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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, May 20, 2012

सत्ता में ममता ने पूरा किया साल

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सत्ता में ममता ने पूरा किया साल

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सत्ता में ममता ने पूरा किया साल

पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने सत्ताधीश के बतौर एक साल पूरा कर लिया है। तीन दशकों से पश्चिम बंगाल की सत्ता पर काबिज वाम मोर्चे की सरकार को हटाकर ममता ने आज ही के दिन एक साल पहले राज्य की कमान संभाली थी।

मां, माटी मानुष के नारे के साथ सत्ता संभालने वाली ममता बनर्जी जब से सत्ताधीश बनी हैं विवादों में बनी हुई हैं। फिर भी इन विवादों के बीच ममता बनर्जी ने कुछ ऐसे काम किये हैं जो पश्चिम बंगाल के हित में रहे हैं। सत्ता में आने के तुरंत बाद 18 जुलाई को त्रिपक्षीय गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासनिक समझौता कराकर ममता ने अपनी धाक जमा ली थी। वहीं सिंगूर जमीन विवाद को सुलझा कर ममता ने अपना एक और वादा निभाया। सत्ता की अपनी पहली सालगिरह के साथ ही अब ममता बनर्जी सरकार सिंगूर जमीन विवाद में प्रभावित सभी किसानों को एक हजार रुपए महीने की तत्काल राहत देगी।

पिछड़ापन, अपराध की बढ़ती घटनाओं के साथ ही राज्य में स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी ममता सरकार के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। निवेश के मामले में भी पश्चिम बंगाल को खास सफलता नहीं मिली है। हालांकि हाल में ही अमेरिकी विदेश मंत्री हिलेरी क्लिंटन ने पश्चिम बंगाल में निवेश का आश्वासन दिया था लेकिन उसके लिए ममता बनर्जी को रिटेल में विदेशी निवेश पर समर्थन भी मांग लिया था।

ममता बनर्जी के साल भर के शासन के दौरान बंगाल कितना बदला है इसका अंदाज लगाना अभी मुश्किल है लेकिन बंगाल की राजनीति से वामपंथ को साफ करन के लिए ममता ने कई उपाय किये हैं. एक सुरक्षा अभियान के दौरान किशनजी की हत्या के बाद जहां माओवादी प्रदेश में कमजोर पड़े हैं वहीं बौद्धिक वर्ग से वामपंथी राजनीतिक दलों को कमजोर करने के लिए ममता बनर्जी ने स्कूली पाठ्यक्रमों में व्यापक बदलाव का निर्णय लेकर साफ संकेत दे दिया है कि वे बंगाल में वह बदलना चाहती हैं जो पिछले चार दशक से यहां कायम किया गया है।

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