Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Friday, May 9, 2014

बुरे दिन आने वाले हैं: आनंद तेलतुंबड़े

बुरे दिन आने वाले हैं: आनंद तेलतुंबड़े

Posted by Reyaz-ul-haque on 5/08/2014 06:17:00 AM



आनंद तेलतुंबड़े


पार्टी में जिस तरह की फूट है उसको देखते हुए, भाजपा ने हैरान कर देने वाले एक अनुशासन के साथ अपना चुनावी अभियान चलाया है. हाल के हफ्तों तक इसने महज विकास और संप्रग के दूसरे शासनकाल में कुशासन को ही मुख्य मुद्दा बनाए रखा. यह बड़ी कुशलता से हालात और माहौल का भी इस्तेमाल करने में कामयाब रही: अहम रूप से इसने कांग्रेस के खिलाफ जनता के गुस्से को, अगले कांग्रेसी नेता के सीधे वारिस राहुल गांधी के व्यक्तित्व की कमजोरियों को, और बदलाव के लिए कॉरपोरेट भारत के समर्थन का इस्तेमाल किया है. यह सारा कुछ उसने सटीक प्रबंधन रणनीति के साथ किया है. पार्टी के भीतर मतभेदों को एक तरफ करते हुए इसने बड़े पूंजीपतियों के दुलारे नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किया है. इसके लिए यह गुजरात में मोदी के शासन को उसकी काबिलियत के सबूत के रूप में पेश कर रही है. अपने गुजरात मॉडल के झूठ के लगातार उजागर होने की रत्ती भर परवाह किए बगैर मोदी ने गोएबलीय आवेश में तूफानी अभियान चलाया और चुनावों में यह मॉडल उसके लिए कारगर होता दिख रहा है. लेकिन अब जब चुनाव खत्म होने को आए हैं, अचानक भाजपा का असली इरादा सतह पर दिखने लगा है.

सांप्रदायिकता के धारदार पंजे

इस चुनाव में भाजपा का विकास का मुद्दा महज दिखावे की रणनीति है. विकास को मुद्दा बनाने का मतलब यह नहीं है कि भाजपा हिंदुत्व के अपने एजेंडे से ऊपर उठ गई है. भाजपा ने दिल्ली में सत्ता पर फिर से काबिज होने के मौके को साफ साफ देखा और उसने यह महसूस किया कि हिंदुत्व को जरूरत से ज्यादा जोर देने पर मतदाताओं से वैसा फायदा नहीं मिल सकेगा, जो इसकी पिछली सफलता के बाद से भारी बदलाव देख चुके हैं. लेकिन, विकास को केंद्रीय मुद्दे के रूप में पेश करने के बावजूद हिंदुत्व हमेशा इसकी पीठ पर सवार रहा है. वैसे भी, विकास और हिंदुत्व का आपस में कोई अनिवार्य रूप से विरोध नहीं है. सकल घरेलू उत्पाद या ऐसे ही पैमानों पर मापे जाने वाले विकास की जो समझदारी सब जगह पर हावी है, वो राष्ट्रीय पहचान के साथ साथ बखूबी चल सकती है, जिसे भाजपा अपने सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के साथ पूरी ताकत से पेश करती है. तेजी से बढ़ता हुआ मध्य वर्ग और पेशेवर शिक्षित युवा वर्ग अपनी कामयाबी और संभावनाओं को पूरे देश पर लागू करके सोचता है कि भारत एक महाशक्ति बन सकता है. इस हिंदुत्व पहचान के साथ अकेली दिक्कत धार्मिक अल्पसंख्यक और निचली जातियों को होती है, हालांकि इसकी तादाद भी तेजी से घटती जा रही है, क्योंकि वे खुद को इसके प्रभावी अवतार का सीधे सीधे शिकार होते देखती हैं.

इसलिए अपने आधार को बढ़ाने के लिए भाजपा स्वाभाविक रूप से हिंदुत्व के बहुत अधिक प्रचार से परहेज कर रही है. पिछले बरसों में इसने अपना एक जनाधार बनाया है, जो वैसे भी जानता है कि असल में भाजपा क्या है. लेकिन भाजपा अगर प्रधानमंत्री की कुर्सी हथियाने का सपना देख रही है तो वह दूसरों को भी नजरअंदाज नहीं कर सकती. इसके अलावा, गठबंधन के दौर में, उसे उन संभावित सहयोगियों का भी खयाल रखना पड़ता है, जो इसकी विचारधारा के साथ खुले तौर पर जुड़ना पसंद नहीं करेंगे. इसलिए हिंदुत्व को पिछली सीट पर बिठा दिया गया है, जिसे भीतर ही भीतर और पूरी किफायत से इस्तेमाल किया जाना है जैसा कि उन्होंने मुजफ्फरनगर में किया या जैसे इसके छुटभैए अभी कर रहे हैं. हिंदुत्व का व्यावहारिक उपयोग हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ मजबूती से एकजुट करना है. जहां भी उसे इसकी जरूरत दिखेगी, भाजपा इसका इस्तेमाल करेगी. उत्तर प्रदेश में, भाजपा अरसे से कमजोर रही है. वहां सपा और बसपा ने क्रमश: मुसलमानों और दलितों को अपने मुख्य जनाधार के रूप में अपने साथ रखते हुए जमीनी कब्जा बनाए रखा है. इसमें उन्हें भाजपा के बंटे हुए जनाधार से भी मदद मिली है. ऐसे हालात में भाजपा हिंदुत्व के हथियार का इस्तेमाल करने से गुरेज नहीं करेगी. लेकिन इसी के साथ वो ऐसा खुल्लमखुल्ला नहीं करेगी.

वही बदनुमा चेहरा

तभी अचानक मध्य अप्रैल से हिंदुत्व के अनेक छुटभैए इसका उल्लंघन करते हुए अपने धारदार पंजों के साथ सामने आने लगे. 5 अप्रैल को नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी और भाजपा के महासचिव अमित शाह ने आशंका के मुताबिक हमलों की शुरुआत करते हुए कहा कि चुनाव, राज्य में सरकार की हिमायत पाने वाले मुट्ठी भर लोगों द्वारा किए गए जनता के अपमान का बदला लेने का मौका हैं. 'ये महज एक और चुनाव भर नहीं है. यह हमारे समुदाय के अपमान का बदला लेने का मौका है. यह चुनाव उन लोगों को एक जवाब होगा जो हमारी मांओं और बहनों के साथ दुर्व्यवहार करते आए हैं,' उसने कहा. 19 अप्रैल को ठीक मोदी के अहमदाबाद में उसके दोस्त और विहिप के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने खबरों के मुताबिक हिंदू इलाकों में संपत्तियां खरीदनेवाले मुसलमानों को निशाना बनाते हुए अपने समर्थकों से उनको जबर्दस्ती निकाल बाहर करने को कहा. उसी दिन नीतीश सरकार में मंत्री रह चुके गिरिराज सिंह ने झारखंड के देवघर में एक चुनावी सभा में कहा कि जो मोदी का विराध कर रहे हैं उनके लिए भारत में जगह नहीं है और उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए. मोदी के नजदीकी सहकर्मियों की तरफ से आ रहे इन भयावह और घिनौने बयानों ने अनेक जानकारों को स्तब्ध कर दिया है, वे नहीं समझ पा रहे हैं कि ये लोग मोदी की संभावनाओं पर क्यों गैर जरूरी तौर पर पानी फेर रहे हैं, जबकि सारा कुछ मोदी के लिए अनुकूल ही चल रहा है.

असल में, अनगिनत मुंहों वाले संघ परिवार की कपटता से भरी दलीलों की थाह ले पाना आमतौर पर मुश्किल होता है, भाजपा जिसका एक हिस्सा भर है. ज्यादातर तो यह हालात को परखने के लिए भी बयान जारी करती है ताकि यह जान सके कि उस पर कैसी प्रतिक्रियाएं आएंगी. तब यह दिखाने के लिए कि इसने सीमा नहीं तोड़ी है, यह भीतर से ही एक दूसरा बयान जारी करती है. जैसी की उम्मीद की जा सकती है, मोदी ने तोगड़िया के बयान को 'नफरत से भरा बयान' बताते हुए कहा कि 'इस तरह के संकीर्ण बयान देकर खुद को भाजपा का शुभचिंतक साबित करने वाले लोग वास्तव में अभियान को विकास और अच्छे प्रशासन के मुद्दे से भटकाना चाहते हैं.' आरएसएस के प्रवक्ता राम माधव ने इसका विरोध करते हुए कहा कि 'मैंने प्रवीण तोगड़िया से बात की है, उन्होंने ऐसे किसी बयान से इन्कार किया है. यह मनगढ़ंत है. कोई स्वयंसेवक ऐसी विभाजनकारी बातें नहीं सोच सकता. वे सभी लोगों को एक मानते हैं: एक जनता, एक राष्ट्र.' भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावड़ेकर माधव के बयान को मजबूती देते हुए इससे भी आगे बढ़ गए और कहा कि तोगड़िया इस मामले में कानूनी कदम उठाने जा रहे हैं. जबकि बयान ने अपना मकसद पूरा कर लिया था, उसने अपने जनाधार को यह यकीन दिला दिया था कि भाजपा ने हिंदुत्व के मकसद को पीछे नहीं छोड़ा है. तब धर्मनिरपेक्षों और मुसलमानों ने यह सोच कर अपने मन को मना लिया कि ये या तो एक अतिउत्साही 'भाजपा समर्थक' की गलतबयानी थे जिसस पार्टी सहमत नहीं है, या फिर वे पूरी तरह ही गलत थे.

हालांकि अमित शाह के मामले में, भाजपा ने यह कहते हुए उसका बचाव किया कि जो हुआ था उसके लिए धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने वाले ही जिम्मेदार थे. 'जो लोग सेकुलर टूरिज्म करने गए थे उन्होंने अपमान किया है, चाहे हिंदू हो या मुसलमान.' भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने एएनआई को बताया. तोगड़िया और शाह दोनों की टिप्पणियां रणनीतिक थीं: तोगड़िया हिंदुओं को बताना चाहते थे कि कुछ भी नहीं बदला है, और शाह की भड़काऊ लफ्फाजी उत्तर प्रदेश के गैर मुस्लिम और गैर दलित मतदाताओं को पूरे उत्साह से वोट डालने के लिए उकसाने की खातिर थी. सीएसडीएस लोकनीति-आईबीएन के एक सर्वेक्षण के मुताबिक यह रणनीति कारगर हो गई लगती है, जिसके मुताबिक भाजपा पश्चिमी उत्तर प्रदेश में साफ तौर से आगे है. सर्वेक्षण दिखाता है कि असल में मुजफ्फरनगर दंगे और उनके असर को इस साल प्रमुखता मिलती गई है. 78 फीसदी जवाबदाताओं ने मार्च में कहा कि वे 2013 के सांप्रदायिक दंगों के बारे में जानते थे, जबकि जनवरी में यही बात 64 फीसदी लोगों कही थी. इसके साथ साथ 40 फीसदी लोगों ने कहा कि वे मानते थे कि दंगों के लिए समाजवादी पार्टी 'सबसे ज्यादा जिम्मेदार' थी. जाहिर है कि यह एक जोखिम भरा जुआ था, लेकिन भाजपा ऐसा जुआ खेलने में माहिर है.

ठेंगे पर गठबंधन

भाजपा सबसे जोखिम भरा जुआ यह खेल रही है कि वो अपने संभावित सहयोगियों के साथ दुश्मनी बढ़ाती जा रही है. शायद उसने यह गलतफहमी पाल रखी है, जैसा कि उसने 2004 में 'भारत उदय' अभियान को लेकर पाली थी, कि वो 272 सीटों के जादुई आंकड़े को हासिल कर लेगी और इसीलिए वो अपनी अकड़ दिखाती फिर रही है. शायद यह सीधे सीधे उन दलों के खिलाफ हमलावर रुख अपना रही है जिन्होंने अभी उसे समर्थन नहीं दिया है. खुद मोदी अपने संभावित सहयोगियों ममता बनर्जी, फारूक अब्दुल्ला, जयललिता और नवीन पटनायक के खिलाफ हमले तेज करते हुए यह जुआ खेल रहा है. 8 फरवरी को, बातें बढ़ा चढ़ कर कहने के अपने अंदाज में मोदी ने कहा कि 'तीसरा मोर्चा', जिसके जयललिता और नवीन पटनायक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, भारत को 'तीसरे दर्जे' के देश में बदल देगा. इसने दोनों को नाराज कर दिया. इसी तरह 'गुजरात' को लेकर हांकी जा रही डींग दूसरे सहयोगियों को नहीं भा रही है क्योंकि यह उनके कामकाज को कमतर करके बताती है. 

इन छिपे हुए अपमानों के साथ साथ, मोदी ने एआईएडीएमके और डीएमके दोनों की सीधी आलोचना की कि इन्होंने तमिल लोगों के विकास की अनदेखी की है और इन्हें आपस में ही लड़ने से फुरसत नहीं मिली. जयललिता ने यह कहते हुए पलटवार किया कि गुजरात का विकास एक 'मिथक' है और तमिलनाडू का विकास गुजरात से कहीं अधिक प्रभावशाली है. अपने राज्य की कावेरी पट्टी के करुर में एक हालिया रैली में जयललिता ने भाजपा पर 'विश्वासघात' करने का आरोप लगाते हुए कहा कि तमिलनाडू तथा कर्नाटक के बीच चल रहे पानी बंटवारे के विवादास्पद मुद्दे पर उसमें और कांग्रेस में कोई फर्क नहीं है. उन्होंने लोगों से इसे यकीनी बनाने की मांग की कि डीएमके, कांग्रेस और भाजपा उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो जाएं. मोदी ने नवीन पटनायक पर साजिश करके तीसरे मोर्चे के जरिए कांग्रेस को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाया. अपने पूर्व प्रशसंक फारूक अब्दुल्ला के साथ एक वाक्युद्ध में मोदी ने कहा कि फारूक और उनके परिवार ने कश्मीर का सांप्रदायीकरण कर दिया है. हाल में कोलकाता में एक चुनावी रैली में, पश्चिम बंगाल में हुए एक कई करोड़ों के कुख्यात चिट फंड घोटाले के मामले में ममता को लेकर किए गए संकेतों के जवाब में उन्हें तृणमूल कांग्रेस की तरफ से 'शैतान' और 'गुजरात के कसाई' जैसी तीखी उपाधियां मिली. साथ ही पार्टी ने मानहानि के मुकदमे की धमकी भी दी.

मोदी सत्ता तक ले जाने वाले पुलों को खुद ही क्यों जला रहा है? यह तब है जब जनमत सर्वेक्षणों का सबसे अनुकूल अनुमान भी बहुमत के आंकड़े से दूर ही बना हुआ है. बेशक इन अनुमानों में बढ़ोतरी के रुझान हैं लेकिन कोई भी भली चंगी बुद्धि वाला इंसान इन अनुमानों से बड़े नतीजे नहीं निकालेगा और अपने बहुमत को इतना पक्का नहीं मानेगा. लेकिन किसी न तरह से, भाजपा 272 के निशान को पार करने को लेकर आश्वस्त दिख रही है. इसका एजेंडा जो भी हो, इसने सबके खिलाफ उद्दंडता का प्रदर्शन करके अनजाने ही अपने अलोकतांत्रिक चरित्र की कड़वी सच्चाई उजागर कर दिया है. अगर यह सत्ता में आती है, तो यह अपने मकसद को पूरा करने की राह में आने वाली किसी भी राय के साथ सख्ती से पेश आएगी.

अनुवाद: रेयाज उल हक

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV