तो प्याज की परतें खुलने लगी हैं कि हवाओं में तापदाह की खुशबू है!कारपोरेट बाघों के हमले से आम आदमी के कौन बचायेगा?
एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
बदहाल टाटा मोटर्स ने किया उत्पादन बंद!अमेरिका, यूरोप और ब्राजील की तर्ज पर भारत में भी पेट्रोल के दाम में रोज बदलाव हो सकता है।दूसरी ओर रुपये के गिरने का सिलसिला जारी है। जब डालर वर्चस्व की गुलामी मंजूर कर ली तो अब काहे का रोना? नवउदारवादी खुले बाजार की अर्थ व्यवस्था कारपोरेट अराजकता बतौर निनाब्वे फीसद जनता पर क्या क्या कहर ढाने वाली है, इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है। विश्वपुत्र, सत्तावर्ग के सर्वाधिनायक रायसिना की ओर कूच कर चुके हैं तो वित्तीय प्रबंधन की कमान नवउदारवाद के जनक मनमोहन के हाथों में हैं। कितना घातक समीकरण है यह। विश्वभर में कारपोरेट साम्राज्य का विस्तार कर चुका टाटा मोटर्स अचानक उत्पादन बंद कर देता है तो रिलायंस गैस के दाम बढ़ाने का फरमान जारी कर चुका है। दिनेश त्रिवेदी की बलि जिस वजह से हुई, जनमुखी तृणमूली रेलमंत्री मुकुल राय के हाथों उसी एजंडा को अंजाम दिया जाना है। रेलवे किराये में वृद्धि तय है। एक जुलाई से रेल में एसी क्लास की तीनों श्रेणियों और फस्र्ट क्लास में सफर करना 3.6 प्रतिशत महंगा हो सकता है। रेलवे को इन श्रेणियों पर मिलने वाली सर्विस टैक्स की छूट इसी महीने खत्म हो रही है। वित्त मंत्रालय इस छूट आगे भी जारी रखे इसकी संभावना बहुत कम है। यह छूट खत्म होने से रेलवे पर 5500 से छह हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। रेलवे इस बोझ को झेलने की हालत में नहीं है। ऐसे में किराया बढ़ाना जरूरी है। विदेशी निवेश और विदेशी पूंजी के लिए देश को खुला आखेटक्षेत्र बनाने का चाकचौबंद इंतजाम करके वित्त मंत्रालय से विदा लेते लेते प्रणव दादा संकेत दे गये कि और कड़े होंगे उपाय। तो प्याज की परतें खुलने लगी हैं कि हवाओं में तापदाह की खुशबू है।भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) और विश्व बैंक समूह बाघ और जैव विविधता संरक्षण के लिए 'इंडिया वाइल्ड लाइफ बिजनेस काउंसिल' का गठन के लिए सहमत हुए हैं।कारपोरेट बाघों के हमले से आम आदमी के कौन बचायेगा?
टाटा मोटर्स का चौथी तिमाही का समेकित शुद्ध लाभ दोगुना से अधिक होकर 6,234 करोड़ रुपये रहा, जबकि आय 44.27 प्रतिशत बढ़कर 50,907.90 करोड़ रुपये हुई।लेकिन मजे की बात है कि देश की सबसे बड़ी वाहन निर्माता कंपनी टाटा मोटर्स मंदी की चपेट में आ गई है।टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा को प्रतिष्ठित रॉकफेलर फाउंडेशन ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया है।मालूम हो कि भारत में नवउदारवादी व्यवस्ता में भारी योगदान है राकफेलर का। राकफेलर दुनियाभर में युद्धों और गृहयुद्धों के सिलसिले में राथचाइल्ड के साथ बहुचर्चित नाम है। चाचा के पुरस्कृत होने के साथ साथ उत्पादन बंद होने का संयोग अनकही कह देता है। टाटा मोटर्स ने मांग में कमी होने के कारण जमशेदपुर स्थित अपने वाहन संयत्र में गुरुवार से पूर्ण बंदी की घोषणा कर दी है। टाटा मोटर्स के जमशेदपुर प्लांट में 3 दिन तक बंद रखने का फैसला किया है। कंपनी के मुताबिक मौजूदा आर्थिक हालात की वजह से 28-30 जून तक उत्पादन नहीं होगा।टाटा मोटर्स ने भंडार न बढ़ाने के लिए उत्पादन बंद करने का फैसला किया है। कंपनी ने फैसला मजदूरों की सहमति से लिया गया है।उत्पादन बंद रहने से 10000 कर्मचारियों पर असर पड़ेगा। कर्मचारी यूनियन के मुताबिक 2 महीने से उत्पादन में भारी गिरावट आई है।इस बीच सीमेंट, रियल एस्टेट, टायर इंडस्ट्री के बाद अब कॉम्पिटिशन कमीशन (सीसीआई) की नजर ऑटो कंपनियों पर है।कई कार कंपनियों के स्पेयर पार्ट्स बाजार में आसानी से नहीं मिलते हैं। इन स्पेयर पार्ट्स को खरीदने के लिए लोगों को कार कंपनियों के ऑथराइज्ड सेंटर पर ही जाना पड़ता है, जहां पार्ट तो महंगे होते ही हैं, सर्विस भी बहुत महंगी होती है।सीसीआई महंगे स्पेयर पार्ट्स से जुड़ी शिकायतों की जांच कर रहा है। सीसीआई के मुताबिक स्पेयर पार्ट खुले बाजार में नहीं बेचना कॉम्पिटिशन के खिलाफ है। असली स्पेयर पार्ट सिर्फ कंपनी के पास होने का बेजा फायदा उठाया जा रहा है।मारुति सुजुकी, महिंद्रा एंड महिंद्रा, टाटा मोटर्स के स्पेयर पार्ट आसानी से मिलते हैं। वहीं फोक्सवैगन, होंडा, टोयोटा, फोर्ड, जनरल मोटर्स के पार्ट्स मिलने में दिक्कत होती है।कंपनियों की दलील है कि डुप्लीकेट माल से बचने के लिए ऑथराइज्ड सेंटर पर ही स्पेयर पार्ट बेच जाते हैं।टाटा मोटर्स के प्रवक्ता पी जे सिंह ने बताया कि ट्रक, ट्रेलर, ट्रिप्पर व अन्य मल्टी एक्सेल वाहन बनाने वाले भारी वाहन संयंत्र में 28 से 30 जून तक उत्पादन बंद रहेगा। इसके बाद 31 जून को रविवार की सामान्य बंदी होने के कारण उत्पादन एक जुलाई से शुरू होगा।बताया जा रहा कि टीएमएल ड्राइवलाइन तथा अमेरिका की कमिंस इंक के साथ टाटा मोटर्स की आधी हिस्सेदारी वाली डीजल इंजन उत्पादक कंपनी के संयंत्रों में भी बंदी की घोषणा कर दी गई है। इस दौरान तीनों संयंत्रों में वेतन में भी कटौती की जाएगी।टाटा मोटर्स में आम दिनों में लगभग 1200 वाहन इकाइयों का उत्पादन प्रतिमाह होता है जो हाल में घट कर करीब 5500 इकाई पर आ गया था।
वित्त मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार संभालते ही प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने की कवायद में जुट गए है। प्रधानमंत्री ने बुधवार को अपने आर्थिक सलाहकार सी रंगराजन और योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया के साथ वित्त मंत्रालय के सचिवों को साथ बैठक की।यह कवायद कैसी है , मौजूदा तेज होती आक्रामक कारपोरेट हलचल इसका खुलासा कर रही है।नॉर्थ ब्लॉक में गृह मंत्रालय के एक कार्यालय में आग लगने के मुश्किल से दो दिन बाद बुधवार को शास्त्री भवन में मामूली आग लग गई।शास्त्री भवन की चौथी मंजिल पर कानून एवं न्याय मंत्रालय, कार्मिक, लोक शिकायत व पेंशन मंत्रालय के सहित कई मंत्रालयों के कार्यालय हैं।प्रधानमंत्री के सामने इस समय सबसे बड़ी समस्या देश की अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने की है, जो वर्ष 2011.12 की अंतिम तिमाही में पिछले एक दशक के निचले स्तर 5.3 प्रतिशत पर पहुंच गई। इसके अलावा डॉ सिंह के समक्ष यूरो जोन के संकट से कैसे निपटा जाए और देश के शेयर बाजारों में निवेशकों का विश्वास फिर से कैसे बहाल हो इसके उपाय भी ढूंढने होंगे।सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री रिजर्व बैंक के गवर्नर डी सुब्बाराव और उनके मताहतों से कल मिलेंगे। शुक्रवार को प्रधानमंत्री की कृषि मंत्रालय के अधिकारियों से मुलाकात का कार्यक्रम है। इस बैठक में प्रधानमंत्री देश में खेती उत्पादन की स्थित का जायजा लेंगे। इस वर्ष मानसून सामान्य की तुलना में कमजोर नजर आ रहा है जिससे कृषि उत्पादन में गिरावट की चिंताए सताने लगी हैं। इसकी वजह से सरकार पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में बढ़ोत्तरी का दबाव बढ़ने लगा है जिससे सबसिडी का बोझ बढ़ सकता है।
अमेरिका, यूरोप और ब्राजील की तर्ज पर भारत में भी पेट्रोल के दाम में रोज बदलाव हो सकता है। तेल मंत्रालय सरकारी तेल कंपनियों पर इंटरनैशनल मार्केट के आधार पर रोजाना कीमत रिवाइज़ करने के लिए दबाव बना रहा है।सूत्रों के मुताबिक, सरकार के उच्च पदस्थ अधिकारियों और ऑयल-रीटेल कंपनियों के बीच इस मुद्दे पर चर्चा चल रही है। देश की सबसे बड़ी ऑइल रिटेलर इंडियन ऑइल कॉर्पोरेशन(आईओसी)को इस कॉन्सेप्ट पर एक नोट तैयार करने के लिए कहा गया है। फिलहाल ऑइल रिटेलर्स हर पखवाड़े में तेल के दाम में बदलाव का ऐलान करते हैं। तय की जाने वाली कीमत का आधार औसत रीजनल बल्क का बाजार मूल्य और डॉलर के मुकाबले रुपए की कीमत होता है। मंत्रालय पेट्रोल के दाम में रोजाना बदलाव के आइडिया पर इसलिए दबाव डाल रहा है क्योंकि वह राजनैतिक आलोचना से बचना चाहता है। जब भी पेट्रोल के दाम में बढ़ोतरी होती है तो सरकार विपक्षी दलों की कड़ी आलोचना और जनता की नाराजगी का शिकार हो जाती है।मंत्रालय का मानना है कि अगर पेट्रोल के दाम की समीक्षा रोजाना स्तर पर होती है तब दाम बढ़ाने में कोई दिक्कत पेश नहीं आएगी। वहीं, दाम घटाना तो वैसे भी कभी मुश्किल नहीं रहा, कीमत में बढ़ोतरी करने के लिए हर बार क्लियरेंस लेना पड़ता है।
सॉफ्ट ड्रिंक निर्माता कंपनी कोका कोला (Coca Cola) ने भारत में अपना निवेश बढ़ाने का फैसला किया है। भारतीय बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत बनाने के लिए कंपनी ने अपना निवेश करने का लक्ष्य बढ़ाकर 500 करोड़ डॉलर कर दिया है। इससे पहले नवंबर महीने में कंपनी ने भारत में 5 साल के अंदर 200 करोड़ डॉलर निवेश करने का ऐलान किया था। कंपनी भारत में अपनी सहयोगी कंपनियों के साथ मिलकर यह निवेश साल 2020 तक करेगी।
ओएनजीसी के सीएमडी, सुधीर वासुदेव का कहना है कि बढ़ते सब्सिडी बोझ को देखते हुए सरकार को डीजल, केरोसीन और रसोई गैस की कीमतों में बढ़ोतरी करनी चाहिए।
सुधीर वासुदेव के मुताबिक अप्रैल-जून तिमाही के प्रोविजनल सब्सिडी बोझ को देखते हुए वित्त वर्ष 2013 में सब्सिडी बोझ कम होने की संभावना कम है।
ओएनजीसी विदेश की लिस्टिंग पर ओएनसीजी विचार कर रही है। ओएनजीसी विदेश की लिस्टिंग से जुड़े मुद्दों पर पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ बातचीत की जा रही है।
सुधीर वासुदेव का मानना है कि 2014 के पहले गैस की कीमतें नहीं बढ़ेंगी। देश के कुल गैस उत्पादन 50 फीसदी हिस्सा ओएनजीसी से आता है।
अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपया 57.15 के स्तर पर बंद हुआ है। मंगलवार को रुपया 57.02 के स्तर पर पहुंचा था।रुपये ने मजबूती के साथ 57 के ऊपर खुला था। लेकिन, शुरुआती कारोबार में ही रुपये में कमजोरी बढ़ती नजर आई और रुपया 57 के स्तर के नीचे फिसल गया था। कारोबार के दौरान रुपये ने 57.22 का निचला स्तर छुआ।बाकी मुद्राओं के मुकाबले डॉलर में मजबूती आने का असर रुपये पर नजर आया। साथ ही, यूरोपीय समिट के पहले यूरो में सपाट कारोबार हो रहा है और डॉलर के मुकाबले यूरो अपने 2 हफ्तों के निचले स्तर पर बना हुआ है।आरबीआई बैंकों द्वारा सोने के सिक्के बेचे जाने पर रोक लगा सकता है। माना जा रहा है कि सोने के बढ़ते आयात को देखते हुए आरबीआई ये फैसला लेने वाला है।देश के कुल आयात में सोने का बड़ा हिस्सा होता है। आरबीआई का मानना है कि अगर बैंक सोने का आयात कम कर देते हैं, तो व्यापार घाटे में कमी आ सकती है, जिससे गिरते रुपये को सहारा मिलेगा।2008 में रुपये में मजबूती को देखते हुए आरबीआई ने बैंकों को सोना आयात करने की छूट दी थी।हालांकि सोना कारोबारियों के मुताबिक आरबीआई के इस कदम से न तो रुपये की गिरावट थमेगी और न ही सोने के भाव कम होंगे।
वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने ब्याज दरों में कटौती की मांग की है। वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने 19 जून को पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को ब्याज दरें घटाने की मांग को लेकर चिट्ठी लिखी थी।सूत्रों का कहना है कि वाणिज्य मंत्री ने वित्त मंत्री को लिखी चिट्ठी में आरबीआई पर निशाना साधा है। वाणिज्य मंत्री का कहना है कि आरबीआई निवेश बढ़ाने से ज्यादा मंहगाई पर ध्यान देता है। वित्त वर्ष 2010 में ब्याज दरें बढ़ने के बावजूद महंगाई पर ज्यादा असर नहीं हुआ था। खाने-पीने की चीजों से महंगाई दर में बढ़ोतरी होती है।चिट्ठी के जरिए आनंद शर्मा ने वित्त मंत्री से आरबीआई को मददगार और उदारवादी मौद्रिक नीति बनाने की अपील की है। वाणिज्य मंत्री की दलील है कि ब्याज दरों में बढ़ोतरी से सब्जी, दूध और दाल
दिल्ली वाले 1 जुलाई से ज्यादा बिजली का बिल भरने के लिए तैयार हो जाएं। 1 जुलाई से दिल्ली में बिजली 24 फीसदी तक महंगी हो जाएगी। वहीं कमर्शियल इस्तेमाल के लिए बिजली पर करीब 19 फीसदी ज्यादा चुकाने होंगे। दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने ऐलान किया था कि राजधानी में बिजली की दरों में बढ़ोतरी हो सकती है।शीला दीक्षित के मुताबिक बिजली के दाम इस महीने के शुरूआत में ही बढ़ाने चाहिए थे। क्योंकि बिजली कंपनियों को लगातार घाटे का सामना करना पड़ रहा है।
रिलायंस इंफ्रा के सीईओ, ललित जालान का कहना है कि बिजली की दरें कम होने की वजह से कंपनी को 2 रुपये प्रति यूनिट यानी 20 करोड़ रुपये का रोजाना घाटा हो रहा है। दिल्ली में दरें बढ़ने से कंपनी का घाटा कम होगा।ललित जालान के मुताबिक 10 साल में पावर पर्चेज कॉस्ट में 300 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है, लेकिन दरें सिर्फ 36 फीसदी से बढ़ाई गई हैं।
आईडीबीआई के ईडी, बी के बत्रा का कहना है कि दिल्ली में बिजली की दरें बढ़ना बैंक के लिए अच्छी खबर है। दरें बढ़ने से दिल्ली पावर डिस्ट्रिब्यूशन कंपनी का घाटा कम होगा, जिससे आईडीबीआई के कर्ज का जोखिम घटेगा।
सेंट्रल इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमीशन के चेयरमैन, प्रमोद देव का कहना है कि कोयले और गैस के दाम में बढ़ोतरी को देखते हुए बिजली के कीमतें बढ़ना जरूरी हो गया है।
टाटा समूह के चेयरमैन रतन टाटा को प्रतिष्ठित रॉकफेलर फाउंडेशन ने लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया है। परोपकार के क्षेत्र में नए-नए प्रयोग के लिए उन्हें यह पुरस्कार दिया गया है। यह फाउंडेशन पिछले सौ साल से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नए प्रयोग करने वाले लोगों और संस्थानों को सम्मानित करता आया है। इस साल यह अपनी सौवीं वर्षगांठ मना रहा है।
इस मौके पर रतन टाटा ने कहा कि उद्योगपतियों को इस सच को स्वीकार करना चाहिए कि जिस जगह वह कारोबार चला रहे हैं, उसके विकास की जिम्मेदारी उन्हें ही संभालनी होगी। उद्योगों को समाज को समृद्ध बनाने के कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि विकासशील देशों में आर्थिक विषमता बहुत ज्यादा है। अगर उद्योग जगत इसे लेकर संवेदनशील नहीं बना तो उस क्षेत्र का विकास संभव नहीं हो पाएगा जहां वे कारोबार करना चाहते हैं। कई कंपनियां इस जिम्मेदारी से भाग रही हैं। इससे उद्योग जगत की छवि खराब हो रही है।
उन्होंने कहा कि अफ्रीका और एशिया के कई हिस्सों में गरीबी, भूख और कुपोषण बड़ी समस्या है। वहीं दूसरी तरफ हमारे जैसे लोग हैं जो अच्छा जीवन जी रहे हैं। इसके बावजूद अगर हम इस ओर ध्यान नहीं देते तो यह हमारी असंवेदनशीलता का उदाहरण है। टाटा ने कहा कि हमें केवल उनकी भूख शांत करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए। जरूरत है ऐसे कदमों की जिससे उनका जीवन बदल सके।
टाटा ने कहा कि उनकी कंपनियों में लोग इसी सोच के साथ काम करते हैं। समाज का विकास समूह के कर्मचारियों के खून में है। उन्होंने अपनी कंपनी के स्वयंसेवकों का उदाहरण देते हुए कहा कि सुनामी और भूकंप जैसी आपदाओं में राहत कार्य के लिए कर्मचारी छुट्टी लेकर जाते हैं। उजड़ गए गांवों को गोद लेकर उनका विकास करते हैं और वापस काम पर लौट आते हैं। रॉकफेलर ने पिछले साल यह पुरस्कार अमेरिका के भूतपूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन को दिया था।
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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST
We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas.
http://youtu.be/7IzWUpRECJM
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THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA
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