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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, February 15, 2014

ममता को मोदी का विकल्प बनाने की तैयारियों पर जोरों से जुटे अन्ना


ममता को मोदी का विकल्प बनाने की तैयारियों पर जोरों से जुटे अन्ना

ममता को मोदी का विकल्प बनाने की तैयारियों पर जोरों से जुटे अन्ना

HASTAKSHEP

कोलकाता/ नई दिल्ली। तीसरे मोर्चे की कवायद से अलग-थलग पड़ गयी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश करने के लिये गांधीवादी नेता अन्ना हजारे पूरी ताकत के साथ जुट गये हैं।हालांकि अन्ना का ममता को बिना शर्त समर्थन हैरतअंगेज है खासकर तब जबकि अपने चेले अरविंद केजरीवाल और उनकी आम आदमी पार्टी को समर्थन देने से सिरे से उन्होंने इंकार कर दिया है। उनकी शिष्या किरण बेदी तो बाकायदा अपनी टीम के साथ नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनाने के अभियान में जुट गयी हैं। इसके विपरीत अन्ना ने ममता दीदी को प्रधानमंत्री पद के लिये सर्वोत्तम प्रत्याशी ही नहीं कहा है, बल्कि देशभर में तृणमूल कांग्रेस के पक्ष में प्रचार करने की घोषणा कर दी है। सूत्रों के अनुसार नई दिल्ली के साउथ एवेन्यू में तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सदस्यों मुकुल रॉय और के. डी. सिंह को आवंटित बंगलों समेत चार बंगलों में अन्ना की टीम की देख-रेख में वार रूम तैयार हो गया है, जिसने विधिवत् अपना काम करना शुरू भी कर दिया है। 141 साउथ एवेन्यू में अन्ना की सोशल मीडिया टीम के 40 सदस्य युद्ध स्तर पर जुट गये हैं और उनकी तैयारियां अन्ना के पूर्व चेले अरविंद केजरीवाल की सोशल मीडिया टीम से ज्यादा चौकस और मजबूत बताई जा रही हैं।

अब यह समझने वाली पहेली है कि केजरीवाल की राजनीति से सख्त परहेज करने वाले अन्ना ने ममता बनर्जी को प्रधानमंत्री बनाने का बीड़ा क्यों उठाया ? हालाँकि ममता दीदी की आर्थिक नीतियाँ एकदम नमोमय और पीपीपी माडल आधारित हैं। नमो के साथ खड़े होने के बजाय वे दीदी के हक में हवा बनाने लगे हैं जबकि दीदी प्रस्तावित फेडरल फ्रंट के तमाम घटक दलों के सारे क्षत्रप वामदलों की अगुवाई वाले मोर्चे में हैं। बंगाल में दीदी को बयालीस की बयालीस सीटें मिल भी जाये तो भी उनके प्रधानमंत्रित्व के लिये बाकी सीटें अन्ना कहाँ से निकालेंगे, यह समीकरण खोज और शोध का विषय है।

अल्पसंख्यक वोट बैंक दीदी का तुरुप है और बाकी देश के अल्पसंख्यकों में भी उनकी खास साख है। इसलिये कोलकाता ब्रिगेड रैली में नरेंद्र मोदी के खुले आवाहन का भी कोई सकारात्मक जवाब अभी तक दीदी की तरफ से नहीं मिल रहा है। कहा जा रहा है कि कांग्रेस के शीर्षस्थ स्तर पर तृणमूल के साथ गठजोड़ बनाने की कोशिश के मद्देनजर कांग्रेस के समर्थन से दीदी की दिल्ली सरकार बनाने की कवायद कर रहे हैं अन्ना। लेकिन अन्ना के नज़दीकी सूत्रों के अनुसार अन्ना भाजपा-कांग्रेस से समान दूरी रखकर ममता के लिये जुट गये हैं। सूत्रों का कहना है कि अन्ना ने साफ-साफ कहा है कि 50 रुपये की साड़ी और टायरसोल की चप्पल पहनने वाली व अपनी वृद्दा माँ के साथ खपरैल के दो कमरे के मकान में रहने वाली ममता ईमानदार है न कि करोड़ों के मकान में रहने वाले वो केजरीवाल ईमानदार हैं जिनके बच्चों की मासिक फीस ही लाख रुपये के आस-पास है। केजरीवाल से मुलाकात से कुछ समय पहले अन्ना हजारे ने दिल्ली के मुख्यमंत्री पर व्यंग्य किया और सादगी के लिये पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सराहना की। हजारे ने संवाददाताओं से कहा कि ममता मुख्यमंत्री बनने के बाद भी चप्पल पहनती हैं, लेकिन कुछ लोग बंगला नहीं लेने का वादा करने के बावजूद बंगला ले लेते हैं। हजारे ने कहा कि मार्च के अंत या अप्रैल के पहले हफ्ते से वह देश भर में घूमकर अच्छे लोगों की खोज करेंगे।

सूत्रों के अनुसार अन्ना की अगुवाई में तृणमूल बंगाल के बाहर उन सीटों पर मजबूती के साथ उन चुनिंदा सीटों पर ही चुनाव लड़ेगी जहां जनांदोलन के लोग मजबूत प्रत्याशी होंगे या वहां पाँच से दस हजार बंगाली मतदाता होगा। इस रणनीति पर चलकर अन्ना ममता को मोदी और कोजरीवाल दोनों का विकल्प बनाना चाहते हैं।

दरअसल अन्ना केजरीवाल द्वारा किये गये विश्वासघात से खासे आहत बताये जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि अन्ना इस बात से खासे आहत हैं कि केजरीवाल ने यदि आंदोलन के दौरान ही अन्ना के आस-पास जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं का अपमानकर उनकी टीम को न तोड़ा होता और दिल्ली के चुनाव में उतरने की जल्दबाजी न की होती तो अन्ना का आंदोलन देश भर में एक ताकत बन चुका होता। लेकिन केजरीवाल की अतिमहत्वाकांक्षा ने समय से पहले राजनीति में कूदकर काफी नुकसान कर दिया।

ताजा चुनाव पूर्व सर्वेक्षण से यह गणित भी जटिल हो गया है क्योंकि मोदी रथ दो सौ के आंकड़े के आगे हिल भी नहीं रहा है और कांग्रेस गठबंधन को सैकड़ा पार करने में भी भारी चुनौतियों का समाना करना पड़ रहा है।

बताया जाता है कि आगामी 20 फरवरी से ममता और अन्ना का चुनाव प्रचार मीडिया में भी शुरू हो जायेगा जिसके लिये प्रचार सामग्री तैयार हो गयी है।

(कोलकाता से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास के साथ दिल्ली से हस्तक्षेप टीम)

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