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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Friday, June 28, 2013

बिजली कंपनियों की लाटरी निकल आयी कोयला नियामक फैसले से!कोल गेट घोटाले को रफा दफा करने के लिए कोयला नियामक का बखूब इस्तेमाल होना है।

बिजली कंपनियों की लाटरी निकल आयी कोयला नियामक फैसले से!कोल गेट घोटाले को रफा दफा करने के लिए कोयला नियामक का बखूब इस्तेमाल होना है।


एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



अल्लाह मेहरबान तो गधा पहलवान!बिजली कंपनियों की लाटरी निकल आयी कोयला नियामक फैसले से!भारत सरकार और राज्य सरकारें बिजली कंपनियों के हक में है। जिन्हें बिजली कंपनिों की ओर से बार बार बिजली दरें बढ़ाये जाने पर कोई खास ऐतराज नहीं होता। लेकिन जबर्दस्त कारपोरेट लाबिइंग के असर में पूरी राजनीतिक जमात कोल इंडिया के खिलाफ लामबंद हो गयी। जो यूनियनें कोल इंडिया के विनिवेश और विभाजन के खिलाफ आंदोलन कर रही हैं, उनके पीछे भी राजनीतिक दल हैं। जो यूनियनों के विपरीत कोल इंडिया के खिलाफ बिजली कंपनियों के ही हित साध रहे हैं।सीसीईए की बैठक में कोल रेगुलेटर बॉडी कोयला नियामक  बनाने का भी फैसला लिया गया है। कोयला नियामक बनना बिजली कंपनियों के लिए अच्छी खबर है। दावा तो यह किया जा रहा है कि इसके बाद बिजली कंपनियों के लिए कोयले की किल्लत दूर होगी और कीमत मनमाने तरह से नहीं बढ़ेगी। कोयला नियामक की मुख्य जिम्मेदारी नीलामी से पहले रिजर्व प्राइस सुझाना, कीमत और क्वालिटी पर मतभेद हल करना होगा।कोयला नियामक बन जाने के बाद देखना तो यह है कि बिजली कंपनियों को मनमाने ढंग से बिजली दरें बढ़ाने के लिए अब कौन सा बहाना मिलता है।


सरकार फैसले की वजह से ही बिजली और उर्वरक कंपनियों के लिए की लाटरी निकल आयी है, बाजार के रुख से यह साफ जाहिर है। प्राकृतिक गैस के दाम बाद में तय होने की खबर से पावर और फर्टिलाइजर शेयरों को सहारा मिला। साथ ही, कोयला नियामक को मंजूरी मिलने का भी फायदा से पावर शेयरों को मिला।सरकार के मुताबिक पावर प्रोजेक्ट्स के कोयला सप्लाई मसले को पूरी तरह से सुलझा लिया गया है। अल्ट्रा मेगा पावर प्रोजेक्ट्स के लिए पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप का मसौदा तैयार है। पावर डिस्ट्रिब्यूशन सेक्टर से जुड़ी नीतियों में सुधार करने की जरूरत है। फर्टिलाइजर और पावर कंपनियों के गैस सप्लाई पर जल्द कैबिनेट नोट लाया जाएगा।सरकार ने कोल इंडिया के उत्पादन का लक्ष्य 49.2 करोड़ टन रखा है। वहीं, बिजली की क्षमता का लक्ष्य 18432 मेगावॉट रखा है।


अब राहत की सांस ले रहे हैं कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को उम्मीद है कि संसद में कोयला नियामक बिल पास हो जाएगा। कोयला नियामक का प्रस्ताव लंबे समय से अटक हुआ था। कोयला नियामक  के आने से सेक्टर में पारदर्शिता आएगी। 1 हफ्ते में सरकारी कंपनियों को कोयले के ब्लॉक दिए जाएंगे।कोल गेट घोटाले को रफा दफा करने के लिए कोयलानियामक का बखूब इस्तेमाल होना है।जाहिर है।  कोयला मंत्रालय ने मई 2012 में कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक 2012 की मंजूरी के लिए आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) के समक्ष प्रस्ताव रखा था।कैबिनेट कमेटी ऑन इकोनॉमिक अफेयर्स (सीसीईए) ने कोल पूल प्राइसिंग को मंजूरी दी है। इंपोर्टेड कोल से बिजली उत्पादन पर होने पर कोयले की बढ़ी कीमत का बोझ ग्राहकों पर डाला जाएगा। इससे बिजली महंगी होने की आशंका है।सरकार के इस फैसले से 2009 के बाद बने 78000 मेगावॉट क्षमता के पावर प्लांट को फायदा होगा। ऐसे में टाटा पावर, अदानी पावर, सीईएससी, जीएमआर इंफ्रा और रिलायंस इंफ्रा जैसी कंपनियों को राहत मिलेगी।


कोयला नियामक की जिम्मेदारी के तहत कोयले की कीमत और गुणवत्ता पर मतभेद हल करना, कोयला ब्लॉक की नीलामी से पहले रिजर्व प्राइस सुझाना, कोयले की कीमत में पारदशिर्ता की गाइडलाइंस के साथ ही कोयला ब्लॉक की नीलामी की गाइडलाइंस तय करना शामिल होंगे।अब कोल इंडिया बिजली कंपनियों की मांग के 65 फीसदी कोयले की आपूर्ति करेगा। बाकी बचा कोयला कंपनियों को सीधे आयात करना होगा या कोल इंडिया के जरिए आयात कर सकती है। महंगे कोयले का बोझ ग्राहकों पर डालने के फैसले के बाद बिजली की दरों में 20-25 पैसे प्रति यूनिट की बढ़ोतरी होगी। आयातित कोयले की कैलोरोफिल वैल्यू ज्यादा होती है जिससे इससे बनने वाली बिजली भी कुछ महंगी होती है।


वित्त मंत्री पी चिदंबरम का कहना है कि कोयला ब्लॉक आवंटन कोयला नियामक के दायरे में नहीं आएगा। संसद की मंजूरी के बाद कोयला नियामक को लागू किया जाएगा। कोल इंडिया कीमतें तय करेगी, वहीं, कोयला नियामक नियम बनाएगा।


चिदंबरम ने संवाददाताओं से कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2013 को मंजूरी के लिए संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा। उन्होंने संवाददाताओं से कहा, 'विधेयक पारित होने का इंतजार करने की बजाय हमने इस विनियामक प्राधिकारण को कार्यपालिका के आदेश के जरिए गठित करने का प्रस्ताव किया है। पहले भी ऐसा किया जा चुका है। पेंशन कोष निनियमन एवं विकास प्राधिकारण (पीएफआरडीए) का गठन भी सरकारी आदेश से ही किया गया था। यह अब भी सरकारी आदेश के तहत ही काम कर रहा है। सेबी का गठन भी सरकारी आदेश से किया गया था सेबी सांविधिक निकाय बाद में बना। ' केंद्रीय मंत्रिमंडल ने कल शाम कोयला क्षेत्र के लिए नियामक के गठन को मंजूरी दी थी। चिदंबरम ने कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक, 2013 संसद के अगले सत्र में पेश किया जाएगा।


उन्होंने कहा, चूंकि कोयला नियामक का गठन जरूरी है, इसलिए शुरू में इसे सरकारी आदेश के जरिये बनाया जाएगा और हम उम्मीद करते हैं कि इस बारे में विधेयक जल्द से जल्द पारित हो जाएगा। चिदंबरम ने कहा कहा कि प्राधिकरण के दायरे में कोयला ब्लाक आवंटन नहीं आएगा। मंत्रिमंडल इस बारे में पहले ही फैसला कर चुका है। वित्त मंत्री ने कहा कि यह प्राधिकरण सभी अंशधारकों के हितों का संरक्षण करेगा। चिदंबरम ने कहा कि कोयला नियामक प्राधिकरण मूल्य तय करने के सिद्धान्तों तथा तौर तरीके बारे में बताएा। साथ ही वह दो अंशधारकों के बीच विवाद का निपटान भी करेगा।


विधेयक के संसद में पारित हो जाने के बाद विस्तृत विवरण तैयार कर शुरूआती कोष के लिए सरकार को भेजा जाएगा। मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को भी मंजूरी दी कि यदि विधेयक के पारित होने में देरी होगी, तो कार्यकारी आदेश के जरिए नियामक स्थापित किया जाएगा। नियामक हालांकि कोयला पट्टी आवंटन में हस्तक्षेप नहीं कर पाएगा और कोल इंडिया लिमिटेड कोयले की कीमत तय करती रहेगी।


बहरहाल कोयला नियामक बनाने के फैसले के साथ साथ सरकार द्वारा आर्थिक सुधारों की दिशा में बड़ा कदम उठाने की वजह से बाजार 2.75 फीसदी उछले। सरकार ने नैचुरल गैस के दाम दोगुने करने का फैसला किया है। साथ ही, रुपये में आई जोरदार तेजी और एशियाई बाजारों में मजबूती से भी घरेलू बाजारों में जोश आया।सेंसेक्स 520 अंक चढ़कर 19396 और निफ्टी 160 अंक चढ़कर 5842 पर बंद हुए। दिग्गजों के साथ-साथ मिडकैप शेयर भी उछले। निफ्टी मिडकैप 3.2 फीसदी चढ़ा। वहीं, छोटे शेयर बाजार की तेजी पिछड़े। बीएसई स्मॉलकैप में करीब 1.5 फीसदी की तेजी आई।दिग्गजों में जिंदल स्टील, कोल इंडिया, बीएचईएल, रिलायंस इंफ्रा, बीपीसीएल, बजाज ऑटो, सन फार्मा, एनएमडीसी, एलएंडटी, एचडीएफसी, हिंडाल्को, आईसीआईसीआई बैंक, भारती एयरटेल, गेल, टाटा पावर, पावर ग्रिड 7-3.5 फीसदी उछले हैं।  चालू खाता घाटा कम होने और सरकार द्वारा सुधार पर जोर देने की कोशिशों का असर बाजार पर दिख रहा है। कारोबार शुरू होने के साथ बाजार में तेजी दर्ज की जा रही है।सरकार के फैसले के बाद कंपनी के शेयरों में खरीदारी बढ़ गई है। कोल इंडिया के शेयरों में भी तेजी दर्ज की जा रही है। सरकार द्वारा कोयला नियामक को मंजूरी मिलने के बाद कंपनी के शेयरों में तेजी आई है। बीएचईएल, एलऐंडटी और जिंदल स्टील के शेयर भी चढ़े हुए हैं।


कोयला नियामक को मंजूरी दिये जाने से शेयर बाजार में पावर कंपनियों के शेयर भाव में मजबूती का रुख बना हुआ है।

आज शेयर बाजार में कोल इंडिया का शेयर 309.50 रुपये तक चढ़ गया। दोपहर 2:48 बजे 6.80% की मजबूती के साथ यह 306.45 रुपये पर है।एनटीपीसी के शेयर भाव में भी मजबूती का रुख है। बीएसई में कंपनी का शेयर 2.67% की बढ़त के साथ 144.20 रुपये पर है।शेयर बाजार में टाटा पावर के शेयर भाव में भी मजबूती का रुख है।


नियामक, कोयले के नमूने एकत्र करने और कोयले को साफ करने की प्रक्रिया भी तय करेगा।गुरूवार को सीसीईए की बैठक के बाद जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, ""प्राधिकरण कोयले की गुणवत्ता तय करने के लिए जांच की प्रक्रिया तय करेगा, खदानों को बंद करने का आदेश देगा और उसकी प्रक्रिया पर नजर रखेगा, कच्चो और शुद्धीकृत कोयले की कीमत निर्धारण की प्रक्रिया तय करेगा, विभिन्न पक्षों के बीच विवादों पर फैसला देगा और केंद्र सरकार द्वारा सौंपे गए अन्य कार्यो का निष्पादन करेगा।"" बयान में कहा गया है कि "कोयला नियामक प्राधिकरण कोष" नाम से एक कोष गठित किया जाएगा और प्राधिकरण को मिलने वाले सभी प्रकार के अनुदान और शुल्क इसी कोष में जमा किए जाएंगे।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वित्त वर्ष 2014 के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश का लक्ष्य तय किए हैं। देश में निवेश का माहौल सुधारने के लिए मनमोहन सिंह ने इंफ्रास्ट्रक्चर से जुड़े मंत्रालयों के साथ बैठक की। नए लक्ष्य के तहत सरकार इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश बढ़ाएगी।


साल दर साल के मुताबिक सड़क निर्माण का लक्ष्य 9500 किमी से घटाकर 5000 किमी रखा गया है। वहीं, एयरपोर्ट में निवेश का लक्ष्य 1023 करोड़ रुपये से घटाकर 900 करोड़ रुपये रखा है।


वित्त वर्ष 2014 में सरकार एयरपोर्ट निर्माण पर खासा जोर देने वाली है। एयरपोर्ट अथॉरिटी देश भर में 50 नए लो कॉस्ट एयरपोर्ट बनाएगी। नवी मुंबई, मुंबई के जुहु, गोवा, कन्नौर के ग्रीन फील्ड एयरपोर्ट को मंजूरी दी गई है। भुवनेश्वर और इंफाल में इंटरनेशनल एयरपोर्ट बनाए जाएंगे।इसके अलावा पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत अगले 6 महीने में सरकार 1 लाख करोड़ रुपये के इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट को मंजूरी दे सकती है। योजना आयोग के उपाध्यक्ष, मोंटेक सिंह अहलूवालिया के मुताबिक इंफ्रास्ट्रक्चर सेक्टर में निवेश बढ़ाया जा सकता है।


क फैसला करते हुए पांच साल में पहली बार प्राकृतिक गैस की कीमत बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। देश में उत्पादित गैस की मौजूदा कीमत 4.2 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू (गैस मापने का मानक) से बढ़ कर लगभग दोगुनी हो जाएगी। नई दर अप्रैल, 2014 से लागू होगी और पांच साल तक प्रभावी रहेगी। इससे देश के पेट्रोलियम क्षेत्र में देसी-विदेशी निवेश आने की संभावना तो है, लेकिन यह भी तय है कि ग्राहकों को बिजली व उर्वरक के लिए ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी।


प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों की मंत्रिमंडलीय समिति (सीसीईए) की बैठक में रंगराजन समिति के फार्मूले के आधार पर प्राकृतिक गैस कीमत बढ़ाने के फैसले को मंजूरी दे दी गई। प्रस्ताव के मुताबिक अब हर तीन महीने पर गैस की कीमत संशोधित की जाएगी। इस समय जिस तरह से अंतरराष्ट्रीय बाजार को देख कर पेट्रोल की कीमत तय की जाती है, उसी तरह से अब गैस की कीमत भी तय होगी। पेट्रोलियम मंत्रालय ने अपने कैबिनेट नोट में प्राकृतिक गैस की कीमत 6.7 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू करने का प्रस्ताव किया था। मगर माना जा रहा है कि अप्रैल 2014 से जब नई दर लागू होगी तब अंतरराष्ट्रीय कीमत के आधार पर यह आठ डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के आसपास हो जाएगी।


इस फैसले का देश के ऊर्जा क्षेत्र पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा। गैस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार से काफी कम होने की वजह से कंपनियां भारत में निवेश नहीं कर पा रही थीं। पहले जो गैस फील्ड मिले थे, उनमें भी नया निवेश नहीं हो रहा था। इस वजह से केजी बेसिन में गैस उत्पादन घट कर एक तिहाई रह गई है।


इस फैसले के बाद देश के बिजली प्लांटों को पर्याप्त गैस मिल सकेगी। अभी लगभग 18 हजार मेगावाट के गैस आधारित बिजली प्लांट गैस की कमी की वजह से बंद पड़े हुए हैं। अब इन्हें फिर से चलाना संभव हो सकेगा। मगर गैस की कीमत बढ़ने से बिजली उत्पादन लागत बढ़ेगी जिसे अंतत: ग्राहकों को ही चुकाना पड़ेगा। इसी तरह से स्टील, उर्वरक व सीमेंट उद्योगों की लागत भी बढ़ेगी और उनकी कीमतों में भी इजाफा हो सकता है।


गैस की कीमत बढ़ाने के साथ ही सीसीईए ने कोयला क्षेत्र के लिए नियामक गठित करने संबंधी विधेयक को भी मंजूरी दे दी। कोयला नियामक प्राधिकरण विधेयक को यूपीए सरकार वर्ष 2010 से तैयार कर रही है। इसे अब जा कर अंतिम रूप दिया जा सका है। इसे मानसून सत्र में सरकार संसद में पेश करेगी। प्रस्तावित नियामक को कोयला कीमत तय करने का पूरा अधिकार नहीं दिया गया है। प्राधिकरण को सिर्फ कुछ विशेष मामलों में ही कीमत तय करने बारे में हस्तक्षेप करने का अधिकार होगा। इसके अलावा सीसीईए ने नेशनल फर्टिलाइजर लिमिटेड (एनएफएल) की 7.64 फीसद हिस्सेदारी विनिवेश को भी हरी झंडी दिखा दी। सरकार को इससे 125 करोड़ रुपये मिलने की उम्मीद है।


फैसले का दूरगामी असर-


1. 18 हजार मेगावाट क्षमता के बिजली प्लांट को मिलेगी गैस


2. केजी बेसिन में रिलायंस बढ़ाएगी निवेश, बढ़ेगा उत्पादन


3. तेल व गैस क्षेत्र में आएगा नया निवेश


4. उर्वरक कंपनियों पर भी पड़ेगा असर, बढ़ेगी कीमत


5. सीमेंट व स्टील की कीमतों भी इजाफा तय





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