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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, August 31, 2016

सुप्रीम कोर्ट में ममता बनर्जी की ऐतिहासिक जीत,सिंगुर में जमीन अधिग्रहण रद्द क्या बेदखल किसानों को जमीन वापस मिलेगी? क्या भारत में गैरकानूनी जमीन अधिग्रहण के शिकार बाकी लोगों को न्याय मिलेगा? जल जंगल जमीन से बेदखली का सिलसिला रुकेगा? एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास हस्तक्षेप संवाददाता

सुप्रीम कोर्ट में ममता बनर्जी की ऐतिहासिक जीत,सिंगुर में जमीन अधिग्रहण रद्द

क्या बेदखल किसानों को जमीन वापस मिलेगी?

क्या भारत में गैरकानूनी जमीन अधिग्रहण के शिकार बाकी लोगों को न्याय मिलेगा? जल जंगल जमीन से बेदखली का सिलसिला रुकेगा?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप संवाददाता

क्या किसानों को जमीन वापस मिलेगी?


क्या भारत में गैरकानून जमीन अधिग्रहण के शिकार बाकी लोगों को न्याय मिलेगा?


सिंगुर जमीन अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट के ऐतिहासिक फैसले के बाद बंगाल के राजनीतिक समीकरण में वामपंथियों के और ज्यादा हाशिये पर चले जाने से ज्यादा महत्वपूर्ण सवाल ये हैं।


बंगाल की अग्निकन्या मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के राजनीतिक जीवन की शायद यह सबसे बड़ी जीत है जो दो दो बार विधानसभा चुनाव भारी बहुमत से जीतने से भी बड़ी जीत है।यह जीत जल जगंल जमीन की लड़ाई में शामिल जनपक्षधर ताकतों की भी ऐतिहासिक जीत है।


सुप्रीम कोर्ट ने सिंगूर में जमीन अधिग्रहण को गलत ठहराया है और जमीन अधिग्रहण पर रोक लगा दी है। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अपने फैसले में कहा कि सिंगूर में जमीन अधिग्रहण गलत है। कानूनी रूप से यह जमीन अधिग्रहण सही नहीं था। लिहाजा राज्य सरकार (पश्चिम बंगाल सरकार) ऐसे जमीन का अधिग्रहण नहीं कर सकती।


सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को 12 हफ्तों में किसानों की जमीन को वापस लौटाने का आदेश दिया है।


सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने लेफ्ट सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा था कि लगता है सरकार ने प्रोजेक्ट के लिए जिस तरह जमीन का अधिग्रहण किया वह तमाशा और नियम कानून को ताक पर रखकर जल्दबाजी में लिया गया फैसला था, वहीं टाटा ने मामले को 5 जजों की संवैधानिक पीठ को भेजे जाने की मांग की थी।


सिंगुर जमीन अधिग्रहण विरोधी आंदोलन में सड़क पर उतरकर जो लड़ाई ममता ने शुरु की थी और सत्ता में आने के बाद सिंगुर के किसानों को छिनी हुई जमीन वापस करनेे की जो कानूनी कवायद उन्होंने जारी रखी लगातार,उसमें उन्हें आज भारी जीत हासिल हुई है।


भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने कोलकाता हाई कोर्ट के आदेश को ख़ारिज करते हुए सिंगुर में नैनो प्रोजेक्ट के लिए टाटा मोटर्स के जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है।


जमीन अधिग्रहण प्रक्रिया में गड़बड़ी पाने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि अधिगृहित ज़मीनें किसानों को अगले 12 हफ्तों के भीतर लौटा दी जाए।


अदालत के मुताबिक ज़मीन अधिग्रहण कलेक्टर ने भूखंडों के अधिग्रहण के संबंध में किसानों की शिकायत की ठीक से जांच नहीं की।


आजादी के बाद से अब तक जमीन अधिग्रहण का कुल मिलाकर किस्सा यही है।न कहीं जन सुनवाई होती है और ने बेदखल किसानों की किसी भी स्तर पर न्याय मिलता है।एकतरफा जमीन अधिग्रहण अबाध पूंजी निवेश का मुक्तबाजारी खेल बन गया है जिससे आम नागरिकों के जल जंगल जमीन के हकहकूक खत्म हो गये हैं।


जमीन अधिग्हण के बाद पूरे दस साल बीत गये हैं और सिंगुर की उपजाऊ जमीन अब कंक्रीट का खंडहर है,जहां से नैनो प्रोजेक्ट की वापसी हो चुकी है और टाटा मोटर्स के लिए विवादास्पद तरीके से जबरन जमीन हासिल करने की वजह से 35 साल के वाम शासन का अवसान हो गया है।


इसी बीच ममता बनर्जी लगातार दूसरी दफा विधानसभा चुनाव जीतकर बंगाल की सर्वेसर्वा बन चुकी है और इस अदालती फैसलेे के बाद बंगाल में वाम पक्ष की वापसी की संभावना और मुश्किल हो चुकी है।


गौरतलब है कि उद्योग और कारोबारी जगत के जबर्दस्त दबाव के बावजूद ममता बनर्जी सिंगुर नंदीग्राम आंदोलन की विरासत जी रही हैं और उनकी सरकार अब भी जबरन जमीन अधिग्रहण के खिलाफ है।जबकि सिंगुर को बंगाल में उद्योगों के लिए कब्रगाह कहा जा रहा है।ममता की जमीन अधिग्रहण विरोधी नीति की वजह से बंगाल में पूंजी निवेश नहीं हो रहा है,इसके बावजूद ममता ने अपनी नीति नहीं बदली है।


इससे बड़ा सवाल यह है कि क्या किसानों को उनकी छिनी हुई जमीन वापस मिल सकेगी और यह जमीन वापस मिल भी गयी तो कंक्रीट के खंडहर में तब्दील उस जमीन पर वे कब तक दोबारा पहले की तरह साल में तीन बार सोने की फसल फैदा कर सकेंगे।

अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण की अंधी दौड़ और विकास के बहाने आम जनता को जल जंगल जमीन से बेदखल करने के अभियान पर क्या इस फैसले के लागू हो जाने का कोई असर पड़ेगा और सिंगुर की तरह देशभर में जबरन अपनी जमीन से बेदखल लोगों को क्या उनके हक हकूक की बहाली के साथ जमीन वापस मिलेगी।


अभी लंबी कानूनी लड़ाई बाकी है।

फिरभी यह कहना ही होगा कि सत्ता में आने के बाद जिसतरह ममता बनर्जी ने किसानों को सिंगुर में जमीन वापस दिलाने की कानूनी लड़ाई जीत ली है,इससे जल जंगल जमीन की लड़ाई में जीत का नया सिलसिला बन ही सकता है।


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने सिंगुर मसले पर अपना फैसला सुनाते हुए कहा कि तत्‍कालीन वाममोर्चा सरकार ने जमीन अधिग्रहण मामले में टाटा कंपनी को फायदा पहुंचाया था। कोर्ट ने कहा कि अधिग्रहण का फैसला कानून के मुताबिक सही नहीं था।


गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने तत्कालीन वाममोर्चा सरकार के सिंगुर मसले के फैसले को ग़लत बताया और कहाकि 997 एकड़ की जिस जगह का अधिग्रहण सरकार ने टाटा के नैनो प्लांट के लिए किया था वो सही नहीं था। सरकार ने अपनी शक्तियों का ग़लत इस्तेमाल कर प्राइवेट पक्ष को फायदा पहुंचाया।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सिंगुर में भूमि अधिग्रहण के बारे में उच्चतम न्यायालय के फैसले को एतिहासिक जीत बताया। ममता ने यहां राज्य सचिवालय में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, सिंगुर पर उच्चतम न्यायालय का फैसला एतिहासिक जीत है।


ममता बनर्जी नेआंदोलन के दौरान  सिंगुर के जमीन से बेदखल आंदोलनकारी किसान की बेटी तापसी मलिक को श्रद्धांजलि दी जो कि भूमि अधिग्रहण के विरोध में गठित कृषि जमी रक्षा समिति के अभियान में सबसे आगे थी। इस 18 वर्षीय लड़की का अधजला शव 18 दिसंबर 2006 को परियोजना स्थल के निकट मिला था।


जाहिर है कि इस फैसले से टाटा मोटर्स को करारा झटका लगा है। सुप्रीम कोर्ट ने जमीन अधिग्रहण को रद्द कर दिया है। कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को आदेश दिया कि किसानों की जमीन 12 हफ्ते मे वापस की जाए। साथ ही दिया हुआ मुआवजा भी किसान सरकार को वापस नही करेंगे। वहीं इस फैसले के बाद मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि फैसले के बाद मेरी आंखों में खुशी के आंसू हैं। मुझे पूरा यकीन है कि आज सिंगुर में जश्न मनाया जाएगा। 2 सितंबर को सिंगुर के हर ब्लॉक में जश्न मनाएंगे।



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