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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, October 8, 2014

प्रेस विज्ञप्ति:जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस 9 अक्‍टूबर को

By Jitendra Yadav

प्रेस विज्ञप्ति:जेएनयू में महिषासुर शहादत दिवस 9 अक्‍टूबर को

8 अक्‍टूबर 2014, नई दिल्‍ली। जवाहरलाल नेहरु विश्‍वविद्यालय में ऑल इंडिया बैकवर्ड स्‍टूडेंट्स फोरम के तत्‍वाधान में 9 अक्‍टूबर, शरद पूर्णिमा के अवसर पर महिषासुर शहादत दिवस का आयोजन किया जाएगा। संगठन के राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष जितेंद्र यादव ने इस दिन का महत्‍व बताते हुए कहा कि दुर्गा द्वारा छलपूर्वक बहुजन राजा महिषासुर की हत्‍या के बाद असुर समाज ने अपने नायक की याद में पूर्णिमा की चांदनी रात में शोक सभा की थी। श्री यादव का कहना है कि महिषासुर बंग प्रदेश (जिसे आज बंगाल, बिहार, उडीसा और झारखंड के नाम से जानते है) के प्रतापी, न्‍यायप्रिय और वलशाली राजा थे। आर्य जब इस प्रदेश पर हमला किए तो उन्‍हें महिषासुर की संगठित सेना के सामने कई बार परास्‍त होना पडा। अंत में आर्यों ने छलपूर्वक दुर्गा के द्वारा राजा महिषासुर की हत्‍या करवा दी। किसी भी सभ्‍य समाज में हत्‍याओं का जश्‍न नहीं मनाया जाता। महिषासुर शहादत दिवस बहुजन तबकों के इतिहास और नायकों को जानने की कोशिश है। यह ब्राम्‍हणवादी सांस्‍कृतिक वर्चस्‍व के प्रतिरोध में बहुजनों की सांस्‍कृतिक मुक्ति का आंदोलन है।
जेएनयू में आयोजित महिषासुर शहादत दिवस में इतिहासकार ब्रजरंजन मणि, वरिष्‍ठ पत्रकार अनिल चमडिया, हंस के संपादक संजय सहाय, जेएनयू के प्रोफेसर प्रमोद यादव, दलित लेखिका अनिता भारती, स्‍त्रीकाल पत्रिका के संपादक संजीव चंदन, दलित-आदिवासी दुनिया के मुक्ति तिर्की, कौशलेन्द्र यादव समेत अन्‍य गणमान्‍य व्‍‍यक्ति शामिल होंगे। इस अवसर पर युवा पत्रकार प्रमोद रंजन द्वारा महिषासुर के जीवन पर एक पुस्तिका का विमोचन भी किया जाएगा। 9 अक्‍टूबर को आयोजित इस कार्यक्रम में सबसे पहले राजा महिषासुर की स्‍मृति को नमन करते हुए उनकी याद में 1 मिनट का मौन रखा जाता है। इसके बाद उपस्थित वक्‍ता महिषासुर और बहुजनों की संस्‍कृति और इतिहास के संबंध में अपने-अपने विचार रखते है। इस अवसर पर राजा महिषासुर के जीवन पर आधारित प्रसिद्ध चित्रकार लाल रत्‍नाकर के चित्रों की प्रदर्शनी भी लगाई जाएगी।

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