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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, May 31, 2014

বাংলায় বামেদের নেতা নেই,পিঠ বাঁচাতে বিজেপি ছাড়া উপায নেই, গুন্ডারাজের বিরুদ্দে বিজেপি নেতৃত্ব হুন্কার দিয়ে এই বার্তাই দিলেন! वाम नपुंसकता के मुकाबले बंगाल में तृणमूली संत्रास के मुकाबले आखिरकार भाजपा ही सुरक्षा की गारंटी है!

বাংলায় বামেদের নেতা নেই,পিঠ বাঁচাতে বিজেপি ছাড়া উপায নেই,

গুন্ডারাজের বিরুদ্দে বিজেপি নেতৃত্ব হুন্কার দিয়ে এই বার্তাই দিলেন!

वाम नपुंसकता के मुकाबले बंगाल में तृणमूली संत्रास के मुकाबले आखिरकार भाजपा ही सुरक्षा की गारंटी है!


এক্সকেলিবার স্টিভেন্স বিশ্বাস


বাংলায় বামেদের নেতা নেই,পিঠ বাঁচাতে বিজেপি ছাড়া উপায নেই,

গুন্ডারাজের বিরুদ্দে বিজেপি নেতৃত্ব হুন্কার দিয়ে এই বার্তাই দিলেন!

শাসকদলের বিরুদ্ধে সন্ত্রাসের অভিযোগ খতিয়ে দেখতে সন্দেশখালি পৌছল বিজেপির কেন্দ্রীয় প্রতিনিধি দল। আতঙ্কিত গ্রামবাসীদের সঙ্গে কথা বলেন বিজেপি নেতৃত্ব। গ্রামবাসীরাও তাঁদের অভিজ্ঞতার কথা তুলে ধরেন বিজেপি নেতাদের কাছে। বিজেপি প্রতিনিধি দলে রয়েছেন বাবুল সুপ্রিয়, এস এস আলুওয়ালিয়া, সিদ্ধার্থনাথ সিং, মুখতার আব্বাস নকভি, ও মীণাক্ষি লেখি।


গত মঙ্গলবার, সন্দেশখালির ধামাখালিতে গুলিবিদ্ধ হন ২১ জন বিজেপি সমর্থক। তৃণমূল কর্মীদের বিরুদ্ধে গুলি চালানোর অভিযোগ ওঠে। ধামাখালি থেকে ফিরে আহত দলীয় সমর্থকদের দেখতে এসএসকেএমে যান বিজেপির কেন্দ্রীয় নেতারা।


বার বিজেপি রাজ্যে দুটি লোকসভা আসন দখলের পাশাপাশি ভোটের হার ১৭ শতাংশে তুলে নিয়ে যাওয়ার পর প্রথম থেকেই একেবারে আঁটঘাট বেঁধে তৃণমূলকে টক্কর দিতে নেমেছে৷ তারই প্রমাণ হল, তাদের এই জেলা সফরের কর্মসূচি৷ শুধু তাই নয়, রাজ্যে সংগঠন জোরদার করার লক্ষ্যে রাহুলবাবু শুক্রবার জেলা সভাপতি এবং অন্য কর্মকর্তাদের নিয়ে দীর্ঘ বৈঠক করেন৷ তাতে জুন এবং জুলাই মাস জুড়ে বেশ কিছু কর্মসূচি নেওয়া হয়েছে৷


তৃণমূল অবশ্য বিজেপির এই সন্দেশখালি সফরকে প্রকাশ্যে খুব একটা গুরুত্ব দিতে চাইছে না৷ মুখে গুরুত্ব না দেওয়ার কথা বললেও তারা আজই সন্দেশখালিতে যাচ্ছে৷ শুক্রবার নেতাজি ইন্ডোর স্টেডিয়ামে নেত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় দলীয় সংগঠনে ব্যাপক রদবদল করেছেন৷ উত্তর ২৪ পরগনা জেলার সভাপতি নির্মল ঘোষকে সরিয়ে নতুন সভাপতি করা হয়েছে খাদ্যমন্ত্রী জ্যোতিপ্রিয় মল্লিককে৷ দায়িত্ব বুঝে নিয়ে এ দিন সন্ধ্যাতেই জ্যোতিপ্রিয় সন্দেশখালিতে সভা করার কথা ঘোষণা করেন৷ এই সভা বিজেপির পাল্টা কি না, জানতে চাওয়া হলে জেলার অন্যতম নেতা ইদ্রিশ আলি বলেন, 'না, এটা পাল্টা কর্মসূচি নয়৷ আমরা বিজেপির প্রতিনিধি দল পাঠানোকে কোনও গুরুত্বই দিচ্ছি না৷' শাসক দল এবং বিজেপির জোড়া কর্মসূচি ঘিরে আজ জেলা প্রশাসনকে কিছুটা উদ্বেগের মধ্যেই থাকতে হবে৷


সিপিএম নেতৃত্ব যখন জেলায় জেলায় শাসক দলের হাতে আক্রান্ত দলীয় কর্মীদের পাশে পৌঁছতে ইতস্তত করছেন, তখন বিজেপির রাজ্য নেতারা কিন্ত্ত তৃণমূলকে চাপে রাখতে জেলা সফরে নেমে পড়ছেন৷ আজ শনিবার দলীয় সাংসদ মীনাক্ষী লেখি, জাতীয় মুখপাত্র মুখতার আব্বাস নাকভি এবং এ রাজ্যের পর্যবেক্ষক সিদ্ধার্থনাথ সিনহার নেতৃত্বে বিজেপির এক কেন্দ্রীয় প্রতিনিধি দল সন্দেশখালিতে পৌছে গেল৷ ওই দলে রাজ্য থেকে নির্বাচিত দুই সাংসদ বাবুল সুপ্রিয় এবং এস এস আলুওয়ালিয়া ছাড়াও রাজ্য সভাপতি রাহুল সিনহা, বসিরহাটের পরাজিত প্রার্থী শমীক ভট্টাচার্য প্রমুখও থাকছেন৷ পাশাপাশি রাজ্য নেতৃত্বের আর একটি দল আজই যাচ্ছেন দক্ষিণ ২৪ পরগনার গোসাবায়৷ রাহুলবাবু শুক্রবার জানান, কাল রবিবার রাজ্য বিজেপির আরও দুটি দল পশ্চিম মেদিনীপুরের নয়াগ্রাম এবং বর্ধমানে দুর্গাপুরের লাউদোহা গ্রামে যাবে৷ নয়াগ্রামে তৃণমূলের কয়েক জন নেতৃস্থানীয় কর্মী বিজেপিতে যোগ দেওয়ার পর তাঁদের উপর তৃণমূল হামলা চালায় বলে অভিযোগ৷ আর লাউদোহায় বৃহস্পতিবার থানা অবরোধ কর্মসূচি সেরে বাড়ি ফেরার পথে কয়েক জন বিজেপি কর্মী আক্রান্ত হন৷ সব মিলিয়ে নরেন্দ্র মোদী প্রধানমন্ত্রী হওয়ার পরই যে ভাবে রাজ্য বিজেপি জেলায় জেলায় তৃণমূলের হাতে আক্রান্তদের পাশে দাঁড়ানোর কর্মসূচি নিয়েছে, তা যে শাসক দলকে চাপে রাখার জন্যই, সেটা বলার অপেক্ষা রাখে না৷


সন্দেশখালির পরিস্থিতি নিয়ে প্রধানমন্ত্রী এবং কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রীর কাছে রিপোর্ট জমা দিতে চলেছে বিজেপির কেন্দ্রীয় প্রতিনিধি দল৷ তাদের অভিযোগ, রাজ্যের আইনশৃঙ্খলা পরিস্থিতি বাম আমলেও থেকেও খারাপ৷ তৃণমূল আশ্রিত দুষ্কৃতীদের দৌরাত্ম্য বন্ধে পুলিশ-প্রশাসন কোনও পদক্ষেপই নিচ্ছে না৷

শনিবার ধামাখালিতে পা রাখার পরেই বিজেপির প্রতিনিধিদলের হাতে গুলির খোল তুলে দেন গ্রামবাসীরা৷ পাশাপাশি দেন সেদিনের ঘটনার বিবরণ৷ গ্রামবাসীদের অভিযোগ, পুলিশের উপস্থিতিতেই বিজেপি সমর্থকদের ওপর গুলি চালায় তৃণমূল আশ্রিত দুষ্কৃতীরা৷ গ্রামবাসীদের কাছ থেকে অভিযোগ পাওয়ার পর পুলিশি নিষ্ক্রিয়তার অভিযোগ তুলে সরব হয় বিজেপির কেন্দ্রীয় নেতৃত্ব৷ তাঁদের অভিযোগ, রাজ্যের আইনশৃঙ্খলা পরিস্থিতি বাম আমলের থেকেও খারাপ৷

আক্রান্তদের সঙ্গে কথা বলার পর ধামাখালির স্কুল মাঠে একটি সভা করেন বিজেপি নেতারা৷ প্রাকৃতিক দুর্যোগের মধ্যেও সেখানে হাজির ছিলেন কয়েকশো মানুষ৷

সভায় বিজেপি নেতারা অভিযোগ করেন, এই এলাকা তফসিলিদের জন্য সংরক্ষিত হওয়া সত্ত্বেও, রাজ্য তফসিলি কমিশন ঘটনাস্থলে আসেনি, হয়নি তদন্তও৷ এরপরই বিজেপির কেন্দ্রীয় নেতৃত্ব জানান, দিল্লি থেকে জাতীয় এসসি-এসটি কমিশনের প্রতিনিধিদের পাঠানোর ব্যপারে উদ্যোগী হবেন তাঁরা৷

পুলিশ ও প্রশাসনের ওপর চাপ বাড়াতে সন্দেশখালি নিয়ে রিপোর্ট জমা দেওয়া হবে প্রধানমন্ত্রী এবং কেন্দ্রীয় স্বরাষ্ট্রমন্ত্রীর কাছে৷ বিজেপি দলীয় প্রতিনিধিদল পাঠালেও বিষয়টি তারা তুলতে চায় কেন্দ্রীয় সরকারের কাছে৷

সরকার ও পুলিশ প্রশাসনের বিরুদ্ধে নিষ্ক্রিয়তার অভিযোগ তুলেই থেমে থাকেনি বিজেপি নেতৃত্ব৷ একধাপ এগিয়ে তাদের আরও অভিযোগ, প্রশাসনের ছত্রছায়াতেই শাসক দল আশ্রিত দুষ্কৃতীরা সন্ত্রাস চালাচ্ছে৷ এ রাজ্যে গণতান্ত্রিক ব্যবস্থাকে চরম অবমাননা করা হচ্ছে৷ বিষয়টি রাজ্যের মধ্যে আর সীমাবদ্ধ নেই৷ ফলে, জাতীয় স্তরে এই নিয়ে সরব হবে বিজেপির প্রতিনিধি দল৷


दक्षिण 24 परगना के संदेशखाली में केंद्रीयदल भेजकर भाजपा ने बंगाल में केसरिया फौज का हौसला बुलंद करने में खास पहल की है तो मौके पर पहुंचकर भाजपा सांसदों ने बंगाल में ममता बनर्जी पर तानाशाही ,बंगाल पुलिस को तृणमूल कैडर,बाहुबलि आतंकियों को ममता बनर्जी का संरक्षण और राज्य में गुंडा राज के गंभीर आरोप लगाकर तदनुसार केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह को,जो अभ भी भाजपा अध्यक्ष हैं,को रपट देकर केंद्रीय हस्तक्षेप का वायदा किया है।


गौरतलब है कि पश्चिम बंगाल की राजनीति में अब तक मुख्य धारा से दूर रही भाजपाने अभी अभी संपन्न लोकसभा चुनावों में ... पार्टी ने एक समय पश्चिम बंगाल की बड़ी ताकत वाम मोर्चे के वोट आधार में सेंध लगाकर तीसरा स्थान हासिल किया है। लोकसभा चुनावों में भाजपा ने वामदलों के ग्यारह फीसद वोट काट लिये।


तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा की जा रही हिंसा की जांच करने भाजपा के दल के साथ पहुंचे भाजपा के मुख्तार अब्बास नकवी ने पश्चिम बंगाल की वर्तमान कानून व्यवस्था को कम्युनिस्ट शासन के समय से भी बदतर बताया है।


संदेशखाली में भाजपा को वोट देने के अपराध में आदिवासी गांवों को घेरकर तृणमूलियों ने अंधाधुंध फायरिंग की।इस गोलीकांड में जख्मी स्त्री पुरुषों को ही पुलिस ने इस मामले में अभियुक्त बनाया है जबकि चश्मदीद गवाहों के नामजद सारे के सारे अभियुक्त न केवल छुट्टा घूम रहे हैं बल्कि उन्होंने इलाके की नाकेबंदी कर रखी है।


भाजपा नेताओं ने एसएसकेएम अस्पताल जाकर पीड़ितों से मुलाकात भी की है।भाजपी प्रतिनिधिमंडल में बंगाल से सांसद सुरेंद्र सिंह आहलुवालिया और बाबुल सुप्रिय के अलावा भाजपा के बड़े नेता मुख्तार अब्बास नकवी,मीनाक्षी लेखी,सिद्धार्थनाथ सिंह जैसे लोग शामिल थे।


इसके विपरीत वाम शिविर में तूफानी बगावत के बावजूद वामदलों के नेता जनता के मध्य जाने से कतरा रहे हैं।


ममता बनर्जी तक ने सरकार और पार्टी में भारी फेरबदल करके आगामी विधानसभा चुनावों के मद्देनजर केसरिया फौज के मुकाबले की तैयारी जोर शोर से शुरु कर दी है।


वहीं,वामदलों में रोज कहीं न कही नेतृत्व के खिलाफ बगावत हो रही है।प्रकाश कारत से लेकर विमान बोस तक बदलने की मांग अब आंदोलन है।


पार्टी नेतृत्व किसी तरह के संगठनात्मक फेरबदल के बजाय एक के बाद एक नेता कार्यकर्ता को बाहर का दरवाजा दिखा रहे हैं तो बंगाल भर में वाम कार्यरकर्ताओं और नेताओं पर जो हमले हो रहे हैं,वहां नेतृत्व का कोई प्रतिनिधि जा ही नहीं रहा है।


इसके विपरीत लोकसभा चुनाव में भाजपा के बढ़े वोट प्रतिशत से नाराज मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का गुस्सा अभी थम नहीं रहा। अपने मंत्रियों पर गाज गिराने के बाद उन्होंने जिला स्तर पर भी तृणमूल नेताओं के पर कतर दिए हैं। शुक्रवार को ममता बनर्जी ने प्रदेश की सभी जिला कमेटियों को भंग कर नए सिरे से गठन किए जाने का ऐलान किया। बदलाव के रूप में संगठन में युवा, नए और मुस्लिम चेहरों को अहम जिम्मेदारी सौंपी।

युवा तृणमूल कांग्रेस का अध्यक्ष सौमित्र खान को बनाया गया है। उन्होंने शुभेंदू अधिकारी की जगह ली है। खान बांकुड़ा के विष्णुपुर से सांसद हैं। उन्होंने कांग्रेस छोड़ कर तृणमूल का दामन थामा था।


तृणमूल कांग्रेस के महासचिव मुकुल राय के बेटे विधायक शुभ्रांशु राय को युवा तृणमूल कांग्रेस का कार्यवाहक अध्यक्ष बनाया गया है।


मुख्यमंत्री के भतीजे अभिषेक बनर्जी को भी राज्य कमेटी में शामिल किया गया है। हाजी नुरूल इस्लाम को तृणमूल कांग्रेस अल्पसंख्यक सेल का चेयरमैन बनाया गया है। उन्होंने इदरीश अली की जगह ली है।


दार्जिलिंग में फुटबॉलर वाईचुंग भूटिया को सांगठनिक जिम्मेदारी सौंपी गई है।


मुस्लिम वोटों के सहारे बंगाल में अपनी पकड़ कायम रख सकीं ममता

भाजपा ने दो सीटें जीतकर पश्चिम बंगाल में भले ही राजनीतिक तौर पर अपनी जगह बनाने में कामयाबी हासिल की हो पर तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी को राज्य में कोई बड़ी सफलता हाथ नहीं आने दी। ममता को मुसलमानों के 28 प्रतिशत वोट शेयर से फायदा मिला जिससे तृणमूल कांग्रेस ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 34 सीटों पर जीत हासिल की।


तृणमूल कांग्रेस को 39.4 फीसदी वोट मिले जबकि कांग्रेस को चार सीटों और नौ फीसदी वोट से संतोष करना पड़ा । वाम दलों ने आजादी के बाद अपना अब तक का सबसे बदतर प्रदर्शन किया और 23 फीसदी वोट एवं दो सीटें ही जीत सके।

चुनाव परिणाम आने तक बंगाल की राजनीति में अप्रासंगिक समझी जा रही भाजपा को 17.06 फीसदी वोट मिले और उसे दो सीटें भी हासिल हुईं। साल 2009 के लोकसभा चुनावों के बाद राज्य में भाजपा के वोट प्रतिशत में 12 फीसदी का इजाफा हुआ है। बंगाल में सत्ता की राह समझे जाने वाले 28 फीसदी मुस्लिम वोट शेयर से ममता को फायदा मिला।


पश्चिम बंगाल में चुनाव प्रचार के दौरान ममता और मोदी के बीच छिड़ी जुबानी जंग से कांग्रेस, माकपा, तृणमूल और भाजपा का चौतरफा मुकाबला मोदी और ममता के बीच दोतरफा जंग में तब्दील हो गया। इससे ममता को दक्षिण बंगाल और उत्तर बंगाल के कुछ हिस्सों में मुस्लिमों के वोट हासिल करने में मदद मिली।

राजनीतिक विश्लेषक उदयन बंद्योपाध्याय के मुताबिक, पूरा चुनाव मोदी के समर्थन या मोदी के विरोध पर केंद्रित हो गया। अल्पसंख्यकों सहित बंगाल में जितने मोदी विरोधी थे उन्होंने ममता का पूरा समर्थन किया और ममता के विरोधियों ने इस बार भाजपा को वोट किया।



भाजपा नेतृत्व ने संदेशखाली पहुंचकर वाम और कांग्रेस कार्यकर्ताओं को संकेत दिया है कि बंगाल में तृणमूली संत्रास के मुकाबले आखिरकार भाजपा ही सुरक्षा की गारंटी है।


भाजपा ने पश्चिम बंगाल की वर्तमान कानून व्यवस्था को वामपंथ के शासन के समय से भी बदतर बताया है। भाजपा का एक दल उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में अपने पार्टी कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा किए गए हमले की स्थिति का आकलन करने पहुंचा है।


राज्यसभा सांसद और पार्टी के उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने यहां पार्टी के चार वरिष्ठ नेताओं के साथ संवाददाताओं से बातचीत में कहा, ''पश्चिम बंगाल में कानून व्यवस्था वाम शासन से भी ज्यादा बुरी हालात में है। जिस तरह से शासन द्वारा आधिकारिक मशीनरी का लोगों को डराने-धमकाने का प्रयोग किया जा रहा है वह बहुत निंदनीय है।''


नकवी ने कहा, ''हम यहां पार्टी कार्यकर्ताओं पर हो रहे हमलों का आकलन करने आए हैं और इस संबंध में एक रिपोर्ट पार्टी के केंद्रीय नेताओं को सौंपेंगे।''


पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख राहुल सिन्हा ने बताया, ''भाजपा के दल ने उत्तर 24 परगना के संदेशखाली का दौरा किया और कोलकाता के एसएसकेएम अस्पताल में संदेशखाली के हमलों में घायल हुए 30 पार्टी कार्यकर्ताओं से मुलाकात भी की।''


उन्होंने कहा कि इसके बाद एक प्रतिनिधि मंडल ने मुख्य सचिव संजय मित्रा से मुलाकात की। उत्तर 24 परगना जिले के संदेशखाली में 28 मई को 30 भाजपा कार्यकर्ताओं पर तृणमूल कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने कथित रूप से हमला कर दिया था। मामले में चार लोगों को गिरफ्तार किया गया था।


भाजपा और माकपा ने इस मामले में गुरुवार को 12 घंटे का बंद बुलाया था।



पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव प्रचार के दौरान और उसके बाद भी भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों पर जारी हमलों के विरोध में पार्टी ने गुरुवार को 12 घंटे के बंद का आह्वान किया। वामदलों ने भी तृणमूल कार्यकर्ताओं के खिलाफ इस बंद में भाजपा का साथ दिया। बंद के दौरान भी तृणमूल कांग्रेस के समर्थकों ने जगह-जगह प्रदर्शनकारियों पर हमले किए। इधर, हमलों की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को मिलने के बाद जल्द ही पार्टी का एक प्रतिनिधिमंडल बंगाल का दौरा करेगा।

प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के दिन जब भाजपा समर्थक बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले में जश्न मना रहे थे, तो तृणमूल समर्थकों ने हमला कर करीब 21 लोगों को घायल कर दिया था। घटना के विरोध में गुरुवार को भाजपा व वाममोर्चा ने बसीरहाट बंद किया। इस दौरान भी तृणमूल कार्यकर्ताओं ने जगह-जगह हमला किया। पुलिस व प्रशासन पर भी तृणमूल समर्थकों को मदद करने का आरोप है।

प्रदेश भाजपा अध्यक्ष राहुल सिन्हा ने बताया कि राज्य में भाजपाइयों पर हो रहे हमले की रिपोर्ट केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह को भेजी है। इस पर गृह मंत्री ने पांच सदस्यीय दल बंगाल में भेजने का निर्णय किया।


प्रधानमंत्री पद के शपथ ग्रहण समारोह पर उल्लास मना रहे भाजपा कार्यकर्ताओं पर संदेशखाली थाना के बेड़मजूर में हुए हमले के प्रतिवाद में भाजपा कार्यकर्ताओं ने गुरुवार बारह घटा बसीरहाट बंद रखा। माकपा ने इस बंद में शामिल न होते हुए अलग से इसका नैतिक समर्थन किया था। पुलिस ने विभिन्न जगहों से नौ अवरोधकारियों को गिरफ्तार किया है।

बसीरहाट भाजपा महासचिव विश्वजीत दास ने दावा किया कि इस दिन आम जनता स्वत: बंद में शामिल हुई और यह बंद सफल रहा। बंद के दौरान स्कूल, बाजार, दुकान बंद रहे। साथ ही उन्होंने कहा कि जिस तरह से यह हिंसक घटना घटी है और पूरे मामले में पुलिस निष्क्रिय रही है। उससे यह साबित होता है कि पुलिस सत्ताधारी पार्टी के इशारों पर काम कर रही है। भाजपा कर्मियों पर हो रहे हमले के खिलाफ उन्होंने गणप्रतिरोध संगठित करने का आह्वान किया। इस दिन सियालदह हासनाबाद रेल शाखा के भाबला, और संडालिया रेल स्टेशनों पर भाजपा समर्थकों ने रेल अवरोध किया। जिसके चलते इस शाखा में रेल यातायात प्रभावित हुआ। अवरोध में फंसे रेल यात्रियों ने संडालिया स्टेशन से अवरोधकारियों को हटा दिया। वहीं बसीरहाट चौमाथा पर भाजपा कर्मियों के अवरोध के चलते टाकी सड़क पर जाम की स्थिति पैदा हो गई। जिसकी सूचना पाकर मौके पर पहुंची पुलिस ने चार अवरोधकारियों को गिरफ्तार किया।



दैनिक जागरण के मुताबिक राज्य में चुनाव बाद जो हिंसा शुरू हुई वह अब टकराव का स्थायी आकार लेने जा रही है। राज्य के विभिन्न भागों में राजनीतिक हिंसा से आतंक का माहौल पैदा हो गया है। अधिकांश हिंसक घटनाओं में तृणमूल कार्यकर्ताओं के हमले का शिकार भाजपा समर्थक हुए हैं। उत्तर 24 परगना के संदेशखाली में भाजपा समर्थकों पर हमला अब तूल पकड़ने लगा है।


भाजपा समर्थक आक्रामक हो उठे हैं। भाजपा ने राज्य व्यापी विरोध प्रदर्शन किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण के दिन से राज्य के विभिन्न भागों में भाजपा समर्थकों पर जो हमला शुरू हुआ वह बंद नहीं हुआ है। यह सीधे तौर पर भाजपा के साथ सत्तारूढ़ दल तृणमूल कांग्रेस की राजनीतिक टकराव है। सभी हिंसक घटनाओं को अंजाम देने में तृणमूल कांग्रेस समर्थक लिप्त बताए गए हैं।


संदेशखाली में राजनीतिक हिंसा के खिलाफ गुरुवार को भाजपा व वाममोर्चा ने अलग-अलग बसीरहाट महकमा बंद रखा। हालांकि बंद के दौरान अधिकांश जगहों पर भाजपा समर्थकों को ही पुलिस से जूझते देखा गया। तृणमूल कांग्रेस को जहां भाजपा की सेंधमारी का डर है, वहीं माकपा को यह भय है कि राज्य में भाजपा कहीं विरोधी पार्टी का स्थान न ले ले। इसलिए विपक्ष के नेता सूर्यकांत मिश्रा एसएसकेएम अस्पातल में भर्ती घायलों को देखने गए, जबकि घायलों में अधिकांश भाजपा समर्थक हैं।


भाजपा केंद्रीय नेतृत्व ने भाजपा समर्थकों पर हमले की घटना को गंभीरता से लिया है। राजनाथ सिंह ने भाजपा केंद्रीय नेतृत्व का एक प्रतिनिधिमंडल हिंसाग्रस्त क्षेत्रों में स्थिति का जायजा लेने के लिए बंगाल दौैरा पर भेजने की घोषणा की है। प्रतिनिधि मंडल पहले केंद्रीय गृह राज्य मंत्री के नेतृत्व में आनेवाला था, लेकिन बाद में राजनीतिक प्रतिनिधि मंडल भेजने का निर्णय किया गया ताकि कोई गलत संदेश न जाए। कानून व्यवस्था राज्य का विषय है। गृह मंत्रालय के प्रतिनिधि के बंगाल का दौरा करने पर सरकार को अनावश्यक केंद्रीय हस्तक्षेप कहने का मौका मिल जाता।


अब तक तृणमूल कांग्रेस के हिंसा का शिकार माकपा समर्थक होते रहे हैं, लेकिन अचानक लोकसभा चुनाव के बाद उनके निशाने पर भाजपा समर्थक आ गए हैं। इससे साफ है कि लोकसभा चुनाव में भाजपा के दो नेताओं के जीतने के साथ उसका मत प्रतिशत बढ़ कर 17 प्रतिशत तक पहुंचने से सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस की बेचैनी बढ़ गयी है। कुल 42 लोकसभा सीटों में प्राय: सभी जगह भाजपा उम्मीदवारों को कुछ वोट मिले हैं। अब तो तृणमूल व वाममोर्चा के समर्थक भाजपा में शामिल भी होने लगे हैं। भाजपा बंगाल में अपनी राजनीतिक पैठ बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी। उसका लक्ष्य अपने बढ़ते जनाधार को अगले विधानसभा चुनाव में भुनाना है। सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस यह कभी नहीं चाहेगी कि भाजपा को यहां पांव पसारने में सफलता मिले। वामपंथी समर्थकों की जगह अब भाजपा समर्थक तृणमूल के निशाने पर हैं तो इसका मतलब कोई भी आसानी से समझ सकता है।

मोदी सरकार पर प्रहार करेगी तृणमूल

कोलकाता: लोकसभा में 34 सदस्यों वाली तृणमूल कांग्रेस नरेन्द्र मोदी सरकार के कामकाज पर नजर रखेगी और यदि उसने लोगों के हित में काम नहीं किया तो पार्टी उसे इस बारे में अवगत करायेगी और फिर भी कुछ नहीं होने पर वह उस पर प्रहार करेगी.तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने कहा : हम हमेशा से रचनात्मक रहे हैं, नकारात्मक नहीं.


यदि लोगों के हितों को नुकसान पहुंचा तो हम 'प्रहार' करेंगे. यदि हमने पाया कि यह (नरेंद्र मोदी सरकार) लोगों के भले के लिए काम कर रही है तो हम देखेंगे और विचार करेंगे. पार्टी की बंद कमरे में हुई बैठक के बाद ममता के करीबियों के अनुसार मुख्यमंत्री ने उस दौरान यह बात कही. ममता ने कहा : हम माकपा की तरह नहीं हैं. पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री की आम चुनाव में प्रचार के दौरान मोदी के साथ कटु वाद विवाद हुआ था. उन्होंने 26 मई को राष्ट्रपति भवन में नरेंद्र मोदी के शपथ ग्रहण समारोह में पार्टी के महासचिव मुकुल राय एवं राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्र को भेजा था.


संप्रग द्वितीय सरकार से कोई राहत नहीं मिल पाने के बाद ममता ने पिछले हफ्ते यह उम्मीद जतायी थी कि केंद्र की भाजपा सरकार राज्य की भारी रिण भुगतान संकट के बारे में सकारात्मक रुख अपनायेगी. राज्य के ऋण की अदायगी में कुछ समय की रोक लगाने के मुद्दे पर संप्रग सरकार के साथ कई बैठकों के बावजूद तृणमूल सरकार कोई भी आश्वासन लेने में विफल रही थी.ममता ने भाजपा के सत्ता में आने के लिए कांग्रेस को दोष दिया.उन्होंने कहा : हमने जब सरकार छोड़ी तो कांग्रेस के बुरे दिन शुरु हो गये. उन्हें किसी (सहयोगी) पर भरोसा नहीं था और किसी को भी विश्वास में नहीं लिया जाता था.


वाइलेंस की वजह से जीता तृणमूल

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लोकसभा चुनाव परिणाम के बाद वामपंथियों के अस्तित्व को लेकर सवालिया निशान लगने शुरू हो गये हैं. पहले पश्चिम बंगाल में 34 वर्षो से चल रही सरकार का पतन और अब लोकसभा चुनाव में वामपंथी प्रत्याशियों की करारी हार. माकपा सांसदों की स्थिति और बिगड़ी है तथा उनकी संख्या एकल अंक में सिमट कर नौ हो गयी है. सबसे बुरा हाल पश्चिम बंगाल का रहा. पश्चिम बंगाल में फिर से उभरने की कोशिश कर रही वामपंथी पार्टियों की सीटों की संख्या 15 से घट कर दो हो गयी है. वहीं, सत्तारूढ़ दल तृणमूल की सीटों की संख्या 19 से बढ़ कर 34 हो गयी है. जले में नमक का काम भाजपा का बढ़ता प्रभाव ने किया है.


चुनाव में वामपंथी वोटों में भाजपा ने सेंध लगायी है. इससे वामपंथी और भी तिलमिलाये हुए हैं. हालांकि वामपंथी पार्टियों ने हार के कारणों की समीक्षा व पार्टी को मजबूत बनाने की कवायद शुरू कर दी है, लेकिन कोई भी व्यक्तिगत जिम्मेदारी लेने से कतरा रहा है. पश्चिम बंगाल में हार की वजह चुनाव में तृणमूल कांग्रेस की धांधली को बताकर अपना पल्ला झाड़ रहे हैं. माकपा नेता वंृदा करात का मानना है कि बंगाल में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की नेतृत्व वाली तृणमूल सरकार को 34 सीटों पर जीत बैलेट से नहीं, बल्कि वायलेंस (धांधली) की बदौलत मिली. रही पूरे देश की बात तो हार के कारणों पर चर्चा हो रही है और सामूहिक चर्चा के बाद ही तय होगी जिम्मेदारी. लोकसभा चुनाव में माकपा का प्रदर्शन, वर्तमान स्थिति समेत कई मुद्दों को लेकर माकपा पोलित ब्यूरो की सदस्य वंृदा करात से प्रभात खबर के संवाददाता अमित शर्मा से विशेष बातचीत हुई. आइये जानते हैं उनसे बातचीत के प्रमुख अंश :

पूरे देश में माकपा महज नौ सीटों पर सिमट गयी. इतनी बड़ी शिकस्त का क्या कारण मानती हैं?

इस बार लोकसभा चुनाव में माकपा का प्रदर्शन बेहतर नहीं रहा. हार के कारणों की समीक्षा की जा रही है. विगत 18 मई को माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक में प्राथमिक रूप से चर्चा की गयी. चुनाव के दौरान पार्टी के कार्यो की समीक्षा को लेकर छह जून को माकपा पोलित ब्यूरो की बैठक होगी. सांगठनिक ताकत को बढ़ाने पर विचार विमर्श किया जायेगा. इसके बाद केंद्रीय समिति की बैठक सात व आठ जून को होगी. इसके बाद राज्य इकाइयों की बैठक होगी. माकपा सांगठनिक नियमों के अनुरूप चलती है. किसी की व्यक्तिगत राय से फैसले नहीं लिये जाते हैं. सभी मुद्दों पर सामूहिक चर्चा के बाद ही जिम्मेदारी तय होगी.

विगत लोकसभा चुनाव में बंगाल में माकपा को नौ सीटें मिलीं, लेकिन इस बार महज दो. कहां कमी रह गयी?

मतदान के पहले से ही राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने हिंसा का वातावरण तैयार किया था. रिगिंग, हिंसा के बीच मतदान हुआ. बंगाल में हार के प्रमुख कारणों में यह सबसे प्रमुख है. यानी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस को जीत बैलेट की बदौलत नहीं वायलेंस से मिली. अन्य कारणों को लेकर राज्य इकाई की होनेवाली बैठक में समीक्षा की जायेगी. इसके बाद ही कुछ कहा जा सकता है.

आप रिगिंग की बात कह रही हैं. मतदान में चुनाव आयोग की भूमिका के विषय में क्या कहेंगी?

मतदान के दौरान माकपा द्वारा हिंसा व अन्य मुद्दों को लेकर चुनाव आयोग के समक्ष 466 से ज्यादा मामले दर्ज कराये गये. यदि आयोग इन शिकायतों पर गौर करता, ठोस कदम उठाये जाते तो बंगाल में निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव हो पाते. मतदान के दौरान मतदाताओं व वामपंथी कार्यकर्ताओं पर हमले हुए. महिलाओं को भी नहीं बख्शा गया. आलम यह रहा कि गर्भवती महिला मतदाता पर हमले हुए. कहा जा सकता है कि मतदान निष्पक्ष और शांतिपूर्ण करा पाने में चुनाव आयोग नाकाम रही और उसकी भूमिका पक्षपातपूर्ण, निराशाजनक और उदासीन रही.

तृणमूल सरकार के कार्यो को 10 में से कितना नंबर देंगी?

सरकार के रूप में कार्य करने की क्षमता तृणमूल कांग्रेस के पास नहीं है. आम जनता को केवल धोखा देने की कोशिश की जा रही है. बंगाल में हिंसा की राजनीति की जा रही है. महिलाओं की सुरक्षा पर संशय की स्थिति बनी हुई है. विपक्षी दलों पर हमले जारी हैं. मौजूदा सरकार की कोई गुणवत्ता नहीं है. विकास मूलक कार्य नहीं हुए हैं. ऐसे में 10 में एक भी अंक नहीं दे सकती.




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