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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Sunday, April 26, 2015

Rihai Manch press note- पुलिस से हुई झड़प, रिहाई मंच ने सड़क पर किया इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार के खिलाफ सम्मेलन

Rihai Manch press note- पुलिस से हुई झड़प, रिहाई मंच ने सड़क पर किया इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार के खिलाफ सम्मेलन
RIHAI MANCH
For Resistance Against Repression
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पुलिस से हुई झड़प, रिहाई मंच ने सड़क पर किया इंसाफ विरोधी प्रदेश सरकार
के खिलाफ सम्मेलन
हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद के इंसाफ की आवाज को सरकार नहीं दबा सकती- रिहाई मंच
रिहाई मंच ने प्रदेश व्यापी इंसाफ यात्रा का किया ऐलान
नोट- मुख्यमंत्री को संबोधित 18 सूत्रीय ज्ञापन मेल में संलग्न है

लखनऊ, 26 अपै्रल 2015। रिहाई मंच ने प्रदेश सरकार द्वारा रोके जाने के
बावजूद भारी पुलिस बल की मौजूदगी व उससे झड़प के बाद हाशिमपुरा जनसंहार
पर सरकार विरोधी सम्मेलन गंगा प्रसाद मेमोरियल हाॅल अमीनाबाद, लखनऊ के
सामने सड़क पर किया। मंच ने कहा कि इंसाफ किसी की अनुमति का मोहताज नहीं
होता और हम उस प्रदेश सरकार जिसने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद समेत
तारिक कासमी मामले में नाइंसाफी किया है उसके खिलाफ यह सम्मेलन कर सरकार
को आगाह कर रहे हैं कि इंसाफ की आवाज अब सड़कों पर बुलंद होगी। पुलिस
द्वारा गिरफ्तारी कर मुकदमा दर्ज करने की धमकी देने पर मंच ने कहा कि हम
इंसाफ के सवाल पर मुकदमा झेलने को तैयार हैं। बाद में प्रशासन पीछे हटा
और मजिस्ट्रेट ने खुद आकर रिहाई मंच का मुख्यमंत्री को संबोधित 18
सूत्रीय मांगपत्र लिया। ईद के दिन 1980 में मुरादाबाद के ईदगाह में 284
लोगों के कत्लेआम की घटना के पीडि़त लोग व हकीम तारिक कासमी के परिजन
मोहम्मद असलम भी सम्मेलन में शामिल हुए।

रिहाई मंच के अध्यक्ष मुहम्मद शुऐब ने कहा कि सपा सरकार के रोकने की
कोशिशों के बाद भी आज हाशिमपुरा जनसंहार पर सड़क पर सम्मेलन कर हमने
जनआंदोलनों की प्रतिरोध की संस्कृति को बरकरार रखते हुए देश में लोकतंत्र
को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि जिस तरीके से आज 28-35 साल बाद
हाशिमपुरा, मलियाना और मुरादाबाद के वो लोग जिन्हें इन सरकारों ने न्याय
नहीं दिया को अपनी बात रखने से रोकने की कोशिश की है उससे साफ हो जाता है
कि अखिलेश सरकार इंसाफ तो नहीं देना चाहती बल्कि हत्यारों को बचाने का हर
संभव प्रयास भी कर रही है। उन्होंने कहा कि हाशिमपुरा, मलियाना,
मुरादाबाद से लेकर तारिक कासमी तक के साथ हुए नाइंसाफी के खिलाफ रिहाई
मंच प्रदेश व्यापी इंसाफ यात्रा करेगा।

सम्मेलन को संबोधित करते हुए लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर रमेश
दीक्षित ने कहा कि रिहाई मंच के इस सम्मेलन को रोककर सपा सरकार ने साबित
कर दिया है कि वह संघ परिवार के एजेंण्डे पर काम कर रही है। वह किसी भी
कीमत पर सांप्रदायिक हिंसा के पीडि़तों का सवाल नहीं उठने देना चाहती।
वरिष्ठ पत्रकार अजय सिंह ने कहा कि यहां मौजूद लोगों ने साबित कर दिया है
कि जम्हूरियत और इंसाफ को बचाने के लिए लोग सड़क पर उतरने को तैयार हंै।
यह सरकार के लिए चेतावनी है कि अगर उसने हाशिमपुरा, मलियाना, मुरादाबाद
और तारिक कासमी को इंसाफ नहीं दिया तो यह जन सैलाब बढ़ता ही जाएगा।
सम्मेलन में बाधा पहुंचाने वाले पुलिस प्रशासन को चेतावनी देते हुए
सामाजिक न्याय मंच के अध्यक्ष राघवेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि सरकार इस
भ्रम में न रहे कि वह इंसाफ के इस अभियान को पुलिस-पीएसी लगाकर रोक देगी।
झारखंड से आए मानवाधिकार नेता मुन्ना झा ने कहा कि रिहाई मंच मुल्क में
नाइंसाफियों के खिलाफ एक आजाद खयाल लोकतंत्र को स्थापित करने की मुहिम
है। उन्होंने कहा कि ठीक इसी तरह रिहाई मंच को मुजफ्फरनगर सांप्रदायिक
हिंसा पीडि़तों की जनसुनवाई से रोका गया था, उस वक्त भी मंच ने सरकार के
मंसूबे को ध्वस्त किया था और आज भी किया है।

जनसम्मेलन में मुरादाबाद में 1980 में हुए कत्लेआम जिसमें पुलिस ने 284
लोगों को कत्ल कर दिया और एफआईआर तक दर्ज नहीं हुआ के पीडि़त मुफ्ती
मोहम्मद रईस अशरफ ने कहा कि 35 साल बीत जाने के बाद भी इस घटना की जांच
के लिए गठित डीके सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट को सरकार ने जारी नहीं
किया जिससे साफ हो जाता है कि सरकार इस मामले में इंसाफ नहीं करना चाहती
और इस सवाल पर कोई बात करने देना चाहती है। कानपुर से आए एखलाक चिश्ती और
मो0 यूसूफ ने कहा कि सपा सरकार ने कानपुर दंगों पर जांच के लिए गठित
माथुर आयोग की रिपोर्ट को भी दोषी पुलिस अधिकारियों को बचाकर रखी है।
उन्होंने कहा कि इस इंसाफ की लड़ाई में वे सब रिहाई मंच के साथ हैं।

जनसम्मेलन को अतहर हुसैन, बृजबिहारी, ऊषा राय, हाजी फहीम सिद्दीकी, किरन
सिंह, सैयद वसी, आईएनएल की पुष्पा बालमीकि, शिवनारायण कुशवाहा, मो0 अहमद
हुसैन, मो0 आफाक, अंबेडकर कांग्रेस के फरीद खान, रामकृष्ण, ओपी सिन्हा,
जनचेतना से कात्यायनी, सत्यम वर्मा, मो0 मसूद, मो0 शमी, एसआईओ के साकिब,
कल्पना पाण्डे, अनिल यादव, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज आलम ने संबोधित किया।

जनसम्मेलन मे प्रमुख रुप से शकील कुरैशी, रफीक सुल्तान, अब्दुल हलीम
सिद्दीकी, भगवान स्वरुप कटियार, सुमन गुप्ता, कौशल किशोर, अजय शर्मा,
तारिक शफीक, इनायतउल्लाह खान, जैद अहमद फारुकी, सैफ बाबर, जियाउद्दीन,
रवि चैधरी, शाहआलम, एहसानुल हक मलिक, इरफान सिद्दीकी, आदियोग, धर्मेन्द्र
कुमार, मुरादाबाद से आए सलीम बेग, हाफिज शाहिद, मौलाना इमदाद हुसैन,
मौलाना मो0 शफीक, फैजान मुसन्ना शामिल हुए। संचालन राजीव यादव ने किया।

द्वारा जारी
शाहनवाज आलम
प्रवक्ता, रिहाई मंच
09415254919
------------------------------------------------------------------------------
Office - 110/46, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon Poorv, Laatoosh
Road, Lucknow
E-mail: rihaimanch@india.com
https://www.facebook.com/rihaimanch
ज्ञापन
प्रति,
दिनांक- 26 अपै्रल 2015
मुख्यमंत्री
उत्तर प्रदेश शासन
लखनऊ।
रिहाई मंच द्वारा हाशिमपुरा जनसंहार पर आयोजित जनसम्मेलन के माध्यम से हम
आप से निम्न मांग करते हैं-
1- हाशिमपुरा जनसंहार की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी से कराई जाए।
2- मलियाना जनसंहार की एफआईआर गायब करके दोषियों को बचाने की कोशिश की
घटना की जांच कराई जाए।
3- मलियाना व हाशिमपुरा की जांच के लिए गठित आयोग की रिपोर्टों को
सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
4- 1980 में मुरादाबाद में 284 लोगों की पुलिस फायरिंग में मौत पर गठित
डीके सक्सेना जांच आयोग की रिपोर्ट को सार्वजनिक करते हुए कार्रवाई
सुनिश्चित की जाए।
5- कानपुर सांप्रदायिक हिंसा पर गठित माथुर जांच आयोग की रिपोर्ट को
सार्वजनिक कर कार्रवाई सुनिश्चित की जाए।
6- मुजफ्फरनगर जनसंहार पर गठित सहाय जांच आयोग की रपट को निश्चित समय
सीमा में पूरा कर सार्वजनिक किया जाए।
7- तारिक और खालिद की बाराबंकी से दिखाई गई कथित गिरफ्तारी को संदिग्ध
बताने वाली निमेष जांच आयोग की रिर्पोट पर ऐक्शन टेकेन रिपोर्ट लाई जाए।
8- न्यायपालिका में शासन और प्रशासन के हस्तक्षेप को रोककर न्यायपालिका
की स्वतंत्रता को बहाल किया जाए।
9- आगरा में चर्च पर हुए हमले की सीबीआई जांच कराई जाए तथा प्रदेश में
धार्मिक स्थलों की सुरक्षा की गारंटी सुनिश्चित की जाए।
10- प्रदेश में भड़काऊ भाषण देकर सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने वाले
भाजपा नेताओं  पर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए।
11- उर्दू, अरबी, फारसी विश्वविद्यालय में उर्दू, अरबी, फारसी की
अनिवार्यता को पुनः बहाल किया जाए।
12- कनहर, सोनभद्र में आदिवासियों पर गोली चलाने वाले पुलिस अमले को
बर्खास्त किया जाए व इसकी सीबीआई जांच कराई जाए।
13- पूरे सूबे में इंसाफ और लोकतंत्र का सवाल उठाने वाले जनआंदोलनों पर
हो रहे सरकारी दमन पर तत्काल रोक लागाई जाए।
14- सपा सरकार अपने चुनावी घोषणा पत्र में किए गए वादे को पूरा करते हुए
आतंकवाद के आरोप में फंसाए गए मुस्लिम नौजवानों को तत्काल रिहा करे।
15- हाशिमपुरा, मौलाना खालिद मुजाहिद की हत्या व तारिक कासमी की फर्जी
गिरफ्तारी की झूठी विवेचना करने व सबूतों को मिटाने वाले विवेचना
अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की जाए। खालिद मुजाहिद की हत्या की सीबीआई
जांच कराई जाए।
16- लखनऊ एटीएम लूट व हत्याकांड मामले को हल कर पाने में विफल पुलिस
द्वारा इसे फर्जी कहानी के जरिए आतंकवाद से जोड़कर सूबे के मुसलमानों को
भयभीत करके सूबे में सांप्रदायिक दहशत बनाने वाले लखनऊ के एसएसपी यशस्वी
यादव को तत्काल निलंबित किया जाए व सांप्रदायिक तत्वों के साथ उनके
संबन्धों की जांच कराई जाए।
17- प्रदेश भर में जाति विशेष के अधिकारियों/कर्मचारियों की तैनाती पर
रोक लगाते हुए सामाजिक संतुलन के आधार पर तैनाती सुनिश्चित की जाए।
18- मुजफ्फरनगर, कोसी कलां, फैजाबाद समेत पूरे सूबे में सांप्रदायिक
हिंसा में हत्या के अभियुक्तों को लचर पैरवी कर जमानत के लिए अवसर प्रदान
करने वाले सरकारी वकीलों की नियुक्ति तत्काल रद्द की जाए।

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