Total Pageviews

THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

Twitter

Follow palashbiswaskl on Twitter

Thursday, January 23, 2014

विमल गुरुंग की घीसिंग दशा अस्मिता राजनीति का नियतिबद्ध हश्र! লেপচা উন্নয়ন পর্ষদের পর এবার তামাং উন্নয়ন পর্ষদ সফরের তৃতীয় দিনে পাহাড়ে ঐক্যের বার্তা মুখ্যমন্ত্রীর

विमल गुरुंग की घीसिंग दशा अस्मिता राजनीति का नियतिबद्ध हश्र!

লেপচা উন্নয়ন পর্ষদের পর এবার তামাং উন্নয়ন পর্ষদ

সফরের তৃতীয় দিনে পাহাড়ে ঐক্যের বার্তা মুখ্যমন্ত্রীর

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास



विमल गुरुंग की घीसिंग दशा अस्मिता राजनीति का नियतिबद्ध हश्र है।अस्मिता और पहचान की राजनीति के तहत बने तीन राज्यों उत्तराखंड,छत्तीसगढ़ और झारखंड का हश्र यह देश देख चुका है। आदिवासियों की सबसे ज्यादा दुर्गति झारखंड और छत्तीसगढ़ में हो रही है तो उत्तराखंड में दांव पर है हिमालय।असम से अस्मिता और पहचान के आधार पर अलग हुए पूर्वोत्तर के राज्यों से बाकी देश का कोई योगायोग नहीं है,लेकिन वे अलग हुए पूर्वोत्तर के राज्य नगालैंड, मिजोरम, मेघालय और अरुणाचल न केवल अब भी बाकी देश से कटे हुए हैं,वहां पहचान की राजनीति केंद्र की सत्ता पर निर्भर है और उसी के मुताबिक बदलती रहती है।पहचान की राजनीति की अगर बात करें तो सबसे शीर्ष पर है तमिलनाडु,जो द्रविड़ सभ्यता का धारक वाहक है और आर्य वर्चस्व के खिलाफ द्रविड़ राष्ट्रीयता के स्वाभिमान का प्रतीक है। हिंदी विरोधी तमिलनाडु में तमिल के अलावा बाकी सारी भाषाएं वर्जित हैं।लेकिन द्रमुक अन्नाद्रमुक राजनीति की डोर दिल्ली के हाथों में है और तमिल राजनीति की हैसियत कठपुतली से ज्यादा कुछ नहीं है। गणित केनियम मुताबिक अलग बन रहे तेलंगा का भी वही हश्र होना है।


पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कामतापुर मुक्ति संगठन (केएलओ) को चुनौती दी कि वह उनकी हत्या करे और साथ ही अलगाववादियों को चेतावनी दी कि वह राज्य में निर्दोष लोगों के खिलाफ हिंसा बंद करें।


बंगाल के पहाड़ों में अस्सी के दशक से अब तक जो हुआ या हो रहा है,उसमें अजूबा कुछ भी नहीं है। अलग गोरखालैंड आंदोलन से अलग राज्य तो नहीं मिला,लेकिन दार्जिलिंग लोकसभा क्षेत्र से गोरखों के पर्तिनिधित्व का सिलसिला ही खत्म हो गया।सुबास घीसिंग ने सबसे पहले दार्जिलिंग पत्रकार इंद्रजीत के हवाले कर दिया तो यह सिलसिला चल  ही निकला। पिछले लोकसभा चुनावों में अलग राज्य के लिए भाजपा के समर्थन की आस में भाजपा के जसवंत सिंह को दार्जिलिंग का सांसद बना दिया आंदोलनकारियों ने तो इस बार बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के साथ सत्ता में हिस्सेदारी के लिए सिक्किम के बाईचुंग भूटिया को लोकसभा पहुंचाने की गोरखों की मजबूरी है।


फुटबॉल के मैदान में बड़े-बड़े इनके सामने नहीं टिकते, इंडियन फुटबॉल को इन्होंने इंटरनेशनल लेवल पर एक पहचान दिलाई है, बात हो रही है कंट्री के ग्र्रेटेस्ट फुटबॉलर्स में से एक बाइचुंग भूटिया की। बाइचुंग भूटिया जल्द ही आपको एक नई पारी खेलते नजर आ सकते हैं। रन फॉर झारखंड प्रोग्र्राम में हिस्सा लेने जमशेदपुर आए बाइचुंग से जब पूछा गया की क्या वेस्ट बंगाल की चीफ मिनिस्टर ममता बनर्जी की तरफ से उन्हें लोकसभा इलेक्शन लडऩे का कोई प्रस्ताव मिला है और क्या ममता बनर्जी उन्हें दार्जिलिंग से टिकट देना चाहती हैं? इस सवाल के जबाव में बाइचुंग ने कहा कि अभी ऐसी बात नहीं है, लेकिन पॉलिटिक्स में आने के लिए उनकी कुछ लोगों से बात चल रही है।



जबकि हकीकत यह है कि बाइचुंग को दार्जिंलिंग से जिताने की दीदी की पेसकश पर विमल गुरुंग ने सहमति दे दी है और बंगाल से एकमात्र भाजपाई सीट बट्टाखाता में तो गयी ही,फिर एकबार गोरखा अस्मिता लोकसभा में अपने प्रतिनिधित्व से हाथ धो बैठी है।


दरअसल सुबास घीसिंग के जमाने में वाम शासन में जैसा कुछ हो गुजरा,हूबहू वही मां माटी मानुष के राज में गुरुंग जमाने में दोहराया जा रहा है।असमिता की राजनीति का व्याकरण भी यही है कि बड़ी मछलियां जैसे छोटी मछलियों को निगल जाती हैं,ठीक उसी तरह बड़ी अस्मिताएं छोटी अस्मिताओं को निगल जाती है और जम्हाई तक नहीं लेतीं।जाति,धर्म,क्षेत्र रंगबिरंगी तमाम अस्मिताओं का यही शाश्वत सच है।सिख असमिता का भगवाकरण अकाली राजनीति मार्फत हुआ तो अंबेडकरी बहुजन अस्मिता भी भगवाकरण की प्रक्रिया में है।झारखंडी और छत्तीसगढ़ी अस्मिताओं का तो पहले ही भगवाकरण हो गया है।देश अब लगभग नमोमय है,हो गया तो देखते रहिए भगवा रंग की अखंड क्रांति।


लेकिन बंगाल में अभी सारे रंग दीदी के मनपसंद हैं। दीदी ने हर चीज के रंग बदल दिये हैं।उनका बस चले तो सुहाग का निशान भी हरा बना दें।दाल भात का रंग बी हरा कर दें।क्या पता देर सवेर ,वैसा हो भी जाये। बहरहाल,सुबास घीसिंग को पहाड़ से बाहर खदेड़ने वाले विमल गुरुमग गोरखा आंदोलन के हिसाब से सुबास घीसिंग के ही अवतार में हैं। अश्व डिम्ब का प्रसव संपन्न हो रहा है पहाड़ों में। पहले एक स्वाशासी परिषद थी। दीदी ने पहले लेप्चा समुदाय के लिए अलग और फिर तमांग समुदाय के लिए एक और ,तीन तीन स्वशासी परिषद बना दिये।ऐसा केल उत्तराखंड अलग राज्य बनने से लखनऊ से खूब होता रहा है। विश्वविद्यालय चाहिए तो कुमायूं  का अलग और गढ़वाल का अलग। विकास चाहिए तो कुमायूं विकास निगम अलग ,गढ़वाल विकास निगम अलग।तराई हमेशा पहाड़ से अलग। अलग राज्य बन जाने के बावजूद अब भी कुमायूं,गढ़वाल और तराई के दरम्यान अंलघ्य अनंत दीवारें हैं,चिसे उत्तराखंडी अस्मिता तोड़ नहीं सकती।


गोरखालैंड आंदोलन के मध्य बंगाल में पहाड़ की जनता में अब चार चार विभाजक रेखाएं समांतर तैयार हैं,गोरखा,लेप्चा,तमांग और आदिवासी। कम से कम सुबास घीसिंग यह करतब नहीं कर सके जो विमल गुरुंग ने करके दिखा दिया।


हाल में सिलिगुड़ी के फूलबाड़ी स्थित कामरांगागुड़ी में मिनी सचिवालय उत्तारकन्या का शुभारंभ करते हुए वह विशाल जनसभा से मुखातिब थीं ममता बनर्जी और उन्होंने गोरखा आंदोलनकारियों के साथ कामतापुरी आंदोलनकारियों को खुली चुनौती दे ते हुए कहा,'अलगाववाद-उग्रवाद किसी समस्या का हल नहीं है। जाति,भाषा व संस्कृति के नाम पर राज्य से अलग होने का वास्ता देकर युवाओं को बंदूक थमाने वालों को मुंहतोड़ जबाव देना होगा। मिनी सचिवालय 'उत्तार कन्या' परिसर से युवाओं का आह्वान करती हूं कि वे ऐसे लोगों के बहकावे में न आएं। ऐसे लोगों को समाज के सामने बेनकाब करें'।


इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने, जलपाईगुड़ी के पहाड़पुर में 26 दिसंबर को हुए विस्फोट में मारे गये लोगों के परिवार को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक मदद का चेक व एक सदस्य को सरकारी नौकरी का नियुक्ति पत्र और जख्मी हुए लोगों को पचास हजार रुपये का चेक प्रदान किया। राजवंशी समुदाय का आह्वान करते हुए उन्होंने कहा कि वे भी समाज की मुख्यधारा से जुड़ें। विकास के सारथी बनें। इसके लिए राज्य सरकार तत्पर है। राजवंशी एकेडमी कायम कर दी गई है। राजवंशी भाषा को मान्यता का मामला विशेषज्ञ कमेटी देख रही है। ठाकुर पंचानन वर्मा के नाम पर कूचबिहार में विश्वविद्यालय कायम कर दिया गया है। इस बार लगातार साल भर राज्य सरकार उनकी जयंती मनाएगी।


उन्होंने विरोधियों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि आजादी के 66 वर्ष गुजर जाने के बावजूद उत्तार बंगाल पिछड़ेपन का ही शिकार रहा। पहाड़ का मसला पहाड़ बना हुआ था। अब परिवर्तन के 32 माह में ही उत्तार बंगाल को पिछड़ेपन से मुक्त कर दिया गया। पहाड़ की समस्या समाप्त हो गयी।


बंगाल के साथ केंद्र के सौतेलेपन का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि आज बंगाल सरकार को 28 हजार करोड़ रुपये कर्ज चुकाना पड़ रहा है। इस स्थिति में भी जलपाईगुड़ी में कलकत्ता हाई कोर्ट का सर्किट बेंच, अलीपुरद्वार को अलग जिला, उत्तार बंग उन्नयन मंत्रालय, कूचबिहार में पंचानन वर्मा विश्वविद्यालय, कूचबिहार में एयरपोर्ट, मालदा में गौड़ बंग विश्वविद्यालय, दार्जिलिंग में स्टेडियम, गाजोलडोबा में 3500 करोड़ रुपये से पर्यटन हब, सिलीगुड़ी में फिल्म सीटी का निर्माण, सिलीगुड़ी,बानरहाट व मालदा में 180 एकड़ जमीन पर औद्योगिक सीटी तैयार किया जाएगा। उत्तारबंग उन्नयन मंत्री गौतम देव से कहा कि वे काम की रफ्तार को और तेज करें। 300 परियोजनाओं के कार्य में अभी भी 35 प्रकल्प के काम रुके हुए हैं वे मार्च से पहले पूरे हों।

এবার তামাংদের কাছে টানতে তত্পর মুখ্যমন্ত্রী

ব্যুরো রিপোর্ট, এবিপি আনন্দ

Tuesday, 21 January 2014 05:55 PM

মিরিক: পাহাড় নিয়ে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের নয়া পদক্ষেপ৷ লেপচা উন্নয়ন পর্ষদের পর এবার তামাং উন্নয়ন পর্ষদ গঠনের ঘোষণা করলেন তিনি৷ গতবার পাহাড় সফরে গিয়ে লেপচাদের অনুষ্ঠানে বক্তৃতা করেন মুখ্যমন্ত্রী৷ মঙ্গলবার মিরিকে তামাং সম্প্রদায়ের জাতীয় কনভেনশনে ভাষণ দিলেন তিনি৷ ঘোষণা করেন, তামাংদের জন্য পৃথক উন্নয়ন ও সাংস্কৃতিক পর্ষদ গঠনের কথা৷

মিরিকে তামাংদের অনুষ্ঠানে মুখ্যমন্ত্রী

পাহাড়বাসীদের তপশিলী উপজাতির মর্যাদা দেওয়ার জন্য ইতিমধ্যেই দাবি জানিয়েছে গোর্খা জনমুক্তি মোর্চা৷ এদিন, মুখ্যমন্ত্রীর গলাতেও শোনা গিয়েছে একই সুর৷ এর জন্য কেন্দ্রের কাছে দরবার করবেন বলেও আশ্বাস দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী৷

এদিনের অনুষ্ঠান থেকে পাহাড়ে শান্তি বজায় রাখার আহ্বান জানিয়ে, উন্নয়নে সকলকে সহযোগিতার জন্য আবেদন জানান মুখ্যমন্ত্রী৷

রাজনৈতিক পর্যবেক্ষকদের মতে, বনধ-বিক্ষোভ নিয়ে কড়া অবস্থান গ্রহণ করে ইতিমধ্যেই মোর্চাকে কাবু করে ফেলেছেন মুখ্যমন্ত্রী৷ ফিরে এসেছে শান্তি৷ এবার লেপচা, তামাং সম্প্রদায়কেও ধীরে ধীরে নিজেদের দিকে টেনে পাহাড়ে তৃণমূলের ভিত্তি আরও জোরালো করতে চাইছেন মমতা৷

সফরের তৃতীয় দিনে পাহাড়ে ঐক্যের বার্তা মুখ্যমন্ত্রীর

পাহাড়ে রয়েছে জিটিএ। তামাং, লেপচাদের জন্য পৃথক উন্নয়ন পর্ষদের ঘোষণাও করেছেন মুখ্যমন্ত্রী। এবার মুখ্যমন্ত্রী দিলেন ঐক্যের বার্তা। এও বুঝিয়ে দিলেন, পাহাড়ে কোনওরকম ধ্বংসাত্বক কাজকর্ম বরদাস্ত করা হবে না। উত্তরবঙ্গ সফরের তৃতীয় দিনে পাহাড়বাসীকে ফের ঐক্যের বার্তা দিলেন মুখ্যমন্ত্রী। দার্জিলিংয়ের লেবংয়ে পুলিসের তরফে আয়োজিত একটি ক্রীড়া প্রতিযোগিতায় পাহাড় ও সমতলের মানুষকে একযোগে কাজ করার বার্তা দেন মুখ্যমন্ত্রী।


দার্জিলিং ও ডুয়ার্সের ৪০০টি ক্লাবকে আগেই ২ লক্ষ করে টাকা দিয়েছিল সরকার। এদিনের প্রতিযোগিতায় অংশ নেওয়া ক্রীড়াবিদদের ২৫ হাজার টাকা করে দেওয়ার কথা ঘোষণা করেন তিনি। সঙ্গে ছিল লেবং স্টেডিয়ামের উন্নয়নের জন্য ৫০ লক্ষ টাকা দেওয়ার ঘোষণা।


কোনও অবস্থাতেই ধ্বংসাত্মক কাজকর্মকে বরদাস্ত করবে না তাঁর সরকার। নরম সুরে এদিন তাও বুঝিয়ে দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী।


দার্জিলিংয়ে পালিত হল নেতাজি জন্মজয়ন্তী

এই সময় ডিজিটাল ডেস্ক: রাজ্য সরকারের উদ্যোগে দার্জিলিংয়ে পালিত হল নেতাজি জন্মজয়ন্তী। এদিন নেতাজির জন্মজয়ন্তী উপলক্ষে ম্যালে একটি অনুষ্ঠান আয়োজিত হয়। অনুষ্ঠানে উপস্থিত ছিলেন টলিউডের কলাকুশলীরাও।


এদিন মঞ্চ থেকে ফের অবিভক্ত বাংলার কথা স্মরণ করান মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। বলেন, 'যতদিন বেঁচে থাকব, বাংলাকে এক রাখব।' পাশাপাশি তিনি এ-ও বলেন, 'আগে পাহাড় অবহেলিত ছিল। আমরা এক ছাদের তলায় থাকতে চাই।' তাই সকলকে এক সঙ্গে মিলে কাজ করার আহ্বান জানালেন মুখ্যমন্ত্রী।


অন্য দিকে কলকাতাতেও বামফ্রন্টের তরফে নেতাজির জন্মজয়ন্তী পালন করা হয়।


কেএলও দমনে ভুটানে অভিযান শিগগিরই

জয়া চক্রবর্তী


আলিপুরদুয়ার: পশ্চিমবঙ্গের পাশাপাশি কেএলও দমনে তত্‍পর অসমও৷ ২০০৩-এর 'অপারেশন অল ক্লিয়ারের' ধাঁচে আবার জঙ্গি বিরোধী অভিযানের প্রাথমিক প্রস্তুতি শুরু হয়ে গিয়েছে৷ পশ্চিমবঙ্গের সহযোগিতা নিয়ে ভুটানের ভিতর ঢুকে জঙ্গি শিবির উত্‍খাত পরিকল্পনা পাকা হয়ে গিয়েছে৷ মিলেছে ভুটান সরকারের সম্মতিও৷


সেনাবাহিনী ওই অভিযানে মূল ভূমিকা নেবে৷ অসমের চিরাং জেলার পুলিশ সুপারের অফিসে মঙ্গলবার শীর্ষ স্তরের এক বৈঠকে মঙ্গলবার সেই ব্লু প্রিন্ট চূড়ান্ত হয়ে গিয়েছে৷ চিরাংয়ের সেই বৈঠকে উপস্থিত ছিলেন সেনাবাহিনী, সিআরপিএফ ও এসএসবি-র পদস্থ কর্তারা৷


কেএলও-র পাশাপাশি ন্যাশনাল ডেমোক্রেটিক ফ্রন্ট অফ বোড়োল্যান্ড(এনডিএফবি) অসম সরকারের অন্যতম নিশানা৷ কেননা ওই বোড়ো জঙ্গি গোষ্ঠীটিও অসমে উদ্বেগের কারণ হয়ে দাঁড়িয়েছে৷ বোড়ো উগ্রপন্থীরা গত এক মাসে অসমে বেশ কয়েকটি নাশকতা ঘটিয়েছে৷ অসম পুলিশের সঙ্গে তাদের মুখোমুখি লড়াইও হয়েছে৷ তাতে এনডিএফবি-র অস্ত্র সম্ভার দেখে চমকে গিয়েছেন পুলিশ ও আধা সামরিক বাহিনীর কর্তারা৷


অন্য দিকে, উত্তরবঙ্গে কেএলও তত্‍পরতায় মদত দিচ্ছে এনডিএফবি-র সংবিজিত গোষ্ঠীটি৷ তাদের কাছ থেকেই অস্ত্র ও প্রযুক্তিগত সহায়তা কামতাপুর লিবারেশন অর্গানাইজেশনের জঙ্গিরা পাচ্ছে বলে এ রাজ্যের পুলিশও নিশ্চিত৷ অসম পুলিশের ডিজি খগেন শর্মা বুধবার 'এই সময়'কে জানিয়েছেন, 'প্রজাতন্ত্র দিবসের আগেই অভিযান শুরু হবে৷ এ জন্য পশ্চিমবঙ্গ পুলিশের সঙ্গে সর্বক্ষণ যোগাযোগ রাখা হচ্ছে৷'


অসমের মুখ্যমন্ত্রী তরুণ গগৈর সবুজ সঙ্কেত পেয়েই তড়িঘড়ি অভিযানের পরিকল্পনা নেওয়া হয়েছে বলে জানা গিয়েছে৷ অসমের স্বরাষ্ট্র সংসদীয় সচিব এতোয়া মুণ্ডা বলেন, 'ইতিমধ্যে ভুটানে নিযুক্ত ভারতীয় কনসাল জেনারেলের মাধ্যমে সে দেশের সরকারের সঙ্গে যোগাযোগ করা হয়েছে৷ জঙ্গি দমনে ভুটান সরকার সব রকম সাহায্যের প্রতিশ্রুতি দিয়েছেন৷ তাই আমরা আর দেরী করতে চাই না৷'


২০০৩-এও ভারতীয় ও ভুটান সেনা যৌথ অভিযানে ভুটানের মধ্যে কেএলও, এনডিএফবি ও আলফার শিবির ভেঙে দিয়েছিল৷ এরপরই দুর্বল হয়ে পড়ে কেএলও৷ কিন্ত্ত কামতাপুরি জঙ্গি গোষ্ঠীটি গত কয়েক বছরে নতুন করে শক্তি সঞ্চয় করায় উত্তরবঙ্গে বিপদের কারণ হয়ে দাঁড়িয়েছে৷ জলপাইগুড়িতে বিস্ফোরণে ৬ জনের মৃত্যুর পর কড়া মনোভাব নিয়েছে পশ্চিমবঙ্গ সরকারও৷ মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় নিজে এ ব্যাপারে উদ্যোগী হয়ে ডিজি(কোস্টাল সিকিউরিটি) রাজ কানোজিয়াকে অ্যাকশন প্ল্যান দিতে বলেছিলেন৷


কানোজিয়া সোমবার মিরিকে সেই পরিকল্পনা জানালে মুখ্যমন্ত্রী তাতে সম্মতিও দিয়েছেন৷ আলিপুরদুয়ারের অতিরিক্ত পুলিশ সুপার আকাশ মাঘারিয়া বলেন, 'অসম পুলিশের অভিযানের পরিকল্পনার খবর আমাদের কাছেও আছে৷ আমরা ইতিমধ্যে জঙ্গিদের সম্ভাব্য ডেরাগুলিকে চিহ্নিত করতে শুরু করে দিয়েছি৷ খুব শিগগির সেখানে শিবির উত্‍খাতের অভিযানে শুরু হবে৷' তবে উত্তরবঙ্গে কোন জঙ্গি ঘাঁটির অস্তিত্ব মানতে চাননি তিনি৷


অন্য দিকে, এ দিনই ভোরে অসমের ছাগলিয়ায় কেএলও জঙ্গি ইন্দ্রজিত্‍ রায় ওরফে দাবাংকে গ্রেপ্তার করেছে সে রাজ্যের পুলিশ৷ বুধবারই তাঁকে ট্রানজিট রিমান্ডে অসম থেকে নিয়ে এসেছে কোচবিহারের পুলিশ৷ পুলিশের দাবি, এ রাজ্যে হালে ঘটে যাওয়া বেশ কিছু নাশকতায় হাত ছিল ইন্দ্রজিতের৷

http://eisamay.indiatimes.com/state/klo-and-bhutan/articleshow/29241581.cms

বিরক্ত লুকিয়ে মমতার কাছে নতশিরে গুরুং


পার্থসারথি সেনগুপ্ত


দার্জিলিং: পাহাড়ে নিয়ন্ত্রণের রাশ যে তাঁর হাতে আর নেই, হাড়ে হাড়ে মালুম হচ্ছে মোর্চা সভাপতি বিমল গুরুংয়ের৷ প্রতি পদে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায় বুধবার তা বুঝিয়ে দিয়েছেন জিটিএ-র মুখ্য নির্বাহীকে৷ আলাদা করে একান্ত বৈঠকে তো বটেই, প্রকাশ্যে পৃথক দু'টি সভাতেও মমতা সতর্ক করে দিয়েছেন এই বলে যে কেউ যেন পাহাড়ে শান্তিভঙ্গের চেষ্টা না করেন৷ শান্তি ও সংহতির বার্তা দেওয়ার পাশাপাশি পাহাড়ের উন্নয়নে নানা দিশার উল্লেখ করেছেন নিজের ভাষণে৷


জিটিএ-কে টপকে মুখ্যমন্ত্রীর এমন ঘোষণা তাঁদের যত রুষ্ট করুক, রাজ্য সরকারের কড়া অবস্থানের সামনে মৌন থাকাই শ্রেয় মনে করেছেন মোর্চা নেতারা৷ পাহাড়ের বিভিন্ন জনগোষ্ঠীগুলিকে পৃথক পৃথক উন্নয়ন পর্ষদ গড়ে দেওয়াও তাঁদের না-পসন্দ৷ লেপচা উন্নয়ন পর্ষদ গঠনের সময় সেই বিরক্তি তাঁরা গোপন করেননি৷ কিন্ত্ত এ বারের সফরে মুখ্যমন্ত্রী তামাং উন্নয়ন পর্ষদ গঠনের সিদ্ধান্ত ঘোষণা ছাড়াও ওই জনগোষ্ঠীগুলিকে তপশিলি উপজাতির স্বীকৃতি দেওয়ার উদ্যোগ নেবেন বলে জানালেও মুখে একেবারে কুলুপ এঁটে রয়েছেন গুরুং ও তাঁর সহযোগীরা৷


বরং মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে রিচমন্ড হিলে রুদ্ধদ্বার বৈঠক সেরে বেরিয়ে যাওয়ার সময় ঢোঁক গিলে মোর্চা সভাপতি বুধবার বলে গেলেন, '১০টি জনগোষ্ঠীকে উপজাতির মর্যাদা যত তাড়াতাড়ি সম্ভব আদায় করে দিতে আমরাও সচেষ্ট হব৷' জিটিএ-র হাতে ছেড়ে না দিয়ে মুখ্যমন্ত্রী এ দিনও নানা উন্নয়নের নানা প্রস্তাব দিয়েছেন, কিছু প্রকল্প ঘোষণাও করেছেন৷ দার্জিলিংয়ে ফের গোল্ড কাপ ফুটবল শুরু করার কথাও বলেছেন৷


ঘিঞ্জি হয়ে যাওয়া দার্জিলিং শহরকে বদলে নয়া দার্জিলিংয়ের সন্ধান করার কথা এ দিনও বলেন মুখ্যমন্ত্রী৷ রায়ভিলার অনুষ্ঠানে রামকৃষ্ণ মিশনের হাতে এক কোটি টাকার চেক তুলে দেন ভবনটির সংস্কারের জন্য৷ রামকৃষ্ণ মিশন ও বেলুড় মঠের সাধারণ সম্পাদক স্বামী সুহিতানন্দজী প্রস্তাব দেন, ভবনটিতে আধ্যত্মিকতার স্বাদ পেতে ইচ্ছুক দেশিবিদেশি পর্যটকদের থাকার জন্য কটেজ ও বিশেষ পরিকাঠামো গড়ে তোলা হোক৷


প্রস্তাবটি লুফে নিয়ে মমতা সঙ্গে সঙ্গে বলেন, 'এখানে প্রাকৃতিক ও আর্য়ুবেদিক চিকিত্‍সা কেন্দ্রও গড়ে তোলা যায়৷ আমি চাই, ম্যাল থেকে সরাসরি একটি রাস্তা তৈরি হোক রায়ভিলা পর্যন্ত৷ শুধু গরমে কেন, শীতের দার্জিলিংও দারুণ টুরিস্ট স্পট৷' পরে লেবং স্টেডিয়ামে পুলিশের অনুষ্ঠানে শ্যাম থাপা, বাইচুং ভুটিয়া, বিদেশ বসুর মতো খ্যাতনামা ফুটবলারদের পাশে নিয়ে তিনি আবার দার্জিলিংয়ে গোল্ড কাপ ফুটবলের গরিমা ফিরিয়ে আনার কথা বলেন৷ তিনি জানান, 'এই স্টেডিয়ামের উন্নতিকল্পে আরও ৫০ লক্ষ টাকা দেবে সরকার৷'


মুখ্যমন্ত্রীর নানা ঘোষণায় স্বাভাবিক ভাবেই পাহাড়ে জিটিএ-র এক্তিয়ার নিয়েই প্রশ্ন উঠে গিয়েছে৷ প্রশ্ন উঠেছে, পাহাড়ে রাজ্য সরকার সরাসরি উন্নয়নের কাজ করলে জিটিএ-র ভূমিকা কি? বিমল এ নিয়ে কোনও উচ্চবাচ্য করেননি৷ তিনি শুধু বলেন, 'আপনার তো দেখছেন, নানা উন্নয়ন প্রকল্পের কথা মুখ্যমন্ত্রী নিজেই ঘোষণা করছেন৷' তবে মোর্চা যে একেবারে হাত-পা গুটিয়ে বসে থাকবে না বোঝাতেই যেন জিটিএ-এর উপ-মুখ্য নির্বাহী রমেশ অ্যালে বলেন, 'যত ইচ্ছে উন্নয়ন পর্ষদ, বোর্ড গঠিত হোক৷ পাহাড়ে প্রশাসনিক নিয়ন্ত্রণ তো জিটিএ-র হাতেই রয়েছে৷'


কিন্ত্ত রিচমন্ড হিলে মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে বিশ মিনিটের রুদ্ধদ্বার বৈঠকে বিমল গুরুং যে মাথা নতই করেছেন, তা স্পষ্ট ছিল তাঁর শরীরী ভাষায়৷ বৈঠক থেকে বেরিয়ে গুরুং বলেন, 'মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে পাহাড়ের উন্নয়নের বিষয়ে বিস্তারিত কথা হয়েছে৷ ক্রীড়া-সহ সামাজিক পরিকাঠামো বিকাশ নিয়েও কথা হয়েছে৷ মুখ্যমন্ত্রী আশ্বাস দিয়েছেন, উন্নয়নের ব্যাপারে টাকা-পয়সা নিয়ে কোন সমস্যা হবে না৷'


উন্নয়নের ব্যাপারে যেমন জিটিএ-কে চাপে রেখেছেন মুখ্যমন্ত্রী, তেমনই শান্তি রক্ষায় নিজের কড়া অবস্থান প্রকাশ করেছেন বারবার৷ রায়ভিলায় রামকৃষ্ণ মিশনের উদ্যোগে নিবেদিতা এডুকেশনাল অ্যান্ড কালচারাল সেন্টারের উদ্বোধনী অনুষ্ঠানে বিমলকে পাশে বসিয়ে তিনি বলেন, 'দার্জিলিং ভালো থাকুক, শান্তিতে থাকুক৷ আসুন, আমরা সবাই একসাথে আলোচনায় বসি, এক সঙ্গে অনুভব করি, এক সুরে কথা বলি৷'


খানিক পরে লেবং স্টেডিয়ামে দার্জিলিং জেলা পুলিশ আয়োজিত ক্রী.ডা প্রতিযোগিতার পুরস্কার বিতরণী অনুষ্ঠানে মমতা বলেন, 'নতুন প্রজন্মের ছেলেমেয়েদের বলব, আপনারা ঠান্ডা থাকুন৷ নেতিবাচক বা ধ্বংসাত্মক কোনও কিছুতে নিজেদের জ.ডাবেন না৷ ইতিবাচক চিন্তা করে কাজ করুন৷ তাতে ভালো হবে৷' সেই 'ভালো'র মর্ম ভালোই বুঝেছেন বিমল গুরুং৷


গুরুঙ্গকে নতুন দার্জিলিং গড়তে পরামর্শ মুখ্যমন্ত্রীর

কিশোর সাহা ও রেজা প্রধান • দার্জিলিং

জিটিএ চিফ হিসেবে বিমল গুরুঙ্গ দ্বিতীয় ইনিংস শুরুর পরে, এ বার তাঁকে 'নতুন দার্জিলিং' গড়ার পরামর্শ দিলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। গোর্খা জনমুক্তি মোর্চার সভাপতি গুরুঙ্গকে মমতা বুঝিয়ে দিয়েছেন, কথা অনেক হয়েছে, এ বার সেটা কাজে করে দেখাতে হবে। 'নতুন দার্জিলিঙে' এক দিকে যেমন শান্তি রাখতে হবে, তেমনই সার্বিক উন্নয়নও করতে হবে। ধৃত মোর্চা সদস্যদের ছাড়ার যে আর্জি মোর্চা নেতারা এ দিন তাঁর সঙ্গে বৈঠকে করেছেন, তাতেও মুখ্যমন্ত্রী সরাসরি সম্মতি দেননি। জিটিএ-তে যে সব নতুন নিয়োগ হয়েছে, তাঁদের চাকরি স্থায়ী করার ব্যাপারেও মুখ্যমন্ত্রীর প্রত্যক্ষ অনুমোদন পাননি মোর্চা নেতারা।

বুধবার সারা দিন মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গেই ছিলেন গুরুঙ্গ। প্রথমে দার্জিলিঙে ভগিনী নিবেদিতার স্মৃতি বিজড়িত রায় ভিলায় অনুষ্ঠানের পরে লেবঙে পুলিশের ক্রীড়া প্রতিযোগিতা হিমাল-তরাই-ডুয়ার্স ক্রীড়া উৎসবের পুরস্কার বিতরণ অনুষ্ঠানে যান মুখ্যমন্ত্রী। লেবঙে গুরুঙ্গকে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, "দার্জিলিং বরাবরই নিজের সৌন্দর্যের কারণে ব্যতিক্রম। তবে এই শহরটা বড্ড ঘিঞ্জি হয়ে পড়েছে। শহরের সম্প্রসারণ প্রয়োজন। সান্দাকফু, লাভা, সুখিয়া, মিরিক, কার্শিয়াঙের মতো এলাকাগুলির পরিকাঠামো বাড়িয়ে নতুন দার্জিলিং তৈরি করতে হবে। যাতে পর্যটনের নতুন দিগন্তও খোলে।" যার উত্তরে গুরুঙ্গের বক্তব্য, "মুখ্যমন্ত্রী ঠিক কথাই বলেছেন। রাজ্য সরকারের সঙ্গে আমাদের সংঘাত এখন অতীত। রাজ্য এবং জিটিএ মিলে নতুন দার্জিলিং তৈরির পথে হাঁটবে।"

*

ভগিনী নিবেদিতাকে মুখ্যমন্ত্রীর শ্রদ্ধা। দাজির্লিঙের রায় ভিলায় । ছবি: বিশ্বরূপ বসাক।

গত বছর গোর্খাল্যান্ডের দাবিতে মোর্চার আন্দোলন এবং তারপরে জিটিএ সদস্য-সহ মোর্চা নেতাদের ব্যাপক ধরপাকড়ের পরে এ দিনই প্রথম গুরুঙ্গকে রাজ্য পুলিশের কোনও অনুষ্ঠানে থাকতে দেখা গেল। মোর্চা সূত্রে জানানো হয়েছে, এখনও বেশ কয়েক জন জিটিএ সদস্য জেলে, তবু রাজ্যের সঙ্গে যৌথ ভাবে উন্নয়নের পথে চলার বার্তা দিতেই মোর্চা এখন সে সব বিষয়কে বড় করে তুলতে চাইছে না। যে কারণেই ওই অনুষ্ঠানে গুরুঙ্গকে বলতে শোনা গেল, "ক্রীড়া প্রতিযোগিতা আয়োজন করতে দার্জিলিং পুলিশ যে ভূমিকা নিয়েছে, তাকে স্বাগত জানাতেই হবে।"

গত ২৯ জানুয়ারি দার্জিলিঙে উত্তরবঙ্গ উৎসবের মঞ্চে গোর্খাল্যান্ডের দাবিতে তাঁর সামনেই স্লোগান ওঠায়, মুখ্যমন্ত্রী মন্তব্য করেন, তিনি 'রাফ অ্যান্ড টাফ'। তারপর থেকেই রাজ্য-মোর্চার সম্পর্কের অবনতি হতে থাকে। পাহাড়ে লাগাতার বন্ধও ডাকে মোর্চা। মুখ্যমন্ত্রী নরম হননি। মোর্চাই আগের অবস্থান থেকে সরে আসে। গুরুঙ্গ রাজভবনে দ্বিতীয় বারের জন্য জিটিএ প্রধানের পদে শপথও নিয়েছেন।

*

মঞ্চে মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। তাঁর সামনে অনুষ্ঠান পাহাড়ের

শিল্পীদের। দার্জিলিঙের লেবংয়ে। বুধবার রবিন রাইয়ের তোলা ছবি।

এ দিন রিচমন্ড হিলে গুরুঙ্গের নেতৃত্বে জিটিএ-র প্রতিনিধি দলের সঙ্গে বৈঠকেও বসেন মুখ্যমন্ত্রী। ঘণ্টাখানেক বৈঠকের পরে গুরুঙ্গ বলেন, "যে অনুষ্ঠানগুলিতে আমরা যোগ দিয়েছিলাম, সেগুলি নিয়ে কথা হল। রায় ভিলা বা দার্জিলিং জেলা পুলিশের অনুষ্ঠান ভালই হয়েছে। নতুন পর্যটন কেন্দ্র গড়ে দার্জিলিং শহরের সম্প্রসারণ নিয়েও কথা হয়েছে।" গুরুঙ্গের সংযোজন, "মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, দার্জিলিঙের উন্নয়ন নিয়ে তাঁরও নিজস্ব পরিকল্পনা আছে। আমরা তাতে হস্তক্ষেপ করব না। জিটিএ-এর কাজ সুষ্ঠু ভাবে চালাব। রাজ্যের সঙ্গে যৌথ ভাবে উন্নয়ন হবে।"

গুরুঙ্গ জানান, পাহাড়ে বসবাসকারী ১০টি সম্প্রদায়কে আদিবাসী হিসেবে মর্যাদা দেওয়ার জন্য কেন্দ্রকে অনুরোধ করতে তিনি মুখ্যমন্ত্রীকে আর্জি জানিয়েছিলেন। তাতে মুখ্যমন্ত্রী সম্মত হয়েছেন। এখনও জেলবন্দি মোর্চা সমর্থক তথা জিটিএ সদস্যদের মুক্তির প্রসঙ্গও ওই বৈঠকে মোর্চার তরফে তোলা হয় বলে দলীয় সূত্রে জানা গিয়েছে। ওই সূত্রেই খবর, মোর্চা নেতাদের আইনের প্রতি আস্থা রাখার পরামর্শ দেন মুখ্যমন্ত্রী।

*

ক্যামেরায় বন্দি নিসর্গ। দার্জিলিঙের লেবংয়ে ভগিনী নিবেদিতার স্মৃতিবিজড়িত

রায় ভিলায় মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। রয়েছেন জিটিএ-প্রধান

বিমল গুরুঙ্গও। ছবি: বিশ্বরূপ বসাক।

লেবঙের অনুষ্ঠানে পুলিশের আয়োজিত তীরন্দাজি, ম্যারাথন, ফুটবল-সহ অন্য প্রতিযোগিতায় সফলদের পুরস্কার দেন। বিভিন্ন ক্লাব কর্তৃপক্ষকেও অনুদানের পাশাপাশি বেশ কয়েকটি সরকারি প্রকল্পেও বাসিন্দাদের সহায়তা দেন। মুখ্যমন্ত্রী বলেন, "ক্রীড়া প্রতিযোগিতার আয়োজনে পুলিশ ভাল কাজ করছে। দার্জিলিং-তরাই-ডুয়ার্সের সকলে একসঙ্গে খেলায় অংশ নিয়েছিলেন। সংস্কৃতি, শিক্ষাতেও সকলের সমান অংশগ্রহণ চাই। এ জন্য ক্লাবগুলিকে ২৫ হাজার থেকে ২ লক্ষ টাকা পর্যন্ত অনুদান দেওয়া হচ্ছে।" লেবঙ স্টেডিয়ামের পরিকাঠামোর জন্য ১০৭ কোটি টাকা দেওয়া হয়েছে বলে জানিয়ে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, "আরও ৫০ কোটি টাকা ওই খাতে বরাদ্দ করা আছে।" পর্যটকদের জন্য দার্জিলিং জলপাইগুড়িতে নয়া ১৪০টি বাস দেওয়ার কথাও বলেছেন মুখ্যমন্ত্রী।

http://www.anandabazar.com/23sil1.html


তামাঙ্গদের জন্যও উন্নয়ন বোর্ড গড়ছে রাজ্য

সৌমিত্র কুণ্ডু ও রেজা প্রধান • মিরিক

লেপচাদের পরে এ বার দার্জিলিং পাহাড়ের তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের জন্যও আলাদা উন্নয়ন বোর্ড গড়ার কথা ঘোষণা করলেন মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়।

মঙ্গলবার দার্জিলিঙের মিরিকে তামাঙ্গ সম্প্রদায় আয়োজিত এক অনুষ্ঠানে যোগ দিতে গিয়ে মুখ্যমন্ত্রী বলেন, "তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের সাংস্কৃতিক ঐতিহ্য অনেক প্রাচীন। এই সম্প্রদায়ের তরফে পৃথক বোর্ড চেয়ে আর্জি জানানো হয়। আমরা সব দিক ভেবেই তামাঙ্গদের উন্নয়নের জন্য আলাদা একটা বোর্ড গড়ে দেওয়ার সিদ্ধান্ত নিয়েছি।" তিনি জানান, তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের ঐতিহ্যকে ধরে রেখে সংস্কৃতি সহ নানা ক্ষেত্রেও উন্নয়নের জন্য কাজ করবে ওই বোর্ড। ওই অনুষ্ঠানের আয়োজন করেছিল তামাঙ্গ ইয়ুথ অ্যাসোসিয়েশন ও তামাঙ্গ ফাউন্ডেশন।

*

তামাঙ্গ সম্প্রদায় আয়োজিত এক অনুষ্ঠানে মুখ্যমন্ত্রী

মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়। মঙ্গলবার মিরিকে। ছবি: বিশ্বরূপ বসাক।

মুখ্যমন্ত্রী জানান, পাহাড় সফর শেষে তিনি কলকাতা ফিরে যাওয়ার পরে 'ডেভেলপমেন্ট অ্যান্ড কালচারাল বোর্ড ফর তামাঙ্গ' গঠনের নথিপত্র তৈরি হবে। সরকারি সূত্রের খবর, ওই বোর্ডে কারা থাকবেন, তা সংশ্লিষ্ট সকলের সঙ্গে আলোচনা সাপেক্ষে ঠিক করবে রাজ্য। যা শোনার পরে তাঁদের ঐতিহ্যশালী বাজনা 'ডাম্পু' বাজিয়ে উচ্ছ্বাস প্রকাশ করেন তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের প্রতিনিধিরা। তামাঙ্গ ইয়ুথ অ্যাসোসিয়েশনের মুখ্য উপদেষ্টা নাজো গ্লান বলেন, "১০ বছর আগে আমরা উপজাতি হিসেবে স্বীকৃতি পেয়েছি। এ বার নিজস্ব বোর্ড পেলাম। আজকের দিনটি আমাদের কাছে শুভ।" তাঁদের দাবি, দার্জিলিং পাহাড় ও সমতল মিলিয়ে কয়েক লক্ষ তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের মানুষ বসবাস করেন।

গত বছরই রাজ্য সরকার পাহাড়ের লেপচা সম্প্রদায়ের জন্য পৃথক উন্নয়ন বোর্ড গড়েছে। এ বার তামাঙ্গদের জন্যও তা করার সিদ্ধান্ত হল। শেরপা, ধিমাল, সুব্বা, ভুটিয়া, খাওয়াস, ভুজেল, লিম্বু, মঙ্গর সম্প্রদায়ের প্রতিনিধিরাও তাঁদের জন্য আলাদা বোর্ডের দাবি তুলেছেন।

*

মিরিকে তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের সভায় মুখ্যমন্ত্রী মমতা

বন্দ্যোপাধ্যায়। মঙ্গলবার বিশ্বরূপ বসাকের তোলা ছবি।

তাঁদের মধ্যে কোনও কোনও সম্প্রদায়ের প্রতিনিধিরা মুখ্যমন্ত্রীর সঙ্গে অনুষ্ঠান মঞ্চে দেখা করে সেই আর্জি পেশ করেছেন। মুখ্যমন্ত্রী অবশ্য সরাসরি কোনও প্রতিশ্রুতি দেননি। তবে পরে মুখ্যমন্ত্রী বলেছেন, "রাই, ভুজেল, লিম্বু সহ পাহাড়ের বিভিন্ন সম্প্রদায়কে আদিবাসী হিসেবে স্বীকৃতি দেওয়া উচিত। তবে বিষয়টি কেন্দ্রের এক্তিয়ারে পড়ে।" জিটিএ-র ক্ষমতাসীন দল গোর্খা জনমুক্তি মোর্চা লেপচা সম্প্রদায়ের জন্য আলাদা বোর্ড গড়া নিয়ে প্রথমে আপত্তি জানিয়েছিল। তবে এখন কিন্তু পাহাড়ের সম্প্রদায়গুলির জন্য পৃথক বোর্ডের সিদ্ধান্তকে তারা স্বাগত জানিয়েছে। মোর্চার সাধারণ সম্পাদক রোশন গিরি বলেন, "মুখ্যমন্ত্রীর সিদ্ধান্তকে স্বাগত জানাই। আমরা চাই, পাহাড়ের প্রতিটি সম্প্রদায়ের জন্য পৃথক উন্নয়ন বোর্ড তৈরি হোক।"

*

মিরিকে রাজ্যের মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের

জনসভা। মঙ্গলবার রবিন রাইয়ের তোলা ছবি।

তবে সিপিএম এবং অখিল ভারতীয় গোর্খা লিগ সরকারের উদ্দেশ্য নিয়ে সংশয় প্রকাশ করেছে। প্রাক্তন পুরমন্ত্রী অশোক ভট্টাচার্য বলেন, "যদি লেপচা, তামাঙ্গ সম্প্রদায়ের উন্নয়নের জন্য আলাদা বোর্ড হয়ে থাকে, তা হলে ভাল। কিন্তু বিভিন্ন সম্প্রদায়ের মানুষের রাজনৈতিক আনুগত্য মেলার আশায় যদি এ কাজ করা হয়ে থাকে, তা হলে তা আগামী দিনে বিপজ্জনক হয়ে উঠতে পারে।" গোর্খা লিগের সাধারণ সম্পাদক প্রতাপ খাতি অবশ্য মোর্চাকে দুষেছেন। তাঁর অভিযোগ "পাহাড়ের যথাযথ উন্নয়ন করতে পারেনি মোর্চা। সে কারণেই প্রতিটি সম্প্রদায় নিজেদের জন্য পৃথক উন্নয়ন বোর্ড দাবি করছে।" তাঁর আশঙ্কা, "এর ফলে পরে গোর্খাল্যান্ডের দাবিতে ঐক্যবদ্ধ আন্দোলন সম্ভব হবে না।" সিপিআরএমের মুখপাত্র গোবিন্দ ছেত্রীরও বক্তব্য, "যদি সব সম্প্রদায়ের জন্য পৃথক উন্নয়ন বোর্ড তৈরি হয়, তবে জিটিএ-র আর কাজ কী হবে?" দার্জিলিং ডুয়ার্স ইউনাইটেড ডেভেলপমেন্ট ফাউন্ডেশনের প্রতিষ্ঠাতা মহেন্দ্র পি লামার মতে, এমন ভাবে যথেচ্ছ উন্নয়ন বোর্ড তৈরি করে পাহাড়ের উন্নয়ন সম্ভব নয়।

http://www.anandabazar.com/archive/1140122/22sil1.html



উত্তরবঙ্গের সচিবালয়ে ঠাঁই পেল জিটিএ-ও

কিশোর সাহা • শিলিগুড়ি

হাকরণ কিংবা হালের নবান্নে জায়গা মেলেনি গোর্খাল্যান্ড টেরিটোরিয়াল অ্যাডমিনিস্ট্রেশনের (জিটিএ)। তা নিয়ে গোর্খা জনমুক্তি মোর্চার মধ্যে তো বটেই, পাহাড়ের আমজনতারও চাপা অভিমান ছিল। সেই বার্তা পৌঁছয় মুখ্যমন্ত্রী মমতা বন্দ্যোপাধ্যায়ের কাছেও। তাই পাহাড়ের অভিমান কমাতে তাঁর নিজের উত্তরবঙ্গের সচিবালয় 'উত্তরকন্যা'তেই জিটিএ কর্তাদের বসার জন্য জায়গা দিলেন মুখ্যমন্ত্রী।

সোমবার বিকেলে শিলিগুড়ির উপকণ্ঠে কামরাঙাগুড়িতে উত্তরকন্যা উদ্বোধনের সময়েই মুখ্যমন্ত্রী সেখানে জিটিএ-র জন্য পৃথক অফিস ঘর বরাদ্দের নির্দেশ দিয়েছেন। সেই সঙ্গে, জিটিএ-র অফিসার-কর্মী ও পাহাড়ের নানা এলাকার বাসিন্দারা যাতে শিলিগুড়িতে গিয়ে কম খরচে থাকতে পারেন, সে জন্য 'পাহাড়িয়া' নামে একটি বিশেষ অতিথি নিবাস তৈরিরও নির্দেশ দিয়েছেন মমতা।

*

উত্তরকন্যায় নিজের ঘরে মুখ্যমন্ত্রী।

মুখ্যমন্ত্রীর কথায়, "আমি চাই পাহাড়-সমতল হাতে-হাত ধরে চলুক। সে জন্য সব রকম চেষ্টা করছি। তাই উত্তরকন্যায় জিটিএ-র জন্য আলাদা অফিসের জায়গা বরাদ্দ হয়েছে। সেই সঙ্গে পাহাড়ের নানা এলাকার সাধারণ মানুষ চিকিৎসা, পড়াশোনার জন্য নিয়মিত শিলিগুড়িতে আসেন। তাই শিলিগুড়িতে পাহাড়বাসীর জন্য একটা অতিথি নিবাস তৈরির নির্দেশ দিয়েছি। উত্তরবঙ্গ উন্নয়ন দফতর তা তৈরি করবে।"

মঞ্চ থেকে যা ঘোষণা করেছেন, তা যে নিছক আশ্বাস নয়, তা-ও এ দিন বুঝিয়ে দিয়েছেন মুখ্যমন্ত্রী। উদ্বোধন অনুষ্ঠানের পরেই সরকারি কর্তাদের নিয়ে ডাকা এক বৈঠকে জিটিএ-র ডেপুটি চিফ অবসরপ্রাপ্ত কর্নেল রমেশ আলে সহ পাহাড়ের প্রতিনিধিদের ডেকে নেন মুখ্যমন্ত্রী। উত্তরকন্যার দোতলায় একটা বড় মাপের ঘর বরাদ্দ করা হয়েছে জিটিএ-কে। রমেশ আলেও সেই ঘর দেখে খুশি। সেখানে জিটিএ চিফ কিংবা তাঁর প্রতিনিধির বসার জন্য আলাদা ব্যবস্থা রয়েছে। ঘরে যুগ্ম সচিব পর্যায়ের একজন অফিসারের জন্য 'কিউবিকল'ও রয়েছে। এ ছাড়া, অন্তত ১০ জন অফিসার-কর্মীর বসার বন্দোবস্তও হতে পারে সেখানে।

সব ঠিকঠাক চললে এই ব্যবস্থা মতো আগামী মে-র মধ্যেই জিটিএ-র পুরোদস্তুর একটা অফিস হচ্ছে শিলিগুড়িতে। যেখানে দেখা যেতে পারে জিটিএ চিফ বিমল গুরুঙ্গকেও। উত্তরকন্যায় দাঁড়িয়ে রমেশ আলে উত্তরবঙ্গ উন্নয়ন মন্ত্রী গৌতম দেবকে বলেন, "এটা দারুণ ঘটনা। আমরা তো ভাবতেই পারিনি। অফিসটা হলে নানা ব্যাপারে ছোটাছুটি কমবে।" উদাহরণ হিসেবে তিনি জানান, কয়েক মাসে আগে দার্জিলিং পাহাড়ে ভগিনী নিবেদিতার বাড়িটি তাঁরা রাজ্যকে হস্তান্তর করেছেন। তাঁর দাবি, সে জন্য ১ কোটি টাকা জিটিএ-র পাওয়ার কথা। তিনি বলেন, "কিন্তু ওই ফাইল কোথাও থমকে রয়েছে। উত্তরকন্যায় আমরা বসলে ওই ধরনের জট সহজেই কেটে যেতে পারে। তা ছাড়া, পাহাড়-সমতলের প্রশাসনের মেলবন্ধনও এর ফলে আরও দৃঢ় হবে।" গৌতমবাবু অবশ্য জানিয়ে দেন, হতাশার কারণ নেই, যত দ্রুত সম্ভব জিটিএ-কে ওই টাকা দেওয়ার ব্যবস্থা হবে।

*

জিটিএ ডেপুটি চিফ রমেশ আলে'কে উত্তরকন্য ভবনে

বরাদ্দ ঘর দেখাচ্ছেন উত্তরবঙ্গ উন্নয়ন মন্ত্রী গৌতম দেব।

এই প্রথম পাহাড়ের প্রশাসনের কর্তারা রাজ্য প্রশাসনের কোনও সচিবালয়ে বসার জায়গা পেলেন। বাম আমলে জিএনএলএফ-এর সুবাস ঘিসিঙ্গ দার্জিলিং গোর্খা পার্বত্য পরিষদ আদায় করলেও মহাকরণে অফিস করার জায়গা পাননি। জলপাইগুড়িতে উত্তরবঙ্গ উন্নয়ন পর্ষদের দফতরেও ডিজিএইচসি-র জন্য জায়গা বরাদ্দ হয়নি। মোর্চা প্রধান গুরুঙ্গও জিটিএ আদায় করেছেন। কিন্তু মহাকরণে জিটিএ অফিস করার জায়গা পাননি। পরে রাজ্য প্রশাসনের সদর দফতর নবান্নে সরানো হয়েছে। সেখানেও জিটিএ-র জন্য আলাদা কোনও জায়গা করে দেওয়ার কথা ভাবা হয়নি কেন, পাহাড়ের মানুষ প্রশ্ন তুলেছিলেন।

এই প্রেক্ষাপটে উত্তরকন্যায় জিটিএ-র অফিস পাওয়াটা 'অত্যন্ত তাৎপর্যপূর্ণ' বলে মত পাহাড়-সমতলের মানুষের। সরকারি সূত্রে দাবি, মুখ্যমন্ত্রী পাহাড়কে কাছে টানতে সবরকম চেষ্টা করছেন। রেলমন্ত্রী থাকার সময়ে এনজেপি ও শিয়ালদহে নেপালি ভাষায় ঘোষণা চালু করার ব্যবস্থাও করেছিলেন মমতা। মুখ্যমন্ত্রী হওয়ার পরে বারেবারে পাহাড়ে ছুটেছেন। গুরুঙ্গদেরও ডেকেছেন। সম্প্রতি গুরুঙ্গ দ্বিতীয় দফায় জিটিএ চিফ হিসেবে যাতে কলকাতার রাজভবনে শপথ নেন, সেই ব্যবস্থাও করেছিলেন মুখ্যমন্ত্রী। রাজ্য প্রশাসনের এক কর্তা জানান, তাই উত্তরকন্যার পরে এ বার কলকাতাতেও জিটিএ-র অফিস হওয়ার রাস্তাও মসৃণ হল।


—নিজস্ব চিত্র।



* * *



http://www.anandabazar.com/archive/1140121/21sil2.html


No comments:

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

PalahBiswas On Unique Identity No1.mpg

Tweeter

Blog Archive

Welcome Friends

Election 2008

MoneyControl Watch List

Google Finance Market Summary

Einstein Quote of the Day

Phone Arena

Computor

News Reel

Cricket

CNN

Google News

Al Jazeera

BBC

France 24

Market News

NASA

National Geographic

Wild Life

NBC

Sky TV