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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, January 13, 2015

भौते हुआ चूमा चाटी,भौते हुआ आजादी, तनि समझा करो जानम। हमनी ना जानै कि राम जाद कथे कथे हैं,हमनी किसी को हरामजाद कहिके हिम्मत नइखे तो हम देखब कि डालरजाद बहुतै बहुत हैं।मइया आई इजा मादरजाद कोनो नइखे इस फ्री मार्केट इमर्जिंग मा। और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट। नरसंहार को होत है।वध है हत्या।वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति। और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट। का मानवाधिकार,का सिविल राइट, का पर्यावरण सबै अड़ंगै है विकास मा और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट। बाकीर चुदुर बुदुर निषेध है। पलाश विश्वास

भौते हुआ चूमा चाटी,भौते हुआ आजादी,

तनि समझा करो जानम।


हमनी ना जानै कि राम जाद कथे कथे हैं,हमनी किसी को हरामजाद कहिके हिम्मत नइखे तो हम देखब कि डालरजाद बहुतै बहुत हैं।मइया आई इजा मादरजाद कोनो नइखे इस फ्री मार्केट इमर्जिंग मा।


और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।

नरसंहार को होत है।वध है हत्या।वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।

और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।

का मानवाधिकार,का सिविल राइट, का पर्यावरण सबै अड़ंगै है विकास मा और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।


बाकीर चुदुर बुदुर निषेध है।

पलाश विश्वास

भौते हुआ चूमा चाटी,भौते हुआ आजादी,

तनि समझा करो जानम।


हमनी ना जानै कि राम जाद कथे कथे हैं,हमनी किसी को हरामजाद कहिके हिम्मत नइखे तो हम देखब कि डालरजाद बहुतै बहुत हैं।मइया आई इजा मादरजाद कोनो नइखे इस फ्री मार्केट इमर्जिग मा।


और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।

नरसंहार को होत है।वध है हत्या।वैदिकी हिंसा हिंसा न भवति।


और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।

का मानवाधिकार,का सिविल राइट, का पर्यावरण


सबै अड़ंगै है विकास मा और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।


वायब्रेंट गुजरात हुई गयो रे म्हारा देश।


सो ,वायब्रेंटका मजा यह कि पहिले थोड़ बहुत नरसंहार भी चाहि।


विरोध उरुध मानवाधिकार एनजीओ जिंदाबाद मुर्दाबाद से माहौल रचि राखा वायब्रेंटा। के खून जो गिरै है,खून जे पानी है,खून जे नदी या समुदर है,उ का रंग केसरिया होइबे चाही।खूनै होइबे करि,ना कातिल का सुराग बा,ना खून का निशां बा।कारपोरेट केसरिया।


कौन ससुरा बान मून आ गियो कि संतसमागम के रौनक बांध दियो रे।


ओबामो महाराज के पधारने से पहिले सिक्युरिटी मा ढील नाही।


सांढ़वा को उछलकूदे कै आजादी है तो बलात्कार नरसंहार संस्कृति के साथ फ्री है।


भारत मइया के हाथ अबहीं फिन बांध दियो रे।तनिको मोमबत्ती जुलूस से उजियारा होइबे चाहि ना।वंदेमातरम सुरसंगत मा मां को बेच दियो रे।


अबहीं विकास दर में बढ़ोतरी वास्ते कारपोरेट मल्टी नेशनल कंपनियों की सुरक्षा चाहि।मामला यूं है कि अर्जेंट होइबे करे ,तनि समझा करो हे जानम।


भौते हुआ चूमा चाटी,भौते हुआ आजादी,

तनि समझा करो जानम।


विदेशी पूंजी जो नदियों को तमाम बांधकर,बेचकर,सारे जनपद,घाटी ग्लेशियर,रेगिस्तान रण  उजाड़कर,सलवाजुड़ुम मार्फते सारे खन वन दखल बादे विदेशी पूंजी जो फ्री फ्लो इकोनामी है,यानि किनबै सकै हे तो बाजार में घुसुर पुसुर करेके चाहि।


बाकीर चुदुर बुदुर निषेध है।


उ जौन फ्री फ्लो आफ  फारेन मनी है जौन  कटमनी ब्लैकमनी और बातचीतौ समझौता सबै वैध कर दीन्हों कानून बनाइके बिगड़लहै,उके खातिर अब फूल ब्लूम गुलाब कहके ना कह सकत,कहे तो मुसलमां ईसाई कहिके घर वापसी को धमकाइहेैं  हैं,बेहतर कहें कि कमल फूल ब्लूम खिलावन खातिर सिक्युरिटी समिट है।ई ससुरा गुजरात वायब्रेंट।विश्वबैंक बताइल बाड़न की रिफार्म चाहि के।संयुक्त राष्ट्र भी रिफार्म चाहे।


तो अबहीं तो आर्डिनेंस राज बा।कारपोरेटफंडिंग राजकाज और कारपोरेटपंडिंग राजनीति,मीडिया एफडीआई आउर आंदोलन प्रतिरोध प्रोजेक्टेड।डेमोक्रेसा मा एफडीआई। सरकार भी एफडीआई।इंसानियत,कायनात और मजहब एफडीआई।


फिरभी मुनाफा वहींच परिमाण न हुइबै करै हैं जिते कि राजनेता सकल करोड़पति अरबपति हुई गयो रे।इतिसिद्धम प्रमेयवास्ते औरों सुधार चाहि।


गणित बूझले नइखन।जितनो नोट खिंचल हो वोटखातिर,सता वास्ते,देशव्यापी सुनामी खातिर,केसरिया रंगरोगन रथयात्रा अश्वमेध खातिर ससुरे बांस देके निकल लिबे चाहि।


चाकचौबंद छप्पर फाड़ै इंतजाम है।थोक अनछिला बांस है।रोस सके नाही।झेलल के चाहि।अगवाड़ा मजबूत पिछवाड़ा मजबूत चाही।बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


ससुरे अबहीं हाल मा नोबेल शांति पुरस्कार बाल श्रम उन्मूलन खातिर मिलल है।


बाल श्रम उन्मूलन का गजब अजब इंतजाम है के श्रम कानूनन मा फिन संशोधन जोर का झटका धीरे से लागे है।के चार साल तक बाल श्रम निषिद्ध हो जाई पूरी तरह।


केतना पुण्यकर्म होई समझो के चार साल का बचवा माई का दूध पीवै रहबो ,स्कूल मा जाई भी न सकत हो,उका से काम लैबे,कबहूं नाही।


चार साल तो होईखे चाहि।फिन रगड़के काम लिज्यो मोर बाप।कानूनन कौई रोके ना सकत है।ऐइसन बा पुरकशो इंतजाम।



ईपीएफ का फंडा भी जोरेदार है।कम आय वालों को योजना मा घसीटना है तो बाकीर लोग  दस पर्सेंट काहे कूं जमा करै पीएफ।


पूरा वेतन इंकम सर्विस टैकेस वगैरह कटवाकर ले जाई घर।पीएफ आन लाइन है जभै मरजी तोड़ लीजो।अब उ सकल झमेला खत्म।ऐच्छिक करेके चाही।


ऐच्छिक आजादी बा कि पीएफ जमा करैके चाही के ना चाही।ई मुताबिक मालिकान को भी भारी सहूलियत हुईबे करै है।


तो नकदी बहतजात छनन छनन।जनधन योजना है।


उधार खाओ।घी मिलबे नाही,तो जो हाथ में आवै ,घरै में नइखे आउर पड़ोसी के घर में शोभित छन,सब बाजार से उठाके ले आया जाये ।विकास का कुली किस्सा यहीच है।


दमादम मस्त कलंदर।नाचे बंदर बाजार के अंदर।


बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।



जोर का झटका धीरे से लागे है।


जइसन कि प्राइवेटाइजन कहबै नाहि कोई,कहके बाड़न,डिसइंवेस्टमेंट।

कहत बाड़न डाइवेस्ट मेंट।

छंटनी नइखे,वालुंटरी रिटायरमेंट।

सेल आफ नाही,शेयर बेचेके चाहि। फंडबनवाके चाहि।


खात्मा नाही,उदारीकरण।मोनोपाली नाहीं,मल्टीनेशनल।

मतबल कोलइंडिया मसॉल्टीनेशनल।

रेलवे मल्टीनेशनल।

इंफ्र्स्ट्रक्चर ग्लोबल।

आईटी आउटसोर्सिंग।


जोर का झटका धीरे से लागे है।


मेड इन नाही अब,मेकिंग इन।


शिक्षा खत्म,नालेज इकोनामी।


स्वास्थ्य हेल्थ हब।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।



रेलवे मा बुकिंग आनलाइन ,प्राइवेटफ्रांचाइज है।


रेलवे ,मेट्रो,हाईस्पीड,बुलेटखातिर निर्माण हेतु शत प्रतिशत एफडीआई है।कैटरिंग एफडीआई।तीन लाख कर्मचारी कम हुई गयो।कथ जात कोई नहीं जानत हो। रिक्रूटमेंटबंद।केटरिंग प्राइवेट।


मेंटीनेंस प्राइवेट।आपरेशन और रेलवे ट्रैक अबही प्राइवेट नहुईबे करै हैं।पीएम ठीके कहत हैं कि रेलवे का प्राइवेटेजेशन नहीं है।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।



पहिल देखें कि  झटका या हलाल होइबे चाहि,प्रसाद बंटल चाहि तबही ना कहबो कि जज्ञो पुर बा। एइसन ही कोलइंडिया में डिसिंवेस्टमेंट का बड़का विरोध की तैयारी बा।पांच दिनन का हड़ताल हुई गइलन।दूसरके दिन खत्म।के ट्रेड यूनियन अब डायरेक्टर्स हैं।


वइसन जेटली मुताबेक पीएसयू बैक सगरे अब होल्डिग कंपवनी बवनबेके चाहि।मतलब के शेयर बेचेके आजादी और शेयर होल्डिंग क मुताबिक प्राइवेट शेयरधारकों की गवर्निंग।रिजर्व बैंक भी प्राइवेट बनावन  को चाही और नोट भी अमेरिका माफिर प्राइवेट छपवा के चाहि तो डालर से मजबूत हो जाई पइसा।


अबही तो स्रेफ इपोर्टएक्सपोर्टे का खेल है।एनआरआई वोटिंग होइहबे करै तो हिंदूजा बाबी जिंदल वगैरह अमेरिका इंग्लैंड से आईके राज करिहें विस्थापितों शरणार्थियों के देश मां,तब बूझना डालर का जलवा।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।



बैंकिंग कानून पहिले ही बदल गयो रे।प्राइवेट वोटिंग की हदबंदी खतम हुओ रे।यानी कि भैंसन गइलन पानी मा।


स्टेटवा बैंक और एलआईसी अपना फंड से जो जोड़ तोड़ करिहे,शेयरबाजार संभाले खातिर हस्तक्षेप करै खातिर जनता का पैसा फंसवाके काम करै हैं,उनन का भी बारा बजबै करै हैं।जिसन बारह बज गयो एअर इंडिया का।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।


जइसन सुलभ शौचालय वइसन बगुला आयोग तमाम प्राइवेट पार्टी वारन का।

पे एंड यूज।पइसा नइखे।तो इधरे उधरै मूतो हगो।


पुलिस दो चार डंडे मारे तो रोओगे तो और मार पड़ेगी।चीखोगे तो कंबल लपेटकर मारेगी।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।



जइसन कारपोरेट वकीलो जो मस्त भारी हैं,उन साहेब जेटली जो एफएम हैं कि सुनबो तो दिल बाग बाग,भुगतबो तो बूझबो नइखे कहां कहां फट गयो रे।

कानन मा वह वाणी घुसेड़ल चलल मा न आगे दोख्यो न पीछे देख्यो,सुनसुनके मस्त।ससुरे एक्सीडेंडहोई जाइब।मरत जात है।मरत जात है।होश नइखे कारसेवक हैं।


पहिला पहिल श्रम सुधार मा खाता वुता बंद कर दिन्है।लेबर कमीशन बेमतलब हो गयो रे कि कोई जवाबदेही नाही मालिकान के।कोई खाता वुता देखने को हकदारै नइखे।


अप्रैंटिस स्थाई भरती वुरती का झमेला खत्म।विनिनवेश निजीकरण अबाध हुई गयो रे।छंटनी बंदी बेधड़क। अबही दूसरकी किश्तै है श्रम सुधारौ के।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।


हमनी भारी फिक्र मा बाड़न।

कथ जाबो।कथ जाबो।चहुंदिशा मा कटकटले अंधियारा।


आकाश बातास जमीन अंधियारा।बिन छिला बांस पल छिन पल छिन पीछा करें हैं।


अगवाड़े बांस तो वहींच बांस पिछवाड़े भी।कथे जाबो।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


आकाश बातास जमीन अंधियारा।बिन छिला बांस पल छिन पल छिन पीछा करें हैं।


अगवाड़े बांस तो वहींच बांस पिछवाड़े भी।कथे जाबो।



बड़का बड़ा मचान चप्पे चप्पे पर।उ मा तानकर बैठे मोर तोर बाप,सात जनम के बाप सगरे ससुरे मालिक मलकियान।


हम गोड़ दाबत रहे,गोड़े दाबत रहि गयो जनम जनम से।

मचान भी हमनी बांधली।

शांतता रहै करै हम।


कि कहत है शांतता,अदालत चालू आहे।

कि कहत है समता होइबे करे हैं।कि सामाजिक न्याय का लक्ष्य है।

कि कहत है अंत्योदय है।कि कहत है समाजवाद है।

कि कहत विकास ट्रिकलिंग ट्रिकलिंग ट्विंकल ट्विंकल है।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।




कि कहत रहत कि शत प्रतिशत हिंदुत्व है।

कि कहत रहै कि राम की सौगंध खाते हैं,मंदिव वहींच बनायेंगे।


कि कहत रहत है कि सर्वहारा का राज होगा।तखतो ताज बदल जायेंगे के हम अनाज का हिस्सा मांगेंगे हम।


मूक हैं हम ।बोलियो न फूटत।


कितौ करों बांस कितौ करों बांस,झेल लिबो,पण नको सांगते सकै हैं।


केसरियाझाला गड़बड़जाला राजकाज लेड लाइट चकाछौंद गुजरात वायब्रेंट हैं।


नरसंहार हुआ तो काय बोलतो,डोकरा डोकरी घूमंतू जनजाति जइसन मारा मारा भटकै तो कायकूं परेशां,बाकीर  राज हिंदू साम्राज्यवादी है।


पीपीपी माडल गुजराती है।

बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।



जयभीम जयहिंद जयजवान जय किसान लाल सलाम कह कहकै कताबद्ध भेड़िया धंसान है के मालिक मलकियान की मर्जी होई जबहि तबहिं रेंती जाई हमरी गर्दन।


के झटके से काटे कि हलाल करें,हम कह नाही सकत है।


ढेरो खुजली हो जाई तो उंगलियों मा हरकत ना होई।


रस्सी हो गइलन अंगवा सकल।


इंद्रियां धंसक गइलन।


की चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।




आपन खनै गढ़वा क कब्र बनाइल उहा मा शुतूरमुर्ग बन

गइलन।


तूफान का ।कयामत का।फर्क ना जानै हम।


काय कि मालिक मलकियान  की शानो में गुस्ताखी न होई जाये।

पल छिन पल छिन डढ़वा खौदे रहे हम और उमा धंलसे रहे हम धंसत जात।


धंसत जात।


की चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।




मालिक मलकियानी बदल जाई या कि उनका तिलिस्म टुटा रहे,सत्यानाश हुई जाई उनर।तो फिक्र का करबे,नयका मालिक नईकी मलकियन खोजि खोजी नयका मचान बांध उन पर ताजपोशी करहूं हमनी ससुरे।


और खने जात।खने जात खनै जात।


धंसत भी हमनी।


धंसत भूत भविष्य वर्तमान।


का करि गुलामी की आदत जो ठैरी।


साहबन तो गयो,हमनी बना डालो कारे कारे सहाब साहिबान कि गुलामी की आदत बड़ी सनातन है हजारों हजारों सालों की।


उस पर ये केसरिया जुलाब।

ससुरा जो खायब जो पीयब उसीमा केसरिया जुलाब।


सांस भी फकत नाही।उ भी केसरिया छन।


केसरिया अनछिले बांस अगवाड़े लिबो कि पिछवाड़े लिबो,तय करे भी मुश्किल बै चैतू।



बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।




गिरै की कोई हद्द नाहीं,खनै जात खनै जात खनै जात।


रंग बिरंगो कार्ड वार्ड खूबहि बनेला आईटी धंसकके।


इंफारमेशन राइट,वर्क राइट,फूड सुरक्षा राइट,एडुकेशन राइट सर्वशिक्षा,एइसन राइट वाइट खूबै हुई गवो आईटी धंसकके।


ईगवर्नेंस का फंड भी हुई गयो आईटी धंसकके।


ससुरे बांस खाने की आदत जाइबो ना करै हैं।


बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।



चहुंदिशा मा कटकटले अंधियारा।


चहुंदिशा से अनछिला बांस मूसलाधार।


खायेक पीयेक,सर छुपावन को ठौर ठिकाना ना कोय।


रोजी राटी छिन लियो है।


जमीन आसमान हवा पानी भी बेच दियो मचानसंतन संप्रदाय लोगन हम शांतता रहबो कतो समय।


काय शांतता रहबो हम।


पावस न रोक सकै हम।


न रोक सकै सुनामी हम।


न धर सके गिरि कोई।


न रच सके महाभारत बेदखल जल जमीन जंगल वास्ते।


ग्लेशियर जो पिघले ,जो हवा पानी का बंटाधार,जो भूस्खलन पल छिन,जो भूकंप पल छिन,जो हिमपात शीत लहर लू  बाढ़ रेगिस्तान,हम थाम न सकै है।


गढ़वा हम खूबै खोद सकै हैं।गढ़वा वास्ते हम खूब बांस बिन सकै है।


बांस की फसल बो सके हैं हम।


और हुई देख,बांसवा का वसंत घनघोर शीतलहर मा गुजरात वायब्रांट।


हमरी सुरक्षा वास्ते कोई नाही बंदोबस्त कहीं।


खासोखास कानून है हमरी खिलाफ फौजे हांकने खातिर कि आपसो मा खूब लढ़ावो हमका। हमरी खोदे गढ़वा मा कि हम सभै सलवा जुड़ुम जुड़वां जुड़वां  मेलेमा बिछुड़ला भाई बहन सगरे ,मिलल तो धूम .धूम टू धूम थ्री।न मिलल ते टुजी थ्री जी फोर जी फाइव जी।धुआंधार नेटवर्क सकल।सकल स्थानकै बम फोड़ भयो रे।


बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।



या मचान से प्रवचन पल छिन पल छिन विकास हरुकथा अनंते।

विकासै खातिर हमनी उजड़ जाये सगरे।


गांव सैकड़ों एके मुश्त नईकी राजधानी न बनै तो नोएडा बने,नया कोलकाता बने,द्वारका बने कि नवी मुंबई बने कि बन जायी सिडकुल।


नकद भुगतानसाठी मुक्मल कैश सब्सिडी है।


बाजार मा आग लगि गयो रे पण मुद्रास्पीति शून्य है और पइसा गिरबे करे हैं,सेनवा का सेक्स उछाला मारै है।सोन भी सस्ता हओई गयो रे। गरीब मानख का पीनबो रे चैतू।


बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।



पिछवाड़ा मा बांस खाय़ी खायीके टल्ली ट्ली गढ़वा हुआ पिछवाड़ा।

पिनबो सोनवा  तो बड़ा दर्द होबे।ससुरे धरम करम खातिर,हिंदुत्व के मुताबिक मोक्षे खातिर वैतरिणी तरने पुरोहितो को देबे  खातिर किन सकै तो किन।


वायब्रांट गुजराते मध्ये अंतरराष्ट्रीय बड़का बड़का पुरोहित समागम हुई गयो रे।


हमरे खातिर ड्रोनवा है द्रोण अंघूठा जो काटे रहिन महाभारत मा एकल्वय का,अभ उन्हीच का सगा कोय ड्रोनवा है जो आसमान मा हम पर निगरानी करत जात करत जात और हम सूते रहे ह मस्त घोड़े तमाम बेच दियो ह ।


वहीच घोड़े अब अश्वमेधी घोड़े हुआ करे हैं और मचान से कोय मानख मन की बात करिहैंतो वो शाह कोई सिकंदर जनम गयोरे विष्णु अवतार गोडसवा का राज काज कायम करण वास्ते कि मनुस्मृति बहाल रहे और जनपद जनपद कयामत ढाये विदेशी फौजें जिननको वो डालर कह जात है।


हमनी ना जानै कि राम जाद कथे कथे है,हमनी किसी को हरामजाद कहिके हिम्मत नइखे तो हम देखब कि डालरजाद बहुतै बहुत है।मइया आई इजा मादरजाद कोनो नइखे इस फ्री मार्केट इमर्जिंग मा।


बाकी चुदुर बुदुर निषेध बा।


जो प्राइवेट है लेकिन जनता जो घोंघियां आंखि,मुसनाक कारे कारे लोग लुगाइयां  हैं,गैरनस्ली बहुसंख्यक हो,उनको बुझावल खातिर पब्लिक भी है।


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