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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, March 13, 2013

लैपटॉप लो और वोट दो By संजय तिवारी

लैपटॉप लो और वोट दो

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उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वितरित किये गये लैपटॉप का स्क्रीन जिसमें समाजवादी सरकार की पूरी छाप लगाई गई हैउत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वितरित किये गये लैपटॉप का स्क्रीन जिसमें समाजवादी सरकार की पूरी छाप लगाई गई है

राजनीति सेवा का ऐसा क्षेत्र है जहां बिना स्वार्थ के कुछ नहीं किया जाता। कुछ नहीं बोले तो कुछ भी नहीं। सांस भी बहुत सोच समझकर ली जाती है और छोड़ी जाती है। शायद इसीलिए राजनीति ऐसा निरंकुश व्यापार हो जाती है जहां लोगों की भलाई के नाम पर अपने वोटों की कमाई की जाती है। उत्तर प्रदेश के अखिलेश यादव का लैपटॉप भी ऐसे ही एक पोलिटिकल बिजनेस मॉडल के रूप में सामने आया है। आज लखनऊ के तालुकेदार कालेज में लैपटॉप वितरण कार्यक्रम की आज विधिवत शुरूआत करते हुए मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने सिर्फ लैपटॉप वितरण योजना को ही अंजाम नहीं दिया बल्कि आगामी आम चुनाव के लिए प्रचार अभियान भी शुरू कर दिया।

जिन्होंने अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री बनने से चार छह महीने पहले मिलने की कोशिश की होगी वे जानते होंगे कि उनकी मुलाकात लखनऊ में शायद ही हुई हो। चुनाव से करीब छह आठ महीना पहले से ही अखिलेश यादव ने साइकिल पर पैडल मार दिया था प्रदेश भर का दौरा शुरू कर दिया था। इतनी साइकिल चलाई होगी जितनी शायद अब तक की जिन्दगी में न चलाई हो। फिरोजाबाद से लेकर फैजाबाद तक अखिलेश यादव हर जगह साइकिल से गये। इस साइकिल यात्रा का नतीजा तब सामने आया जब बैलट बॉक्स खुले और प्रदेश में मायावती का सूपड़ा साफ हो गया। लगभग गुमनामी और तंगहाली में पूरा प्रचार अभियान चलानेवाले अखिलेश यादव ने चुपचाप अपने लिए संभावनाओं का दरवाजा खोल लिया था। अब वे किसी के लिए राइजिंग स्टार थे तो किसी के लिए समाजवादी पार्टी के उज्ज्वल भविष्य। लेकिन अखिलेश ने बहुत पहले से जो काम शुरू किया था उसकी ओर तब भी कम ही लोगों का ध्यान गया।

अपने उसी चुनावी अभियान के दौरान अखिलेश यादव ने एक नारा दिया था कि पढ़ाई और दवाई तो मुफ्त ही होनी चाहिए। सत्ता में आने के बाद अखिलेश यादव को याद था कि उन्होंने पढ़ाई और दवाई को मुफ्त देने की बात कही है। इक्कीसवीं सदी के इस युग में बिना कम्प्यूटर के पढ़ाई का कोई मोल नहीं है। हमारे जीवन के अधिकांश काम काज अब इंटरनेट और कम्प्यूटर के जरिए ही पूरे होते हैं और सचमुच अगर पढ़ाई के दौरान इंटरनेट का साथ मिल जाए तो कहने ही क्या। इसलिए अखिलेश यादव की लैपटॉप देनेवाली स्कीम उन पंद्रह लाख बच्चों के लिए सुनहरे सपने से कम नहीं है जिनके जीवन में कापी कलम दवात के आगे कोई दुनिया होती नहीं है। लेकिन इसी योजना को निर्धारित समय पर पूरा करते हुए लैपटॉप का जो चेहरा सामने आया उसने अखिलेश यादव की नेकनीयती की आड़ में छिपी समाजवादी सरकार की बदनीयती भी सामने ला दी।

अखिलेश यादव के लैपटॉप में सिर्फ 500 जीबी का हार्डडिस्क, 2 जीबी की रैम, एचडी स्क्रीन और डूएल स्पीकर ही नहीं लगा है। इसके हार्डवेयर और साफ्टवेयर पर समाजवादी सरकार का ठप्पा भी लगा है। सिर्फ विन्डोज 7 लगाकर लैपटॉप का लॉलीपॉप थमाने की बजाय स्पेशल प्रोग्रामिंग भी की गई है ताकि इस्तेमाल करनेवाला कभी यह भूल न पाये कि उसे वास्तव में क्या सुनना है और किसे देखना है।

उत्तर प्रदेश में एक सरकारी विभाग है यूपीईसी, यानी उत्तर प्रदेश इलेक्ट्रानिक कारपोरेशन। इस कारपोरेशन के जिम्मे काम बहुत है लेकिन अभी तक इसने ऐसा कुछ किया नहीं है कि इसका नाम बड़े सम्मान के साथ लिया जाए। ऐसे ही विभागों की देन हैं कि उत्तर प्रदेश में आधुनिकता और सूचना संचार का युग इक्कीसवीं सदी का एक दशक पार कर जाने के बाद भी बीसवीं सदी के आखिरी दशक के आगे नहीं निकल पाया है। फिर भी, इसी विभाग ने माननीय मुख्यमंत्री जी के वचन को पूरा करने के लिए लैपटॉप कंपनियों से 15 लाख लैपटॉप सप्लाई करने के लिए निविदाएं मंगवाईं। इतनी बड़ी संख्या में लैपटॉप की खरीदारी हार्डवेयर की आईटी कंपनियों के लिए बड़ा मौका था। तपाक से चार बड़ी हार्डवेयर कंपनियां इस रेस में शामिल हो गईं। एचसीएल, लेनोवो, एचपी और एसर। इन चारों कंपनियों ने जो निविदांएं दी थी उसमें एचपी कंपनी की निविदा में एक लैपटॉप की कीमत टैक्स जोड़ने के बाद 19,058 रूपये थी। और एचपी को ही सप्लाई करने का आर्डर दे दिया गया। एचपी ने आनन फानन में यह सब कैसे किया पता नहीं लेकिन उसने दिसंबर में निविदा हासिल करने के बाद उत्तर प्रदेश सरकार के लिए विशेष तौर पर निर्मित लैपटॉप की पहली खेप तैयार कर लिया और आज से उसके वितरण का कार्यक्रम भी शुरू कर दिया गया।

15 लाख लैपटॉप वितरण की यह पहली ही परियोजना 28 अरब 58 करोड़ 70 लाख की है। एचपी कंपनी के लिहाज से देखें तो उसे सॉलिड बिजनेस मिल गया लेकिन सरकार के लिहाज से देखें तो उन्हें क्या मिला? उन्हें वह मिला जो किसी भी राजनीतिक पार्टी को चाहिए होता है। सत्ता में रहने का लाइसेंस। यह लाइसेंस कोई और नहीं बल्कि जनता देती है। इस लाइसेंस को पाने के कई प्रकार हैं लेकिन अखिलेश यादव ने अपनी महत्वाकांक्षी परियोजना को ही अपने लाइसेन्स एग्रीमेन्ट में तब्दील कर दिया। लैपटॉप को ही पार्टी के ऐसे चुनाव चिन्ह में तब्दील कर दिया है जो हर वक्त प्रदेश के पंद्रह लाख परिवार में मौजूद रहेगा। लैपटॉप के हार्डवेयर पर भी पार्टी के नेता मुलायम और मुख्यमंत्री अखिलेश की छाप नहीं छोड़ी गई है बल्कि साफ्टवेयर भी पूरी तरह से समाजवादी बनाया गया है। आपरेटिंग सिस्टम के बतौर भले ही विन्डोज सेवेन को स्टैंडर्ड रखा गया है लेकिन एचपी कंपनी ने विशेष तौर पर साफ्टवेयर में ऐसा कन्फीगरेशन किया है कि लाल निशान इस लैपटॉप की अमिट छाप बन जाए। उस झोले तक को नहीं छोड़ा गया है जिसे लैपटॉप के कैरी बैग के रूप में दिया जा रहा है। उस पर भी नेताजी और बेटा जी मुस्कुराते हुए मौजूद हैं।

लैपटॉप के बाहर भीतर किये गये इस समाजवादी साज श्रृंगार का संदेश साफ है- लैपटॉप लो और वोट दो। लेकिन वोट मांगने का यह प्रचार अभियान अभी यहीं खत्म नहीं होनेवाला। आनेवाले दिनों में जिन्हें लैपटॉप नहीं दिया जा सकेगा उन्हें टेबलेट दिया जाएगा। प्रदेश के हर पढ़ने लिखनेवाले बच्चे के हाथ में ऐसा कुछ होगा जिस पर सीधे तौर पर समाजवाद के नेताजी और सरकार के बेटा जी दोनों मौजूद रहेंगे, यह बताते हुए कि वे ही हैं जो आपके बेहतर भविष्य के बारे में सोचते हैं और काम करते हैं। भला कौन सा ऐसा परिवार होगा जो ऐसे समाजवादी चिंतन को चकनाचूर करना चाहेगा जो उनके बच्चों के ऐसे बेहतर भविष्य के बारे में विचार करता हो। इसलिए लैपटॉप और टेबलेट भले ही बच्चों को दिये जा रहे हैं लेकिन उन पर मौजूद समाजवादी छाप उन्हें प्रभावित करने के लिए हैं जो बड़ी हरशत से अपने बच्चे को लैपटॉप पर लाली लप्पा करते हुए देखेंगे। आप ही सोचकर बताइये है कोई और ऐसी स्कीम जिस पर महज 28 अरब रूपया खर्च करके 15 लाख घरों तक चुनाव चिन्ह पहुंचा दिया जाए? है तो वह भी अखिलेश यादव को बताइये। वे उसे भी पूरा करने की कोशिश करेंगे।

http://visfot.com/index.php/current-affairs/8626-laptop-scheme-of-up-government.html

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