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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, May 4, 2015

…उस दिन भले लोगों की आँखों में हमारे लिए गर्म आँसू होंगे… “पेशे का चुनाव करने के सम्‍बन्‍ध में एक नौजवान के विचार” नामक लेख से युवा मार्क्‍स

महान मज़दूर नेता कार्ल मार्क्‍स के जन्‍मदिवस 5 मई के अवसर पर उनका बेहद प्रासंगिक लेख 



…उस दिन भले लोगों की आँखों में हमारे लिए गर्म आँसू होंगे…
"पेशे का चुनाव करने के सम्‍बन्‍ध में एक नौजवान के विचार" नामक लेख से

युवा मार्क्‍स

कार्ल मार्क्स

कार्ल मार्क्स

…हमारी जीवन-परिस्थितियां यदि हमें अपने मन का पेशा चुनने का अवसर दें तो हम एक ऐसा पेशा अपने लिए चुनेंगे जिससे हमें अधिकतम गौरव प्राप्‍त हो सकेगा, ऐसा पेशा जिसके विचारों की सच्‍चाई के सम्‍बन्‍ध में हमें पूरा विश्‍वास है। तब हम ऐसा पेशा चुनेंगे जिसमें मानवजाति की सेवा करने का हमें अधिक से अधिक अवसर प्राप्‍त होगा और हम स्‍वयं भी सामान्‍य लक्ष्‍य के और निकट पहुँच सकेंगे जिससे अधिक से अधिक समीप पहुँचने का प्रत्‍येक पेशा मात्र एक साधन होता है।

गौरव उसी चीज को कहते हैं जो मनुष्‍य को सबसे अधिक ऊँचा उठाये, जो उसके काम को और उसकी इच्‍छा-आकांक्षाओं को सर्वोच्‍च औदार्य प्रदान करे, उसे भीड़ से दृढ़तापूर्वक ऊपर उठने और उसके विस्‍मय को जागृत करने का सुअवसर प्रदान करे।

किन्‍तु गौरव हमें केवल वही पेशा प्रदान कर सकता है जिसमें हम गुलामों की तरह मात्र औज़ार नहीं होते, बल्कि अपने कार्यक्षेत्र के अन्‍दर स्‍वतन्‍त्र रूप से स्‍वयं सर्जन करते हैं; केवल वही पेशा हमें गौरव प्रदान कर सकता है जो हमसे गर्हित कार्य करने की मांग नहीं करता-फिर चाहे वे बाहरी तौर से ही गर्हित क्‍यों न हों और जो ऐसा होता है जिसका श्रेष्‍ठतम व्‍यक्ति भी उदात्‍त अभिमान के साथ अनुशीलन कर सकते हैं। जिस पेशे में इन समस्‍त चीजों की उच्‍चतम मात्रा में गुंजाइश रहती है वह सदा उच्‍चतम ही नहीं होता, किन्‍तु श्रेयस्‍कर सदा उसी को समझा जाना चाहिए।

कोई व्‍यक्ति यदि केवल अपने लिए काम करता है तो हो सकता है कि, वह एक प्रसिद्ध विज्ञान-वेत्‍ता बन जाय, एक महान सिद्ध पुरूष बन जाय, एक उत्‍त्‍म कवि बन जाय, किन्‍तु वह ऐसा मानव कभी नहीं बन सकता जो वास्‍तव में पूर्ण और महान है।

इतिहास उन्‍हें ही महान मनुष्‍य मानता है जो सामान्‍य लक्ष्‍य के लिए काम करके स्‍वयं उदात्‍त बन जाते हैं: अनुभव सर्वाधिक सुखी मनुष्‍य के रूप में उसी व्‍यक्त्‍ि की स्‍तुति करता है जिसने लोगों को अधिक से अधिक संख्‍या के लिए सुख की सृष्टि की है।

हमने यदि ऐसा पेशा चुना है जिसके माध्यम से मानवता की हम अधिक सेवा कर सकते हैं तो उसके नीचे हम दबेंगे नहीं-क्योंकि यह ऐसा होता है जो सबके हित में किया जाता है । ऐसी स्थिति में हमें किसी तुच्छ, सीमित अहम्वादी उल्लास की अनुभूति नहीं होगी, वरन तब हमारा व्यक्तिगत सुख जनगण का भी सुख होगा, हमारे कार्य तब एक शान्तिमय किन्तु सतत् रूप से सक्रिय जीवन का रूप धारण कर लेंगे, और जिस दिन हमारी अर्थी उठेगी, उस दिन भले लोगों की आँखों में हमारे लिए गर्म आँसू होंगे।

http://ahwanmag.com/archives/5605


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