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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, August 1, 2012

अब पाकिस्तान से भी विदेशी​​ निवेश की छूट, बजट प्रस्तावों और आर्थिक सुधारों को अमल में लाने की उम्मीदें बढ़ गई!

अब पाकिस्तान से भी विदेशी​​ निवेश की छूट, बजट प्रस्तावों और आर्थिक सुधारों  को अमल में लाने की उम्मीदें बढ़ गई!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

वित्तमंत्रालय का प्रभार संभालते ही विदेसी निवेश के दरवाजे सपाट कोलने की दिशा में भारी धमाका हुआ है। अब पाकिस्तान से भी विदेशी​​ निवेश की छूट दे दी गयी है।सरकार ने बुधवार को एक अहम फैसला करते हुए देश में पाकिस्तान से निवेश की अनुमति दे दी है। दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को मजबूती देने और पाकिस्तान की तरफ से भारत को सबसे तरजीही राष्ट्र (एमएफएन) का दर्जा देने की दिशा में इसे अहम पहल माना जा रहा है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के यहां जारी एक प्रेस वक्तव्य में कहा गया, 'सरकार ने नीति की समीक्षा की है।। 1 और यह तय किया है कि पाकिस्तान के नागरिकों को और पाकिस्तान में पंजीकृत कंपनी को भारत में निवेश की अनुमति दे दी जाए।'चिदंबरम के वित्त मंत्री की कुर्सी संभालते ही अब अटके पड़े महत्त्वपूर्ण बजट प्रस्तावों और आर्थिक सुधारों  को अमल में लाने की उम्मीदें बढ़ गई हैं।पी. चिदंबरम ने चार साल के अंतराल के बाद आज एक बार फिर वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाला। उनके सामने अर्थव्यवस्था को नरमी से उबारने की चुनौती है जबकि स्तर पर घरेलू मुद्रास्फीति का दबाव है और अंतर्राष्ट्रीय वातावरण अनिश्चिततापूर्ण बना हुआ है। मंत्रिमंडल में कल किए गए हल्के फेरबदल में चिदंबरम को गृह मंत्रालय से उठा कर वित्त मंत्रालय का कार्यभार सौंप दिया गया।बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे गृह मंत्री बनाए गए हैं। बिजली मंत्रालय का कार्यभार एम वीरप्पा मोइली देखेंगे जो कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय के प्रभारी है। चिदंबरम आज पहले कुछ समय के लिए गृह मंत्रालय गए और उसके बाद नार्थ ब्लॉक स्थित वित्त मंत्रालय में अपना नया कार्यभार संभालने पहुंच गए। समझा जाता है कि आज सुबह उन्होंने सोनिया गांधी से भी मुलाकात की।चिदंबरम ऐसे समय वित्त मंत्रालय का कार्यभार संभाल रहे हैं जब देश की आर्थिक वृद्धि दर नौ साल के न्यूनतम स्तर 6.5 फीसदी तक नीचे आ चुकी है। ऐसे समय घरेलू और विदेशी निवेशकों के विश्वास को फिर से बहाल करने की आवश्यकता महसूस की जा रही है। कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्रपति चुनाव में उतरने के लिए 26 जून को वित्त मंत्री पद से इस्तीफा दिया था। तब से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह मंत्रालय का कामकाज देख रहे हैं। मुखर्जी ने 25 जुलाई को भारत के राष्ट्रपति का पद संभाला।

इस बीच प्रणव जमाने में अर्थव्यवस्था के सूत्रधार बने प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार,कभी आर्थिक मंदी, तो कभी भ्रष्टाचार के मुद्दे पर अपनी बेबाक राय से सुर्खियों में रहने वाले कौशिक बसु रिटायर हो गये। अब गुजराल की विदाई होनी है। प्रणव मुखर्जी के जाने के बाद वित्त सचिव आर एस गुजराल के जाने की अटकलें भी तेज हो गई हैं। उनकी जगह एक्सपेंडिचर सेक्रेटरी सुमित बोस वित्त सचिव बनाए जा सकते हैं। गुजराल को दूसरी अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है। गार की टीम की विदाई के बाद विदेशी पूंजी प्रवाह बढाने के लिए चिदंबरम क्या क्या गुल ​​खिलाते हैं, यह नजारा तो सामने आने ही वाला है। पर जाते जाते बसु भ्रष्टाचार के मामले में अन्ना ब्रिगेड के प्रति जो समर्थन व्याक्त कर​ ​ गये, उसका तात्पर्य समजना बाकी है। सिविल सोसाइटी और विपक्ष दोनों को ब्रष्टाचार के आरोपों के बावजूद चिदंबरम को फिर वित्त मंत्री बनाये जाने पर एतराज है। ऐसे में बसु के बयान को गहराई से समझने की जरुरत है।कौशिक बसु ने सिविल सोसायटी की तारीफ की है। कौशिक बसु ने कहा कि ‎भ्रष्टाचार बड़ी समस्या है। और इसके संबंध में सिविल सोसायटी जिस तरह के कदम उठा रही है वह काबिल-ए-तारीफ है।सिविल सोसाइटी की ओर से लोकपाल बिल की तेज होती मांग के बीच मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु ने कहा है कि देश को भ्रष्टाचार से निपटने के लिए पेशेवर खाका तैयार करने की जरूरत है। बसु का यह बयान तब आया है, जबकि समाजसेवी अन्ना हजारे भ्रष्टाचार से निपटने के लिए प्रभावी लोकपाल लाने की मांग को लेकर अनशन पर बैठे हैं।अपने कार्यकाल के आखिरी दिन पत्रकारों से बातचीत में बसु ने कहा कि वह सिविल सोसाइटी के दबाव के समर्थन में हैं क्योंकि इससे सरकार में शामिल लोगों पर भ्रष्टाचार से निपटने के लिए कदम उठाने का जोर तो पड़ा। लेकिन भ्रष्टाचार से निपटने का खाका तैयार करने के लिए काफी पेशेवर होने की जरूरत है।उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार का पूरी तरह सफाया संभव नहीं है, लेकिन इसे काफी हद तक कम किया जा सकता है। हमें इसी दिशा में काम करना होगा। बसु ने कहा कि देश में भ्रष्टाचार से खफा समाजसेवियों और लोगों से उन्हें पूरी सहानुभूति है। उन्होंने कहा कि जब आप भ्रष्टाचार रोकने के लिए किसी नौकरशाही को लगाते हैं, तब आप भ्रष्टाचार की एक और संभावना तैयार कर रहे होते हैं।विदेश में जमा काले धन को भारत लाने की संभावना पर उन्होंने कहा कि सरकार को इसे लेकर सावधान रहना होगा क्योंकि बहुत से लोगों ने वैध गतिविधियों के लिए भी विदेशी कंपनियों में पैसा लगाया है। काले धन को लाने के चक्कर में वैध कारोबार प्रभावित नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि यदि आप भ्रष्टाचार पर लगाम कसने के लिए सावधानी से आगे नहीं बढ़ेंगे तो हो सकता है कि विकास की रफ्तार ही थम जाए।

रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्रों जैसे रक्षा, अंतरिक्ष और परमाणु ऊर्जा को पाकिस्तान से होने वाले विदेशी निवेश से अलग रखा गया है। पड़ोसी देश से आने वाले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश प्रस्तावों को विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड से अनुमति लेनी होगी। भारतीय उद्योग जगत ने फैसले का स्वागत करते हुये कहा कि पाकिस्तान के कारोबारी सीमेंट, कपड़ा और खेलकूद जैसे क्षेत्रों में निवेश की संभावनायें तलाश सकते हैं। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल फिक्की महासचिव राजीव कुमार ने कहा, 'यह बड़ा फैसला है।। अब पाकिस्तान को भी भारत को सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा दे देना चाहिये।'भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने कहा,''पाकिस्तान को भी अब इसी तरह का कदम उठाते हुए भारतीय व्यावसायियों को पाकिस्तान में निवेश की अनुमति देनी चाहिए।'

उठापटक भरे कारोबार में मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में आई तेजी ने बाजार को संभाला। सेंसेक्स 21 अंक चढ़कर 17257 और निफ्टी 11 अंक चढ़कर 5240 पर बंद हुए। छोटे और मझौले शेयरों में 1 फीसदी की मजबूती दिखी।बाजार में उतार-चढ़ाव भरा कारोबार नजर आया। कारोबार के दौरान निफ्टी 5200 के ऊपर बने रहने में कामयाब रहा। कमजोर अंतर्राष्ट्रीय संकेतों की वजह से बाजारों ने गिरावट के साथ शुरुआत की।

दूसरी ओर,बिजली मंत्रालय का काम संभालते ही वीरप्पा मोइली ने भरोसा दिलाया है कि तीनों ग्रिड से बिजली सप्लाई पूरी तरह सामान्य हो गई है और भविष्य में दोबारा ग्रिड फेल नहीं होगा।दुनिया के सबसे बड़े बिजली संकट का सामना करने के बावजूद राज्यों का रवैया बदला नहीं है। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, दिल्ली अब भी उत्तरी ग्रिड से अपने कोटे से ज्यादा बिजली ले रहे हैं। आंकड़ों के मुताबिक पंजाब 800 मेगावाट ज्यादा बिजली ले रहा है। सिर्फ पंजाब ही नहीं दूसरे राज्य भी ज्यादा बिजली ले रहे हैं।देश में बिजली की कमी कितनी बड़ी समस्या है, ये बात पावर मंत्रालय आंकड़ों से पता चल सकता है। आंकड़ों के मुताबिक साल 2010-11 में देश भर में 7.25 हजार करोड़ यूनिट यानी कुल जरूरत का 8.5 फीसदी से ज्यादा बिजली की कमी थी। साथ ही, बिजली की जरूरत हर साल 10 फीसदी बढ़ने का अनुमान है।दुनिया के सबसे बड़े ब्लैकआउट से देश को उबारने में बिजली की जगह डीजल ने ली। यही वजह रही कि लगातार दो दिन ग्रिड फेल होने से देश में डीजल की खपत तीन गुना तक बढ़ गई। बिजली की किल्लत से प्रभावित राज्यों में न केवल डीजल की मांग तेजी से बढ़ी बल्कि इस कारण कई पेट्रोल पंप ड्राई भी रहे।

आयात में आई कमी के चलते जून महीने में देश का व्यापार घटा कम हुआ है। आयात में कमी की वजह से ही व्यापार घाटा 15 महीने के निचले स्तर पर पहुंच गया है। जून में व्यापार घाटा 28.5 फीसदी घटकर 1,030 करोड़ डॉलर हो गया है। वहीं साल 2011 के जून महीने में व्यापार घाटा 1,440 करोड़ डॉलर रहा था।

हालांकि जून महीने में देश का निर्यात घट गया है। यूरोप, अमेरिका में मंदी का असर निर्यात में साफ दिख रहा है। लगातार दूसरे महीने निर्यात में गिरावट आई है। साल 2012 के जून महीने में साल-दर-साल आधार पर निर्यात 5.45 फीसदी घटकर 2,510 करोड़ डॉलर हो गया है। लेकिन अच्छी खबर ये है कि जून में देश का आयात घट गया है। इस साल जून महीने में साल-दर-साल आधार पर आयात 13.5 फीसदी घटकर 3,540 करोड़ डॉलर रहा।

प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद गृह मंत्री पी. चिदंबरम का दबदबा अधिकार प्राप्त मंत्री समूहों में दबदबा बढ़ गया है। मौजूदा 15 जीओएम और ईजीओएम में से 7 की अगुवाई चिदंबरम कर रहे हैं, जबकि रक्षा मंत्री एके एंटनी 3 ईजीओएम और चार जीओएम के प्रमुख हैं।शरद पवार के इस्तीफे के बाद गृहमंत्री पी चिदंबरम को टेलीकॉम स्पैक्ट्रम के फैसले से जुड़े एंपावर्ड ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स का अध्यक्ष बना दिया गया है। सरकार के इस फैसले का विपक्ष और टीम अन्ना कड़ा विरोध कर रहे हैं। दरअसल टेलीकॉम घोटाले में ही चिदंबरम कोर्ट में घसीटे जा चुके हैं और विपक्ष इस मौके को हाथ से जाने नहीं देना चाहता।हालांकि दिल्ली की निचली अदालत ने उन्हें क्लीन चिट दे दी थी लेकिन अब ये मामला सुप्रीम कोर्ट में है।

चिदंबरम के खिलाफ याचिका दर्ज करने वाले सुब्रह्मण्यम स्वामी उन्हें ईजीओएम का अध्यक्ष बनाए जाने को सुप्रीम कोर्ट की मर्यादा के खिलाफ बता रहे हैं। दरअसल इस ईजीओएम के अध्यक्ष प्रणब मुखर्जी थे। उनके इस्तीफे के बाद शरद पवार को अध्यक्ष बनाया गया। लेकिन विवादों के डर से पवार ने पद स्वीकार नहीं किया। गुरुवार को दोबारा गठित ईजीओएम में रक्षा मंत्री ए के एंटोनी, टेलिकॉम मंत्री कपिल सिब्बल, सूचना प्रसारण मंत्री अंबिका सोनी, कानून मंत्री सलमान खुर्शीद, प्रधानमंत्री दफ्तर में राज्य मंत्री वी नारायणसामी और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह आहलूवालिया के नाम शामिल हैं।

चिदंबरम को अध्यक्ष बनाए जाने का सिविल सोसाइटी ने भी विरोध किया है। टीम अन्ना ने चिदंबरम पर हमला बोलते हुए कहा है कि उनके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में गंभीर अपराध का मामला चल रहा है। ऐसे में उन्हें ईजीओएम का अध्यक्ष बनाए जाने का क्या मतलब है।

जुलाई 25  को 6:40 से 7:40 बजे तक टीम अन्‍ना ने मंत्रियों के खिलाफ फेहरिस्‍त में से पिटारा खोला। पहला नाम था प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह का। फिर पी चिदंबरम और उनके बाद कपिल सिब्‍बल का।2006-2007 में तत्कालीन कोयला मंत्री श्री शिबू सोरेन जेल चले गए थे। नवंबर 2006 से मई 2009 तक प्रधनमंत्री खुद ही कोयला मंत्री थे। 2009 में श्री प्रकाश जायसवाल कोयला मंत्री बने। देश का सबसे बड़ा कोयला घोटाला 2006-2010 के बीच हुआ। इस दौरान कोयले के ढेरों ब्लॉक आनन-फानन में कौड़ियों के भाव में दे दिए गए। ये कोयले की खानें सिर्फ 100 रूपये प्रति टन की रॉयल्टी के एवज में बांट दी गई।

ऐसा तब किया गया जब कोयले का बाज़ार मूल्य 1800 से 2000 रुपये प्रति टन के मूल्य पर था। 2006 में माइंस और मिनरल एक्ट (डेवलपमेंट एंड रेगुलेशन एक्ट में संशोधन का प्रस्ताव राज्यसभा में लाया गया था। इस संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक कोई भी ब्लॉक नीलामी करके ही निजी कंपनियों को दी जा सकती थी। इस कानून को संसद में चार साल तक लंबित रखा गया और जब तक यह कानून संसद में लंबित रहा तब तक कोयले की ढेरों खदानें सरकार ने बिना नीलामी के अपने चहेतों को मुफ्त में दे दी। CAG के अनुमान के मुताबिक इससे देश को कई लाख करोड़ रूपये का घाटा हुआ।

पी. चिदंबरम वित्तमंत्री थे तो उनके अधीनस्थ प्रवर्तन निदेशालय और आयकर विभाग ने इस देश के सबसे बड़े हवाला व्यापारी हसन अली के मुख्य साथी काशीनाथ तापुरिया के खिलाफ जांच की और 20 हजार करोड़ रूपये की टैक्स चोरी का मामला बनाया। एक तरपफ हमारे वित्त मंत्री श्री पी. चिदंबरम इनकी टैक्स चोरी पकड़ रहे थे और दूसरी तरपफ उनकी धर्मपत्नी नलिनी चिदंबरम, तापुरिया के वकील के तौर पर उसे कलकत्ता हाईकोर्ट में बचाने की कोशिश कर रही थीं। प्रश्न उठता है कि हमारे देश के वित्त मंत्री और गृह मंत्री के बीवी बच्चे हवाला डीलरों और हथियारों के दलालों का इस तरह से संरक्षण करेंगे तो इस देश की सुरक्षा का क्या होगा?

कृषि मंत्री शरद पवार एक ईजीओएम और तीन जीओएम की अगुवाई कर रहे हैं। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने ईजीओएम की संख्या पहले के 12 से घटाकर छह कर दी है। इससे पहले सभी ईजीओएम की अध्यक्षता प्रणब मुखर्जी कर रहे थे।

इसके अलावा जीओएम की संख्या भी अब काफी कम 15 कर दी गई है। इससे पहले इसकी संख्या 27 थी। विभिन्न मामलों पर गठित ईजीओएम और जीओएम की अगुवाई किसी वरिष्ठ मंत्री को दी जाती है। जिन मुद्दोंं पर ईजीओएम को खत्म किया गया है उनमें खाद्य सुरक्षा अधिनियम, राष्ट्रीय राजमार्ग विकास योजना, सेज से जुड़े मुद्दे और तेल विपणन कंपनियों के घाटे को कम करने पर विचार करने के लिए गठित ईजीओएम शामिल थे।

इस समय एंटनी गैस प्राइसिंग, मास रेपिड ट्रांजिट सिस्टम, अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स आदि पर गठित ईजीओएम की अगुवाई कर रहे हैं, जबकि चिदंबरम स्पेक्ट्रम आवंटन और केंद्रीय सरकारी इकाइयों के प्रदर्शन पर ईजीओएम की अध्यक्षता कर रहे हैं। शरद पवार को सूखे से निपटने के लिए गठित ईजीओएम का अध्यक्ष बनाया गया है। ईजीओएम के अलावा जिन जीओएम की अगुवाई चिदंबरम कर रहे हैं उनमें नागरिक उड्डयन, प्रसार भारती संबंधी मुद्दे, प्रतिस्पर्धा एक्ट में संशोधन, कोयला नियामक के गठन संबंधी मुद्दे आदि पर बने जीओएम शामिल हैं।

उद्योग मंडल एसोचैम ने दावा किया कि निवेशकों को आकर्षित करने के मामले में गुजरात सबसे अव्वल राज्य के रूप में उभरा है। उसने 16.28 लाख करोड़ रुपये से अधिक के निवेश प्रस्ताव हासिल किए।

एसोचैम की एक रिपोर्ट के मुताबिक 2011 के आखिर तक देश के 20 राज्यों में कुल मिलाकर 120.34 लाख करोड़ रुपये का निवेश हुआ, जिसमें से 13.52 प्रतिशत हिस्सा गुजरात को मिला। इस तरह से गुजरात सबसे अधिक 16.28 लाख करोड़ रुपये मूल्य के सहमति पत्र (एमओयू) हासिल कर सबसे आकर्षक निवेश स्थल के रूप में सामने आया।

एसोचैम गुजरात काउंसिल के चेयरपर्सन भाग्येश सोनेजी ने बताया कि गुजरात में कुल निवेश प्रस्तावों में से 39.2 प्रतिशत बिजली, 24.2 प्रतिशत विनिर्माण, 16.2 प्रतिशत सेवा तथा 14.3 प्रतिशत रीयल एस्टेट में आए। हालांकि इसी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि परियोजनाओं के कार्यान्वयन की दर के लिहाज से गुजरात राष्ट्रीय औसत से भी काफी पीछे है।

एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने बताया कि गुजरात में परियोजना कार्यान्वयन की दर 41.9 प्रतिशत है जो 53.9 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से काफी कम है। रिपोर्ट में कहा गया है कि झारखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु व मध्य प्रदेश में परियोजना कार्यान्वयन की दर सबसे कम पाई गई है। निवेश आकर्षित करने के लिहाज से पांच शीर्ष राज्यों में गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, ओडिशा व कर्नाटक हैं।

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