राष्ट्रपति हो ऐसा,जो बेझिझक बाजार के हित को सुरक्षित रखने के लिए कुछ भी करें!
राष्ट्रपति हो ऐसा,जो बेझिझक बाजार के हित को सुरक्षित रखने के लिए कुछ भी करें!
मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कौशिक बसु का सुधारों का पिटारा खुलने लगा है। डीजल को बाजार की मर्जी पर छोड़ने के अलावा बीमा और विमानन क्षेत्र में ऴिदेशी निवेशकों की घुसपैछ की खुली छूट देने का इंतजाम हो गया है।अब बाजार की मदद को राष्ट्रपति भवन को समर्पित करने का भी बीड़ा उठा लिया है आर्थिक सुधारों के दबाव में दम तोड़ती सरकार ने। राष्ट्रपति हो ऐसा,जो बेझिझक बाजार के हित को सुरक्षित रखने के लिए कुछ भी करें! प्रतिभा पाटिल के कार्यकाल में ही कोयला आपूर्ति गारंटी के कोल इंडिया को डिक्री और २ जी स्पेक्ट्रम फैसले पर सुप्रीम कोर्ट से ब्याख्या मांगने जैसी कार्रवाइयों के जरिये भारत के प्रथम नागरिक के अघोषित कर्तव्यों की नयी फेहरिस्त तैयार हो गयी है। इसी सिलसिले में सैम पित्रौदा का नाम आगामी राष्ट्रपति के लिए प्रस्तावित है। पर जरूरी वोट न हो पाने की वजह से कांग्रेस के लिए यह मंसूबा पूरा करना आसान नहीं दीख रहा।इसी खातिर प्रणव मुखर्जी को मैदान में उतारा जा रहा है जो विश्व बैंक और अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष से लेकर विश्व ब्यापार संगठन के बरोसे में हैं और राजनीतिक जुगाड़ लगाने में जिनकी कोई सानी नहीं है। इसीके साथ कौशिक बसु जैसे प्रणव टीम के अफसरान की नई भूमिका सामने आने लगी है।भारत की आर्थिक वृद्धि दर 31 दिसंबर 2011 को खत्म क्वॉर्टर में घटकर 6.1 फीसदी रह गई थी। यह पिछले तीन साल में सबसे कम है। इसकी वजह ब्याज दरों में कई बार बढ़ोतरी होने के चलते कंज्यूमर खर्च और इन्वेस्टमेंट में कमी आना है। इकनॉमिक स्लोडाउन की वजह से टैक्स रेवेन्यू में कमी आई है। सब्सिडी और ग्रामीण श्रमिकों के लिए रोजगार गारंटी योजना का खर्च बढ़ गया है।स्टैंडर्ड एंड पुअर्स द्वारा भारत की रेटिंग घटाने के बाद बिकवाली के चलते 27 अप्रैल को समाप्त कारोबारी सप्ताह के दौरान बंबई बाजार (बीएसई) के सेंसेक्स में 187 अंक गिरकर 17187.34 रह गया। बाजार विश्लेषकों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआइआइ) की ओर से निवेश में बढ़ोतरी के बगैर बाजार में गिरावट जारी रह सकती है। एसएंडपी ने भारत में निवेश और आर्थिक विकास दर में कमी व चालू खाते के बढ़ते घाटे के कारण भारत की रेटिंग स्थिर से नकारात्मक कर दी है। इसका असर दलाल स्ट्रीट पर बना रह सकता है। इसके अलावा बजट में घोषित कर अपवंचना रोधी कानून (जीएएआर) की वजह से एफआइआइ हतोत्साहित हो रहे हैं, क्योंकि इनके ग्राहक पार्टिसिपेटरी नोट के जरिए निवेश करते हैं।
पत्ते अभी खुल नहीं रहे है। तुरुप का पत्ता अभी बाजार के हाथों में है।समझा जाता है कि प्रणव के नाम पर ममता और वामपंथी दोनों दड़ों को मना लिया जा सकता है। पर वोट तो अब भी मुलायम और मायावती के पास ज्यादा है, उन्हें पाले में लाये बिना कांग्रेस पक्की बात कैसे कर सकती है?वाम दलों के रवैये से वाकिफ लोग यही मान रहे थे कि वामदल कलाम से दूरी बनाए रखेंगे। समझा जाता है कि वामदल केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के नाम पर सहमत हो सकते हैं। भाजपा की त्वरित प्रतिक्रिया से साफ जाहिर है कि मामला हवाई नहीं है और विपक्ष को भी इस सिलसिले में फीलर मिल रहे हैं। अब दोखना है कि राष्ट्रपति चुनाव में कारपोरेट लाबिइंग क्या गुल खिलाती है, जिसकी वजह से पिछले आम चुनाव में मनमोहन को भारी कामयाबी मिली और वे प्रधानमंत्री बने रहे।मुंबई इंडियन के लिए आईपीएल खेल रहे सचिन तेंदुलकर को जिस तरह राज्यसभा सांसद बनवाने में अंबानी परिवार ने निर्मायक भूमिका निभायी, उससे तो लगता है कि यह राष्ट्रपति चुनाव का ड्रेस रिहर्सल हो गया। प्रणव मुखर्जी का नाम सामने लाने की सुचिंतित रणनीति रही है, भले ही प्रणव मुखर्जी या कांग्रेस इसे मीडिया की करतूत बता रहे हैं। यूपीए गठबंधन के संकटमोचक और लोकसभा के नेता प्रणव मुखर्जी आज उस वक्त मुस्करा उठे, जब उनसे यह कहा गया कि राष्ट्रपति चुनाव के लिए उम्मीदवारों की दौड़ में वह काफी आगे हैं। वित्त मंत्री मुखर्जी से संसद भवन के बाहर जब यह पूछा गया कि वह सर्वसम्मति से उम्मीदवार बन रहे हैं तो उन्होंने हंसते हुए कहा, 'अरे बाबा रे... हे भगवान...।'इस बीच कांग्रेस ने राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपने प्रमुख सहयोगियों से बातचीत तेज कर दी है। बताया जा रहा है कि इस पद के लिए उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी और मुखर्जी के नाम सबसे आगे हैं। संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी का संदेश लेकर एके एंटनी द्रविड़ मुन्नेत्र कषगम के मुखिया एम करुणानिधि से रविवार को मिले थे और खुद सोनिया कुछ दिन पहले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात कर चुकी हैं। संप्रग अब तृणमूल कांग्रेस की दीवार लांघने को तैयार है। तृणमूल की प्रमुख ममता बनर्जी एनसीटीसी के मसले पर बातचीत के लिए इसी हफ्ते दिल्ली आएंगी और उस वक्स सोनिया राष्ट्रपति चुनाव पर उनसे बात कर सकती हैं। उधर विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी ने राष्ट्रपति पद के मसले पर अपना रुख आज साफ कर दिया। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सुषमा स्वराज ने कहा कि भाजपा राष्ट्रपति पद के लिए प्रणव मुखर्जी समेत किसी भी कांग्रेसी उम्मीदवार को स्वीकार नहीं करेगी। करुणानिधि ने भी आज कहा, 'हम अच्छा राष्ट्रपति चाहते हैं।' जाहिर सी बात है कि खुल्ला बाजार का दबाव है और इसीलिए अटकलों का बाजार गर्म है। यूपीए और एनडीए दोनों में किसी एक उम्मीदवार के नाम पर एका नहीं है। एनडीए ने साफ कर दिया है कि वह कांग्रेस के उम्मीदवार का समर्थन नहीं करेगी। खुद एनडीए में भी इस बात पर आम सहमति नहीं है कि किसे उम्मीदवार बनाया जाए।वैसे एनडीए खेम में हालत पतली है। भाजपा की ओर से पूर्व राष्ट्रपति डॉ.एपीजे अब्दुल कलाम को समर्थन देने के फैसले पर एनडीए में फूट पड़ गई है।एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर विरोध बढ़ रहा है। आज सुबह जद यू ने साफगोई से कलाम के नाम पर मुंह बिसार दिया। इसके बाद वामदलों ने भी मिसाइल मैन के नाम पर नाक भौं सिकोड़ना शुरू कर दिया है। एनडीए के संयोजक शरद यादव ने इसे भाजपा का मत करार दिया है।उन्होंने कहा कि अगले राष्ट्रपति के नाम पर एनडीए में अभी कोई चर्चा नहीं हुई है। अगर ऐसे में लोकसभा में भाजपा संसदीय दल की नेता सुषमा स्वराज किसी का नाम आगे कर रही हैं तो यह उनकी अपनी पार्टी का मत हो सकता है एनडीए का नहीं।सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी कलाम के नाम से पीछे हट गये हैं। पार्टी ने अब मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी के नाम को आगे बढ़ा दिया है। सपा ने तो रहमान खान के नाम से इंकार नहीं किया है।
सरकार अभी डीजल पर 14.29 पैसे प्रति लीटर सब्सिडी दे रही है।केंद्र सरकार ने पेट्रोल की तरह डीजल की कीमतें भी सरकारी नियंत्रण से मुक्त करने की तैयारी कर ली है। यानी अब आम आदमी खासकर किसानों को महंगा डीजल रुलाएगा। सरकार ने ऐलान किया है कि डीजल को सरकारी नियंत्रण से मुक्त किया जाएगा। इस फैसले को सैद्धांतिक मंजूरी दे दी गई है, लेकिन इसे लागू करने की तारीख या किसी समयावधि का संकेत नहीं दिया गया है। कुछ दिन पहले ही मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा था कि अगले छह महीनों में सरकार डीजल सब्सिडी को खत्म करने की दिशा में कदम उठा सकती है। मंगलवार को खुद सरकार ने ही संसद में कहा कि वह डीजल की कीमतों को बाजार के हवाले करने के लिए सैद्धांतिक रूप से फैसला ले चुकी है। सरकार की इस घोषणा का प्रमुख विपक्षी दल भाजपा ने यह कहकर विरोध किया है कि इससे सार्वजनिक परिवहन भी महंगा हो जाएगा और इससे महंगाई बढ़ेगी।वित्त राज्य मंत्री नमो नारायण मीणा ने राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में बताया कि डीजल को जल्द ही नियंत्रण मुक्त किया जा सकता है। सरकार की दलील है कि इन उत्पादों पर सब्सीडी की वजह से भारी वित्तीय बोझ बढ़ रहा है। हालांकि सरकार अभी डीजल, केरोसिन और एलपीजी को नियंत्रण के मुक्त करने का राजनीतिक नफा नुकसान बारीकी से भांप रही है। पेट्रोल की तर्ज पर डीजल की कीमतें तय करने का अधिकार बाजार को देने की तैयारी में जुटी सरकार को अपने ही सहयोगी दलों का समर्थन नहीं मिल रहा। तृणमूल कांग्रेस ने डीजल को नियंत्रण मुक्त करने की योजना का विरोध किया है। वहीं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने भी इसे स्वीकार करने से मना कर दिया है। एनसीपी ने डीजल को डीकंट्रोल करने संबंधी सरकार की सोच का सख्त विरोध दर्ज कराने के लिए दिल्ली में 16 मई को विशाल रैली करने की भी घोषणा की है।
दूसरी ओर बीमा कम्पनियों की अर्थव्यवस्था को दीर्घकालिक ऋण उपलब्ध कराने में बढ़ती भूमिका और बदलते परिवेश को देखते हुए बीमा क्षेत्र में एफ.डी.आई. की मौजूदा 26 फीसदी सीमा बढ़ाने की मांग पर गौर किया जा सकता है।बीमा क्षेत्र में एफडीआई को लेकर अगर आरबीआई की दलीलों को सरकार ने मान लिया तो आने वाले समय में बीमा और भी सस्ता हो सकता है। जी हां, बीमा सेक्टर में एफडीआई बढ़ाने के बाद लोगों को सस्ते में बेहतर बीमा पालिसी लेने का मौका मिल सकेगा। दिलचस्प है कि रिजर्व बैंक ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ भारतीय अर्थव्यवस्था के गहराते रिश्तों के मद्देनजर यदि स्थानीय आॢथक और राजनीतिक हालात इजाजत दें तो बीमा और कुछ अन्य क्षेत्रों में एफ.डी.आई. सीमा बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है।आर.बी.आई. ने इस महीने भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रवाह पर जारी रिपोर्ट में कहा, ''अर्थव्यवस्था, वैश्विक अर्थव्यवस्था से और अधिक जुड़ रही है और घरेलू आर्थिक हालात इजाजत दें तो क्षेत्रवार निवेश की सीमा बढ़ाने और एफ.डी.आई. प्रवाह पर प्रतिबंध विशेष तौर पर बहु-ब्रांड खुदरा कारोबार में फिर से विचार करने की जरूरत है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि समेत कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां एफ.डी.आई. की मंजूरी नहीं है जबकि बीमा और मीडिया जैसे कुछ क्षेत्रों में वैश्विक रुझान के मुकाबले अपेक्षाकृत कम निवेश की मंजूरी दी गई है। इसमें कहा गया है, ''इस संदर्भ में घरेलू हालात के आधार पर एफ.डी.आई. सीमा और प्रतिबंध पर विचार किया जा सकता है और कोई ऐसा समान मानक नहीं है जो हर देश के अनुरूप हो।''
जले पर नमक की तरह खबर यह है कि आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और एक्सिस बैंक की रेटिंग डाउनग्रेड हो सकती है। इंटरनैशनल रेटिंग एजेंसी मूडीज इनकी फाइनैंशल स्ट्रेंथ को रिव्यू करने वाली है। दरअसल, इन बैंकों की रेटिंग देश के सॉवरेन डेट की रेटिंग से ज्यादा है। रेटिंग एजेंसी ने सोमवार को कहा कि उसके रिव्यू में बैंकों के विदेश में बिजनस डायवर्सिफिकेशन और सरकारी बॉन्ड में इन्वेस्टमेंट को भी आधार बनाया जाएगा। बैंकों की रेटिंग उस देश के हिसाब से होगी, जिसमें वह कारोबार कर रहा है। भारत की रेटिंग बीएए3 है, जो इन्वेस्टमेंट ग्रेड में सबसे कम है।मूडीज के मुताबिक, तीनों बैंकों की स्टैंडअलोन फाइनैंशल स्ट्रेंथ रेटिंग या बेसलाइन क्रेडिट रेटिंग सी-/बीएए2 है। इनकी रेटिंग के रिव्यू में लगभग तीन महीने लग सकते हैं। बयान के मुताबिक, इन तीनों बैंकों की लोन और डिपॉजिट रेटिंग पर कोई असर नहीं हुआ है। सोमवार को बीएसई पर आईसीआईसीआई बैंक के शेयर 1.4 फीसदी चढ़कर 881 रुपए पर बंद हुए। एचडीएफसी बैंक के शेयर 0.2 फीसदी गिरकर 542.10 रुपए पर बंद हुए जबकि एक्सिस बैंक के शेयर 1.4 फीसदी फिसलकर 1105.55 रुपए पर रहे।
स्टैंडर्ड ऐंड पुअर्स ने अप्रैल में भारत का सॉवरेन क्रेडिट आउटलुक स्टेबल से निगेटिव कर दिया था। इससे विदेशी निवेशकों के लिए भारतीय सरकारी बॉन्ड का स्टेटस जंक बॉन्ड के करीब आ गया। इससे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के आर्थिक सुधारों के अजेंडा को बड़ा धक्का लगा है। एसऐंडपी ने भारत की लॉन्ग टर्म रेटिंग बीबीबी बरकरार रखी है। हालांकि, उसने भारत के आर्थिक तरक्की की रफ्तार धीमी होने पर चिंता भी जताई।
मूडीज के बयान के मुताबिक, 'हमारा मानना है कि जिन फाइनैंशल इंस्टिट्यूशंस का विदेश में कारोबारी डायवर्सिफिकेशन कम होता है और/या उनके देश के सरकारी डेट में उनके बैलेंसशीट का एक्सपोजर ज्यादा होता है, उनकी उधारी चुकाने की क्षमता उनके देश के सॉवरेन रेटिंग से जुड़ी होती है। ऐसे बैंक की स्टैंडअलोन क्रेडिट रेटिंग उनके देश की सॉवरेन रेटिंग से ज्यादा नहीं हो सकती।'
दूरसंचार नियामक प्राधिकरण [ट्राई] की सिफारिशों के बाद काल दरें महंगी होने की संभावना से केंद्र सरकार सहमी दिखाई दे रही है। सरकार भी अब मानने लगी है कि सिफारिशें लागू करने से मोबाइल काल दरें महंगी हो सकती हैं। यही वजह है कि स्पेक्ट्रम नीलामी व कीमत निर्धारण पर दूरसंचार आयोग नियामक एजेंसी से इन सिफारिशों पर स्पष्टीकरण मांगने जा रहा है। भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशों से टेलीकॉम कंपनियों के होश उड़े हुए हैं। देश की दूसरी सबसे बड़ी मोबाइल कंपनी वोडाफोन ने साफ कह दिया है कि इन सिफारिशों को लागू किया गया, तो उसे कॉल दरें बढ़ानी पड़ेंगी। नॉर्वे की टेलीनॉर ने न सिर्फ भारत से अपने कारोबार को समेटने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, बल्कि ट्राई की सिफारिशों की वजह से उसने आगे नीलामी प्रक्रिया में भी हिस्सा नहीं लेने की बात कही है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद भारत से अपना निवेश वापस खींच चुकी बहरीन टेलीकॉम ने भी कहा है कि वह इन सिफारिशों के मद्देनजर फिर से भारत के दूरसंचार क्षेत्र में निवेश नहीं करेगी। ट्राई की सिफारिशों पर वोडाफोन की तरफ से एक पत्र संचार मंत्री कपिल सिब्बल को भेजा गया है। इसमें दूरसंचार कंपनी ने कहा है कि नए नियमों के मुताबिक, नए सिरे से स्पेक्ट्रम आवंटन किए जाने से उस पर 10 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। यह अतिरिक्त बोझ अंत में कंपनी को ग्राहकों पर ज्यादा कॉल दरों के तौर पर डालना पड़ेगा।
देश के औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में ३७.९० प्रतिशत का भारांक रखने वाले ८ प्रमुख उद्योगों का उत्पादन वित्त वर्ष २०११-१२ में मात्र ४.३ प्रतिशत की दर से बढ़ा जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ६.६ प्रतिशत पर रहा था। आधिकारिक जानकारी के अनुसार इस वर्ष मार्च में ७ प्रमुख उद्योगों के उत्पादन में २.० प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई जबकि मार्च २०११ में ६.५ प्रतिशत रहा था। मार्च २०११ में कोयला उत्पादन में वृद्धि दर नकारात्मक १.१ प्रतिशत रही थी जो मार्च २०१२ में ६.८ प्रतिशत पर रही है। वित्त वर्ष २०११-१२ में कोयला उत्पादन में १.२ प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई जबकि इससे पिछले वित्त वर्ष में यह ऋणात्मक ०.२ प्रतिशत रही थी। मार्च २०१२ में देश में कच्चा तेल उत्पादन की वृद्धि दर नकारात्मक २.९ प्रतिशत रही जबकि पिछले वर्ष मार्च में यह दर १२.१ फीसद रही थी।
हवाई किराये की दरों में समय-समय पर होने वाली बढ़ोतरी की निगरानी को लेकर विमानन नियामक डीजीसीए ही अब सवालों के घेरे में आ गया है। संसद की एक समिति ने हवाई किरायों में अचानक होने वाली वृद्धि को रोकने के लिए डीजीसीए पर निष्कि्रयता बरतने का संदेह जताया है। समिति ने विमानन नियामक से उपभोक्ताओं को परेशानी से बचाने के उपाय करने को कहा है। संसद की प्राक्कलन समिति ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि सरकार हवाई किराये का निर्धारण नहीं करती। यह बाजार से निर्धारित होते हैं, लेकिन यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि किराये में अचानक और अनुचित वृद्धि नहीं हो। रिपोर्ट में कहा गया है कि नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के पास यह अधिकार है कि वह यात्रियों से बहुत ज्यादा किराया ऐंठने या प्रतिस्पर्धा खत्म करने के लिए किराया बहुत कम रखने जैसी एयरलाइनों की नीति के खिलाफ कार्रवाई कर सके। समिति ने कहा कि इस बात में संदेह है कि डीजीसीए इस संबंध में कोई एहतियाती कदम उठा रहा है। रिपोर्ट के मुताबिक विभिन्न एयरलाइंस की वेबसाइट देखने के बाद यह पाया गया कि नियमित उड़ान वाली कुछ ही विमानन कंपनियां विमान किराये की पारदर्शिता के बारे में डीजीसीए द्वारा जारी निर्देशों का पालन कर रही हैं। पिछले सप्ताह संसद में पेश रिपोर्ट में कहा गया कि अगर नियामक ने इस संबंध में कदम उठाया होता, तो दिसंबर 2010 में किराये में हुई बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं होती। समिति ने कहा कि डीजीसीए ने नियमित आधार पर हवाई किराये पर नजर रखने के लिए शुल्क विश्लेषण इकाई का गठन किया था, लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए वह स्थिति से संतुष्ट नहीं है।
Blog Archive
-
▼
2012
(5851)
-
▼
May
(620)
- आम्बेड़कर कथा, सामाजिक परिवर्तन के लिए संघर्ष
- Fwd: कितने सुरक्षित हैं अल्पसंख्यकों के मानवाधिकार...
- Fwd: India passing through difficult times : since...
- Fwd: Chossudovsky: "THE SALVADOR OPTION FOR SYRIA"...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) संघ ने कभी नाथूराम की कायरताप...
- Fwd: Today's Exclusives - RTI made easy: Governmen...
- Fwd: Please Vote to reconciliation movement agains...
- Fwd: Tom Burghardt: CIA-Pentagon Death Squads and ...
- Fwd: [Marxistindia] Left parties protests on petro...
- Fwd: [bangla-vision] Global Warming Skeptic Now Ag...
- उत्पीड़न के शिकार अहिंदू अल्पसंख्यकों के मानवाधिका...
- Fwd: Week in Review: Afghan Drug Trade, Police Sta...
- अब देखना है कि मुख्यमंत्री अखिलेश डा. लेनिन के खिल...
- Fwd: दाताs ब्वारि -कनि दुख्यारि :गढवाली भाषा की एक...
- Fwd: [initiative-india] Eviction Update Ambujwadi ...
- Fwd: Programs of Indians in USA
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) एक कलाकार चार किलो अनाज पर है...
- Fwd: Government Brahmana - film
- Fwd: उत्तराखंड क्रान्ति दल कु कुहाल किलै ह्व़े ?
- Fwd: Today's Exclusives - Vanishing investors: wil...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) बंगाल की नई तानाशाह, जिसने कु...
- Ambedkar Katha
- Fwd: ambedkar katha
- Fwd: [initiative-india] [pmarc] Medha Patkar and S...
- उपवास करने से ही कोई गांधीवादी नहीं हो जाता! न जन ...
- बाजार के दबाव में ममता बनर्जी बंगाल की नई तानाशाह,...
- Fwd: [Marxistindia] On Victory of CPI(M) candidates
- Fwd: Hindimedia
- Fwd: Today's Exclusives - Petrol Price: Austerity,...
- पोर्न स्टार सनी लियोन को नागरिकता और जन्मजात भारती...
- Fwd: हस्तक्षेप.कॉम लाशों पर बनते महल और सरकार का जश्न
- Fwd: हस्तक्षेप.कॉम दीदी की नकेल कसेंगी कांग्रेस की...
- Fwd: हस्तक्षेप.कॉम किसने अटकाए थे संविधान निर्माण ...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) पुलिस के लिए, आपके लिए मेरी म...
- Fwd: [Ground Report India Discussion Forum] Musaha...
- Fwd: (हस्तक्षेप.कॉम) ” राजनीति ख़त्म/ काम शुरू” : ...
- क्या अन्ना की इस अप्रतिम कलाबाजी के पीछे भी कारपोर...
- http://hastakshep.com/?p=19617 अन्ना पर इंजीनिय...
- http://hastakshep.com/?p=19626 किसने अटकाए थे संव...
- कालेधन को बाज़ार में घुमाने का खेल !
- आम आदमी को बलि चढ़ाकर विदेशी निवेशकों की पूजा,राजस...
- Fwd: Hindimedia
- पेट्रोल बम से झुलसे देश को राहत का छलावा
- देश जिस वित्तीय संकट से जूझ रहा है, कालाधन पर श्वे...
- Fwd: [New post] मीडिया और मोदी
- Fwd: [आरक्षण को बचाने के लिए आगामी 25 मई 2012 को र...
- Fwd: Tony Cartalucci: US Officially Arming Extremi...
- Fwd: Hindimedia
- Re: उत्तराखंड के कालिदास शेरदा
- Fwd: उत्तराखंड के कालिदास शेरदा
- Fwd: Today's Exclusives - Kumar Birla's Living Med...
- Fwd: CC News Letter, 21 May - No Agreement At G8 S...
- Fwd: [initiative-india] NAPM Supports the Struggle...
- Fwd: Black Money Whitepaper Tabled in parliament
- Vidarbha Farmers Demand PM’s Intervention in Agrar...
- France 24 reports starvation deaths of Assam tea w...
- THE MUSLIM PERSONAL LAW BOARD – THE OLD GAME CONTI...
- Israel in Arab Palestine
- ECONOMICS : "THE AUSYERITY OF THE AFFLUENT" : Sir ...
- SP targeting Dalits with a vengeance: Mayawati-
- Mamata non-committal on Pranab as President
- ममता के पापुलिज्म का बाईप्रोडक्ट है रेडीकल मध्यवर्ग
- वक्त की छलनी में चेहरे गुम हो जाते हैं, गीत अमर र...
- एक दिन के तमाशे के लिए पूरी जिंदगी को बोझिल न बनाएं
- कोई किसी से प्यार नहीं करता, सब नाटक करते हैं
- मोदी के पक्ष में है देश का मूड
- तो वित्तमंत्री सो रहे थे ?
- घाघरे वाली क्या कर लेगी पंचायत जाकर
- सत्ता दखल का 'षड्यंत्र' था बोफोर्स
- माफी चाहूंगी मैम, मैं माओवादी नहीं हूं..
- महिलाओं ने वन माफियाओं को दबोचा
- 'तुम्हारे पिता ने कितनी बार सम्भोग किया लड़की'
- Fwd: हस्तक्षेप.कॉम कौन कर रहा है बाबा साहेब का अपम...
- Fwd: हस्तक्षेप.कॉम यूं न बुझेगी, जो आग जल चुकी है
- लू और कालबैशाखी के मध्य तैंतीस साल बाद एक मुलाकात!
- तो क्या अब तक वित्तमंत्री सो रहे थे?
- Fwd: [CHATARPATI SHIVAJI SHAKTI DAL] अभिव्यक्ति के...
- Fwd: Washington's Blog: The Truth About JP Morgan'...
- Fwd: [आरक्षण को बचाने के लिए आगामी 25 मई 2012 को र...
- Panel to fight targeting of Dalit youth
- Watch Mamata to stomp out of a TV show
- Sorry Ma’am, but I am not a Maoist - Open letter t...
- A reputation to live down A year ago, a future to ...
- बुद्धिजीवियों की राय में ‘निरंकुश’ हैं ममता
- सावधान! पत्रकारिता गिरवी रख दी गयी है
- माया को नहीं भाया यूपी में अखिलेशराज
- माओवाद बहाना है, जल, जंगल हथियाना है
- मोहब्बत की हदें और सरहदें
- सत्ता में ममता ने पूरा किया साल
- जारवा को जहान से जोड़ना चाहती है सरकार
- खान को बदनाम करने की साजिश
- उत्तर भारत में रसोई गैस के लिए हाहाकार
- बहुगुणा चले गैरसैंण की राह
- श्रमजीवी मंच का चौथा सम्मलेन देहरादून में
- ईरान पर हमले के दस बहाने
- श्रोताओं के सवाल सुन भागीं ममता
- Fwd: Nicola Nasser: ISRAEL- PALESTINE: "Peace-maki...
- Fwd: [New post] दिल्ली मेल : प्रलेस में बदलाव
- Re: We condemn the Mumbai Police action & confisca...
- Fwd: [New post] खेल का राजनीतिक खेल
No comments:
Post a Comment