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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, January 31, 2012

Fwd: [Social Equality] लोकतंत्र में अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का सर्वाधिक...



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From: Dinesh Tripathi <notification+kr4marbae4mn@facebookmail.com>
Date: 2012/1/30
Subject: [Social Equality] लोकतंत्र में अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का सर्वाधिक...
To: Social Equality <wearedalits@groups.facebook.com>


Dinesh Tripathi posted in Social Equality.
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का...
Dinesh Tripathi 8:18pm Jan 30
लोकतंत्र में अभिव्यक्ति कि स्वतंत्रता का सर्वाधिक महत्व है समाज [mass society] में बहुमत अपनी संख्या बल के आधार पर अपने विचारों कि प्रमाणिकता का दावा कर सकता है और अल्पमत के विचार को हतोत्साहित किया जा सकता है अत:अल्पमत को यहाँ तक कि एक व्यक्ति मात्र को अपने विचार प्रस्तुत करने का अधिकार है भले ही वह बहुमत के विपरीत हो इसलिए चाहिए कि व्यक्ति स्व विवेक से इस अधिकार का प्रयोग करे और स्वयं अपनी सीमाओं का स्वयं निर्धारण करे अन्यथा राज्य इस अधिकार को सीमित का सकता है यदि व्यक्तियों के इस अधिकार पर अंकुश न लगाये जाएँ तो यह समस्त समाज के लिए विनाशकारी परिणाम उत्पन्न कर सकता है.स्वतंत्रता का अस्तित्व तभी संभव है जब वह विधि द्वारा संयमित हो.हम अपने अधिकारों के लिए दूसरों के अधिकारों को आघात नहीं पहुंचा सकते हैंमनुष्य एक विचारशील प्राणी होने के नाते बहुत सी चीज़ों के करने कि इच्छा करता है ,लेकिन एक नागरिक समाज में उसे अपनी इच्छाओं को नियंत्रित करना पड़ता है और दूसरों का आदर करना पड़ता है .इसलिए राज्य को भारत की प्रभुता और अखंडता की सुरक्षा ,लोक व्यवस्था ,शिष्टाचार आदि के हितों की रक्षा के लिए निर्बन्धन लगाने की शक्ति प्रदान की गयी है ,किन्तु शर्त ये है कि निर्बन्धन युक्तियुक्त हों और कोई निर्बंधन युक्तियुक्त है या नहीं इसका अंतिम निर्णय न्यायपालिका करेगी आप और हम नहीं . बुद्धिजीवी का काम समाज को जोड़ना है तोडना नहीं, अभिव्यक्ति का इस्तमाल करते हुए यह देखना जरूरी की कितने लोगो की भावना जुडी हुई है अभिव्यक्ति से. लोगो के भावना पर प्रहार करने का आसान अस्त्र अभिव्यक्ति है. हर जन आन्दोलन,देश में अलगावाद का करण अभिव्यक्ति है . क्या हम बुद्धिजीवी अपना कर्तव्य समझते है , अपना दाइत्व का पालन कर रहे हैं ?? नहीं. हमें सिर्फ आजादी चाहिये कुछ भी कहने का,परन्तु यह भूल जाते हैं की यह आजादी दूसरों को भी है प्रत्रिक्रिया करने का..फिर क्यों दोष देते है अपनी कथनी के लिये.. इसलिए सोच समझ कर अपने हक का सही इस्तमाल करना ही सही अभिव्यक्ति है.

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Palash Biswas
Pl Read:
http://nandigramunited-banga.blogspot.com/

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