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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Tuesday, August 1, 2017

क्यों तमाम आदरणीय सत्ता के खिलाफ खड़ा होने से हिचकिचाते हैं और खंडन के सिवाय अपना पक्ष रख नहीं पाते? जबकि उनके लिखे में सामाजिक यथार्थ और बदलाव के लिए युद्ध घोषणा दोनों हैं,हकीकत में वे अपना मोर्चा के भगोड़ा हैं।

क्यों तमाम आदरणीय सत्ता के खिलाफ खड़ा होने से हिचकिचाते हैं और खंडन के सिवाय अपना पक्ष रख नहीं पाते?
जबकि उनके लिखे में सामाजिक यथार्थ और बदलाव के लिए युद्ध घोषणा दोनों हैं,हकीकत में वे अपना मोर्चा के भगोड़ा हैं।
पलाश विश्वास
मैं काशीनाथ सिंह जी का बहुत सम्मान करता रहा हूं।उनका अपना मोर्चा हमारे छात्र जीवन का अनिवार्य पाठ रहा है।मोदी को लेकर उनका स्टैंड हमेशा अजब गजब रहा है।जब बनारस में मोदी उम्मीदवार थे,तब भी काशीनाथ जी के वक्तव्य को लेकर गलतफहमी फैली थी।काशीनाथ जी लिखते चाहे जो रहे हों,किसी सामाजिक यथार्थ के परिप्रेक्ष्य में अपना पक्ष रखने से वे हमेशा पीछे हटते रहे हैं,यह हम जैसे लोगों के लिए गहरे सदमे की वजह है।बनारस के ही सशक्त कवि धूमिल की आपातकालीन भूमिका याद आती है,जो उनकी कविताओं के खिलाफ जाती है।
भले ही पत्र किसी ने शरारत से जारी किया हो,मुद्दा सही है और हमें उम्मीद थी कि काशीनाथ सिंह इस पर अपना पक्ष जरुर रखेंगे।ऐसा हुआ नहीं है।उनकी रचनाओं में हम जिस काशीनाथ सिंह को पाते है,वह काशी के अस्सीघाट में कहीं तितिर बितर हो जाता है।
हिंदी के अनेक क्रातिकारियों का ाचरणकुल मिलाकर यही है और इसलिए संस्कृतिकर्मियों की साख कहीं बची नहीं है।
सत्ता राजनीति के हिसाब से चलने की काशीनात सिंह जैसे व्यक्तित्व की कोई मजबूरी हो सकती है,यह हिंदी परिदृश्य,रचनाधर्मिता और सामाजिक यथार्थ के साथ समय की चुनौतियों के संदर्भ में बेहद जटिल और गंभीर प्रश्न हैं।अब लगता है कि सामाजिक बदलाव में शायद विद्वतजनों और संस्कृतकर्मियों के कुलीन तबके की कोई भूमिका नहीं रह गयी है।
यह हम जैसे मामूली मीडियाकर अछूत नाकाम लोगों के लिए बहुत बड़ी चुनौती है।
काशीनाथ जी ने अपनी कहानियों में फर्जी कामरेडों की खूब खिल्ली उड़ायी है और आज उनके ही रचे चरित्र उनके व्यक्तित्व और कृतित्व पर हावी हो रहे हैं और देश और जनता के जीवन मरण परिदृश्य में साहित्य संस्कृति की नपुंसकता की उत्तर आधुनिक कथा प्रस्तुत करते हैं।
हम आज भी काशीनाथ जी का बहुत सम्मान करते हैं।उनका हमने लिटरेटडाट काम के लिए एक लंबा साक्षात्कार लिया था,जिसमें उनके कहे को आज के उनके आचरणसे मिला नहीं पा रहा हूं।यह मेरी निजी विडंबना है।

संदर्भः
Gopal Rathi पत्र काशीनाथ जी ने नहीं लिखा फिर भी बहुत महत्वपूर्ण मुद्दे की ओर ध्यान आकर्षित करता है l दोस्तो अब कवि ,लेखकों साहित्यकारों को डिस्टर्ब करना ठीक नही है कोई मोदी से पंगा मोल नही लेना चाहता सब सयाने जानते है कि ये इतनी जल्दी नहीं जाएगा इसलिए नाहक क्रांतिकारिता दिखाने का कोई मतलब नहीं है l सभी साहित्यिक बिरादरी को प्रणाम l

काशीनाथ सिंह ने किसी भी तरह का पत्र लिखने से किया इनकार

देश के प्रमुख मानवाधिकार संगठन पीयूसीएल के पदाधिकारी रहे चितरंजन सिंह के फेसबुक वाल पर किया गया है पत्र शेयर।जिसे महत्वपूर्ण मानते हुए हम तमाम लोगों ने शेयर बी किया है,इसका भारी अफसोस है।सोशल मीडिया पर काशीनाथ सिंह ने कहा है कि एक वाट्सअप मैसेज को मेरे नाम पर किया जा रहा है सर्कुलेट, किसी ने की है बदमाशी, मैंने कभी नहीं लिखा प्रधानमंत्री के नाम कोई पत्र।

कौन सा पत्र काशीनाथ सिंह के नाम पर हो रहा है वायरल, जिसको लिखने से काशीनाथ सिंह ने कर दिया है इनकार

आदरणीय प्रधान मंत्री जी,
माफ़ कीजिएगा. पाकिस्तान की तारीफ़ कर रहा हूं.

बुरा लगे तो और माफ़ कर दीजिएगा लेकिन आज पाकिस्तान की तारीफ़ का दिन है.

पाकिस्तान ने साबित कर दिया है कि वहां कानून का शासन है. कोई कितना भई करप्शन कहे लेकिन वहां करप्शन के मुद्दे पर माफ़ी नहीं हैं.

वहां घोटाला करके प्रधानमंत्री भी नहीं बचता लेकिन हमारे यहां प्रधानमंत्री का कृपापात्र होने भर से कई की नैया पार हो जाती है. जिस पनामा लीक केस में नवाज शरीफ की सरकार गई है उसी पनामा लीक में मोदी जी के देश के 500 नाम हैं.  इंडियन एक्सप्रेस बाक़ायदा लिस्ट भी छाप चुका है.   नाम जानना चाहते हैं तो फिर बता देता हूं. लिस्ट में मोदी जी के सगे गौतम अडानी के बड़े भाई विनोद अडानी का नाम है.

मोदी के सबसे नज़दीकी सितारे अमिताभ बच्चन का नाम है. उनकी बहू ऐश्वर्या राय का नाम है. देशभक्त एक्टर अजय देवगन का नाम है.

मोदी जी आपके सगे चीफ मिनिस्टर रमन सिंह के बेटे अभिषेक सिंह का नाम भी उसी केस में है जिसमें पाकिस्तान के पीएम नवाज़ शरीफ को दोषी माना गया और उन्हें सज़ा भी होगी. बंगाल के शिशिर बजोरिया का नाम है और अनुराग केजरीवाल का भी नाम है.

रमन सिंह के बेटे के पास ये दौलत कहां से आई होगी? इसके लिए अलग से जानकारी देने की ज़रूरत नहीं हैं. मोदी जी सबसे समझदार पीएम हैं. अंदाज़ा आसानी से लगा सकते हैं. चलो ये सब तो मोदी जी और उनकी पार्टी के सगे हैं. लेकिन इकबाल मिर्ची का आपकी सरकार कुछ क्यों नही बिगाड़ सकी? इंडिया बुल्स के मालिक भी पनामा में नोटों का खेल खेलकर इस मजे में हैं.

आप ईमानदारी के नाम पर बिहार की सरकार पलट देते हैं,  लेकिन इस मामले में कुछ नहीं कर पाते. ज़रा पाकिस्तान से ही सीखिए, जहां की सुप्रीम कोर्ट ने प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ को सलाखों का रास्ता दिखा दिया!

आइसलैंड से सीखिए, जहां के पीएम ने इस्तीफा दे दिया. आप तो कहते थे कि मैं न खाऊंगा न खाने दूंगा, लेकिन ये नोटों का अजीर्ण लिए घूम रहे नाम क्या आपने अखबार में नहीं पढ़े?

क्या पनामा लीक्स के बारे में आपको कुछ नहीं पता? खैर! नहीं पता तो बता देता हूं. वैसे भी ये वो देश है जहां का टूर अभी तक आपने नहीं किया है. पनामा मध्य अमेरिका का एक छोटा सा देश है.

पनामा में विदेशी निवेश पर कोई टैक्स नहीं लगता है, इसी वजह से पनामा में लगभग "साढ़े तीन लाख" सीक्रेट कंपनियां है. पनामा में 'सेक फाॅन्सेका' नामक फर्म, विदेशियों को पनामा में शेल कंपनी (फेक कंपनी) बनाने में मदद करती है जिसके जरिये कोई भी व्यक्ति, अपना नाम पता बताए बगैर यहां संपत्ति खरीद सकता है.

इसी कंपनी के लीक हुऐ दस्तावेजों में दुनिया भर के बडे नेताओं प्रमुख खिलाडियों और अन्य बडी हस्त्तियों के नाम सामने आये हैं जिन्होनें अरबों डॉलर की राशि पनामा में छुपाई हुई है.इनमें आइसलैंड और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ, यूक्रेन के राष्ट्रपति, सऊदी अरब के राजा और डेविड कैमरन के पिता का नाम प्रमुख है.

इनके अलावा लिस्ट में व्लादिमीर पुतिन के करीबियों, अभिनेता जैकी चैन और फुटबॉलर लियोनेल मेसी का नाम भी है. दुनियाभर में इन दस्तावेजों के आधार पर एक्शन हो रहे हैं.

मोदी जी आप क्या कर रहे हैं? कुछ कर डालिए. आपसे देश को इतिहास में सबसे ज्यादा उम्मीदें हैं।

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