Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Sunday, July 27, 2014

नंदीग्राम का कहर जारी है वामपंथ के खिलाफ

नंदीग्राम का कहर जारी है वामपंथ के खिलाफ

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

नंदीग्राम भूमि विद्रोह का असर अब भी कायम है और यह एक ऐसा सिलसिला बन गया है,जिससे भारतीय वामपंथ के निकटभविष्य में उबरने के आसार कम ही हैं।मेदिनीपुर समेत जंगलमहल में वामपंथ का सबसे मजबूत जनाधार पहले ही ध्वस्त हो गया है।विधानसभा चुनावों और पंचायत चुनावों में फिरभी वामपंथियों के वापसी की उम्मीद की जी रही थी।इसी उम्मीद की पूंजी लेकर वाम नेतृत्व परिवर्तन की मांग सिर से खारिज की जाती रही है।वाम जनता की मांगों के विपरीत बहिस्कृत पूर्व लोकसभाध्यक्ष की वापसी तो पार्टी में नहीं होसकी,बल्कि नेतृत्व के प्रबल आलोचकों किसान नेता रज्जाक अली मोल्ला को बाहर का दरवाजा दिखा दिया गया तो नंदीग्राम त्रासदी का ठीकरा तत्कालीन सांसद लक्ष्मण सेठ पर फोड़ते हुए उन्हें पार्टी से बाहर निकाल फेंका गया। लक्ष्मण सेठ और रज्जाक मोल्ला इस पूरे प्रकरण में एक दूसरे के संपर्क में रहे हैं।


जाहिर है कि नंदीग्राम और सिंगुर में जबरन जमीन अधिग्रहण,अंधाधुंध शहरीकरण और पूंजी के लिए वाम सरकार और नेतृत्व की अंधी दौड़ पार्टी के स्रवोच्च स्तर पर लिए गये निर्णय के मुताबिक ही हैं और इस कार्यक्रम को कार्यान्वित ही किया कैडर तंत्र ने,जिसे वाम सत्ता ने गेस्टापो और हर्माद में तब्दील कर दिया था।जमीन अधिग्रहण के मुद्दे को प्रशासनिक तौर पर सुलझाने की जगह पार्टी कैडरों के जरिये असहमत किसानों का दमन उत्पीड़न और नंदीग्राम में नरसंहार की जिम्मेदार भी पार्टी और सरकार दोनो रही हैं।लेकिन पार्टी नेतृत्व ने सरकार और नेतृत्व का बचाव करते हुए सारा दोष लक्ष्मण सेठ और जिला नेतृत्व पर डाल दिया,जिसके खिलाफ बगावत अब विस्फोटक होती जा रही है।


सेठ के निकाले जाने के बाद भी उनकी पत्नी तमालिका माकपा में बनी हुई थी और अब वह भारी धमाके के साथ जिला कमिटी के पूरे नेतृत्व को लेकर पार्टी से बाहर निकल गयीं।पूरे जिला नेतृत्व का पार्टी छोड़ने की यह घटना वामपंथी इतिहास में अभूतपूर्व है।


कुल 21 नेताओं के इस्तीफे राज्य कमिटी ने मंजूर भी कर लिये हैं लेकिन नेतृत्व ने दलत्यागियों के सारे आरोप सिरे से खारिज कर दिये हैं।जबकि लक्ष्मण सेठ के मुताबिक पारटी छोड़ देने के बाद निष्कासन हुआ या नहीं,यह किसी के लिए सरदर्द का सबब नहीं है।



बंगाल में 35 साल के वाम शासन के बाद चुनावी हार की वजह से समूचे वाम जनाधार के बिखरने के असली कारणो की पड़ताल करने और उसका निदान निकालने की कोई पहल लेकिन पार्टी नेतृत्व की ओर से हो नहीं रही है।सत्तादल के सत्ता से बाहर हो जाने के बाद भेड़धंसान दलबदल आम है,लेकिन हाल के लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद बंगाल में माकपाई विधायक, नेता और कार्यकर्ता जिस तरह तृणमूल कांग्रेस और भाजपा में शामिल हो रहे हैं,वैसा वामपंथी पराजनीति में कभी हुआ नहीं है।


वामपंथी कैडर सिर्फ चुनावी हार के लिए विचारधारा और प्रतिबद्धता को तिलाजलि देकर धुर दक्षिणपंथी बन जाये,तो भारत में वामपंथी आंदोलन के चरित्र का नये सिरे से मूल्यांकन की जरुरत है।


विडंबना यह है कि न पार्टी महासचिव,न पोलित ब्यूरो और न राज्य नेतृत्व इसके लिए किसी भी स्तर पर तैयार है।इसके विपरीत जैसे जेएनयू में भी हुआ,असहमति के स्वर को कुचल देने के रास्ते पर ही चल पड़ा है माकपा नेतृत्व।


इससे पहले हालांकि 1996 में कामरेड ज्योति बसु को प्रधानमंत्री न बनने देने के फैसले के खिलाफ उत्तर 24 परगना और कोलकाता जिलासमितियों का विभाजन हो गया था,लेकिन तब भी नेतृत्व के खिलाफ इतने संगीन आरोप नहीं लगाये गये थे और समूचे जिला नेतृत्व ही पार्टी से तब अलग नहीं हुआ था।


वैसे भी कामरेड नंबूरीदिपाद,कामरेड सुरजीत,कामरेड अनिल विश्वास और कामरेड ज्योति बसु के अवसान पर पार्टी नेतृत्व संकट से जूझ रही है और अलोकतांत्रिक ढंग से तानाशाही रवैया अपनाकर मौजूदा नेतृ्व भारतीय वामपंथ का गुड़ गोबर करने में लगा है।


गौरतलब है कि शुरु से ही सभी तबको को नेतृत्व में प्रतिनिधित्व देने की वाम परंपरा नहीं है।दबंग जाति वर्चस्व के खिलाफ लेकिन आवाजें हाल फिलहाल ही बुलंद होने लगी हैं।


अब हुआ यह कि बंगाल में राज्य व जिला कमेटी के कामकाज से नाराज होकर पूर्व मेदिनीपुर जिले के करीब तीन हजार माकपा नेताओं, कार्यकर्ताओं व समर्थकों ने एकमुश्त पार्टी छोड़ दी है।


इन लोगों ने भारत निर्माण मंच बनाने का ऐलान भी कर दिया।इस मंच के आचरण और भविष्य के बारे में कोई अंदाजा अभी नहीं है।


पार्टी छोड़ते हुए इन लोगों ने बाकायदा पार्टी नेतृत्व के खिलाफ एक आरोपपत्र का प्रकाशन भी कर दिया है और यह भी अभूतपूर्व है।


शनिवार को तमलूक के नीमतौड़ी में एक ऑडिटोरियम में पूर्व विधायक तथा हल्दिया नगरपालिका की पार्षद व माकपा के पूर्व सांसद लक्ष्मण सेठ की पत्नी तमलिका पांडा सेठ, पांसकुड़ा के पूर्व विधायक अमीय साहू, नंदीग्राम के नेता व जिला कमेटी के पूर्व सचिव अशोक गुड़िया ने संवाददाताओं को माकपा छोड़ने की जानकारी दी।


तमलिका पांडा सेठ ने कहा कि आज का दिन उनके लिए बेहद दुखद है। इसका कारण है कि आम लोगों के साथ अब माकपा नहीं है। लिहाजा आम लोगों की भावनाओं को देखते हुए पार्टी छोड़ने का उन्होंने फैसला किया है।

18 वर्षो से वह पार्टी के साथ थीं। राज्य व जिला कमेटी के नियमों को वह मान कर काम करती थीं, लेकिन नंदीग्राम की घटना को सामने रख कर तृणमूल कांग्रेस आगे बढ़ती गयी, लेकिन माकपा ने कोई कदम नहीं उठाया। नंदीग्राम की घटना में उनके कई नेता व कार्यकर्ता शहीद हुए।


कई को घर छोड़ कर बाहर रहना पड़ रहा है, लेकिन पार्टी साथ नहीं खड़ी हुई। नंदीग्राम की घटना में झूठे मामले में फंसा कर उनके कई नेता-कार्यकर्ताओं को जेल जाना पड़ा। पार्टी ने उनकी भी सुध नहीं ली। जिले में पार्टी को मजबूत करने में लक्ष्मण सेठ का योगदान है।

लेकिन पार्टी उनके साथ न खड़ी होकर दल से बहिष्कृत कर दिया।


श्रीमती सेठ ने आरोप लगाया कि जिला कमेटी का दायित्व रबीन देव को दिया गया। लेकिन उन्होंने उन लोगों को तरजीह दी जो जनता से दूर हैं।



श्रीमती सेठ ने आरोप लगाया कि धमकी के साये तले उन्होंने 18 महीने तक हल्दिया नगरपालिका को चलाया। लेकिन  पार्टी ने बगैर कारण बताये लक्ष्मण सेठ सहित जिले के कुल छह नेताओं को सस्पेंड कर दिया। ऐसी स्थिति में बाध्य होकर वह पार्टी छोड़ने को मजबूर हुईं।



দল ছাড়লেন লক্ষ্মণ-পত্নী তমালিকা-সহ ২১ জন

গুরুত্ব পাচ্ছে না রাজ্য সি পি এমে

বৈঠক করলেন রবীন, সূর্যকাম্ত


আবু রাইহান ও সৈকত মাইতি: হলদিয়া ও তমলুক, ২৬ জুলাই– দল থেকে তমালিকা পন্ডা শেঠ-সহ পূর্ব মেদিনীপুর জেলা সি পি এমের বেশ কয়েকজন নেতা-কর্মী পদত্যাগ করলেন৷‌ অনেক আগেই যাঁদের দল থেকে বহিষ্কার করা হয়েছে এমন কয়েকজনের নামও রয়েছে এই তালিকায়৷‌ যদিও কমিউনিস্ট পার্টির গঠনতন্ত্রে এভাবে পদত্যাগ করার কোনও সুযোগ নেই, তবু একটি চিঠিতে সবাই মিলে স্বাক্ষর করে পদত্যাগপত্র পাঠিয়েছেন তমালিকা পন্ডা শেঠরা৷‌ তাঁদের অভিযোগ, দলে গঠনতন্ত্র নেই বলেই পদত্যাগ করছেন তাঁরা৷‌ এদিন পলিটব্যুরো সদস্য ডাঃ সূর্যকাম্ত মিশ্র ও রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য রবীন দেবের উপস্হিতিতে সি পি এম জেলা কমিটির বৈঠক হয়৷‌ শেষে ২১ জন দলীয় নেতার পদত্যাগপত্র প্রাপ্তির কথা স্বীকার করে রবীন দেব বলেন, যাঁরা দলের ভাল চান না, তাঁরা মিথ্যা অভিযোগ করে দলের ভাবমূর্তি নষ্ট করতে চাইছেন৷‌ এভাবে দলের বাইরে মিটিং করে পদত্যাগ করা যায় না৷‌ এটা দলের গঠনতন্ত্রের বিরোধী৷‌ এছাড়াও যাঁরা পদত্যাগ করছেন তাঁদের অনেককেই ইতিমধ্যে দল থেকে বহিষ্কার করা হয়েছে৷‌ কেবল মাত্র সংখ্যা বাড়িয়ে দেখানোর জন্যই তাঁরা এমন মিথ্যা বলছেন৷‌ তা সত্ত্বেও যাঁরা পদত্যাগপত্র পাঠিয়েছেন, তাঁদের পদত্যাগপত্র খতিয়ে দেখে পার্টির গঠনতন্ত্র মেনে ব্যবস্হা নেওয়া হবে৷‌ রবীন দেব এদিন জানান, কোনও অভিযোগ থাকলে দলের মধ্যে আলোচনা করে সমস্যা মেটানো যেত৷‌ তা না করে বাইরে সাংবাদিক সম্মেলন করে ওঁরা দলীয় নীতি ভেঙেছেন৷‌ দল গঠনতন্ত্রের নিয়ম মেনে এই পদত্যাগের বিষয়ে ব্যবস্হা গ্রহণ করবে৷‌ তমালিকা পন্ডা শেঠদের এই পদত্যাগের প্রধান কারণ অবশ্য তাঁরা সাংবাদিক সম্মেলনের মধ্যে এক লাইনে বুঝিয়ে দিয়েছেন৷‌ তমালিকা বলেছেন, লক্ষ্মণ শেঠের বিরুদ্ধে ওঠা অভিযোগ ও তদম্ত তুলে নিলে তাঁরা ফের দলে ফিরে আসবেন৷‌ এদিন ঘটা করে জেলার প্রায় সকলেই লক্ষ্মণপম্হী বলে প্রচার করলেও ছাত্র, যুব, কৃষক ফ্রন্টের কেউ তাঁদের সঙ্গে আছেন বলে জানাতে পারেননি তমালিকা, অমিয় সাহুরা৷‌ যে হলদিয়াকে কেন্দ্র করে লক্ষ্মণের প্রভাব-প্রতিপত্তি, সেখানেই হলদিয়া, বন্দর, শহরের আঞ্চলিক কমিটির কেউ যাননি৷‌ বন্দর কর্মচারীদের সংগঠনও অক্ষত৷‌ তাঁদের মধ্যে নামপ্রকাশে অনিচ্ছুক কেউ কেউ তো এই প্রতিবেদককে জানিয়েছেন, যাঁরা সই করেছেন, খুঁজে নিয়ে দেখুন, অনেকেই কাঁদতে কাঁদতে সই করতে বাধ্য হয়েছেন৷‌ বছরের পর বছর যে দলের সৌজন্যে এত ক্ষমতা ভোগ করলেন লক্ষ্মণ শেঠ, তিনি দলের একটা তদম্তের মুখোমুখি হতে পারছেন না! শনিবার সকাল ১১টায় তমলুকের নিমতৌড়ি জেলা পার্টি অফিসে জেলা কমিটির বৈঠক ডাকা হয়৷‌ কিন্তু এই বৈঠকে উপস্হিত না হয়ে সকাল ১০টা নাগাদ ৪১ নম্বর জাতীয় সড়কের ধারে এ বি টি এ-র অফিসে সাংবাদিক বৈঠক ডাকেন তমালিকা৷‌ রাজ্য ও জেলার দলীয় নেতৃত্বের প্রতি ক্ষোভ উগরে দিয়ে দল ছাড়ার কথা ঘোষণা করেন লক্ষ্মণ-পত্নী, জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য তমালিকা পন্ডা শেঠ৷‌ সাংবাদিক সম্মেলনে তমালিকার সঙ্গে হাজির হন জেলা কমিটি থেকে সদ্য বহিষ্কৃত নেতা অমিত দাস-সহ অমিয় সাহু, সুদর্শন মান্না, বিজন রায়, প্রশাম্ত পাত্র ও জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর আরও ৬ সদস্য৷‌ এদিন অমিয় সাহু, সুদর্শন মান্না-সহ একে একে দলীয় নেতৃত্বের তীব্র সমালোচনা করেন৷‌ পাশাপাশি তাঁরা দাবি করেন, নেতৃত্বের ভুল সিদ্ধাম্তে দলের প্রতি আকর্ষণ হারিয়ে সাধারণ কর্মীরা বি জে পি-তে যোগ দিচ্ছেন৷‌ এদিন এই পদত্যাগপত্র দেওয়ার পাশাপাশি আগামী কয়েক দিনের মধ্যে বহিষ্কৃত ও বিক্ষুব্ধ নেতাদের নিয়ে ভবিষ্যৎ রাজনৈতিক পরিকল্পনার সিদ্ধাম্ত নেওয়া হবে বলে জানিয়েছেন তমালিকা৷‌ উল্লেখ্য, আগেই বিভিন্ন অনিয়মের অভিযোগে রাজ্য সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য পদ কেড়ে নেওয়া হয়েছিল জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর সদস্য লক্ষ্মণ শেঠের৷‌ এরপর লোকসভা ভোটের আগেই দলবিরোধী কার্যকলাপের জন্য তাঁকে বহিষ্কার করা হয়৷‌ পার্টির নির্বাচন-পরবর্তী পর্যালোচনা বলছে, লক্ষ্মণ শেঠ ও তাঁর ঘনিষ্ঠরা লোকসভা ভোটে কাজ তো করেননি, উল্টে শত্রুপক্ষকে সহযোগিতা করেছে পরোক্ষে৷‌ এরপরও পূর্ব মেদিনীপুর জেলায় বামফ্রন্ট তুলনায় ভাল ফল করেছে৷‌ গত দু'দিন ধরে এই জেলায় লাগাতার অবস্হানেও রীতিমতো ভাল সাড়া পেয়েছে বামফ্রন্ট৷‌ ফলে বিতাড়িত লক্ষ্মণ ও তাঁর সহযোগীদের ছাড়াই ওই জেলার সংগঠন সাজিয়ে নেওয়ার প্রস্তুতি শুরু করে দিয়েছিল দল৷‌ তাই চমকে দিয়ে তমালিকা সাংবাদিক সম্মেলন ডাকলেও রাজ্য সি পি এম এই ঘটনায় আদৌ চমকিত নয় বলেই জানা গেছে৷‌ বরং একটি পদত্যাগপত্রে এদিন যাঁরা যাঁরা সই করেছেন তাঁরা সকলেই কি স্বেচ্ছায় করেছেন? নাকি ভয়ে বা অন্য কারণে সই করেছেন? রবীন দেব এতটা স্পষ্ট না করলেও বলেন, আমরা এই চিঠি খতিয়ে দেখছি৷‌ দলীয় পদ্ধতিতে দেখতে চাইছি, কে কী কারণে এই চিঠিতে সই করেছেন৷‌


লক্ষ্মণ-পত্নীর অভিযোগ, রাজ্যে ভরাডুবি হলেও হলদিয়া পুরসভার দখল রাখছিল বামফ্রন্ট৷‌ কিন্তু রাজ্য নেতৃত্বের অসহযোগিতার জন্যই সেই সাফল্য ধরে রাখা যায়নি৷‌ তমালিকা জানান, আমরা দল ছাড়লেও রাজনীতি ছাড়ছি না৷‌ তাঁর অভিযোগ, দলীয় পার্টি সদস্যদের তদম্ত কমিশনের নামে জবরদস্তি করে পার্টি অফিসে ঘণ্টার পর ঘণ্টা বসিয়ে রেখে জেরা করা হচ্ছে৷‌ তাই বাধ্য হয়ে জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর ৬ জন, জেলা ও জোনাল কমিটির সম্পাদক মিলিয়ে ২১ জন দল ছাড়তে চেয়ে পদত্যাগপত্র পাঠিয়েছেন৷‌ আগামী দিনে জেলার প্রায় ৩ হাজার সি পি এম কর্মী-সমর্থক দল ছাড়তে চেয়ে জেলা পার্টিকে পদত্যাগপত্র পাঠাবেন বলে এদিন দাবি করেন তমালিকা৷‌ একই সঙ্গে দল ছাড়লেও হলদিয়ায় সিটু সংগঠন বা সুকুমার সেনগুপ্ত নামাঙ্কিত হলদিয়া জোনাল অফিস ছাড়বেন না বলে জানিয়েছেন তমালিকা-সহ লক্ষ্মণ ঘনিষ্ঠরা৷‌ তাঁদের দাবি, এটা পার্টি অফিস ঠিকই, কিন্তু সম্পত্তি ট্রাস্টি বোর্ডকে দিয়েছে৷‌ দল যদি ভাল মনে করে তাহলে পদত্যাগপত্র গ্রহণ করবে, না হলে বহিষ্কার করবে৷‌ এদিকে, হলদিয়ায় সুকুমার সেনগুপ্ত ভবন প্রসঙ্গে একাধিক জোনাল সদস্যের বক্তব্য, এই ভবন করার সময়ে তো আমরা একদিনের বেতন দিয়েছিলাম৷‌ তাহলে আজ কী করে এই ভবন ২-৩ জনের নামে ট্রাস্টি হয়ে গেল? এদিকে, এদিন জেলা কমিটির বৈঠকের পর রবীন দেব বলেন, জেলা কমিটিতে তমালিকা দীর্ঘদিন আসেননি৷‌ পার্টি অফিসে না এসে তাঁরা এসব মিথ্যা অভিযোগ করছেন৷‌ জেলা কমিটির বর্তমান ৫৭ জনের সদস্যের মধ্যে ৩৬ জন উপস্হিত থাকায় এদিন বৈঠকে সংখ্যাগরিষ্ঠতাই ছিল৷‌ মিটিংয়ে জেলা সম্পাদকমণ্ডলীর ৫ শূন্যপদে সর্বসম্মতিক্রমে লোকসভার প্রার্থী ইব্রাহিম আলি, তাপস সিনহা-সহ ৪ জন নতুন সদস্য নিয়োগ হয়েছে৷‌ তিনি বলেন, যে কোনও সদস্যই দল ছেড়ে গেলে দলের ক্ষতি৷‌ কিন্তু পার্টির ভেতরে থেকে যারা পার্টির ক্ষতি চায়, তাদের নিয়ে কোনও সমস্যা নেই৷‌ আমাদের জেলায় সদস্য সংখ্যা ১৭ হাজার, তাই ২১ জন নিয়ে মাথাব্যথার কারণ নেই৷‌



No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV