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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, March 29, 2013

ब्राह्मणों की गिरफ्त में मार्क्सवाद

    गैर-मार्क्सवादियों से संवाद-4                 

                ब्राह्मणों की गिरफ्त में मार्क्सवाद

मित्रों!कभी महात्मा गाँधी और पेरियार ई.वी.आर. में निम्न वार्तालाप हुआ था-

महत्मा गांधी-क्या आपको श्री राजागोपालाचारी में भी विश्वास नहीं है.

पेरियार-वे एक अच्छे और सच्चे व्यक्ति हैं.वे स्वार्थी नहीं हैं,वे दूसरों के लिए त्याग करनेवाले हैं.पर,उनके ये गुण तभी उजागर होते हैं जब वे अपने समाज के लिए कार्य करते हैं.किन्तु मैं अपने आदमियों,अब्राह्मणों के कल्याण का कार्य उन्हें नहीं सौंप सकता.

महात्मा गांधी-मेरे लिए यह बड़े आश्चर्य का विषय है कि यह आपका विचार है कि संसार में एक भी ईमानदार ब्रह्मण नहीं है.

पेरियार-संभवतः कोई हो भी सकता है,किन्तु अभी तक तो कोई ऐसा व्यक्ति मुझे नहीं मिला.

महात्मा गाँधी –कृपया ऐसा मत कहिये.मैं एक ब्राह्मण को जानता हूँ .मेरे विचार से वे एकदम अच्छे ब्राह्मण हैं,वे हैं गोपाल कृष्ण गोखले .

पेरियार-ओह!सुनकर राहत मिली.यदि आप जैसे महान व्यक्ति केवल एक ब्राह्मण तलाश पाए तो हमारे जैसे पापी को एक अच्छे ब्राह्मण के दर्शन कैसे हो सकते हैं.

मित्रों ,दो ऐतिहासिक पुरुषों का उपरोक्त वार्तालाप आपके सूचनार्थ इसलिए प्रस्तुत किया क्योंकि जिस ब्राह्मण समुदाय में अच्छे लोगों का दर्शन दुर्लभ है,उन्ही के हाथों में उस मार्क्सवाद की लगाम आ गई जिसका नेतृत्व खुद मार्क्स के अनुसार किसी वंचित तबके को करना चाहिए था.यह जान कर आपको अजीब लगेगा कि जन्मकाल से ही भारतीय मार्क्सवादी दल ब्राह्मणों के गिरफ्त में रहा है.17 अक्टूबर 1920 को भारतीय साम्यवादी दल की स्थापाना बंगाल के कट्टर ब्राह्मण एमएन राय(नरेन्द्रनाथ भट्टाचार्य) द्वारा विदेशी भूमि ताशकंद में की गई.उस दल की शुरुवाती कार्यकारिणी समिति में निम्न सदस्य थे-

1-श्री एम् एन राय ------------प्रधान सचिव

2-श्रीमती एल्विना राय --------सदस्य

3-श्री अवनी मुखर्जी  --------------सदस्य

4-श्रीमती रोजा एफ.मुखर्जी -----सदस्य

5-श्री बोयानकर एन प्रतिवादी राय---प्रधान

6-मोहम्मद अली अहमद हुसैन ---सदस्य

7-मोहम्मद शफीक सिद्दीकी------सदस्य

 उपरोक्त समिति में राय और मुखर्जी दम्पति तथा श्री आचार्य सभी ब्राह्मण थे.बाद में 1920 में ही 'गाँधी बनाम लेनिन' के नाम से कामरेड लेनिन की जीवनी लिखनेवाले मराठी ब्राह्मण एस.ए.डांगे भी एमएन  राय की पार्टी में शामिल हो गए.शामिल हुए एक कांग्रेसी के रूप में अपना राजनीतिक जीवन प्रारंभ करनेवाले केरल के नम्बूदरीपाद ब्राह्मण ई.एम.एस.नम्बूदरीपाद .उसके बाद तो साम्यवादी दलों में ब्राह्मणों का जो प्रभुत्व शुरू वह आज तक अटूट है.इस बीच मंडल उत्तरकाल में कांशीराम ने यह आरोप लगाया कि चूँकि सारे दल मनुवादी हैं इसलिए सभी दलों के शीर्ष पर ब्राह्मण हैं.उनके आरोप का असर हुआ और तमाम दलों ने धीरे-धीरे अध्यक्ष पद गैर-ब्राह्मणों को सौंपना शुरू किया .किन्तु नरम-गरम असंख्य टुकड़ों में बंटे मार्क्सवादी दल उससे पूरी तरह अप्रभावित रहे और ब्राह्मण वर्चस्व को अम्लान रखा.

मेरे गैर-मार्क्सवादी मित्रों इससे जुड़ी मेरी निम्न शंकाओं का समाधान करें-

1-मार्क्सवाद वह सिद्धांत जिसमें सामाजिक –राजनैतिक पारिवर्तन को वैज्ञानिक ढंग से लागू करने के दार्शनिक आधार का स्पष्ट प्रावधान है.इस परिवर्तन का लक्ष्य है शक्ति के शीर्ष से बुर्जुआ अर्थात शासक वर्ग को बलात उतार फेकना और सर्वहारा की शासन-सत्ता की स्थापना करना.इस लिहाज़ से भारत में मार्क्सवाद का उद्देश्य था ब्राह्मण(शासक वर्ग) को नियंत्रक के पद से नीचे उतारना और शुद्रातिशूद्रों(सर्वहारा) को शासक पद पर स्थापित करना.ऐसे परिवर्तनकामी दल का नेतृत्व ब्राह्मणों ने क्यों ले लिया?

2-क्या आपको ऐसा नहीं लगता कि बदलते हालत के अनुकूल खुद को ढालने में माहिर ब्राह्मणों ने मार्क्सवाद को हाइजैक  कर लिया?

3-मार्क्सवाद के प्रभाव वाले राज्यों में मार्क्सवादी दलों में दलित-आदिवासी और पिछड़ी जातियों से विरले ही कोई राज्य स्तरीय नेता या नीति निर्धारक उभरा.क्या इस शोचनीय स्थिति के लिए ब्राह्मण प्रभुत्व जिम्मेवार है?  

4-भारत में साम्यवाद आन्दोलन की विफलता का क्या यह कारण तो नहीं कि नेतृत्व के मामले में इसमें बहुजन समाज के लोग हाशिए पर रहे तथा ब्राह्मण प्रभुत्व को अटूट  रखने के लिए ही मार्क्सवादी नेतृत्व जाति समस्या से आंखे मूंदे रहा?

तो मित्रों आज इतना ही.कल फिर मिलते हैं कुछ और नई शंकाओं के साथ.

                    जय भीम-जय भारत


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