Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Friday, January 3, 2014

देशद्रोही पंचमवाहिनी में शामिल हैं आधार समर्थक !

देशद्रोही पंचमवाहिनी में शामिल हैं आधार समर्थक !

देशद्रोही पंचमवाहिनी में शामिल हैं आधार समर्थक 

HASTAKSHEP

खास आदमियों की आम आदमी पार्टी बड़ी तेजी से एकमात्र राजनीतिक विकल्प बतौर तेजी से उभर रहा है। 

पलाश विश्वास

जान माल से कितने सुरक्षित हैं भारत के नागरिक जिनकी गोपनीयता और निजता भारत सरकार भंग कर रही है! जाने अनजाने जो लोग सीआईए और नाटो की असम्वैधानिक कॉरपोरेट आधार परियोजना के पैरोकार हैं, वे तमाम लोग देशद्रोही पंचमवाहिनी में शामिल हैं। पंचमवाहिनियाँ शत्रुपक्ष के लिये अपने ही देश और देशवासियों के लिये युद्ध करती हैं।

माफ कीजिये, मैं गोपाल कृष्ण जी के इस मंतव्य से सहमत हूँ कि जाने अनजाने जो लोग सीआईए और नाटो की असम्वैधानिक  कॉरपोरेट आधार परियोजना के पैरोकार हैं, वे तमाम लोग देशद्रोही पंचमवाहिनी में शामिल है। पंचमवाहिनियाँ शत्रुपक्ष के लिये अपने ही देश और देशवासियों के लिये युद्ध करती हैं।

हमारे लिये यह कोई नया विषय नहीं है। 2003 में नागरिकता कानून संशोधन विधेयक पास होते ही हम लगातार बांग्ला, हिन्दी और अँग्रेजी में इस विषय पर लिख रहे हैं अपने ब्लॉग पर। देश के लगभग हर हिस्से में हमने आम जनता को इस विषय पर सम्बोधित भी किया है। यूट्यूब पर मेरे वक्तव्य भी बहुत पहले से दर्ज हैं।

गोपाल कृष्ण जी की अगुवाई में हमारे अनेक साथी लगातार इस मामले में जनजागरण चला रहे हैं। इसके बावजूद हम इस सार्वजनिक बहस का मुद्दा नहीं बना सके हैं क्योंकि मीडिया इस असम्वैधानिक विध्वंसक डिजिटल बायोमेट्रिक रोबोटिक नागरिकता को सशक्तीकरण और सामाजिक उत्तरदायित्व के सबसे बड़े औजार बताकर लगातार उसके पक्ष में उसी का महिमामण्डन कर रहा है।

हालत यह है कि प्रबंधकीय दक्षता के शिखरपुरुष द्वय अरविंद केजरीवाल और नंदन निलेकणि, डॉ. मनमोहन सिंह के अवसान से पहले ही सुधारों के नये ईश्वर बतौर अवतरित हो चुके हैं और खास आदमियों की आम आदमी पार्टी बड़ी तेजी से एकमात्र राजनीतिक विकल्प बतौर तेजी से उभर रहा है। यहाँ तक कि यूपीए एक में राजकाज में, जनसंहार अश्वमेध में समझदार साझेदार प्रकाश कारत भी आप को वामपंथी विरासत का सही उत्तराधिकार बताने से चूक नहीं रहे हैं। सीपीएम के महासचिव प्रकाश करात ने कहा है कि हमारे दल को अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी से सीखना चाहिए। एक न्यूज चैनल से बातचीत में करात ने कहा कि लेफ्ट पार्टियों को आप से सीखना होगा कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल कर कैसे युवा लोगों से संवाद स्थापित किया जाये। करात ने कहा कि बोले कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी, भाजपा और काँग्रेस को चुनौती दे पायी और इससे यह साबित होगा कि देश में वैकल्पिक राजनीति की गुंजाइश है। राष्ट्रीय राजनीति पर अपना रुख साफ करते हुये प्रकाश कारत बोले कि हम काँग्रेस और भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने के लिये कटिबद्ध हैं और इस दिशा में प्रयास जारी हैं।

मुझे ताज्जुब नहीं होगा, अगर ममता बनर्जी को हाशिये पर धकेलकर वामपंथी दल आप की अगुवाई में फिर तीसरा मोर्चा बनाकर एक बार फिर सत्ता का जायका लें।

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के भारत देश के राजनीतिक क्रिकेट से सन्यास के लाइव संवाददाता सम्मेलन के दर्शन से निपटकर उठा तो सवेरे ही इकोनामिक टाइम्स में नागरिकों की निजता और गोपनीयता भंग में भारत सरकर की कारस्तानी और उससे होने वाले जान माल की लीड खबर पर आदरणीय गोपाल कृष्ण जी से बात हुयी कि इंटरनेट में भारत सरकार के खुलासे से अगर यह हाल है तो अमेरिकी प्रिज्मिक खुफिया निगरानी, ड्रोन नजरदारी और नाटो की असम्वैधानिक आधारपरियोजना के जरिये नागरिकों की हर जानकारी नाटो, सीआईए, मोसाद, कॉरपोरेट घरानों और आपराधिक गिरोहों के हाथ लग जाने से क्या हाल होगा भारत देश के लोगों का। उन्होंने इस पर ब्यौरा देने का अनुरोध किया है।

हमारे सोशल मीडिया के अनेक दिग्गज और यहाँ तक अपने नैनीताली छात्र जीवन के अनेक आंदोलनकारी साथी अब आप में शामिल हो गये। सुंदरवन प्रवास के दौरान उत्तराखंड, झारखंड, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र समेत तमाम राज्यों के पुराने आंदोलनकारियों से बात हुयी तो भारी सदमा लगा यह जानकर कि सबने अपनी-अपनी अलग दुकानें सजा रखी हैं और कोई किसी के साथ नहीं है। इनमें जो खास लोग हैं, देश के तमाम खास लोगों की आम आदमी पार्टी में वे शामिल हो चुके हैं या होने वाले हैं।

अब हम अपने आनंद स्वरुप वर्मा, पंकज बिष्ट, रियाजुल हक, अरुंधति राय, आनंद तेलतुंबड़े, अभिषेक, अमलेंदु जैसे चुनिंदा लोगों के भरोसे ही हैं जो जनसरोकार के मुद्दों पर हमारे साथ हो सकते हैं। हमने ईटी की लीड पर बहस चलाने के लिये "हस्तक्षेप" और "जनज्वार" से भी आग्रह किया है। जगमोहन फुटेला के निष्क्रिय हो जाने के बाद हमारे विकल्प और सिमट गये हैं।

गौर करें कि 12 जून की यह खबर थी कि हैरत और चिंता जताते हुये भारत ने कहा कि वह उन खबरों पर अमेरिका से सूचनाएं एवं विस्तृत जानकारी माँगेगा कि वह उन देशों की सूची में पाँचवें पायदान पर था जिन पर अमेरिकी खुफिया विभाग की ओर से सबसे ज्यादा निगरानी रखी जा रही थी। अमेरिकी खुफिया विभाग ने विश्वव्यापी इंटरनेट डाटा पर नजर रखने के लिये एक गुप्त डाटा-माइनिंग कार्यक्रम इस्तेमाल किया था। भारत ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि यदि यह पाया गया कि उसके नागरिकों की सूचना की निजता से जुड़े घरेलू कानूनों का उल्लंघन हुआ है तो यह अस्वीकार्य होगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरद्दीन ने कहा था, ''हाँ, हम इसे लेकर चिंतित हैं और हमें इस पर हैरानी है।'' प्रवक्ता ने कहा था कि अमेरिका और भारत के बीच साइबर सुरक्षा पर वार्ता होती रहती है जिसके समन्वय का काम दोनों तरफ की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषदें करती हैं।

अकबरद्दीन ने कहा, ''हमारा मानना है कि यह ऐसे मुद्दों पर चर्चा के लिये उपयुक्त मंच है। दोनों पक्षों के वार्ताकारों के बीच इस मुद्दे पर जब बातचीत होगी तो हम सम्बंधित सूचनाएं एवं विस्तृत जानकारी माँगेंगे।'' निजता से जुड़े भारतीय कानूनों के सम्भावित उल्लंघन के बारे में पूछे जाने पर प्रवक्ता ने कहा था, ''निश्चित तौर पर हम इसे अस्वीकार्य मानेंगे यदि आम भारतीय नागरिकों की सूचना की निजता से जुड़े घरेलू कानूनों का उल्लंघन हुआ होगा। बिल्कुल हम इसे अस्वीकार्य मानेंगे।''

लेकिन देवयानी खोपड़गड़े प्रकरण में भारत अमेरिकी राजनयिक युद्ध में भारतीय नागरिकों की खुफिया निगरानी पर कोई चर्चा हुयी हो, ऐसी जानकारी हमें नहीं है। हो भी कैसे जबकि भारत अमेरिका और इंग्लैंड समेत समूचे पश्चिम के ठुकराये नाटो के युद्धक प्रकल्प आधार बायोमेट्रिक विध्वँस पर अमल कर रहा है और नागरिकों के बारे में सारे निजी तथ्य कॉरपोरेट घरानों, अपराधी गिरोहों, माफिया और सीआईए के साथ साझा कर रही है।

इसके उलट अब प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने शुक्रवार को कहा कि भारत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के लिये अनुकूल माहौल है और स्थिति में सुधार जारी रहेगा। प्रधानमंत्री ने कहा, भारत में एफडीआई के लिये अनुकूल वातावरण है और हम ऐसा माहौल उपलब्ध कराना जारी रखेंगे। हम व्यवस्था में जहाँ कहीं भी सुधार की गुंजाइश है, सुधार करना जारी रखेंगे।

कल ही मैंने लिखा था, इसी बीच हमारे मित्र गोपाल कृष्ण जी ने बाकायदा एक प्रेस बयान जारी करके अरविंद केजरीवाल और आप की सरकार से माँग की है कि असम्वैधानिक आधारकार्ड योजना को वे खारिज कर दें। ममता बनर्जी ने रसोई गैस जैसी जरूरी सेवाओं से आधार को नत्थी करवाने के खिलाफ बंगाल विधानसभा में सर्वदलीय प्रस्ताव पास किया है, लेकिन ममता दीदी ने गैरकानूनी आधार योजना को खारिज करने की माँग अभी उठायी ही नहीं है। हम उम्मीद करते हैं कि भ्रष्टाचारमुक्त भारत बनाने की दिशा में तेजी से जनविकल्प बनती जा रही आप सिर्फ बिजली कम्पनियों की ऑडिट करवाने तक सामित न रहकर कॉरपोरेट भ्रष्टाचार के सफाये के लिये भी काम करेगी। इसके लिये जरूरी है कि कॉरपोरेट राज और सीआईए की असम्वैधानिक आधार योजना को सबसे पहले खारिज करें आप।

कृपया अब इस इकोनोमिक टाइम्स की इस खबर पर गौर करें और सोचे कि इंटरनेट से अगर आपकी जान माल खतरे में है, तो बायोमेट्रिक आधार पहचान क्या कयामत बरपा सकती है।

कोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक अगर कोई साइबर क्रिमिनल डाटा चुराना चाहे या डिजिटली किसी व्यक्ति की आइडेंटिटी की नकल करना चाहे तो उसे सबसे आसान मदद कहाँ से मिल सकती है? भारत सरकार से।

तमाम सरकारी एजेंसियाँ बड़ी मात्रा में पर्सनल इन्फॉर्मेशन ऑनलाइन कर रही हैं और कई बार तो इन्हें एक्सेस करने की राह में कोई बैरियर भी नहीं होता है। इन डाटा से लोगों और उनके बैंक खातों का सुराग साइबर चोरों के हाथ आसानी से लग सकता है।

मैकफी लैब्समें डिजिटल सिक्योरिटी एक्सपर्ट बिन्नू थॉमस ने कहा कि अगर मैं किसी को टार्गेट करना चाहूँ तो मैं ऐसी डिटेल्स एक्सेस कर सकता हूँ, जो दरअसल पब्लिक डोमेन में आनी ही नहीं चाहिए थीं। अच्छी सोशल स्किल्स वाले हैकर्स आसानी से किसी व्यक्ति की नकल कर उसकी ओर से कॉल सेंटर को कॉल कर सकते हैं। किसी युवती से जबरन करीबी बढ़ाने की कोशिश करने वाले, राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी और दूसरे तमाम तरह के लोग इन डाटा का दुरुपयोग कर सकते हैं।

उधर खबर है कि पिछले दिनों निर्वाचन आयोग ने अमेरिका की विराट इंटरनेट कम्पनी गूगल के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किये हैं जिसके तहत आगामी लोकसभा से पहले गूगल उसे मतदाताओं के ऑनलाइन पंजीकरण तथा अन्य सुविधाओं से सम्बंधित सेवाएं मुहैया कराने में मदद करेगा। अगले छह महीनों के दौरान गूगल आयोग को अपने सर्च इंजिन समेत सभी संसाधन उपलब्ध करायेगा ताकि मतदाता इंटरनेट पर जाकर ऑनलाइन अपने पंजीकरण की ताजा स्थिति की जानकारी प्राप्त कर सकें और गूगल के नक्शों का इस्तेमाल करके अपने मतदान केंद्र को ढूँढ सकें।

इस सम्बंध में इंटरनेट विशेषज्ञों के मुताबिक गूगल, कुकीज के जरिए एनएसए उपभोक्ताओं की जासूसी करता है और अमेरिकी कम्पनियाँ अमेरिकी कानून का पालन करने के लिये बाध्य हैं और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी को सभी जानकारी मुहैया कराना उनका कानूनी दायित्व है। जब कोई मतदाता ऑनलाइन पंजीकरण करायेगा, तो उसे अपने बारे में सभी जरूरी जानकारी देनी होगी और वह जानकारी और सम्भवतः निर्वाचन आयोग का पूरा डाटाबेस भी इस प्रकार गूगल को उपलब्ध हो जायेगा। अब प्रश्न है कि अमेरिका द्वारा दुनिया भर के देशों के नागरिकों पर आतंकवाद के खतरे का मुकाबला करने के नाम पर निगरानी रखने के बारे में जानने के बाद भी क्या गूगल को भारतीय मतदाताओं के बारे में सारी जानकारी देना उचित है?

About The Author

पलाश विश्वास। लेखक वरिष्ठ पत्रकार, सामाजिक कार्यकर्ता एवं आंदोलनकर्मी हैं । आजीवन संघर्षरत रहना और दुर्बलतम की आवाज बनना ही पलाश विश्वास का परिचय है। हिंदी में पत्रकारिता करते हैं, अंग्रेजी के लोकप्रिय ब्लॉगर हैं। "अमेरिका से सावधान "उपन्यास के लेखक। अमर उजाला समेत कई अखबारों से होते हुए अब जनसत्ता कोलकाता में ठिकाना ।

No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV