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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, August 5, 2013

कब खुलेगा आमरी अस्पताल?

कब खुलेगा आमरी अस्पताल?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

कोलकाता महानगर में एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट [आमरी]  अस्पताल अरसे से महानगर ही नहीं राज्य के चिकित्सा मानचित्र का बड़ा केंद्र रहा। यहां बांग्लादेश से भी बड़े पैमान पर मरीज अपना इलाज कराने आते रहे हैं। लेकिन आमरी में आग लगन केद दो साल बीत जाने के बावजूद यह अस्पताल अभी खुला नहीं है।9 दिसंबर, 2011में हुए इस अग्निकांड में 99लोग,जिनमें अधिकांश अस्पताल में भरती मरीज और अस्पताल के कर्मचारी थे, की मौत हो गयी थी। दुर्घटना के बाद अस्पताल का लाइसेंस रद्द कर दिया गया था।फिर आपराधिक लापरवाही के आरोप में अस्पताल के छह निदेशकों को गिरफ्तार बी किया गया। जो बाद में जमानत पर छूट गये और अस्पताल का लाइसेंस भी बहाल हो गया।लेकिन अस्पताल खुलने के आसार नहीं बने।अग्निकांड में मारे गए लोगों को अस्पतालप्रबंधन, राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने आर्थिक अनुदान देने का ऐलान कर तो दिया था, लेकिन उनके परिजनों के साथ क्या गुजरी इसकी फिर किसी ने खबर नहीं ली और न  अस्पताल को फिर शुरु करने की कोई पहल हुई।निःसंदेह हादसा बहुत बड़ा है ौर दोषियों को सजा और मारे गये लोगों के परिजनों को मुावजा अवश्य मिलना चाहिए। लेकिन लाइसंस की बहाली और अस्पताल दुबारा खोलने की शर्ते पूरी करने  के बावजूद आमरी का न खुलना भी दुर्भाग्यपूर्ण है,जबकि अस्पतालों में मरीजों के लिे पर्याप्त जगह है ही नहीं।


इस अग्निकांड की खासियत यह थी कि आमरी में इस दुर्घटना से तीन वर्ष पहले यानी 2008 में भी अग्निकांड की घटना घटी थी। आमरी ही क्या कोलकाता  के अन्य  कई नामी-गिरामी अस्पतालों की अव्यवस्थाएं भी आए दिन उजागर होती रही हैं, कभी बच्चों की मौत के रूप में, तो कभी मरीजों का इलाज करने से मना करने के रूप में। आलम तो यह है कि जब आग ने कई नागरिकों को लील लिया, तब जुझारू नेता और अग्निकन्या के रूप में चर्चित  ममता बनर्जी को पता चला कि आमरी में आग बुझाने के इंतजाम नहीं थे। बेसमेंट में रखे कॉटन के ढेर में आग लगने से ही एडवांस मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट [आमरी] अस्पताल में अग्निकांड हुआ। आमरी कांड की जांच में जुटे अग्निशमन विभाग के अधिकारियों व कोलकाता पुलिस के गुप्तचर विभाग की जांच में यह पता चला है। शुरुआती जांच रिपोर्ट में भी इसका जिक्र है।सूत्रों के मुताबिक गुप्तचर विभाग की टीम को जांच के दौरान पता चला है कि अस्पताल के बेसमेंट में रखे गए भारी मात्रा में कॉटन में सबसे पहले आग लगी।मजे की बात तो .ह है कि राज्य के दूसरे बड़े अस्पताल भी जतुगृह बने हुए है।सबस बड़े अस्पताल एसएसकेएम में भी आमरी के बाद अग्निकांड हो गया। लेकिन वहां जान माल का नुकसान कोई खास नहीं हुआ। लेकिन हालात आमरी जैसे सर्वत्र हैं और कहीं भी कभी भी बड़ा हादसाहो सकता है।


दरअसल दमकल विभाग के सर्टिफिकेट के बिना भी बंगाल में निर्माम की परंपरा है। जिसके चलते महानगर कोलकाता में वाम शासन के दरम्यान दो दशक के दौरान आगजनी का दर्जनों घटनाएं घटी है, लेकिन आमारी की आग की लपटों ने सबको बौना कर दिया। बीते साल यानी 2010 में स्टीफन कोर्ट, 2008 में सोदपुर व नंदराम मार्केट, 2006 में तपसिया, 2002 में फिरपोस मार्केट, 1998 में मैकेंजी इमारत, 1997 में एवरेस्ट हाउस व कोलकाता पुस्तक मेला, 1996 में लेंस डाउन, 1994 में कस्टम हाउस और 1993 में इंडस्ट्री हाउस, 1992 में मछुआ फल मंडी, 1991 में हावड़ा मछली बाजार में भयावह आग की घटना घटी चुकी है।  इनमें सबसे ज्यादा मौते बीते साल 23 मार्च के पार्क स्ट्रीट स्थित स्टीफन कोर्ट अग्निकांड में हुई थी, यहां 46 लोग आग की भेंट चढ़ गए थे। बीते 20 सालों में आग की 11 बड़ी घटनाओं में इतने लोगों की मौत नहीं हुई,   जितने लोगों आमरी अग्निकांड में मारे गए।



इस अस्पताल के मालिक आरएस अग्रवाल कोभी ठीक से नहीं मालूम कि कब वह इस अस्पताल को खोल पायेंगे। वाम जमाने में तमाम अति महत्वपूर्ण लोगों के लिए मशहूर आमरि भूतहा बना हुआ है।


अग्रवाल का दावा हैकि दुर्घटना के बाद अस्पताल में जितने भी एहतियाती इंतजाम के उपाय करने का निर्देश दिया गया है,उसीके मुताबिक नयी व्यवस्था बना दी गयी है।लेकिन राज्य सरकार से बार बारगुजारिश करने के बावजूद अस्पताल खोलना संभव नहीं हो पा रहा है।


इमामी एंड श्राची समूह के इस अस्पताल समूह में पश्चिम बंगाल में कुल छह शाखाएं हैं तो बांग्लादेश में भी इसकी चह शाखाएं हैं।इस अस्पताल समूह की स्थापना 1996 में हुई और तेजी से पश्चिम बंगाल और बांग्लादेश में प्रमुख अस्पताल चेन बन गया यह।गौरतलब है कि इस अस्पाताल समूह में राज्य सरकार की भी हिस्सेदारी रही है और इसी वजह से सत्तापक्ष के मंत्रियों नेताओं के इसलाज के लिए यह मशहूर हो गया।


बृहस्पतिवार की काली रात कहे या ब्लैक फ्राई डे। उनके लिए कोई फर्क नहीं पड़ता, जिन्होंने इस मनहूस दिन अपने किसी को खोया है। महंगे, अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस कहे  जाने वाले सात मंजिला इस अस्पताल में भूतल (बेसमेंट) में प्रबंधन की लापरवाही के कारण आग लग गई, जिसने आठ दर्जन से ज्यादा लोगों को मौत की नींद सुला दिया। मीना बसु, शैल दासगुप्त, श्याचरण पाल, नेपालचंद्र गुप्ता समेत अस्पताल में भर्ती करीब एक सौ मरीजों व उनके हजारों घरवालों ने सपने में भी नहीं सोचा होगा कि ये अपने पैर पर चलकर घर नहीं लौट सकेंगे, बल्कि चार लोगों के कंधे के सहारे मरघट पहुंचेंगे।


कोलकाता ही क्या, देश की किसी भी अस्पताल में आगजनी की यह पहली इतनी बड़ी घटना है, जिनसे एक साथ 99 लोगों को खामोश कर दिया या दूसरे शब्दों में को सदा-सदा को लिए चीर नींद में सुला दिया। इस घटना ने भले ही विभिन्न अस्पतालों के प्रबंधन, राज्य सरकार व केंद्र सरकार के सचेत कर दिया हो, बावजूद इसके उनलोगों का दुख कभी कम नहीं हो पाएगा, जिन्होंने इस दर्दनाक हादसे में अपने को खोया है।भले ही अग्निकांड में मारे गए लोगों को अस्पताल प्रबंधन, राज्य सरकार व केंद्र सरकार ने आर्थिक अनुदान देने का एलान किया है, फिर में लोगों को गुस्सा कम होने का नाम ही नहीं ले रहा है। मृतक काशीनाथ सरकार, इशानी दत्ता, शाहिद आलम, ज्ञानेश्व राय के घरवालों ने नाराजगी व गुस्से के साथ कहा कि मुआवजा किसी व्यक्ति की कमी को कभी पूरा नहीं कर सकता। इन लोगों ने बगैर किसी पार्टी, सरकार या नेता का नाम लिए कहा कि अगर मुआवजा ही पर्याप्त है तो मुआवजा का एलान करने वाले लोग अपने किसी घरवाले को मौत के मुंह में घकेल कर दिखाए।


इस हादसे की भयावहता को याद करें तो आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। चिकित्सा व्यवसाय  की साख को इससे जाहिर है जबर्दस्त धक्का लगा। जिसे आमरी को दुबारा चालू करके ही बहाल किया जा सकता है। लेकिन लगता है कि इस हादसे के सदमे से राज्यसरकार अभी उबर नहीं पायी है और जनमानस में आमरी की जो भयावह छवि बनी हुई है, उसेत तोड़ने की हिम्मत नहीं कर पा रही है।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मौके पर हजिर होकर उस हादसे के नजारे को खुद देखा है। घटना की सूचना मिलने पर केंद्रीय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री व स्वास्थ्य मंत्री ममता बनर्जी, शहरी विकास मंत्री फरियाद हकीम, दमकल मंत्री जावेद अहमद खान, कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी, वाममोर्चा के चेयरमैन विमान बसु, राज्य विधानसभा में विपक्ष के नेता व राज्य के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री सूर्यकांत मिश्र समेक कई नेता मौके पर पहुंचे और मारे गए लोगों को सांत्वना देने का प्रयास किया, लेकिन पीड़ित लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर था। स्थिति यहां तक पहुंची की लोगों की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, जिनके पास स्वास्थ्य विभाग की जिम्मेवारी भी है का घेराव कर लिया। कोलकाता के पुलिस आयुक्त रंजीत कुमार पचनंदा समेत पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने काफी मशक्कत के बाद सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया।




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