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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, June 30, 2012

कलाम का सलाम सोनिया के नाम

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कलाम का सलाम सोनिया के नाम

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पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने एक ऐतिहासिक रहस्योद्घाटन किया है जिसका सम्बन्ध संविधान के मौन पक्षों और राष्ट्रपति के प्रमुख संवैधानिक दायित्वों से है. करीब आठ साल बाद कलाम ने, मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक, जल्द ही प्रकाशित होने वाले अपने संस्मरण 'टर्निंग पॉइंट' में इस बात का रहस्योद्घाटन किया है कि वे सोनिया गाँधी के प्रधानमंत्री न बनने के लिए जिम्मेदार नहीं हैं.

सोनिया गाँधी मई २००४ में प्रधानमंत्री क्यों नहीं बन पायीं? उनके विरोधियों की मान्यता रही है कि सोनिया के विदेशी मूल के मुद्दे से जुड़ी किसी तकनीकी समस्या के कारण कलाम ने उन्हें प्रधानमंत्री का दावा न ठोंकने की सलाह दी थी. राष्ट्रपति भवन के इंकार या सुझाव को सोनिया ने अंतरात्मा की आवाज के नाटक में बदल दिया. जबकि सोनिया के समर्थक रह मानते रहे हैं, और सोनिया भी यह कहती रहीं कि, उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर प्रधानमंत्री बनने से इंकार कर दिया था. और सर्वथा के लिए अपना कद बहुत ऊपर उठा लिया था. उस समय इसके लिए सोनिया गाँधी की जो तारीफ हुई थी वह हाल में किसी नेता को मयस्सर नहीं हुई है. उन्हें त्याग की देवी बना दिया गया.

कलाम का नया खुलासा सोनिया की छवि को पुख्ता करता है और विरोधियों का मुंह बंद करता है जो यह मानते हैं कि सोनिया पद की लालची हैं और वे प्रधानमंत्री बनना चाहती थीं लेकिन 'राष्ट्रभक्त' कलाम ने उनके नापाक इरादों को पर नहीं लगाने दिए. कलाम ने लिखा है कि जब उन्होंने मनमोहन को नामित किया तब मुझे 'आश्चर्य ' हुआ था. उन्होंने लिखा है कि विभिन्न संगठनों और राजनीतिक धड़ों से उनके ऊपर सोनिया को प्रधानमंत्री बनने से रोकने के लिए दबाव था लेकिन ये मांगें 'संवैधानिक रूप से असमर्थनीय ' थीं और उन्होंने 'सरकार बनाने का दावा किया होता तो उनको नियुक्त करने के आलावा मेरे पास कोई और विकल्प नहीं था.'

इस तरह के संवैधानिक दायित्व से जुड़े मुद्दे पर आठ साल तक चुप रहने और अफवाहों को फ़ैलने देने के बाद संस्मरण के माध्यम से इस रहस्य से पर्दा उठाने के काम का क्या समर्थन किया जा सकता है? क्या कलाम के इस रहस्योद्घाटन और स्पष्टीकरण को आँख बंद करके सच मान लिया जाए? सोनिया गांधी को जब कलाम ने राष्ट्रपति भवन बुलाया था तो दोनों में अकेले में क्या बातचीत हुई थी यह सिर्फ कलाम जानते हैं और सोनिया गांधी जानती हैं. लेकिन इस बातचीत के बाद जब दोबारा सोनिया गांधी राष्ट्रपति कलाम से मिलने गयीं थीं तो उनके साथ मनमोहन सिंह थे. वही मनमोहन सिंह जो बाद में प्रधानमंत्री पद के प्रत्याशी घोषित किये गये. अगर कलाम ने सोनिया गांधी को नहीं रोका तो पहली बार पीएम की दावेदारी करने गईं सोनिया गांधी को दूसरी बार मनमोहन सिंह के साथ राष्ट्रपति भवन जाने की नौबत क्यों आई?

लेकिन लगता है कि कलाम अब सोनिया गांधी से अपना संबंध ठीक रखने में ही भलाई समझ रहे हैं इसलिए सोनिया मैडम को सलाम भरा पैगाम भेज रहे हैं. वैसे भी कलाम के जीवन की पूरी राजनीतिक उचाईंयां ऐसी ही चापलूसियों के कारण संभव हो पाई है. कल तक राष्ट्रवादियों के प्रतिनिधि अब अगर सोनिया गांधी को सलाम करने लगें तो भला आश्चर्य कैसा?

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