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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, October 3, 2014

हौर फूल संतराज (गेंदा ) से किलै जळणा छन ?

 हौर   फूल संतराज (गेंदा )  से किलै जळणा छन ?

                                जळतमार ::: भीष्म कुकरेती

 

 कमल - दिखणु छे ! स्यु गेंदाक फूल कन घमंड मा च ?

कुण्ज - अरे नि पूछ।  तै संतराज तैं देखिक इ म्यार अंदड़ म्वाट ह्वे जांदन पत्ता फड़फड़ाण मिसे जांदन, जलड़ तक जळण लग जांदन !

एक सफेद फूल -मि त तै संतराजौ नाम सूणि लाल -पीला ह्वे जांदु।  म्यार त ज्यु बुल्यांद तैक तीक तोड़ी द्यूं , नाड़ी नबज सब गोदी (कोरना , छेड़ करना ) करि द्यूं , तै गेंदाक बीज खै जौं !

एक पीलु फूल - अरे ना पूछो ! जब तलक स्यु दुश्मन नि ऐ छौ , सरा गढ़वाळ मा मेरी पूछ छे।  दिवळि-बग्वळि- गोधनक दिनुं मेरी पूछ हूंद छे , क्या बच्चा , क्या बुढ्या, क्या जनानी मि तैं तोडिक पींड मा लगैक गोरुं तैं पींड खलांद छा।  अर अब सी गढ़वळि मि तैं पुछदा बि नि छन।  सब गेंदा से पूजा करदन। 

एक छुटु लाल फूल - मै तो बोलता हूँ इस गेंदे के फूल को वहीं दक्षिण अमेरिका भेज दो जहां से यह मेरीगोल्ड फूल ढाई -तीन सौ साल पहले भारत पुर्तगालियों के आने के बाद  भारत में आया।  पर ये हराम कु बच्चान में सरीखा फूलक कुलनाश ही कर दे। बद कु बच्चा , बदमास , साला अरे पैल डाँडों मा डम्फु (रसबेरी ) क दगड मी बिराज दींदु छौ पर पता च म्यार त ये संतराजन हरचंत ही कर दे अर जख जा स्यु संतराज ही दिखेंद।  सुंताळ लगल तैकि जनरेसन या प्रोडक्टिविटी पवार।  मि त बोदु तै गेंदा फूलक सत्यानाश ह्वे जैन , बंशनाश  ह्वे जैन अरे तै से लोगुं प्रेम हट जैन ,  जैन मि तैं लुप्त फूलूं गिनती मा डाळि दे। 

गुदड़ी  - हैं ! तैक विकास , तैकी ग्रोथ , तैको मानव समाज मा प्रसार तो द्याखो ! हर जगा , जन्म दिवस, नामकरण , जण्वणि, जन्द्यो दीणो दिन , ब्यौवक दिन , मरणो दिन , स्वागत समारोह, श्रद्धांजलि समारोह कखम नि दिखेंद स्यु गेंदा।  ह्यां पता च शराधुं बगत बामण श्राद्ध मा तर्पण दींद दै केवल सफेद फूल या फिर म्यार फूलूं से तर्पण दींद छा।  अर अब त पता सि धर्महीन -कर्महीन -ज्ञानहीन बामण पता च क्या बुल्दन ?

दुबुल - हाँ अब बामण बुल्दन कि दुबल -कुणज नी बि ह्वावो तो गेंदा का फूल अवश्य चयेंदन। 

एक सफेद फूल - अरे अब त मुर्यां मुर्दा मा सफेद फूलूँ जगा पीला पीला गेंदा की माळा डळे जांद।  मालाओं मा अब संतराज नि हो त मनिख सुचद माळा इ नी च।  डिकोरेसन , सजावटों मा जख जावो स्यख गेंदा ही गेंदा।  अरे मि त बोद कि तैक लड़िक मरि जैन धौं !

गुलाब  - मि त सन्यास लीणो सुचणु छौं , मि बनवासी हूणों जाणु छौं , म्यार ज्यू बुल्याणु च मि अबि फांस खै द्यूं, ये संसार से कुलबिहीन ही ह्वे जौं ! म्यार त ये संसार से अब लगाव ही समाप्त ह्वे  गे , मि अब समाधिस्थ हूण चाणु छौं।   

एक फूल - हैं ? तू अर कमल तो फूलूं राजा -महाराजा - सम्राट मने जाँदा त संन्यास , समाधि की क्या बात करणु छे ? इथगा डिजेक्टेड , डिप्रेस्ड, डिसहार्टण्ड  किलै फील करणु छे ?

कमल - अरे गुस्सा नि आण , क्रोध नि आण , हमर सरैल पर आग नि लगण ? उदासी नि आण , उत्साहहीनता नि आण , असह्य दुःख नि हूण ? 

हैंक फूल - पर तुम द्वी फूल तो दिव्तौं फूल छंवां।  फिर या हताशा , निराशा , असंतोष क्यांको ? रोष , गुस्सा , क्रोध किलै भै ? इथगा ईर्ष्या , इथगा जलन , इथगा जिलयसी  क्याक ?

गुलाब - अरे देवी की पूजा माँ लाल फूलूं से अर्घ्य चढ़ये जांद छौ किन्तु अब यी मनिख गेंदा का फूलों से अर्घ्य चढाँदन। 

अल्लु - अरे पर जरा विचार कारो !

मुंगरी - हाँ अवश्य ही प्रश्न मीमांषा लैक च। 

लुब्या - तुम सब्युं तैं सुचण चयेंद कि अनायास ही गेंदा की महत्ता बढ़ तो क्या कारण छन?

रामबांस - अर फिर दुसराक उन्नति , हुन्यार , गुणों से कबि बि ईर्ष्या , जलन   करण  अफीकुनुकसानदेय  , हानिकारक  हूंद। 

सबी फूल - तुम सब तो दक्षिण अमेरिकी वनष्पाति  छंवां तो तुमन तो गेंदा का फूल की  ही तरफदारी करण। 

कद्दू - ह्यां ! उन त मी बि दक्षिण अमेरिकाक वनष्पति छौं पर एक बात बोली द्यूं ! जब पृथ्वी माँ मनुष्यों राज च तो मनुष्य वो  ही वनष्पती या जंतु तैं पसंद कारल जैक विकास , वृद्धि , वंशवृद्धि सरलता से अर जु अधिक लाभदायी होलु अर इनि किस्मों वनष्पति व जंतु तैं परिश्रय द्यालो।  यही ये युग कु चरित्र च , चाल -चलन च , संस्कृति विशेषता च। अर गेंदा का फूल उगण मा सरल च , दिखेण मा बिगरैल च , द्वी चार दिन तक ताजा रौंद तो सुगम्य से ट्रांस्पोर्टेब्ल च , गेंदा का प्रयोग बहुत जगा हूंदन तो गेंदा प्रतियोगिता मा अग्नै छ कि ना ?





 

Copyright@  Bhishma Kukreti  4/10 /2014       
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लेख में  घटनाएँ ,  स्थान व नाम काल्पनिक हैं । लेख  की कथाएँ चरित्र व्यंग्य रचने  हेतु सर्वथा काल्पनिक है

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