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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, September 27, 2014

महायुतीत महाफूट पुनः आला सम्राट नीरो स्वमहिमासहित,सम्मुखे सर्वनाश मराठा मानुष। शिवाजी-फूले-आंबेडकरांच्या महाराष्ट्र मध्ये प्रचंड दुष्काल युति राजकरण करण पलाश विश्वास

महायुतीत महाफूट

पुनः आला सम्राट नीरो स्वमहिमासहित,सम्मुखे सर्वनाश मराठा मानुष।


शिवाजी-फूले-आंबेडकरांच्या महाराष्ट्र मध्ये प्रचंड दुष्काल युति राजकरण करण

पलाश विश्वास

महाराष्ट्र अब युति महायुति अवसरवादी राजकरण के महासर्वनाशकाल के चरमोत्कर्ष पर है।थांबा,मराठा मानुष।या राजकरण सर्वनाश आवाहन किले।भारत की वाणिजियिक राजधानी मुंबई सह संपूर्ण महाराष्ट्रे मराठा मानुष के नामे प्रांतीय मराठा राष्ट्रवाद बनाम हिंदू राष्ट्रवाद क्रीड़ा में लूट खसोट सहयोग समन्वय का घटस्फोट होला।


शिवाजी फूले आंबेडकर दुकानों की और उसी मुताबिक अध भक्त पैदल सेनाओं से सजे महाराष्ट्र लेकिन सर्वकालीन दुष्कालमध्ये हैं।सुधार अश्वमेध के केंद्रीय कृषि मंत्री के प्रांत में लाखों लोग खेतों खलिहानों में आत्महत्या करते रहे हैं और उनने राजनीति से सन्यास भी लिया बताते हैं।अब वे हिंदुत्व के असली दावेदारों के कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण की तरह अवतरित हो रहै हैं।


मराठा मानुष को क्या मिला,इसका हिसाब आज तक महाराष्ट्र में किसी ने नहीं पूछा।किसान आंदोलन,मजदूर आंदोलन और आंबेडकरी आंदोलन सबकुछ महाराष्ट्र में केसरिया है।कारपोरेट केसरिया कब्रस्तान में तब्दील मराठा मानुष लेकिन अब भी माझा महाराष्ट्र मधील मदहोश है।बारंबार विश्वासघात मध्ये,बारंपार घटस्फोट मध्ये बनते बिगड़ते राजकरण समीकरण मध्ये वह बेचारा बेगाना शादी में अब्दुल्ला दीवाना ,जिसे कुछ मिलने को नहीं है।हिंदुत्व पैदल फौजम में रोजी रोटी है,लेकिन पगार मिलनार नको।


यावत आवहे फिर भारतीय कृषि के सर्वनाश सुप्रीम सिपाहसालार महाराष्ट्र राजकरण के भीष्म पितामह हैं.जो महाराष्ट्र का चाहे जो हो शुधार कार्यक्रमे खाजगीकरण वैश्वीकरण देश बेचो अभियान में अपना हिस्सा लेने को तैयार हैं।मराठा मानुष साठी सम्मुखे दुष्काल सर्वव्यापी दस दिगन्ते।


दरअसल राजकरण समीकरण टिकट बंटवारे का मामला हैइच नको।भाजपाच्या बुलेट विकास कार्यक्रमे आपण शेयरसाठी लड़ाई।युती टुटनार उपरांते केंद्रीय मंत्रिमंडले शिवसेनाच्या कोटा जागा भरनार,शरद पवार मौका फायदा झट उठा रहे हैं।पटेल सुले फिट हुआ तो मराठवाड़ा बूम बूम।परंतु मराठावाड़ा मध्ये दुष्काल फकत राजकरण आहेत।वैसे ही जैसे,विदर्भमध्ये किानो की थोक आत्महत्याकारणे फकत पवार राजकरण आणि आयात निर्यात खेल संपूर्ण देशमध्य कृषि को बाट लगा दिया।


पुनः आला सम्राट नीरो स्वमहिमासहित,सम्मुखे सर्वनाश मराठा मानुष।कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना का गठबंधन टूटने के साथ ही काँग्रेस-राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी का गठजोड़ भी टूट गया है. ... दोनों गठबंधन टूटने के साथ ही महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।


नेहरु जमाने से सत्ता राजनीति सिपाहसालार शरद पवार के मैदान मारने का सही वक्त यही है।क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति गुरुवार को एक ही दिन दो प्रमुख गठबंधनों के टूटने की गवाह बनी और इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद रोचक हो गया क्योंकि अब चारों प्रमुख दल भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा के पुराने गठबंधनों के टूटने के बाद महाराष्ट्र की चुनावी फिजा में काफी गर्मी पैदा हो गई है।


फिलहाल,महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने इस्तीफा दे दिया। एनसीपी के साथ कांग्रेस के 15 वर्ष पुराने गठबंधन के टूटने से उनकी सरकार के अल्पमत में आने के एक दिन बाद उन्होंने इस्तीफा दिया है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि चव्हाण आज शाम राजभवन पहुंचे और अपना इस्तीफा राज्यपाल सी. विद्यासागर राव को सौंप दिया। यह तुरंत पता नहीं चल पाया कि उन्हें फिलहाल कार्यवाहक मुख्यमंत्री के तौर पर जिम्मेदारी संभालने के लिए कहा गया है या राज्य में विधानसभा चुनावों से पहले थोड़े समय के लिए राष्ट्रपति शासन लगेगा। जो भी हो पवार के पौ बारह।


भाजपा-शिवसेना के गठबंधन की गांठ टूटने  के एक दिन बाद शिवसेना ने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए उसे महाराष्ट्र का शत्रु करार दिया । शिवसेना ने कहा कि हमारे अन्य (महायुति) गठबंधन सहयोगी चाहते थे कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन कायम रहे । इससे भी बड़ी बात यह थी कि महाराष्ट्र के 11 करोड़़ लोग क्या चाहते हैं । जिन लोगों ने इन भावनाओं को आहत किया वे महाराष्ट्र के शत्रु हैं ।

पार्टी के मुख पत्र ''सामना'' में संपादकीय में लिखा गया है ''यह (गठबंधन को तोड़ना) संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 105 मराठी शहीदों का अपमान है। शिवसेना ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 25 साल से हिंदुत्व की विचारधारा से बंधा हुआ शिवसेना-भाजपा गठबंधन खत्म हो गया है ।



तो दूसरी ओर,महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद 15 साल से राज्य में सत्तारुढ़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठबंधन भी टूट गया। एनसीपी ने कांग्रेस पर अडि़यल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उसे 124 सीटें मंजूर नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसकी ताकत बढ़ी है इसलिए वह विधानसभा की 288 में से आधी सीटें मांग रही थी।


महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार, प्रदेश एनसीपी अध्यक्ष सुनील तटकरे और एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफफुल पटेल ने मुंबई में संवाददाता सम्मेलन में पार्टी के अकेले चनाव लड़ने की घोषणा की। उहोंने कहा कि एनसीपी ने हमेशा कांग्रेस का साथ निभाया, लेकिन अब हमें उसका फार्मूला मंजूर नहीं है। अजित पवार ने कहा कि पार्टी के फैसले महाराष्ट्र के राज्यपाल को भी अवगत कराया जाएगा।


पटेल ने कहा कि 15 साल से मुख्यमंत्री की कुर्सी कांग्रेस के ही पास है। लोकसभा में चुनाव हमारी ताकत बढ़ी इसलिए हमने अधिक सीटों की मांग की थी। साल 2009 में कांग्रेस ने हमें विधानसभा की सीटें यह कहकर कम दी थी कि लोकसाभा चुनाव में हमारी कम सीटें आई हैं।


उन्होंने कहा कि कल रात कांग्रेस ने बिना हमारे साथ चर्चा किए ही अपने प्रत्याशियों की एक सूची जारी कर दी। कांग्रेस के इस तरह के रवैए के बाद अब हमारे सामने कोई और विकल्प नहीं रह गया है। कांग्रेस ने कल रात 118 सीटों के लिए अपने प्रत्याशी घोषित कर दिए थे।


लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की दो सीटों के मुकाबले चार सीटें जीतने के बाद एऩसीपी ने यह कहना शुरू कर दिया था कि विधानसभा में वह आधी सीटों पर चुनाव लड़ेगी लेकिन कांगेस इसके लिए तैयार नहीं हुई। उसने 124 सीटें देने का प्रस्ताव रखा था जिसे एनसीपी ने मंजूर नहीं किया। एनसीपी ने यह मांग भी की थी कि गठबंधन के सत्ता में आने पर इस बार आधे-आधे कार्यकाल के लिए दोनों पार्टियों के पास मुख्यमंत्री पद रहेगा। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 174 और एनसीपी 114 सीटों पर लड़ी थी।


युती तुटणार कि युती टिकणार…यावर काही दिवसांपासून चर्चा सुरू होती अखेरीस गेल्या 25 वर्षांपासूनचा युतीचा संसार तुटला आहे।


मूठभर लोकांसाठी अच्छे दिन आहेत. राज्यात शिवसेना-भाजप युती तर काँग्रेस - राष्ट्रवादी यांची आघाडी तुटली. त्यामुळे प्रत्येक पक्षाचे उमेदवार निवडणूक रिंगणात असतील. उमेदवारांचे पिक आलेय. तुमच्यासाठी चांगले दिवस आहेत. तुम्ही चांगले पिक (उमेदवार) आहे ते ठेवायचे आणि बाकीचे (पसंत नसतील ते उमेदवार) तन उपटून टाका, असा सल्ला राष्ट्रवादीचे अध्यक्ष शरद पवार यांनी मतदारांना दिला. जालन्यात आज जाहीर सभा झाली. यावेळी ते बोलत होते.


महाराष्ट्र श्रीमंत आहे, पण मराठी माणूस गरीबच आहे।सही लिहेला,औद्योगिक गुंतवणुकीत महाराष्ट्र पहिल्या क्रमांकावर होता. ... शिक्षण , औद्योगिक गुंतवणूक आणि कृषी या क्षेत्रांत एकेकाळी अग्रस्थानी असलेले महाराष्ट्र राज्य पिछाडीवर पडल्याचा डोळ्यात अंजन घालणारा निष्कर्ष ..... याला करण राजकरण ... धर्मांध शक्तींना सत्तेपासून दूर ठेवण्यासाठी समाजवादी पार्टीने विधानसभा निवडणूक लढविण्याचा निर्णय घेतला आहे. कोणत्या पक्षाशी युती करायची हा पक्षश्रेष्ठींचा अधिकार असल्याने त्यावर तूर्तास तरी निर्णय झाला ...अता शिवसेना-मनसे युतीच्या चर्चेमुळे खळबळ।शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे आणि मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे एकत्र आल्यास आनंदच होईल, अशी प्रतिक्रिया मनसे आमदार बाळा नांदगावकरा यांनी दिली.  ठाकरे घराण्याचाच मुख्यमंत्री होण्याची इच्छा त्यांनी व्यक्त केली.


महाराष्ट्र में अब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ेंगे। पहली बार कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही समाजवादी पार्टी के लिएमहाराष्ट्र रिश्तों की प्रयोगशाला साबित होगा। इस गठबंधन की कोशिश कथित सेक्युलर मतों को एकजुट करना है। अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो इसे भविष्य में यूपी और दूसरे प्रदेशों में भी आजमाया जा सकता है। फिलहाल एसपी को गठबंधन में महाराष्ट्र में 8 सीटें मिलेंगी। बिखर रहे थे वोट महाराष्ट्र में एसपी 2009 में भिवंडी, मानखुर्द (शिवाजीनगर) और नवापुर सीटें जीती थीं।


एकीकडे युतीचा संसार तुटला त्यापाठोपाठ राष्ट्रवादीनेही काँग्रेसशी काडीमोड घेतला आहेत. गेली 15 वर्षांपासून एकत्र सत्तासंसार थाटलेल्या काँग्रेस आणि राष्ट्रवादीने जागावाटपाच्या तिढ्यावरून घटस्फोट घेतला आहेत. एवढंच नाहीतर राष्ट्रवादी आता आघाडी सरकारमधून बाहेर पडणार आहे. अजित पवारांसह सर्वच मंत्री आपल्या मंत्रीपदाचा राजीनामा देणार आहे.


शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे यांची तोफ उद्या सायंकाळी ५ वाजता महालक्ष्मी रेसकोर्सच्या मैदानावर धडाडणार असून शिवसेनेच्या प्रचाराचा शंखनाद होईल. भाजपने ऐन निवडणुकीच्या तोंडावर शिवसेनेसोबतची २५ वर्षांची युती तोडल्याची घोषणा केल्यानंतर शिवसेना पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे प्रथमच आठवडाभरातील राजकीय घडामोडींवर भाष्य करणार आहेत. महालक्ष्मीच्या साक्षीने उद्धव ठाकरे उद्या नेमके काय बोलणार, कोणती गर्जना करणार याकडे अवघ्या महाराष्ट्राचे लक्ष लागले आहे. या दणदणीत सभेनंतर विधानसभा निवडणुकीच्या प्रचारात खर्‍या अर्थाने रंग भरणार आहेत. शिवसेनेच्या प्रचाराचा धडाकेबाज शुभारंभ मुंबईतील या पहिल्या सभेने होणार आहे. या सभेची जय्यत तयारी करण्यात आली असून, महाराष्ट्राच्या कानाकोपर्‍यातील शिवसैनिक पक्षप्रमुखांची भूमिका आणि आदेश ऐकण्यासाठी आतुर झाला आहे. विधानसभेवर शिवसेनेचा भगवा ध्वज डौलाने फडकवून हिंदुहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बाळासाहेब ठाकरे यांचे स्वप्न साकार करण्याचा बेलभंडाराच तमाम शिवसैनिक यावेळी उचलणार आहेत.............................................


शिवसेना ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए 25 साल पुराना गठबंधन तोड़ने वालों को महाराष्ट्र का शत्रु करार दिया। शिवसेना ने कहा हमारे अन्य गठबंधन सहयोगी चाहते थे कि शिवसेना-बीजेपी गठबंधन कायम रहे। इससे भी बड़ी बात यह थी कि महाराष्ट्र के 11 करोड़ लोग क्या चाहते हैं। जिन लोगों ने इन भावनाओं को आहत किया वे महाराष्ट्र के शत्रु हैं।

bjp_shiv sena

पार्टी के मुख पत्र सामना में संपादकीय में लिखा गया है यह गठबंधन को तोड़ना 105 मराठी शहीदों का अपमान है। शिवसेना ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 25 साल से हिंदुत्व की विचारधारा से बंधा हुआ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन खत्म हो गया है।

संपादकीय में कहा गया है, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अंत तक ईमानदारी से प्रयास किया कि बीजेपी और महायुति के अन्य दलों के साथ हमारा गठबंधन बना रहे। आगे लिखा है, अब आगे जो भी होगा वह देखा जाएगा। जो भी मां तुलजा भवानी की इच्छा होगी वही होगा। केवल एक इच्छा है कि इस पूरी राजनीति में महाराष्ट्र के भविष्य का गणित न प्रभावित हो।

इसके अनुसार, गुरूवार तक जो लोग इस खेमे में प्रार्थना कर रहे थे अब वे दूसरे खेमे में नमाज पढ़ रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं को एकीकत मुंबई और महाराष्ट्र की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि शिवसेना और उसका केसरिया ध्वज महाराष्ट्र की रक्षा करेगा।



सामना संपादकीयः

जे महाराष्ट्राच्या व हिंदुत्वाच्या मुळावर आले त्यांच्यावर तमाम मराठीजनांनी एकवटून एक जबरदस्त दणकाच घातला. मर्‍हाटी माणसांच्या हितावर आणि महाराष्ट्राच्या इज्जतीवर निखारे ठेवणार्‍यांना महाराष्ट्राने त्याच मातीत धुळीस मिळवले आहे. महाराष्ट्र मर्दांचा आहे. हाच मर्दानी बाणा कायम ठेवा! तेव्हा कंबर बांधा! उठा, सज्ज व्हा!

उठा, सज्ज व्हा!

आत्मसन्मानाची लढाई

महाराष्ट्र हा जात्याच लढवय्या आहे आणि हिंदुत्वाचे व राष्ट्राचे संरक्षण करणे हा तर महाराष्ट्राचा पिढीजात वसा आहे. शिवराय महाराष्ट्रातच का जन्मास आले? महाराष्ट्रानेच मोगलांचे थडगे का बांधले? अफझलखानाचा कोथळा आम्हीच का काढला? आणि शाहिस्तेखानाची बोटे पुण्यातच का छाटली? याचे उत्तर महाराष्ट्राच्या शूर मातीत आहे. जे जे महाराष्ट्रावर मतलबासाठी चाल करून आले ते याच मातीत गाडले गेले किंवा कायमचे नामशेष झाले. संयुक्त महाराष्ट्राची चळवळ अगदी भरात होती तेव्हाची गोष्ट. पु. मं. लाड तेव्हा केंद्रीय माहिती व नभोवाणी मंत्रालयाचे सचिव होते. महाराष्ट्रासंबंधी उलटसुलट विचार प्रकट करणारे राज्यकर्त्यांचे अनेक भक्त त्यांच्याकडे येत. त्यावेळी लाड त्यांना एक ठरावीक उत्तर देत असत. 'महाराष्ट्राबद्दलचा कोणताही निर्णय घेण्यापूर्वी औरंगाबादला जाऊन औरंगजेबाचे थडगे पाहून या' असे ते सांगत. औरंगजेबाचे थडगे हे मराठ्यांच्या जिद्दीचे प्रतीक आहे. महाराष्ट्राच्या अस्मितेचे, झुंजार पराक्रमाचे स्मारक आहे. जे जे महाराष्ट्राचा आत्मसन्मान व स्वाभिमान पायदळी तुडवायला येथे आले त्यांची गत औरंगजेबाच्या थडग्यासारखीच झाली हा इतिहास आहे. इतिहास वरवर जरी चक्रासारखा दिसला तरी प्रत्येक वेळेला तो पुढे पुढे जातो, त्याच्यात प्रगती होते. दुसरे म्हणजे काही काही दिवसांनी एक युगपुरुष जन्माला येतो आणि तो इतिहास घडवतो. महाराष्ट्रात शिवरायांनंतर

इतिहास घडविण्याचे कार्य शिवसेनाप्रमुखांनी

केले. शिवरायांनी पहिले हिंदवी स्वराज्य स्थापन केले, पण संपूर्ण देशात हिंदुत्वाची भगवी पताका फडकवण्याची जिद्द बाळगली ती शिवसेनाप्रमुखांच्या महाराष्ट्रानेच! महाराष्ट्रात औरंगजेबाचे थडगे आहे. त्या थडग्यावर धर्मांध मुसलमान व कॉंग्रेसछाप पुढारी गुडघे टेकण्यासाठी जातात. चटावलेले राजकारणी प्रत्यक्ष औरंगजेबाच्या थडग्यावर गुडघे टेकण्यासाठी जात नसले तरी 'मूंह में राम बगल में औरंगजेबाची सुरी' घेऊन महाराष्ट्रावर गुळण्या टाकण्याचा प्रयत्न करतात तेव्हा आश्‍चर्य वाटते. महाराष्ट्रात व देशात हिंदुत्व रुजावे यासाठी शिवसेनाप्रमुखांनी असंख्य घाव झेलले. जुन्या औरंगजेबाप्रमाणे नव्या औरंग्यांना धुळीस मिळवले. त्याचीच फळे आज दिल्ली व महाराष्ट्रात डवरलेली दिसत आहेत. 'रियासत'कार सरदेसाईंनी औरंगजेबाच्या प्रचंड स्वारीच्या थाटाचे वर्णन दिले आहे. या स्वारीनेच महाराष्ट्रातील लोकांना घाबरवून सोडण्याचा त्याचा प्रयत्न होता. ''मिरवणुकीच्या वाटेवर कुदळी-फावडी घेतलेले हजारो लोक सर्वांपुढे रस्ता साफ करीत जात असत. त्यांच्यामागे

औरंगजेब बादशहाचा प्रचंड तोफखाना

व घोडेस्वार चालत. मध्ये असंख्य उंट, हत्ती व गाडे असून त्यांजवर बादशहाचे जडजवाहीर, खजिना, सरकारी कामाची दप्तरे, खाण्यापिण्याचे जिन्नस व इतर अनेक प्रकारचे सामान भरलेले असे. त्याच्यामागे (दिल्लीहून निघालेली) बादशहाची स्वारी हत्तीवर, घोड्यावर किंवा पालखीत बसून येई. बादशहाच्या मागे खास पागेचे स्वार चालत. त्याच्या पाठीमागे जनानखाना असे. पुढील मुक्काम तयार झाल्याशिवाय मागचा मुक्काम उठत नसे.'' मावळ्यांशी लढण्यासाठी त्यांनी मुद्दाम मेवाडी, बुंदेल वगैरे पहाडी लोक आपल्याबरोबर आणलेले होते. तोफखान्यावर भाडोत्री युरोपियन गोलंदाज नेमलेले होते. मराठेशाहीच्या समूळ उच्चाटनाची प्रतिज्ञा करून अशा जय्यत तयारीने हा बादशहा महाराष्ट्रात तळ ठोकून बसला, पण शेवटी इतकी वर्षे झुंजूनही तो महाराष्ट्र काबीज करू शकला नाही. औरंगजेब मेला तेव्हा सम्राट अशोकालाही जितके राज्य लाभले नाही अशा अफाट राज्याचा तो स्वामी झाला होता, परंतु हा डोलारा मराठ्यांनी पोकळ ठरविला व त्याच्या पाठोपाठच तो कोसळला. जेता होण्यासाठी आलेला औरंगजेब महाराष्ट्राच्या मातीतच मिसळून गेला. महाराष्ट्राने राष्ट्रहित जपले. राजकीय स्वार्थासाठी हिंदुत्वाची कवचकुंडले कधी वापरली नाहीत. जे महाराष्ट्राच्या व हिंदुत्वाच्या मुळावर आले त्यांच्यावर तमाम मराठीजनांनी एकवटून एक जबरदस्त दणकाच घातला. मर्‍हाटी माणसांच्या हितावर आणि महाराष्ट्राच्या इज्जतीवर निखारे ठेवणार्‍यांना महाराष्ट्राने त्याच मातीत धुळीस मिळवले आहे. महाराष्ट्र मर्दांचा आहे. हाच मर्दानी बाणा कायम ठेवा! तेव्हा कंबर बांधा! उठा, सज्ज व्हा!


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