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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, October 26, 2013

यह कैसा आपदा प्रबंधन?

यह कैसा आपदा प्रबंधन?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​



दुर्गोत्सव के राजकीय आयोजन में वृष्टि असुर का जो उत्पात शुरु हुआ, उससे बंगाल में तो क्या पड़ोसी राज्यों में काली पूजा और दिवाली के जलप्लावित हो जाने की आशंका है। मध्य कोलकाता में मशहूर ठनठनिया कालीबाड़ी का पंडाल बारिश के हवाले हो गया तो पोस्ता में पुरानी इमारत ढह जाने से पिता पुत्र की त्रासद मृत्यु हो गयी। डीवीसी के बांधों से जल छोड़े जाने का सिलसिला जारी है। शिल्पांचल से लेकरजंगल महल तक सर्वत्र पानी ही पानी। कोलकाता और उपनगरीय इलाके यथावत जलमग्न हैं। निकासी की वह दिशा और दशा और जन गण के हिस्से में अनवरत नरक यंत्रणा। सड़कों से साठ फीसदी बसें गायब हो जाने से दफ्तर से घर और घर से दफ्तर जाना नदियों की सवारी करना जैसा हो गया है।


कालीपूजा में होगी मश्किल

कालीपूजा भी बारिश से प्रभावित होगी। मौसम विभाग की ओर से ऐसे संकेत मिल रहे हैं जिससे लोग आशंकित हैं।मौसम विभाग के मुताबिक बंगाल की खाड़ी में उत्पन्न निम्न दबाव के कारण राज्य के दक्षिणी हिस्सों में आगामी कुछ दिनों तक बारिश का सिलसिला जारी रह सकता है। कोलकाता के जलमग्न होने से कालीपूजा और दीवाली की तैयारियां भी प्रभावित हुई हैं। त्योहार के हफ्ते भर पहले हुई जोरदार बारिश ने कालीपूजा के पंडाल निर्माण पर भी असर डाला है।

चावल खतरे के निशान पर


लक्ष्मी पूजा के मौके पर गेंदे की पचास रुपये भाव बिक रही थी।अब काली पूजा में गुड़हल या जबा के भाव क्या होंगे,कोई नहीं जानता।इस पर तुर्रा यह कि  खेतों में पानी खड़ा हो जाने से धान नष्ट हो जाने से अब चावल का भी संकट खड़ा होने को है।खाद्य सुरक्षा के तहत दो रुपये किलो किस किसको मिलेगा, नहीं मालूम लेकिन लोगों को खाने लायक चावल अब भी तीस रुपये से नीचे नही मिल रहा है। बारिश की के बाद एक पारी जारी है। मौसम विभाग की ओर से राहत की कोई सूचना नहीं है।दिल्ली में प्याज की कीमत 100 रुपये प्रति किलो होती देख ममता बनर्जी सरकार ने पश्चिम बंगाल में 36 रुपये प्रति किलो प्याज की दर पर प्याज की बिक्री के लिए 40 दुकानें लगवाई हैं। प्याज लेकिन अनाज नहीं है। अनाज न हो और बाकी सब्जियां न हो तो सिर्फ थाली पर प्याज परोस देने से पेट भरेगा या नहीं,सरकार को अभी यह सोचना होगा।


उद्योग कारोबार के बाद खेती भी तबाह


उद्योग और कारोबार का हाल बेहाल है।उससे ज्यादा बदहाल है राषकोष। कारपोरेट उत्सवों के आयोजनों के धूम धड़ाके के बावजूद निवेश की दस्तक सुनायी नहीं पड़ रही है। नागरिकों की जीवनयातना का जो हो सो हो, मुद्रास्फीति और मंहगाई के मध्य जबकि विशष वर्ग सरकारी कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता भी बकाया है, बंगाल में खाद्य संकट की परिस्थितियां बन रही है जो मां माटी मानुष सरकार के लिए जल्द ही सरदर्द का सबब बनने वाला है। ताजा हालत के मुताबिक भारी वर्षा और बाढ़ की वजह से शीतकालीन सब्जियां और फूल खेतों में ही सड़ जाने से किसान तबाह हैं। हाटों में जनपदों से सब्जियों और फूलों की आवक रुक गयी है।डीवीसी की ओर से लगातार पानी ठोड़े जाने से चार जिलों में ही धान की फसल चौपट है। बाकी दो जिलों में भी धान की खेती असंभव हो गयी है।रवि की खेती संकट में है।दलहन तिलहन भी संकट में हैं।मौजूदा आकलने मुताबिक अस्सी हजार हेक्टेअर धान की फसल बरबाद हो गयी। महानगरों के जलबंदी हो जानेके मुकाबले राज्य के लिए यह कहीं बड़ा संकट है।


दीदी बिना राह नहीं,राहत भी नहीं


मुख्यमंत्री की अनुपस्थिति में आपदा प्रबंधन क्या है ,पता ही नहीं चल रहा है। कोलकाता लौटकर जब दीदी कमान संभालेंगी ,तब शायद हालात सुधरे जलमग्न जलबंदी लोगों के लिए यह उम्मीद फिलहाल एकमात्र राहत है।शुक्रवार की मध्यरात से लगातार मूसलाधार से कोलकाता, हावड़ा और उपनगरों के ज्यादातर इलाके जल ही जल हैं।सड़कें नदियों में तब्दील है। मौसम विभाग केमुताबिक फिलहाल बारिस का सिलसिला जारी रहना है।दीदी ने पालिका मंत्री फिरहाद हकीम को पहाड़ से फोन करके जल्द से जल्द जल निकासी के आदेश दे दिये हैं। लेकिन बारिश के जारी रहने पर जलनिकासी के मौजूदा इंतजाम के मुताबिक हकीम के पास इसकी कोई दवा है,ऐसा अभी मालूम ही नहीं पड़ा है।बहरहाल दीदी ने कोलकाता के मेयर और पालिका मंत्री की नियंत्रण कक्ष में अविराम ड्यूटी लगा दी है,जहां से वे बहते हुए कोलकाता को जलमुक्त करेंगे।अब भी कोलकाता,उत्तर व दक्षिण चौबीस परगना, दोनों मेदिनीपुर, नदिया, वर्दमान से लेकर वीरभूम तक पूरे दक्षिणबंगाल में लगातार भारी बारिश होने की आशंका है।कोलकाता में तो तो मेयर और हकीम की ड्यूटी लग गयी है।हावड़ा में माकपाई मेयर पर दीदी का हुक्म तचचल नहीं रहा है और जिलों  का तो कोई माई बाप है ही नहीं है।


डीवीसी पर अंकुश नहीं


तूफान पिलिन से सुंदरवन के सौजन्य से बंगाल पर प्रकृति का रोष सीधे देखने को नहीं मिला। पर शिल्पांचल, वर्दमान और जंगल महल में उसका असर हुआ। डीवीसी का पानी तबसे जो छूट रहा है,दीदी के प्रधानमंत्री को पत्र लिखने के बाद वह सिलसिला जारी है। हुगली,हावड़ा और दोनों मेदिनीपुर तक बाढ़ के हालात हैं। पिलिन से बच गये लेकिन बार बार निम्न चाप और घुर्नावत के आवेग सेबंगाल बार बार जलप्लावित हो रहा है। मां काली के दरबार में दुर्गा के नाम नालिश से राहत तो मिली है, लेकिन आपदा प्रबंधन हो नहीं पा रहा है।



नवान्न का नजारा

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अभी पहाड़ों में मुस्कान के फूल खिलाकर उत्तर बंगाल से लौटेंगी तो एक के बाद एक कालूी पूजा आयोजन का उन्हें उद्घाटन करना होगा। वे इस बरसात में नये राइटर्स नहीं गयीं। लेकिन जो लोग वहा ंनौकरी के लिए रोजाना जाना पड़ रहा है,उनकी  आफत है। मंगलवार को नवान्न भवन में नयी समस्या सामने आ गयी. सरकारी कर्मचारियों के लिए वहां पीने के लिए पानी तक नहीं था. वहां दिन भर पानी के लिए हाहाकार मची रही।कर्मचारियों को  विभाग में पहुंचने के लिए घंटों लिफ्ट की लाइन में खड़ा होना पड़ रहा है। दीदी को भी लाइन के अंत में खड़ा होना पड़ा। एक ओर वहां पीने के पानी की समस्या थी, तो दूसरी ओर बारिश के पानी ने नवान्न भवन में लोक निर्माण विभाग के कर्मचारियों की हालत बिगाड़ दी। निकासी की पाइप फटी होने के कारण बारिश का पानी सीढ़ियों से नीचे उतरा, जिससे 14 मंजिली नये राज्य सचिवालय के प्रत्येक तल्ले पर बारिश का पानी जमा था। लोक निर्माण विभाग के अधिकारी इस पानी को ही साफ करने में जुटे रहे।


गौरतलब है कि नवान्न भवन को जलापूर्ति करने से हावड़ा नगर निगम ने साफ तौर पर मना कर दिया है। ऐसे में नवान्न में लगाये गये पंप के जरिये पानी की व्यवस्था की जा रही है। यहां जलापूर्ति करने के लिए अलग से पंप स्टेशन बनाया गया है। एक और पंपिंग स्टेशन बनाये जाने की योजना है। लेकिन जब तक पंपिंग स्टेशन नहीं बन जाता, तब तक पानी की समस्या बनी रहेगी। वैसे भी हावड़ा में बरसात में जल मल एकाकार हो जाना आम है। अब जलमग्न नवान्न कुछ नया ही नजारा पेश कर रहा है।


पिता पुत्र की असमय मृत्यु

शुक्रवार सुबह 8 बजे के आसपास बड़ाबाजार के काटन स्ट्रीट में एक पुराने बहुमंजिला मकान के एक हिस्से के ढहने से मलबे में दबकर दो लोगों की मौत हो गई जबकि कई लोग घायल हो गए। मरने वालों में मकान का केयरटेकर आशीष मंडल और उसका पुत्र संजय है। महानगर में शुक्रवार रातभर और शनिवार को हुई मूसलाधार बारिश मौत और बरबादी लेकर आई। बारिश ने महानगर में सामान्य जनजीवन पूरी तरह अस्त-व्यस्त कर डाला। बड़ाबाजार के काटन स्ट्रीट में बारिश की चपेट में आकर एक मकान का हिस्सा ढह गया, जिससे दो लोगों की मौत हो गई। मरने वाले पिता-पुत्र थे। महानगर के लगभग सभी इलाके जलमग्न हो गए। घरों में पानी घुस गया। कितने दुकान-बाजार खुले ही नहीं। जिन्होंने हिम्मत दिखाकर दुकानें खोली भी तो ग्राहकों की बाट जोहते रह गए।


यातायात बाधित

पूर्वी रेलवे के सूत्रों ने बताया कि पटरियों पर पानी भर जाने के कारण सियालदाह में लोकल रेल सेवाएं बाधित हो गई हैं। रेल की पटरियों पर पानी भरा होने के कारण कोलकाता स्टेशन से दमदम तक भी रेल सेवाएं स्थगित रहीं। विमान सेवाओं पर बारिश के कारण कोई प्रभाव नहीं पड़ा है। दक्षिण पूर्वी रेलवे ने भारी बारिश और तटीय ओडिशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में बाढ़ की वजह से कुछ लंबी दूरी की ट्रेनें रद कर दी हैं। कुछ ट्रेनें अन्य रेल मार्गों से निकाली जा रही हैं। कुछ इलाकों में घुटनों तक पानी भरा होने के कारण यात्रियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।100 से अधिक जगहों पर सड़कों और गलियों में टखनों से लेकर घुटनों तक जलभराव देखा गया। जिसके चलते यातायात बाधित रहा।हालांक कोलकाता के मेयर शोभऩ  चटर्जी ने कहा कि स्थिति पर नियंत्रण के लिए नगर पालिका युद्धस्तर पर काम कर रही है। मुख्यमंत्री की सक्रियता को देखते हुए कोलकाता के मेयर शोभन चटर्जी ने निकासी विभाग के अधिकारियों को रास्तों पर जमे जल की द्रुत निकासी का निर्देश दिया है, बावजूद इसके शनिवार देर शाम तक उत्तर और दक्षिण कोलकाता की कई सड़कों में पानी जमा हुआ था।



आलू संकट


बाजारों में कीमतें आसमान छूने लगी हैं,पुरानी खबर है। प्याज बेलगाम है तो पर्याप्त आलू होने के बावजूद दिल्ली और भोपाल जैसे इलाकों में आलू 40 से लेकर 45 रुपये किलो भाव बिकने की वजह से बंगाल का आलू दूसरे राज्यों में भागने लगा है।जिससे दूसरी तमाम सब्जियों के साथ आलू भी अब महंगा। पश्चिम बंगाल के किसान बिहार, झारखंड, उड़ीसा और असम जैसे पड़ोसी राज्यों में आलू भेज रहे हैं, जहां बारिश की वजह से आलू की फसल को नुकसान हुआ है। वेस्ट बंगाल कोल्ड स्टोरेज एसोसिएशन के मेंबर पतित पाबन डे ने बताया, 'इन राज्यों से अचानक डिमांड बढ़ने से कीमतें चढ़ गई हैं। दक्षिण भारत में बारिश से आलू की फसल खराब हुई है। हालांकि, पूरे साल के दौरान किसानों को नुकसान उठाना पड़ा है, क्योंकि उन्हें जो कीमत मिल रही थी वह प्रोडक्शन कॉस्ट से काफी कम थी।' देश के ज्यादातर हिस्सों में पिछले एक सप्ताह के दौरान आलू के दाम लगभग दोगुने हो गए हैं। ज्यादातर राज्य सरकारों ने अभी इसकी बढ़ती कीमतों पर लगाम लगाने के लिए कदम नहीं उठाया है, लेकिन पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हालात की समीक्षा करने और उपायों का फैसला करने के लिए 30 अक्टूबर को मीटिंग बुलाई है। इससे पहले ममता ने सब्जियों के दाम पर नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाए थे। वहीं, आलू ट्रेडर्स का कहना है कि मुख्यमंत्री को इस साल कम कीमत पर आलू बिकने की जानकारी है। वेस्ट बंगाल पोटैटो मर्चेंट्स एसोसिएशन के सेक्रेटरी और मुख्यमंत्री की टास्क फोर्स के मेंबर दिलीप प्रतिहार ने बताया, 'पश्चिम बंगाल से पड़ोसी राज्यों को आलू भेजने से रोकने के लिए कुछ कदम उठाए गए थे, लेकिन इसका फायदा नहीं हुआ और आलू से लदे ट्रक झारखंड और असम के लिए निकल गए।' ममता को अब यह फैसला करना होगा कि वह किसानों को खुश करती हैं या शहरी लोगों का बोझ कम करती हैं, जो पहले ही फूड प्राइसेज बढ़ने से मुश्किलों का सामना कर रहे हैं। राज्य में पिछले रबी सीजन में 115 लाख टन आलू का प्रोडक्शन हुआ था। आलू के बढ़ते दाम केवल पश्चिम बंगाल के लिए ही समस्या नहीं हैं। आलू का सबसे ज्यादा प्रोडक्शन करने वाले उत्तर प्रदेश में रीटेल मार्केट में इसकी कीमत दोगुने से ज्यादा हो गई है। नवीन एग्री फार्म के मालिक नवीन शुक्ला ने बताया, 'किसानों को अब आलू के लिए 16 रुपए प्रति किलोग्राम तक कीमत मिल रही है, जो सप्ताह भर पहले 8-9 रुपए प्रति किलोग्राम थी।'



जल थल एकाकार



उत्तराखंड में बाढ़ और भूस्खलन सालान कार्यक्रम है।लेकिन उससे निपटने का कोई इंतजाम नही ंहै।बार बार कोलकाता,हावड़ा और उपनगरों समेत जिलों में बंगाल में जल थल एकाकार हो जाना उत्तराखंडी आपदा प्रबंधन की याद ही दिलाता है। ऊपर से आंध्र और ओडीशा मे ंतूफान पिलिन से निपटने की बेमिसाल कामयबी के बाद जो बारिश और बाढ़ का कहर बरपा है,उससे मछलीप्रेमी बंगालियों की रसोई में हाहाकार है।शुक्रवार रातभर हुई बारिश से जहां कोलकाता और हावड़ा के व्यापक हिस्से जलमग्न हो गए हैं, वहीं शनिवार को भी दिनभर बूंदाबांदी जारी रही। मध्य कोलकाता के बड़ाबाजार के श्रीराममंदिर और मुक्ताराम बाबू स्ट्रीट से लेकर ठनठनिया, कालेज स्ट्रीट, अम्ह‌र्स्ट स्ट्रीट के अलावा पोस्ता और कालीकृष्ण टैगोर स्ट्रीट में व्यापक जल जमाव का नजारा था। कुछ यही नजारा दक्षिण कोलकाता के पॉश इलाकों अलीपुर, लाउडन स्ट्रीट बालीगंज, कैमक स्ट्रीट, शार्ट स्ट्रीट का था। इस रास्तों पर दोपहर के समय घुटना भर पानी जमा था। भारी बारिश और जलजमाव के कारण दुकानों और शोरूमों में पानी घुस गया है, लिहाजा दुकानदारों को भारी नुकसान की आशंका है।


लगातार बारिश और बाढ़ से आंध्र प्रदेश और ओड़िशा में कम से कम 45 लोगों की मौत हो गई है और करीब 30 जिलों के सैकड़ों गांवों में पानी भरा हुआ है तथा क्षेत्र में सड़क और रेल सम्पर्क बाधित है।


दक्षिण बंगाल में भारी बारिश में छह व्यक्तियों की मौत हो गई तथा इससे कोलकाता और आसपास के जिलों में सामान्य जीवन बुरी तरह से प्रभावित हुआ है।


बारिश और बाढ़ ने आंध्र प्रदेश में भारी तबाही मचाई है जहां गत चार दिनों में 29 लोगों की मौत हुई है तथा इससे वहां जल्द राहत मिलने की संभावना नहीं है क्योंकि मौसम विभाग ने अगले 48 घंटे के दौरान राज्य के साथ ही ओड़िशा के कई जिलों और दक्षिण बंगाल में भारी वष्रा का पूर्वानुमान जताया है।


ओड़िशा में बाढ़ संबंधी घटनाओं में कम से कम 16 व्यक्तियों की मौत हो चुकी है। ओड़िशा में प्रमुख नदियों में जलस्तर कम होने के बावजूद स्थिति गंभीर बनी हुई है।


आपदा प्रबंधन आयुक्त टी राधा ने बताया कि आंध्र प्रदेश के 16 जिलों के 3230 गांव भारी बारिश से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं और 6600 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं। उन्होंने बताया कि 405 सिंचाई टैंक तथा 935 किलोमीटर लंबी सड़क क्षतिग्रस्त हुई है जबकि विभिन्न जिलों में नहरों में दरार आने से बस्तियों में पानी भर गया है और फसलें डूब गई हैं।


आंध्र प्रदेश के कृषि मंत्री कन्ना लक्ष्मी नारायण ने बताया कि निचले क्षेत्रों से 72 हजार से अधिक लोगों को निकाला गया है। उन्होंने बताया कि 6.77 लाख हेक्टेयर फसल क्षतिग्रस्त हुई है।


सरकार ने श्रीकाकुलम में 36 सहित नौ जिलों में 178 राहत शिविर स्थापित किये हैं। आंध्र प्रदेश के प्रकाशम जिले में सबसे अधिक छह मौतें, गुंटूर में पांच, महबूबनगर में चार, हैदराबाद, कुरनूल में तीन-तीन, विजयनगरम, पूर्वी गोदावरी, नलगोंडा और वारंगल में दो-दो लोगों की मौत हुई है। इसके अलावा विशाखापट्टनम जिले से दो व्यक्तियों के गुम होने की सूचना है।


कृष्णा नदी में जलस्तर बढ़ने के मद्देनजर बाढ़ की चेतावनी जारी कर दी गई है।



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