा रहा है। रविवार को इस बावत मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा एक बार फिर बद्र्री-केदार समिति के सदस्यों और रावल के साथ सचिवालय में बैठक की है। सवाल यह है कि क्या सिर्फ केदारनाथ में पूजा अर्चना पुनः शुरु होने से राज्य का जनजीवन सामान्य हो जायेगा। आज पहली जरुरत इस बात की है कि इस आपदा के कारण जो लोग घर से बेघर हो गये है और जिनके कारोबार चौपट हो गये है उन्हें किस तरह राहत पहुंचायी जाय। राज्य में अब मानसून धीरे-धीरे कमजोर पड़ता जा रहा है लेकिन इसके बावजूद भी सरकार का ध्यान आपदा राहत कार्यो में तेजी लाने के बजाय केदारनाथ में पूजा अर्चना शुरु कराने पर ज्यादा केंद्रित है। आपदा प्रभावितों के सामने इन दिनों सबसे बड़ी समस्या खाद्यन्न की है हालांकि सरकार द्वारा आपदा प्रभावित क्षेत्रों में सभी परिवारों को दो महीने का मुफ्त राशन देने की घोषणा की गयी है लेकिन राज्य की 356 सड़कें टूटी-फूटी पड़ी है जिसके कारण यह खाद्यन्न की सुविधा सिर्फ उन्ही क्षेत्रों तक सीमित होकर रह गई है जहां तक आवागमन संभव हैं। राज्य के तीन दर्जन से अधिक गांवों का अभी भी संपर्क कटा हुआ है और इन लोगों तक रसद व अन्य आवश्यक सामग्री नहीं पहुंच पा रही है। इन गांवो में अब तक बिजली और संचार सेवाएं भी बहाल नहीं हो पायी हैं। यही नहीं आपदा के दौरान बेघर हुए दो हजार से अधिक परिवार सरकारी भवनों और टैन्टों में गुजर बसर कर रहे है इन लोगों के सामने आने वाले शीतकालीन मौसम की परेशानियां मुंहबाए खड़ी है। दो माह बाद राज्य के ऊपरी हिस्सों में भीषण सर्दी और बर्फबारी शुरु हो जायेगी खुले आसमान के नीचे पड़े इन लोगों को कैसे जल्दी से जल्दी छत मुहैया करायी जाय इस दिशा में अभी तक कोई काम नहीं हुआ है बात सिर्फ योजनाए बनाने और बैठकों तक ही सीमित है। राज्य सरकार के पास यूं तो धन की कोई कमी नहीं है लेकिन राज्य की बदहाल सड़कों की स्थिति सुधारने का काम सालों में भी पूरा होता नहीं दिख रहा है। बीआरओ बंद पड़ी सड़कों को खोलने में जुटा है लेकिन पीडब्लूडी सड़कों के निर्माण में दो कदम भी आगे नहीं बढ़ सका है। सड़कों और पुलों को दुरुस्त किये बिना राज्य के जनजीवन को पटरी पर नहीं लाया जा सकता लेकिन सरकार का ध्यान न तो सड़कों की तरफ है और न बिजली पानी और स्वास्थ्य सेवाओं की ओर है। मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और प्रशासनिक अधिकारी अपनी पूरी ताकत के साथ केदारनाथ में पूजा अर्चना शुरु कराये जाने में जुटे है। रामबाड़ा और सोनप्रयाग से केदारनाथ तक पैदल मार्ग बनाने में रुद्रपुर का जिला प्रशासन दिन और रात जुटा हुआ है। मुख्यमंत्री और सरकार के दिशा निर्देशों को पूरा करने के लिए शासन से प्रशासन तक पूरी कोशिशें की जा रही है। केदारनाथ में पूजा अर्चना शुरु कराये जाने से सरकार क्या संदेश देना चाहती है यह भी समझ से परे है शीतकाल में तो वैसे भी चारों धामों के कपाट बंद कर दिये जाते है और यहां पूजा अर्चना नहीं हो पाती है। अच्छा होता कि सरकार जितना समय और धन तथा ध्यान केदारनाथ में पूजा अर्चना पर खर्च कर रही है उतनी ताकत आपदा प्रभावितों को राहत पहुंचाने में लगाती। [B]देहरादून से राजेन्द्र जोशी की रिपोर्ट.[/B]

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