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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, November 25, 2015

असहिष्णुता के आरोप से घिरी सरकार को बचाने के लिए खुफिया एजेंसियां गा रही हैं आइएस राग- रिहाई मंच

#ম্লেচ্ছ ব্যাটা #PK# AAmir Khan# পাদিও না সহিষ্ণুতার অখন্ড স্বর্গে,বিশুদ্ধ পন্জিকার নির্ঘন্ট লঙ্ঘিবে কোন হালার পো হালা!


RIHAI MANCH

For Resistance Against Repression
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असहिष्णुता के आरोप से घिरी सरकार को बचाने के लिए खुफिया एजेंसियां गा
रही हैं आइएस राग- रिहाई मंच
बड़ा साजिद की कथित मौत की खुफिया एजेंसियों ने पांचवीं बार फैलाई अफवाह,
पिछली बार जुलाई मंे भी खुफिया विभाग के हवाले से आई थीं खबरें
खबरों की शक्ल में अफवाहें फैलाकर खुफिया एजेंसियां बढ़ाती हैं असहिष्णुता
फर्जी खबरें नहीं रुकीं तो मजबूरन मीडिया के खिलाफ करनी पड़ेगी कानूनी कार्रवाई

लखनऊ 25 नवम्बर 2015। कुछ खुफिया और अस्पष्ट सूत्रों के हवाले से
प्रसारित खबरों कि आइएस की तरफ से लड़ रहे कथित आतंकी आजमगढ़ निवासी बड़ा
साजिद सीरिया में मारा जा चुका है को रिहाई मंच ने खुफिया एजेंसियों
द्वारा आजमगढ़ को बदनाम करने की कोशिश बताया है। संगठन ने अपना आरोप फिर
दोहराया है कि आजमगढ़ और भटकल समेत पूरे देश से ऐसे कई मुस्लिम नौजवानों
को वांटेड और भगोड़ा बताकर खुफिया एजेंसियों ने अपने पास बंधक बना कर रखा
है। जिसे खुफिया एजेंसियां अपनी और सियासी जरूरत के हिसाब से एक ही आदमी
को कई-कई बार मारने का दावा करती रहती हैं। मंच ने आरोप लगाया है कि देश
में बढ़ती असहिष्णुता के लिए खुफिया एजेंसियांे की भूमिका की भी जांच
होनी चाहिए। रिहाई मंच ने आमिर खान द्वारा भारत में बढ़ती असहिष्णुता पर
जताई चिंता से सहमति जताते हुए कहा है कि देश उन्हें नहीं बल्कि आसाम के
संघी राज्यपाल पीबी आचार्या को छोड़ देना चाहिए जो भारत को अम्बेडकर के
संविधान के बजाए मनु के दलित, महिला और अल्पसंख्यक विरोधी संविधान से
चलाना चाहते हैं।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मोहम्मद शुऐब ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में कहा है
कि पिछले दो दिनों से आजमगढ़ के जिस बड़ा साजिद के सीरिया में आइएस की
तरफ से लड़ते हुए मारे जाने की खबरंे प्रसारित की जा रही हैं, उसके मारे
जाने की खबरें इससे पहले भी चार बार इन्हीं खुफिया विभागों के हवाले से
छप चुकी हैं। जिसमें पिछली चार महीने पहले जुलाई में ही छपी थीं। रिहाई
मंच के अध्यक्ष ने पूछा कि खुफिया विभाग के लोगों को बताना चाहिए कि कोई
एक ही व्यक्ति कितनी बार मर सकता है जो उसके बारे में हर चार-पांच महीने
बाद वे ऐसी अफवाहें खबरों के रूप में फैलाती हैं। उन्होंने कहा कि जब
पूरा देश और दुनिया मोदी राज में भारत के असहिष्णु होने पर चिंतित है तब
खुफिया एजेंसियां ऐसी अफवाहें फैलाकर जनता में मुसलमानों की छवि को
संदिग्ध बनाने की राजनीति कर रही हैं। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता की
किसी भी बहस में खुफिया विभागों की भूमिका पर बहस किए बिना हम असहिष्णुता
की राजनीति को नहीं समझ सकते। क्योंकि इन्हीं खुफिया एजेंसियांे द्वारा
कथित 'खुफिया सूत्रांे' के जरिए मुसलमानों की छवि खराब करने वाली खबरें
प्रसारित करवा कर बहुसंख्यक हिंदू समाज के बीच मुसलमानों का दानवीकरण
किया जाता है। उन्हें देश और समाज विरोधी बताकर हिंदुओं में असुरक्षाबोध
पैदा किया जाता है जैसा कि मोदी के गुजरात में मुख्यमंत्री रहते किया गया
और खुफिया विभाग के अधिकारियों द्वारा इशरत जहां समेत बेगुनाहों को फर्जी
मुठभेड़ांें में मारकर मोदी को 'हिंदु हृदय सम्राट' बनाया गया। उन्होंने
कहा कि आतंकी घटनाओं और फर्जी मुठभेड़ों में खुफिया एजेंसियों की संदिग्ध
भूमिका की जांच, खुफिया एजेंसियों को संसद के प्रति जवाबदेह बनाए बिना
देश में संहिष्णुता स्थापित नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि असहिष्णुता
की राजनीति के निबार्ध आगे बढ़ते रहने के लिए ही इशरत जहां फर्जी मुठभेड़
कांड में आरोपी होने के बावजूद आइबी अधिकारी राजेंद्र कुमार से पूछताछ तक
नहीं की गई।

वहीं बटला हाऊस फर्जी मुठभेड़ में मारे गए युवकों और कथित आतंकी बड़ा
साजिद के गांव संजरपुर के निवासी और रिहाई मंच नेता मसीहुदीन संजरी ने
कहा कि हर चार-पांच महीने बाद उनके गांव को बदनाम करने के लिए झूठी खबरें
खुफिया एजेंसियां फैलाती हैं। बड़ा साजिद के मारे जाने की पांचवी बार
फैलाई गई खबर भी इसी योजना का हिस्सा है। उन्होंने संचार माध्यमों से
अपील की कि वे खुफिया एजेंसियों द्वारा संदिग्ध सूत्रों के नाम पर मुहैया
कराई जा रही खबरों की विश्वसनियता को जांच परख कर ही छापें क्योंकि
खुफिया एजेंसियों की अपनी तो कोई विश्वसिनियता बची नहीं है ऐसी खबरें
प्रसारित करने से संचार माध्यमों की भी विश्वसनियता संदिग्ध हो जाएगी। कम
से कम खुफिया विभाग द्वारा मुहैया कराई गई ऐसी खबरों से तो उन्हें जरूर
बचना चाहिए जहां एक ही आदमी के हर चार-पांच महीने बाद मरने की बात बताई
जाती हो। उन्होंने कहा कि अगर यह क्रम नहीं रुका तो उनके गांव वालों को
ऐसी खबरें प्रसारित करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करने पर मजबूर
होना पड़ेगा।

रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि आतंकवाद के नाम पर भगोड़ा बताए जाने
वाले तमाम मुस्लिम युवक खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों के पास ही हैं
जिन्हें वे अपनी और सरकार की जरूरत के हिसाब से कहीं फर्जी मुठभेड़ों में
मार देती हैं तो कहीं पहले से मार दिए गए युवकों को किसी दूसरे देश में
हुई आतंकी कार्रवाई में मारा गया दिखा कर सवालों को दबा देना चाहती हैं।
राजीव यादव ने कहा कि ऐसे सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम युवक खुफिया और
सुरक्षा एजेंसियों के पास बंधक हैं जिन्हें एजेंसियां अपनी कूट भाषा में
'कोल्ड स्टोरेज' कहती हैं। जिसके सम्बध में कई बार संचार माध्यमों में
खबरें भी आ चुकी हैं और खुद आतंकवाद के आरोंपों से अदालतों से बरी हुए
लोगों ने भी सार्वजनिक तौर पर बताया है। उन्होंने कहा कि बंधुआ मजदूरी के
लिए बंधक बनाकर कैद रखने की खबरों पर स्वतः संज्ञान लेने वाली अदालतों को
मुस्लिम युवकों को आतंकवादी बताकर हत्या के लिए खुफिया और सुरक्षा
एजेंसियांे द्वारा बंधक बना कर रखने वाली सूचनाओं पर भी स्वतः संज्ञान
लेना चाहिए और बंधकों को मुक्त कराना चाहिए।

राजीव यादव ने कहा कि आजमगढ़ की ही तरह कर्नाटक के भटकल को भी
आतंकवादियों के शहर के बतौर बदनाम करने के लिए आइएस से उसे जोड़ने की
कोशिशें पिछले लम्बे से की जा रही है। जबकि हमने अपनी फैक्ट फाइंडिंग में
इस तथ्य को पाया है कि वहां के भगोड़े आतंकी बताए जा रहे युवक वहीं पर
तैनात रहे खुफिया विभाग के अधिकारी सुरेश के करीबी रहे हैं। जिसने एक तरफ
तो उनके आतंकी होने की खबरें प्रसारित करवाईं वहीं दूसरी ओर उन्हें अपने
प्रयास से दूसरे नामों से व्यवसाय भी स्थापित करवाया। जो साबित करता है
कि आतंकवाद के नाम पर होने वाला पूरा खेल ही खुफिया और सुरक्षा एजेंसियों
द्वारा संचालित है और उसने ही इंडियन मुजाहिदीन नाम के फर्जी आतंकी संगठन
को भी खड़ा किया था। जिसकी विश्वसनियता के आम लोगों में संदिग्ध हो जाने
के बाद अब उसके द्वारा आइएम के नाम पर 'कोल्ड स्टोरेज' में रखे गए लोग
उसके लिए ही बोझ हो गए हैं। क्योंकि उनके लिए अब उन्हें किसी फर्जी
मुठभेड़ में मारना या फर्जी मुकदमों में फंसाना आसान नहीं रह गया है। ऐसे
में वे उन्हें आइएस से जोड़ कर उनसे मुक्त हो जाना चाहते हैं।

  द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम
(प्रवक्ता, रिहाई मंच)
09415254919
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Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
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