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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Wednesday, October 8, 2014

अब यह अमन चैन और वतन रिलायंस के हवाले लोगों मुक्त बाजार का युद्धक अर्थव्यवस्था में कायाकल्प ही मेकिंग इन अमेरिका कारपोरेट हित में भारत पाक युद्ध और सीमा आर पार जनविरोधी कट्टरपंथ का आयोजन यह पलाश विश्वास


अब यह अमन चैन और वतन रिलायंस के हवाले लोगों

मुक्त बाजार का युद्धक अर्थव्यवस्था में कायाकल्प ही मेकिंग इन अमेरिका

कारपोरेट हित में भारत पाक युद्ध और सीमा आर पार जनविरोधी कट्टरपंथ का आयोजन यह

पलाश विश्वास


कारपोरेट हित में भारत पाक युद्ध और सीमा आर पार जनविरोधी कट्टरपंथ का आयोजन यह।


अब यह अमन चैन और वतन रिलायंस के हवाले लोगों।


मुक्त बाजार का युद्धक अर्थव्यवस्था में कायाकल्प ही मेकिंग इन अमेरिका।


भारत सरकार ने लंबे समय से अटकी पड़ीं रक्षा क्षेत्र की 33 परियोजनाओं को मंजूरी दे दी है। जिन कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है, उसमें रिलायंसएयरोस्पेस टेक्नॉलजीज, भारत फोर्ज, महिंद्रा टेलिफोनिक इंटिग्रेटेड सिस्टम तथा टाटा ऐडवांस्ड मटीरियल्स शामिल हैं। इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने से रक्षा क्षेत्र में आधुनिक विनिर्माण को बढ़ावा मिलने तथा बड़े पैमाने पर निवेश आकर्षित होने की उम्मीद है।


इसी के साथ भारत पाक सीमा पर युद्ध की रणभेरी भी बज चुकी है।


गौरतलब है कि जिन कंपनियों के प्रस्तावों को मंजूरी दी गयी है, उसमें रिलायंस एयरोस्पेस टेक्नोलाजीज, भारत फोर्ज, महिंद्रा टेलीफोनिक इंटीग्रेटेड सिस्टम तथा टाटा एडवांस्ड मैटेरियल्स शामिल हैं।


गौरतलब है कि  इन प्रस्तावों को मंजूरी मिलने से क्षेत्र में आधुनिक विनिर्माण को बढ़ावा मिलने तथा बड़े पैमाने पर निवेश आकषिर्त होने की उम्मीद है।


एक आधिकारिक बयान के अनुसार औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के सचिव की अध्यक्षता वाली लाइसेंसिंग समिति ने पिछले सप्ताह लंबे समय से अटके पड़े आवेदनों का निपटान किया और उन्हें औद्योगिक लाइसेंस की स्वीकृति दी।


वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) ने 33 बड़े रक्षा सौदों को मंजूरी दे दी, इनमें से 19 प्रस्ताव प्रत्यक्ष विदेशी निवेश से जुड़े थे। एफडीआई की नोडल एजेंसी डीआईपीपी द्वारा जिन बड़े रक्षा सौदों को मंजूरी दी गई है उनमें रिलायंस एयरोस्पेस, भारत फोर्ज, महिंद्रा टेलीफोनिक इंटीग्रेटेड सिस्टम्स, पुंज लॉयड इंडस्ट्रीज, महिंद्रा एयरो स्ट्रक्चर और टाटा एडवांस्ड मैटेरियल्स के प्रस्ताव शामिल थे।


यह फैसला डीआईपीपी सचिव अमिताभ कांत की अध्यक्षता में लाइसेंसिंग समिति की एक बैठक के दौरान लिया गया। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति के मुताबिक, 'ये सभी प्रस्ताव पिछले कई सालों से सरकार के पास लंबित थे। रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की सीमा 26 फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी किए जाने, ऑटोमेटिक रुट के जरिये पोर्टफोलियो निवेश की सीमा 24 फीसदी करने और किसी अकेली भारतीय कंपनी द्वारा 51 फीसदी इक्विटी हिस्सेदारी की शर्त को हटाने के बाद ही इन प्रस्तावों को मंजूरी दी जा सकी है।'


मंत्रालय ने यह भी कहा कि यह फैसला देसी विनिर्माण उद्योग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हालिया पहल 'मेक इन इंडिया' के मद्देनजर लिया गया है। लंबित पड़े कुल 33 रक्षा आवेदनों में से 14 प्रस्ताव लाइसेंसिंग के मामलों में अटके पड़े थे।



गौर तलब है कि अमेरिका में हथियारों के अलावा कुछ भी नहीं बनता।पूंजी के वर्चस्व के कारण सस्ते श्रम की गरज से अमेरिका के अंदर और बाहर विदेशियों को हायर करती है कंपनिया,लेकिन अमेरिकी नागरिकों के लिए नौकरियां नही है।


गौर तलब है कि महाशक्ति बनकर दुनिया परराज करने का असली मकसद अमेरिकी युद्धक व्यवस्था में लगी पूंजी के हित साधना है।


गौर तलब है कि अमेरिकी उपभोक्ता बाजार पर चीनी,कोरियाई और जापान जैसे देशों का कब्जा है।


गौर तलब है कि बिना युद्ध के अमेरिकी सांस भी नहं ले सकते।अमेरिका की पुलिसिया राजनय और विदेशनीति दरअसल युद्ध और गृहयुद्ध का कारोबार है।


गौर तलब है कि आतंक के खिलाफ अमेरिका का युद्ध भी दुनियाभर के संसाधनों पर कब्जे का खेल है जिसके तहत अमेरिका तीसरे तेलयुद्ध में फिर मरुआंधी में फंस चुका है।


रिलायंस जैसी कंपनियां ध्वस्त उत्पादन प्रणाली,चौपट कृषि और खत्म कारबार के बेरोजगार इस देश में हथियारों का निर्माण करती रहेंगी तो युद्धक अर्थव्यवस्था में निष्णात ही हो जाना है भारतीय मुक्त बाजार,जहां सरकार न्यूनतम है और पूंजी अबाध है।जनहित में कुछ भी नहीं है।


आपके प्रधान स्यंसेवक ने जाकर अमेरिका की सरजमीं पर भारतीय कायदे कानून को खराब कानून बताते हुए अंतररष्ट्रीय लंपट पूंजी के हित में सारे कानून बदलने का ऐलान कर चुके हैं।


इससे पहले बाजार को विनियमित विनियमित और सार्वजनिक क्षेत्रों के निजीकरण के तहत विकास का जो समावेशी पीपीपी गुजराती कामसूत्र के तहत उ्होंने मेड इन के समापन के साथ मेक इन का नारा दिया,वह पिछले सात दशकों से अमेरिका परस्त रूस परस्त सैन्य राष्ट्र की राम रचि राखा नियति ही है, जिसके मुताबिक मुक्त बाजार का अंततः युद्धक अर्थव्यवस्था में कायाकल्प होना है।


धीरु भाई अंबानी ने कपड़ा उद्योग का समापन करके जो कृत्तिम रेशां का साम्राज्य खड़ा किया श्रीमती इंदिरा गांधी के संरक्षण प्रोत्साहन में,उस साम्राज्य की प्रजा हैं हम और सारे संसाधन रिलायंस हवाले है।


लोकसभा चुनाव से पहले स्वर्ग राज्य में मोदी का राजतिलक जो मुकेश अनिल भाइयों ने किया,वह ग्लोबल हिंदुत्व के जरिये ग्लोबल कारोबार ही है,जिसके तहत रिलायंस ने कांग्रेस का दशकों का साथ छोड़ा है।


बात शुरु करने से पहले इस पोस्ट पर गौर करें,ऐसे अनंत सुभाषित सोशल मीडिया पर केदार जलप्रलय है,जिसमें कितने लोग मारे जायेंगे,कोई अंदाजा नहीं हैः

घुसकर मारो और ऐसा मारो कि उनके आकाओं की रूह काॅप जाए - प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी


पाकिस्तान को करारा जवाब :-भारतीय सेना के हमले में 37 पाकिस्तानी ढेर 78 घायल पकिस्तान ने युद्ध विराम के लिए दिखाया सफ़ेद झंडा लेकिन भारतीय सेना ने नकारा |


ना हम शैतान से हारे, ना हम हैवान से हारे

कश्मीर में जो आया तूफान, ना हम उस तूफान से हारे

यही सोच कर ऐ पाकिस्तान, हमने तेरी जान बक्शी है

शिकारी तो हम हैं मगर, हमने कभी कुत्ते नहीं मारे


हमने अपने मित्रों से पूछा कि क्या उन्हें 62 और 65 के बीच बाजार भाव के बारे में कोई आइडिया है।बंगाल में जो मध्य साठ में तेभागा के साथ साथ खाद्य आंदोलन चल रहा था और वसंत का वज्रनिर्घोष समांतर चल रहा था,जब कोलकाता महानगर के राजपथ और गांवों में खेंतों की मेढ़े रक्तनदियों में थे तब्दील,उस वक्त भी यूपी में चावल,दाल,आटा का भाव अठन्नी से कम था। घी एक रुपये किल में मिलता था और गांवों में सब्जी,फल और दूध का कारोबर नहीं होता था।नमक एक पैसा भाव था।



जो हम दूध घी की नदियों की बात करते हैं,राष्ट्र के सैन्यीकरण से पहले यकीनन वे यहां बहती थीं और हम उसमें नहाते भी थे।तब न हरित क्रांति मुकम्मल थी और न श्वेत क्रांति हो चुकी थी।


मुक्त पूंजी ने हमें बाबरी विध्वंस,भोपाल गैस त्रासदी,सिखों के नरसंहार,पूर्वोत्तर में उग्रवाद,मध्यभारत और संपूर्म आदिवासी भूगोल में सलवा जुड़ुम,कश्मीर और पूर्वोत्तर में मानवाधिकार हनन और प्राकृतिक आपदाओं का सिलसिला उपहार में दिया है।


हम जल जंगल जमीन से बेदखल हैं।नदियां सारी बिक गयीं।हिमालय पूरा का पूरा बिक गया।सारे अरण्य बहुराष्ट्रीय कंपनियों के हवाले हैं।


और यही बुलेट विकास है।


हीरक चतुर्भुज है।


62 से 65 के बीच मंहगाई के बारे में शिकायतें कम थीं,शिकायत थी कालाबजार और जमाखोरी के बारे में बहुत ज्यादा और पंडित जवाहर लाल नेहरु ने भी कह दिया था कि कालाबाजारियों और जमाखोरों को लैंप पोस्ट पर टांग दिया जायेगा।जो अब तक हुआ नहीं है।



मेरे पिता पुलिनबाबू सक्रिय सामाजिक कार्यकर्ता थे और बारहों महीने कहीं न कहीं किसी जनांदोलन में जुते होते थे।मेरे चाचा पचासों मील के इलाके में अकेले डाक्टर थे जो देहातियों का इलाज करते थे रातदिन। मेरे ताउजी खेती बाड़ी देखते थे।लेकिन वे भी संगीत मास्टर थे।मेरी तहेरी दीदी के बाद उस साझा परिवार में मैं सबसे बड़ा बच्चा था।


बसंतीपुर से दिनेशपुर 6 किमी दूर था और यातायात का साधन न था।निहायत शैसवावस्था में परिवार के लिए राशन पानी लाने का इंतजाम मेरी जिम्मेदारी थी।इसलिए मेरे मित्रों को भाव मलूम हो न हो,मुझे मालूम है।फिर भी मैं तब मिट्टी के तेल का क्या भाव था,नहीं याद कर पा रहा।


सोने का भरी भाव मुरादाबाद सर्राफा में इतना कम था कि गांव में किसी लड़की के गहने के बाबत हजार रुपये खर्च हुए हो उसकी व्याह में,ऐसा मुझे याद नहीं है।


पेट्रोल डीजल की दुनिया के बाहर थे हम,इसलिए उसके भाव के बारे में कुछ भी याद नहीं है।




मेरे घर में हिंदी,बांग्ला और अंग्रेजी के अखबार नियमित आते थे।पिताजी जब तब दूसरी तमाम भाषाओं के अखबार लाते थे जिन्हें मैं देवनागरी अक्षर ज्ञान के तहत तब भी बांच लिया करता था।


हमारे लिए तब सबसे बड़ी पहेली थी कि जो चावल यूपी में अठन्नी भाव है,वह बंगाल में तीन रुपये किलो कैसे है और भोजन के लिए क्या आंदोलन हो सकता है।


बंगाल में भारत के दूसरे हिस्सों की तरह अस्पृश्यता कभी नहीं थी जो सामाजिक भेदभाव रहा है,उससे हम तराई में मुक्त रहे हैं।वाम पृष्ठभूमि की निरंतरता की वजह से सामाजिक सरोकार और अस्मिता के आर पार उत्पादन संबंधों के सामाजिक यथार्थ से ही हमारी दृष्टि का विकास होता रहा है।


इस प्रस्तावना का मकसद यह है कि भारत चीन सीमित सीमा संघर्ष ने भारत का जैसा सैन्यीकरण करना शुरु किया,उसका कमाल सन 65 के युद्ध में देखने को मिला तो चरमोत्कर्ष सन् 71 में।


तनिक उस विजयोल्लास को याद करें जब संघ परिवार तक ने इंदिरा गांधी के महिषमर्दिनी दुर्गावतार का आवाहन किया था और कांग्रेस की राजनीति संघी राजनीति में समाहित हो गयी।ग्लोबल हिंदुत्व का नवनिर्माण हुआ तो पाप का घड़ा पूरा हो गया।


संसद में नेहरु ने घोषणा की थी कि हमने अपनी सेना को चीनियों को खदेड़ने का आदेस दे दिया है।


पूरे पांच दशक बाद महाराष्ट्र और हरियाणा जीतने के लिए धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद की सुनामी बनाते हुए वे भारतीय सेना से कह रहे हैं कि पाकिस्तानियों को घुसकर मारो।


यह युद्धघोषणा तो है ही।इसके साथ ही भारतीय मुक्ताबाजार के युद्धक अर्तव्यवस्था में रुपांतरण,कायाकल्प का उदात्त उद्घोष भी है।

जनाब नवाज शरीफ की गद्दी बेदखल होनी वाली है और अंदरुनी हालात उनके नियंत्रण में नहीं है।पाकिस्तान अमेरिकी वसंत की जद में है और सैन्य अभ्युत्थान की तैयारी में हैं।इन तत्वों के लिए भारत पाक युद्ध से बहतर कोई दूसरा अवसर नहीं बनता है।तो दूसरी ओर निजी क्षेत्र के लिए रक्षा उत्पादन और कारोबार के जो तमाम दरवाजे खोल दिये गये हैं,तो उन कंपनियों के निरंकुश मुनाफे का भी यह स्थाई बंदोबस्त है।


मारे तो जायेंगे सीमा के आर पार लोग और दशकों तक युद्ध गृहयुद्ध के इस राष्ट्रद्रोही कारोबार में मुकम्मल अमेरिका बनकर हम अमेरिकी नागरिकों की तरह नरकयंत्रणा को झेलते रेंगे जैस सन बासठ के बाद इन पांच दशकों तक हम झेलते रहे हैं।


गौरतलब है कि मोदी सरकार के आने के बाद से भारत पर सबका भरोसा बढ़ता जा रहा है। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के आउटलुक बढ़ाने के बाद आईएमएफ से भी अच्छी खबर आई है।


मौजूदा कारोबारी साल के लिए आईएमएफ ने भारत का जीडीपी अनुमान बढ़ाकर 5.6 फीसदी कर दिया है जो कि जुलाई के अनुमान से 0.2 फीसदी ज्यादा है। वहीं आईएमएफ को लग रहा है कि वित्त वर्ष 2016 में भारत की जीडीपी 6.4 फीसदी की रफ्तार से बढ़ेगी। 2014 में महंगाई दर 7.8 फीसदी के करीब रहेगी और अगले साल ये घटकर 7.5 फीसदी पर आ सकती है।


हालांकि, आईएमएफ ने ग्लोबल ग्रोथ का अनुमान घटाकर 3.3 फीसदी कर दिया है जो अप्रैल में जारी हुए अनुमान से करीब 0.5 फीसदी कम है।


इधर, एचएसबीसी सर्विस पीएमआई के भी अच्छे आंकड़े आए हैं। सितंबर में भारत की सर्विस पीएमआई 50.6 से बढ़कर 51.6 हो गई है जिसका मतलब साफ है कि देश के सर्विस सेक्टर में भी ग्रोथ हो रही है।

सौजन्यः


नई दिल्ली। सीमा पर पाकिस्तान की तरफ से लगातार फायरिंग पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि जल्द ही सब कुछ ठीक हो जाएगा। मोदी ने ये बात समाचार एजेंसी पीटीसी को कही। इससे पहले आज दिन में मोदी ने सुरक्षाबलों को दो टूक निर्देश दिया था कि बिना दबाव में आए पाकिस्तान की फायरिंग का मुंहतोड़ जवाब दिया जाए।


सूत्रों की मानें तो मोदी ने पाकिस्तान से निपटने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को खुली छूट दे दी है। वहीं ताजा खबर है कि भारत के आक्रामक रुख के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुला ली है। इस बैठक में तीनों सेना के मुखिया भी शामिल होंगे।


मोदी ने पाकिस्तान के खिलाफ सख्ती की बात सरकारी बैठक में कही। जबकि हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में विपक्ष इसे लगातार मुद्दा बना रहा है। ऐसे में आज प्रश्नकाल का सवाल यही था कि क्या मोदी को चुनावी सभाओं में पाकिस्तान पर जवाब देना चाहिए। चर्चा में हिस्सा लिया बीजेपी नेता सुधांशु मित्तल, कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा, रिटायर्ड मेजर जनरल सतबीर सिंह और स्काइप के जरिए पाकिस्तान से जुड़े पत्रकार और लेखक बाबर अयाज। देखें वीडियो।


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