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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, July 10, 2015

आपकी बेटी के साथ ऐसा हो तो ? मैं ये खत पूरे देश के नाम लिख रही हूं...

आपकी बेटी के साथ ऐसा हो तो ?

मैं ये खत पूरे देश के नाम लिख रही हूं...
28 जून की सुबह मैंने 'सेल्फी विद डॉटर' पर अपनी राय रखकर संगीन जुर्म सी गलती कर दी। कई लोगों ने इस अभियान को बेटियों के लिए अच्छा बताया। लेकिन मुझे ठीक नहीं लगा। मेरी भी 11 महीने की बेटी है। मैंने उसे ही दिमाग में रखते हुए कहा था कि सिर्फ सेल्फी खींचकर ही बेटियों का सम्मान नहीं बढ़ाया जा सकता। बस! मेरे इस कमेंट ने तो मानो मेरे लिए नर्क के द्वार खोल दिए। लोगों के नफरत भरे ट्वीट्स की बाढ़ आ गई। दो दिन तक ये सिलसिला चला। सिर्फ मुझे ही नहीं, मेरे परिवार, पति और बच्ची तक को गालियां दी गईं।
मैंने तो सिर्फ प्रधानमंत्री की योजना में सुधार पर ध्यान देने को कहा था। क्या मैं गलत थी? मैं देश की नागरिक हूं, टैक्स देती हूं। क्या मेरा इतना भी हक नहीं? कितने दुख की बात है कि सिर्फ पुरुष ही नहीं, मुझे भद्दी-भद्दी बातें कहने वालों में महिलाएं भी शामिल थीं। आप सभी ने मुझसे एक बेटी, एक पत्नी, एक मां और सबसे महत्वपूर्ण एक महिला होने का जो सम्मान था, वो छीन लिया। जो पुरुष कुछ मिनट पहले बेटियों के साथ सेल्फी पोस्ट कर रहे थे, एक ही मिनट बाद वो मेरे बारे में अपमानजनक बातें कह रहे थे। मुझसे पूछ रहे थे कि क्या मुझे अपने असली पिता का नाम पता है? बचपन में यौन शोषण तो नहीं हुआ जो सेल्फी विद डॉटर का विरोध कर रही हूं? महिलाएं, पूछ रहीं थीं कि क्या मैं प्रॉस्टीट्यूट हूं? क्या मैं बेटी को भी ऐसा ही बनाना चाहती हूं? मैं ये सोचकर ही कांपती हूं कि आपके बेटों के मन में महिलाओं के प्रति कितना सम्मान होगा।

एक तरफ आप बेटियों की संख्या बढ़ाने की बातें करते हैं, दूसरी तरफ ऐसा व्यवहार! जो भी लोग 48 घंटों तक मेरे पीछे पड़े रहे, वे एक पल के लिए सोचें कि अगर आपकी बेटी के साथ ऐसा होता तो कैसा लगता? मुझे इसका जवाब पता है। इसका जवाब 'ना' ही होगा क्योंकि आप सब तो फोटो खिंचाने में और उस पर लाइक और रिट्वीट बटोरने में बिजी थे। मैं अपने प्रधानमंत्री से कहना चाहती हूं कि डियर सर, हकीकत में आप महिलाओं को सशक्त बनाना चाहते हैं तो ऐसी बातें जो आपके नाम से फैलाई जा रही हैं उनकी निंदा करें। देश में सेल्फी से नहीं, सुधारों से बदलाव आएगा।

सेल्फी विद डॉटर कैंपेन पर कमेंट करने पर श्रुति लोगों के गुस्से का शिकार हुईं।

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