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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, August 6, 2011

Fwd: भाषा,शिक्षा और रोज़गार



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From: भाषा,शिक्षा और रोज़गार <eduployment@gmail.com>
Date: 2011/8/6
Subject: भाषा,शिक्षा और रोज़गार
To: palashbiswaskl@gmail.com


भाषा,शिक्षा और रोज़गार


यूपीःबीटेक की चमक पड़ी फीकी तो डिप्लोमा में उतर आये कालेज

Posted: 05 Aug 2011 11:10 AM PDT

बीटेक की चमक फीकी पड़ने से इंजीनियरिंग कालेजों ने डिप्लोमा शिक्षा की ओर रुख कर लिया है। इन कालेजों ने अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद से मान्यता भी हासिल कर ली है,अब सम्बद्धता के लिए प्राविधिक शिक्षा परिषद की ओर नजर गड़ाये हैं। तकनीकी डिप्लोमा शिक्षा में उतरे दो दर्जन संस्थानों की सम्बद्धता प्रक्रिया पूरी होने के बाद द्वितीय काउंसलिंग से दाखिला दिये जाएंगे। सूबे में खुलने वाले नये पॉलीटेक्निक संस्थान अभी तक इंजीनियरिंग कालेज चला रहे हैं। बख्शी का तालाब स्थित आईटीएम संस्थान का अपना इंजीनियरिंग कालेज है। नये शैक्षिक सत्र से अब एक पॉलीटेक्निक भी लेकर आया है। यह कालेज एआईसीटीई से मान्यता लेने के बाद अब प्राविधिक शिक्षा परिषद से सम्बद्धता हासिल करने में लगा है। बरेली स्थित सिद्ध विनायक ग्रुप का अपना इंजीनियरिंग कालेज होने के साथ डिप्लोमा शिक्षा में भी पांव बढ़ाया है। झांसी स्थित एसआर ग्रुप ने भी बीटेक के इंजीनियरिंग कालेज के साथ डिप्लोमा की पढ़ाई शुरू कराने की तैयारी में जुटा है। इलाहाबाद के भी एक स्थापित इंजीनियरिंग कालेज ने पॉलीटेक्निक डिप्लोमा की ओर रुख किया है। प्राविधिक शिक्षा परिषद के सचिव व सम्बद्धता समिति के सदस्य सचिव एस प्रसाद ने कहा कि कई इंजीनियरिंग कालेजों को पालीटेक्निक खोलने के लिए एआईसीटीई से मंजूरी मिल चुकी है। इनकी संख्या करीब दो दर्जन है। नये खुलने वाले इन पॉलीटेक्निक संस्थान में करीब एक दर्जन में पहले से इंजीनियरिंग कालेज चल रहे हैं। उन्होंने बताया कि एआईसीटीई की मान्यता लाने वाले संस्थानों का निरीक्षण कराया जा रहा है। 20 से 25 अगस्त के बीच होने वाली द्वितीय काउंसलिंग से पहले इन कालेजों को सम्बद्धता दे दी जाएगी। निरीक्षण मण्डल की रिपोर्ट के बाद सम्बद्धता समिति की बैठक में सभी का निस्तारण कर दिया जाएगा। उन्होंने बताया कि एआईसीटीई ने एक ट्रेड से लेकर पांच ट्रेड चलाने की मान्यता दी है। हर एक ट्रेड में 60-60 सीटें बढ़ जाएगी। कोर इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की मांग बीटेक से ज्यादा है। डिप्लोमा में सौ फीसद प्लेसमेंट होने के कारण छात्र उस ओर आकर्षित हो रहे हैं। इसी का नतीजा है कि इंजीनियरिंग डिप्लोमा की 50 हजार सीटों में अभी 28 हजार से ज्यादा भर गयी हैं और प्रथम चरण की काउंसलिंग पांच को पूरी होने पर यह संख्या 30 हजार के पार कर सकती है। काउंसलिंग से जुड़े अधिकारियों ने बताया सिर्फ आरक्षित श्रेणी में सीटें बची हैं वह भी आतंरिक आरक्षण की वजह है। नये पॉलीटेक्निक पूरे प्रदेश में दो दर्जन आ रहे हैं, यह संख्या कुछ ज्यादा भी हो सकती है। उन्होंने बताया कि प्रथम चरण की काउंसलिंग पूरी होने के बाद ही नये पॉलीटेक्निक संस्थानों को जोड़ने के लिए शासन स्तर पर निर्णय हुआ था(कमल तिवारी,राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.8.11)।

बिहारःकृषक पाठशाला खोलेगी दूसरी हरित क्रांति की राह

Posted: 05 Aug 2011 11:08 AM PDT

किसानों को खेती की अत्याधुनिक तकनीक से अवगत कराने और दूसरी हरित क्रांति के सपने को साकार करने के लिए राज्य सरकार ने इस वर्ष 2136 कृषक पाठशालाएं खोलने का निर्णय लिया है। सरकार की हर प्रखंड में कुल चार पाठशालाएं खोलने की योजना है। जिसमें से एक महिलाओं के लिए होगी। खास बात यह कि पाठशालाएं खेतों के बीच चलेंगी। जिन किसानों के खेत पर पाठशालाएं चलेंगी उन्हें एक फसल मौसम (चार माह) के दौरान सरकार इनपुट के रूप में 7500 रुपये देगी। पाठशालाओं में चार माह पढ़ाई होगी। प्रत्येक पाठशाला पर लगभग तीस हजार की लागत आएगी। सूबे में द्वितीय हरित क्रांति का सपना साकार करने के प्रति गंभीर राज्य सरकार ने पाठशालाएं खोलने के लिए तैयारी भी शुरू कर दी है। इस संबंध में विभागीय सचिव एन. विजय लक्ष्मी ने अधिकारियों को दिशा-निर्देश जारी कर दिया है।
कृषक पाठशाला की विशेषता
- कृषि वैज्ञानिक, विभागीय अधिकारी, कृषि विशेषज्ञ एवं प्रगतिशील किसान लेंगे क्लास। 
- पाठशाला में दो ट्रेनर, छह क्लास। जिसके लिए एक हेक्टेयर जमीन की आवश्यकता। 
- खेतों में ही चलेगी कृषक पाठशाला। जिस किसान की जमीन पर पाठशाला चलेगी, उसे इनपुट के रूप में 7500 रुपये सरकार देगी। 
- प्रत्येक पाठशाला पर खर्च होंगे लगभग 30,000 रुपये 
- हर पाठशाला से 500 किसानों को प्रशिक्षित करने का सरकार का लक्ष्य
- एक पाठशाला में 25 किसानों को प्रशिक्षण देंगे कृषि वैज्ञानिक 
- प्रशिक्षित किसान गांव के 20 किसानों को देंगे प्रशिक्षण 
-योजना की सफलता को विभागीय अधिकारियों को दिए गये निर्देश(नीरज कुमार,दैनिक जागरण,पटना,5.8.11)

यूपीःएक हजार की आबादी होने पर ही मिलेगी जूनियर हाई स्कूल की मान्यता

Posted: 05 Aug 2011 11:05 AM PDT

उच्च प्राथमिक विद्यालय (जूनियर हाई स्कूल) की मान्यता तभी प्राप्त होगी जब उस क्षेत्र की आबादी कम से कम एक हजार हो। साथ ही विद्यालय के पास खेल का मैदान होना भी जरूरी है। प्रदेश सरकार ने अशासकीय हिन्दी माध्यम से उच्च प्राथमिक विद्यालयों के लिए मान्यता संबंधी शतरे के लिए प्राविधान किया है कि विद्यालयों को मान्यता तभी प्रदान की जाएगी, जब प्रस्तावित क्षेत्र में संस्था की जरूरत हो। साथ ही संस्था की मान्यता से उस क्षेत्र में पूर्व से संचालित संस्थाओं के स्तर तथा दक्षता पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा। विद्यालय के सुचारु रूप से संचालन के लिए उस विद्यालय के प्रबंधतंत्र के पास पर्याप्त वित्तीय संसाधन भी उपलब्ध हों। इसके अतिरिक्त मान्यता के लिए यह भी प्राविधान किया गया है कि विद्यालय का निजी भवन, शौचालय, खेल का मैदान व खेलकूद की सामाग्री, उपकरण एवं साज-सज्जा की व्यवस्था हो तथा स्वस्थप्रद स्थान होना भी जरूरी है। विद्यालय के प्रबंधतंत्र को समय-समय पर शासन का निर्णय, शासनादेश तथा विभागीय आदेशों का पालन भी करना होगा। उच्च प्राथमिक विद्यालयों की मान्यता के लिए प्राप्त आवेदन पत्रों पर निर्णय लेने के लिए मण्डलीय सहायक शिक्षा निदेशक की अध्यक्षता में दो सदस्यीय समिति का गठन किया गया है। समिति निर्णय करके मान्यता प्रदान करने की प्रक्रिया को अंतिम रूप देगी(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.8.11)।

पटनाःएक्ट पर खरे नहीं उतरते 608 शिक्षण संस्थान

Posted: 05 Aug 2011 11:03 AM PDT

पटना जिले के गैरनिबंधित कोचिंग संस्थानों पर शीघ्र गाज गिरेगी। निबंधन के लिए अबतक जिले से कुल 608 कोचिंग संस्थानों ने आवेदन पत्र जमा किया है। जिलाधिकारी संजय कुमार सिंह के आदेश पर कोचिंग संस्थानों की जांच के लिए पहली बार 34 डिप्टी कलक्टर प्रतिनियुक्त किये गये हैं। जिस थाना क्षेत्र में जितने कोचिंग संस्थान संचालित हैं, उन सब की जांच के दौरान संबंधित थाना प्रभारियों को भी अहम भूमिका सौंपी गई है। जिला शिक्षा अधिकारी मेदो दास के मुताबिक, राज्य सरकार द्वारा तय मानदंड के अनुसार कोचिंग संस्थान का संचालन हो सके। इसके लिए संचालकों को निर्धारित मानदंड का अनुपालन करना अनिवार्य है। छह सौ आठ संस्थानों से प्राप्त आवेदन पत्रों की जांच के लिए 34 सिविल एसडीओ और डिप्टी कलक्टर को प्रतिनियुक्त किया गया है। सभी जांच पदाधिकारियों को अपनी रिपोर्ट इस माह के अंत तक सौंपने का निर्देश दिया गया है। जांच के दौरान सरकार द्वारा निर्धारित मानदंड का आकलन किया जाएगा। इसके पहले ही आवेदन पत्रों में कोचिंग संस्थानों से उपलब्ध आधारभूत सुविधाएं, पाठ्यक्रम और शिक्षकों की योग्यता आदि के बारे में विस्तृत जानकारी ली जा चुकी है। जिला प्रशासन अपने स्तर से पहले ही सभी थाना प्रभारियों से अपने-अपने क्षेत्र में चलने वाले कोचिंग संस्थान की सूची मांगी जा चुकी है। जिला शिक्षा पदाधिकारी मेदो दास ने कोचिंग संस्थानों के निबंधन के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी से रिपोर्ट लेने के लिए अधिकृत हैं। मिली जानकारी के अनुसार, थाना प्रभारियों से कोचिंग संस्थानों की मिलने वाली सूची में अब तक जो निबंधन के लिए आवेदन नहीं किया है उसके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी हो रही है। गैरनिबंधित या निबंधन के लिए आवेदन नहीं करने कोचिंग संस्थानों की पहचान कर उनके खिलाफ कार्रवाई शुरू की जायेगी(दीनानाथ साहनी,दैनिक जागरण,पटना,5.8.11)।

यूपीःइंजीनियरिंग फीस प्रतिपूर्ति को लेकर जवाब-तलब

Posted: 05 Aug 2011 11:01 AM PDT

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इंजीनियरिंग कालेज के अनुसूचित जाति के छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति को लेकर दाखिल याचिका पर राज्य सरकार से छह सप्ताह में जवाब मांगा है। न्यायालय ने पूछा है कि फीस प्रतिपूर्ति को 2004 में जारी शासनादेश का पूर्णतया पालन क्यों नहीं किया जा रहा है। यह आदेश न्यायमूर्ति वी.के. शुक्ला ने वेंकटेर इंस्टीटय़ूट ऑफ साइंस एण्ड टेक्नोलाजी मेरठ सहित पांच कालेजों की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका का विरोध करते हुए कहा गया कि कालेज स्ववित्तपोषित है। इनमें अनुसूचित जाति के छात्रों के प्रवेश में 21 फीसदी का आरक्षण है। कुछ छात्र मेरिट पर भी आ जाते हैं। शासनादेश से सरकार ने इन छात्रों की फीस प्रतिपूर्ति 45 दिन के भीतर किये जाने की व्यवस्था की है। सरकार की तरफ से फीस प्रतिपूर्ति में काफी विलम्ब होने से कालेज संचालन में परेशानी हो रही है(राष्ट्रीय सहारा,इलाहाबाद,5.8.11)।

बिहारःगलत हुआ वेतन निर्धारण, वापस करना होगा पैसा

Posted: 05 Aug 2011 10:57 AM PDT

छठे वेतन पुनरीक्षण के क्रम में गलत लिपिकीय और समकक्ष कतिपय सेवाओं में गलत तरीके से वेतन निर्धारण हो गया है। गलत वेतन निर्धारण की वजह से बड़ी संख्या में कर्मियों को मोटी राशि लौटानी होगी। मोटे आकलन के अनुसार बड़ी संख्या में गलत वेतन निर्धारण के कारण लोगों को डेढ़ से दो हजार रुपये मासिक का अधिक वेतन निर्धारण करते हुए भुगतान हो रहा है। चूंकि अप्रैल 2007 के प्रभाव से आर्थिक लाभ मिला है। ऐसे में राशि बड़ी हो जायेगी। मूल्य समस्या शिड्यूल-2 के कारण है। विभिन्न शिड्यूल के तहत अलग-अलग पदों के लिए वेतनमान, वेतन बैंड और ग्रेड पे की व्यवस्था है। वित्त विभाग ने 1 अगस्त को इस संबंध में आदेश जारी कर दिया है। विभागों, प्रमंडलीय आयुक्तों, जिलाधिकारियों के नाम जारी पत्र में कहा गया है कि वित्त विभाग के समक्ष पुनरीक्षित वेतन की जांच के क्रम में ऐसे मामले सामने आये हैं जिनमें वित्त विभाग के संकल्प 630 (21 जनवरी 2010) के शिड्यूल-2 का प्रयोग कर त्रुटिपूर्ण वेतन निर्धारण किया गया है। कहा गया है कि उस संकल्प की कंडिका 7 में पहली जनवरी 2006 के पूर्व से कार्यरत कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की विधि का वर्णन है। इसमें कहीं भी शिड्यूल-2 का उल्लेख नहीं है। यानी इन कर्मियों के लिए शिड्यूल-2 के अनुसार न्यूनतम वेतन अनुमान्य नहीं है। पाराग्राफ 8 एवं शिड्यूल-2 उन कर्मचारियों के लिए है जिनकी विशिष्ट ग्रेड-पे के पद पर पहली जनवरी 06 को उसके बाद 31 दिसम्बर 08 तक सीधी नियुक्ति हुई हो। कहा गया है कि ऐसे लिपिक जिन्हें सामान्य प्रशासन विभाग के 9 फरवरी 09 के आदेश के आलोक में 4 जनवरी 08 के प्रभाव से द्वितीय सुनिश्चित वृत्ति उन्नयन योजना (एसीपी) के तहत अपुनरीक्षित वेतनमान में 6500 से 10500 का वेतन स्वीकृत किया गया है उनका पुनरीक्षित वेतनमान में वेतन पुनरीक्षण में शिड्यूल टू का प्रयोग नहीं किया जायेगा। यानी 4600 ग्रेड-पे के लिए न्यूनतम वेतन 17140 रुपये अनुमान्य नहीं होगा। निर्देश दिया गया है कि गलत तरीके से वेतन निर्धारण को सुधार लिया जाये और अधिक भुगतान की गयी राशि की वसूली सुनिश्चित की जाये(दैनिक जागरण,पटना,5.8.11)।

यूपी में बीएड दाखिलाःजीरो फीस वालों को एक मौका और

Posted: 05 Aug 2011 10:54 AM PDT

बीएड की पहले चरण की काउंसलिंग में हिस्सा लेने के बाद फीस न जमा करने वाले छात्र-छात्राओं की सीट रद कर उसे दूसरी काउंसलिंग में शामिल कर लिया गया है। इनकी संख्या करीब 45 सौ के पार है। इसके साथ ही जीरो फीस में दाखिला पाने वाले अनुसूचित जाति के सात सौ छात्रों को सीट कन्फम्रेशन रसीद कटवाने की मोहलत दी गयी है। रुहेलखण्ड विविद्यालय के कुलपति और शासन के बीच ही इन छात्रों के भविष्य को लेकर फैसला होगा। फीस की वजह से सीट गंवाने वाले छात्रों को पांच-पांच हजार के पूल में शामिल किया जाएगा, या नहीं यह फैसला भी कुलपति पर छोड़ दिया गया है। रुहेलखण्ड विविद्यालय के कुलसचिव बालकृष्ण पाण्डेय ने बताया कि अनुसूचित जाति के छात्र तो गफलत में थे कि उन्हें कोई फीस जमा नहीं करनी है , लिहाजा आगे की प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के लिए उन्हें मौका दिया जा रहा है। अनुसूचित जाति के छात्रों को प्रदेश के राजकीय व सहायता प्राप्त डिग्री कालेजों में प्रवेश मिला है। काउंसलिंग में शामिल होने के लिए के लिए इन छात्रों को 5000 रुपये का ड्राफ्ट देना था, तो अब उन्हें ऋणात्मक शुल्क की रसीद कटवानी पड़ेगी। इन छात्रों को तो रुहेलखण्ड विविद्यालय मौका देगा, लेकिन 4500 छात्रों की दावेदारी निरस्त कर दी गयी है। विविद्यालय के कुलसचिव बीके पाण्डेय का कहना है कि 15 जुलाई को काउंसलिंग कराने के बाद दो अगस्त तक फीस जमा नहीं करने का मतलब साफ है, कि उन्हें दाखिला लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है। उन्हें आवंटित कालेज के हक में 46250 रुपये की फीस जमा करनी थी। इन सभी छात्रों ने फीस नहीं जमा की है, तो उनके प्रवेश निरस्त किये गये हैं। इनका सीट कन्फर्म कराने से कोई मतलब नहीं है। इन लोगों को अब काउंसलिंग खत्म होने के बाद पूल बनाने वाली सूची में शामिल किया जाए, इसका भी अंतिम निर्णय शासन से निर्देश लेकर कुलपति के स्तर पर किया जाएगा। दाखिला निरस्त होने वालों में कई रसूखदार लोगों के आश्रित भी शामिल हैं(राष्ट्रीय सहारा,लखनऊ,5.8.11)।

एएमयूः सिनेमा-होटल न जाएं तो ही मिलेगा छात्रावास

Posted: 05 Aug 2011 10:31 AM PDT

आधुनिक शिक्षा के केंद्र अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) ने छात्राओं के लिए लक्ष्मण रेखा खींच दी गई है। यहां छात्राओं को इस शर्त पर छात्रावास आवंटित किए जा रहे हैं कि वे सिनेमा हॉल, रेस्टोरेंट, होटल व शहर के प्रमुख बाजार सेंटर प्वाइंट पर नहीं जाएंगी। ऐसा छात्राओं को अनुशासन में रखने के नाम पर किया जा रहा है। एएमयू में छात्राओं के लिए पांच हॉस्टल हैं। इनमें जगह पाने को 16 शर्त रखी गई हैं। आठवें नंबर की शर्त छात्राओं के पैरों में सबसे बड़ी बेड़ी है। इसी शर्त में कुछ जगहों पर जाने की मनाही है। ये शर्त बरसों पुरानी जरूर हैं पर सख्ती से अमल इस बार ही किया जा रहा है। इस पर छात्राओं को आपत्ति हैं, लेकिन वे खुलकर सामने नहीं आ रहीं। एएमयू के डीन स्टूडेंट वेलफेयर प्रो ऐनुल हक खान ने कहा कि हां, यह नियम है ताकि अनुशासन बना रहे। सिर्फ रविवार को छात्राओं को शहर में अपने रिश्तेदारों के यहां जाने की छूट होगी। उस दिन भी शाम पांच बजे तक लौटना जरूरी होगा। अब्दुल्लाह हॉल के प्रोवोस्ट डॉ. निखत ताज अहमद ने कहा कि कोई नई शर्त लागू नहीं की गई। जो पहले से हैं उनके जरिये अनुशासन बनाने की कोशिश की जा रही है। छात्राओं को छूट नहीं दी जा सकती। छात्राओं का कहना है कि जरूरी काम से ही छात्राएं बाहर निकलती हैं। अगर सेंटर प्वाइंट जाने पर रोक लगेगी तो जरूरत का सामान कहां से खरीदेंगे(दैनिक जागरण,अलीगढ़,5.8.11)।

आईआईटी कानपुर की सलाहः शुरू से न दें अभी लैपटॉप

Posted: 05 Aug 2011 07:30 AM PDT

आईआईटी के छात्र-छात्राओं को मानसिक तनाव से बचाने के लिये संस्थान ने उन्हें देर रात तक इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करने और पहले वर्ष के छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को अपने बच्चों को शुरू से ही लैपटॉप न देने की सलाह दी है।
इसके अतिरिक्त छात्र छात्राओं की समय-समय पर काउंसलिंग करने की बात भी की जा रही है। पिछले सालों में आईआईटी कानपुर में कई विद्यार्थियों के आत्महत्या करने की घटनाओं को देखते हुए संस्थान के प्रशासन ने इस बार नया सत्र शुरू होते ही अत्यन्त सावधानी बरतनी शुरू कर दी है।
उनकी पहली प्राथमिकता है कि छात्र-छात्राओं को मानसिक तनाव से कैसे बचाया जाये। इसके लिये प्रशासन ने अनेक उपायों पर विचार करना शुरू कर दिया है, जिसमें से एक उपाय यह भी है कि छात्र छात्रायें देर रात तक इंटरनेट का इस्तेमाल न करें। इसके अतिरिक्त छात्र-छात्रायें पूरी नींद ले ताकि वह बिना किसी तनाव के सुबह कालेज जा सकें।
आईआईटी के रजिस्ट्रार संजीव कशालकर ने कहा कि चूंकि पूरा आईआईटी परिसर वाई फाई इंटरनेट सुविधा से लैस है, इसलिये अक्सर देखने में आया है कि हास्टलों में रात भर छात्र अपने अपने लैपटॉप से चिपके रहते है। सुबह जब वह क्लास में आते हैं या परीक्षा देने जाते हैं तो वह पूरी तरह तरोताजा नही होते हैं। जिससे उनका मन न तो पढ़ाई में लगता है और न ही परीक्षा में। इसके बाद वे धीरे-धीरे मानसिक तनाव का शिकार हो जाते हैं।

रजिस्ट्रार ने कहा कि आईआईटी में चूंकि पांच हजार छात्र-छात्रायें पढ़ते हैं, इसलिये आईआईटी प्रशासन द्वारा यह तो किया नहीं जा सकता है कि वह रात बारह बजे के बाद एक एक छात्र के कमरे में जायें और इस बात की जांच करे कि कौन छात्र सोया है या नहीं। इसलिये आईआईटी प्रशासन ने छात्र-छात्राओं को यह निर्देश दिया है कि वह देर रात तक इंटरनेट का इस्तेमाल न करें और वे कम से कम छह घंटे रात को आराम करें। उसके बाद सुबह तरोताजा होकर कक्षाओं या परीक्षाओं में जायें।
में आते है तो वह अपने मां बाप से लैपटॉप खरीद कर देने को कहते है। इसलिये इस बार प्रशासन ने छात्र-छात्राओं के मां बाप को भी सलाह दी है कि वह प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं को कम से कम अभी लैपटॉप खरीद कर न दें। क्योंकि अभी उन्हें लैपटॉप की कोई खास जरूरत नहीं है।
जहां तक इन्टरनेट पर काम करने का सवाल है तो संस्थान में कंप्यूटर सेंटर है जहां वे जाकर कंप्यूटर और इन्टरनेट पर काम कर सकते है। इसके अलावा लाइब्रेरी और सभी विभागों में भी इन्टरनेट और वाई फाई सिस्टम उपलब्ध है छात्र छात्रायें वहां जाकर काम कर सकते हैं। आईआईटी के सूत्र बताते है कि बहुत से छात्र सुबह चार बजे तक अपने लैपटाप पर इंटरनेट से चिपके रहते है और उसके बाद मात्र दो से तीन घंटे की नींद लेकर बिना कक्षाओं में या परीक्षा देने पहुंच जाते है।
रजिस्ट्रार कहते है कि छात्र-छात्राओं के लिये काउंसलिंग की व्यवस्था भी संस्थान में की गयी है ताकि अगर उन्हें कोई समस्या हो तो वह आकर उस बारे में बातचीत करें। उनके लिये योग केन्द्र, खेलकूद का मैदान और अन्य मंनोरजन के साधन भी हैं जहां जाकर वे अपना मन बहला सकते हैं और कमरे से निकलकर खेल कूद से दिलोदिमाग ताजा कर सकते हैं(लाईव हिंदुस्तान डॉटकॉम,5.8.11)।

आईपी यूनिवर्सिटीःस्टूडेंट्स के सर्टिफिकेट की हो रही जांच

Posted: 05 Aug 2011 06:30 AM PDT

दिल्ली और आईपी यूनिवर्सिटी में फर्जी सर्टिफिकेट्स के जरिए एडमिशन लेने का मामला प्रकाश में आने के बाद ग्रेटर नोएडा एरिया के कॉलेज भी सावधानी बरत रहे हैं। कॉलेज मैनेजमेंट बारीकी से सर्टिफिकेट्स की जांच कर रहे हैं। कॉलेजों का कहना है कि इस तरह का अगर कोई मामला सामने आता है तो आरोपी स्टूडेंट का एडमिशन कैंसल कर उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाएगी।


इन दिनों कॉलेजों में एडमिशन को लेकर मारामारी मची हुई है। कॉलेजों में सीटों से अधिक फॉर्म जमा हुए है। दादरी के कॉलेजों में यहीं हाल है। यूपी बोर्ड का इस बार अच्छा रिजल्ट आने के बाद एडमिशन काफी टफ हो गया है। इंटरमीडिएट में इस बार जिले से 3 हजार से अधिक स्टूडेंट्स ने फर्स्ट डिविजन हासिल की है। 
दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज में दिल्ली के साथ एनसीआर के स्टूडेंट्स ने भी फॉर्म जमा किए हैं। प्रिंसिपल डॉ. भरत सिंह यादव ने बताया कि फर्जी सर्टिफिकेट के मामलों को देखते हुए एहतियात बरती जा रही है। सभी स्टूडेंट्स के ओरिजनल सर्टिफिकेट्स की जांच की जा रही है। अगर कोई मामला प्रकाश में आता है तो स्टूडेंट्स का एडमिशन कैंसल कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.8.11)।

भोजपुरी भाषा को आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग

Posted: 05 Aug 2011 10:39 AM PDT

भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए बृहस्पतिवार को जंतर-मंतर पर पूर्वाचल एकता मंच ने धरना-प्रदर्शन किया। धरने की अध्यक्षता मंच के अध्यक्ष शिवाजी राव ने की। उन्होंने कहा कि इस मानसून सत्र में भोजपुरी भाषा को संविधान आठवीं अनुसूची में जगह नहीं दी तो वे वे देशव्यापी आंदोलन करेंगे। इस मौके पर कांग्रेस सांसद महाबल मिश्रा ने कहा कि केंद्र सरकार भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में लाने के लिए गंभीर है और वह हर साल में सरकार से ऐसा करवाएंगे। इस अवसर पर भोजपुरी भाषा, साहित्य एवं सांस्कृतिक केंद्र इग्नू के निदेशक प्रो. शत्रुघ्न कुमार ने कहा कि वे दुनिया की सभी भाषओं का सम्मान करते है। सभी भाषाएं महत्वपूर्ण एवं मीठी है। भोजपुरी भी उनमें से एक है। इस भाषा को अब तक आठवीं अनुसूची में शामिल न करके सरकार ने देश का अपमान किया है। मंच के संयोजक चंद्रशेखर राय ने कहा कि संसद को इस बारे में विचार करना होगा। भोजपुरी हमारी मात्र भाषा है। संतोष पटेल ने कहा कि अगर सरकार ने इसे आठवीं सूची में स्थान नहीं दिया तो वे चक्का जाम कर देशव्यापी आंदोलन के लिए तैयार हैं। धरना स्थल पर हजारों की संख्या में भोजपुरी बोलने वाले विभिन्न राज्यों से लोग एकत्र हुए जिन्होंने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की(दैनिक जागरण,दिल्ली,5.8.11)।

राष्ट्रीय सहारा की रिपोर्टः
भोजपुरी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने को लेकर पूर्वाचलवासीयों ने बृहस्पतिवार को जंतर-मंतर पर प्रदर्शन किया। इस मौके पर सांसद महावल मिश्रा ने कहा की उनकी सरकार भोजपुरी को आठवीं अनुसूची में शामिल करने के लिए कृत संकल्प है। पूर्वाचल एकता मंच के अध्यक्ष शिवजी सिंह ने कहा कि भोजपुरी समाज अगले लोकसभा और विधान सभा में उसी पार्टी को वोट देगा, जो भोजपुरी को अनुसूची में शामिल किये जाने का आासन देगी। मंच के संयोजक चंद्रशेखर राय ने कहा कि भोजपुरी हमारी मातृ भाषा है और जिस तरह हम अपनी माँ का सम्मान करते है, उसी प्रकार केंद्र सरकार को भी भोजपुरी भाषा-भाषियों का सम्मान करते हुए इसको तत्काल अष्टम अनुसूची में शामिल करना चाहिए।

बिहारःशिक्षक पात्रता परीक्षा कार्यक्रम माह के अंत तक

Posted: 05 Aug 2011 05:36 AM PDT

राज्य के माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक विद्यालयों में शिक्षक नियोजन के लिए सरकार ने अगस्त माह के अंतिम सप्ताह में पात्रता परीक्षा कार्यक्रम को घोषित करने का फैसला किया है। बृहस्पतिवार को जिला शिक्षा पदाधिकारियों की बैठक में यह तय किया गया। मानव संसाधन विकास विभाग के संयुक्त निदेशक और प्रवक्ता रामशरणागत सिंह ने इसकी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि बैठक में विभाग के प्रधान सचिव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इसकी तैयारी पूरी करने का निर्देश दिया है। उन्होंने बताया कि 28 अगस्त के बाद तिथि तय कर दी जायेगी। बैठक में प्रारंभिक शिक्षक पात्रता परीक्षा के लिए जमा हो रहे आवेदन की भी समीक्षा की गयी। समीक्षा के क्रम में राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद के निदेशक हसन वारिस ने बताया कि राज्य भर में अब तक 18 लाख आवेदन जमा हो चुके हैं। आवेदन जमा करने की तिथि छह अगस्त तक निर्धारित है। तय यह हुआ कि आवेदन जमा होने के बाद तिथि तय की जायेगी। माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक परीक्षा की जिम्मेवारी भी राज्य शिक्षा शोध एवं प्रशिक्षण परिषद और बिहार विद्यालय परीक्षा समिति को ही सौंपा जायेगा(राष्ट्रीय सहारा,पटना,5.8.11)।

नोएडाःकोचिंग सेंटर में है सुविधाओं की कमी

Posted: 05 Aug 2011 05:35 AM PDT

सिविल सर्विस की तैयारी के लिए सेक्टर-39 स्थित पीजी कॉलेज में कोचिंग सेंटर की शुरुआत की गई है, लेकिन सुविधाओं के अभाव में स्टूडेंट्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। किताबें और कंप्यूटर सहित अन्य सुविधाओं की कमी होने की वजह से छात्र तैयारी तो कर रहे हैं, लेकिन कॉम्पिटिशन की टफ फाइट के लिए खुद को रेडी नहीं कर पा रहे हैं। इससे स्टूडेंट्स का समय खराब हो रहा है। इस बारे में स्टूडेंट से बातचीत के अंश पेश कर रही है प्रवेश सिंह :

नहीं मिली किताबें

कोचिंग सेंटर का फायदा तो तब मिलेगा जब उन्हें किताबें उपलब्ध हों। किताबें ही नहीं होंगी तो तैयारी कैसे करेंगे। हालांकि यहां पढ़ाने वाली फैकल्टी काफी अच्छी है। वे अपने नोट्स के आधार पर पढ़ा रहे हैं, लेकिन बिना किताबों के छात्र कब तक पढ़ाई करेंगे। - अंकित

इंटरनेट कनेक्शन नहीं


सेंटर में कंप्यूटर और इंटरनेट कनेक्शन का होना बहुत जरूरी है। इंटरनेट के जरिए किसी भी कन्फ्यूजन को तुरंत दूर किया जा सकता है। इसके अलावा दूसरे किसी भी टॉपिक पर लेटेस्ट जानकारी ली जा सकती है। क्लास रूम में कंप्यूटर तो है, लेकिन इंटरनेट नहीं है। - रोहित 

फैकल्टी की कमी 

यहां पर फैकल्टी की अभी भी कमी बनी हुई है। कम से कम दो फैकल्टी और बढ़ने चाहिएं। अभी कोचिंग शुरू तो हो गई है, जिसका छात्र फायदा भी ले रहे हैं। अगर कुछ कमियां और अव्यवस्थाएं दूर हो जाएं तो छात्रों की सारी परेशानियां ही खत्म हो जाएंगी। - विपिन नागर 

पावर बैकअप नहीं 

क्लास रूम में पावर बैकअप की सुविधा नहीं है। पढ़ाई के दौरान लाइट चली जाती है तो क्लास रूम में बैठना मुश्किल हो जाता है। न तो पढ़ाई हो पाती है और उस पर से गर्मी के कारण हालत खराब हो जाती है। इसके अलावा कोचिंग सेंटर में पीने के पानी की भी व्यवस्था नहीं है। - नितिन (नवभारत टाइम्स,ग्रेटर नोएडा,5.8.11) 

डीयूःMMH कॉलेज में PG जिऑलजी की लिस्ट जारी

Posted: 05 Aug 2011 05:32 AM PDT

एमएमएच कॉलेज में एमएससी जिऑलजी की पहली कट ऑफ लिस्ट बुधवार को जारी कर दी गई। कॉलेज के प्रिंसिपल का कहना है कि करीब-करीब हर सब्जेक्ट की कट ऑफ लिस्ट जारी कर दी गई है। स्टूडेंट्स सभी औपचारिकता पूरी करके एडमिशन ले सकते हैं।

एमएमएच कॉलेज में अब एडमिशन लेने की गति तेज होती जा रही है। कॉलेज के पिंसिपल डॉ. के.एन. अरोड़ा ने बताया कि एमएससी कोर्स के सभी सब्जेक्ट की कट ऑफ लिस्ट जारी कर दी गई है। अभी तक केवल एक ही सब्जेक्ट जिऑलजी रह रहा था उसकी भी मेरिट लिस्ट बुधवार को घोषित कर दी गई। जिऑलजी में जनरल कैटिगरी के लिए कट ऑफ 68.8 पर्सेंट रही है। ओबीसी कैटिगरी में 63.7 प्रतिशत और एससी/एसटी कैटिगरी में 60.33 प्रतिशत है।


उन्होंने बताया कि इस लिस्ट के निकलने के बाद स्टूडेंट्स को चाहिए कि वह जल्द से जल्द बैंक ड्रॉफ्ट बनवाकर एडमिशन करा लें, क्योंकि बीए, बीएससी, बीकॉम व एमए के एडमिशन 6 अगस्त तक ही होंगे। इसके बाद सीटें बचने पर ही सेकंड लिस्ट निकाली जाएगी। 

एमएससी में फिजिक्स, बॉटनी, ज्योलॉजी और केमिस्ट्री के एडमिशन 8 व 9 अगस्त को ही किए जाएंगे, लिहाजा स्टूडेंट्स इससे पहले तक सभी डॉक्युमेंट्स को कंप्लीट करके रखें। उन्होंने बताया कि कोशिश रहेगी कि र्फस्ट लिस्ट के तहत एडमिशन के बाद ही क्लासेज को शुरू कर दिया जाए(नवभारत टाइम्स,दिल्ली,5.8.11)।

ग्रेटर नोएडाःसभी सरकारी कॉलेजों में सीटें हुई फुल

Posted: 05 Aug 2011 05:28 AM PDT

स्टूडेंट्स की संख्या को देखते हुए सभी सरकारी कॉलेजों में सीटें कम पड़ रही है। इससे कई स्टूडेंट्स के सामने मोटी फीस देकर निजी कॉलेजों में एडमिशन लेने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। वहीं, सीटें बढ़ाने की मांग को लेकर छात्र संघ ने आंदोलन करने के चेतावनी दी है। कॉलेजों के प्रिंसिपल भी सीसीएस यूनिवसिर्टी के वीसी से लगातार सीटें बढ़ाने की मांग कर रहे हैं। कॉलेज मैनेजमेंट और स्टूडेंट्स का मानना है कि अगर ईवनिंग क्लास शुरू कर दी जाएं तो दिक्कतें खत्म हो सकती हैं।

दादरी के मिहिर भोज पीजी कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. भरत सिंह यादव ने बताया कि हर साल स्टूडेंट्स सीटें बढ़ाने की मांग को लेकर आंदोलन करते हैं। इससे सेशन लेट होता है। यूनिवर्सिटी को ऐसा विकल्प तैयार करना चाहिए, जिससे स्टूडेंट्स को एडमिशन में दिक्कत न हो। अगर सरकार ईवनिंग क्लासों को बहाल कर दे तो कोई दिक्कत नहीं होगी।

इस बार कट ऑफ लिस्ट में फर्स्ट डिविजन वाले स्टूडेंट्स को ही मौका मिला है। इस वजह से हजारों स्टूडेंट्स के सामने एडमिशन को लेकर दिक्कतें खड़ी हो गई हैं। 2006 के बाद सरकार की तरफ से कोई फैकल्टी भी कॉलेजों को नही दी गई है, जिसके चलते अतिरिक्त सेक्शन भी नहीं लगाया जा सकता। अगर सरकार ईवनिंग क्लासों से रोक हटा देती है तो स्टूडेंट्स की परेशानी खत्म हो जाएगी और उन्हें आसानी से एडमिशन मिल जाएगा। 


छात्र संघ नेता सुमित बैसोया ने बताया कि पहली कटऑफ ने स्टूडेंट्स का मूड ऑफ कर दिया है। कॉलेज में सीटंे बढ़वाने की मांग को लेकर आंदोलन किया जाएगा। ईवनिंग क्लास को बहाल कराने की मांग भी की जाएगी। उन्होंने आरोप लगाया कि निजी कॉलेजों को बढ़ावा देने के लिए ईवनिंग क्लासेज खत्म कर दी गई हैं। 

यह है मामला 

गौरतलब है कि यूपी में 1998 से ईवनिंग कलास को खत्म कर दिया गया है। इसकी जगह कॉलेजों में अतिरिक्त सेक्शन बढ़ाने की व्यवस्था की गई थी। एसपी सरकार के सत्ता में आने पर ईवनिंग क्लास को बहाल कर दिया गया था। इससे कम पसेर्टेंज वाले स्टूडेंट्स को राहत मिली, सभी को आसानी से एडमिशन मिल जाता था। 

फैकल्टी और सुविधाओं की कमी को देखते हुए 2006 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अतिरिक्त सेक्शन बढ़ाने पर रोक लगा दी थी। उधर 2007 में बीएसपी की सरकार ने सत्ता में आते ही ईवनिंग क्लास पर रोक लगा दी। इससे दिक्कत खड़ी हो गई। इसके स्थान पर सरकार ने 25 पर्सेंट सीट बढ़ाने की व्यवस्था की थी(नवभारत टाइम्स,5.8.11)।

छात्राओं को डीयू का गिफ्ट

Posted: 05 Aug 2011 05:27 AM PDT

दिल्ली यूनिवर्सिटी अपने अंडरग्रैजुएट स्टूडेंट्स के लिए नए हॉस्टल का तोहफा लेकर आ रही है। अभी डीयू के सिर्फ 13 कॉलेजों में ही स्टूडेंट्स को हॉस्टल फैसिलिटी मिलती है। यूनिवर्सिटी का यह पहला हॉस्टल होगा, जिसमें ग्रैजुएशन करने वाली गर्ल्स स्टूडेंट्स रह सकेंगी।

नॉर्थ कैंपस के पास ढका में गर्ल्स के लिए 1500 सीटों वाला हॉस्टल तैयार किया गया है। सितंबर-अक्टूबर से यह हॉस्टल शुरू हो जाएगा। स्टूडेंट्स को यूनिवर्सिटी मेट्रो स्टेशन तक ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी भी मुहैया करवाई जाएगी। इस प्रोजेक्ट के लिए यूनिवर्सिटी को केंद सरकार से भी काफी मदद मिली है।

डेढ़ हजार स्टूडेंट्स को मिलेगा फायदा

हॉस्टल के इस प्रोजेक्ट को देख रहे डीयू के प्रॉक्टर प्रो. एच. पी. सिंह ने बताया कि ढका में गर्ल्स के लिए दो हॉस्टल बनाए गए हैं। एक हॉस्टल में 400 रूम हैं और हर रूम डबल सीटेड है। इस हॉस्टल में 800 स्टूडेंट्स रह सकेंगी। इस हॉस्टल में नॉर्थ ईस्ट और एसटी कैटिगरी की गर्ल्स स्टूडेंट्स को भी जगह मिलेगी। पोस्ट ग्रैजुएशन व ग्रैजुएशन कर रही स्टूडेंट्स को यहां सीट अलॉट की जाएगी। वहीं दूसरे हॉस्टल में केवल अंडरग्रैजुएट कर रहे स्टूडेंट्स को सीट अलॉट होगी।

इसमें 350 कमरे हैं और 700 स्टूडेंट्स के रहने की व्यवस्था होगी। इन हॉस्टलों में 47 कॉलेजों के स्टूडेंट्स को सीटें अलॉट होंगी। इन सभी कॉलेजों का कोटा निर्धारित कर दिया गया है। प्रो. सिंह ने बताया कि एक कॉलेज से करीब 15 गर्ल्स स्टूडेंट्स को सीट मिलेगी। उन्होंने बताया कि डीयू में गर्ल्स स्टूडेंट्स की संख्या काफी अधिक है और बाहर से आने वाली स्टूडेंट्स को आवास की समस्या होती है। इन हॉस्टलों के शुरू होने से स्टूडेंट्स को काफी फायदा होगा।


शानदार फैसिलिटी होगी हॉस्टल में 

हॉस्टल के हर रूम में दो बेड हैं और दो अलमारी भी हैं। छोटे-छोटे जिम भी बनाए गए हैं। स्टूडेंट्स को वॉशिंग मशीन भी दी जाएगी। जिम के अलावा योगा रूम भी बनाया गया है। कॉमन रूम भी होगा। मॉडर्न लुक वाला फर्नीचर मंगाया जा रहा है। कैंटीन की फैसिलिटी भी होगी। 

अलग-अलग राज्यों के स्टूडेंट्स हॉस्टल में होंगी और इससे उन्हें एक दूसरे के कल्चर के बारे में जानने का मौका भी मिलेगा। यह एक तरह से मिनी इंडिया होगा। स्टूडेंट्स को पढ़ाई में भी काफी फायदा होगा और अलग-अलग कॉलेजों में दिए जाने वाले नोट्स का फायदा भी उन्हें मिलेगा। 

ट्रांसपोर्ट फैसिलिटी 

स्टूडेंट्स यूनिवर्सिटी की बस में मेट्रो स्टेशन तक जा सकेंगे। इन बसों की कई ट्रिप होंगी। ऐसा रूट बनाया जाएगा, जिसमें स्टूडेंट्स को हॉस्टल तक आने-जाने में कोई परेशानी नहीं होगी। सुबह, दोपहर और शाम को बस की ट्रिप होगी। दिल्ली में अब काफी कॉलेज मेट्रो से कनेक्ट हो गए हैं और स्टूडेंट्स को अपने कॉलेज तक जाने में परेशानी नहीं होगी। 

15 अगस्त के बाद एडमिशन प्रोसेस 

हॉस्टल एडमिशन का प्रोसेस 15 अगस्त के बाद शुरू होगा। हॉस्टल एडमिशन का प्रोस्पेक्टस तैयार किया जा रहा है। यूनिवर्सिटी प्रोस्पेक्टस की बिक्री के लिए कई सेंटर बनाएगी, जहां से स्टूडेंट्स फॉर्म ले सकेंगे और अप्लाई कर सकेंगे। सितंबर में एडमिशन की लिस्ट जारी हो सकती है। कॉलेज को स्टूडेंट्स की लिस्ट यूनिवर्सिटी को भेजनी होगी और उसके बाद यूनिवर्सिटी सीट अलॉट करेगी। 

स्टूडेंट्स की टेंशन कम होगी 

डीयू के एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर स्टूडेंट्स को हॉस्टल की फैसिलिटी मिले तो कॉलेज की टेंशन कम होगी। अभी कैंपस के ही कॉलेजों में हॉस्टल की सुविधा है और बाहर से आने वाले स्टूडेंट्स इन्हीं कॉलेजों में एडमिशन लेना चाहते हैं। लेकिन ढका में नए हॉस्टल शुरू हो रहे हैं और यह नई शुरुआत होगी। 

अगर कुछ और हॉस्टल बना दिए जाएं तो फिर स्टूडेंट्स की परेशानी खत्म हो जाएगी। इस समय स्टूडेंट्स के लिए आवास की सबसे बड़ी समस्या है। प्राइवेट हॉस्टल में रहना काफी खर्चीला है(भूपेंद्र,नवभारत टाइम्स,दिल्ली,4.8.11)।

बिहारःराज्यकर्मियों को मकान के लिए मिलेंगे 30 लाख

Posted: 05 Aug 2011 05:23 AM PDT

वैसे राज्यकर्मी, जिनका अपना मकान बनाने का सपना अब तक पूरी नहीं हो सका है उनके लिए खुशखबरी। उन्हें मकान बनाने के लिए अब सस्ती ब्याज दर पर 30 लाख रुपये तक के ऋण मिलेंगे। बृहस्पतिवार को सचिवालय के संवाद सभा भवन में इस योजना को लेकर राज्य सरकार और सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया के बीच करार हुआ। सेन्ट्रल बैंक द्वारा राज्यकर्मियों को गृह निर्माण के लिए जो ऋण दिया जायेगा वह वेस रेट पर है और यह सबसे कम ब्याज दर पर सुलभ होगा। बैंक ने इस योजना के तहत 39 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत किये हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए बैंकों से अपील की कि कल्याणकारी योजनाओं में वे पूरी तरह से सहयोग करें, तभी भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाना संभव हो सकेगा। उन्होंने कहा कि सेन्ट्रल बैंक ऑफ इंडिया ने गृह निर्माण के लिए राज्यकर्मियों को ऋण देने की जो व्यवस्था की है, वह काफी सराहनीय है। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा गृह निर्माण के लिए राज्यकर्मियों को अब तक साढ़े सात लाख रुपये तक के ही ऋण सुलभ कराने की योजना है, जो इस महंगाई के दौर में पर्याप्त नहीं है, लेकिन नई योजना के तहत राज्यकर्मी गृह निर्माण के लिए 30 लाख रुपये तक का ऋण बैंक से ले सकेंगे और उनके तनख्वाह से हर महीने बराबर किस्तों में राशि कटेगी। उन्होंने कहा कि बैंकों के माध्यम से सरकार ने कई कल्याणकारी योजनाओं को लागू करने का प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि बिचौलियों पर अंकुश लगाने के लिए बैंकों के सहयोग से हम ऐसी व्यवस्था चाहते हैं, जिससे सहायता राशि सीधे लाभार्थियों के खाते में जाये। मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार बैंकों के माध्यम से पोशाक और साइकिल योजनाओं का लाभ छात्र-छात्राओं को देना चाहती थी, किन्तु इन योजनाओं के कार्यान्वयन में बैंकों का उत्साहपूर्ण सहयोग नहीं मिला। इसी कारण लाभार्थियों को सीधे नगद राशि देने की व्यवस्था की गयी। उन्होंने कहा कि ऐसा इंतजाम हो जिससे छात्रवृत्ति की राशि भी सीधे बैंक खाते में जमा हो और छात्र एटीएम से अपनी छात्रवृत्ति की राशि निकाल सकें। मुख्यमंत्री ने अन्य बैंकों से भी विकास की अन्य दूसरी योजनाओं के कार्यान्वयन में सहयोग करने की अपील की। उन्होंने कहा कि असंगठित क्षेत्र के लोगों को भी बैंक सहयोग दे। किसान, बुनकर, गरीबी रेखा के नीचे के लोगों का भी अपना घर बने। इसके लिए बैंक सोंचे और योजना बनाये। सरकार भी इसमें सहयोग करेगी(राष्ट्रीय सहारा,पटना,5.8.11)।

12वीं से ही खुलेंगे व्यावसायिक व उच्च शिक्षा के विकल्प

Posted: 05 Aug 2011 04:06 AM PDT

शिक्षा को अधिक पेशेवर एवं कार्यकुशल बनाने के लिए छात्रों को 12वीं कक्षा से ही दो हिस्सों में बांटने का प्रस्ताव है। इंजीनियरिंग व अन्य व्यावसायिक शिक्षा और उच्च शिक्षा जैसे दो अलग-अलग विकल्प उपलब्ध्‍ा होंगे।

मानव संसाधन विकास मंत्री कपिल सिब्बल ने राज्यसभा में बताया कि छात्रों को 12वीं कक्षा में दो विकल्प उपलब्ध कराए जाएंगे। जो छात्र इंजीनियरिंग और दूसरे व्यवसायों में जाना चाहते हैं, वे 12वीं "व्यावसायिक" में पढ़ाई करेंगे। इसके अलावा उच्च शिक्षा प्राप्त करने के इच्छुक अन्य छात्रों को 12वीं "अध्ययन" की पढ़ाई में डाला जाएगा। उन्होंने कहा कि इस तरह 12वीं कक्षा से ही छात्रों की मजबूत जमीन तैयार हो जाएगी।


सिब्बल ने बताया कि सरकार उद्योगों से ही इन छात्रों के लिए पाठक्रम तैयार कराने की इच्छुक है ताकि काम की जरूरतों के अनुरूप छात्र तैयार किए जा सकें। सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इंजीनियरिंग स्नातकों के नौकरी पाने की दर संतोषजनक नहीं है। सिब्बल ने कहा कि 12वीं कक्षा को व्यावसायिक और अध्ययन की श्रेणियों में बांटने का काम इसी साल हो सकता है, अन्यथा अगले साल तो यह व्यवस्था पक्के तौर पर लागू कर दी जाएगी(लाइव हिंदुस्तान डॉटकॉम,5.8.11)।

यूपीःचिकित्सा प्रतिपूर्ति की बाधा समाप्त

Posted: 05 Aug 2011 02:06 AM PDT

सरकारी कर्मचारियों को चिकित्सा प्रतिपूर्ति प्राप्ति में वर्ष 2009 के शासनादेश के कारण आ रही बाधा का निराकरण करते हुए गुरुवार को नया शासनादेश जारी किया है। आठ मई 2009 के शासनादेश के कारण लाखों सरकारी कर्मचारियों को इलाज में हुए खर्च की प्रतिपूर्ति में मुश्किलें आ रही थी। इसकी आड़ में सीएमओ चिकित्सा बिलों को बिना परीक्षण किए वापस कर रहे थे। इसको लेकर कर्मचारियों में भारी आक्रोश था। सचिवालय संघ अध्यक्ष यादवेंद्र मिश्र, उपाध्यक्ष मुदस्सिर हुसैन, ओंकार नाथ तिवारी और सहसचिव गोपीकृष्ण श्रीवास्तव के नेतृत्व में कर्मचारी सरकार पर लगातार दबाव बनाकर चिकित्सा प्रतिपूर्ति बाधा समाप्त करने की मांग कर रहे थे। गुरुवार को प्रमुख सचिव स्वास्थ्य एवं चिकित्सा संजय अग्रवाल ने नया शासनादेश जारी कर 8 मई 2009 का शासनादेश निरस्त किया। नए आदेश में सेवारत व सेवानिवृत्त सरकारी सेवकों और आश्रित परिजनों के चिकित्सा उपचार व प्रतिपूर्ति के पूर्व आदेश प्रभावी रहेंगे। तय व्यवस्था के अनुसार ही चिकित्सा उपचार पर व्यय की प्रतिपूर्ति की जाएगी(दैनिक जागरण,लखनऊ,5.8.11)।

छत्तीसगढ़ःमेडिकल काउंसिलिंग में हंगामा

Posted: 05 Aug 2011 02:03 AM PDT

प्री मेडिकल टेस्ट के बाद इस साल एमबीबीएस में प्रवेश के लिए हो रही काउंसिलिंग की प्रक्रिया भी विवादों में उलझ गई। बखेड़ा नए नियम को लेकर है, जिसमें एमबीबीएस के लिए वेटिंग लिस्ट की व्यवस्था को ही खत्म कर दिया गया है। गुरुवार को एमबीबीएस की लगभग सीटें भरने के बाद बाकी बचे परीक्षार्थियों से कहा गया है कि शुक्रवार को होने वाली काउंसिलिंग से पहले वे डेंटल में प्रवेश लेने का शपथ-पत्र दें। इसके साथ यह शर्त भी जोड़ दी गई कि भविष्य में सीट खाली होने पर वेटिंग लिस्ट में शामिल छात्र को अगर एमबीबीएस में प्रवेश का मौका मिलता है, तो डेंटल कॉलेज छोड़ने की एवज में उसका दो लाख रुपए का बांड जब्त कर लिया जाएगा।

साफ है कि एमबीबीएस की सीट के लिए दो लाख रुपए की चपत पालक को लगेगी।नए प्रावधान को लेकर छात्र-छात्राओं और पालकों ने जमकर हंगामा किया। इसके चलते काउंसिलिंग कई घंटे अटकी रही। परेशान चिकित्सा शिक्षा संचालक डॉ. सुबीर मुखर्जी को काउंसिलिंग को बीच में ही छोड़कर स्वास्थ्य मंत्री और सचिव से चर्चा के लिए मंत्रालय जाना पड़ा। राज्य शासन ने इस नियम को लेकर उनसे रिपोर्ट ली है।इस पर फैसला शुक्रवार या शनिवार को होगा।


बदले नियमों से बिफरे अभिभावकों ने आरोप लगाया है कि राज्य में आखिरी बार काउंसिलिंग होने की वजह से सीटों के आवंटन को लेकर जमकर खेल हो रहा है। आज पहले दिन कड़ी सुरक्षा के बीच एमबीबीएस सीटों के लिए काउंसिलिंग शुरू हुई। मेडिकल कॉलेजों में सीटों के आवंटन के लिए छात्रों के फॉर्मो की स्क्रूटिनी सुबह 9 बजे से शुरू हुई। दस्तावेजों की जांच के बाद दोपहर 12 बजे से जैसे ही सीटों का आवंटन शुरू हुआ, हंगामा शुरू हो गया। दरअसल इस साल चिकित्सा शिक्षा संचालनालय ने दूसरे चरण की काउंसिलिंग में उन्हीं उम्मीदवारों को शामिल करने का फैसला लिया है, जिन्होंने वैकल्पिक सीट का चयन किया है। सीट आवंटन के साथ ही छात्रों से शपथ पत्र भी भरवाया गया कि लिए गए संस्था को छोड़ने पर उनका दो लाख रुपए का बांड जब्त कर दिया जाएगा। छात्रों ने इस नए नियम का पुरजोर विरोध शुरू कर दिया। 

उम्मीदवारों ने खुद को एमबीबीएस वेटिंग लिस्ट में डालने की मांग की। इस पर अधिकारियों ने कहा कि डेंटल सीट का अलाटमेंट नहीं करवाने पर वे काउंसिलिंग से बाहर हो जाएंगे। काउंसिलिंग हॉल में माहौल गरमाता देख अधिकारी रायपुर मेडिकल कॉलेज के डीन कार्यालय पहुंच गए। एक घंटे से भी ज्यादा की माथापच्ची के बाद डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी पूरी स्थिति की जानकारी देने दोपहर एक बजे मंत्रालय रवाना हो गए। दोपहर लगभग 3 बजे वापस लौटने पर उन्होंने बताया कि राज्य सरकार ने इस संबंध में प्रस्ताव मांगा है, जिसे संचालनालय की ओर से दे दिया गया है।

रो पड़े उम्मीदवार : बिलासपुर से पहुंची उम्मीदवार अजरा खान का मेरिट क्रमांक 139 था, उन्हें बिलासपुर मेडिकल कॉलेज में एमबीबीएस की सीट मिलने की उम्मीद थी। अधिकारियों ने दो टूक कहा कि जगदलपुर में एक ही एमबीबीएस की सीट खाली है इसलिए लेना है तो इसे ही लो, नहीं तो बाहर हो जाओ। अधिकारियों के इस रवैये से अजरा वही रो पड़ी। उनके साथ आई उनकी मां साजिदा खान भी अधिकारियों के इस बर्ताव पर अपने आंखों से आंसू रोक नहीं पाईं।

डेंटल पढ़ रहे छात्रों से कहा-फिर पढ़ो डेंटल: डेंटल कॉलेज में बीडीएस द्वितीय वर्ष की छात्रा शीतल यादव ने बताया कि मेरिट लिस्ट में उनका क्रमांक 145 है। सामान्य वर्ग में 141 में एमबीबीएस की काउंसिलिंग खत्म हो गई। उन्होंने एमबीबीएस की प्रतीक्षा में जगह मांगी तो उन्हें नए नियम के तहत बीडीएस की सीट लेने को कहा गया। 

शीतल ने बताया कि वे पहले से ही डेंटल की छात्रा हैं, ऐसे में फिर से कैसे बीडीएस की पढ़ाई कर सकती हैं। कुछ ऐसा ही मामला रायपुर डेंटल कॉलेज के छात्र प्रशांत मिश्रा का भी था। उनका मेरिट क्रमांक 152 है। उन्होंने भी वेटिंग लिस्ट मांगी तो दूसरे दौर की काउंसिलिंग में शामिल होने के लिए डेंटल की सीट लेने को कहा गया। ऐसे एक-दो नहीं एक दर्जन से ज्यादा मामले काउंसिलिंग के दौरान दिखाई दिए। अधिकारियों ने यह भी साफ कर दिया कि बीडीएस की सीट छोड़ने पर दो लाख रुपए की पेनाल्टी भी भरनी होगी।

डॉ. राज और एनएसयूआई ने किया हस्तक्षेप
काउंसिलिंग में नए नियम से परेशान होकर ओबीसी वर्ग के एक दर्जन से ज्यादा उम्मीदवार अपनी शिकायतों को लेकर छत्तीसगढ़ हज कमेटी के चेयरमैन डॉ. सलीम राज के पास पहुंच गए। उन्होंने अभिभावकों के साथ डीएमई डॉ. सुबीर मुखर्जी से मुलाकात कर नियम में संशोधन की मांग की। इस दौरान दोपहर 12 से 1 बजे तक काउंसिलिंग बंद रही। छात्रों के बढ़ते हंगामे की वजह से देर शाम एनएसयूआई के प्रदेशाध्यक्ष संजीव शुक्ला पदाधिकारियों के साथ मेडिकल कॉलेज पहुंच गए। उन्होंने राज्य सरकार और डीएमई के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी की। छात्रों के उग्र होने से पहले ही वहां बड़ी संख्या में पुलिस पहुंच गई।

आरक्षित वर्ग की सीटों में बड़ा खेल
छात्रों के साथ पहुंचे अभिभावकों ने काउंसिलिंग अधिकारियों पर आरोप लगाया कि आरक्षित वर्ग की सीटों पर बड़ा खेल किया जा रहा है। सामान्य वर्ग की सीटों को भी आरक्षित वर्ग वाले उम्मीदवारों को आवंटित कर दी गई। यही वजह है कि एसटी, एससी और ओबीसी की मेरिट लिस्ट 75 के पहले ही खत्म हो गई। फ्रीडम फाइटर और विकलांग कोटे की सीटों के लिए उम्मीदवारों के मेरिट क्रमांक 2 से आगे बढ़ी ही नहीं। इस वजह से पीछे के सभी उम्मीदवारों को निराशा ही हाथ लगी(दैनिक भास्कर,रायपुर,5.8.11)।

डीयूःआस्ट्रेलिया जाने के लिए आवेदन आमंत्रित

Posted: 05 Aug 2011 02:01 AM PDT

दिल्ली विश्वविद्यालय ने अक्तूबर माह में ग्लोबल सिटीजन प्रोग्राम के तहत आस्ट्रेलिया जाने के लिए छात्रों से आवेदन मांगे हैं। इस योजना के तहत स्नातक कोर्स के दूसरे और तीसरे वर्ष के छात्र १६ अगस्त तक कॉलेज प्रशासन के पास फार्म जमा करा सकते हैं। इसके बाद १० छात्रों को चयनित किया जाएगा।

आस्ट्रेलिया इंडिया इंस्टीट्यूट मेलबर्न के तत्वाधान में छात्रों का यह टूर १ से ९ अक्तूबर तक वहां जाएगा। कार्यक्रम में छात्रों को २१वीं शताब्दी की विविध चुनौतियों से रूबरू कराया जाएगा। विदेश जाने वाले छात्रों की वीजा फीस, मेडिकल इंश्यूरेंस और रहने खाने का खर्चा दिल्ली विश्वविद्यालय उठाएगी। प्रतिभावान छात्रों का चयन दो चरणों में पूरा किया जाएगा। पहला राउंड कॉलेज में होगा। दूसरा और आखिरी राउंड विश्वविद्यालय में संपन्न होगा। यहीं से १० छात्रों की लिस्ट बनाई जाएगी। इच्छुक छात्र विश्वविद्यालय की वेबसाइट से इससे संबंधित आवेदन फार्म डाउन लोड कर सकते हैं। फार्म भरने की आखिरी तिथि १६ अगस्त है(नई दुनिया,दिल्ली,5.8.11)।

उत्तराखंडःसरकार नहीं चाहती मुफ्त शिक्षा

Posted: 05 Aug 2011 02:00 AM PDT

सरकार की लेटलतीफी कहीं अपने पड़ोस के नामी स्कूलों में पढ़ने का सपना पाले कमजोर वर्ग के हजारों बच्चों के सपनों पर ग्रहण न लगा दे। मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार (आरटीई) कानून की नियमावली की मंजूरी में देरी प्रदेश पर भारी पड़ रही है। नियमावली को मंजूरी न मिलने से केंद्रीय मानव संसाधन मंत्रालय ने आरटीई के क्रियान्वयन के लिए जारी होने वाली धनराशि देने से मना कर दिया है। अगर कैबिनेट में यह नियमावली मंजूर हो जाती तो केंद्र प्रदेश को स्कूल यूनिफार्म और परिवहन भाड़े के लिए कम से कम 33 से 35 करोड़ रुपये की मदद मुहैया कराता। शासन के सूत्रों के मुताबिक आरटीई नियमावली अब तक वित्त समिति के पास ही अटकी हुई है। कैबिनेट से मंजूरी से पहले उसपर वहां से सहमति बननी जरूरी है। हालांकि कानून लागू हो गया है लेकिन नियमावली पिछले एक साल से कैबिनेट की मंजूरी के इंतजार में है। इसके बाद वह विधानसभा से भी पारित होगी। आरटीई की धारा 12 सी के तहत प्रदेश में गैरसहायता प्राप्त स्कूलों में भी कमजोर वगरे के बच्चों को सबसे छोटी कक्षामें 25 फीसदी सीटों पर आरक्षण दिया जाना है। कक्षा एक से आठ तक के इन बच्चों की स्कूल फीस यूनिफार्म और स्कूल आने जाने का खर्च सरकार को ही उठाना है। इसी के साथ ज्यादा दूरी वाले स्कूलों में बच्चों के आने जाने के लिए उनके साथ एक देखभाल करने वाले को भी धन दिया जाना है। सूत्रों की मानें तो इस तरह यह खर्च 35 करोड़ रुपये का आंकड़ा भी लांघ सकता है। बता दें कि इसी एक अप्रैल से प्रदेश में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा कानून लागू किया गया है। इसके बाद नियमावली को कैबिनेट से मंजूरी मिलनी थी लेकिन नियमावली वित्त विभाग में ही फंसी होने से नियमावली कैबिनेट में अब तक विचार के लिए आ ही नहीं सकी। देरी की वजह से आरटीई के तहत पब्लिक स्कूलों में प्रवेश में बाधा आ रही है क्योंकि ये सभी स्कूल 25 फीसद छात्रों की फीस तत्काल चाहते हैं और जब तक केंद्र से पैसा नहीं आता तब तक फीस का भुगतान संभव नहीं लगता। वैसे भी प्रदेश के ज्यादातर नामी स्कूल शिक्षा विभाग की कमजोर वर्ग के बच्चों को प्रवेश दिलाने की कोशिशों को पलीता लगाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ रहे। ऐसे में नियमावली के बगैर प्रदेश में मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा का अधिकार कानून कैसे लागू होगा यह यक्ष प्रश्न ही बना हुआ है। बहरहाल कुछ हो न हो लेकिन इतना तो है कि नियमावली को लेकर हो रही लेटलतीफी के कारण अपने पड़ोस के नामी स्कूल में प्रवेश लेने का सपना पाले कमजोर वर्ग के बच्चों के सपनों पर ग्रहण तो लग ही गया है(राष्ट्रीय सहारा,देहरादून,5.8.11)।

हिमाचलःहमीरपुर एनआईटी में रैगिंग, 3 गिरफ्तार

Posted: 05 Aug 2011 01:57 AM PDT

राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एनआईटी) हमीरपुर में पुलिस ने रैगिंग के आरोप में तीन स्टूडेंट्स को गिरफ्तार कर लिया गया है। मामला 29 जुलाई की रात का है, लेकिन संस्थान ने इस मामले की एफआईआर बुधवार शाम को करवाई। यह एफआईआर संस्थान के रजिस्ट्रार एके सिंघा ने करवाई है।

आरोपी हमीरपुर के बड़ियाणा गांव का अंकुश कुमार, कुल्लू के अविनाश चौधरी के अलावा चंबा जिला का अभिनव ठाकुर शामिल है। अविनाश और अंकुश को गिरफ्तार कर लिया गया है। उधर संस्थान ने तीनों स्टूडेंट्स को हॉस्टल से निकाल दिया है।

कैसे आए शिकंजे में: एफआईआर दर्ज होने के बाद तीनों भागने की फिराक में थे। गिरफ्तार किए गए दो स्टूडेंट्स के फोन नंबर पर पुलिस ने खुद को उनका दोस्त बताकर जानकारी जुटाई। पुलिस को पता चला कि तीनों हीरा नगर में स्थित एक क्लब में हैं। एसपी कुलदीप शर्मा खुद नगर परिषद के वाहन से मौके पर पहुंचे और उन्हें गिरफ्तार किया।


एसपी कुलदीप शर्मा ने बताया कि तीसरे आरोपी अभिनव ठाकुर को भी गिरफ्तार कर लिया गया है। इसे टांडा के पास पुलिस ने पार्टी ने देर शाम गिरफ्तार किया है। उसे हमीरपुर लाया जा रहा है। वह वहां अपने किसी करीबी के घर छिपने की तैयारी में था। पुलिस को इसकी जानकारी मिली थी और उसने उसका पीछा किया। तीनों के खिलाफ एंटी रैगिंग एक्ट के तहत मामला दर्ज कर छानबीन शुरू कर दी गई है। अविनाश और अंकुश इलेक्ट्रिकल जबकि अभिनव आईटी का स्टूडेंट है।

सजा का प्रावधान 

एंटी रैगिंग एक्ट के तहत सुप्रीम कोर्ट की नई गाइड लाइंस पर वर्ष 2009 में इसमें संशोधन किया गया था और अब जो स्टूडेंट्स रैगिंग में दोषी पाए जाएं, उनके खिलाफ सजा के तौर पर तीन साल की सजा या 50000 रुपए जुर्माना या फिर यह दोनों सजाएं एक साथ हो सकती हैं। रैगिंग के मामले में गिरफ्तारी होने के बाद स्टूडेंट्स को जमानत मिलना आसान नहीं है। 

पुराने मामले 

टांडा मेडिकल कॉलेज में 8 मार्च, 2009 को अमन काचरू की हत्या के आरोप में रैगिंग का मामला बना था। इसमें चार लोगों अजय वर्मा, अभिनव वर्मा, नवीन और मुकुल शर्मा को 11 नवंबर, 2010 को फास्ट ट्रैक कोर्ट धर्मशाला ने 4 साल की सजा और 10-10 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी। जबकि टांडा की इस रैगिंग की घटना के बाद 2009 में ही आयुर्वेदिक कॉलेज पपरोला में भी रैगिंग का मामला सामने आया था। उसके बाद एनआईटी हमीरपुर में रैगिंग का यह तीसरा मामला दर्ज हुआ है। जिसमें तीन स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया गया है। 

- सोलन के लॉरेंस स्कूल सनावर में 2009 में रैगिंग का मामला देश भर में चर्चा में रहा था। उस समय स्कूल में एक प्रतियोगिता में हूटिंग को लेकर सीनियर और जूनियर छात्रों में विवाद हो गया था। बाद में सीनियर छात्रों ने रात को जूनियर छात्रों की पिटाई कर दी थी। छात्रों को चोटें आई थीं। घायल छात्रों के अभिभावकों ने यह मामला मीडिया में उठाया था। बाद में स्कूल प्रबंधन ने मारपीट में शामिल सीनियर छात्रों को निलंबित कर दिया था। हालांकि स्कूल प्रबंधन इस मामले को रैगिंग न मानते हुए छात्रों के बीच मारपीट बताता रहा। 

कमेटी की रिपोर्ट तैयार होने तक कुछ समय लगा और जब कमेटी ने रैगिंग के इस मामले को पुख्ता किया, तभी बुधवार को एफआईआर दर्ज करवाने के लिए स्थानीय पुलिस स्टेशन को लिखा गया। तीनों स्टूडेंट्स फेल हैं। संस्थान में रैगिंग का यह पहला मामला है। -ए.के. सिंघा, रजिस्ट्रार, एनआईटी

..वो 29 जुलाई की आधी रात

नशे की हालत में घुसे जूनियर्स के कमरे में 29 जुलाई की रात को करीब 11 बजे ये तीनों स्टूडेंट्स प्रथम वर्ष के स्टूडेंट्स के हॉस्टल में जब घुसे। जिन स्टूडेंट्स के इन्होंने दरवाजे खुलवाए उनमें 8 स्टूडेंट्स ने आरोप लगाया है कि उनके साथ बदतमीजी की गई है। सिक्योरिटी गार्ड के मना करने पर तीनों बेकाबू हो गए। 

इसके बाद में इनकी शिकायत एंटी रैगिंग कमेटी को की गई। कमेटी ने इनके खिलाफ संबंधित 8 स्टूडेंट्स से लिखित शिकायत ली। इसके अलावा गार्ड के बयान भी दर्ज किए गए, लेकिन इस दौरान यह मामला पुलिस तक नहीं पहुंचा। बुधवार को रजिस्ट्रार ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में तीन स्टूडेंट्स के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई। 

पुलिस ने देर शाम से ही इन स्टूडेंट्स की खोज शुरू कर दी थी। यह तीनों स्टूडेंट्स हमीरपुर में ही थे और कॉलेज ऑथोरिटी को अपने अभिभावकों के जो फोन नंबर दिए थे, वह भी गलत थे। पुलिस ने भी इनके अभिभावकों के फोन नंबरों पर कॉल किए, लेकिन यह गलत नंबर थे। वीरवार दोपहर करीब 12:00 बजे दो स्टूडेंट्स को गांधी चौक के पास स्थित एक एटीएम के बाहर उस समय गिरफ्तार किया, जब यह पैसे निकलवा कर भागने की फिराक में थे(दैनिक भास्कर,हमीरपुर,5.8.11)।

राजस्थानःजीएनएम में 7525 सीटों पर होंगे प्रवेश, 177 सीटें बढ़ीं

Posted: 05 Aug 2011 01:54 AM PDT

राज्य के नर्सिग संस्थानों में जीएनएम (जनरल नर्सिग एवं मिडवाइफरी) पाठ्यक्रम के लिए 177 सीटों की बढ़ोतरी हुई है। इस बार 7525 सीटों पर प्रवेश होंगे। इनमें निजी संस्थानों में 3380 सीटों पर सरकारी कोटे से काउंसलिंग के माध्यम से दाखिले होंगे। काउंसलिंग कार्यक्रम इस माह के अंत तक घोषित होने की संभावना है। फिलहाल प्रशिक्षण पाठ्यक्रम की वरीयता सूची जारी करते हुए आपत्तियां मांगी हैं।

चिकित्सा एवं स्वास्थ्य निदेशालय की ओर से होने वाली काउंसलिंग के माध्यम से प्रदेशभर के 147 निजी संस्थानों और 12 राजकीय संस्थानों में प्रवेश होंगे। राजकीय संस्थानों की 720 सीटों पर प्रवेश होंगे। नर्सिग फेडरेशन कोटे से भरी जाने वाली सीटों की संख्या 3370 है। निजी संस्थानों में राजकीय कोटे से पिछली बार 3203 सीटों पर प्रवेश हुए थे। फेडरेशन की ओर से भरी जाने वाली सीटों पर भी नियत समय में प्रवेश प्रक्रिया पूरी करने के निर्देश दिए गए हैं। पिछली बार मैनेजमेंट कोटे की सीटों पर आधा शिक्षा सत्र गुजरने तक प्रवेश हुए थे और निदेशालय की ओर से बार-बार चेतावनी दिए जाने के बावजूद रिक्त और भरी सीटों का ब्यौरा संस्थानों ने समय पर मुहैया नहीं कराया था(दैनिक भास्कर,जयपुर,5.8.11)।

दिल्लीःहिन्दू कॉलेज में रैगिंग की शिकायत

Posted: 05 Aug 2011 01:50 AM PDT

हिन्दू कॉलेज में दूसरे वर्ष के एक छात्र ने अपने वरिष्ठ छात्र पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उसने इसे रैगिंग की संज्ञा देते हुए प्राचार्य से शिकायत करते हुए कार्रवाई की मांग की है। प्राचार्य ने इस मामले को एंटी रैगिंग कमेटी को जांच के लिए भेजा है।

शिकायत करने वाला छात्र अनुराग कुमार बीएससी फिजिकल साइंस में द्वितीय वर्ष में है। उसका आरोप है कि बुधवार को कॉलेज के ऑडिटोरियम में एक राहुल नाम के छात्र जो यहां पढ़ाई पूरी कर चुका है ने उसके साथ बदसलूकी की। कई वरिष्ठ छात्रों के सामने गाली गलौज की। उसके डर से उसे वहां से भागना पड़ा। उधर कॉलेज में एंटी रैगिंग कमेटी की ओर से शुक्रवार को इसकी जांच के लिए बैठक बुलाई गई है। कमेटी की अध्यक्ष पूनम सेठी हैं। इसे रैगिंग माना जाए या नहीं इस पर विचार किया जाएगा। रैगिंग से जुड़े लोगों का कहना है कि इसे उस कैटेगरी में शामिल किया जा सकता है। छात्र अगर हाल ही में पास किया है तो उसका सर्टिफिकेट रोकने और मुकदमा दर्ज कराने जैसी कार्रवाई की जा सकती है(नई दुनिया,दिल्ली,5.8.11)।
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