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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
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Friday, August 24, 2012
कोयले की कालिख ऐसे नहीं धुलने वाली!
कोयले की कालिख ऐसे नहीं धुलने वाली!
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
कोयले की कालिख ऐसे नहीं धुलने वाली! सारी कवायद कैग की रपट को खारिज करने की है। जिसके तहत लोकतांत्रिक व्यवस्था को ही भंग करने में लगी है।सरकार के कोयला घोटाले में फंसने के बाद नए कोल ब्लाकों का आवंटन फिलहाल मुश्किल हो गया है। नए कोल ब्लाकों के आवंटन की प्रक्रिया अभी तक तय नहीं हो पाई है। सरकार ने कहा है कि इस साल नीलामी के जरिये कोल ब्लाकों का आवंटन संभव नहीं है। कैग की रिपोर्ट पर मचे बवाल पर स्पष्टीकरण देते हुए कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने शुक्रवार को कहा, 'सरकार पारदर्शी तरीके से कोल ब्लाकों का आवंटन करना चाहती है। कोयला ब्लॉक्स के आवंटन में कथित अनियमितता पर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट को लेकर प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग करते हुए विपक्ष ने शुक्रवार को लगातार चौथे दिन संसद के दोनों सदनों में कामकाज नहीं होने दिया। तीन दिन बाद जब संसद का कामकाज शुरू हुआ तो लोकसभा और राज्यसभा में कोयला ब्लॉक आवंटन मामले में प्रधानमंत्री की कथित भूमिका पर आरोप लगाते हुए विपक्ष ने उनका इस्तीफा मांगा। सदन में नारे लगे-प्रधानमंत्री इस्तीफा दो। भारी शोरगुल के कारण दोनों सदनों की कार्यवाही कई बार के स्थगन के बाद दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई। प्रधानमंत्री ने सदन के बाहर कहा कि वह बहस को राजी हैं। अलबत्ता सरकार को सफाई देने के लिए एकसाथ अपने तीन मंत्रियों को मैदान में उतारना पड़ा। सरकार ने कोयला ब्लॉक्स आवंटन को लेकर संसद की कार्यवाही बाधित होने के मद्देनजर इसे अनिश्चितकाल तक के लिए स्थगित किए जाने संबंधी अटकलों को खारिज कर दिया। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री पवन कुमार बंसल ने कहा कि संसद की कार्यवाही अनिश्चित काल के लिए स्थगित करने का सवाल ही पैदा नहीं होता, बहुत से विधेयक लंबित हैं।गौरतलब है कि 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाले पर कैग की रिपोर्ट आने के बाद भी टेलिकॉम मिनिस्टर कपिल सिब्बल ने उस समय नुकसान के आकलन पर सवाल उठाया था और कहा था कि इससे देश के राजस्व को जीरो नुकसान हुआ है।कोल ब्लॉक आवंटन में सरकारी खजाने को एक लाख 86 हजार करोड़ रुपये नुकसान का आकलन करने वाले सीएजी विनोद राय के सर्विस रिकॉर्ड्स मिल नहीं रहे हैं। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग (डीओपीटी) ने एक आरटीआई आवेदन के तहत यह चौंकाने वाली जानकारी दी है।
यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पार्टी सांसदों से कहा कि विपक्ष का तरीका सरासर गलत है और सरकार को बचाव की कोई जरूरत नहीं है।इसलिए काँग्रेसी संसद सदस्यों को भी आक्रामक रुख अपनाना चाहिए। इसके लिए कारण भी मौज़ूद हैं। कोयला खदान आबंटन के क्षेत्र में हाल ही में किया गया एक बड़ा घोटाला तो सीधे-सीधे भारतीय जनता पार्टी से ही सम्बन्ध रखता है। विगत जुलाई के आख़िर में कोयला खण्ड आबंटन के सवाल पर ही कर्नाटक के मुख्यमंत्री बी०एस० येदुरप्पा को अपने पद से इस्तीफ़ा देना पड़ा था। विपक्ष का कहना है कि जब तक प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देंगे, तब तक कार्यवाही नहीं चलने देंगे। केंद्र सरकार के वरिष्ठ मंत्री कपिल सिब्बल ने भाजपा के तेवर पर ऐतराज जताते हुए कहा कि यदि कोई बहस ही नहीं करना चाहता है तो क्या कहा जाए। किसी के कंधे पर जनाजा उठाना भाजपा का काम है। प्रधानमंत्री बहस चाहते हैं लेकिन भाजपा अड़ी है।वहीं, बुधवार को भाजपा को ममता बनर्जी ने झटका दिया। भाजपा यूपीए के सहयोगियों पर भी डोरे डाल रही है। मंगलवार की रात यूपीए की सहयोगी ममता बनर्जी से भाजपा नेताओं ने समर्थन मांगा था। इसके लिए भाजपा के नेता बकायदा ममता से मिले भी। हालांकि, तृणमूल कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह प्रधानमंत्री का इस्तीफा नहीं चाहती है। पार्टी की ओर से कहा गया है कि तृणमूल गठबंधन दल से कोयला घोटाले पर चर्चा करना चाहता है लेकिन विपक्ष की मांग से इंकार करता है। तृणमूल के इस बयान से कांग्रेस को भारी राहत मिली। ममता यूपीए की समन्वय समिति की बैठक में भी शामिल हुईं।दूसरी ओर, कोयले की कालिख सिर्फ प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को नहीं, बल्कि कई कंपनियों को भी लगी है। कोयले की खानों में अनियमितताओं को लेकर अब सीबीआई एफआईआर दर्ज कर सकती है। कोयले घोटाले की सीबीआई भी जांच कर रही है।जांच में सामने आया है कि निजी कंपनियों को लाभ पहुंचाने के लिए राज्य के अधिकारियों के साथ कंपनियों ने भी कई नियमों का उल्लंघन किया है। सीबीआई सरकारी अफसरों से पहले पूछताछ कर चुकी है।बुधवार को बीजेपी ने 2G पर जेपीसी की बैठक से वॉक आउट कर दिया। बीजेपी इस बैठक में पीएम और चिदंबरम को बुलाना चाहती थी। इस बैठक में बीजेपी के पांच सदस्य शामिल थे। बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा कहना है, 'हम चाहते हैं कि पीएम और चिदंबरम जेपीसी की बैठक में आएं। कांग्रेस के जूनियर नेता बदजुबानी पर उतर जाते हैं।' ऐसा लग रहा है कि भारत में राजनीतिक रूप से एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी दल चुनाव-युद्ध से पहले ही युद्ध का अभ्यास कर रहे हैं। शुक्रवार को लगातार चौथे दिन भारत की संसद में काम-काज नहीं हो पाया। भाजपा और शिवसेना के संसद-सदस्य संसद की कार्यवाही का बहिष्कार कर रहे हैं। यही नहीं ये दोनों दल यह धमकी भी दे रहे हैं कि उनके सांसद संसद से इस्तीफ़ा दे देंगे। ये दल माँग कर रहे हैं कि प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद से इस्तीफ़ा दें।
सरकार पर इस तरह के हमले करने का कारण भी बहुत गम्भीर है। सन् 2005 से 2009 के बीच कोयला खण्ड आबंटन पर भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सी०ए०जी०) की रपट के अनुसार बड़ा भारी घोटाला किया गया और निविदाएँ खोलने में परदर्शिता नहीं बरती गई। कुछ निविदाएँ तो बहुत कम मूल्य पर जारी कर दी गईं। इसका परिणाम यह हुआ कि भारत को क़रीब एक लाख 85 हज़ार करोड़ का घाटा हुआ।भारत के प्रधानमंत्री इन आरोपों को मानने से इंकार कर रहे हैं। वे संसद के पटल पर अपनी रिपोर्ट रखने के लिए तैयार हैं, जिसमें वे इस सवाल पर सरकार का नज़रिया पेश करना चाहते हैं। यही नहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने उल्टे भाजपा पर ही यह आरोप मढ़ दिया है कि कोयला खदान आबंटन में यदि गड़बड़ हुई भी है तो सिर्फ़ उन्हीं राज्यों में जहाँ भाजपा की सरकारें हैं और जो केन्द्र सरकार की ठीक से काम करने की कोशिशों में लगातार बाधा डालती रही हैं।
रूस के सामरिक अनुसंधान संस्थान के सहकर्मी बरीस वलख़ोन्स्की का कहना है कि यह हंगामा सिर्फ़ कोयला खण्ड आबंटन से ही जुड़ा हुआ नहीं है, बल्कि इसका महत्त्व इससे भी कहीं ज़्यादा है। संसद में दिखाई दे रहा विवाद आज उस जटिल परिस्थिति को भी दिखा रहा है, जिसमें भारत जा फँसा है। बरीस वलख़ोन्स्की ने कहा :
भारत में हुआ यह हंगामा दिखाता है कि भारत में चुनाव-युद्ध शुरू हो गया है और भारत की सभी राजनीतिक पार्टियों ने चुनाव के लिए कमर कस ली है। लेकिन यह बात भी ध्यान में रखनी होगी कि चुनाव सन् 2014 में होने हैं। चुनाव से दो साल पहले ही चुनाव-अभियान शुरू कर देना पार्टियों के लिए ख़तरनाक हो सकता है और आज जो विवाद दिखाई दे रहा है, उसका शायद ही कोई परिणाम निकलेगा। संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन का आज संसद में बहुमत है, इसलिए संसद में सरकार के ख़िलाफ़ अविश्वास प्रस्ताव पारित करना संभव नहीं है। दूसरी तरफ़ भारतीय जनता पार्टी के सदस्य चाहे कितना भी संसद से इस्तीफ़ा देने की धमकी क्यों नहीं दें, वे इस्तीफ़ा नहीं देंगे क्योंकि शिव सेना के अलावा विपक्षी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन में शामिल दूसरी किसी भी पार्टी के सांसद शायद ही इस्तीफ़ा देंगे। दूसरी बात यह है कि संसद से इस्तीफ़ा देने के बाद चुनाव की पूर्ववेला में भाजपा के हाथ से एक ऐसा मंच निकल जाएगा, जहाँ से अपनी बात सिर्फ़ पूरे देश से ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया से कही जा सकती है।
इस तरह भारत में कोई भी यह नहीं चाहता है कि वर्तमान स्थिति में वास्तव में कोई बदलाव हो। प्रधानमंत्री संसद को भंग करके मध्यावधि चुनाव करवाने का ख़तरा नहीं उठाएँगे और विपक्षी दल सरकार का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री से ऐसे ही इस्तीफ़ा माँगते रहेंगे और यह आशा करते रहेंगे कि सन् 2014 तक ऐसी ही परिस्थिति चलती रहेगी।
जिस कोयला घोटाले पर बीजेपी समेत पूरा विपक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह समेत सरकार को घेरने में जुटा है उसी घोटाले पर विरोध की आंच अब बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी के घर तक भी पहुंचने वाली है।जी हां, सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने 26 अगस्त को जंतर मंतर पर इकट्ठा होकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और नितिन गडकरी के घर का घेराव करने की अपील की है।
अरविंद केजरीवाल के मुताबिक, 'हम इस रविवार को सुबह 10:00 बजे जंतर मंतर पर इकट्ठा होंगे और वहां से प्रधानमंत्री और नितिन गडकरी के घर का घेराव करने के लिए रवाना होंगे।'इसी के साथ अरविंद केजरीवाल ने आरोप लगाया कि कोयला घोटाले में न सिर्फ कांग्रेस बल्िक बीजेपी और लेफ्ट भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा, 'कोयला घोटाले में सिर्फ कांग्रेस ही नहीं, बल्कि बीजेपी और लेफ्ट पार्टियां भी शामिल हैं। साल 2005 में बीजेपी नेता और राजस्थान की तत्कालीन मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री रह चुके बुद्धदेब भट्टाचार्य ने केंद्र को चिट्ठी लिखकर कहा था कि भ्रष्टाचार की जो व्यवस्था चल रही है वह ठीक है और आप कोयला खदानों की नीलामी मत करवाइए। इससे साफ है कि इस भ्रष्टाचार में सभी पार्टियां शामिल हैं।'
केजरीवाल का आरोप है कि कोयला घोटाले पर बीजेपी कांग्रेस और लेफ्ट तीनों की मिलीभगत के कारण संसद नहीं चल पा रही है।.
उन्होंने कहा, 'देश के सामने जिस तरह से संसद को बंद किया जा रहा है वो इन सभी पार्टियों की सांठ-गांठ है. पहले से ही इनकी सेटिंग हो जाती है कि बीजेपी शोर करेगी और कांग्रेस के राजीव शुक्ला उपसभापति से कहकर सदन स्थगित करवा देंगे. कोई पार्टी सदन नहीं चलने देना चाहती. संसदीय जनतंत्र लगभग खत्म हो चुका है।'
कोयला आवंटन घोटाले को लेकर नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट पर बवाल मचा हुआ है। नीलामी के जरिए कोयला खदानों के आवंटन न होने और मनमाने आवंटन की वजह से सीएजी ने अपनी रिपोर्ट में सरकारी खजाने को 1.86 लाख करोड़ रुपये के नुकसान का आकलन किया है। लेकिन सीएजी रिपोर्ट के सामने आने के बाद तीखी आलोचना का सामना कर रही केंद्र सरकार ने अपने बचाव में कहा है कि सीएजी संविधान में उनके लिए दिए गए दायरे में काम नहीं कर रहे हैं और उन्हें सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करने का अधिकार नहीं है। इस बाबत प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायण सामी ने बीते शनिवार को कहा था, 'सीएजी के पास सरकार की नीतियों पर टिप्पणी करने का कोई अधिकार नहीं है। लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण है कि सीएजी ने सरकार के इस अधिकार पर टिप्पणी की है, जो पूरी तरह से गैरजरूरी था। यह सरकार को मिले जनादेश के भी खिलाफ है।' केंद्र सरकार ने 1.76 करोड़ रुपये के 2 जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले की रिपोर्ट सामने आने पर भी ऐसी ही बातें की थीं।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट द्वारा २जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले में वित्त मंत्री पी चिदंबरम के विरुद्ध दायर याचिक खारिज हो जाने बाद जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमण्यम स्वामी ने आज कहा कि वह एक समीक्षा याचिका दाखिल करेंगे। स्वामी ने उच्चतम न्यायालय के बाहर कहा कि मैं इस फैसले की समीक्षा के लिये अनुरोध करुंगा। मैंने षडयंत्र के बारे में नहीं कहा। मैंने देश को हुये नुकसान के बारे में कहा था। उन्होंने पत्रकारों से कहा कि यह पैâसला गलत है। सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी मुङो अपनी पूरी बात रखने की अनुमति नहीं दी। स्वामी ने कहा कि शीर्ष अदालत ने उन मुद्दों पर अपना फैसला दिया जिन्हें उन्होंने कभी उठाया ही नहीं और देश को हुये भारी नुकसान के महत्वपूर्ण पहलू को छुआ नहीं गया। टेलीकॉम घोटाला मामले में देश की सुप्रीम कोर्ट ने आज वित्त मंत्री पी. चिदंबरम को राहत देते हुए सह-आरोपी बनाने से इनकार कर दिया है। देश की राजनीति काफी हद तक इस फैसले से जुड़ी हुई थी। संसद में जारी गतिरोध के बीच सरकार और चिदंबरम दोनों के लिए बड़ी राहत है। विपक्ष जिस तरीके से कोल ब्लॉक आवंटन और उसपर सीएजी की रिपोर्ट को लेकर सराकर पर हमलावर था वह इस फैसले के बाद कुछ हद तक कुंद हो सकती है।जनता पार्टी अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी और गैर सरकारी संस्था सीपीआईएल ने की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 2जी स्पेक्ट्रम की नीलामी मामले में चिदंबरम के वित्त मंत्री रहते ए. राजा के साथ हुई मीटिंग को ही उनके सह-आरोपी होने का आधार नहीं माना जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने इस तथ्य को सबूत के तौर पर नाकाफी बताते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
कोयला आवंटन को लेकर बीजेपी पीएम का इस्तीफा मांग रही है लेकिन सरकार बैकफुट की बजाय फ्रंटफुट पर खेलती दिख रही है। उसके नेता और मंत्री अपने तर्कों से बीजेपी को ही उसके रवैये के लिए कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। अपने बचाव के लिए क्या-क्या हैं उनके तर्क, आप भी डालिए उनपर एक नजर कैग ने अपनी रिपोर्ट में 57 कोयला खदानों का जिक्र किया है उनमें से केवल एक में ही खनन हो रहा है। बाकी 56 कोयला खदानों में अभी खनन शुरू हुआ ही नहीं हैं।
कैग ने अपनी रिपोर्ट में 57 कोयला खदानों का जिक्र किया है उनमें से केवल एक में ही खनन हो रहा है। बाकी 56 कोयला खदानों में अभी खनन शुरू हुआ ही नहीं हैं। जब कोयला निकला ही नहीं तो नुकसान कैसे हो गया?
कोयला खदानों की नीलामी हो या आवंटन, ये तय करने का अधिकार सरकार को है। सरकार ने आवंटन का रास्ता चुनकर अपने अधिकार का ही इस्तेमाल किया है। इसमें गलत क्या है? क्या मनमोहन सरकार से पहले वाजपेयी सरकार में यह नहीं होता था?
अगर कोयला खदानों की नीलामी होती तो कोयला महंगा मिलता और महंगी होती उससे उत्पन्न होने वाली बिजली। सस्ती बिजली के लिए जरूरी है कि कोयला खदानों का आवंटन किया जाए।
जिन राज्यों में खदानें हैं वहां बीजेपी, लेफ्ट या बीजेडी की सरकारें हैं। वे खदानों की नीलामी के खिलाफ थे, फिर सरकार ने उनकी बात मानकर कौन सा गुनाह कर दिया।
2जी घोटाला और कोल आवंटन को एक तराजू पर तौलने की जरूरत नहीं। 2जी में घोटाला इस बात का है कि वहां करोड़ों का फायदा लेकर कंपनियों को लाइसेंस बेचने का आरोप है जबकि कोल आवंटन में ऐसा कोई आरोप नहीं है।
राजा की तुलना मनमोहन से नहीं की जा सकती। राजा और उनकी पार्टी की सांसद कनिमोड़ी व कॉरपोरेट अफसर जेल गए क्योंकि उनपर 2जी लाइसेंसों के आवंटन में धांधली का आरोप है। कोल आवंटन में मनमोहन पर ऐसा कोई आरोप नहीं है कि किसी तरह की कोई धांधली हुई।
2जी में सुप्रीम कोर्ट ने चिदंबरम को आरोपी नहीं माना है क्योंकि नीलामी की बजाय आवंटन का फैसला एक नीतिगत निर्णय है। सरकार को अपनी मर्जी से निर्णय लेने का अधिकार है। एनडीए सरकार के संचार मंत्रियों ने भी यही निर्णय लिया था।
कैग ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट में 10 लाख करोड़ के ज्यादा का नुकसान बताया था। फाइनल रिपोर्ट में वो घटकर 1 लाख 80 हजार करोड़ का हो गया। यानी करीब पांच गुना कम। क्या गारंटी है कि कैग रिपोर्ट की पीएसी जब जांच करेगी तब ये घाटा पूरी तरह ही खारिज न कर दिया जाए।
कैग की रिपोर्ट तो गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी, मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के खिलाफ भी आई थीं तो क्या उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया।
गुजरात की नरेंद्र मोदी सरकार पर सीएजी ने 16 हजार करोड़ रुपये के नुकसान की रिपोर्ट दी है। रिपोर्ट के मुताबिक मोदी पर कॉरपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाया। तो क्या बीजेपी मोदी से इस्तीफा दिलवाएगी। मध्यप्रदेश की शिवराज सरकार के खिलाफ भी सीएजी ने हजारों करोड़ के नुकसान की रिपोर्ट दी है लेकिन बीजेपी को वहां सुशासन दिखता है।
कैग की रिपोर्ट का आकलन पीएसी करती है। 90 फीसदी मामलों में पीएसी में कैग के नुकसान का आकलन खारिज हो जाता है। इस मामले में भी यही उम्मीद है। अगर ऐसा नहीं होता है तो पीएसी की रिपोर्ट सदन में रखी जाती है जिसपर कार्रवाई होती है। लेकिन बीजेपी चाहती है कि कैग की रिपोर्ट आते ही कार्रवाई कर दी जाए जो कि नाजायज मांग है।
कैग की रिपोर्ट को आरोप की तरह लें तो भी महज आरोप पर पीएम को सजा क्यों होनी चाहिए। संसद में बहस हो। पीएम का जवाब सुना जाए और उसके बाद अगर विपक्ष को लगता है कि दाल में कुछ काला है तो इस्तीफा मांगना उसका अधिकार है लेकिन कैग की रिपोर्ट आते ही इस्तीफा मांगना कहां तक जायज है।
यूपीए सरकार ने ही सबसे पहले कोयला खदानों को आवंटन की बजाय नीलामी के जरिए बेचने की तैयारी की थी। वाजयेपी सरकार तो केवल कोयला खदानों का आवंटन ही करती थी।
कोयला ब्लॉक आवंटन में अनियमितता की कैग (CAG) की रिपोर्ट को सरकार ने सिरे से खारिज किया है। शुक्रवार को सरकार की तरफ से 3 वरिष्ठ मंत्रियों वित्त मंत्री पी. चिदंबरम, कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल और कानून मंत्री सलमान खुर्शीद ने मोर्चा संभाला। उन्होंने एक साझा प्रेस कॉन्फ्रेंस में सरकार की तरफ से सफाई दी और संसद न चलने देने के लिए विपक्ष खासकर बीजेपी पर हमला बोला।जबकि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने कैग रिपोर्ट में कोयला आवंटन में देश को नुकसान के आकलन की प्रक्रिया पर सवाल उठाया और कहा कि इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। उन्होंने कहा कि जब कोयला खदानों से निकला ही नहीं तो घोटाला कैसे हुआ? कैग ने अपनी रिपोर्ट में जिन 57 कोयला खदानों का जिक्र किया है उनमें से केवल एक में ही खनन हो रहा है। बाकी 56 कोयला खदानें अभी धरती के अंदर ही हैं।
चिदंबरम ने कहा कि कोल ब्लॉक आवंटन पर कैग की रिपोर्ट पर पीएम संसद में बयान देने के लिए तैयार हैं, लेकिन विपक्षी दल संसद नहीं चलने दे रहे हैं, जो गलत है। उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि सोमवार को पीएम को इस मामले पर बयान देने दिया जाएगा। यदि ऐसा नहीं होता है तो हम लोगों तक बात पहुंचाने का कोई दूसरा जरिया तलाशेंगे।
चिदंबरम ने कोल ब्लॉक आवंटन पर एनडीए को भी घेरने की कोशिश की। उन्होंने कहा कि यूपीए सरकार ने कोयले के ब्लॉक आवंटित करने के लिए उसी प्रक्रिया का अनुसरण किया जिसे इससे पहले एनडीए और अन्य सरकारों ने अपनाया था। उन्होंने कहा कि बीजेपी शासित राज्यों के अलावा कई राज्य सरकारों ने कोल ब्लॉक आवंटन का विरोध किया था।
चिदंबरम के बाद कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने विपक्ष पर राजनीति करने का आरोप लगाया। जायसवाल ने कहा कि विपक्ष संसद चलने देगा, तो जनता सच कैसे जानेगी? जायसवाल ने सीएजी की रिपोर्ट पर पूरी तरह से असहमति जताते हुए कहा कि 2009 में सत्ता मिलने के बाद यूपीए-2 ने 25 कोल ब्लॉक का आवंटन रद्द किया। यह कहना बिल्कुल गलत होगा कि सीएजी रिपोर्ट के बाद ही सरकार जागी। उन्होंने यह भी कहा कि यूपीए2 के कार्यकाल में कोई कोयला ब्लॉक आवंटित नहीं किया गया, नीलामी के लिए बोली संबंधी दस्तावेज अंतिम चरण में है।
पत्रकारों के सवाल पर जायसवाल ने कहा कि जिन राज्यों में खनिज हैं, जब वही खिलाफ में हों तो केंद्र सरकार पॉलिसी को कैसे बदल सकती है? उन्होंने कहा कि सरकार ने नियमों में पारदर्शिता लाने की पूरी कोशिश की लेकिन तब के बीजेपी अधीन राज्यों राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड और उड़ीसा ने इसका विरोध किया था।
लखनऊ के निवासी और आरटीआई कार्यकर्ता अरविंद शुक्ला ने पिछले महीने आरटीआई के तहत आवेदन देकर सीएजी के विषय में जानकारी मांगी थी। केरल कैडर के आईएएस अफसर विनोद राय इन दिनों कोल ब्लॉक के आवंटन पर जारी रिपोर्ट को लेकर चर्चा में हैं। शुक्ला के अनुसार डीओपीटी ने बताया कि विनोद राय के सेवा से जुड़े दस्तावेज गुम हो गए हैं।
शुक्ला ने अपने आवदेन में वर्तमान सीएजी के मैट्रिक के सर्टिफिकेट, जन्म तिथि प्रमाण पत्र, आईएएस में चयन का प्रमाण पत्र, नियुक्ति पत्र, केरल कैडर में चयन से सम्बंधित प्रमाण पत्र एवं उनके अवकाश ग्रहण की तिथि जैसी जानकारी मांगी थी। डीओपीटी के सीफ पीआईओ नरेंद्र गौतम ने पत्र संख्या आरटीआई (नम्बर 13011/20/2012-एआईए.आई) के जरिए शुक्ला को बताया कि केरल कैडर के विनोद राय से सम्बधित कागजात उपलब्ध नहीं हैं। डीओपीटी ने शुक्ला को इसके लिए केरल सरकार से सम्पर्क करने की सलाह दी क्योंकि यह मामला केरल सरकार से नजदीकी से जुड़ा हुआ है।
गौतम ने बताया कि विभाग इस तरह की कोई जानकारी नहीं रखता और संबंधित सूचना उपलब्ध कराने के लिए सीएजी कार्यालय से संपर्क साधा गया गया है। इससे पहले शुक्ला ने आरटीआई के बदौलत ही इस बात का खुलासा किया था कि प्रदेश के पूर्व कैबिनेट सचिव शशांक शेखर सिंह के सेवा से जुड़े कागजात गायब हैं। शुक्ला का कहना है, 'मैंने सीएजी के विषय में जानना चाहता था क्योंकि उनकी रिपोर्ट ने देश में तूफान खड़ा कर दिया है और यूपीए सरकार को बेनकाब कर दिया है।'
डीओपीटी के सूत्रों ने बताया कि राय के सेवा से जुड़े कागजात आखिरी बार 2005 में देखे गए थे। विभाग के एक सीनियर अफसर ने पहचान जाहिर न करने की शर्त पर बताया कि सभी परिस्थितियों में ऐसे कागजातों को रिकार्ड के तौर पर रखा जाता है। यदि यह मिल नहीं रहा है तो आश्चर्यजनक है।
संसद में पेश की गई सीएजी रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की गलत नीतियों के कारण सरकारी खजानों को भारी नुकसान पहुंचा है। इसका सबसे अधिक फायदा निजी कंपनियों को हुआ।
रिपोर्ट की खास बातें
1- 2004 से 2009 तक बिना नीलामी के ही कोयला खदानें बांटीं गईं। सरकार को 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ।
2- सरकार के गलत फैसलों के कारण सरकारी खजानों को लाखों करोड़ रुपये का नुकसान।
3- टाटा, नवीन जिंदल ग्रुप, भूषण स्टील, जेपी और अदानी ग्रुप जैसी निजी कंपनियों को मनमानी पूर्ण तरीके से कोयला खदानों का आवंटन। टाटा और जिंदल को सबसे ज्यादा फायदा हुआ है।
4- यदि खदानों की नीलामी की गई होती तो सरकारी खजाने में 1 लाख 85 हजार 591 लाख करोड़ रुपये का राजस्व आता।
लोकसभा के स्थगन पर लोग ट्विटर और फेसबुक पर अपनी राय साझा कर रहे हैं। ट्विटर पर तो मंगलवार को लोकसभा ट्रेंड्स में भी शामिल हो गई। लोग विपक्ष और सरकार के रवैये पर सवाल उठाने के साथ ही चुटीली टिप्पणियां भी कर रहे हैं।
पढ़िए कुछ चुनिंदा ट्वीट्स...
Divye Joshi
भाजपा कोयला घोटाले पर बहस से क्यों भाग रही है? क्या वो नीलामी के खिलाफ लिए गए अपने फैसलों के पब्लिक के सामने आने से डर रही है।
Prakash Sharma
प्रिय भाजपा, तुम्हारे पास कई अच्छे वक्ता हैं...क्यों ने कार्यवाही स्थगित करवाने के बजाए संसद में बहस कराकर यूपीए को घेरा जाए।
The UnReal Times
संसद के सत्र जितनी देर चल रहे हैं उससे ज्यादा समय तो रोहित शर्मा आजकल क्रीज पर बिता रहे हैं।
Rajesh Kalra
लोकसभा तीन दिन की छुट्टी के बाद शुरु हुई और 45 सेकंड में ही स्थगित हो गई। राज्यसभा को बधाई, लाज रखने के लिए वो एक मिनट तक चल पाई।
Pranav Sapra
लोकसभा एक बार फिर से स्थगित हो गई...जैसे सप्ताहांत की छुट्टियां कम थीं।
mintusarma
लोकसभा बाकी सभी संस्थानों पर लोकतंत्र विरोधी होने का आरोप लगाती है..लेकिन हमारा विश्वास तो सांसदों के कारण ही कम हुआ है।
Dharmendra
मुझे लगता है जल्द ही यूपीए खुद ही लोकसभा को भंग कर देगी और इसी साल चुनाव हो जाएंगे।
RV
काश लोकसभा बचपन में मेरा स्कूल होती। हर दूसरे दिन हॉफ डे रहता।
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