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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, January 18, 2016

यह फैसले का वक़्त है/तूँ आ कदम मिला के चल



यह फैसले का वक़्त है/तूँ आ कदम मिला के चल

Ashok Kumar Pandey

1 hr · 


अब एक सीधी लड़ाई लड़नी होगी सांप्रदायिकता के खोल और पूंजीवाद की रूह लिए आए इस नवब्राह्मणवाद से। अब यह किसी एक तबके/फिरके/विचारधारा का मामला नहीं है। यह सीधे सीधे मनुष्यता और मनुष्य विरोधी ताक़तों के बीच की लड़ाई है। आर पार का युद्ध। आज अगर इससे ण लड़ा गया तो यह हम सबको खा जाएगा। दलित, पिछड़े, आदिवासी, महिलाएं, अल्पसंख्यक, अंबेडकरवादी, वामपंथी, समाजवादी, गांधीवादी और मानववादी, सबको एक साथ खड़ा होना होगा। याचना नहीं अब रण की आवश्यकता है। हर औज़ार इस्तेमाल करना होगा। मिलिये, सोचिए और संघर्ष मे उतारिए वरना अपने रोहितों को यों हताश होकर मरते जाने से नहीं रोक पाएंगे हम। अपने क्रोध को यहाँ कुछ संवेदनशील लिख कर विरेचित करने का नहीं उसे पकाकर दुश्मनों पर क़हर बनकर टूट पड़ने का वक़्त है यह।

यह फैसले का वक़्त है/तूँ आ कदम मिला के चल

Comments

Sachin Singh दलितों,मुस्लिमो,महिलाओं, आदिवासियो, ग़रीबो आदि के लिए तो सदियों से अन्धयुग ही है। सतत् सामूहिक प्रयास करके यें पोगापंथी मिटाना ज़रूरी है।

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Gulzar Hussain हां। एकजुट होकर लड़ना ही होगा हमें। कोई रास्ता नहीं है इसके अलावा। नहीं तो ये नव ब्राह्मणवादी सत्ता हम सब 'रोहितों' को निगल जाएगी।

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Saurabh Rathore हाँ लड़ना तो होगा ही, वरना आगे की नस्लों को क्या जवाब देंगे !

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Anurag Dixit Kese.. ..?

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Sanjay Arya (हैदराबाद विश्वविद्यालय के दिवंगत शोध छात्र रोहित वेमुला को याद करते हुए..)

बात केवल इतनी सी नहीं...See More

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Sapana Singh आप जैसा गुस्सा क्षोभ, शर्मिन्दगी से हम सब जूझ रहे है भाई ।पर हताश भी हैं ...कैसे इस अंधेरों से कोई चराग जले ..

Like · Reply · 1 · 33 mins

Mohammad Tarique Insaaniyat ko maar rahi hai ye, pata nahi aage iska aur koun sa roop dekhna baaki rah gaya hai, dimaag ki nasen phatt rahi hain, kahin kuch aisa hone wala to nahi jo is desh ko barbaad kar de ?? soch soch kar pareshaan ho gaya hoon , aakhir kis taraf ja raha hai ye desh??

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Syed Shahroz Quamar Apne Saath Samajhiye. Dekhta hun kitne lekhak kavi aandolan me saath aate hain. Hamen unki pahchaan bhi karni hogi.

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