Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Tuesday, January 31, 2012

उद्योग जगत से बुरी खबरों के आने का सिलसिला जारी है। दिसंबर महीने में कोर इंडस्ट्रीज ने सिर्फ 3 फीसदी की ही ग्रोथ दर्ज की है, जो पिछले साल के दिसंबर के मुकाबले आधे से भी कम है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीति की आलोचना की है।


उद्योग जगत से बुरी खबरों के आने का सिलसिला जारी है। दिसंबर महीने में कोर इंडस्ट्रीज ने सिर्फ 3 फीसदी की ही ग्रोथ दर्ज की है, जो पिछले साल के दिसंबर के मुकाबले आधे से भी कम है।


वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीति की आलोचना की है।


मुंबई से एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

उद्योग जगत से बुरी खबरों के आने का सिलसिला जारी है। दिसंबर महीने में कोर इंडस्ट्रीज ने सिर्फ 3 फीसदी की ही ग्रोथ दर्ज की है, जो पिछले साल के दिसंबर के मुकाबले आधे से भी कम है।सरकार ने वित्त वर्ष 2010-11 की आर्थिक विकास दर का अनुमान घटाकर 8.4 फीसदी कर दिया जो पहले 8.5 फीसदी था। सांख्यिकी एवं कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय द्वारा जारी आर्थिक विकास के फौरी अनुमान में कहा गया, 'जीडीपी ने स्थिर मूल्य पर 2010-11 के दौरान 8.4 फीसदी का विकास दर दर्ज की।' वित्त वर्ष 2010-11 में विनिर्माण और निर्माण क्षेत्र के विकास की दर 7.2 फीसदी रही। इसके अलावा वित्त वर्ष 2009-10 में जीडीपी की विकास दर को संशोधित कर 8.4 फीसदी कर दिया गया जबकि पिछला अनुमान आठ फीसदी का था। आंकड़े के मुताबिक कृषि क्षेत्र की विकास दर 2010-11 में 7 फीसदी रही जो 2009-10 में सिर्फ एक फीसदी थी। वित्त, बीमा, रीयल एस्टेट और कारोबारी सेवा ने 2010-11 में 10.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान 9.4 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की थी। ग्लोबल मंदी, घरेलू स्तर पर ऊंची ब्याज दर और अन्य कारकों के कारण इस महीने रिजर्व बैंक ने चालू वित्त वर्ष के लिए जीडीपी की विकास दर का अनुमान घटाकर 7 फीसदी कर दिया जबकि इससे पहले 7.6 फीसदी का अनुमान जाहिर किया था।



दिसंबर 2010 में कोर सेक्टर की ग्रोथ 6.3 फीसदी रही थी। कोर सेक्टर में कोयला, सीमेंट, नैचुरल गैस, पेट्रोलियम रिफाइनरी और फर्टिलाइजर इंडस्ट्रीज होती हैं। यह साल 2011-12 की दूसरी सबसे कम ग्रोथ है।


इसके पहले अक्टूबर में कोर सेक्टर ने सिर्फ 0.3 फीसदी की ही ग्रोथ दिखाई थी। कोर सेक्टर ग्रोथ के ये आंकड़े इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन में करीब 38 फीसदी का योगदान करते हैं। जिसका संकेत यह है कि दिसंबर के आईआईपी के आंकड़ों से भी बाजार को निराशा हाथ लग सकती है।


दूसरी ओर बाजार में खरीदारी जारी है और सेंसेक्स-निफ्टी 1 फीसदी से ज्यादा चढ़े हैं। सेंसेक्स 193 अंक चढ़कर 17057 और निफ्टी 59 अंक चढ़कर 5146 के स्तर पर हैं।


बैंक शेयरों में तेजी बढ़कर 2 फीसदी हो गई है। आईटी, ऑयल एंड गैस, तकनीकी, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स शेयर 1.5-1 फीसदी तेज हैं। ऑटो, एफएमसीजी और सरकारी कंपनियों के शेयर 0.75 फीसदी चढ़े हैं। पावर शेयरों में मामूली बढ़त है।


आईसीआईसीआई बैंक, बजाज ऑटो, एसबीआई, रिलायंस इंडस्ट्रीज, टीसीएस, जिंदल स्टील, डीएलएफ, आईटीसी, इंफोसिस, एचडीएफसी बैंक, बीएचईएल, टाटा मोटर्स, एचडीएफसी, ओएनजीसी, एमएंडएम 3-1 फीसदी चढ़े हैं।


हेल्थकेयर और मेटल शेयरों ने तेजी गंवा दी है। कैपिटल गुड्स शेयर 0.75 फीसदी गिरे हैं। टाटा स्टील, एलएंडटी, मारुति सुजुकी, कोल इंडिया, एनटीपीसी, एचयूएल 1.5-0.5 फीसदी कमजोर हैं।



भारत ने आउटसोर्सिंग बंद करने को लेकर अमेरिका को चेतावनी दी है। केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने सोमवार को कहा कि अगर अमेरिका आउटसोर्सिंग बंद करता है, तो घाटा उसे भी होगा। वित्त मंत्री  ने अमेरिका की संरक्षणवादी नीति की आलोचना की है। प्रणव मुखर्जी का कहना है कि आउटसोर्सिंग पर रोक लगाने से दोनों देशों की अर्थव्यस्था प्रभावित होगी। मुखर्जी ने शिकागो में संवाददाताओं से कहा कि देश अपनी जरूरतों के मुताबिक नीतियां अपनाने के लिए आजाद हैं, लेकिन ये संरक्षणवाद की ओर ले जाने वाली नहीं होनी चाहिए।


अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने देश की अर्थव्यवस्था का एक ऐसा खाका पेश किया है जिसके तहत अमेरिका को आउटसोर्सिंग, खराब कर्ज और कृत्रिम मुनाफे से दूर ले जाया जाएगा।अमेरिकी राष्ट्रपति ने आउटसोर्सिंग के खिलाफ अपने अभियान को तेज करते हुए उन कंपनियों को रियायतें बंद करने के लिए उपायों की घोषणा की है जो देश के बाहर नौकरियां दे रही हैं। इस कदम से भारत में भी कंपनियां प्रभावित होंगी।

वित्त मंत्री के मुताबिक अगर अमेरिका भारत से आउटसोर्सिंग रोकता है तो इससे उसकी कंपनियों के मुनाफे पर भी असर पड़ेगा। हालांकि उन्होंने ये जरूर कहा कि किसी भी देश को अपने जरूरतों की हिसाब से नीति तय करने की आजादी है लेकिन वो संरक्षणवादी नहीं होनी चाहिए।


प्रणव मुखर्जी ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन का हवाला देते हुए कहा कि उसका पूरा जोर दुनिया भर के बाजार खोलना है और ऐसे में किसी भी देश को संरक्षणवादी नीति से बचना चाहिए।उन्होंने कहा, डब्ल्यूटीओ भी दुनिया भर में वस्तुओं और सेवाओं के मुक्त आदान-प्रदान की दिशा में काम कर रहा है।


दरअसल कुछ दिन पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि जो कंपनियां अमेरिकी लोगों को ज्यादा नौकरियां देंगी उन्हें टैक्स छूट दी जाएगी। जबकि आउटसोर्सिंग करने वाली कंपनियों को ज्यादा टैक्स चुकाना पड़ेगा।


इन्फर्मेशन टेक्नॉलजी (आईटी) सेक्टर में ट्रेन्ड ग्रेजुएट्स के बीच बेरोजगारों की बढ़ती संख्या ने उद्योग जगत के नेताओं को मांग और पूर्ति के फासले को मिटाने के लिए विचार करने के लिए मजबूर कर दिया है।


कारोबारियों का मानना है कि पिछले कुछ सालों में यह स्थिति और भी खराब हुई है इसके बावजूद उद्योग जगत और शैक्षणिक संस्थानों के बीच व्यापक स्तर पर चर्चा की नियमित परंपरा का विकास नहीं हो पाया है। इस स्थिति को देखते हुए बेंगलुरु चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री (बीसीआईसी) शैक्षणिक संस्थानों और आईटी कंपनियों के बीच बेहतर तालमेल के लिए एक कार्यबल बनाने पर विचार कर रहा है। यह बात बीसीआईसी के सीनियर अधिकारी ने कही। शैक्षणिक संस्थानों और कंपनियों के बीच बेहतर तालमेल से पाठ्यक्रमों में जरूरी संशोधन किया जा सकता है, ताकि ग्रेजुएट्स को उन सभी जरूरी कौशल से लैस किया जा सके, जिसकी दरकार कंपनियों को होती है।


बीसीआईसी द्वारा इस माह के शुरू में बेंगलुरु में आयोजित शिक्षा संस्थानों और कारोबारी कंपनियों के प्रतिनिधियों के एक सम्मेलन में कार्यबल का विचार सामने आया। बीसीआईसी के मुताबिक सम्मेलन को बेंगलुरु में कराने का कारण यह है कि यह देश का आईटी हब है और इस सेक्टर में यहां लगभग आठ लाख प्रफेशनल काम कर रहे हैं।


इस बीच भारत को निवेशकों के लिए असीम संभावनाओं वाला देश बताते हुए हिन्दूजा ग्रुप के को-प्रेजिडेंट जी. पी. हिन्दूजा ने कहा है कि पश्चिमी दुनिया की कंपनियों को भारत और चीन सहित उभरते बाजारों में प्रवेश करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस तरह के निवेश से दोनों पक्षों की अर्थव्यवस्थाओं को सुधारने में मदद मिलेगी।

हिन्दूजा ने दावोस में हाल में सम्पन्न ग्लोबल इकॉनमी फोरम (डब्ल्यूईएफ) की बैठक के दौरान कहा कि पश्चिमी देशों को अपनी अर्थव्यवस्था की गति को सुधारने के लिए महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे। उन्हें उभरते बाजारों में प्रवेश करना चाहिए। भारत, ब्राजील और अफ्रीकी देशों में ग्रोथ की अच्छी संभावनाएं हैं और इसका दोतरफा असर होगा। उनकी यह टिप्पणी ऐसे वक्त में आई है जब यूरो संकट और पश्चिमी अर्थव्यवस्था की नरमी से वैश्विक अर्थव्यवस्था के पटरी से उतरने का खतरा दिख रहा है।


गौरतलब है कि दुनिया भर में हिन्दूजा ग्रुप की कंपनियों में 40 , 000 लोग कार्यरत हैं। कंपनी की भारत में भी अलग-अलग क्षेत्रों में अच्छी उपस्थिति है। भारत के व्यवसाय के बारे में हिन्दूजा ने कहा कि भारत में कोई ऐसा व्यवसाय नहीं है जिसमें बढ़ोतरी नहीं हो रही है। कंपनी को भारत को लेकर कोई चिंता नहीं है।'


--
Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV