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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Thursday, May 15, 2014

मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी!

मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

मोदी नहीं, तो ममता बनर्जी!


सौजन्य अखिल भारतीय कांग्रेस पार्टी।हम पहले से कह लिख रहे थे कि बंगाल में  तीसरे चरण के मतदान के बाद साफ जाहिर है कि कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व और ममता बनर्जी में समझौता हो गया। इंतजार की घड़ी खत्म होने जा रही है। लोकसभा चुनाव 2014 के परिणाम आने में 24 घंटे भी नहीं बचे हैं और सबकी नजरें अब सिर्फ नंबर्स पर है। लेकिन क्या चुनाव आने के पहले ही सस्पेंस कहीं खत्म हो गया है।मजे की बात तो यह है कि कांग्रेसी दांव के मुकाबले एग्जिट पोल्स में बीजेपी-एनडीए की बढ़त को अतिश्योक्तिपूर्ण करार देते हुए शरद पवार भी थर्ड फ्रंट को हकीकत में बदलने के लिए जयललिता, ममता बनर्जी, नवीन पटनायक और जगन मोहन रेड्डी जैसे क्षत्रपों से फोन पर संपर्क कर रहे हैं।


12 मई को बताया था कि पोस्ट पोल सर्वे के मुताबिक देश में एनडीए की सरकार बनने जा रही है। ताजा आंकड़ों में एनडीए की स्थिति और भी मजबूत हो गई है।


आईबीएन7-सीएसडीएस के नए आंकड़ों के मुताबिक एनडीए को 274-286 सीटें मिलने की संभावना है। पहले ये आंकड़ा 270-282 सीटों का था। दरअसल आईबीएन7-सीएसडीएस ने पूर्वोत्तर के राज्यों में एनडीए के गठबंधन को पहले अपने सर्वे में शामिल नहीं किया था, इसलिए पहले 4 सीटें कम थीं।


अकेले बीजेपी की बात करें तो सर्वे के मुताबिक इसे 230-242 सीटें मिलने का अनुमान है। वहीं यूपीए का आंकड़ा 92-102 सीटों पर सिमटता दिख रहा है। अकेले कांग्रेस को 72-82 सीटें मिलती दिख रही हैं।




चुनाव प्रचार के दौरान दीदी का केंद्र विरोधी तेवर खत्म था तो पहले शारदा फर्जीवाड़े मामले में सीबीआई जांच में मंत्रियों, सांसदों और नेताओं के बाद परिजनों के कटघरे में खड़ा कर दिये जाने के बाद दूसरे क्षत्रपों की तरह दीदी के सामने आत्म समर्पण करने के अलावा कोई विकल्प बचा ही नहीं था।


तीसरे चरण के मतदान के बाद बंगाल में चुनाव को प्रहसन बताने में वाम और भाजपा नेताओं के साथ साथ खूब मुखर थे कांग्रेस के नेता।लेकिन चौथे और पांचवें चरण में एकतरफा छप्पा वोट और पार्टी प्रत्याशी,मतदान एजंट,समर्थकों कार्यकर्ताओं और वोटरों की पिटाई से लेकर हत्या के बाद कांग्रेस की कोई आवाज कहीं से नहीं आ रही है।


कांग्रेसतरफे दीदी की ईमानदारी का सर्टिफिकेट जारी किया जा रहा है।


आनन फानन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और दीदी के सबसे प्रबल विरोधी अधीर चौधरी को दिल्ली बुलाकर चुप करा दिया गया और कांग्रेस प्रवक्ता राशीद अल्वी के हवाले धर्मनिरपेक्ष पक्ष की ओर से दीदी का नाम भी प्रस्तावित हो गया।जबकि चुनाव के बाद कराए गए एक्जिट पोल और ओपिनियन पोल में एक दिशा साफ दिखाई दे रही है। ये दिशा इस ओर इशारा कर रही है कि नरेंद्र मोदी की अगुवाई में एनडीए काफी आसानी से सरकार बना लेगी और कांग्रेस और यूपीए का एतिहास में शायद सबसे खराब प्रदर्शन होगा।



कांग्रेस नेता राशीद अल्वी ने संप्रदायिकता विरोधी ताकतों को ममता बनर्जी के नेतृत्व में एकजुट होने की अपील की है। गौरतलब है कि कांग्रेस और तृणमूल 2011 के विधानसभा चुनाव में एक साथ थे लेकिन इस लोकसभा चुनाव में दीदी ने 'एकला चालो' की नीति अपना रखी है. इसी बीच कांग्रेस ने अल्वी के बयान से किनारा कर लिया है।

राशीद अल्वी ने यह स्वीकार किया कि इस चुनाव में कांग्रेस के लिए सरकार बनाना मुश्किल है। ऐसे में पार्टी सांप्रदायिक ताकतों को रोकने के लिए तीसरे मोर्चे का समर्थन कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार बनाना हमारे लिए कठिन हो सकता है, लेकिन नरेन्द्र मोदी को सत्ता से बाहर रखने के लिए सभी धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट होना चाहिए। कांग्रेस नेता ने सुझाव दिया कि सभी क्षेत्रीय धर्मनिरपेक्ष दलों को एकजुट होना चाहिए और अपने नेता का चुनाव करना चाहिए. कांग्रेस पार्टी धर्मनिरपेक्ष सरकार बनाने से कभी नहीं हिचकिचाएगी।

ममता बनर्जी के नाम का सुझाव देते हुए कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि मेरा सुझाव होगा कि क्षेत्रीय दलों को ममता बनर्जी को अपना नेता चुनना चाहिए जो कि संदेह के परे धर्मनिरपेक्ष, सक्षम और ईमानदार हैं।


इसी बीच,मोदी को रोकने की मुहिम को तमिलनाडु से भी नया बल मिला क्योंकि एआईएडीएमके नेता मलयसामी को नरेंद्र मोदी की तारीख करना भारी पड़ा। पार्टी सुप्रीमो जयललिता ने उन्हें बर्खास्त कर दिया है। कल ही मलयसामी ने नरेंद्र मोदी और जयललिता के बीच अच्छे रिश्ते की बात कही थी। उन्होंने कहा था कि नरेंद्र मोदी और जयललिता अच्छे दोस्त हैं। मलयसामी के बयान के बाद माना जा रहा था कि एआईएडीएमके नरेंद्र मोदी सरकार को समर्थन कर सकती है। हालांकि, एक्जिट पोल के मुताबिक एनडीए अपने बूते सरकार बनाने में कामयाब होगा।


नरेंद्र मोदी के खिलाफ खुली जिहाद का ऐलान करके बंगाल में धर्म आधारित ध्रूवीकरणके पीछे मोदी स बड़ा हाथ दीदी का रहा है।


शरणार्थी मामले में कभी नहीं बोलने वाली,मरीचझांपी नरसंहार मामले तक को लगातार वायदा करने के बाद न खुलवाने वाली,मतुआ वोट दखल के बावजूद उनकी नागरिकता बहाल करने के लिए कोई पहल न करने वाली दीदी ने बांग्लादेशी घुसपैठियों के खिलाफ तलवार निकाल ली।तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी ने नरेंद्र मोदी के खिलाफ प्रहार जारी रखते हुए यह भी कहा कि अगर मोदी प्रधानमंत्री बन गए तो देश जल उठेगा। ममता बनर्जी ने बीजेपी के पीएम कैंडिडेट नरेंद्र मोदी के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी भी  की है। ममता ने मोदी के प्रधानमंत्री बनने की संभावना को खारिज करते हुए उन्हें गधा तक कह दिया।


जिससे मुसलमान वोट बैंक के अलावा हिंदू शरणार्थी वोट बैंक पर भी उनका एकतरफा कब्जा हो गया।


इसपर दीदी चाहती तो अपनी नवहर्माद वाहिनी पर अंकुश लगाकर दीदी शांतिपूर्ण मतदान सुनिश्चित करके भी आसानी से कांग्रेस,भाजपा और वामदोलों को शिकस्त दे सकती थी,जिनकी पिलहाल बंगाल की राजनीति में न प्रासंगिकता बाकी है और न उनका कोई मजबूत जनाधार है।


लेकिन दीदी केंद्र में किंगमेकर बनने के ऐलान के साथ साथ प्रधानमंत्रित्व की दावेदारी पहले ही पेश कर चुकी है।


बाकी क्षत्रपों का दावा खारिज करने के लिए उनके लिए अधिकतम सीटें जीत लेना सर्वोच्च प्राथमिकता बन गयी।


कांग्रेस नेतृत्व ने उनकी राजनीतिक महत्वांकाक्षा को समझते हुए बेहत शातिराना ढंग से बंगाल में बिसात बिछा दी जिसे समझे बूझे बिना मोदी ने दीदी की हवा बना दी तो चुनाव आयोग ने केंद्र के इशारे पर खु्ल्ला मैदान छोड़ दिया।


जब चुनाव आयोग के बंगाल प्रभारी ही मान रहे हैं कि उनसे गलती हुई और बंगाल में तो बिहार और यूपी से बदतर हालात हैं,तो हजारों बूथों में खुली डकैती होने के बावजूद पांच ही सीटों पर पुनर्मतदान की औपचारिकता क्यों निभायी गयी,समझना मुश्किल नहीं है।


एक्जिट पोल के नतीजे वास्तविक नतीजे नहीं होते और इसीके मद्देनजर काग्रेस के सफाये के बावजूद केंद्र की सत्ता पर नियंत्रण रखने के लिए बंगाल कार्ड खेल दिया है।


कांग्रेस का तात्कालिक लक्ष्य मोदी को धर्मनिरपेक्षता के बहाने रोकना है और अपने समर्तन से केंद्र में ऐसी सरकार बनाना है जो देर सवेर गिर जाये।कांग्रेस ऐसा बारबार करती रही है।


मध्यावधि चुनाव में प्रियंका गांधी को वाड्रा पहेली बुझाकर सामने लाकर कांग्रेस फिर आराम से सत्ता में आ सकती है।


इसी बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी पर बीजेपी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर निशाना साधा है। नरेंद्र मोदी ने टीवी18 ग्रुप के ईटीवी चैनल से खास बातचीत में कहा कि बंगाल के विकास में ममता नाकाम रही हैं। इतना ही नहीं उन्होंने ये भी कहा कि ममता को चुनाव में तगड़ा झटका लगने वाला है। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि अगर केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो ममता बनर्जी को केंद्र से पूरी मदद दी जाएगी।


भाजपा को स्पष्ट बहुमत मिल जाये,तो यह दांव बेकार चला जायेगा।लेकिन कांग्रेस अपनी तरफ से हर संभव कोशिश कर रही है।वहीं दीदी ने भी अपने घोड़े क्षत्रपों के वहां दौड़ाने शुरु कर दिये हैं।हालात तो इतने खराब हैं कि तमाम सर्वे बीजेपी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार को भारी जीत दिला रहे हैं। वहीं कांग्रेस को 100 सीटें मिलना भी मुश्किल लग रहा है। ऐसे में कांग्रेस दफ्तर के बाहर नतीजों के पहले ही उससे निपटने की तमाम तैयारियां शुरू हो गई हैं। हालांकि तैयारियां देख कर यही लग रहा है कि कांग्रेस अच्छे नतीजों के प्रति आश्वस्त दिख रही है। हालांकि एक गौर करने वाली बात ये रही कि कांग्रेस दफ्तर के बाहर से सोनिया और राहुल के सारे पोस्टर हटा लिए गए हैं। हालांकि कांग्रेस ने हार की आशंका से पोस्टर हटाने की बात को खारिज कर दिया है।


दूसरी ओर,प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के विदाई भोज से राहुल गांधी का गायब होना कई सवाल खड़े कर रहा है। बताया गया कि राहुल गांधी ने शनिवार को ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात कर उन्हें बता दिया था कि वो शहर में नहीं रहेंगे और उन्होंने पहले ही उनका शुक्रिया अदा किया। लेकिन राहुल गांधी की अनुपस्थिति को लेकर राजनीतिक हलकों में हलचल मच गई है।


जहां कांग्रेस अपने उपाध्यक्ष की अनुपस्थिति का बचाव कर रही है वहीं विरोधी राहुल गांधी पर हमला करने का ये मौका भला कैसे चूक सकते हैं। शिवसेना नेता संजय राउत ने भी राहुल गांधी पर चुटकी ली है। संजय राउत ने कहा कि राहुल गांधी विदेश में ही रहते हैं बस छुट्टी मनाने के लिए भारत आते हैं। संजय राउत का ये भी कहना है कि राहुल गांधी निराशा छुपाने के लिए विदेश में जाकर बैठ गए हैं।



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