Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Sunday, September 29, 2013

अब शारदा फर्जीवाड़ा मामले में अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुराने कानून का ही भरोसा

अब शारदा फर्जीवाड़ा मामले में अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुराने कानून का ही भरोसा


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​


अब शारदा फर्जीवाड़ा मामले में अभियुक्तों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए पुराने कानून का ही भरोसा है। सुदीप्तो और देवयानी के खुलासे से इस मामले को अब तक कोई दिशा मिली नहीं है। अब सोमनाथ दत्त की गिरफ्तारी से भी कुछ नया हासिल होने नहीं जा रहा है। मुआवजे की रणनीति के जरिये मुख्यमंत्री ममता बनर्जी  ने जन आक्रोश को नरम करने की मुहिम छेड़ दी है। शारदा पीड़ितों को मुआवजे के साथ कामदुनि प्रकरण के पटाक्षेप की भी पूरी तैयारी हो गयी। मृत छात्रा के परिजनों ने एक लाख का मुआवजा और उसके भाई को ग्रुप डी नौकरी की व्यवस्था को मानकर कामदुनि आंदोलन को हाशिये पर धकेल दिया है। इस वक्त बंगाल का मिजाज पूजा के रंग में सरोबार है। लोग बारिश में भी महानगरों और उपनगरों में पूजा बाजार में बिजी हैं। सर्वत्र मुख्य थीम पूजा बन गयी है।पूजा का मौसम न आंदोलन में बदला जा सकता है और न आंदोलन की औकात किसी की है। दीदी ने विद्रोह दमन में कामयाबी हासिल कर ली है। भाजपा नेता राहुल सिन्हा ने भले ही वरुण गांधी की मौजूदगी में तृणमूल में बिखराव की उम्मीद जतायी है,ऐसा कुछ होने नहीं जा रहा है।


हालात पूरी तरह नियंत्रण में


हालात पूरी तरह नियंत्रण में हैं दीदी के। तापस पाल, शताब्दी और दिनेश त्रिवेदी ने हथियार डाल दिये हैं। गिरफ्तारी की हालत में अपनी धमकी के मुताबिक कुाल घोष ने जो बम फोड़ने की धमकी दी है,उसका कोई असर होना नही है।इसी के साथ बंगाल विधानसभा में आनन फानन विशेष अधिवेशन में पारित चिटफंड निरोधक विधेयक को वापस लेने के साथ ही तय हो गया है कि अभियुक्तों का कुछ नहीं बिगड़ने वाला है।अब कुमाल भी जानते हैं कि शारदा मामला तो खुलने से  रहा, बगावत जारी रखने पर उनकी गत बिगड़ जायेगी। इसीलिए गौर करें कि उनके सुर बदल गये हैं। कुणाल ने मुख्मंत्री का पत्र लिखकर अपना निलंबन वापस लेने की मांग की है। इसका सीधा मतलब है कि पार्टी में बनेरहने के लिए कुणाल अब आत्मसमर्पण करने ही वाले हैं। तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद व कभी ममता के करीबी कुणाल घोष ने पिछले सप्ताह एक कार्यक्रम में भाग लेने के बाद आरोप लगाया कि शारदा कांड में उन्हें फंसाया गया है। तृणमूल कांग्रेस नेतृत्व ने उनके कंधे पर बंदुक रख कर चलाया। समय आने पर वह इसका खुलासा करेंगे। उक्त कार्यक्रम में में तृणमूल कांग्रेस सांसद सोमेन मित्रा, सांसद व अभिनेता तापस पाल और सांसद व अभिनेत्री शताब्दी राय व तृणमूल कांग्रेस की निलंबित विधायक शिखा मित्रा उपस्थित थीं। तापस पाल और शताब्दी राय ने भी तृणमूल कांग्रेस की तीखी आलोचना की थी। उस घटना के बाद राज्य खुफिया पुलिस के अधिकारियों ने शारदा कांड मामले में कुणाल घोष से पूछताछ शुरू कर दी। घोष ने धमकी भी दी कि वह सच बताएंगे तो तृणमूल कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। उन्होंने कई मंत्रियों पर शारदा समूह से करोड़ों रुपया मांगने का आरोप भी लगाया लेकिन तृणमूल कांग्रेस ने जब उन्हें निलंबित कर दिया तो उनके सुर नरम पड़ गए।


केंद्र के साथ युद्धविराम


चिटफंड निरोधक विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए लंबित था। वित्त मंत्रालय को आपत्तिया थीं तो उनके निदान बतौर संशोधन के लिए भी राज्यसरकार तैयार थी। अब अचानक विधेयक वापस लेकर दीदी ने उस प्रक्रिया का भी पटोक्षेप कर दिया। केंद्र के साथ कम से कम इस प्रकरण में युद्ध विराम हो गया। नतीजतन पुराने कानून के तहत ही शारदा फर्जीवाड़े मामले में कार्रवाई होगी। ऐसा हो पाता तो अब तक कार्रवाई हो ही चुकी होती। नये कानून की कोई दरकार महसूस नही की जाती।


वही ढाक के तीन पात

बंगाल में पूर्ववर्ती वाम सरकार २००३ से लंबित चिटफंड निरोधक बिल पास कराने में नाकाम रही जिसे ​​वापस लेकर बंगाल सरकार ने नया कानून बनाने के लिए बंगाल विधानसभा के विशेष अधिवेशन में बिल पास कर दिया,लेकिन उसका भी वहीं हश्र हुआ जो वाम विधेयक का हुआ था।गौरतलब है कि   वाम  विधेयक  भी विधानसभा में पारित हुआ था और राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए विचाराधीन था। केंद्र सरकार के सुझाव पर सजा के मामले में आजीवन कारावास जैसे विषय को इसमें जोड़ा गया था। लेकिन वास सरकार के बार बार याद दिलाने के बावजूद केंद्र ने कानून बनाकर चिटफंड पर अंकुश लगाने की पहल नहीं की। अबकी दफा फिर वही हुआ। फिर फिर वही होने वाला है। यानी ढाक के वही तीन पात।असल बात तो तो यह है  कि भारतीय दंड विधान संहिता के प्रावधान लागू नहीं हुए तो १९७८ का चिटफंड निरोधककानून का इस्तेमाल ही नहीं हुआ।


केंद्र की मंशा पर सवाल

ममता बनर्जी आर्थिक सुधारों को जनविरोधी नीतियों का कार्यान्वयन बताती हैं। इन्हीं आर्थिक सुधारों को लागू करने में अल्पमत केंद्र सरकार आनन फानन में कानून पास कर देती है। खाद्य सुरक्षा तो बिना कानून ही लागू हो गयी। संसद के मानसून सत्र में पारित किये गये भूमि अधिग्रहण विधेयक को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मंजूरी मिलने के साथ ही यह कानून बन गया है। नया कानून 119 साल पुराने कानून की जगह लाया गया है।प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और उनकी बांग्लादेशी समकक्ष शेख हसीना के बीच न्यूयॉर्क में प्रस्तावित मुलाकात से पहले भारत सरकार ने कह दिया कि नवंबर में संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही भूमि सीमा समझौता विधेयक को पारित कराने का फिर प्रयास किया जाएगा।लोकसभा की मुहर के साथ ही संसद ने शुक्रवार को भारतीय जन प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 2013 को पारित कर दिया। यह विधेयक सर्वोच्च न्यायालय के जेल में कैद या पुलिस हिरासत से नेताओं के चुनाव लड़ने पर पाबंदी लगाने वाले फैसले को निष्प्रभावी करने के उद्देश्य से लाया गया है।लेकिन चिटफंड पर अंकुश लगाने की राज्यसरकारों की ोर से कीजाने वाली पहल पर कोई जुंबिश तक नहीं होती।बाकी तमाम कानूनराजनीतिक विरोध और प्रबल जनांदोलन के बावजूद पारित हो जाते हैं।


सुदीप्त देबजानी को राहत


राज्य सरकार के इस आकस्मिक कदम से जाहिर है कि राज्य सरकार मुआवजा बांटकर इस मामले को निपटा देना चाहती है। दोषियों को सजा दिलाने या रिकवरी का कोई एजंडा नहीं है। यह सुदीप्तो और देबजानी समेत तमाम अभियुक्तों के लिए अब तक की सबसे बड़ी राहत है। तमाम दागी मंत्री,सांसद और नेता एक मुश्त बरी हो गये। न सोमनात दत्त के खिलाफ अब कोई कार्रवाई  होनी है और न कुणाल के खिलाफ। कोई दूसरा न समझें,इसे कुणाल घोष समझ ही रहे होंगे। उनके हित में हैं कि धमकियां देना छोड़कर दीदी को मना लें। देर सवेर वे ऐसा ही करने जा रहे हैं।गौरतलब है कि पार्टी विरोधी बयान देने के लिए तृणमूल कांग्रेस द्वारा कारण बताओ नोटिस पा चुके घोष को पार्टी से निलंबित कर दिया गया है। शारदा ग्रुप घोटाले के मामले में हाल ही में सीबीआई जांच की मांग करने वाले सांसद को पिछले हफ्ते पुलिस ने पूछताछ के लिए तीन दफा तलब किया था।उन्होंने धमकी दी थी कि यदि उन्हें शारदा चिटफंड मामले में गिरफ्तार किया गया तो वे कई चीजों का खुलासा कर देंगे।  



अब नया विधेयक


पुराने विधेयक को बातिल करके राज्य सरकार अब नये सिरे से एक और विधेयक पारित करेगी। फिर उसे केंद्र सरकार की मंजूरी क लिए भेजा जायेगा। तब तक पीड़ितों को भुगतान का लक्ष्य भी पूरा हो जायेगा।अब तक  जैसे सारे मुद्दे और घोटाले रफा दफा के दिये जाते रहे हैं, जनता के जल्दी भूल जाने और रंगे हाथ राजनीतिक दलों के कारण वैसा ही फिर होने जा रहा है।इस बीच दीदी राज्य में विकास का जो तूफान  खड़ा करने की तैयारी में हैं,आम जनता की दिलचस्पी जाहिर है कि उस तूफान में अपना हिस्सा समझ लेने में ज्यादा होगी।


पीड़ित अगर चुप हो गये


मुआवजा और नौकरी के दोहरे प्रलोभन के पार पाना फटीचर  पीड़ितों और  खासकर उनके परिजनों के लिए असंभव ही है। कामदुनि प्रकरण में यही दिख रहा है। चिटफंड कारोबार अब भी धड़ल्ले से चल रहा है। किसी कंपनी के खिलाप किसी भी स्तर पर कार्रवाई नहीं हो रही है। फर्जीवाड़े के फौरन बाद जो पीड़ित निवेशक और एजंट  सड़कों पर उतर आये थे,वे लोग मजे में अपने अपने घर बैठ गये हैं और कहीं कोई कोहराम नहीं है और न कोई खुदकशी कर रहा है। जब पीड़ितों की शिकायतें ही खत्म हो गयीं तो राजनीतिक बवंडर से सनसनी के अलावा और कुछ हासिल नहीं होना है, जिससे लोगों का मनोरंदन भी खूब हो जाता है। चौपाल चर्चा से हालात बदलते नहीं हैं जब सड़कों पर विरोध का सिलसिला ही खत्म हो जाये।


दीदी को कुणाल ने लिक्खा खत


निलंबित करने के 24 घंटे के अंदर सांसद कुणाल घोष के तेवर ढीले पड़ गए। उन्होंने तृणमूल कांग्रेस अनुशासनात्मक रक्षा कमेटी, तृणमूल कांग्रेस महासचिव मुकुल राय, और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिख कर निलंबन वापस लेने की अपील की है। पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के एक दिन बाद सांसद कुणाल घोष ने पार्टी सुप्रीमो और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को खत लिखकर अपने निलंबन आदेश को वापस लिए जाने की मांग की है।हालांकि घोष ने अपनी पुरानी रट दोहरायी कि वह अपने आरोपों को लेकर पार्टी की अंदरुनी जांच का सामना करने को तैयार हैं।पार्टी का जांच का आखिर मतलब क्या है आपराधिक मामले में,कोई माननीय सांसद से पूछे। उन्होंने कहा कि तृणमूल कांग्रेस अनुशासन रक्षा कमेटी ने उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी की और बाद में निलंबित किया। हालांकि अभी तक उन्हें कारण बताओ नोटिस नहीं मिली है। पत्र के मजमून के बारे में बताने से उन्होंने इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि वह तृणमूल कांग्रेस में रहना चाहते हैं। इसलिए तृणमूल नेतृत्व को पत्र लिख कर निलंबन वापस लेने की अपील की है।


बहरहाल बागी सांसद  ने कहा, ''मैंने ममता बनर्जी को एक पत्र लिखकर तृणमूल कांग्रेस से निलंबित किए जाने के आदेश को वापस लेने की मांग की है। मैंने जो आरोप लगाए हैं उन पर पार्टी की अंदरुनी जांच का सामना करने के लिए मैं तैयार हूं।''  सांसद ने कहा कि उन्होंने निलंबन के मुद्दे पर तृणमूल कांग्रेस नेता पार्थ चटर्जी और मुकुल रॉय को भी पत्र लिखा है।


अग्रिम जमानत नहीं लेंगे घिर चुके अधीर चौधरी

इसी बीच रेल राज्य मंत्री ने  अपने खिलाफ हत्या के मामले में जारी वारंट के सिलसिले में अग्रिम जमानत न लेने की घोषणा करते हुए कहा है कि वे जेल या फांसी से नहीं डरते।उन्होंने इस्तीफे की संबावना भी सिरे से खारिज कर दी है। दीपा दासमुंशी इधर खामोश सी हैं। कांग्रेस में जंगी तेवर सिर्फ अधीर ही दिखा रहे हैं। दीदी उत्तर बंगाल के कांग्रेस के कब्जे से निकालना चाहते हैं। अधीर को घेरने के पीछे यह बेदखली अभियान है, जाहिर है।खास बात तो यह है,जुबानी कुछ भी बोलें अधीर, वे घिर चुके हैं।गौरतलब है कि  हत्या के एक मामले में कथित साजिश रचने को लेकर गैर जमानती वॉरंट जारी होने के बाद रेल राज्य मंत्री अधीर रंजन चौधरी के खिलाफ मुर्शिदाबाद की एक अदालत में चार्जशीट दायर की गई। बरहमपुर के एक कोर्ट में चौधरी के खिलाफ दायर चार्जशीट में आरोप लगाया गया है कि उन्होंने साल 2011 में गोलबाजार इलाके में तृणमूल कार्यकर्ता कमाल शेख की हत्या की साजिश रची थी।


डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के एसीजेएम अनिल विश्वास ने शनिवार को मंत्री के खिलाफ एक गैर जमानती गिरफ्तारी वॉरंट जारी किया था। संपर्क किए जाने पर चौधरी ने टीएमसी पर राज्य में बदले की राजनीति करने का आरोप लगाया। चौधरी ने कहा कि मुझे इस मामले में गलत ढंग से फंसाया गया है। मैं शीघ्र ही इस बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को रिपोर्ट सौपूंगा। उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी नीत पश्चिम बंगाल सरकार विपक्ष की आवाज दबाने के लिए पुलिस का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।वे उसी रणनीति का इस्तेमाल कर रहे हैं जो राज्य में लोकतंत्र को खत्म करने के लिए लेफ्ट फ्रंट की सरकार ने अपनाई थी। चौधरी ने कहा कि उन्हें इस मामले की बिलकुल चिंता नहीं है। उन्होंने कहा कि पुलिस राज्य में कांग्रेस को कमजोर करने के लिए झूठे मामलों में कांग्रेस नेताओं को फंसा रही है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप भट्टाचार्य ने इसे तृणमूल कांग्रेस की बदले की राजनीति करार दिया।





No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV