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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, December 29, 2013

मनाते रहो जश्न,लेकिन मौत का जश्न है यह

मनाते रहो जश्न,लेकिन मौत का जश्न है यह

पलाश विश्वास

आज का स‌ंवाद


मनाते रहो जश्न,लेकिन मौत का जश्न है यह

​If I were the Prime Minister of India, I'll give Licensed Pistols to all 300 Million Untouchable People in India.

https://m.facebook.com/IndependentNationFor300MillionIndiasUntouchable


दुसाध जी,कितना लिख स‌कते हैं हम आखिर ,हमारे लोग तो कड़ाके की स‌र्दी में लिहाफ के अंदर है।खुले आसमान के नीचे जो स‌रदी स‌े भूख स‌े मर रहे हैं,उनकी परवाह करें कौन।ये लोग गर्मियों में भी शीत ताप नियंत्रित हैं। जब तक हमारे लोग मूक रहेंगे,हालात हरगिज नहीं बदलेंगे और मौत का हर स‌ामान मौजूद हैं।हमारे लोग खुदकशी के अपार विशेषज्ञता हासिल कर चुके हैं।जितने किसानों ने खुदकशी कर ली,बदलाव के लिए उन्होंने जान कुर्बान की होती तो हालात बदल जाते।सपरिवार जहर खाकर लोग स‌मस्याएं स‌ुलझा लेंगे लेकिन स‌ंवाद की दस्तक पर कनपटी में स‌ंगीत बांधे स‌ोते रहेंगे।क्या करें इस कमबख्त बहुसंख्य मृत्युमुखी मृत्यु उपत्यका के विकलांग नागरिकों का।


मित्रों,हमारे युवा मित्र जिनसे जाति विमर्श के मुद्दे पर हमारी गंभीर मतभेद हैं। हम बहुसंख्य भारत को संबोधित करने की उनकी अकादमिक जुगत का ही प्रतिवाद कर रहे थे,उनकी मेधा या प्रतिबद्धता पर हमें कोई संदेह नहीं था और न है।उनके लिए शायद यह भाववादी मंतव्य कोई मायने नहीं रखता,लेकिन हम जैसे पंचेंद्रियधारी रक्त मांस के वजूद के लिए यह खास मायनेखेज है कि वे हमारी प्रिय कवियत्री कात्यानी के बेटे हैं।वे हमें अपने अचूक तर्कों से परास्त कर दें,इसमें हमें खुशी ही होती है।हम तो चाहते हैं कि हमारे तमाम युवा मित्र अभिनव,आनंद,सत्यनारायण की तरह आगे बढ़े और नयी व्याख्याओं के साथ इस साम्राज्यवादी एकाधिकारवादी जायनवादी धर्मोन्मादी तिलिस्म को तोड़ने का रास्ता तैयार करें,जो हम कर नहीं पा रहे हैं।


बाबासाहेब अंबेडकर या किसी दूसरे महापुरुष ,और तो और गौतम बुद्ध की मूर्तिपूजा के पक्ष में हम यकीनन नहीं हैं।इतिहास का पुनर्मूल्यांकन होना बेहद जरुरी है और यह भाववादी दृष्टि से नहीं,बल्कि वस्तुपरक पैमाने के सामाजिक य़थार्थ के साथ होना अनिवार्य है। विचारधारा और अवधारणाओं के साथ साथ अर्थशास्त्र को भी हम सामाजिक यथार्थ की कसौटी में कस न सकें तो मुक्तिकामी जनता के संघर्ष में हमारा कोई अवदान हो ही नहीं सकता। बाबासाहेब अंबेडकर के समूचे साहित्य को डिजिटल बनाकर अमरत्व देने वाले हमारे परम आदरणीय मित्र आनंद तेलतुंबड़े जी से भी हमारी आमने सामने और फोन पर लंबी बातचीत होती रही है। अब हम देशभर के अनेक अंबेडकर वादी कार्यकर्ताओं और आदिवासी संगठनों,नस्ली भेदभाव के शिकार भौगोलिक अस्पृश्यइकाइयों के साथ सीधे संपर्क में भी हैं।हम सारे लोग इस मुद्दे पर सहमत है कि पहचान की आत्मघाती राजनीति से हम इस देश को जोड़ नहीं सकते। आप की निर्मम आलोचना करते हुए भी हम आप से जुड़ने वाली सामाजिक शक्तियों की बदलाव की प्रबल आकांक्षा को इस देश को बचाने की अंतिम किरण मान रहे हैं।हम उम्मीद कर रहे हैं कि कारपोरेट राज के कायकल्प और धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद के उपभोक्तावादी बाजारु रणनीति के तहत आप का जो उत्थान है ,उसकी सबसे बड़ी सिल्वरलाइनिंग पहचान की राजनीति और अस्मिताओं का किरचों में बिखरना है।जनपक्षधरता के मोर्चे के लिए यह एक मौका भी है कि आत्मगाती गृहयुद्ध से निजात पाकर हम मुक्तिकामी जनता के हित में पूरे देश को एक जुट करके इस मृत्यु उपत्यका में स्वतंत्रता का वसंत बहार कर दें।


आह्वान पर अभिनव सिन्हा के विश्लेषण को अवश्य पढ़ लें।हम आह्वान बिगुल टीम से अपेक्षा रखते हैं कि वह भारतीयजनगण का मानस समझते हुए अपने आक्रामक तेवर को थोड़ा इंटरएक्टिव बनायें और बहुजन मसीहा संप्रदायऔर दूल्हों की तरह एकतरफा प्रवचन से बचें।बाकी उनका सारा काम बेहद प्रासंगिक है।अंबेडकर का जो मूल्यांकन वह कर रहे थे,वह भी जरुरी है।लेकिन उसमें अंबेडकरी पक्ष को भी समझने और उससे संवाद करने की कोशिस होती,तो उनका जाति विमर्श बेहद मायने वाला होता।


इस देश में मुक्तिकामी जनता के जुझारु हीरावल दस्ते के लिए सबसे बड़ी समस्या यही है,जो हम तेलंगना से लेकर ढिमरी ब्लाक और श्रीकाकुलम तक,नक्सलबाडी़ से लेकर णध्यबारत के सलवा जुड़ुम अखंड यातना शिवर में निरंतर देखते रहे हैं कि हीरावल दस्ता जनता से बेहद आगे निकल जाता है और जनता पीछे रह जाती है।माओ ने जनता के बीच काम करने और जनता से सीखने का जो पाठ पढ़ाया था,उसपर किसी ने अबतक कोई अमल किया हो,ऐसा होता तो भारत का यह हाल ही नहीं होता,कम से कम हमें मालूम नहीं है।


हम भी मानते हैं।कम से कम एचएल दुसाध और आनंद तेलतुंबड़े भी मानते हैं कि अंबेडकर की प्रासंगिकता पर भी चर्चा होनी चाहिए।बदले हुए राष्ट्र,समाज,व्यवस्था ,समय में हम विचारधारा को जस का तस अमल में नहीं ला सकते। जाति उन्मूलन का एजंडा अबेडकरी आंदोलन का प्राण है और चूंकि मनुस्मृति व्यवस्था अपने आप में एक मकम्मल अर्तव्यवस्था है और उसी के तहत भारत में वर्चस्ववादी धर्मोन्मादी राष्ट्रीयता और वैश्विक जायनवादी जनसंहारी महाविध्वंस की यह व्यवस्था बनी है,जिसका रोज कायाकल्प हो रहा है, चूंकि भारत में बहुजनों समेत निनानब्वे फीसद जनता अर्थव्यवस्था से बहिष्कार के कारण, संविधान और कानून का राज लागू न होने के कारण नस्ली भेदभाव के तहत वैदिकी हंसा के वध्य हैं,चूंकि मूक जो भारत जनपदों और देहात में है,समूचा कृषि समाज,सारे के सारे उत्पादन संबंध कारपोरेट राज से तहस नहस हैं,जल जंगल जमीन नागरिकता नागरिक अधिकारों और मानवाधिकारों से बेदखली का कारपोरेट अश्वमेध अभियान रंग बिरंगे पुरोहितों के तत्वावधान में निरंकुश जारी है,इसलिए अब भी जाति उन्मूलन का वह एजंडा मूल मंत्र बन सकता है बदलाव का।सर्वहारा के अधिनायकत्व के लिए जीवन मरण की लड़ाई लड़ रहे लोगों को इससे ऐतराज हो सकता है,ऐसा हम समझते नहीं है। भूमि सुधार,संसाधनों और अवसरों के न्यायपूर्ण बंटवारे के न्यूनतम कार्यक्रम के तहत देश जोड़ो अभियान कायदे से चलाया जा सके तो कम से कम आप ने जनसंवाद के जरिये कारपोरेट हित में ही सही सामाजिक शक्तियों की व्यापक गोलबंदी से नमोमय भारत के निर्माण रोककर यह साबित कर दिया है कि मुक्तिकामी भारतीय जनगण के लिए कारपोरेट राज का तख्ता पलटने के उपाय अब  भी हैं।


जाहिर है कि जश्न जो मौत का है,उसका यह समय है ही नहीं।इस देश को बेचने वाले गिरोहबंद पार्टीबद्ध युद्ध अपराधियों के खिलाफ देशभक्त जनात की व्यापक गोलबंदी का वक्त है यह।


सोशल मीडिया के मित्रों से विनम्र एक निवेदन के साथ आज के संवाद की प्रस्तावना है।निवेदन सविनय यह है कि फेसबुक और गुगल प्लस पर मेरे मित्रों की संख्या पांच हजार पार है। नये लोगों को मैं जोड़ नहीं पा रहा हूं।उसके लिए इच्छुक मित्रों से माफी चाहता हूं।संवाद अनिच्छुक मित्र जो हमारे अविराम संवाद प्रयत्नों से तंग व तबाह हैं,जिनकी नींद में हबेवजह खलल पड़ रही हैं और जो अब भी एकतरफा प्रवचन के लाउडस्पीकर हैं और वे भी जो रंग बिरंगी अस्मिताओं में सीमाबद्ध हैं,कृपया वे सारे लोग तुरंत मुझे अनफ्रेंड  कर दें। इससे हमें साफ मालूम हो जायेगा कि हम कितने पानी में हैं और संवाद के इच्छुक कितने लोग हैं।तकनीकी तौर पर नये लोगों के लिए जगह खाली करना भी अनिवार्य है।आप जो लोग संवाद के इच्छुक हैं नहीं और संवाद से आपको तेज बुखार भी है,अपनी और हमारी सेहत को नजर में रखते हुए इस कड़ाके की सर्दी में वे बशौक लिहाफ की गर्मी में निष्मात होने से पहले मुझे तत्काल अनफ्रेंड कर दें,गुगल प्लस,फेसबुक,स्काइपी,ट्विटर,लिंक्डइन सर्वत्र।


खासकर अब मेरी उम्र हो रही है।मैं अपने मित्रों में अपने गांव के सारे लोगों और पहाड़ के सारे लोगों को जोड़ना चाहता हूं।कृपया आप मेरे इस नेक काम में मदद करें।


संवाद के इच्छुक लोग,देश जोड़ो मुहिम में हमारे साथ जो लोग खड़े रहना चाहते हैं,उन सबका स्वागत है।भला हो उन मित्रों का,जिनमें अनेक पुरातन मित्र भी हैं,जिन्होंने मुझे बेसुरा गाते हुए समझकर अपने तबेले से मुझे अलग कर दिया है।उन सबका भी आभार।भविष्य में मुझे तुरंत अनफ्रेंड करने वाले मित्रों को भी धन्यवाद।गौरतलब है कि मैं अपनी ओर से किसी को,गाली गलौज करने वालों को भी अनफ्रेंड नहीं कर रहा हूं।


अपने  ही उत्तराखंड   की दो बेटियों सुधा राजे और सुनीता भास्कर के लेखन को देखकर लगता है कि युवा स्त्रियों के विश्लेषण में कितनी धार है। कल रात भोजन के वक्त टीवी पर बिग बास का फाइनल चल रहा था।एजाज,तनीशा और गौहर मुकाबले में थे।सविता ने पूछा कि कौन जीतेगा।मैं ने कहा कि कोई आइडिया नहीं है लेकिन मीडिया ने तनीशा की हवा बना दी है।वह बोली कि मीडिया ने तो मोदी की भी हवा बना दी है। फिर अपना फैसला सुना दिया कि गौहर जीतेगी। हमने पूछा,क्यों तो उसने कहा कि टीआरपी का गणित है। इंडियन आइडल में ऐसा ही होता रहा है। मुसलमान स्त्री के बिग बास बनने का समीकऱण मीडिया बढ़त को चाट गया। घोषणा होते ही सविता बोली,रात दिन क्या विश्लेषण करते हो।वोट बैंक में ही नहीं,मुक्त बाजार के हर क्षेत्र में अब अस्मिता निर्बर एटीएम चौबीसों घंटे। अब सिर्फ संघियों को दोषी ठहराने से ये हालात बदलेंगे नहीं।


अरविंद केजरीवाल,मनीश स‌िसोदिया,योगेंद्र यादव,राखी बिड़ला और दिल्लीवासियों को देश को नया विकल्प देने और भारत को नमोमय बनाने स‌े रोकने की बधाई।उन स‌बी पुरातन अद्यतन मित्रों स‌ाथियों को शुभकामनाएं जो कुंभ मेले में मची भगदड़ के मध्याप के स‌ाथ खड़े हैं।हम अब भी असहमत हैं।आप भी जिस तरह धर्मोनमादी राष्ट्रवाद की राह पर चल रहा है,इस परिवर्तन स‌े बहुत ज्यादा उम्मीद मुझे है नहीं और आशंकाएं प्रबल है।आसमान स‌े गिरकर खजूर में लटकने की।बहरहाल धर्मनिरपे& खेमे के बजाय नमोमय भारत निर्माण को रोकने का श्रेय आप स‌बको है।आप में स‌बसे परिचित चेहरा हमारे लिए अरविंद जी नहीं,बल्कि योगेंद्र यादव जी को है।वे देश की धड़कनों को बखूब पहचानते हैं और अर्थशास्त्रियों की तरह आंकड़ा विशेषज्ञ भी हैं ।उनको खास बधाई। स‌ोशल मीडिया स‌े लेकर हमारे उत्तराखंड के उमेश तिवारी विश्वास जैसे पुरातन स‌ाथियों के आप के स‌ाथ खड़ा होने की वजह स‌े मुझे शुभकामनाएं देनी ही है।हमारे राजीव दाज्यू भी शायद आपके स‌ाथ हैं।इसीतरह कोलकाता में भी हलचल मची है।हमारे प्रिय मित्र और जायनवाद के अध्ययन के मामले में हमारे मुंबउया गुरु फिरोज मिठीबोरवाला भा ाप में शामिल है।इसलिए इस महासुनामी को नजरअंदाज करने का दुस्साहस हम जैसे मामूली आम ादमी के लिए कर पाना अब बेहद मुश्किल है।लेकिन बधाई तो तब स‌ही मायने में दूंगा जब आप हमारी स‌ारी आशंकाओं को निर्मूल करते हुए इस जनाधार को राष्ट्रव्यापी बनाकर देश बेचनेवालों स‌े देश बचाने की कोई कारगर पहल करें। नागरिक स‌ुविधाओं की बहाली स‌े आम आदमी को राहत जरुर मिलेगी,लेकिन मुक्त बाजार में जलसंहार स‌ंस्कृति स‌े यह देश जो अबाध वधस्थल बन गया है,उसे स‌ही मायने में आजाद करने की चुनौती आपको है।हमने छात्र युवाजनों के बदलाव के प्रति जोश महिलाओं स‌मेत युवाशक्तियों की गोलबंदी की इस राजनीति के स‌कारात्मक पक्ष को बदलाव का स‌कारात्मक स‌ंकेत मानते हुए पहले ही स‌लाम किया है।मित्रों की आस्था का स‌म्मान करते हुए अपनी अनास्था के बावजूद हमारी शुभकामनाएं।मुझे वास्तव में बहुत खुशी होगी अगर आप लोग मुझे और मेरी आशंकाओं को निर्मूल स‌ाबित कर  दें।फिलहाल आप को दूर स‌े ही स‌लाम।




Michael Rajat

2:08am Dec 29

Palas da aapni ki bangali



Mohan Shrotriya

वो खत्म हो जाएगा

जो थकी-हारी आंखों को सपने परोसेगा

और खुद ही उन्हें तोड़ देगा.


ज़्यादा देर नहीं करता है इतिहास

अपना फ़ैसला सुनाने में !

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स‌हमत।

Ashutosh Kumar

बाय द वे ,अगर कांसीराम और प्रचंड जैसे क्रांतिकारी नायकों को कामयाब न होने की इजाजत दी जा सकती है , तो इस 'आम आदमी' केजरीवाल को नाकाम होने की मुहलत क्यों नहीं दी जा सकती ?

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Ashutosh wrote: "मंतव्य पर बहस जरूर हो गी ,होनी चाहिए।लेकिन इतिहास में सब कुछ मंतव्य से ही तय नहीं होता। आप विफल भी हो सकती है , और पतित भी। इन गुंजाइशों के बावजूद भ्रष्टाचार विरोध और सत्ता के विकेंद्रीकरण का अजंडा अप्रासंगिक नहीं होगा। नहीं ? Palash Biswas"



सिद्धार्थ विमल (friends with H L Dusadh Dusadh) also commented on Ashutosh Kumar's status.

सिद्धार्थ wrote: "१. डियर कामरेड, पहली बात क्या आप कांसीराम और प्रचंड को एक ही तराजू पर तौल रहे हैं ? यदि हाँ तो , क्यों और किस आधार पर ? २. क्या आपके लाल प्रचंड और अरविन्द जी ईश्वर अवतार हैं जिनपर आँख मूँद भरोसा महज इसलिए किया जाए कि उन्होंने अब तक दूसरों को बेईमान बता खुद को धरती का सबसे ईमानदार घोषित किया है ? ३. हम क्यों अपनी आँख मूँद आपके इस चमत्कार को स्वीकार लें और अगली दुर्घटना के विश्लेष्ण तक अपनी जुबां बंद रखें ? ४. आप की इस आस्तिकता को हम नास्तिकता का प्रवचन क्यों मान लें ?"


*

Umrao Singh Jatav also commented on Ashutosh Kumar's status.

Umrao Singh wrote: "सहमत १००%. लेकिन बाकी के चार राज्यों में सेठ जी के सामान मुफ्त पानी, 50% घटी दरों पर बिजली, दिल्ली की हर लडकी के लिए एक कमांडो का वायदा भी तो नहीं किया था. क्यों ना मांगें हम अपना जायज़ हक़ सेठ जी से. मैं दिल्ली वासी हूँ . मुझे सबसे पहले यही तीन चीज़ें चाहिए. . सेठ जी का जन लोकपाल जाए भाड़ में. सेठ जी के नारे परिवर्तन जिंदाबाद .... इन्कलाब जिंदाबाद... भ्रष्टाचार मुर्दाबाद की ऐसी की तैसी. पहले हमें मुफ्त पानी, 50% घटी दरों पर बिजली, दिल्ली की हर लडकी के लिए एक कमांडो चाहिए"




Rajendra Singh (friends with जनज्वार डॉटकॉम) also commented on Ashutosh Kumar's status.

Rajendra wrote: "आज के दिन का मनीष सिसोदिया का अनुभव और कुछ तीखे प्रश्न : कल शिक्षा विभाग, राजस्व और शहरी विकास के अधिकारियों को उनके लेखा-जोखा के साथ बुलाया है। विकास के गुब्बारे के पीछे कुछ सवाल हैं, जिनका उत्तर मुझे ढ़ूंढ़ना है, जाहिर है, समाधान भी इन्हीं सवालों से निकलेगा- अगर हम स्कूलों में बच्चों को अच्छी शिक्षा, साफ पानी और साफ-सुथरे शौचालय भी मुहैया नहीं करा सकते तो शिक्षा विभाग की जरूरत ही क्या है? अगर लोग गंदा पानी पीने के लिए मजबूर हैं तो दिल्ली जल बोर्ड या फिर जल संसाधन मंत्रालय के अस्तित्व का क्या मतलब है? अगर हम इस ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने वाले के लिए छत, बीमार के लिए इलाज और हर व्यक्ति को पीने के लिए पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं करा पाते, तो विकास का नारा किसके कानों तक पहुंचा है।"



Mohan Shrotriya

आसान कभी भी नहीं था

मुश्किलों की छाती पर घुटने गड़ा देना

फिर भी मैंने देखा है यह संकल्प

कुछ लोगों की आंखों में !


तब उनकी आंखें दहकती हैं लाल-लाल अंगारों की तरह !


Kiran Deep (friends with Virendra Yadav) also commented on Virendra Yadav'sstatus.

Kiran wrote: "congress and BJP both have gone mad. if u have watched yesterday "Operation Sarkar" on Zee Tv, it is very clear that how desperate these parties of gundas to get the power back"




Rakesh Yadav (friends with H L Dusadh Dusadh) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.

Rakesh wrote: "Sathiyo aaj hamare bahujan samaj ke logo me jagriti ki kami nahi hai lekin neta swatnparasti me pagal hai mere samajh me ager kisi train ka driver pagal ho jaye to kya puri trsin ko uske uper chhod dena chahiye ya use hataker puri train ke yatriyo ko bachana chahiye aap ka ans nishit rup se train ke driver ko hatana hoga to sc obc ke paglaye leadership ko hataker puri kaum ko bachayo"




Dilip Khan

जैक कैलिस की तरह अगर तेंदुल्कर आख़िरी टेस्ट में शतक बना देते तो अपने बूते कांग्रेस उन्हें 'एशिया रत्न' देने का फैसला कर लेती।

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Ashish Sinha

1:10pm Dec 29

Aap ko vote dena matlab congress ko dena.



Upadhyaya Pratibha

8:49am Dec 29

यदि यह प्रयोग देर तक न भी चल पाए तो भी स्थापित भ्रष्ट पार्टी (कांग्रेस) तथा उतनी ही भ्रष्ट एवं फ़ासिस्टी पार्टी (भाजपा) को ठिकाने लगाने का महत्वपूर्ण काम तो कर ही गुज़रेगी.

Original Post


Anand Pandey

2:00pm Dec 29

दिल्ली में आम आदमी पार्टी की सरकार बनते ही पार्टी के साथ अब बड़ी हस्तियां भी जुड़ने लगी हैं। देश के सबसे ईमानदार पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री के पोते आदर्श शास्त्री ने करोड़ों रूपए की नौकरी छोड़कर आप पार्टी का दामन थाम लिया है।




आप से जुड़ने के बाद आदर्श ने कहा कि उन्हें केजरीवाल से प्रेरणा मिली है। वो भी समाज और देश के लिए कुछ करना चाहते हैं। आपको बता दें कि आदर्श के पिता और पूर्व पीएम के बेटे अनिल शास्त्री कांग्रेस से जुड़े हुए हैं। आप से जुड़ने वाले आदर्श मोबाइल बनाने वाली कंपनी एप्पल में काम करते थे। इनका सालाना पैकेज एक करोड़ से भी ज्यादा का था। वो एप्पल के पश्चिमी भारत में सेल्स हेड थे।


जय प्रकाश पाठक (friends with Jagadishwar Chaturvedi) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.

जय wrote: "नमस्कार! बहुजन के लोग एनजीओ चलाते हैं या नहीं."

Jagadishwar Chaturvedi

भारत के मनोरंजन टीवी चैनलों को नचनिया चैनल कहा जाए तो आप नाराज तो नहीं होंगे ?

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News From Bangladesh shared Begum Khaleda Zia's photo.

ক্ষমতা পাবার ৪৫ দিনের মাথায় বিডিআরকে শেষ করে দিয়েছিল শেখ হাসিনা, আর্মির মেধাবী ৫৭ অফিসার সহ। আমাদের ফার্স্ট লাইন অফ ডিফেন্স সেই বিডিআর আজ বিজিবি হয়ে এদেশে র' এর স্ট্রাইকিং ফোর্সের কাজ করছে। ৫ জানুয়ারির পর নতুন সরকার গঠন করলে শেখ হাসিনার নতুন টার্গেট কারা হবে, আর্মি কি তাও বুঝতে পারছে না? এত লক্ষণ, এত আলামত সত্ত্বেও? কোন প্রতিষ্ঠানটিকে নিশ্চিহ্ন করলে এই রাষ্ট্রকে পরিপূর্ণ ভাবে ইন্ডিয়ার আজ্ঞাবহ করা যাবে, তা কি বলে বোঝাতে হবে?

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Sanjay Patel (friends with Neelabh Ashk) also commented on Uday Prakash'sstatus.
Sanjay wrote: "आपके कहे का सूरज उदय होना ही चाहिए वरना अवाम कभी किसी आम आदमी पर यक़ीन न कर सकेगी ।"

Dayakrishna Kandpal (friends with जनज्वार डॉटकॉम) also commented onBhaskar Upreti's status.
Dayakrishna wrote: "Har wah neta jo pahle baar andolan karta h janta biswas karti h"

Rajesh Kumar (friends with H L Dusadh Dusadh) also commented on H L Dusadh Dusadh's status.
Rajesh wrote: "Isme kuch aam janta v doshi ka hakdar hai kyonki ye log paisa se chunaw mei bik jate hai or note for vote jati mjhb par jyada dhyan dete hai is karan kai party bch jati hai."

Devendra Yadav (friends with Priyankar Paliwal) also commented on Virendra Yadav's status.
Devendra wrote: "ये पीड़ित व्यक्ति की हताशा , आत्म कुंठा का परिणाम है। जिसे लोगो द्वारा सिरे से खारिज किया जा रहा है।"आप" ने काफी हद तक चमक फीकी कर दी है।"

Ak Pankaj

जो कंपनियां राज्य में जीवित हैं वे किस तरह विस्थापितों को जिंदा लाश बना रहीं। इन चलते-फिरते, रोते जिंदा लाशों पर खड़े उद्योगों के बंद होने का कितना गहरा सदमा लग रहा है कुछ लोगेां को। इस दोहरी रणनीति को लोगों को समझने की जरूरत है।

Jacinta Kerketta

कुछ लोगों को झारखंड के विकास और यहां के बेरोजगारों की बहुत चिंता सता रही है इन दिनों। नींद उड़ी हुई है कि राज्य में 35 से अधिक स्टील कंपनियां बंद हो चुकी है औरइसके कारण 55 हजार लोग बेरोजगार हैं। सबसे ज्यादा चिंता है कि अभिजीत ग्रुप जैसी कंपनियां ठप्प हो चुकी हैं। गिनाए जा रहे हैं कि इन कंपनियों के चलने से लोगेां को किस-किस तरह के फायदे होते। एमओयू होने के बाद तो ऐसी कोई समस्या नहीं होनी थी पर उम्मीदों पर कैसे पानी फिर रहा,इस पर माथा पच्ची किया जा रहा। ऐसे लोग झारखंड के विकास, स्वशासन और आदिवासी मुद्दों के हिमायती भी दिखते हैं। दूसरी ओर बोकारो में इलेक्ट्रो स्टील के दरवाजे पर विस्थापित और जमीन देने के मामले में ठगे लोग हर दिन धरना प्रदर्शन कर रहे....रैलियां निकाल-निकाल कर मजदूरों के पैर छिल रहे.....लेकिन उनकी आवाज को बड़े फलक तक पहुंचाने वाला कोई नहीं, पूर्वी सिंहभुम में यूरेनियम काॅरपोरेशन आॅफ इंडिया लिमिटेड की सात यूनिट में से सौम्या माइंनिंग लिमिटेड ने विस्थापितों में 350 ग्रामीण मजदूरों को हटा दिया। ऐसे लोग सरकार से गुहार लगा रहे, यहां-वहां मारे-मारे फिर रहे.....। जो कंपनियां राज्य में जीवित हैं वे किस तरह विस्थापितों को जिंदा लाश बना रहीं। इन चलते-फिरते, रोते जिंदा लाशों पर खड़े उद्योगों के बंद होने का कितना गहरा सदमा लग रहा है कुछ लोगेां को। इस दोहरी रणनीति को लोगों को समझने की जरूरत है।

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Himanshu Kumar

कामरेड आग बबूला होकर आराम कुर्सी को जोर जोर से हिला रहे थे . सामने से पड़ोस में रहने वाला युवा फारुक गाना गुनगुनाते हुए निकला . कामरेड ने पूछा कहाँ से लौट रहे हो ? फारूख बोला जी रामलीला मैदान गया था केजरीवाल के शपथ ग्रहण में , वहाँ से रिश्वत न लेने न देने की शपथ लेकर लौट रहा हूँ .


कामरेड के सीने पर सांप लोट गया .


कामरेड चिल्लाये इस आम आदमी पार्टी के चक्कर में मत पड़ना ये साम्प्रदायिक साम्राज्यवादी अर्ध सामंती , अर्ध बुर्जुआ भारतीय और साम्राज्यवादी अमरीकी साजिश है , ये लोग सर्वहारा की नव क्रांति की पदचापों से घबरा गए हैं इसलिए एक षड्यंत्र के तहत इन्होने केजरीवाल को एक अवतार के रूप में मार्केट में उतारा है .


नवयुवक घबरा गया हकलाते हुए बोला, अंकल ये सब तो मुझे पता नहीं लेकिन इतना पता है कि केजरीवाल को मेरे सभी दोस्तों ने वोट दिया था इसलिए वो जीत कर मुख्यमंत्री बना है , मुझे नहीं पता कि इसमें अमरीका का कितना हाथ है ?


कामरेड बोले तुम क्या समझते हो इससे सब कुछ बदल जायेगा ?


युवा बोला जी तो फिर कैसे बदलेगा ?


कामरेड बोले क्रांति से बदलेगा और कैसे बदलेगा

.

युवा ने पूछा और क्रांति अभी तक क्यों नहीं हुई ?


कामरेड बोले क्योंकि जनता अब तक क्रांति के लिए तैयार ही नहीं थी .


युवा बोला कि क्रांति कब होगी ?


कामरेड बोले जब जनता क्रांति के लिए तैयार हो जायेगी .


युवा ने पूछा कि जनता को क्रांति के लिए तैयार कौन करेगा ? आप तो अपनी प्रोफेसरी की डेढ़ लाख सरकारी तन्खाह लेते हैं और दिन रात इसी आराम कुर्सी पर पड़े रहते हैं .


आप न तो कभी झुग्गी झोंपड़ी में जाते हैं न दंगा पीड़ितों के शिविर में गए . आप जनता से बात करने में भी अपनी तौहीन समझते हैं .


कामरेड बोले अबे तुम्हे नहीं पता मार्क्स ने लिखा है क्रान्ति होगी .


युवा बोला अजी सारी धार्मिक किताबों में भी भविष्य में जन्नत और स्वर्ग की बात लिखी हुई है .


बेवकूफ लोग उन पर यकीन कर के हाथ पर हाथ रख कर बैठे रहते हैं , कोई मूर्ख ही होगा जो जनता के बीच में जाए बिना किसी बदलाव के सपने देख रहा है .


नौजवान की बातें सुन कर कामरेड की आँखों के सामने अँधेरा छाने लगा बोले अभी मैं तुमसे बहस नहीं करना चाहता जाओ यहाँ से .


फारूक मस्ती से गीत गाता हुआ चल दिया .

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Palash Biswas हिमांशु जी ,लाल स‌लाम।


Mohan Shrotriya

***दीवार पर जो लिखा हुआ है - मोटे-मोटे अक्षरों में - उसे पढ़ो !***


सामाजिक-राजनीतिक बदलाव के विभिन्न (आंशिक रूप से सफल) पड़ावों के इतिहास को खंगालने से कहीं बेहतर होगा कि वाम शक्तियां मौजूदा यथार्थ के बरक्स गंभीर आत्मालोचन करके अपने कार्यभार तय करें. स्थिति की सही समझ उन्हें‪#‎आप‬ के नैसर्गिक सहयोगी के रूप में प्रस्तुत करने में सहायक होगी. #आप तो यथार्थ बन चुकी है. उसकी उम्र कितनी होगी, यह बहुत सारे कारकों पर निर्भर करेगा. पूंजीवादी व्यवस्था में भ्रष्टाचार को जड़-मूल से उखाड फेंकना संभव नहीं, यह जानते हुए भी ‪#‎सामाजिक‬ ‪#‎जनतंत्र‬ के कार्यभारों को पूरा करने को वरीयता दी जानी चाहिए. वैसे भी, आज की स्थिति में कौनसी वाम शक्ति है जो क्रांति का परचम फहरा रही है, या वैसा कर पाने की वस्तुगत स्थितियां देखती है?


इतिहास बार-बार मौक़े देता भी नहीं है किसी को भी, खुद को दुरुस्त करके सही रास्ता अख्तियार कर लेने के ! चेत सकें तो चेतें, वरना अपने मन में ‪#‎मलूक‬ बने रहें !


कौन रोकता है?

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Nityanand Gayen

२०१० में, पूर्णिमा की रात गाँव के आंगन से खिंची गई चन्द्रमा की तस्वीर

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  • Palash Biswas घनघोर अमावस्या में इस‌ पूर्णिमा की ही प्रतीक्षा है,नित्यानंद भाई।अपनी कलम स‌े ऎसी पूर्णिमा का माहौल रचो तो बात बनें।

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Pradip Roy shared UNICEF's photo.

#4 on our ‪#‎top10‬ list: Malala, after giving an amazing interview to US comedian John Stewart on The Daily Show. Watch it here:http://uni.cf/1eetNLC ‪#‎dayofthegirl‬

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Surendra Grover

3 hours ago near Delhi ·

  • अंदरखाने की खबर है कि कभी भाजपा के थिंक टैंक रहे गोविन्दाचार्य "आप" में शामिल होने और किसी उच्च पद पर आसीन होने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं.. देखिये आगे आगे होता है क्या..!
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    • Himanshu Kumar, Surendra Grover, Pushya Mitra and 31 others like this.

    • Devendra Yadav बिलकुल हो सकता है। ज्यों ज्यों आम चुनाव की बेला निकट आती जा रही है। विभिन्न दलों में भाग मिल्खा भाग जैसा हाल होगा।बहरहाल, "आप" ने विभिन्न दलों के नेताओं ,नौकरशाहों को आमंत्रण देकर एक तरह सिरदर्द भी मोल ले लिया है।इससे कई सवाल भी खड़े हो सकते हैं।

    • 2 hours ago via mobile · Like · 3

    • KaliKant Jha 'आप' तब्दील हो रहा है 'खाप' में...

    • 2 hours ago · Like · 3

    • Ashok Sachan

    • 2 hours ago · Like · 2

    • Ateek Attari ये वही गोविंदाचार्य हैं ना,,,,,, जो उमा भारती पर फ़िदा थे,

    • 2 hours ago · Like · 1

    • Aman Ansari Mahi ye arbind ki sabse badhi galti hogi agar govingcharya ko party me liya kyoki ye jansanghi he aur aane wale chunav me agar arvind ko jitni he ko ye galti na kare kyoki chunav me 4 mahine ka hi waqt he aur agar arvind ne koi aisa kadam udhaya to usko iska khamiyaza bhugtana padhega

    • about an hour ago via mobile · Edited · Like · 1

    • K.l. Rai आदर्श शास्त्री.... के बाद ....गोविन्दाचार्य जी... का *आप* में प्रवेश ..सही मायने मै ..व्वस्था परिवर्तन ..की दिशा में ..शुभ संकेत ही है ...!

    • about an hour ago · Like · 1

    • Palash Biswas कोई अचरज की बात नहीं है।सत्ता वर्ग में फेंस के इधर उधर होने की गौरवशाली परंपरा जो है।

    • 34 minutes ago · Like · 2

    • Ashish Sagar Dixit Sanjay Tiwari

    • जो लोग इस 'आदमी' को एनजीओवादी करार देकर जेपी आंदोलन से इसकी तुलना नहीं करना चाहते, उन्हें शायद मालूम नहीं है कि खुद जेपी बहुत बड़े एनजीओवादी थे. उनकी बनाई दो गैर सरकारी संस्थाएं आज भी अपने अपने स्तर पर संघर्ष और निर्माण का काम कर रही हैं. पीयूसीएल और आवार्ड...

    • 5 minutes ago · Like

    • Palash Biswas हम तो इसे जे पी कीपरंपरा में ही देख रहे हैं।सत्तार की विभ्रांति करीब चालीस स‌ाल बाद ेकबार फिर इतिहास स‌े बेदखल देश में।

    • 2 minutes ago · Like


Ak Pankaj

आज सुबह-सुबह ऑफिस के लिए निकला तो हिंदी के एक पुराने गुरुजी, व्यंग्यकार और साथी के यहां चला गया. करीब 25 वर्ष बाद. संयोग से उनके बेटे से भी मुलाकात हो गई जो अब हॉलैंड में है. मुलाकात बहुत ही आत्मीय रही पर वहां अनायास एक जानकारी हाथ लगी. एक सज्जन जो अब रांची के एक कॉलेज में हिंदी के विभागाध्यक्ष हैं उनकी नई किताब की पांडुलिपि देखने को मिली. विषय झारखंड था. सो उलट-पुलट गया. यूजीसी के प्रोजेक्ट के अंतर्गत लिखी गई तथ्यात्मक गलतियों और पूर्वाग्रहों से भरी किताब थी. 'सज्जन' ने तनिक भी ईमानदारी का परिचय नहीं दिया था.


बौद्धिक लूट की क्रूर बानगी. मन खिन्न हो गया. देश के हिंदी विभाग और उसके कूढ़मगज 'विद्वान' नहीं सुधरने वाले.

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पंकज जी,चलिये, आपको इसका अहसासा तो हुआ।1975 को मैंने जीआईसी नैनीताल स‌े  इंटर की परीक्षा पास की तो भारी स‌मस्या हो गयी।हम अंग्रेजी स‌ाहित्य और हिंदी स‌ाहित्य दोनों पढ़ना चाहते थे।डीएसबी में अंग्रेजी या हिंदी स‌ाहित्य का विकल्प था।अपने गुरुजी की हिदायत थी कि अंग्रेजी के बिना इस देश में कुछ भी स‌ंभव नहीं।तब डीएसबी के स‌ंस्थाध्यक्ष थे विख्यात स‌ाहित्यकार राकेश जी। डीएसबी परिसर में जीआईसी के नीचे वे रहते थे।मैं स‌ीधे उनके घर पहुंच गया और कहा कि हिंदी और अंग्रेजी दोनों पढ़ना चाहता हूं। उन्होंने ध्यान स‌े मेरी बात स‌ुन ली।फिर बोले हिंदी का पाठ्यक्रम स‌ामंती युग का है और हिंदी पढ़ने वाले लोग भी स‌ामंती मानसिकता के कर्मकांडी लोग।कालेज में तुम हिंदी स‌ीख नहीं स‌कते।अपना स‌मय बरबाद करने के बजाय अंग्रेजी पढ़ो।हिंदी में जो पढ़ना चाहते हो अपने हिसाब स‌े पढ़ो कूपमंडूक मास्टरों के गाइडेंस में तुम्हारा स‌त्यानाश हो जायेगा।कमोबेश यही विचार हमारे गुरुजी ताराचंद्र त्रिपाठी का भी था।हिंदी और अंग्रेजी दोनों स‌ाथ लेकर मजे में स्कोर करने की अपनी महत्वाकांक्षी योजना को तभी तिलांजलि दे दी और हिंदी विषय तो क्या हिंदी माध्यम भी छोड़ दिया।हिंदी में लिखना तो नैनीताल स‌माचार और चिपको की वजह स‌े स‌ंभव हुआ।जितना पढ़ा ,वह भी अपने गुरुजी के दिशा निर्देश के मुताबिक।किसी हिंदी विभाग में नहीं।बटरोही जी हमसे शुरु स‌े स्नेह करते रहे लेकिन हिंदी विभाग स‌े चिढ़ की वजह स‌े उनसे उतना स‌ंवाद भी नहीं हुआ जितना रसायन,गणित,भौतिकी या वनस्पति विज्ञान के अध्यापको अध्यपिकाओं स‌े।वह हालत बदली तब,जब डीएसबी में उमाभट्ट और नीरजा टंडन जैसी आत्मीयजनों का आगमन हुआ।लेकिन इन तीनों लोगों के बावजूद आम तौर पर हिंदी परिदृश्य के बारे में जेएनयू के नामवर,मैनेजर केदारनाथ जैसे  त्रिभुज के बावजूद हमारी धारणा बदली नहीं।इलाहाबाद में डा.रघुवंश जी को स‌ाक्षात देख लेने के बाद भी नहीं।डा.रघुवंश और शैलेश मटियानी जी चाहते थे कि हम हिंदी स‌े भी एमए करें और अंग्रेजी में शोध का विचार छोड़ दें।अंग्रेजी में शोद तो पत्रकारिता की घुसपैठ से स‌ंभव नहीं हो स‌का लेकिन डीएस‌बी के अनुभव के चलते हमने हिंदी विभागों में फिर घुसने की हिम्मत नहीं की।


The Economic Times

Arvind Kejriwal: Common man becomes CM; holds cabinet meeting on first day. Is this the change you want to see in Indian politics? Tell us your views http://ow.ly/s7y0s

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Sudha Raje shared Have a Strength and No Sorrows"कही शक्ति तो कही अबला's photo.

अब जरूरी है हर गाँव मुहल्ले कसबे में नगर महानगर और दफतर में जागरूकता और विरोध की

इन लड़कि‍यों के कारनामे कर देंगे हैरान, ये है "रेड ब्रिगेड" लखनऊ. दिल्ली में हुए गैंगरेप को लेकर पूरे देश में गुस्सा है। जगह जगह लोग प्रोटेस्ट मार्च निकाल रहे हैं। लखनऊ भी इसमें शामिल है। लखनऊ में कुछ ऐसी लड़कियां तैयार हुईं है, जि‍न्‍होंने इस तरह की घटना को न होने देने का संकल्प लि‍या है। इन्‍होंने "गुलाबी गैंग" की तर्ज़ पर बनाई है "रेड ब्रिगेड"। गुलाबी गैंग की तरह ही इस ब्रिगेड की लड़कियां लाल रंग के कपड़े पहनती है। यह भी वही काम करती है जो गुलाबी गैंग की महिलाएं करती हैं। इस ब्रिगेड की खास बात यह है कि‍ इस ब्रिगेड में सभी लड़कियां 25 साल से कम उम्र की है। सभी की सभी लड़कियां किसी भी अप्रिय स्थिति में मुक़ाबला करने में सक्षम हैं। इस ब्रिगेड की खास बात यह है कि‍ इसमें अधिकतर लड़कियां ऐसी है जिन पर कभी न कभी ऐसी वारदात हुई है जिन्हे सभ्य समाज में जायज़ नहीं ठहराया जा सकता है। 2010 मे तैयार हुई इस महिला यूथ ब्रिगेड में फिलहाल 20 से ज्यादा लड़कियां सक्रिय रूप से जुड़ी हुई हैं। इस ब्रिगेड की स्थापना ऊषा विश्वकर्मा नाम की एक 25 साल की लड़की ने की है। उषा का कहना है उसके साथ लड़कों ने कई बार छेड़खानी की, गंदी गंदी फब्तियां कसीं। घरवालों से जब शिकायत की, तो उसे लड़की होने का डर दिखा कर चुप करा दिया गया। पुलिस ने भी कोई एक्शन नहीं लिया। बस एक दिन उन्होंने अपनी कुछ सहेलियों को साथ लेकर एक संगठन का निर्माण किया और ऐसे मनचलो की उनके घर जाकर न सिर्फ पिटाई की, बल्कि और भी लड़कियों को अपने संगठन से जोड़ा। इन्होंने अपने संगठन से ऐसी लड़कियों को जोड़ा जो इस तरह की यौन हिंसा का शिकार होती हैं। इनके संगठन में कई लड़कियां ऐसी भी हैं जिनकी उम्र 18 साल से भी कम है, लेकिन ज़ज़्बा ऐसा की बड़े बड़ों की हिम्मत जवाब दे जाए। हर दिन यह रेड ब्रिगेड की महिलाएं घर से बाहर लाल कपड़े पहन कर हाथों में ढपली और झाल लेकर निकलती है और लखनऊ की गली मोहल्ले में जा कर नुक्कड़ नाटक पेश करती है और अपने संगठन के बारे में लोगों को बताती हैं। उषा का कहना है कि‍ उसके इस प्रयास से कई हज़ार महिलाएं उनके संगठन से बाहरी तौर पर जुड़ चुकी हैं। महिलाएं उन्हें अक्सर समस्या बताती हैं और उनका संगठन उन समस्याओं का समाधान करने की कोशि‍श करता है। अगर मुसीबत ऐसी हो जिसमें पुलिस की मदद लेनी पड़े तो पुलि‍स की भी मदद ली जाती है। अभी तक इस ब्रिगेड ने 50 से ज्यादा मामले सुलझाए हैं। इनका मनचलों को समझाने का अपना ही अलग तरीका है। उषा कहती हैं कि‍ वह पहले समझाते हैं, पुलिस में शिकायत करते हैं जब कुछ नहीं होता तो सार्वजनिक रूप से उनकी पिटाई करते हैं। ये केवल किसी एक की कहानी नहीं है बल्कि इस बिग्रेड में शामिल हर लड़की के साथ कभी ना कभी कुछ गलत हुआ है। किसी से स्कूल में लड़कों ने बदतमीजी की तो किसी के पड़ोसी ने ही उसके साथ रेप करने की कोशिश की। कुछ ने इसकी शिकायत पुलिस में की तो कुछ ने तो घर परिवार की इज़्ज़त के डर से कहीं कोई कंप्लेन भी नहीं की। जब ये बिग्रेड बनी तो इसमें तीन लड़कियां थी। अब इनकी संख्या बढ़ गई है। गैंग रेप की बढ़ती घटनाओं पर इन लड़कियों का कहना है कि कड़े कानून ना होने से ऐसा होता है। इस ब्रिगेड को शुरू करने की प्रेरणा इन लड़कियों को संपत पाल के गुलाबी गैंग से मिली है। लड़कियों का कहना है कि‍ आने वाले दिनो में वह अपने इस संगठन को और अधिक मजबूत करने के लिए स्कूल और कॉलेज में जाकर और लड़कियों को अपने साथ जोड़ेंगी।

Like ·  · Share · 7 minutes ago ·

धन्यवाद स‌ुधा।इस बेहद जरुरी आवाहन के लिए जो स‌ंवाद का अनिवार्य हिस्सा भी है। गुलाबी गैंग जिंदाबाद।


Anand Patwardhan and 2 other friends were tagged in a photo.
Shantanu Kamble with Himanshu Kumar and 27 others

एक गाय कुछ घबराई हुयी जंगल से भागो भागो चिल्लाते हुये दौड रहती थी .उसे देख हाथी ने रोक कर पुछा कि "ये गाय ऐसी क्यो भाग रही हो ? क्या हुआ ...गाय हांफते हुये बोली " अरे सरकारने ,सांड (बैल) को पकडने का आदेश निकाला है .हाथी बोला "अरे पगली फिर तु क्यो भाग रही है .तु थोडे ही सांड है .तु तो गाय है . गाय बोली "बराबर पर मै कोई सांड नही मैं गाय हु ये कोर्ट में साबित करते करते 20 साल लग जायेगें ...... हाथी चिल्लाया ..भागो भागो ...----------विद्रोही पत्रकार लेखक सूधीर ढवळे ,कवी गायक सचिन माळी ,नाटककार रमेश गायचोर ,कवी अभिनेता सागर गोरखे , सांस्कृतिक कर्मी तथा जेएनयू के छात्र हेम मिश्रा ये सभी जनकलाकार सरकारी साजिश के तहत आज जेल मैं बंद है कैद है. शोषण अन्याय,जातीवाद ,गैरबराबरी के खिलाफ अपने कला माध्यम से ये सभी आवाज उठा रहे थे . जनपक्ष ले रहे थे .जनहित के लिये लड रहे थे. इन सभी पर सरकार ने माओवादी होनें का आरोप लगाया है ..पर क्या लेख लिखना, गाना गाना या लिखना ,नाटक लिखना या खेलना और आम आदमी का पक्ष लेना माओवादी गतिविधी है ??????????????.अभिव्यक्ती के लिये आवाज बुंलद करे ......जयभिम लाल सलाम

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Bhaskar Upreti

पहले जिंदगी आरएसएस के प्रचार में लगा देने, फिर सरकारी नौकरी छोड़कर अपनी ही पार्टी के दिग्गज के खिलाफ 'बरगद गिराओ' का नारा दे कैंट सीट में ताल ठोक देना ..अचानक बागी हो जाना..धमाका हो जाना..आखिर उस राजेंद्र पंत का क्या हुआ ? कहाँ गया वो स्वाभिमान ?

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Aranya Ranjan

हल तक हमारी कोई पहेली न जायेगी

होली जब तक खून की खेली न जायेगी

की नेता,अफसर, व्यापारी होगें साथ

इस मुल्क से गरीबी अकेली न जायेगी।

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Sudha Raje

मीडिया में आने के बाद ही यह महसूस होता है कि मीडिया घराने भी एक खास ऐजेण्डा लेकर काम करते हैं

1-हिन्दूवाद

-मुसलिमवाद

ईसाईवाद

यहूदीवाद

बहाबीवाद

पंथ मत और समुदायवाद

और

कट्टर धार्मिक प्रकाशन

बनाम

नास्तिकतावाद


3-दलितवाद

4-नारीवाद

5-सेकुलर

6-छद्म सेकुलर

7-कम्युनिज्म


8-मानववाद

9-प्राकृतिक प्राणीमात्र का कल्याण

10-राष्ट्रवाद

11-पूँजीवाद

12-वैज्ञानिक आध्यात्मवाद

13-गैर आरक्षित जातिवाद और आरक्षित जातीयवाद

14-विज्ञानवाद

ये सब किसी नाम या घराने से तब तक नहीं पहचाना जा सकता जब तक कि आप कमसे कम दस अलग अलग अखबार और चैनल को लगातार ग़ौर से निरीक्षित नहीं करते ।


खबरें और घटनायें तो सबके लिये वही होतीं हैं ।


किंतु विश्लेषण और आलोचना समीक्षा और चयनित विषय बदल जाते हैं।



मसलन

:- पूँजीपतियों को सपोर्ट करने वाली मीडिया विचारधारा एक तरफ से लगातार विज्ञापन हमला करती है और उपभोक्तावाद को बढ़ावा देती है ताकि लोग लगातार सुविधाजीवी और भौतिकवादी बनें ।


वहीं

कम्युनिस्टवादी लगातार सरकार और प्रशासन का ही नहीं पुरानी जमी जमायी हर व्यवस्था का विरोध करते और संस्कार छोङकर केवल आर्थिक हित साधन की वकालत धर्म और संस्कृति का विरोध परिवार वाद का विरोध करते नजर आते है ।जबकि इसका उदय आर्थिक न्याय के लिये हुआ था और पराभव तानाशाही में। जो मुक्ति के नाम पर उच्श्रंखलता की तरफ बढ़ता गया और निजी कुछ भी न रहा ।


लगातार कट्टरवादी

दूसरे सब पंथ मत और समुदायों की


बुराईयाँ


केवल


विरोध के लिये करते हैं ।


मसलन


तीन सच्चे दोस्त तीन अलग मजहब से हैं ।


एक खबर आती है

और

उनके परिचित सिद्ध करने लग पङते हैं कि बाकी दूसरे लोग पूरे ही ग़लत हैं ।


यहाँ खबरों का चयन काम करता है ।


फिर भी मुख्य बात है कि सब किसी खास मुहिम का ठप्पा लगने से बचना चाहते हैं ।


और दस खबरों के बीच स्वयं को निष्पक्ष दिखाने के लिये दूसरी खबरें भी बिना हाईलाईट किये लगाते हैं ।


ये वैश्विक स्तर पर भी काम करता है ।


अमेरिका विरोधी और अमेरिकी पक्षधर

और

निर्गुट


पार्टीवाद के रूप में भी मीडिया अस्पष्ट किंतु बँटा हुआ है


भाजपाई

कॉग्रेसी

बसपाई

सपाई

कम्युनिस्ट

और

कॉरपोरेट


काश

किसानों स्त्रियों गरीबों बच्चों और प्रकृति पर


ये बँटवारेवाद हावी ना होकर विकास की बात करते ।


आज जरूरत विश्व और राष्ट्रहित

के बीच सामुदायिक संतुलन की है

जहाँ


अमीर ग़रीब का दुश्मन नहीं रोजगारदाता है


मिलें

मजदूरों की जेल नहीं रोटी कपङा मकान का संसाधन हैं।


दलित केवल वे हैं जिनको

रोटी मकान कपङा रोजी

के

लाले पङे हैं।


पशु पक्षी कीट मानव विज्ञान पदार्थ चेतना विचार श्रम और दर्शन ब्रह्माडण्वीय व्यवस्था के जरूरी अंग है और सबका होना जरूरी है।

©®सुधा राजे

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  • Sudha Raje and 12 others like this.

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  • Omprakash 'Naman' इसका अपवाद भी कहीं है की नहीं...?

  • 4 hours ago · Like · 1

  • मनोज कुमार 'मन' अजी ये किसी वाद के नही। केवल पैसा बोलता है। जहाँ से गाँधीछाप सरकारी कागज प्राप्त हो गया वहीँ आसन मार लेते हैँ। फिर चाहे तथ्य ईश्वर सत्यापित क्योँ न हो, ये ना मानेँ।

  • हाँ अपनी ही बात से गुलाटी भी मार लेते हैँ क्योँकि सँविधान केवल इन्हे ही स्वतँत्रता देता है।

  • 4 hours ago · Like · 1

  • Prateek Abhay In sabhi ''Vaad'' k atirikt ''Mudravaad'' kahi jiyada haavi hai Sudha de....

  • 3 hours ago via mobile · Like · 1

  • Brijendra Dubey satya vachan

  • 2 hours ago · Like

  • Palash Biswas वाह स‌ुधा क्या बता है।संवाद स‌म्मिलित।इतना स‌टीक मैं लिख ही नहीं स‌कता,जो तुमने लिख दिया है।अब बैटन तुम लोगों के हवाले करके हमारे विश्राम का वक्त ाने ही वाला है।

  • a few seconds ago · Like

  • Palash Biswas स‌ंवाद स‌माहित।

  • a few seconds ago · Like


Bhaskar Upreti

कांग्रेस वाले तो दिल्ली में झाड़ू लगने के बाद से ही मंथन में जुट गए थे, अब सुना है भाजपा के शिविरों में भी बेचैनी तेज हो गयी है. पर सवाल ये है कि आम आदमी पार्टी का सांस्कृतिक आचरण इन दो 'महान पार्टियों' के आचरण पर गुणात्मक असर डाल पायेगा ? या ये दोनों छोटे-बड़े भीम इस नए फूल को कुचलने-मसलने और मुरझा देने का ही पौराणिक षड्यंत्र रच रहे होंगे ?

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Amalendu Upadhyaya

शांति भूषण और अडवाणी की जोड़ी पुरानी है जो 'आप' तक कायम है...........नवउदारवाद, सांप्रदायिकता और सामाजिक न्याय-विरोध के घोल से तैयार भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन सबसे पहले और सबसे ज्यादा आरएसएस को फला है...........http://www.hastakshep.com/columnist/%E0%A4%B8%E0%A4%AE%E0%A4%AF-%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A6-columnist/2013/12/28/%E0%A4%B6%E0%A4%BE%E0%A4%82%E0%A4%A4%E0%A4%BF-%E0%A4%AD%E0%A5%82%E0%A4%B7%E0%A4%A3-%E0%A4%94%E0%A4%B0-%E0%A4%85%E0%A4%A1%E0%A4%B5%E0%A4%BE%E0%A4%A3%E0%A5%80-%E0%A4%95%E0%A5%80-%E0%A4%9C%E0%A5%8B

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Bhargava ChandolaYoung Uttarakhand - यंग उत्तराखंड

आम आदमी पार्टी उत्तराखंड से जुड़ने के लिए कृपया Aam Aadmi Party Uttarakhand - AAP के पेज को लाइक करें...

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  • 12 people like this.

  • Pratap Rawat Pura desh jurega.... AAP

  • 3 hours ago via mobile · Like

  • DrPushkar Mohan Naithani अभी कुछ प्रतीक्षा करनी चाहिए

  • 2 hours ago · Like

  • Palash Biswas अब यह मुहिम राष्ट्रव्यापी है।आज कोलकाता में भी आप का दाखिला अभियान चालू आहे।चलिये नमोमयभारत स‌े तो मुक्ति दिला रहे हैं आप। कम स‌े कम इस लिए मोदा रोग के वास्ते एलोपैथी एंटीबायोटिक बतौर आप का तिलिस्म में आम जनता के धघुसने का मातम नहीं मनाना चाहिए।खतरा स‌िर्फ इतना है कि यह तिलिस्म मोदी तिलिस्म के मुकाबले कहीं बहुत ज्यादा अभेद्य है।नये ईश्वर के शरणागत बंधुओं और मित्रों के लिए शुऎभकामनाएं।

  • a few seconds ago · Like



Satya Narayan
'आप' का क्या होगा, जनाबे-आली!
'आप' आज भारतीय पूँजीवाद की ज़रूरत है। लेकिन 'आप' का पूरा राजनीतिक घोषणापत्र, माँगपत्रक और यहाँ तक कि उसका सामाजिक आधार मूलतः योगात्मक (एग्रीगेटिव) है; यानी कि उनमें कोई जैविक एकता नहीं है। 'आप' ने उच्च मध्यवर्गीय प्रतिक्रियावाद के वर्चस्व को निम्न मध्यवर्गीय आदर्शवाद पर स्थापित किया और एक ऐसा माँगपत्रक तैयार किया है जो कि प्रकृति से ही एक योगात्मक समुच्चय है और उसके पीछे कोई एक सुसंगत विचारधारात्मक दृष्टि नहीं है। अगर 'आप' पार्टी इनमें से कुछ मुद्दों और वायदों पर ही अमल शुरू करती है, तो एक ओर 'आप' पार्टी के भीतर ही टूट-फूट और बिखराव की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी, वहीं उसके सामाजिक आधार में भी बिखराव शुरू हो जायेगा। मिसाल के तौर पर, 'आप' ने छोटे मालिकों और व्यापारियों को 'सरकार द्वारा वसूली' और भ्रष्टाचार से छूट दिलाने का वायदा किया है; यही कारण है कि छोटे मालिकों और व्यापारियों के वोट बड़े पैमाने पर 'आप' को मिले। लेकिन साथ ही, 'आप' ने ठेका प्रथा समाप्त करने और दिल्ली के साढ़े तीन लाख ठेका कर्मचारियों को स्थायी करने का वायदा भी किया है। लेकिन इन साढ़े तीन लाख ठेका कर्मचारियों की मेहनत को ही लूटने का काम तो ये छोटे मालिक और ठेकेदार सबसे ज़्यादा करते हैं। ठेका प्रथा का अगर कोई सबसे बड़ा लाभप्राप्तकर्ता है, तो वह छोटा मालिक और ठेकेदार वर्ग है। स्पष्ट है कि ये दोनों वायदे अन्तरविरोधी हैं और इन पर अमल के साथ ही छोटा मालिक वर्ग 'आप' का साथ छोड़कर निरंकुश तरीके से भूमण्डलीकरण, निजीकरण, ठेकाकरण की नीतियों को लागू करने वाली फासीवादी ताक़तों के पक्ष में जा खड़ा होगा।
http://ahwanmag.com/archives/3337
  • 18 minutes ago · Like

  • Satya Narayan Palash Biswasजी ये अभिनव का ही है।

  • 4 minutes ago · Like

  • Satya Narayan पूरा लेख देखिये।

  • 4 minutes ago · Like

  • Palash Biswas अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ स‌कता।अपढ़ बहुसंंख्यजनगण है,जो अवधारमाओं को पकड़ नहीं स‌कते।उन्हें उनके मुहावरों में स‌ंबोधित करना होगा।इस तिलिस्म को तोड़ने के लिए इलीट स‌मूह स‌े कुछ उम्मीद करना बेकार है।इस तिल्सम के मजबूत होते जाने में ही उनका हित,उनका कैरियर,उनका स‌्टेटस स‌बकुछ है।आखिर जमीन पर जो मारे जा रहे हैं, उन्हें ही अपने बचाव के तरीके खोजने होंगे।हमें उनकीआंखें खोलने और उनके मूक आवाज को मुखर बनाने केप्रयास अब करने ही होंगे।

  • a few seconds ago · Like

Navbharat Times Online

रांची की 'विजय संकल्प रैली' में Narendra Modi ने क्या-क्या कहा, पढ़िए यहां...http://navbharattimes.indiatimes.com/state/jharkhand/ranchi/narendra-modi-rally-in-ranchi/articleshow/28087757.cms

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'आप' के उभार के मायने

ahwanmag.com

मुक्तिकामी छात्रों-युवाओं का आह्वान,सितम्‍बर-दिसम्‍बर2013

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Dilip Khan

केजरीवाल के पीछे क्यों पड़े हैं? केजरीवाल ने तो नहीं कहा कि वो साम्यवादी शासन व्यवस्था लाएंगे, केजरीवाल ने तो नहीं कहा कि वो आते ही आरक्षण के रिक्त पदों को फटाफट भरना शुरू कर देंगे, केजरीवाल ने तो नहीं कहा कि मुज़फ़्फ़रनगर और गुजरात पर वो यह स्टैंड रखते हैं। बिजली, पानी और लोकपाल की बात की है, वो करने दीजिए। पहले दिन से ही बोलने लग जाएंगे कि एक दिन हो गया केजरीवाल ने वादा नहीं निभाया तो हम यही समझेंगे कि आपने 'नायक' फिल्म आज-कल में फिर से देख मारी है।

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स‌हमत।

Udit Raj Ex Irs via Surender Kumar

कैसे बनाया अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल को, जानिए पूरी कहानी!

aadhiabadi.com

केजरीवाल की प्राथमिकता देश की राजनीति को अस्थिर करना और नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना है। ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर मोदी एक बार सत्ता में आ गए तो केजरीवाल की दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।


Meena Kandasamy via Chittibabu Padavala

So, India celebrates new year with Operation Greenhunt and declaring war on its own peoples.


"Sources cited the hunt for Bose to explain that their main aim was to shrink the "manoeuvrability space" of Maoists who often found "a comfort zone" in the security vacuum on either side of inter-state borders"


Tired of their low-intensity conflict, the army is closing in. India, will you parade the bodies of 12-year-old children this time also and call them "Maoists"?

Virendra Yadav

नितिन गडकरी जिस तरह बौखलाकर 'आप 'पार्टी को दक्षिणपंथी माओवादी बता रहे हैं उससे भाजपा में 'आप' फैक्टर से उपजी असुरक्षा का अंदाज़ा लगता है .'आप' के दिल्ली में सरकार बनाने का यह एक सकारात्मक परिणाम है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए .संभव है कि यह 'साहिब' के अश्वमेघ के घोड़े को रोकने की दिशा में भी यह एक कदम सिद्ध हो.

http://www.business-standard.com/article/politics/noted-industrialist-brokered-deal-between-aap-congress-gadkari-113122800626_1.html

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  • Kuldip Kumar Kamboj यादव साहब !

  • मोदी इज अ ट्रबल्ड चाईल्ड ऑफ़ भारतीय जनता पार्टी.............

  • ही डिस्ट्रोएड भारतीय जनता पार्टी, डोंट वरी सर !

  • 2 hours ago · Like · 2

  • Faisal Bin Mehdi Hassan off course....he has so many enemies with in the party ...no need othrs to kill him ...

  • 2 hours ago · Like · 1

  • Sudhanshu Kumar Birendra sir sur badal gaye hai. Aap to pure anna aandolan ki cia ki upaj batate nahi thkte the. Aapke anusar Arvind to usi vidheshi saktiyon ki sajish k upaj hai.ab badai kyon

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  • Virendra Yadav Sudhanshu Kumar मैंने हमेशा अन्ना आन्दोलन की सीमाओं को रेखांकित किया और आज भी इस पर कायम हूँ .'आप' की भ्रष्टाचार विरोधी मुहीम अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चल रहे उन आन्दोलनों की संगति में है जो न वाम न दक्षिण के वैचारिक दर्शन के अनुकूल है .मैंने इस पर ल्ज्...See More

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  • Palash Biswas गडकरी जी के फारमूले के मताबिक माोवदी भी तो फिर स‌ंघी वामपंथी हो गये।तनिक इस स‌मीकरण पर गहराई स‌े विचार करें जरुर।

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Uday Prakash

सचिवालय की कारों से 'लाल बत्ती' ग़ायब । काश अब जैसा Som Prabh जी ने कहा है, दिल्ली की बसों में तितलियाँ और यमुना में जल लौट आये ।

आज पहली बार लगा कि आप की नहीं, अपनी सरकार बनी है ।

शायद इस सर्दी में शरीर में ताप, चेहरों पर ख़ुशी, ज़मीन में घास, घास में टिड्डे, सियासत में ईमानदारी..... बुझे बल्बों में रोशनी लौटेगी ।

हमारी नींद में अब टूटे-बिखरे हुए सपने लौटने लगे हैं ।

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  • Bhaskar Upreti, विमलेश त्रिपाठी, Sanjoy Roy and 215 others like this.

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  • Vijay Sharma भाजपा को चित्त किया ,कान्ग्रेस को मीट्टी में मिला दिया और वाम की तो दुकान -पटरी ही उखाड़ फेंकी । अब हिंदी वामो बुद्दिजीवियो का क्या होगा ,मेरे राम!

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  • Vijay Sharma अरविंद जी हिंदी के नारमल रिक्रूटमेन्ट बैन्क से नहीं हैं ,यह अच्छी बात है । इस बैन्क का कोई locker अरविंद केजरीवाल नहीं निकाल सका ,यह विचारणीय है। योगेन्द्र यादव का बैकग्राउन्ड तो हिंदी वालों को चुनौती है।

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  • Satyanarayan Gupta Achchhi suruaat hai, Aam aadmi ki ummid jaag gayi

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  • Uday Prakash 'आज ये दीवार पत्तों की तरह हिलने लगी, शर्त लेकिन ये है, ये बुनियाद हिलनी चाहिए ...!'http://youtu.be/UCcBcx7_hL0

  • Ho Gayi Hai Peer Parvat (Sung by Arvind Kejriwal & Team)

  • The very famous lines of Late Dushyan Kumar, setting context for our 25th July I...See More

  • 58 minutes ago · Like · 2

  • Palash Biswas ख्वाबों में लौट स‌कें तो इस ईश्वर कीकयामत का जादू टूटेगा नहीं आसानी स‌े।

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Yashwant Singh

कांग्रेस, भाजपा से तो बहुत बेहतर है 'आप' लेकिन याद रखिएगा... दुनिया का पूंजीवाद इन दिनों करप्शन के खिलाफ मुहिम चलाए है, वर्ल्ड बैंक का भी इन दिनों यही अभियान है... इसलिए ये मानकर मत चलिए कि केजरीवाल कारपोरेट के विरोधी हैं.. भाषण में कारपोरेट का विरोध करना और बात है, सत्ता सिस्टम में आकर कारपोरेट को नाथना दूसरी बात.. कारपोरेट की भी पसंद है 'आप' इसलिए दिक्कत नाट... वरना, खजाने के मुंह खुल जाते और कोई इधर गिरा कोई उधर चला हो जाता... सपोर्ट करिए, करना भी चाहिए, मैंने भी किया है, लेकिन हकीकत को भी जानते रहिए वरना एक दिन दिल दुखेगा..

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  • Pankaj Chaturvedi, Srijan Shilpi, Ganesh Rawat and 63 others like this.

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  • Sanjay Kumar ab congress ki dubti naiya ko paar lgane ka jimma mil gya kya?

  • 2 hours ago via mobile · Like

  • Harnam Singh Verma Kuchh din dekh tow leejiye. Maana ki aapko bada itihas gyan hai aur itihas apne ko duhrata bhi rahta hai

  • 2 hours ago via mobile · Like

  • Jai Prakash Tripathi हां ऐसे लक्षण तो साफ साफ नजर आते हैं

  • about an hour ago · Like

  • Mayank Chirantan दुविधा

  • about an hour ago via mobile · Like

  • Palash Biswas यशवंत भाई,यह स‌ही है कि इस देश को तोड़ने वालों के खिलाफ देश जोड़ने की अनिवार्यता है।यह भी स‌हीं है कि देश जोड़ने के लिए रंग बिरंगी अस्मिताओं को भी तोड़ना जरुरी है। नमोमयभारत निर्माण रोकना भी अनिवार्यता है।मगर यह स‌ारी कार्यवाही मुक्त बाजार के हित में कारपोरेट कायाकल्प के हित स‌ाधते हुए पूरी की जा रही है।जनता की जो आकां&ाएं हैं,उनके मद्देनजर कोई पहल करने में नाकाम जनपक्षधरता के मोर्चे के गृहयुद्ध के हालात में ऎसे कारपोरेट विकल्प को अपनाने स‌े हम न आम आदमी को रोक स‌कते हैं और न अपने पुरातन परखे हुए मित्रों को।मोहभंग के हालात ने स‌त्तर के दशक में आज के कारपोरेट राज को जनम दिया था,न कि 1991 के भुगतान स‌ंतुलन के स‌ंकट ने।हम इतिहास दृष्टि स‌े देखे तो फिर वही मृग मरीचिका के पीछे दौड़ने लगा है देश क्योंकि जनविकल्प कोई है ही नहीं।आज युवाजनों के लिए तमाम विकल्प खुले हैं और स‌ारे के स‌ारे विकल्प आत्म ध्वंस के हैं,विडंबना यही है।

  • a few seconds ago · Like




Bhaskar Upreti
केजरीवाल उन सेक्युलर और अल्पसंख्यक मित्रों के लिए भी विकल्प बने हैं जो मायूस होकर कह रहे थे, झक मारकर फिर से कांग्रेस को ही वोट देना पड़ेगा.
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Bhaskar Upreti
एक दूसरे पर कीचड़ उछालने के आदी रहे भाजपा-कांग्रेस के नेताओं को आम आदमी पार्टी पर हमला करने वाली मारक भाषा नहीं मिल रही. दरअसल ये नेता भाषा के प्रयोग का अधिकार खो चुके हैं. वे जो कहते हैं, लोग जानते हैं वो वो नहीं है. वे कितना भी जोर लगाकर कहें, लोग उनके किसी भी शब्द पर यकीन नहीं करते. हालाँकि केजरीवाल भी एक भाषा में ही बोलते हैं. उसमें वही शब्द होते हैं, जो दूसरे नेता बोलते हैं. चुनावी वादे भी भाषा में होते हैं, लेकिन मतदाता ने केजरीवाल के शब्दों का यकीन किया.
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Uday Prakash likes a video on YouTube.
Ho Gayi Hai Peer Parvat (Sung by Arvind Kejriwal & Team)
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The very famous lines of Late Dushyan Kumar, setting context for our 25th July Indefinite Anshan. Watch the video, and feel the passion. Indeed, it gives the...
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Bhaskar Upreti
भला हो केजरीवाल का मेरे कुछ भले मित्र मोदित्व की चपेट में आने से बच गए.
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Bodhi Sattva
क्या आप जानते हैं

काश शब्द का मूल अर्थ है- अल्लाह ऐसा करे।
Like ·  · Share · December 27 at 11:02pm near Mumbai ·
Bhaskar Upreti
जंग जारी है ..
Teesta Setalvad
http://www.asianage.com/editorial/modi-s-legal-travails-may-not-be-over-yet-148 Asianage EDIT 28DEC2013 Modi's legal travails may not be over yet Wherever legal...See More
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Umesh Tiwari
प्यारे बत्तीधारी जनसेवको अगर जनता के दिल में बची-खुची इज्ज़त और सहनशक्ति को बरकरार रखना चाहें तो अपनी लाल-नीली बत्तियाँ और हूटर उतार लें। आम आदमी की ओर से नए साल का ये पहला संदेश अब दिल्ली से आ गया है, अब तो मानोगे, हमारी कविता तो आपने कभी सुनी नहीं !
Like ·  · Share · 9 hours ago ·
  • Bhaskar Upreti, Ganesh Rawat, Ashish Dumka and 31 others like this.
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  • Chandra Sekhar Kabadwal Jay ho.... .
  • 9 hours ago via mobile · Like
  • Manish Pandey भगवान् से प्राथना है की बस आप को इस सर्दी मै संक्रमण रोगो से बचा के रखे
  • 8 hours ago · Like · 1
  • Umesh Tiwari सोचते थे राज में हमारी भी है पत्ती, हमको तो है च्याप रही उनकी लाल बत्ती ॥ लो पेश है उत्तराखंड, बमक रहे हैं संड-मुसंड... ॥
  • 6 hours ago · Like · 5
  • Devendra Singh Wah wah!!!!!!!
  • 6 hours ago via mobile · Like
  • Palash Biswas उमेश जी ,एक जमाने में बहुत हल्ला था कि जहूर को लाल बत्ती मिलने वाली है।हरुआ ने खूब फैला रखी थी।फिर पता चला कि लालबत्ती चर्चा में आप भी हैं। बेचारे राजीव दाज्यू का नंबर लगने स‌े पहले लालबत्ती गायब।भौत नाइंसाफी है।
  • a few seconds ago · Like
Rajiv Nayan Bahuguna

इंस्पेक्टर राज

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इंस्पेक्टर -- अये मुर्गी पालक , तुम इन मुर्गियों को क्या खिलाते हो ?

मुर्गी पालक -- हुज़ूर , इन्हें खिलाना क्या है , खुद ही कूड़ा करकट , जूठन - पूठन बीन लेती हैं .

इंस्पेक्टर -- एक तो बे जुबान परिंदों की तिजारत करते हो , और ऊपर से उन्हें कूड़ा करकट खिलाते हो ? हम पशु कल्याण बोर्ड से आये हैं . तुम्हारा चालान होगा .

मुर्गी पालक के गिडगिडाने पर चार मुर्गियों पर समझौता हो गया . इंस्पेक्टर चार मुर्गियां कटवा कर और पैक करवा कर अपनी राह चल दिया . एक हफ्ते बाद एक और नया इंस्पेक्टर आ धमका .

इंस्पेक्टर ----- अये मुर्गी पालक तुम इन्हें क्या खिलाते हो ?

मुर्गी पालक --- हुज़ूर हम तो इनका बहुत ख्याल रखते हैं . इन्हें काजू , चिलगोजे , बादाम आदि खाने को देते हैं .

इंस्पेक्टर --- ओह , यहाँ जनता को आटा नसीब नहीं , और तुम मुर्गियों को बादाम खिला रहे हो? तुम्हारा चालान होगा . हम इनकम टेक्स से आये हैं .

चार मुर्गियां कटवा कर वह इंस्पेक्टर भी अपनी राह लगा .

एक हफ्ते बाद फिर नया इन्स्पेकटर आया और वही सवाल किया .

दूध का जला मुर्गी पालक -- हुजूर हम इनके खाने - पीने के झमेले में नहीं फंसते . सुबह सुबह इनकी चोंच में एक एक रुपये का सिक्का रख कर कह देता हूँ की जिसे जो खाना है , बाज़ार से खा कर आ जाए . लोल्ज़

Unlike ·  · Share · about an hour ago · Edited ·


Surendra Grover

अंदरखाने की खबर है कि कभी भाजपा के थिंक टैंक रहे गोविन्दाचार्य "आप" में शामिल होने और किसी उच्च पद पर आसीन होने के लिए हाथ पैर मार रहे हैं.. देखिये आगे आगे होता है क्या..!

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  • Himanshu Kumar, Surendra Grover, Pushya Mitra and 29 others like this.

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  • Ashok Sachan

  • about an hour ago · Like · 2

  • Ateek Attari ये वही गोविंदाचार्य हैं ना,,,,,, जो उमा भारती पर फ़िदा थे,

  • about an hour ago · Like

  • Aman Ansari Mahi ye arbind ki sabse badhi galti hogi agar govingcharya ko party me liya kyoki ye jansanghi he aur aane wale chunav me agar arvind ko jitni he ko ye galti na kare kyoki chunav me 4 mahine ka hi waqt he aur agar arvind ne koi aisa kadam udhaya to usko iska khamiyaza bhugtana padhega

  • about an hour ago via mobile · Edited · Like

  • K.l. Rai आदर्श शास्त्री.... के बाद ....गोविन्दाचार्य जी... का *आप* में प्रवेश ..सही मायने मै ..व्वस्था परिवर्तन ..की दिशा में ..शुभ संकेत ही है ...!

  • 27 minutes ago · Like

  • Palash Biswas कोई अचरज की बात नहीं है।सत्ता वर्ग में फेंस के इधर उधर होने की गौरवशाली परंपरा जो है।

  • a few seconds ago · Like

Bhaskar Upreti

टीवी क्या हो गया, केजरीवाल का पर्याय हो गया. बस करो ..इडियट बॉक्स ...

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  • चन्द्रशेखर करगेती, Vikram Negi and 10 others like this.

  • View 7 more comments

  • Vikram Negi और शहर-दर-शहर यहाँ तक कि गाँव-गाँव तक सबकी नज़रें इसकी चलचित्र पर टिकी हैं जो न्यूज़ चैनल दिखा रहे हैं..

  • 17 hours ago · Like

  • Bhaskar Upreti टी आर पी ही कई बार दोधारी तलवार बन जाती है..

  • 17 hours ago · Like · 1

  • Vikram Negi यह तो है...लेकिन दिल्ली के अगले कुछ दिन/हफ़्ते ही फैसला करेंगे.... टीवी पर लोग पहले केवल ख़बरें देखते हैं और उसके बाद खबर की खबर और खबर की खाल नोचना...लेकिन यह सब लोग अपनी-अपनी सोच को साथ लेकर देखते हैं...न्यूज़ चैनल सारे कोनों से खबरों की खाल निकालते हैं...लेकिन तय तो आखिर जनता को ही करना है...

  • 17 hours ago · Like

  • Bhaskar Upreti चमत्कार की आशा छोड़ें, छोटे-छोटे काम करे तो ही अच्छा..चमत्कार के लिए भाजपा-कांग्रेस की राजनीति के पोषक तत्वों से लोहा लेना होगा..और 'आप' में फ़िलहाल लोहा खाने की हिम्मत और कूबत नहीं..लेकिन झलक दिखलाकर आम आदमी का कैंप बढाया जा सकता है..यह चारों ओर से बढ़ाना होगा. जनता की हितैषी ताकतों को लगातार जोड़ना होगा. मगर ऐसा सपना ..आमूल चूल परिवर्तन का सपना आप का एक भी नेता देखता है ? उसकी दूरदृष्टि रखता है ?

  • 17 hours ago · Like · 1

  • Gajendra Rawat कुछ तो असर हो रहा है, अरविन्द तेरा ज़िक्र हर शहर हो रहा है.

  • जो बेफिक्र बैठे थे, सत्ता के मद में, उनके सर में तेज दर्द हो रहा है..

  • 6 minutes ago · Like

  • Palash Biswas स‌मझना चाहिए कि जो मीडिया नमोमय भारत बना रहा था कलतक वह आप का कैसे हो गया रातोंरात।नमोमयभारत निर्माण अस‌ंभव है ,जाहिर है कि स‌िर्फ इसीलिए।भास्कर भाई,इस मुद्दे को अलग स‌े उठाने के लिए आभार।

  • a few seconds ago · Like


Surendra Grover

अम्बानी परिवार ने हर उस सरकार, राजनेता और अफसरों को खरीद लिया जो उसे गैर वाजिब तरीके से फायदा पहुंचा सकते थे. और इस काकस के बूते यह परिवार देश का सबसे बड़ा धनकुबेर बन बैठा..

http://mediadarbar.com/25414/government-in-reliance-pocket/

सरकार रिलायंस की जेब में : देश गया तेल लेने..मीडिया दरबार « मीडिया दरबार

mediadarbar.com

मुकेश अम्बानी ने अपने पिता धीरूभाई से रिलायंस समूह के साथ साथ भारत सरकार को भी विरासत में पा लिया है. अम्बानी परिवार देश का सबसे धनवान परिवार केवल इस ल

Like ·  · Share · 3 hours ago ·


Sudha Raje

लगातार निवेदन है कि सही परिचय और तसवीर के बिना हम किसी को भी एड नहीं कर सकते और यही वजह है कि लगातार हम रिक्वेस्ट डिलीट करते रहते है और एक बात कि

स्त्री विरोधी और जातीय नस्लीय कटु विचार प्रकट करने वाले लगातार सीधे ब्लॉक


हम यहाँ अभिव्यक्ति से सीखने और कहने के लिये उपस्थित है


कोई चैटिंग नहीं

कोई टैग न करते है न ही पसंद है ।


और ये कि विचार

या जानकारी ही लाईक कमेंट करते है किसी के व्यक्तिगत फोटो नहीं सिवा परिचित के ।


जो कहना है वॉल पर कहिये इनबॉक्स नहीं ।


हम किसी के निजी फोटो लाईक कर करके नहीं खुश हो सकते ।


विचार

समाचार

साहित्य


यही लाईक और कमेंट के विषय है ।


बहस का स्वागत


किंतु निजी टिप्पणी वाले ब्लॉक होंगे


जितने मित्र नहीं है उससे अधिक डिलीट और ब्लॉक हो चुके है ।


गरिमामय बातचीत का सादर स्वागत है ।


सीमायें याद रखें और विचार शेयर करें निजी जीवन में हमें ना दखल बर्दाश्त है ना हम करते है ।


हमारा हर शब्द हमारी इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी है पहले पेज और ब्लॉग गूगल और प्रकाशन में जाने के बाद वॉल पर पोस्ट होती है ।

अतः नकल चोरी या अनुवाद और कोई तोङ मरोङ के अपराध से बचें ।


शेयर करना सम्मान देना है । और रचना लेखक के नाम से ही प्रसारित करना सभ्यता ।

नमन


सबको


आगामी नववर्ष की शुभकामनायेंव

Unlike ·  · Share · 6 hours ago ·


Aalok Shrivastav
ll हर बात याद आएगी ll

करोगे याद तो हर बात याद आएगी,
गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जाएगी.

गली के मोड़ पे, सूना-सा कोई दरवाज़ा
तरसती आँखों से, रास्ता तुम्हारा देखेगा
निगाह दूर तलक, जाके लौट आएगी.

बचपन के दोस्त अक्सर कहा करते थे - ''अबे फ़ारुख़ शेख़ जैसे लगे हो बे.!'' स्कूल के दिनों से ही Shailendra Shrivastava जैसे मुंह-लगे अज़ीज़ों ने ये भरम ख़ूब पैदा किया. इसी लगावट में फ़ारूख़ भाई से कई बार मिला. मुंबई में, लखनऊ में, भोपाल में और आख़िरी बार हाल ही में दोस्त Pushkar Pushp के ज़रिए दिल्ली में. उनसे जब मिला. उन्हें जब देखा. लगा - बरसों से जानता हूं. अर्से से दोस्ताना है. जबकि ऐसा था नहीं. इस आशनाई की वजह थी - आम लेकिन अपना-सा चेहरा. अपनी-सी बातें, अपना-सा लहजा और बेलौस अदाकारी. मुआफ़ कीजिए जो अदाकारी तो थी ही नहीं. लफ़्ज़ों में लिपटे किरदार की अदायगी का एक नेचुरल प्रोसेस था जो सिल्वर स्क्रीन पर 'फ़ारूख़ शेख़' के नाम से आता था और मन में घुल जाता था. ठीक वैसे ही जैसे कुछ लोग ज़िंदगी का हिस्सा न होते हुए भी ज़िंदगी में घुल जाते हैं. सांसों में उतर जाते हैं. उन्हें याद करने की ज़रूरत नहीं पड़ती. क्योंकि वो कभी भूलाए नहीं जाते. हां, उनकी बातें ज़रूर याद आती हैं. शायद इसीलिए शायर बशर नवाज़ साहब ने लिखा होगा - 'करोगे याद तो हर बात याद आएगी / गुज़रते वक़्त की हर मौज ठहर जाएगी.'

अलविदा फ़ारूख़ भाई.
Like ·  · Share · 8 hours ago ·
24 Ghanta
বিগ বস ৭ বিজয়ী গওহর খান
http://zeenews.india.com/bengali/entertainment/bigg-boss-7-grand-finale_18926.html?jkljljl

Follow us: https://twitter.com/24ghantaonline

Neelabh Ashk

बहुत दिन बाद एक कविता :


Listen beloved,

I am the Mir of my ravaged land

I am the image in the dark

which every lover sees with his heart


I am the wings of the sky,

the fire aflame in the bosom of the ocean,

roots which have reached the womb of the earth,

I am the banner of love

the symphony of my burning land


I am the streamer of strife,

the cry of battle,

the comrade in arms of every fighter,

I am the terminator of oppression

as also the beacon of peace

Like ·  · Share · 8 hours ago ·


Status Update

By Manish Sisodia

आज अगर संतोष होती तो शायद बगल की सीट पर बैठी होती. सचिवालय में कदम रखते वक्त आज बहुत याद आई संतोष.... दो साल पहले मुझे और संतोष को इसी सचिवालय से बाहर निकलवा कर फिंकवाया था, पूर्व मुख्यमंत्री और उनके सचिव पी. के. त्रिपाठी ने..... मैं और संतोष राशन की जगह कैश दिए जाने की स्कीम पर चर्चा करने आये थे... विरोध करते ही भडक गई थीं मैडम... पहले पुलिस बुलाकर मीटिंग से बाहर निकलवा दिया... और फिर सचिवालय से ही बाहर निकलवा दिया. इसके बाद दो साल तक यहां आना ही नहीं हुआ.... सचिवालय की बिल्डिंग आज भी वही है लेकिऩ, आज जनता ने उन मैडम को ही सचिवालय से बाहर निकाल दिया है...

Palash Biswas इस याद के लिए आभार।

Udit Raj Ex Irs shared Udit Raj's photo.

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Palash Biswas उदित जी आपकी पहुंच के हम पहले स‌े कायल थे,फिर एक बार कायल हो गये।


India Today

Bigg Boss 7 grand finale: Gauhar Khan is the winner

Bigg Boss 7 grand finale: Gauhar Khan is the winner : Movies, News - India Today

indiatoday.intoday.in

After months of entertainment, Bigg Boss 7 finally came to a grand end on Saturday. Reality TV star Gauhar Khan is the winner of Colors' reality show Bigg Boss 7. She was one of the strongest contenders in the show right from the beginning.

Like ·  · Share · 2,446300156 · 6 hours ago ·

Ashutosh Kumar

'आप ' से यह उम्मीद किसी को नहीं है कि वह दिल्ली में समाजवाद ले आयेगी . लेकिन अगर वह आम आदमी को भ्रष्टाचार से लड़ने के लिए प्रभावी जनलोकपाल का औजार दे पाती है , मज़दूर (मलिन) बस्तियों में बुनियादी सेवाओं की बहाली कर पाती है , बिजली-पानी की कीमतों में कुछ रियायत कर पाती है , सरकारी दफ्तरों , स्कूलों और हस्पतालों में नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी की भावना पैदा कर पाती है , कर्मचारियों की वाजिब मांगों पर कार्रवाई शुरू कर पाती है , निजी स्कूलों और हस्पतालों में बेरोकटोक चलने वाली लूट पर लगाम लगाने का कोई रास्ता खोज पाती है ---या यह सब करने की अपनी ईमानदार कोशिशों में लोगों का भरोसा जगा पाती है , तो मोदी साहेब को ब्लॉग लेखन के नए करियर पर गम्भीरता से ध्यान देने की जरूरत होगी .

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  • Uday Prakash, Avinash Das, Virendra Yadav and 46 others like this.

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  • Mahendra K. Singh भारत में अब तक असफल रहे वैचारिक तौर पर वामपंथी और राजनैतिक तौर पर कॉंग्रेसियों को केजरीवाल के रूप में एक मसीहा मिल गया है जिसके कंधे पर बन्दूक रख कर अब वे मोदी पर निशाना साध रहे हैं. निशाना साधने में कोई बुराई नहीं है पर दूसरे के कन्धों पर भरोसा अच्छा ...See More

  • 2 hours ago · Like · 4

  • Vks Gautam पहले ही दिन उड़ गए चट्टान की तरह "जनसत्ता से साभार" खड़े होने वाले, तिनके की तरहाॉ, उजड़ गया आसियाना गरीबों का. और उसी के साथ ये तथाकतिथ चट्टान भी उड गए

  • about an hour ago · Like

  • Ahmad Khan like advani

  • about an hour ago via mobile · Like

  • Awanish Sharma मुझे हाल फिलहाल भाजपा के लोगों का आ आ पा के तीखे विरोध का कारण दिल्ली में उनका सरकार बना लेना नहीं दीखता, भाजपा को 32 सीट के बाद भी पहले दिन से अंदेशा था की उन्हें बहुमत नहीं मिलेगा सो मज़बूरी में ही सही विपक्ष में बैठने का ऐलान किया।

  • उनके तीखे विरोध क...See More

  • Awanish Sharma

  • मुझे हाल फिलहाल भाजपा के लोगों का आ आ पा के तीखे विरोध का कारण दिल्ली में उनका स...See More

  • 52 minutes ago · Edited · Like

  • Palash Biswas अब आशुतोष जी,आप भी आप।

  • a few seconds ago · Like

Steinar Strandheim and Gopikanta Ghosh shared a link.

Kazi Nazrul Islam: Hindus and Muslims

alalodulal.org

Hindus and Muslims by Kazi Nazrul Islam Translated by Tibra Ali for AlalODulal.org One day I was discussing the Hindu-Muslim problem with Gurudev Rabindranath. Gurudev said: Look, you can cut the t...

Aaj Tak

तस्‍वीरों में देखें दिल्‍ली के नए मुख्‍यमंत्री अरविंद केजरीवाल का जीवन परिचय...http://aajtak.intoday.in/gallery/arvind-kejriwal-biography-1-4666.html

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Prakash K Ray

There is something about this... Something so loving... So touching...

Arvind Kejriwal breaks into Manna Dey song on brotherhood at swearing-in

youtube.com

Arvind Kejriwal, Delhi's new chief minister, ended an impassioned speech at the Ramlila Maidan on Saturday by singing a Manna Dey song from the 1959 film Pai...

Like ·  · Share · 4 hours ago near New Delhi ·

Ajay Prakash

भ्रष्टाचार मुक्त भारत का सपना सातवां आश्चर्य लगता है. लगता है यह कैसे सम्भव है और हम संघर्ष से पहले ही हथियार रख देने की मानसिकता में आ जाते हैं. हम एक ऐसी लड़ाई के हताश सिपाही होते हैं, जिसको लड़ने वाला कोई नायक नहीं था, कोई रोल मॉडल नहीं था और न ही सत्ता का सपोर्ट था. अब तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी के जरिये हमें सबकुछ मिल रहा है---नायक भी, मॉडल भी और सत्ता भी, फिर अब आप पीछे क्यों रहेंगे। जाहिर तौर पर अब आप लड़ेंगे और जीतेंगे, जीतेंगे और फिर लड़ेंगे, कि लड़ाई अभी लम्बी है.

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  • Bhaskar Upreti, Rajesh Prasad, Mohd Shahid and 19 others like this.

  • Gajendra Rawat कुछ तो असर हो रहा है, अरविन्द तेरा ज़िक्र हर शहर हो रहा है.

  • जो बेफिक्र बैठे थे, सत्ता के मद में, उनके सर में तेज दर्द हो रहा है..

  • 8 hours ago · Like · 1

  • Sushil Gautam परीक्षा अभी बाकी है

  • 8 hours ago · Like · 1

  • Ashish Sagar Dixit एक आशा से हर कोई जिंदा रहता है और मुमकिन सब कुछ है बस हम नियत साफ कर ले

  • 4 hours ago · Like · 1

Musafir D. Baitha

ठण्ड से कहीं कोई नहीं मरता, साइबेरिया में भी नहीं- यह तथ्य पढ़कर भी आप आईएएस बन सकते हैं, प्रमुख सचिव बन सकते हैं।


इस ससुर नौकरशाह को चड्डी पर उतारकर साइबेरिया ही क्यों न भेज दिया जाए?

Like ·  · Share · 59154 · December 27 at 11:02pm ·

Pankaj Chaturvedi

आज केजरीवाल का भाषण बडे दिल से बगैर किसी अहम, घमंड के, उम्‍मीदों और संकल्‍प के साथ , उनमें भी बदलाव आया जो अभी तक सभी को भ्रष्‍ट कहते थे, आज कह गए कि कुछ ही भंष्‍ट हैं अधिकांश अफसर ईमानदार हैंा यदि मोदी के भाषण से तुलना करें तो केजरीवाल इक्‍कीस ही पडे, यह तय है कि आगे चुनौतियों का पहाड है अल्‍पमत और कांग्रेस जैसे दल की वैशाखी, वायदे और आर्थिक हालात से बेपरवाही, आम लोगों की अतिरेक उम्‍मीदें और भाजपा की साजिशें

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  • Himanshu Kumar, Bhaskar Upreti, Gopal Rathi and 171 others like this.

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  • Narendra Shukla nityanand ji..kabhi kabhi lagta hai pankaj ji vo rasta thoda bacha ke chalte hain....

  • 4 hours ago · Like · 1

  • Shashikant Singh congress ne to kewal maje hi kiye hai aur kiya kaya hai . Shayad ye maja bhari padega

  • 4 hours ago · Like · 1

  • Misir Arun यह " आप" पार्टी के नेताओं का ही नहीं आम जनता का भी उत्तरदायित्व है कि वे इस आसन्न बदलाव को जनहित की ओर झुका कर रखें ,ऐसा न हो कि इसका फायदा भ्रष्ट पूंजीतंत्र उठा ले |

  • 4 hours ago · Like · 1

  • Satyendra Pratap Singh सबसे राहत अधिकारियों को मिली होगी, ज्यादातर को ईमानदारी का प्रमाणपत्र मिल गया

  • 3 hours ago via mobile · Like

Ashutosh Kumar

उम्मीद है कि नई सरकार भ्रष्ट व जनविरोधी शासन-तंत्र को उलटने की जनाकांक्षाओं पर खरी उतरेगी - भाकपा(माले)

नई दिल्ली, 28 दिसम्बर ।

दिल्ली में शक्तिशाली तीसरी ताकत के रूप में 'आप' का उभार और आम लोगों के बुनियादी सवालों का राजनीति में केन्द्रीय एजेण्डा बन जाना स्वागत योग्य परिघटना है। 'आप' के उदय ने आन्दोलन आधारित राजनीति के महत्व को पुर्नस्थापित किया है, साथ ही यथास्थितिवादी राजनीति के पैरोकारों, खासकर कांग्रेस और भाजपा, के विकल्प के लिए आम जनता की तलाश को महत्वपूर्ण रूप से रेख...See More

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Amitabh Thakur

जिनमे नायकत्व होता है वह छंट कर सामने आ ही जाता है चाहे वह श्री नरेंद्र मोदी हों, सुश्री ममता बनर्जी हों, श्री मुलायम सिंह यादव हों, श्री अरविन्द केजरीवाल हों अथवा श्री लालू प्रसाद यादव. इन सबों ने अपने हाथों से अपने भाग्य की लकीरें खींची हैं और हमें इनकी उपलब्धियों पर सलाम करना चाहिए.

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Like ·  · Share · 1,211104135 · 4 hours ago ·
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  • Palash Biswas तनीशा मुखर्जी की मेहनत बेकार हो गयी।खैर,अब बिग ब्रदर में बेहतर मौका है।गौहर ने खूब पटखनी दी।पर इसमें टीआरपी बटोरने के जिस स‌मीकरण का इस्तेमाल हुआ है,वह आज की राजनीति का चरित्र है।समझा करो जानम।
  • Like · Reply · a few seconds ago
  • Biplab Makal Dhur sabcheye faltu show.kutta kutti der show.khisti,galagalir show eta.
  • Like · Reply · 7 · 3 hours ago
    • Arindam Jash দাদা যা বলেছেন বলেছেন নিজের গার্লফ্রেন্ডের সামনে যেন বলবেন না তাহলে মুখ দেখা দেখি বন্ধ হয়ে যাবে। ওদের এসব দেখতে খুব ভালো লাগে।
    • Like · 4 · 3 hours ago
  • Avik Samanta sali kutti kamini...i hate gobor
  • Like · Reply · 3 · 4 hours ago via mobile

Sumit Guha shared Shree Venkatesh Films's photo.

Ei Christmas e ‪#‎ChanderPahar‬ tomader sobaike dakche... Tomra jaccho to?

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  • Lajbonti Roy II likes this.

  • Palash Biswas अपने अपने पहाड़ हैं भइया।लोग चांद के पहाड़ों की स‌ोचते बहुत है और अपने पहाड़ों की परवाह तक नहीं करते।

  • a few seconds ago · Like

Afroz Alam Sahil

शामली के करीब लोई कैम्प में रहने वाला 6 वर्षीय अरमान अखिलेश सरकार के 'नापाक अरमानों' की पोल खोल रहा है. 6 साल का यह मासूम बच्चा अचानक खतरनाक अलर्जी के कारण अपनी ज़िन्दगी से परेशान है. उसके शरीर पर इतने ज़ख्म हैं कि लोगों को दंगों में मिले ज़ख्म भी कम नज़र आए. ज़ख्म के कारण वो इतनी कड़ाके की ठंड में भी ज़्यादा गर्म कपड़े नहीं पहन सकता और नंगे बदन ही हड्डियाँ कंपा देने वाली सर्द रातें काटने को मजबूर है... अरमान की यह पूरी कहानी आप ज़रूर पढ़िए... http://beyondheadlines.in/2013/12/arman-story/

Unlike ·  · Share · 39 minutes ago ·

Bhaskar Upreti at Nanital

Winters' Nainital

Unlike ·  · Share · about an hour ago ·

  • You, Aranya Ranjan and 3 others like this.

  • Ashish Bhardwaj आप पहाड़ी शरलॉक होम्स लग रहे हैं!

  • about an hour ago · Like · 1

  • Aranya Ranjan टोपी चश्मा दाढ़ी झाड़ी झील नजारा

  • 29 minutes ago via mobile · Like

  • Palash Biswas क्या तस्वीर भेजी है जिसमें कहीं न कहीं हमें भी तो होना चाहिए था।समूचा स‌त्तर का दशक आपने उठकर भेज दिया।धवन्यवाद भास्कर।

  • 15 minutes ago · Like

Afroz Alam Sahil

शामली से करीब लोई कैम्प में... (Photo Courtesy: Gufran Khan)

Unlike ·  · Share · 3 hours ago ·

Girijesh Tiwari and Himanshu Kumar shared a link.

Muzaffr Nagar riot victim kidnapped by police

youtube.com

कल मुज़फ्फर नगर के जौला शरणार्थी शिविर में पुलिस की जीप आयी और विशेष जांच दल के गौतम साहब जौला कैम्प में रहने वाले लियाकत से कहने लगे कि मुज़फ्फर नगर चल और तून...

  • Girijesh Tiwari
  • Himanshu Kumar

  • कल मुज़फ्फर नगर के जौला शरणार्थी शिविर में पुलिस की जीप आयी और विशेष जांच दल के गौतम साहब जौला कैम्प में रहने वाले लियाकत से कहने लगे कि मुज़फ्फर नगर चल और तूने जिनके नाम से रिपोर्ट करी है उनके नाम कटवा .

  • लियाकत ने मना किया तो उसे पुलिस वालों ने गाड़ी में भरा और शीशे बंद कर के उसे लेकर चल दिए . उस वख्त मर्द लोग जुमे की नमाज़ पढ़ने गए हुए थे .

  • ...See More

  • Like ·  · Share · 121 · 4 hours ago ·

  • Himanshu Kumar
  • कल मुज़फ्फर नगर के जौला शरणार्थी शिविर में पुलिस की जीप आयी और विशेष जांच दल के गौतम साहब जौला कैम्प में रहने वाले लियाकत से कहने लगे कि मुज़फ्फर नगर चल और तूने जिनके नाम से रिपोर्ट करी है उनके नाम कटवा .

  • लियाकत ने मना किया तो उसे पुलिस वालों ने गाड़ी में भरा और शीशे बंद कर के उसे लेकर चल दिए . उस वख्त मर्द लोग जुमे की नमाज़ पढ़ने गए हुए थे .

  • औरतें गाड़ी के सामने लेट गयीं . इस बीच मर्द आ गए . आखिर पुलिस वालों को को लियाकत को वहीं छोड़ कर भागना पड़ा . ...See More

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Mohan Shrotriya

8 hours ago near Jaipur ·

  • क्या आपको दस-बारह बरस पुरानी बातें याद रहती हैं? तो फिर क्या आपको याद है कि #राहत-शिविरों को *बच्चे पैदा करने के केंद्र* किसने कहा था?
  • ऐसे वक्तव्यों से क्या आपको तकलीफ़ के मारे हुओं के प्रति किसी तरह की संवेदनशीलता के दर्शन होते हैं? लोग शौकिया तो राहत-शिविरों में जाकर रहने नहीं लगते ! उन्हें जब डरा-धमका कर अपने घरों से बेदखल कर दिया जाता है, तभी तो वे अपने घरों की जैसी-तैसी सुविधा को छोड़कर एक कष्टभरी दुनिया में प्रवेश करने को अभिशप्त होते हैं ! उन जगहों को हम सरकारी, और आम बोलचाल की भाषा में राहत-शिविर कहते हैं !
  • आज एक लिंक देख कर यह पुरानी बात बरबस याद आ गई !
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    • Surendra Grover, Faisal Anurag, Shamshad Elahee Shams and 55 others like this.

    • Faisal Anurag AB BHEE USAKE HAR BHASHAN ME KOI NAA KOI PRATEEKAATAMK NISHANA SAMUDAAY VISHESH HEE HOTA HAI.GOURAB YAATRA NIKAL KAR DANGON KAA JASHN MANAANEWWLE KE PAHAND KO DEKHTE JAAIYE SIR.

    • 8 hours ago · Like

    • Rais Ahmad Siddiqui दुष्ट कुछ भी कह सकते हैं

    • 8 hours ago via mobile · Like · 1

    • संजय पुरोहित कभी कश्मीरी पंडितो के कैंप भी देखने चाहिए। उनका क्या ? बेचारे बहुसंख्यक जो ठहरे। क्या उनकी पीड़ा से आप का कभी दिल पसीजा ?

    • 8 hours ago via mobile · Like

    • Sanjay Bugalia kashmir sayad is desh me thoda hi hai....vo to vivadit pradesh hai.....waha alag swindhaan , alag kanoon hai....sanjay ji yaha sirf bharat ki baat karein..kashmir ki nahi

    • 8 hours ago · Like

    • Mohan Shrotriya जब भी जो बात चलेगी, उससे अलग ही टिप्पणी होगी ! यह क्या तरीक़ा है, भाई? मैं शोधप्रबंध (थीसिस) नहीं लिखता. अपनी नज़र में महत्वपूर्ण मुद्दों पर छोटे-छोटे स्टेटस लिखता हूं. जो काम मैं न कर पाऊं (या जो किया भी हो, और आपकी उस पर नज़र न पड़ी हो) तो उसे आपको पूरा करना चाहिए. स्वागत करूंगा, और मुझे दिख जाएगा तो आकर टिप्पणी भी करूंगा. #संजय,#संजय.

    • 8 hours ago · Like · 8

    • Sanjay Bugalia Mohan Shrotriya...sir agar mujhe aap keh rhe h to mera jawab to sanjay ji ko tha bus....

    • 7 hours ago · Like · 1

    • संजय पुरोहित शश.... बोलो मत खतरा है।

    • 7 hours ago via mobile · Like

    • Mohan Shrotriya मैंने दोनों को ही इसलिए कहा था कि इन दिनों यह नया घटनाक्रम देखने में आ रहा है कि कुछ मित्र लोग#स्टेटस से न-जुड़ी-हुई टिप्पणियां करके अपनी प्रखरता दिखाने लगे हैं. इससे होता यह है कि चर्चा यदि चलती भी है तो वह भटक जाती है, और कई दफ़ा अप्रिय मोड़ ले लेती है. यह सहज, मैत्रीपूर्ण संवाद का मंच और माध्यम है. वैसा ही बना रहे, इसी में सभी का हित है.

    • 7 hours ago · Like · 3

    • Surendra Grover यदि मूल मुद्दे पर टिप्पणी करते हुए सन्दर्भ बतौर वैसे ही सम्बंधित मुद्दों की बात की जाये तो कोई तकलीफ नहीं मगर कुछ अतिवादी मानसिकता वाले इसी तरह मुद्दों से भटकाने से ही संतुष्टि पाते हैं..

    • 7 hours ago via mobile · Like · 2

    • Shahid Akhtar Mohan Shrotriya Sanjay Purohit ji ne sahee note ki yeh bat...

    • Mere hisab se Kashmiri Panditon ke camp men woh sab naheen hoga jo Gujarat ke camps men hua... Mujhe nahen lagta k Kashmiri Panditon ko kabhi mass gang rapes se guzarna para...

    • 7 hours ago · Like · 2

    • संजय पुरोहित आपकी सलाह का शुक्रिया। अगर मुझसे त्रुटि हुई तो क्षमाप्रार्थी हूँ। लेकिन दोनों कैंप में पीड़ा भुगत रहे लोगो के प्रति हमे समान दर्द की अनुभूति होनी चाहिए।

    • 7 hours ago via mobile · Like

    • Sanjay Bugalia @sanjay purohit ji........kashmiri pandito waale camp me to flowers baras rahe hai...kaju katli roz khaayi jaati hai...5 star suvidhaaye bhi hai....aapne sayad dekha nhi thik se..........ye mera nahi ek or respected sir h unka kahna hai isi post pe

    • 7 hours ago · Like

    • Shahid Akhtar Sanjay Purohit ji, yeh buniyadi bat hai. Agar ap nam jan kar balatkar ki shikar larki ko bachane ka vichar rakhte hain, to ap admi kahlane layaq naheen...

    • Zalim ka koi dharam naheen hota. Zalim ki koi jati nahen hoti....

    • 7 hours ago · Like · 4

    • संजय पुरोहित बेशर्म सरकारों को हम कटघरे में खड़ा नहीं कर पाते। देशभर से सहायता के हाथ इन अभागो के लिए नहीं उठते। हां चर्चा करके टाइम पास तो कर ही सकते है।

    • 7 hours ago via mobile · Like · 1

    • Shahid Akhtar Sanjay Bugalia ji, waise apka ek sawal mujhe bahut achha laga.. Kya Kashmir Hindustan men hai?

    • Yeh koi chhota sawal naheen hai. Rajneetik vimarsh se le kar media men jis Bharat, jis Hindustan ki tasweer ubharti hai, woh Sapta-sindhu men simata hota hai...See More

    • 7 hours ago · Edited · Like · 2

    • Sanjay Bugalia Shahid Akhtar...sir BJP waale bhi or vhp type log to khaastaur se hamesha hi chhati koot koot kar or gala faad kar kahte rhte hai or sath me kbhi kbhi congressi or baaki bhi...or aajkl abdulla family bhi kbhi kbhi keh deti hai ki kashmir bharat ka hai........par kya ye sach hai...? mujhe to nahi lagta ki puri tarah sahi hai...ho sakta h mein galat hou but mujhe nhi lagta aisa

    • 7 hours ago · Like · 1

    • Haider Rizvi जी इस आदमी के एक एक शब्द एक एक बयान और इसके बारे में औरों के बयान सब याद हैं, यह भुलाने लायक इंसान कहाँ

    • 7 hours ago · Like

    • Shahid Akhtar Sanjay Bugalia! Kathni uar karni men farq hi to siyasat hai.. Ab bhi hamare shasak varg ka - Congress, BJP, unke lagve bhagvon ke liye Bharat Sapta-Sindhu men hi simata hai.. Dher sare tarkon ki koi zaroorat naheen hai...

    • Bas media ko dekh len.. Unka B...See More

    • 7 hours ago · Like · 1

    • Sanjay Bugalia @shahid akhtar sir......ek or ahmiyat hai......kashmir ke naam pe ...us mudde ke naam pe chunav lade jaate hai or sarkaare bnayi jaati hai...neta bnaye jaate hai.....or janta ....janta to janta hai hi

    • 7 hours ago · Like

    • संजय पुरोहित मोहन जी मुझे ज्ञान देने के बाद अब मौन है। बहुसंख्यक को ज्ञान पिलाना कितना आसान है।

    • 7 hours ago via mobile · Like · 1

    • Navneet Pandey राहत शिविर को राहत शिविर न स्वीकार करनेवाली यूपी सरकार द्वारा कुछ राहत शिविरों पर बुल डोजर चला देने की खबरें मिल रही है

    • 6 hours ago · Like · 1

    • Mohan Shrotriya मैं पूरे चौबीस घंटे यहां बैठा नहीं रहता हूं, #संजय . तुम खुशफहमी पालने को स्वतंत्र हो कि मैं *मौन* हो गया. अब तक न जाने कितनों ने चाह था कि मैं मौन हो जाऊं, पर हुआ नहीं. यह युवाओं का अहंकार ही कहलायेगा कि वे खुद के बारे में इतनी "आधारहीन ऊंची" राय रखते हैं. इन राहत (यातना) शिविरों के बारे में अभी दो-तीन दिन पहले ही लिखा था #नवनीत !

    • 6 hours ago · Like · 4

    • Navneet Pandey https://www.facebook.com/dheeresh.saini

    • Dheeresh Saini

    • Works at on doing nothing...Studied at DAV PG College MuzaffarnagarLives in Agartala, India

    • 6 hours ago · Like

    • Ish Mishra In Muzaffarnagar there is tacit alliance b/w Mulayam and Modi,. this might be the prelude of future alliance in polls

    • 4 hours ago · Edited · Like

    • Sanjay Bugalia mishra ji aisa kuchh nahi hai

    • 4 hours ago · Like

    • Ish Mishra ऐसा क्यों. टिकैतों को मोदी के हिटमैन अमित शाह के टिकतैतों जरिए 70 करोड़ रूपए मिले दोनों ही चाहते हैं कि विस्थापित स्थायी विस्थापित बने रहें. अगले चुनाव में मादी मुलायम साथ होंगे, दोनों ही सांप्रदायिक ध्वीरुकरण का फायदा फठाना चाहते हैं.

    • 4 hours ago · Edited · Like · 1

    • Mohan Shrotriya स्पर्धात्मक सांप्रदायिकता का खेल है #ईश. चुनावी गंठजोड़ हो न हो, हथकंडे एक-से हैं.

    • 4 hours ago · Like · 2

    • Ish Mishra इसीलिए तो मैंने tacit alliance कहा. मुलायम जो हलफनामा ले रहे हैं शरणार्थियों से मुवाब्जे के लिए वह मोदी का लगता है

    • 3 hours ago · Like

    • Palash Biswas स‌ामाजिक यथार्थ पर आपकी टिप्पणियां स‌टीक हैं।िन्हें ौर विस्तार देने का कष्ट करें.यही ्नुरोध है।

    • 3 hours ago · Like · 2

    • Vks Gautam सर, ये बाते मेंरे समझ में नहीं आ रही है. कि आदमी आदमखोर हुआ जा रहा है, ऐसा तो नहीं होना चाहिए था

    • 2 hours ago · Like

    • Gaurav Kabeer Rahat shivir me kya rahat bhi kisi ko milti hai ???

    • 18 minutes ago via mobile · Like

    • Palash Biswas आज का स‌ंवाद

    • मनाते रहो जश्न,लेकिन मौत का जश्न है यह

    • दुसाध जी,कितना लिख स‌कते हैं हम आखिर ,हमारे लोग तो कड़ाके की स‌र्दी में लिहाफ के अंदर है।खुले आसमान के नीचे जो स‌रदी स‌े भूख स‌े मर रहे हैं,उनकी परवाह करें कौन।ये लोग गर्मियों में भी शीत ताप नियंत्रित हैं। जब तक हमारे लोग मूक रहेंगे,हालात हरगिज नहीं बदलेंगे और मौत का हर स‌ामान मौजूद हैं।हमारे लोग खुदकशी के अपार विशेषज्ञता हासिल कर चुके हैं।जितने किसानों ने खुदकशी कर ली,बदलाव के लिए उन्होंने जान कुर्बान की होती तो हालात बदल जाते।सपरिवार जहर खाकर लोग स‌मस्याएं स‌ुलझा लेंगे लेकिन स‌ंवाद की दस्तक पर कनपटी में स‌ंगीत बांधे स‌ोते रहेंगे।क्या करें इस कमबख्त बहुसंख्य मृत्युमुखी मृत्यु उपत्यका के विकलांग नागरिकों का।

    • a few seconds ago · Like

    • कैसे और क्‍यों बनाया अमेरिका ने अरविंद केजरीवाल को, पढि़ए पूरी कहानी!

    • http://www.aadhiabadi.com/society/politics/867-who-is-arvind-kejriwal-in-hindi

  • संदीप देव, नई दिल्‍ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की अध्यक्षता वाली एनजीओ गिरोह 'राष्ट्रीय सलाहकार परिषद (एनएसी)' ने घोर सांप्रदायिक 'सांप्रदायिक और लक्ष्य केंद्रित हिंसा निवारण अधिनियम' का ड्राफ्ट तैयार किया है। एनएसी की एक प्रमुख सदस्य अरुणा राय के साथ मिलकर अरविंद केजरीवाल ने सरकारी नौकरी में रहते हुए एनजीओ की कार्यप्रणाली समझी और फिर 'परिवर्तन' नामक एनजीओ से जुड़ गए। अरविंद लंबे अरसे तक राजस्व विभाग से छुटटी लेकर भी सरकारी तनख्वाह ले रहे थे और एनजीओ से भी वेतन उठा रहे थे, जो 'श्रीमान ईमानदार' को कानूनन भ्रष्‍टाचारी की श्रेणी में रखता है। वर्ष 2006 में 'परिवर्तन' में काम करने के दौरान ही उन्हें अमेरिकी 'फोर्ड फाउंडेशन' व 'रॉकफेलर ब्रदर्स फंड' ने 'उभरते नेतृत्व' के लिए 'रेमॉन मेग्सेसाय' पुरस्कार दिया, जबकि उस वक्त तक अरविंद ने ऐसा कोई काम नहीं किया था, जिसे उभरते हुए नेतृत्व का प्रतीक माना जा सके।  इसके बाद अरविंद अपने पुराने सहयोगी मनीष सिसोदिया के एनजीओ 'कबीर' से जुड़ गए, जिसका गठन इन दोनों ने मिलकर वर्ष 2005 में किया था।  

  • अरविंद को समझने से पहले 'रेमॉन मेग्सेसाय' को समझ लीजिए!

  • अमेरिकी नीतियों को पूरी दुनिया में लागू कराने के लिए अमेरिकी खुफिया ब्यूरो  'सेंट्रल इंटेलिजेंस एजेंसी (सीआईए)' अमेरिका की मशहूर कार निर्माता कंपनी 'फोर्ड' द्वारा संचालित 'फोर्ड फाउंडेशन' एवं कई अन्य फंडिंग एजेंसी के साथ मिलकर काम करती रही है। 1953 में फिलिपिंस की पूरी राजनीति व चुनाव को सीआईए ने अपने कब्जे में ले लिया था। भारतीय अरविंद केजरीवाल की ही तरह सीआईए ने उस वक्त फिलिपिंस में 'रेमॉन मेग्सेसाय' को खड़ा किया था और उन्हें फिलिपिंस का राष्ट्रपति बनवा दिया था। अरविंद केजरीवाल की ही तरह 'रेमॉन मेग्सेसाय' का भी पूर्व का कोई राजनैतिक इतिहास नहीं था। 'रेमॉन मेग्सेसाय' के जरिए फिलिपिंस की राजनीति को पूरी तरह से अपने कब्जे में करने के लिए अमेरिका ने उस जमाने में प्रचार के जरिए उनका राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय 'छवि निर्माण' से लेकर उन्हें 'नॉसियोनालिस्टा पार्टी' का  उम्मीदवार बनाने और चुनाव जिताने के लिए करीब 5 मिलियन डॉलर खर्च किया था। तत्कालीन सीआईए प्रमुख एलन डॉउल्स की निगरानी में इस पूरी योजना को उस समय के सीआईए अधिकारी 'एडवर्ड लैंडस्ले' ने अंजाम दिया था। इसकी पुष्टि 1972 में एडवर्ड लैंडस्ले द्वारा दिए गए एक साक्षात्कार में हुई।

  • ठीक अरविंद केजरीवाल की ही तरह रेमॉन मेग्सेसाय की ईमानदार छवि को गढ़ा गया और 'डर्टी ट्रिक्स' के जरिए विरोधी नेता और फिलिपिंस के तत्कालीन राष्ट्रपति 'क्वायरिनो' की छवि धूमिल की गई। यह प्रचारित किया गया कि क्वायरिनो भाषण देने से पहले अपना आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए ड्रग का उपयोग करते हैं। रेमॉन मेग्सेसाय की 'गढ़ी गई ईमानदार छवि' और क्वायरिनो की 'कुप्रचारित पतित छवि' ने रेमॉन मेग्सेसाय को दो तिहाई बहुमत से जीत दिला दी और अमेरिका अपने मकसद में कामयाब रहा था। भारत में इस समय अरविंद केजरीवाल बनाम अन्य राजनीतिज्ञों की बीच अंतर दर्शाने के लिए छवि गढ़ने का जो प्रचारित खेल चल रहा है वह अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए द्वारा अपनाए गए तरीके और प्रचार से बहुत कुछ मेल खाता है।

  • उन्हीं 'रेमॉन मेग्सेसाय' के नाम पर एशिया में अमेरिकी नीतियों के पक्ष में माहौल बनाने वालों, वॉलेंटियर तैयार करने वालों, अपने देश की नीतियों को अमेरिकी हित में प्रभावित करने वालों, भ्रष्‍टाचार के नाम पर देश की चुनी हुई सरकारों को अस्थिर करने वालों को 'फोर्ड फाउंडेशन' व 'रॉकफेलर ब्रदर्स फंड' मिलकर अप्रैल 1957 से 'रेमॉन मेग्सेसाय' अवार्ड प्रदान कर रही है। 'आम आदमी पार्टी' के संयोजक अरविंद केजरीवाल और उनके साथी व 'आम आदमी पार्टी' के विधायक मनीष सिसोदिया को भी वही 'रेमॉन मेग्सेसाय' पुरस्कार मिला है और सीआईए के लिए फंडिंग करने वाली उसी 'फोर्ड फाउंडेशन' के फंड से उनका एनजीओ 'कबीर' और 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' मूवमेंट खड़ा हुआ है।

  • भारत में राजनैतिक अस्थिरता के लिए एनजीओ और मीडिया में विदेशी फंडिंग!

  • 'फोर्ड फाउंडेशन' के एक अधिकारी स्टीवन सॉलनिक के मुताबिक ''कबीर को फोर्ड फाउंडेशन की ओर से वर्ष 2005 में 1 लाख 72 हजार डॉलर एवं वर्ष 2008 में 1 लाख 97 हजार अमेरिकी डॉलर का फंड दिया गया।'' यही नहीं, 'कबीर' को 'डच दूतावास' से भी मोटी रकम फंड के रूप में मिली। अमेरिका के साथ मिलकर नीदरलैंड भी अपने दूतावासों के जरिए दूसरे देशों के आंतरिक मामलों में अमेरिकी-यूरोपीय हस्तक्षेप बढ़ाने के लिए वहां की गैर सरकारी संस्थाओं यानी एनजीओ को जबरदस्त फंडिंग करती है।

  • अंग्रेजी अखबार 'पॉयनियर' में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक डच यानी नीदरलैंड दूतावास अपनी ही एक एनजीओ 'हिवोस' के जरिए नरेंद्र मोदी की गुजरात सरकार को अस्थिर करने में लगे विभिन्‍न भारतीय एनजीओ को अप्रैल 2008 से 2012 के बीच लगभग 13 लाख यूरो, मतलब करीब सवा नौ करोड़ रुपए की फंडिंग कर चुकी है।  इसमें एक अरविंद केजरीवाल का एनजीओ भी शामिल है। 'हिवोस' को फोर्ड फाउंडेशन भी फंडिंग करती है।

  • डच एनजीओ 'हिवोस'  दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में केवल उन्हीं एनजीओ को फंडिंग करती है,जो अपने देश व वहां के राज्यों में अमेरिका व यूरोप के हित में राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने की क्षमता को साबित करते हैं।  इसके लिए मीडिया हाउस को भी जबरदस्त फंडिंग की जाती है। एशियाई देशों की मीडिया को फंडिंग करने के लिए अमेरिका व यूरोपीय देशों ने 'पनोस' नामक संस्था का गठन कर रखा है। दक्षिण एशिया में इस समय 'पनोस' के करीब आधा दर्जन कार्यालय काम कर रहे हैं। 'पनोस' में भी फोर्ड फाउंडेशन का पैसा आता है। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के मीडिया उभार के पीछे इसी 'पनोस' के जरिए 'फोर्ड फाउंडेशन' की फंडिंग काम कर रही है। 'सीएनएन-आईबीएन' व 'आईबीएन-7' चैनल के प्रधान संपादक राजदीप सरदेसाई 'पॉपुलेशन काउंसिल' नामक संस्था के सदस्य हैं, जिसकी फंडिंग अमेरिका की वही 'रॉकफेलर ब्रदर्स' करती है जो 'रेमॉन मेग्सेसाय'  पुरस्कार के लिए 'फोर्ड फाउंडेशन' के साथ मिलकर फंडिंग करती है।

  • माना जा रहा है कि 'पनोस' और 'रॉकफेलर ब्रदर्स फंड' की फंडिंग का ही यह कमाल है कि राजदीप सरदेसाई का अंग्रेजी चैनल 'सीएनएन-आईबीएन' व हिंदी चैनल 'आईबीएन-7' न केवल अरविंद केजरीवाल को 'गढ़ने' में सबसे आगे रहे हैं, बल्कि 21 दिसंबर 2013 को 'इंडियन ऑफ द ईयर' का पुरस्कार भी उसे प्रदान किया है। 'इंडियन ऑफ द ईयर' के पुरस्कार की प्रयोजक कंपनी 'जीएमआर' भ्रष्‍टाचार में में घिरी है।

  • 'जीएमआर' के स्वामित्व वाली 'डायल' कंपनी ने देश की राजधानी दिल्ली में इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा विकसित करने के लिए यूपीए सरकार से महज 100 रुपए प्रति एकड़ के हिसाब से जमीन हासिल किया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक 'सीएजी'  ने 17 अगस्त 2012 को संसद में पेश अपनी रिपोर्ट में कहा था कि जीएमआर को सस्ते दर पर दी गई जमीन के कारण सरकारी खजाने को 1 लाख 63 हजार करोड़ रुपए का चूना लगा है। इतना ही नहीं, रिश्वत देकर अवैध तरीके से ठेका हासिल करने के कारण ही मालदीव सरकार ने अपने देश में निर्मित हो रहे माले हवाई अड्डा का ठेका जीएमआर से छीन लिया था। सिंगापुर की अदालत ने जीएमआर कंपनी को भ्रष्‍टाचार में शामिल होने का दोषी करार दिया था। तात्पर्य यह है कि अमेरिकी-यूरोपीय फंड, भारतीय मीडिया और यहां यूपीए सरकार के साथ घोटाले में साझीदार कारपोरेट कंपनियों ने मिलकर अरविंद केजरीवाल को 'गढ़ा' है, जिसका मकसद आगे पढ़ने पर आपको पता चलेगा।

  • 'जनलोकपाल आंदोलन' से 'आम आदमी पार्टी' तक का शातिर सफर!

  • आरोप है कि विदेशी पुरस्कार और फंडिंग हासिल करने के बाद अमेरिकी हित में अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया ने इस देश को अस्थिर करने के लिए 'इंडिया अगेंस्ट करप्शन' का नारा देते हुए वर्ष 2011 में 'जनलोकपाल आंदोलन' की रूप रेखा खिंची।  इसके लिए सबसे पहले बाबा रामदेव का उपयोग किया गया, लेकिन रामदेव इन सभी की मंशाओं को थोड़ा-थोड़ा समझ गए थे। स्वामी रामदेव के मना करने पर उनके मंच का उपयोग करते हुए महाराष्ट्र के सीधे-साधे, लेकिन भ्रष्‍टाचार के विरुद्ध कई मुहीम में सफलता हासिल करने वाले अन्ना हजारे को अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली से उत्तर भारत में 'लॉंच' कर दिया।  अन्ना हजारे को अरिवंद केजरीवाल की मंशा समझने में काफी वक्त लगा, लेकिन तब तक जनलोकपाल आंदोलन के बहाने अरविंद 'कांग्रेस पार्टी व विदेशी फंडेड मीडिया' के जरिए देश में प्रमुख चेहरा बन चुके थे। जनलोकपाल आंदोलन के दौरान जो मीडिया अन्ना-अन्ना की गाथा गा रही थी, 'आम आदमी पार्टी' के गठन के बाद वही मीडिया अन्ना को असफल साबित करने और अरविंद केजरीवाल के महिमा मंडन में जुट गई।

  • विदेशी फंडिंग तो अंदरूनी जानकारी है, लेकिन उस दौर से लेकर आज तक अरविंद केजरीवाल को प्रमोट करने वाली हर मीडिया संस्थान और पत्रकारों के चेहरे को गौर से देखिए। इनमें से अधिकांश वो हैं, जो कांग्रेस नेतृत्व वाली यूपीए सरकार के द्वारा अंजाम दिए गए 1 लाख 76 हजार करोड़ के 2जी स्पेक्ट्रम, 1 लाख 86 हजार करोड़ के कोल ब्लॉक आवंटन, 70 हजार करोड़ के कॉमनवेल्थ गेम्स और 'कैश फॉर वोट' घोटाले में समान रूप से भागीदार हैं।  

  • आगे बढ़ते हैं...! अन्ना जब अरविंद और मनीष सिसोदिया के पीछे की विदेशी फंडिंग और उनकी छुपी हुई मंशा से परिचित हुए तो वह अलग हो गए, लेकिन इसी अन्ना के कंधे पर पैर रखकर अरविंद अपनी 'आम आदमी पार्टी' खड़ा करने में सफल  रहे।  जनलोकपाल आंदोलन के पीछे 'फोर्ड फाउंडेशन' के फंड  को लेकर जब सवाल उठने लगा तो अरविंद-मनीष के आग्रह व न्यूयॉर्क स्थित अपने मुख्यालय के आदेश पर फोर्ड फाउंडेशन ने अपनी वेबसाइट से 'कबीर' व उसकी फंडिंग का पूरा ब्यौरा ही हटा दिया।  लेकिन उससे पहले अन्ना आंदोलन के दौरान 31 अगस्त 2011 में ही फोर्ड के प्रतिनिधि स्टीवेन सॉलनिक ने 'बिजनस स्टैंडर' अखबार में एक साक्षात्कार दिया था, जिसमें यह कबूल किया था कि फोर्ड फाउंडेशन ने 'कबीर' को दो बार में 3 लाख 69 हजार डॉलर की फंडिंग की है। स्टीवेन सॉलनिक के इस साक्षात्कार के कारण यह मामला पूरी तरह से दबने से बच गया और अरविंद का चेहरा कम संख्या में ही सही, लेकिन लोगों के सामने आ गया।

  • सूचना के मुताबिक अमेरिका की एक अन्य संस्था 'आवाज' की ओर से भी अरविंद केजरीवाल को जनलोकपाल आंदोलन के लिए फंड उपलब्ध कराया गया था और इसी 'आवाज' ने दिल्ली विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए भी अरविंद केजरीवाल की 'आम आदमी पार्टी' को फंड उपलब्ध कराया। सीरिया, इजिप्ट, लीबिया आदि देश में सरकार को अस्थिर करने के लिए अमेरिका की इसी 'आवाज' संस्था ने वहां के एनजीओ, ट्रस्ट व बुद्धिजीवियों को जमकर फंडिंग की थी। इससे इस विवाद को बल मिलता है कि अमेरिका के हित में हर देश की पॉलिसी को प्रभावित करने के लिए अमेरिकी संस्था जिस 'फंडिंग का खेल' खेल खेलती आई हैं, भारत में अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और 'आम आदमी पार्टी' उसी की देन हैं।

  • सुप्रीम कोर्ट के वकील एम.एल.शर्मा ने अरविंद केजरीवाल व मनीष सिसोदिया के एनजीओ व उनकी 'आम आदमी पार्टी' में चुनावी चंदे के रूप में आए विदेशी फंडिंग की पूरी जांच के लिए दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल कर रखी है। अदालत ने इसकी जांच का निर्देश दे रखा है, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्रालय इसकी जांच कराने के प्रति उदासीनता बरत रही है, जो केंद्र सरकार को संदेह के दायरे में खड़ा करता है। वकील एम.एल.शर्मा कहते हैं कि 'फॉरेन कंट्रीब्यूशन रेगुलेशन एक्ट-2010' के मुताबिक विदेशी धन पाने के लिए भारत सरकार की अनुमति लेना आवश्यक है। यही नहीं, उस राशि को खर्च करने के लिए निर्धारित मानकों का पालन करना भी जरूरी है। कोई भी विदेशी देश चुनावी चंदे या फंड के जरिए भारत की संप्रभुता व राजनैतिक गतिविधियों को प्रभावित नहीं कर सके, इसलिए यह कानूनी प्रावधान किया गया था, लेकिन अरविंद केजरीवाल व उनकी टीम ने इसका पूरी तरह से उल्लंघन किया है। बाबा रामदेव के खिलाफ एक ही दिन में 80 से अधिक मुकदमे दर्ज करने वाली कांग्रेस सरकार की उदासीनता दर्शाती है कि अरविंद केजरीवाल को वह अपने राजनैतिक फायदे के लिए प्रोत्साहित कर रही है।

  • अमेरिकी 'कल्चरल कोल्ड वार' के हथियार हैं अरविंद केजरीवाल!

  • फंडिंग के जरिए पूरी दुनिया में राजनैतिक अस्थिरता पैदा करने की अमेरिका व उसकी खुफिया एजेंसी 'सीआईए' की नीति को 'कल्चरल कोल्ड वार' का नाम दिया गया है। इसमें किसी देश की राजनीति, संस्कृति  व उसके लोकतंत्र को अपने वित्त व पुरस्कार पोषित समूह, एनजीओ, ट्रस्ट, सरकार में बैठे जनप्रतिनिधि, मीडिया और वामपंथी बुद्धिजीवियों के जरिए पूरी तरह से प्रभावित करने का प्रयास किया जाता है। अरविंद केजरीवाल ने 'सेक्यूलरिज्म' के नाम पर इसकी पहली झलक अन्ना के मंच से 'भारत माता' की तस्वीर को हटाकर दे दिया था। चूंकि इस देश में भारत माता के अपमान को 'सेक्यूलरिज्म का फैशनेबल बुर्का' समझा जाता है, इसलिए वामपंथी बुद्धिजीवी व मीडिया बिरादरी इसे अरविंद केजरीवाल की धर्मनिरपेक्षता साबित करने में सफल रही।  

  • एक बार जो धर्मनिरपेक्षता का गंदा खेल शुरू हुआ तो फिर चल निकला और 'आम आदमी पार्टी' के नेता प्रशांत भूषण ने तत्काल कश्मीर में जनमत संग्रह कराने का सुझाव दे दिया। प्रशांत भूषण यहीं नहीं रुके, उन्होंने संसद हमले के मुख्य दोषी अफजल गुरु की फांसी का विरोध करते हुए यह तक कह दिया कि इससे भारत का असली चेहरा उजागर हो गया है। जैसे वह खुद भारत नहीं, बल्कि किसी दूसरे देश के नागरिक हों?

  • प्रशांत भूषण लगातार भारत विरोधी बयान देते चले गए और मीडिया व वामपंथी बुद्धिजीवी उनकी आम आदमी पार्टी को 'क्रांतिकारी सेक्यूलर दल' के रूप में प्रचारित करने लगी।  प्रशांत भूषण को हौसला मिला और उन्होंने केंद्र सरकार से कश्मीर में लागू एएफएसपीए कानून को हटाने की मांग करते हुए कह दिया कि सेना ने कश्मीरियों को इस कानून के जरिए दबा रखा है। इसके उलट हमारी सेना यह कह चुकी है कि यदि इस कानून को हटाया जाता है तो अलगाववादी कश्मीर में हावी हो जाएंगे।

  • अमेरिका का हित इसमें है कि कश्मीर अस्थिर रहे या पूरी तरह से पाकिस्तान के पाले में चला जाए ताकि अमेरिका यहां अपना सैन्य व निगरानी केंद्र स्थापित कर सके।  यहां से दक्षिण-पश्चिम व दक्षिण-पूर्वी एशिया व चीन पर नजर रखने में उसे आसानी होगी।  आम आदमी पार्टी के नेता  प्रशांत भूषण अपनी झूठी मानवाधिकारवादी छवि व वकालत के जरिए इसकी कोशिश पहले से ही करते रहे हैं और अब जब उनकी 'अपनी राजनैतिक पार्टी' हो गई है तो वह इसे राजनैतिक रूप से अंजाम देने में जुटे हैं। यह एक तरह से 'लिटमस टेस्ट' था, जिसके जरिए आम आदमी पार्टी 'ईमानदारी' और 'छद्म धर्मनिरपेक्षता' का 'कॉकटेल' तैयार कर रही थी।

  • 8 दिसंबर 2013 को दिल्ली की 70 सदस्यीय विधानसभा चुनाव में 28 सीटें जीतने के बाद अपनी सरकार बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी द्वारा आम जनता को अधिकार देने के नाम पर जनमत संग्रह का जो नाटक खेला गया, वह काफी हद तक इस 'कॉकटेल' का ही परीक्षण  है। सवाल उठने लगा है कि यदि देश में आम आदमी पार्टी की सरकार बन जाए और वह कश्मीर में जनमत संग्रह कराते हुए उसे पाकिस्तान के पक्ष में बता दे तो फिर क्या होगा?

  • आखिर जनमत संग्रह के नाम पर उनके 'एसएमएस कैंपेन' की पारदर्शिता ही कितनी है? अन्ना हजारे भी एसएमएस  कार्ड के नाम पर अरविंद केजरीवाल व उनकी पार्टी द्वारा की गई धोखाधड़ी का मामला उठा चुके हैं। दिल्ली के पटियाला हाउस अदालत में अन्ना व अरविंद को पक्षकार बनाते हुए एसएमएस  कार्ड के नाम पर 100 करोड़ के घोटाले का एक मुकदमा दर्ज है। इस पर अन्ना ने कहा, ''मैं इससे दुखी हूं, क्योंकि मेरे नाम पर अरविंद के द्वारा किए गए इस कार्य का कुछ भी पता नहीं है और मुझे अदालत में घसीट दिया गया है, जो मेरे लिए बेहद शर्म की बात है।''

  • प्रशांत भूषण, अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और उनके 'पंजीकृत आम आदमी'  ने जब देखा कि 'भारत माता' के अपमान व कश्मीर को भारत से अलग करने जैसे वक्तव्य पर 'मीडिया-बुद्धिजीवी समर्थन का खेल' शुरू हो चुका है तो उन्होंने अपनी ईमानदारी की चासनी में कांग्रेस के छद्म सेक्यूलरवाद को मिला लिया। उनके बयान देखिए, प्रशांत भूषण ने कहा, 'इस देश में हिंदू आतंकवाद चरम पर है', तो प्रशांत के सुर में सुर मिलाते हुए अरविंद ने कहा कि 'बाटला हाउस एनकाउंटर फर्जी था और उसमें मारे गए मुस्लिम युवा निर्दोष थे।' इससे दो कदम आगे बढ़ते हुए अरविंद केजरीवाल उत्तरप्रदेश के बरेली में दंगा भड़काने के आरोप में गिरफ्तार हो चुके तौकीर रजा और जामा मस्जिद के मौलाना इमाम बुखारी से मिलकर समर्थन देने की मांग की।

  • याद रखिए, यही इमाम बुखरी हैं, जो खुले आम दिल्ली पुलिस को चुनौती देते हुए कह चुके हैं कि 'हां, मैं पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का एजेंट हूं, यदि हिम्मत है तो मुझे गिरफ्तार करके दिखाओ।' उन पर कई आपराधिक मामले दर्ज हैं, अदालत ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर रखा है लेकिन दिल्ली पुलिस की इतनी हिम्मत नहीं है कि वह जामा मस्जिद जाकर उन्हें गिरफ्तार कर सके।  वहीं तौकीर रजा का पुराना सांप्रदायिक इतिहास है। वह समय-समय पर कांग्रेस और मुलायम सिंह यादव की समाजवादी पार्टी के पक्ष में मुसलमानों के लिए फतवा जारी करते रहे हैं। इतना ही नहीं, वह मशहूर बंग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन की हत्या करने वालों को ईनाम देने जैसा घोर अमानवीय फतवा भी जारी कर चुके हैं।

  • नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए फेंका गया 'आखिरी पत्ता' हैं अरविंद!

  • दरअसल विदेश में अमेरिका, सउदी अरब व पाकिस्तान और भारत में कांग्रेस व क्षेत्रीय पाटियों की पूरी कोशिश नरेंद्र मोदी के बढ़ते प्रभाव को रोकने की है। मोदी न अमेरिका के हित में हैं, न सउदी अरब व पाकिस्तान के हित में और न ही कांग्रेस पार्टी व धर्मनिरेपक्षता का ढोंग करने वाली क्षेत्रीय पार्टियों के हित में।  मोदी के आते ही अमेरिका की एशिया केंद्रित पूरी विदेश, आर्थिक व रक्षा नीति तो प्रभावित होगी ही, देश के अंदर लूट मचाने में दशकों से जुटी हुई पार्टियों व नेताओं के लिए भी जेल यात्रा का माहौल बन जाएगा। इसलिए उसी भ्रष्‍टाचार को रोकने के नाम पर जनता का भावनात्मक दोहन करते हुए ईमानदारी की स्वनिर्मित धरातल पर 'आम आदमी पार्टी' का निर्माण कराया गया है।

  • दिल्ली में भ्रष्‍टाचार और कुशासन में फंसी कांग्रेस की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की 15 वर्षीय सत्ता के विरोध में उत्पन्न लहर को भाजपा के पास सीधे जाने से रोककर और फिर उसी कांग्रेस पार्टी के सहयोग से 'आम आदमी पार्टी' की सरकार बनाने का ड्रामा रचकर अरविंद केजरीवाल ने भाजपा को रोकने की अपनी क्षमता को दर्शा दिया है। अरविंद केजरीवाल द्वारा सरकार बनाने की हामी भरते ही केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा, ''भाजपा के पास 32 सीटें थी, लेकिन वो बहुमत के लिए 4 सीटों का जुगाड़ नहीं कर पाई। हमारे पास केवल 8 सीटें थीं, लेकिन हमने 28 सीटों का जुगाड़ कर लिया और सरकार भी बना ली।''

  • कपिल सिब्बल का यह बयान भाजपा को रोकने के लिए अरविंद केजरीवाल और उनकी 'आम आदमी पार्टी' को खड़ा करने में कांग्रेस की छुपी हुई भूमिका को उजागर कर देता है। वैसे भी अरविंद केजरीवाल और शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित एनजीओ के लिए साथ काम कर चुके हैं। तभी तो दिसंबर-2011 में अन्ना आंदोलन को समाप्त कराने की जिम्मेवारी यूपीए सरकार ने संदीप दीक्षित को सौंपी थी। 'फोर्ड फाउंडेशन' ने अरविंद व मनीष सिसोदिया के एनजीओ को 3 लाख 69 हजार डॉलर तो संदीप दीक्षित के एनजीओ को 6 लाख 50 हजार डॉलर का फंड उपलब्ध कराया है। शुरू-शुरू में अरविंद केजरीवाल को कुछ मीडिया हाउस ने शीला-संदीप का 'ब्रेन चाइल्ड' बताया भी था, लेकिन यूपीए सरकार का इशारा पाते ही इस पूरे मामले पर खामोशी अख्तियार कर ली गई।

  • 'आम आदमी पार्टी' व  उसके नेता अरविंद केजरीवाल की पूरी मंशा को इस पार्टी के संस्थापक सदस्य व प्रशांत भूषण के पिता शांति भूषण ने 'मेल टुडे' अखबार में लिखे अपने एक लेख में जाहिर भी कर दिया था, लेकिन बाद में प्रशांत-अरविंद के दबाव के कारण उन्होंने अपने ही लेख से पल्ला झाड़ लिया और 'मेल टुडे' अखबार के खिलाफ मुकदमा कर दिया। 'मेल टुडे' से जुड़े सूत्र बताते हैं कि यूपीए सरकार के एक मंत्री के फोन पर 'टुडे ग्रुप' ने भी इसे झूठ कहने में समय नहीं लगाया, लेकिन तब तक इस लेख के जरिए नरेंद्र मोदी को रोकने लिए 'कांग्रेस-केजरी' गठबंधन की समूची साजिश का पर्दाफाश हो गया। यह अलग बात है कि कम प्रसार संख्या और अंग्रेजी में होने के कारण 'मेल टुडे' के लेख से बड़ी संख्या में देश की जनता अवगत नहीं हो सकी, इसलिए उस लेख के प्रमुख हिस्से को मैं यहां जस का तस रख रहा हूं, जिसमें नरेंद्र मोदी को रोकने के लिए गठित 'आम आदमी पार्टी' की असलियत का पूरा ब्यौरा है।

  • शांति भूषण ने इंडिया टुडे समूह के अंग्रेजी अखबार 'मेल टुडे' में लिखा था, ''अरविंद केजरीवाल ने बड़ी ही चतुराई से भ्रष्‍टाचार के मुद्दे पर भाजपा को भी निशाने पर ले लिया और उसे कांग्रेस के समान बता डाला।  वहीं खुद वह सेक्यूलरिज्म के नाम पर मुस्लिम नेताओं से मिले ताकि उन मुसलमानों को अपने पक्ष में कर सकें जो बीजेपी का विरोध तो करते हैं, लेकिन कांग्रेस से उकता गए हैं।  केजरीवाल और आम आदमी पार्टी उस अन्ना हजारे के आंदोलन की देन हैं जो कांग्रेस के करप्शन और मनमोहन सरकार की कारगुजारियों के खिलाफ शुरू हुआ था। लेकिन बाद में अरविंद केजरीवाल की मदद से इस पूरे आंदोलन ने अपना रुख मोड़कर बीजेपी की तरफ कर दिया, जिससे जनता कंफ्यूज हो गई और आंदोलन की धार कुंद पड़ गई।''

  • ''आंदोलन के फ्लॉप होने के बाद भी केजरीवाल ने हार नहीं मानी। जिस राजनीति का वह कड़ा विरोध करते रहे थे, उन्होंने उसी राजनीति में आने का फैसला लिया। अन्ना इससे सहमत नहीं हुए । अन्ना की असहमति केजरीवाल की महत्वाकांक्षाओं की राह में रोड़ा बन गई थी। इसलिए केजरीवाल ने अन्ना को दरकिनार करते हुए 'आम आदमी पार्टी' के नाम से पार्टी बना ली और इसे दोनों बड़ी राष्ट्रीय पार्टियों के खिलाफ खड़ा कर दिया।  केजरीवाल ने जानबूझ कर शरारतपूर्ण ढंग से नितिन गडकरी के भ्रष्‍टाचार की बात उठाई और उन्हें कांग्रेस के भ्रष्‍ट नेताओं की कतार में खड़ा कर दिया ताकि खुद को ईमानदार व सेक्यूलर दिखा सकें।  एक खास वर्ग को तुष्ट करने के लिए बीजेपी का नाम खराब किया गया। वर्ना बीजेपी तो सत्ता के आसपास भी नहीं थी, ऐसे में उसके भ्रष्‍टाचार का सवाल कहां पैदा होता है?''

  • ''बीजेपी 'आम आदमी पार्टी' को नजरअंदाज करती रही और इसका केजरीवाल ने खूब फायदा उठाया। भले ही बाहर से वह कांग्रेस के खिलाफ थे, लेकिन अंदर से चुपचाप भाजपा के खिलाफ जुटे हुए थे। केजरीवाल ने लोगों की भावनाओं का इस्तेमाल करते हुए इसका पूरा फायदा दिल्ली की चुनाव में उठाया और भ्रष्‍टाचार का आरोप बड़ी ही चालाकी से कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा पर भी मढ़ दिया।  ऐसा उन्होंने अल्पसंख्यक वोट बटोरने के लिए किया।''

  • ''दिल्ली की कामयाबी के बाद अब अरविंद केजरीवाल राष्ट्रीय राजनीति में आने जा रहे हैं। वह सिर्फ भ्रष्‍टाचार की बात कर रहे हैं, लेकिन गवर्नेंस का मतलब सिर्फ भ्रष्‍टाचार का खात्मा करना ही नहीं होता। कांग्रेस की कारगुजारियों की वजह से भ्रष्‍टाचार के अलावा भी कई सारी समस्याएं उठ खड़ी हुई हैं। खराब अर्थव्यवस्था, बढ़ती कीमतें, पड़ोसी देशों से रिश्ते और अंदरूनी लॉ एंड ऑर्डर समेत कई चुनौतियां हैं। इन सभी चुनौतियों को बिना वक्त गंवाए निबटाना होगा।''

  • ''मनमोहन सरकार की नाकामी देश के लिए मुश्किल बन गई है। नरेंद्र मोदी इसलिए लोगों की आवाज बन रहे हैं, क्योंकि उन्होंने इन समस्याओं से जूझने और देश का सम्मान वापस लाने का विश्वास लोगों में जगाया है। मगर केजरीवाल गवर्नेंस के व्यापक अर्थ से अनभिज्ञ हैं। केजरीवाल की प्राथमिकता देश की राजनीति को अस्थिर करना और नरेंद्र मोदी को सत्ता में आने से रोकना है।  ऐसा इसलिए, क्योंकि अगर मोदी एक बार सत्ता में आ गए तो केजरीवाल की दुकान हमेशा के लिए बंद हो जाएगी।''

  • Web Title: who is arvind kejriwal in hindi

  • Keywords: अरविंद केजरीवाल| केजरीवाल| आम आदमी पार्टी| नरेंद्र मोदी| मोदी| भाजपा| कांग्रेस| दिल्‍ली की सरकार| परिवर्तन एनजीओ| कबीर एनजीओ| केजरीवाल के एनजीओ की फंडिंग| अमेरिका| सीआईए| फोर्ड फाउंडेशन|arvind kejriwal| aam aadmi party delhi|narendra modi

Satya Narayan with Rahul Chauhan and Aflatoon Afloo

Like ·  · Share · February 26 at 5:20pm ·

Jagadishwar Chaturvedi

मोदी फिनोमिना हिंदी सिनेमा की तरह हिट है,जिस तरह हिंदी की हिट फिल्म एक सप्ताह में हिट होकर बक्से में बंद हो जाती है ,वही दशा मोदी बाबू की है।

Like ·  · Share · 4 hours ago near Calcutta ·

Aam Aadmi Party

about an hour ago

1. In his six hours at work, Arvind met the heads of the Delhi Jal Board, Indraprastha Gas Limited, Delhi's Police Commissioner BS Bassi, and called two cabinet meetings with his team.


2. Manish Sisodia, Minister for Education, met the Director of Education, and called for scrapping of the management quota in admissions. He also said he will keep a close watch on the donation system and the nursery admission process will be a top priority.


3. Law Minister Somnath Bharti ha...See More — with Jaswant Kumar and 11 others.


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Aam Aadmi Party shared a link.

3 hours ago

Hours after Aam Aadmi Party National Convener Arvind Kejriwal assumed office in the national capital, he has transferred Chief of Delhi Jal Board Debashree Mukherjee on Saturday.

Eight other IAS officers were also shunted out.


Senior IAS officer Vijay Kumar has been made the new CEO of Delhi Jal Board. Power Secretary RK Verma, who is also the CMD of Delhi Transco Ltd and Chairman of Pragati Power Corporation Ltd, has been shifted as the Principal Secretary of Higher Education. He will also hold charge as the Principal Secretary, Training and Technical Education.


Aam Aadmi Party shared a link.

4 hours ago

Watch Arvind Kejriwal's full speech after taking oath as Chief Minister of Delhi yesterday. Let us all take the pledge that Arvind requests in the video: "I promise, in this life, I will neither give nor take bribe" #HistoricMoment

Kejriwal's speech at Ram Leela Maidan

Arvind Kejriwal's speech at Ram Leela Maidan on 12/28/2013 as the CM for Delhi.


Transport Secretary Puneet Goel has been transferred as the Power Secretary. The Principal Secretary-cum-Commissioner in the Development Department Arvind Ray will hold additional charge in the transport department.

Aam Aadmi Party

15 hours ago

It is not Arvind or Manish or Rakhi or Saurabh or anyone else who has taken oath, it's the common man of this country who has taken oath.


This is just the beginning of a nationwide change!

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आज शपथ ग्रहण अरविन्द या मनीष या राखी या सौरभ या किसी और ने नहीं बल्कि देश के आम आदमी ने किया है.


ये एक राजनैतिक बदलाव की शुरुआत भर है! — with Waseem Akram and 16 others.

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Navbharat Times Online

अरविंद केजरीवाल से भा ज़्यादा गरीब हैं नरेंद्र मोदी और नीतीश कुमार??

जानिए... http://navbharattimes.indiatimes.com/photomazza/national-international-photogallery/Nitish-Modi-Mamata-poorer-than-new-Delhi-CM-Kejriwal/--/photomazaashow/28093392.cms

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Nomad's Hermitage with Priya Ranjan and 29 others

कुछ आदरणीय-विशिष्ट-फेसबुकिये मित्रों के नाम खुला पत्र-

आपमें से कुछ लोगों की मेरी पोस्ट्स में की जानें वाली कमेंट्स शालीनता के दायरे नहीं आ रही हैं, जानबूझकर परसनल आहत करनें के उद्देश्य को लिये होती हैं।


आप लोग मेरी पोस्ट पढ़नें के लिये विवश नहीं हैं। मैं अपनी समझ के आधार पर बातें रखता हूं और चुनावी परिणामों से जुड़े मामलों को छोड़कर मेरी समझ अमूमन गलत नहीं निकलती है।


मैं आप लोगों को यह स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि मुझे कभी आपसे आपका कीमती वोट नहीं चाहिये, मुझे कभी मंत्री/नौकरशाह/सांसद/विधायक आदि होनें में धेलाभर रुचि नहीं रही है।

कोशिश कीजिये कि आप अपनीं सामाजिक परिवर्तन की मेट्रो क्रांतिकारिता, अशालीनता और प्रमाणपत्र अपनें पास रखिये। जैसा भी हूं कभी आपके पास आपका अमूल्य मत मांगनें या आपसे अपनें खानें के लिये रोटी मांगनें या रात गुजारनें के लिये छत मागनें नहीं आऊंगा।


इसलिये मैं नहीं समझता कि मुझे आपकी बदतमीजियों को एक सीमा से अधिक सहन करनें की आवश्यकता है। मेरी छोटी सहनशीलता के लिये मुझे माफ कीजिये यह विनम्र विनती है।


मैंनें अपनीं 15 साल की उम्र में भारत के शोषित व उपेक्षित तबके के लिये अपनीं क्षमता व समझ भर योगदान करनें का निर्णय लिया था और अभी तक उस निर्णय में कायम हूं।


मैं कई सालों से इंटरनेशनल पेन, यूरोपियन यूनियन के कई वैश्विक संगठनों, अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता, पर्यावरण और लोकतंत्रिक मूल्यों के लिये जनांदोलन करनें वाले वैश्विक संगठनों आदि से सक्रिय और आधिकारिक रूप से संबद्ध हूं।


मुझे अपनें मतलब भर का अभिव्यक्ति का स्वातंत्र्य का मतलब पता है, बेहतर समझ के लोगों के योगदान व सहयोग से मेरी समझ बढ़ती रहती है। आपको मेरी समझ दुरुस्त करनें का परिश्रम करनें की कोई आवश्यकता नहीं है।


यदि आपको सामाजिक चर्चा करनीं नहीं आती है या आपको यह लगता है कि मुझे सामाजिक चर्चा करनीं नहीं आती है तो आप मेरी वाल में आनें या मेरी बकवास को पढ़नें के लिये या मेरे साथ फेसबुकिया मित्रता रखनें के लिये बिलकुल भी विवश नहीं हैं।


मुझे आपसे मेरे सामाजिक इमानदारी, कमिटमेंट और अभिव्यक्ति के स्वातंत्र्य आदि के लिये किसी भी प्रमाणपत्र की आवश्यकता नहीं है।


मैं आपका अपमान नहीं करता आपको मेरा अपमान करनें का कोई अधिकार नहीं है।

आशा है कि आप मेरी स्पष्टता के लिये क्षमा करेंगें। सादर प्रणाम

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  • 21 people like this.

  • Amitabh Thakur kya ho gaya Nomad's Hermitage sir

  • 8 minutes ago · Like

  • Jitendra Kumar Khanna-Journalist BAHUT SUNDER AUR BEBAK BAAT..! KYA HO GYA NOMAD BHAI?

  • 7 minutes ago via mobile · Like

  • Vicky Mangal नोमेड दा में भी देखकर कुछ पूर्वाग्रह से ग्रसित लोग ऐशा कर रहै है ... आप ईन पर ध्यान ना दे...

  • 5 minutes ago via mobile · Like

  • Devendra Yadav लोकतान्त्रिक तरीके से आपको अपनी बात रखने का विचार पसंद आया।सादर।

  • 4 minutes ago via mobile · Like

  • Palash Biswas स्पष्ट बात करनेके लिए आभार।मैं भी यही निवेदन दोहराना चाहता हूं।आपने जितनी स‌्पष्टताके स‌ाथ यह मुद्दा उठाया है ,वह मैं कर नहीं स‌का।दरअसल हम स‌ंवाद की तहजीब ही खो चुके हैं,िसलिे यह अराजक आलम है।

  • a few seconds ago · Like

Rajiv Lochan Sah

आज का दिन भी उपयोगी ही रहा। पहले चार नाती-नातिन, पोतियों को वाया फाँसी गधेरा, डीएसबी कैंपस, शेरवुड, टिफ़िन टॉप, लैंड्स एंड, बारा पत्थर यानी कम से कम आठ किमी की सैर करवा डाली। छह से ग्यारह साल की उम्र के ये बच्चे ताउम्र याद करेंगे कि हाँ पैदल चलने की भी एक संस्कृति हुआ करती थी।

फिर नैनीताल फिल्म सोसाइटी की पहली प्रस्तुति गुरदयाल सिंह के उपन्यास पर आधारित गुरविंदर सिंह की पंजाबी फिल्म 'अन्हे घोड़े दा दान' देखी। subtitle न होने से समझने में दिक्कत हुई। मगर एक अच्छी फिल्म की खुशबू ही कुछ और होती है।

मगर क्लब में चल रहे इंटर हाउस टीटी टूर्नामेंट का अपना सेमीफाइनल मैच हारने का अफ़सोस रह गया....चलो...

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Palash Biswas राजीव दाज्यू।आप अबभी जवान हैं,जानकर राहत मिली।


TaraChandra Tripathi

भारत सच्चे अर्थों में गणतंत्र है। यहाँ हर प्रभावशाली व्यक्ति गण पालता है। को भारतीय परंपरा में गणों को सदा विघ्नकारी, विविध रूपधारी और संत्रासकारी माना गया है। इसीलिए हर धार्मिक कार्य के आरंभ में उनके अधिपति गणेश की वन्दना की जाती है- निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा। यही नहीं तैत्तरीय संहिता के रुद्रस्तवन (पार्थिव पूजा) के 'नामकः' मंत्रों में उनके पिता भी, जिन्हें हमारे आज के बहुत से जन नेताओं की तरह रुद्र (भयानक), स्तेनानां और स्तायूनाम पति (चोरों का स्वामी), तस्कराणांपति, मुष्णतांपति ( सैंध लगाने वालों का स्वामी) कहा गया है, महाविनाशक शक्तियों से युक्त हैं। ऐसा माना जाता रहा है कि किसी तरह पटा लिये जाने पर वे भला न भी करें, कम से कम अहित तो नहीं करेंगे। आर्य भी उनके आतंक से भयभीत रहे हैं। उनकी यह चीख पुकार रुद्र मंत्रों में व्याप्त है। इन मंत्रों में वे बार.बार रुद्र से मेरे पुत्रों को मत मार, मेरे पशुओं को मत मार, अपने बाणों की दिशा दूसरी ओर कर ले, अपने सम्मोहन का जाल मत फैला, आदि चिल्लाते हुए मिलते हैं। यही हाल आज हमारे देश की आम जनता का भी है।

वस्तुतः भारतीय राजनीति के इन गणों या तथाकथित भाग्य विधाताओं की शक्ति हमारे भय और भ्रान्तियों में निहित है। जब तक हम भय, अनाचार, अत्याचार, प्रलोभन भरे छलावों, जाति और संप्रदायों के व्यामोह से निकल कर इनका सामना करने के लिए खड़े नहीं होते, फूट डालो और राज करो की नीति पर चलने वाले, प्रजातंत्र का मुखौटा ओढ़े इन अनैतिक और बर्बर अधिनायकों के चंगुल से नहीं निकल सकते।

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Ak Pankaj

गगेन्द्रनाथ टैगोर ने यह चित्र 1917 में बनाया था. लगभग एक सदी पहले. सौ साल कम नहीं होते बदलाव के लिए. लेकिन इस चित्र में जो बात कही गई है वह नहीं बदला. बदलने को तैयार नहीं है.

Like ·  · Share · 19 minutes ago ·

Shamshad Elahee Shams

लोकतंत्र (भोगतंत्र) खराब हो गया है. उपस्थित जनता ने डाक्टर को एक सुर में बताया.

डाक्टर ने सुबह दोपहर शाम खाने वाली पुडिये सभी के हाथ थमा दी.

इन्हें कब तक खाना है ? मरीज़ जनता फिर बोली

मर्ज़ बड़ा है, इलाज भी लंबा चलेगा ..डाक्टर बोला.

लेकिन कब तक ?

अभी चलाओ ४-६ महीने ..फिर बाद में समीक्षा करेंगे.

जनता चली गयी.

एक आदमी ने पुडिया को देखा

'आप' लिखा था.

---------------------------- 'शम्स', दिसंबर २८,२०१३

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Vidya Bhushan Rawat

नौ दिनों तक अलग अलग बस्तियों और कस्बो से गुजरते हम कल फतेहपुर पंहुचे। आज हमारी 'मानववादी यात्रा' का समापन है लेकिन विचारो की लड़ाई चलती रहती है. इस यात्रा ने हमें हमारे आंदोलनो और 'विचारधाराओ' की कमी भी दिखाई क्योंकि कही न कही सामाजिक और सांस्कृतिक तौर पर साथ रहने की परंपरा नहीं है. क्योंकि मैला ढोने की प्रथा आज भी जारी है और हम ये मानते हैं के ये केवल एक समाज के प्रश्न नहीं अपितु भारत का सामूहिक कलंक है इसलिए हमने इसे और जातीय भेदभाव और साम्प्रदायिकता को मुख्या मुद्दा बनाया। शहरो और गावो में 'जातिवाद हो बर्बाद, छुआछूत जायेगा, मानववाद आएगा' के नारे लगे. हमारा प्रयास अम्बेडकरवाद को मानववाद की शक्ल में रखने का था ताकि उसमे सभी जातियां शामिल हों. इतनी यात्रा के बाद एक ही बात सामने आई कि दलित बहुजन या सर्वजन समाज के लिए आंबेडकर के मानववाद के अलावा कोई चारा नहीं। भारत को यदि एक आधुनिक रास्त्र बनाना है तो बाबा साहेब आंबेडकर के आधुनिक विचारो पर चल कर ही वो सम्भव है. जो लोग भूतकाल में अपना भविष्य ढूंढ रहे हैं वो जनता को गुमराह कर रहे है. भारत का संविधान आज भी भारत के समाज और भारत के गावो में नहीं चलता और जरुरत इस बात की है के लोग अपने जीवन में संवेधानिक मूल्यों को लाये और एक प्रबुद्ध भारत का निर्माण करें। हमारा प्रयास जारी रहेगा।

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Surendra Grover

भाजपा में ही अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि प्रधानमंत्री तो चुने हुए दो सौ बहत्तर सांसद तय कर सकते हैं फिर पार्टी ने मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार कैसे तय कर दिया..? यह तो तानाशाही है, लोकतंत्र कत्तई नहीं..

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Ram Puniyani

4 hours ago ·

  • Painful Path to Justice: Travails of Zakia Jafri
  • Ram Puniyani
  • The metropolitan court on 26th December 2013 exonerated Narendra Modi and 59 others for their complicity in the Gujarat carnage. Fully accepting the report of SIT (Special Investigation Team) the court endorsed the view of Modi and Government about their role in the carnage. The Court rejected a petition seeking the prosecution of Chief Minister Narendra Modi in the 2002 communal riots case. There were varied reactions to this. Mrs Jafri broke down but vowed to continue her legal battle. She has alleged that Mr. Modi colluded with senior ministers, bureaucrats and the police to facilitate the communal violence that tore through the state. Narendra Modi stated that he felt relief for facing the trial by fire and also wrote a blog saying that he was shaken to the core by the violence, he felt 'Grief', 'Sadness', 'Misery', 'Pain', 'Anguish', 'Agony'. Responding to the poor state of the justice delivery system in Gujarat social activist Mallika Sarabhai said today that it was "silly to have expected anything else but a clean chit" for Mr. Modi from a Gujarat court." As per her everyone in Gujarat was "terrified of Modi's vengeance".
  • Just to recapitulate, the massive Gujarat violence which took the communal violence to harrowing depths, the open collusion of state and the perpetrators of violence stood nakedly for all to see. This was also the violence where the social activists took up the case of justice in a determined way leading to shifting of crucial cases outside of Gujarat as in the atmosphere of intimidation prevailing in Gujarat; the process of deliverance of justice is difficult. The SIT (Special Investigation Team) was formed under the Supervision of the Supreme Court, but those in the SIT could not rise up to the task of the objectivity in the process of interpretation of investigation. Interestingly as SIT gave 'clean chit' to Modi, the Amicus Curiae Raju Ramcnadran appointed by Supreme Court stated that there is enough evidence in the report to prosecute Modi under different clauses. Immediately after the judgment was out the BJP activists celebrated by bursting crackers and Modi tweeted, 'Satyamev Jayate', (Truth wins). Interestingly there seem to be different truths depending on which side of the divide you are. While 'Modi's truth' seems to have won for the time being the truth of Zakia Jafri and thousands of victims of Gujarat is struggling to get justice.
  • The same events are seen in different light for different people. In the aftermath of the verdict the BJP spokesmen have been aggressively defending the verdict. The press release by Teesta Setalvad (Citizens for Justice and Peace), which is helping Zaki Jafri, gave a detailed account of the petition. This petition shows that the team of lawyers has done their job well. The petition points out the that state had deliberately ignored the signal which indicated the build up towards disaster.. They produced concrete evidence, fax messages, telephone call records amongst others to show that state administration was in the know of the aggressive behavior of the returning Kar Sevaks who were giving provocative slogans. The rowdy nature of the Kar Sevaks was documented. The words and deeds of the Chief Minister, who now seems to be projecting as if it was a period of pain, is contrary to his actions during that time. That time he openly alleged the role of International terrorism, Pakistan's ISI and local Muslims in the burning of the train. He created a provocative atmosphere by involving the VHP in the episode. The post mortem of the bodies was conducted in the open in the presence of RSS-VHP workers. Modi himself instigated the communal forces by giving statements like, 'every action has a reaction'. This statement is being denied now for political reasons. In the meeting attended by top officials he did ask the administration to sit back as the reaction of Hindus will take place. Haren Pandya who testified to the Concerned Citizen's Tribunal and told this to the tribunal was murdered later. Other official Sanjeev Bhatt has also testified the same. The military was called in late and not deployed properly; many severely hit areas were left out. During this time Modi went on to say the 'they are being taught a lesson'. Modi's body language during that time did not show any signs of pain or anguish. It was more of a triumphant man riding on the wave of success.
  • Sting operations have also shown the role of communal forces and collusion of state machinery. Dr. Maya Kodnani, Modi's cabinet colleague and Babu Bajrangi of VHP are currently serving life term for their crime. During the process of relief also, the state shirked from its responsibility by saying that the refugee camps are 'children manufacturing centers'. The Godhra train burning was called an act of terrorism and the carnage was treated as mere violence. The violence victims are now living in abysmal conditions in the ghettoes like Juhapura. With the help of propaganda all these 'truths' of Gujarat are being pushed under the carpet. Any criticism of the state leadership and policy is being projected as the insult of the people of Gujarat. The majority community has been made to feel insecure through the propaganda unleashed by the communal forces.
  • Many other culprits got clean chit at lower courts but law did catch up with them in due course as in the case of Maya Kodnani. Same state saw the spate of fake encounters, the ones like that of Ishrat Jahan. Many top police officers of the state are behind the bars for their collusion with the divisive agenda, Vanjara and company. Sarabhai correctly depicts the picture of the justice in Gujarat. So it is a battle between two sets of truths, the truth of Modi on one side and that of Zakia Jafri on the other. Modi benefitted from the whole tragedy as at first, the tottering BJP hold became stronger in Gujarat. Then through a carefully orchestrated propaganda of development he came to position himself as the prime ministerial candidate of BJP. Zakia Jafri and the score of victims who lost their near and dear one's, lost their home and hearth and have to live in the dark tunnels of the haunting memories of what happened to them during the violence.
  • Yes truth of the one's wronged; the one who are victims should prevail. This is the beginning of the battle for justice and the resolve of Mrs Jafri and the social activists supporting her is not just for her personal grief but also for the cause of justice all over the state. Surely one hopes 'their' truth will prevail in due course.
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    • 12 people like this.

    • Nikhil Ravindra Vakil I was expecting a write up frm u jijaji after SIT has given clean chit to Modiji. And dis write up has come in favor of widow of late congress MP ehsan jafri who himself was an part of anti social element in Gujarat. Dis means u r not fighting for Mus...See More

    • 4 hours ago via mobile · Like

    • Niranjani Shetty WE are to witness very very difficult time for common man on the street. Communal ism on the rise, Muzaffarnagar does not matter to our Media. Mr.Som of BJP, who spread false rumor of Hindu youth being killed on the street, by using some old, Youtube v...See More

    • 52 minutes ago · Like · 1

    • Dilkash Akhtar Again a refresher of the painful Godhra account. This is an open mockery of the law...Modi got a cleqn chit...still can't believe. Thank you so much honorable Sir ! for this write up.

    • 52 minutes ago via mobile · Like


जनज्वार डॉटकॉम

सिनेमाई व्यक्तित्व होने के नाते अमिताभ का राज ठाकरे के साथ मंच साझा करना मुम्बई में शान्ति से रहने की उनकी मजबूरी के रूप में हो सकता है, मगर राज ठाकरे का उनके पैर छूकर पुरानी बातों को भुला देना विशुद्ध रूप से वोट बैंक की राजनीति है...http://www.janjwar.com/2011-05-27-09-06-02/69-discourse/4648-nya-koi-gul-khilayenge-tabhi-to-by-siddharthshankar-gautam-for-janjwar

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Alok Putul and Pushya Mitra shared a link.

हजारों ख्वाहिशें ऐसी: रांची में शेर गरजा, किसने देखा

pushymitr.blogspot.com

ये आरजू भी बङी चीज है मगर हमदम, विसाल ए यार फकत आरजू की बात नहीं

  • Alok Putul via Pushya Mitra
  • Like ·  · Share · 211 · 2 hours ago ·

  • Pushya Mitra
  • हमारा शहर रांची महीने भर से शेर की दहाड़ सुनने का इंतजार कर रहा था. हर चौक-चौराहे पर मोदी होर्डिंगों में टंगे थे और गाड़ियों में पोस्टर फड़फड़ा रहे थे. हर तरफ शोर बरपा था कि मोदी आने वाला है और शेर गरजने वाला है. तकरीबन दो-तीन हफ्ते पहले जब सोनू निगम हमारे शहर आया था तो मुझे याद आ रहा है कुछ इसी तरह की मारा-मारी पास के लिए मची थी और उस कार्यक्रम में मैं जिस आटो पर सवार होकर गया था वह कह रहा था कि आज से ज्यादा मजा 29 को आयेगा, जब मोदीजी आयेंगे. रांची छोटा सा शहर है, अभी ठीक से महानगर भी नहीं हो पाया है. यह ठीक है कि धौनी जैसा सुपरस्टार रांची का ही रहने वाला है, मगर क्रिकेट मैच, फिल्म स्टार और बड़े नेताओं का क्रेज अभी भी इस शहर में बरकरार है. लालू जी ने चारा घोटाला में दोषी करार होने के बाद यहीं जेल में वक्त गुजारा और जब तक रहे जेल वालों के लिए परेशानी का सबब बनकर ही रहे. रोज होटवार जेल के आगे उन्हें देखने वालों की भीड़ उमड़ती थी. यहां तो मीका और राखी सावंत भी आ जायें तो दंगा होने की संभावना रहती है.

  • पढिये यह रिपोर्ट...

  • Like ·  · Share · 912 · 3 hours ago ·

Mohan Shrotriya

अब भाजपा गैस (सीएनजी) के दामों में बढ़ोतरी के खिलाफ़ आंदोलन करेगी, दिल्ली में !


दिल्ली में? क्या मैंने सही सुना, सिर्फ़ दिल्ली में?


अच्छी बात है कि महंगाई के आंशिक मुद्दे पर आंदोलन की सूझी तो ! पर सिर्फ़ दिल्ली में ही क्यों?


क्या राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात आदि राज्यों में क़ीमतें कम हो गई हैं? क्या गैस, पेट्रोल, डीजल के दामों में बढ़ोतरी का लाभ राज्य सरकारों को नहीं होता?


भाजपा को चाहिए कि इन सभी राज्यों में एक साथ आंदोलन करे ! या फिर उन कारणों का खुलासा करे जिनसे प्रेरित होकर वह उन राज्यों की जनता के साथ खड़ी होना नहीं चाहती, जिन्होंने केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ़ एकजुट होकर उसकी सरकारें बनवाई?


दिल्ली में सरकार न बना पाने की खीझ ऐसे निकाली जाएगी तो राजनीतिक रूप से महंगी पडेगी ! इतनी छोटी-सी बात समझने के लिए कोई बहुत बड़ा ज्ञानी होना कहां ज़रूरी है?

Like ·  · Share · 2 hours ago near Jaipur · Edited ·

  • Rajiv Nayan Bahuguna, Jagadishwar Chaturvedi, Ashutosh Kumar and 35 others like this.

  • View 5 more comments

  • Mohan Shrotriya हां, कहते हैं तब बड़ा काम किया था उन्होंने. मुझे याद नहीं आ रहा कि वह विधान सभा से थे या विधान परिषद से !

  • about an hour ago · Like · 1

  • Sanjay Bugalia vidhan parishad se the......par ye sach h work n future planning gud thi unki....mumbai me log yad krte h unko aaj b kaam ke liye........but is time vo party ka bhala nhi bura jyda kar rhe h

  • about an hour ago · Like · 1

  • Dheeresh Saini फिलहाल तो येदुरिप्पा को दोबारा बीजेपी में लाने की तैयारी है। ईमानदारी की बात करते हैं।

  • 45 minutes ago · Like · 3

  • Mohan Shrotriya आए ही समझो ! *मो कू और, न तो कू ठौर* लोक-अनुभव-पुष्ट-उक्ति है ! पतितपावनी गंगा (भाजपा पढ़ें) में जो टखने-टखने तक भी घुस जाएगा, वह पाप-मुक्त हो जाएगा. ढेरों उदाहरण पहले के भी हैं. #धीरेश

  • 30 minutes ago · Like

Gladson Dungdung was tagged in a status.
Amlakant Mahto with Gladson Dungdung and 37 others

नरेन्र्द मोदी ने राँची में कहा अलग झारखण्ड अलग राज्य के लिए अटल जी का आभारी हूँ ।झारखण्ड मेँ पहली सरकार भाजपा की बनी,बाबूलाल से लेकर अर्जुन मुण्डा की सरकार संसाधनो की लूट व प्रतिरोध पर दमन कि शुरुआत की गयी ।शायद भाजपा शासन के 8 साल मे लूट के अधुरे सपने की बात कर रहे हैँ मोदी ?

मोदी युवाओ की बात कर रहे हैं पर अलग

झारखण्ड की लड़ाई मे अग्रिम पंक्ति पर रहे ,लाठी खाए.जेल गये,शहीद हुए वजह अलग झारखण्ड राज्य होगा तो युवाओ को रोजगार कि गारंटी होगी ? पर भाजपा कि सरकार झारखण्डी युवाओं सें गद्दारी करते हुए स्थानीय नीति नही बनाती है साथ ही Jpsc से लेकर तमाम नियुक्तियों मेँ भाई भतीजावाद चलाते हुए गड़बड़ियाँ की । तमाम नियुक्ति ठेके में , स्कूल काँलेज में शिक्षको कि भारी कमी, इसके जिम्मेवार कौन ?

Like ·  · Share · 4 hours ago · Edited ·

Mohan Shrotriya

यह क्या हुआ?


अरविंद केजरीवाल *टाइम्स ऑफ़ इंडिया पर्सन ऑफ़ द इयर* बन गए, नरेंद्र मोदी को पछाड़ कर !


हवा तो (अमरीकी पत्रिका) ‪#‎टाइम‬ के पर्सन ऑफ़ द इयर घोषित होने की भी बनाई गई थी...पर वहां भी कुछ ऐसा हुआ कि आशा निराशा में बदल गई !

Like ·  · Share · about an hour ago near Jaipur ·

Faisal Anurag

नौटंकी एक लोकप्रिया विधा है। राजनीति के कुछ पात्र इसका इस्तेमाल कर कुछ समय के लिए भ्रम पैदा कर सकते हैं। असली संसद का तो सपना क्या पता पूरा ना हो नकली में ही बोल लो। नकली लालकिला से बोलानेवाला अब एक नकली संसद से बोल कर उनकी कुंठाओं को सहला ही सकता है जो सामन्ती मूल्यों को तथा वर्ण संरचना को बचाये रखने के लिए अतिम सासे ले रहे है।

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