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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, August 4, 2012

एक चक्षु हिरण की दृष्टि, महज बाजार की सेहत को सर्वोच्च वरीयता,अब फेल हो चुके राहुल के साथ प्रियंका गांधी को भी मैदान में!

 एक चक्षु हिरण की दृष्टि, महज बाजार की सेहत को सर्वोच्च वरीयता,अब फेल हो चुके राहुल के साथ प्रियंका गांधी को भी मैदान में!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

भारत सरकार के नीति निर्धारक एक चक्षु हिरण की दृष्टि से अर्थ व्यवस्था को पटरी पर लाने की कोशिश कर रहे हैं जबकि सरकार की राजनीतिक छवि सुधारने के लिहाज से अब फेल हो चुके राहुल के साथ प्रियंका गांधी को भी मैदान में उतारा जा रहा है। महज बाजार की सेहत नीति निर्धारकों को सर्वोच्च वरीयता है। कृषि या औद्योगिक विकास दर, मानसून संकट, राजस्व घाटा. भुगतान संकट, विदेशी कर्ज, मंहगाई , मुद्रास्फीति जैसी बुनियादी समस्याओं पर कोई ध्यान ही नहीं है। नकदी और विदेशी पूंजी प्रवाह बनी रहे , इसके लिए मौद्रिक कवायद तक सीमाबद्ध हो गया है अर्थ ​​व्यवस्था का प्रबंधन, जहां बतौर संस्था वित्त मंत्रालट का कोई वजूद ही नहीं है। इसी वजह से खुद प्रधानमंत्री वित्तमंत्रालय का प्रभार संभालकर कुछ कर नहीं पाये। अब बेताल को चिदंबरम के कंधे पर टांग दिये जाने से हालत बदलने वाली नहीं है। अर्थ शास्त्रियों की टोली को सत्ता वर्ग के हितों​​ से इतर देश की जनता की कोई परवाह नहीं है और अफसरान और नेता कारपोरेट लाबिइंग के मुताबिक चलने को मजबूर हैं। कालेधन और​ ​ भ्रष्टाचार के खिलाफ सिविल सोसाइटी का जिहाद भी अब राजनीति के दलदल में गले तक धंस गया है।कांग्रेस और सरकार में राहुल गांधी की बड़ी भूमिका की जमीन अभी तैयार ही हो रही है कि उनकी बहन प्रियंका गांधी को सक्रिय राजनीति में उतार दिया गया है। इस कड़ी में प्रियंका को उनकी मां व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली की जिम्मेदारी दी गई है। सोनिया की गैरमौजूदगी में प्रियंका उनके संसदीय क्षेत्र का काम देखेंगी। इस क्षेत्र के लिए वह दिल्ली में भी जनता दरबार लगाएंगी।टीम अन्ना के चुनाव मैदान में उतरने का ऐलान और भाजपा में प्रधानमंत्री पद के लिए अघोषित प्रत्याशी के रूप में नरेंद्र मोदी का नाम सामने आने के बाद कांग्रेस आलाकमान की ओर से प्रियंका गांधी को देश की सक्रिय राजनीति में लाने की कवायद शुरू हो गई है। इसी कवायद के तहत कांग्रेस आलाकमान ने प्रियंका को उनकी मां सोनिया गांधी की अनुपस्थिति में रायबरेली संसदीय क्षेत्र का काम संभालने की जिम्मेदारी सौंपी है।

देश के बिगड़ते आर्थिक हालातों से चिंतित सरकार में अब सक्रियता बढ़ गई है। वित्त्त मंत्री पी चिदंबरम ने कामकाज संभालते ही पहले हफ्ते में ही अपने मंत्रालय के कर्मचारियों व अधिकारियों की साप्ताहिक छुंट्टी रद कर दी है। वित्त्त मंत्रालय में इस शनिवार और रविवार दोनों दिन काम होगा।कामकाज के मामले में पहले से ही सख्त माने जाने वाले चिदंबरम ने इस शनिवार को सभी कर्मचारियों और अधिकारियों को कार्यालय बुलाया है। रविवार को संयुक्त सचिव स्तर से ऊपर के अधिकारी कार्यालय आएंगे। बताया जा रहा है कि वित्त मंत्री मौजूदा आर्थिक हालात को देखते हुए तेजी से नीतिगत फैसले लेने की व्यवस्था पर काम कर रहे हैं। इसका क्रम नहीं टूटे, इसके लिए वित्त मंत्रालय के कर्मचारियों व अधिकारियों को सप्ताहांत में भी काम के लिए कहा गया है।

मजे की बात है कि जब मानसून संकट के कारण ज्यादातर विसेषज्ञ विकास दर छह फीसद तक सीमित होने की बात कर रहे हैं , तबप्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष डा. सी. रंगराजन ने कोलकाता में चालू वित्त वर्ष में 7.5 से 8 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया है। औद्योगिक गतिविधियों में जारी नरमी और इसका सेवा क्षेत्र पर पड़ रहे विपरीत प्रभाव कमजोर मानूसन और खराब होती वैश्विक अर्थव्यवस्था से चालू वित्त वर्ष में देश की आर्थिक विकास दर छह प्रतिशत से लेकर 6.3 प्रतिशत के बीच रह सकती है।पर रंगराजन ने चालू वित्त वर्ष के दौरान राजकोषीय घाटे को 4.6 प्रतिशत पर बनाए रखने को मुश्किल बताया।रंगराजन ने कहा, परिषद ने 2011-12 के लिए शुरु में 8.2 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि का अनुमान लगाया था। विश्व अर्थव्यवस्था की स्थिति उत्साहजनक नहीं है, ऐसे में यह 7.5 प्रतिशत से 8 प्रतिशत के बीच रह सकती है। उन्होंने यह भी कहा कि देश निरंतर 9 प्रतिशत आर्थिक वृद्धि हासिल करने की क्षमता रखता है। रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रंगराजन ने कहा कि भारत की बचत दर सकल घरेलू उत्पाद की तुलना में 34 प्रतिशत और निवेश दर 36 प्रतिशत से ऊपर है।रंगराजन ने एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि पूंजी और उत्पादन का चार का वृद्धिपरक औसत होने पर भी भारतीय अर्थव्यवस्था निरंतर नौ प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल कर सकती है। वृहत आर्थिक चिंताओं पर उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद के 4.6 प्रतिशत पर रखना मुश्किल होगा। इस संबंध में उन्होंने कहा कि सरकार को अपने खर्चो पर नजर रखनी होगी विशेषतौर पर सब्सिडी व्यय पर गौर करना होगा।बजट प्रबंधन एवं वित्तीय जवाबहेदी अधिनियम के तहत आने वाले कुछ वर्षो में सरकार को अपना राजकोषीय घाटा जीडीपी का तीन प्रतिशत तक नीचे लाना है।

इसके विपरीत उद्योग संगठन एसोचैम ने 110 प्रमुख उद्योगपतियों और अर्थशास्त्रियों के साथ किए सर्वेक्षण रिपोर्ट में  खुलासा करते हुए नीतियों से जुडे़ मुद्दों का तत्काल समाधान नहीं किया गया तो स्थिति और बदतर हो सकती है। वित्त वर्ष 2011-12 में देश की आर्थिक विकास दर नौ वर्ष के न्यनूतम स्तर 6.5 प्रतिशत पर फिसल चुकी है। एसोचैम ने इस सर्वेक्षण में कहा है कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में कारोबारी भरोसा और अधिक डगमगाया है और इससे ऐसा संकेत मिल रहा है कि सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) भारतीय रिजर्व बैंक के अनुमान 6.5 प्रतिशत से कम दर से बढेगी। इसमें कहा गया है कि कमजोर मानसून से समस्या और बढ़ रही है। एसोचैम ने कहा है कि कृषि क्षेत्र में विकास की संभावना नहीं दिख रही है। वित्त वर्ष 2011-12 में कृषि क्षेत्र की विकास दर 2.5 प्रतिशत रही थी, लेकिन चालू वित्त वर्ष में इसमें कोई वृद्धि होने की उम्मीद नहीं दिख रही है क्योंकि मुख्य फसल सीजन खरीफ में बुआई प्रभावित हुई है।

देश के शेयर बाजारों में लगातार तीन सप्ताह की गिरावट के बाद तेजी दर्ज की गई। बम्बई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) का 30 शेयरों वाला संवेदी सूचकांक सेंसेक्स आलोच्य अवधि में 2.13 फीसदी या 358.74 अंकों की तेजी के साथ 17197.93 पर बंद हुआ। सेंसेक्स पिछले सप्ताह 319.25 अंकों की गिरावट के साथ 16839.19 पर बंद हुआ था।  मौसम विभाग के ताजा आकलन के मुताबिक देश में इस साल सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। इसका सबसे ज्यादा असर खरीफ की फसल पर होगा।  कमजोर मानसून के साथ आए सूखे ने देश के सरकारी बैंकों की चिंता बढ़ा दी है। इसकी वजह से कृषि क्षेत्र को बांटे लाखों करोड़ रुपये के लोन का बड़ा हिस्सा फंसे कर्ज [एनपीए] में तब्दील हो सकता है। यह खतरा तो है ही, साथ ही बैंकों के मुनाफे पर भी इसका असर पड़ने की आशंका है।

चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित 30 हजार करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को पूरा करने के लिए सरकार अगले माह से सरकारी कंपनियों में अपनी हिस्सेदारी बेचकर रकम जुटाने की प्रक्रिया शुरू करेगी। सरकार ने शनिवार को कहा कि उसे उम्मीद है कि वह 30,000 करोड़ रुपये के निर्धारित विनिवेश कार्यक्रम के तहत अगले महीने पहला सार्वजनिक निर्गम लेकर आएगी।बाजार की मौजूदा स्थिति में पहला निर्गम कब आयेगा, इसके जवाब में विनिवेश सचिव हलीम खान ने यहां कहा कि आप उन परिस्थितियों पर गौर कर सकते हैं, मुझे लगता है कि जल्दी नहीं तो सितंबर तक मुझे लगता है कि यह सर्वश्रेष्ठ रहेगा।हालांकि, सबसे पहले विनिवेश करने वाली कंपनी के बारे में उन्होंने नहीं बताया। बाजार के कमजोर हालात को देखते हुए सरकार ने पिछले महीने राष्ट्रीय इस्पात निगम लि़ के प्रारंभिक सार्वजनिक निर्गम को स्थगित कर दिया था।गौरतलब है कि 2,500 करोड़ रुपये का यह आईपीओ जुलाई में आने वाला था। चालू वित्त वर्ष के लिए निर्धारित 30,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य को हासिल करने के बारे में खान ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि इसे प्राप्त कर लिया जाएगा।पीएचडी चैंबर द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम से इतर उन्होंने कहा कि जितना विश्वास मुझे एक अप्रैल को था उतना ही आज भी है। लक्ष्य को लेकर कोई समस्या नहीं है। एक निश्चित प्रक्रिया है जिससे गुजरना होता है। इसमें थोड़ा समय लग रहा है।सरकार वर्ष 2011-12 में निर्धारित 40,000 करोड़ रुपये के विनिवेश लक्ष्य में से करीब 14,000 करोड़ रुपये ही हासिल कर पायी थी।

घोटालों का चक्कर लेकिन खत्म नहीं हो रहा है। अब एक और शेयर घोटाला।पिछले महीने 26 जुलाई को कई मिडकैप कंपनियों के शेयर में जोरदार गिरावट पर सेबी ने कार्रवाई की है। बाजार नियामक ने 16 कंपनियों और 3 ब्रोकरों को बाजार में कारोबार से रोक दिया है।बाजार नियामक सेबी के चेयरमैन यूके सिन्हा ने कहा कि मिडकैप शेयरों में हाल ही में आई गिरावट की जांच को तेजी से पूरा किया जाएगा। शेयरों में गड़बड़ी के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी. भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड ने इस मामले में अपने अंतरिम आदेश में 19 फर्मो पर रोक लगा दी थी।  सिन्हा ने कहा, 'हमने अपनी शुरुआती जांच में पाया है कि चीजें सही नहीं थी. हमने कुछ कार्रवाई की है. विस्तृत जांच शुरू हो गई है।' 26 जुलाई का दिन भारतीय बाजारों के लिए कोहराम साबित हुआ था। कई मिडकैप कंपनियों के शेयर औंधे मुंह लुढ़क गए थे, शेयरों 30-40 फीसदी तक की गिरावट दर्ज की गई थी। लेकिन अब सेबी ने इसपर कार्रवाई करते हुए 16 कंपनियों और 3 ब्रोकरों के कारोबार पर प्रतिबंध लगा दिया है।सेबी ने अजित कुमार जैन, मनीश अग्रवाल और उमंग नेमानी को बाजार में कारोबार करने से रोका है। सेबी को ट्यूलिप टेलीकॉम, पीपावाव, ग्लोडाइन और पार्श्वनाथ  के शेयरों के भाव में गड़बड़ी के संकेत भी मिले हैं।

यूनिनॉर अपनी संपत्ति की नीलामी नहीं कर पाएगी। कंपनी लॉ बोर्ड ने यूनिनॉर की संपत्ति की नीलामी पर रोक लगा दी है। बोर्ड ने यूनिनॉर के इस फैसले को बेहद चालाकी भरा कदम बताया है।दरअसल यूनिनॉर ने 1 अगस्त को नोटिस जारी किया था कि वो अपने एसेट्स की नीलामी करना चाहती है और इसके लिए 6 अगस्त तक बोलियां मंगाई थीं। वहीं अगर कोई बोली नहीं आती तो टेलीनॉर 4,190 करोड़ रुपये में यूनिनॉर की संपत्ति खरीद लेती, लेकिन यूनिनॉर में हिस्सेदार यूनिटेक इसके सख्त खिलाफ थी।यूनिटेक के मुताबिक इस तरह जल्दबाजी में नीलामी का नोटिस इसलिए निकाला गया था ताकि यूनिनॉर के एसेट्स टेलीनॉर के पास आ जाएं। मामले के खिलाफ यूनिटेक ने कंपनी लॉ बोर्ड में अर्जी दी और फिर कंपनी लॉ बोर्ड ने नीलामी पर रोक लगाते हुए नीलामी को लेकर यूनिनॉर से सोमवार तक जवाब मांगा है। यूनिटेक का यूनिनॉर में 32.75 फीसदी हिस्सा है। मालूम हो कि यूनिनॉर को लेकर टेलीनॉर और यूनिटेक के बीच लंबे समय से लड़ाई चल रही है।

कोलंबो मल्टी ब्रांड रिटेल सेक्टर में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की इजाजत दिए जाने पर अलग-अलग राय के बीच वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्माने कहा है कि सरकार इस पर अगला कदम उचित समय पर उठाएगी।कोलंबो में सीआईआईकी ओर से आयोजित एक कार्यक्रम के इतर संवाददाताओं से बातचीत में शर्माने कहा कि सरकार पूरे लोकतांत्रिक तरीके से इस मुद्दे पर राजनीतिक सहमति बनाने की कोशिश कर रही है। हर राज्य के अपने विचार हैं। ऐसे में उचित समय आने पर सरकार इस पर कदम उठाएगी।उन्होंने कहा कि सरकार सैद्धांतिक रूप से मल्टी ब्रांड रिटेल में एफडीआईका फैसला ले चुकी है और उसका मानना है कि इससे किसानों को फायदा होगा और खाद्यान्न प्रबंधन में भारी मदद मिलेगी।शर्माने कहा कि फूड प्रोसेसिंग, कोल्ड चेन आदि में इससे बड़ी संख्या में नौकरियां पैदा होंगी और अर्थव्यवस्था को मजबूती देने में इससे मदद मिलेगी।मालूम हो कि गत नवंबर में मल्टी ब्रांडरिटेल में 51 फीसदी एफडीआईकी घोषणा को भारी विरोध के बाद वापस लेना पड़ा था।

एक तरफ जहां भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) राजस्व प्राप्तियों की तुलना में सरकार के अत्यधिक खर्च पर चिंता जाहिर कर रहा था, वहीं पहली तिमाही के दौरान राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2012-13 के बजट अनुमान का एक तिहाई तक पहुंच गया।आधिकारिक आंकड़े बताते हैं कि जहां अप्रैल-जून तिमाही के दौरान विनिवेश प्रक्रिया से सरकार के खजाने में कोई पूंजी नहीं आई है और गैर योजनागत खर्च बढ़ा है, वहीं राजकोषीय घाटा 1,90,460 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है जो वित्त वर्ष के लिए कुल बजट अनुमान 5,13,590 करोड़ रुपये का 37.1 फीसदी है।

बीते वित्त वर्ष की समान तिमाही के दौरान राजकोषीय घाटा वित्त वर्ष 2011-12 के लिए बजट अनुमान का 39.4 फीसदी के आसपास था। इस संदर्भ में देखा जाए तो वित्त वर्ष 2012-13 की पहली तिमाही का राजकोषीय घाटा (जीडीपी की तुलना में फीसदी में) पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही की तुलना में कम रहा है। हालांकि गौर किया जाना चाहिए कि वित्त वर्ष 2011-12 में राजकोषीय घाटा 5.7 फीसदी तक पहुंच गया था, जबकि बजट अनुमान 4.6 फीसदी ही था।

चालू वित्त वर्ष के लिए राजकोषीय घाटे के जीडीपी का 5.1 फीसदी रहने का अनुमान किया गया है। अर्थशास्त्रियों ने कहा कि अगर यह रुझान बरकरार रहता है तो राजकोषीय घाटे को इस स्तर पर बरकरार रखना काफी मुश्किल होगा। अपनी मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में आरबीआई ने आज कहा कि राजकोषीय घाटे के लिए घरेलू बचतों से वित्तपोषण किया जाता है तो निजी निवेश घटने लगेगा, जिससे विकास की संभावनाओं पर असर पड़ेगा।

सरकार ने इस वित्त वर्ष में बाजार से 5.7 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लिया है, जो बीते वित्त वर्ष के 5.1 लाख करोड़ रुपये के कर्ज से 11 फीसदी ज्यादा है। वास्तव में बीते वित्त वर्ष में सरकार 4.17 लाख करोड़ रुपये के बजट अनुमान से 20 फीसदी ज्यादा धनराशि जुटाई थी। कुल उधारी का लगभग 65 फीसदी या 3.70 लाख करोड़ रुपये इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में खर्च किया जाना है।वास्तव में केंद्र का राजकोषीय घाटा कर के मद में अच्छे राजस्व के बावजूद ऊंचा रहा है और योजनागत व्यय में ज्यादा बढ़ोतरी नहीं हुई है। महालेखा नियंत्रक (सीजीए) द्वारा जारी आंकड़ों के बताते हैं कि पहली तिमाही के दौरान कर राजस्व 1,04,505 करोड़ रुपये रहा, जो इस वित्त वर्ष के लिए कुल बजट अनुमान का 13.6 फीसदी है। बीते वित्त वर्ष के दौरान समान तिमाही कर राजस्व बजट अनुमान का 11.8 फीसदी ही रहा था।इस तिमाही में गैर कर्ज पूंजीगत प्राप्तियां महज 2,402 करोड़ रुपये रहीं, जो पूरे वित्त वर्ष के कुल बजट अनुमान का 5.8 फीसदी है क्योंकि विनिवेश से सरकार अभी तक कोई रकम नहीं जुटा सकी है।

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