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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Monday, October 21, 2013

राजकाज शुरु,दीदी अब नवान्न में, मुख्यमंत्री की सुरक्षवास्ते तैनात होंगे ड्रोन

राजकाज शुरु,दीदी अब नवान्न में, मुख्यमंत्री की सुरक्षवास्ते तैनात होंगे ड्रोन

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

बधाई हो राज्य के आम नागरिकों, लंबे उत्सव के बाद आपकी सरकार आपकी सेवा में है।खासकर हावड़ावासियों के लि बेहद खुशी का मौका है कि नवान्न में आखिरकार राजकाज चालू आहे।जनगण सर्वसाधारण की दीदी राइटर्स से विदा होकर हुगलीपार से राजधर्म निभा रही हैं। सुरक्षा चुनौतियों के मद्देनजर असुर वध हैतु जिसतरह पूजा के दरम्यान कोलकाता के आसमान में तैनात थे ड्रोन,उसीतरह अब दीदी की सुरक्षा में भी सदैव ड्रोन तैनात होंगे।


गौरतलब है कि पितृपक्ष के अवसान के बाद बाकायदा ज्योतिषी के विधान के मुताबिक शास्त्र सम्मत तौर पर प्रतिपद के अवसर पर  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने 'नवान्न भवन' का उद्घाटन कर दिया। हावड़ा के मंदिरतल्ला स्थित एचआरबीसी की 15 मंजिली इमारत में नया सचिवालय बनाया गया है। इसे 'नवान्न भवन' नाम दिया गया है। उद्गाटन के बाद से राज्य सरकार छुट्टियों पर थी और राजकाज ठप रहा इन दिनों।धर्मस्थल बन गया पूरा बंगाल और राजकाज धार्मिक। अब पूजा अवसान के बाद धर्मचोला उतारकर दीदी नवान्न की पंद्रहवी मंजिल में विराजमान होंगी। दीदी के आगमन गमन के तौर तरीके हालांकि अभी अघोषित है। लेकिन अब यह तय है कि दीदी नवान्न से ही राजधर्म निबाहेंगी।


मुलाहिजा फरमाये


मुलाहिजा फरमाये, मसलन नवान्न में आपदा प्रबंधन की तरफ से खुले कार्यालय में आपदा प्रबंधन के संयुक्त सचिव अमित चौधरी ने गुरूवार को कहा कि राज्य के छह जिले बाढ़ से प्रभावित हैं, लेकिन आज स्थिति हर जगह सामान्य है।  मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दक्षिण बंगाल के कुछ जिलों में बाढ़ के हालात के लिए दामोदर घाटी निगम (डीवीसी) द्वारा झारखंड के जलाशयों से पानी छोड़े जाने को जिम्मेदार बताया। मुख्यमंत्री ने इसे मानव जनित आपदा बताते हुए कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार से परामर्श किए बिना ऐसा किया गया है। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हस्तक्षेप की मांग की।


राजकाज का नमूना


दीदी के राजकाज का एक नमूना यह भी कि  कोलकाता शहर जिसे खुशियों का शहर कहा जाता है, 10 नवंबर भी खुशियां लेकर आ रहा है क्योंकि मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर उस दिन अपना 199 वां टेस्ट मैच खेलेंगे। वहीं अमिताभ बच्चन और शाहरुख खॉन फिल्म समारोह में भाग लेने जाएंगे। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने फेसबुक पर यह जानकारी दी है।


ममता ने लिखा है कि कोलकाता के लिए 10 नवंबर का दिन बहुत घटनापूर्ण और सम्मान का होगा। क्रिकेट लीजेंड सचिन तेंदुलकर ईंडन गार्डेन में अपना 199वां टेस्ट खेलेंगे। हम बहुत भाग्यशाली हैं कि एक साथ इतनी बड़ी हस्तियां एक ही दिन यहां मौजूद होंगी। कोलकाता में 19वां अंतर्राष्ट्रीय फिल्म सभारोह का उद्घाटन उसी दिन होगा जिसमें अमिताभ जी, जया जी और उनका परिवार मौजूद रहेगा। बंगाल के ब्रांड एंबेसडर शाहरुख खान और कमल हसन भी अन्य फिल्मी हस्तियों के साथ उद्घाटन समारोह में रहेंगे।


आपदा प्रबंधन


ममता ने प्रधानमंत्री सिंह को पहले ही पत्र लिखा है। मुख्यमंत्री ने बुरी तरह प्रभावित पश्चिम मेदिनीपुर जिले में बाढ़ के हालात का जायजा भी लिया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने पहले भी झारखंड सरकार और डीवीसी के अधिकारियों से अनुरोध किया था कि चरणबद्ध तरीके से पानी छोड़कर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर जाने दिया जाए। ममता ने जिला प्रशासन को निर्देश दिया कि जलस्तर कम होने के बाद सभी क्षतिग्रस्त घरों और सड़कों की मरम्मत की जाए।


आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव अमित चौधरी ने बताया कि पश्चिमी मेदिनीपुर, हावड़ा और पूर्वी मेदिनीपुर जिले के बड़े हिस्सों में पानी कम हुआ है और लोगों ने राहत शिविरों से अपने घरों को लौटना शुरू कर दिया है। हालांकि हुगली और बर्धवान जिले के कुछ हिस्से अब भी जलमग्न हैं।


बाढ़ से प्रभावित छह जिले हैं पश्चिम और पूर्वी मेदिनीपुर, हावड़ा, बांकुड़ा, हुगली और बर्धवान। इन में जिलों में बाढ़ से अब तक 17 लोगों की मौत हुई है। हालांकि, ताजा मौत की कोई घटना नहीं हुई है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इन जिलों के 82 ब्लॉकों में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। तकरीबन 75 हजार मकान पूर्णत: या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुए हैं।


दो लाख रूपये का मुआवजा पहले ही राज्य सरकार ने मरने वाले लोगों के परिजनों को देने की घोषणा कर दी है। चार प्रभावित जिलों का दौरा करने वालीं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बाढ़ को मानव जनित बताया। उन्होंने बिना किसी सलाह-मशविरा और राज्य सरकार को पूर्व सूचना दिए बिना मैथन और पंचेत बांध और गलुधी बैराज से अचानक पानी छोड़ने के लिए डीवीसी और झारखंड सरकार को जिम्मेदार ठहराया।


डीवीसी और झारखंड सरकार दोनों ने ममता के आरोपों का खंडन किया है। उन्होंने कहा कि पानी छोड़ने से पहले राज्य सरकार को सूचना दी गई थी।


ड्रोन रहस्य

अब जहां दौड़ेंगी दीदी,उनकी सुरक्षा में साथ साथ उस जमीं के आसमान पर उड़ेंगे ड्रोन। बंगाल के खुफिया महकमा ने यह नायाब नूस्खा अपनाया है क्योंकि बंगाल की मुख्यमंत्री जमीनी सुरक्षा चक्रव्यूह तोड़कर जहां तहां जनता के बीच चली जाती हैं और अब उनकी सुरक्षा के इस हवाई इंतजाम के सिवाय चारा कोई दूसरा है ही नहीं।


हालांकि इस इंतजाम में भारत सरकार के आंतरिक सुरक्षा मंत्रालय का कितना हाथ है,यह पता नहीं चला है। लेकिन बंगाल में अब राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री,केंद्रीय मंत्री और विदेशी महाअतिथियों के लिए ड्रोन सेवा में होंगे।राज्य के आसमान के चप्पे चप्पे में उड़ेंगे ड्रोन। दूसरे राज्यों में वीवीआई पी सुरक्षा का ब्यौरा अभी सिलसिलेवार मिला नहीं है।इंतजार है।


पूजा मौसम के कारण सरकार और प्रशासन की छुट्टियों पर होने के बावजूद दीदी ने जंगल महल से लेकर बाढ़ प्रभावित जिलों का दौरा भी कर डाला और पुलिस प्रशासनिक अफसरान की नाक में दम कर दिया है। मोर्चा वाले अब जरुर नाक रगड़ने लगे हैं,पर खिलते पहाड़ के खिसकते पहाड़ में तब्दील होने का खतरा मुंङ बांए है। दीदी पहाड़ के दौरे पर जाने वाली हैं।फिर माओवादियों की हिट लिस्ट में भी वे नंबर वन। दीदी की सुरक्षा प्रशासन के लिए जाहिरा तौर पर जी का जंजाल बना हुआ है।अब नाटो का ड्रोन मौके पर काम आ रहा है।


तुरत फुरत मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए ड्रोन की सेवा लेने के फैसले के पीछे एक वाकया हुआ बताया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का काफिला पश्चिमी मेदिनीपुर जिले के जंगलों में गलत रास्ते पर बढ़ गया जो कभी माओवादियों का गढ़ हुआ करता था।


सूत्रों ने कहा कि काफिले का नेतृत्व पायलट वाहन नहीं कर रहा था और उसमें सामान्य की तुलना में कम सुरक्षाकर्मी थे। काफिला एक चौराहे से झारग्राम की तरफ बढ़ने के लिए दांये मुड़ने के बजाय लोधा सुली से गोपीबल्लभपुर की ओर गलत रास्ते पर बढ़ गया।


ममता की कार काफिले में सबसे आगे थी और चालक ने अनजाने में गलत रास्ता ले लिया। गलत रास्ते पर चलने का एहसास होने के बाद काफिले को तत्काल लौटाया गया और इसने राज्य के राजमार्ग-9 पर सही रास्ता पकड़ा।


पुलिस ने बताया कि मुख्यमंत्री उसके बाद रात करीब 10:30 बजे झारग्राम राजबाड़ी में राज्य अतिथिगृह में सुरक्षित पहुंचीं। ममता ने बाढ़ के हालात का जायजा लेने के लिए झारग्राम जाने का फैसला किया था।


नवान्न घेराव और जवाबी घेराव


यही नहीं,गौतम देब ने नवान्न घेराव की धमकी दी हुई है और बुद्धदेव इस नवान्न अभियान की अगुवाई करने वाले हैं। जवाबी हमला बतौर खाद्यमंत्री ज्योति प्रिय मल्लिक ने माकपा मुख्यालय घेरने की तैयरी कर लही है। मोरचे जमे हुए हैं।गृहयुद्ध जारी है।किसका कौन सा हथियार किस पर बूमरैंग होकर लौटेंगा और कौन होंगे,हताहत कोई नहीं जानता।


दूसरे राज्यों में चुनाव से पहले राजनीति होती है या चुनाव के दौरान।बाकी समय लोग मिलजुलकर समस्याओं मसलो से मिलजुलकर जूझते हैं।उद्योग कारोबार निवेश के लिए सर्वदलीय सहमति से काम करते हैं और राजकाज अबाधित होता है।बंगाल में उलटपुराण है।यहां राजनीति सर्व्यापी सर्वशक्तिमान होल टाइमर।राजकाज,उद्योग कारोबार निवेश गये तेल लेने।पहले एक दूसरे से निपट तो लें।नवान्न में राइटर्स का स्थानांतरण राजनीति को रास नहीं आ रहा।


जन सरोकार हैं ही नहीं,तो जन आकांक्षाओं की परवाह करे कौन?

इसी तरह लोग अपना खून पीने,अपना ही रक्तमांस हड्डी पर जीने को अभ्यस्त हैं।


बाकी कोई मुद्दा है नहीं,कोई समस्या है नहीं।


जब तक राइटर्स का स्थानातरण हुआ नहीं,पक्ष विपक्ष में लोग कुछ नहीं बोले,अब नवान्न को लेकर घमासान।


केंद्र से ठनी


इसी बीच,राज्यों के पिछड़ेपन पर रघुराम राजन की रिपोर्ट को लेकर केंद्र और बंगाल सरकार के बीच ठन गयी है। बंगाल के स्पेशल पैकेज की मांग और रिपोर्ट के विरोध में तृणमूल कांग्रेस के सांसद सोमवार को वित्त मंत्री पी. चिदंबरम से मिलेंगे।विशेष राज्य के दर्जे को खत्म करने का सुझाव देने वाली इस रिपोर्ट पर योजना आयोग को अपना रुख तय करना है। लेकिन इस मुद्दे पर सरकार और आयोग के भीतर पैदा मतभदों ने मामला उलझा दिया है।इस रिपोर्ट से पश्चिम बंगाल की विशेष पैकेज की मांग को झटका लगा है जबकि बिहार, उड़ीसा और उत्तर प्रदेश को अति पिछड़पन का फायदा मिल सकता है। अभी केंद्र की ओर से राज्यों को गाडगिल-मुखर्जी फॉर्मूले के आधार पर फंड का बंटवारा होता है। जिसमें 30 फीसदी केंद्रीय सहायता विशेष राज्यों को मिलती है।इसके बजाय रघुराम राजन समिति ने राज्यों को तीन श्रेणियों-सबसे कम विकसित, कम विकसित और अपेक्षाकृत विकसित, में बांटने की सिफारिश की है।


मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अपने सांसदों को वित्त मंत्री के सामने रघुराम राजन समिति की रिपोर्ट पर कड़ा विरोध दर्जा कराने को कहा है। इसकी कमान तृणमूल कांग्रेस के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष मुकुल राय को सौंपी गई है।


समिति ने बंगाल को सबसे कम विकसित राज्य के बजाय कम विकसित की श्रेणी में रखा है। जिसके चलते राज्य को केंद्र से मिलने वाले फंड में करीब 4 हजार करोड़ रुपए की कटौती हो सकती है।


सरकारी कर्मचारियों की मुसीबत


सरकारी कर्मचारियों की अजीब समस्या है इन दिनों। गली मोहल्ले,बाजार में जहां कहीं वे निकलते हैं, केंद्र समान वेतन मान और शत प्रतिशत भत्ता को लेकर ताना सुनना पड़ता है।आम लोग यही शिकायत करते रहते हैं कि इस मंहगाई और मुद्रास्फीति के लिए सरकारी दामाद बहूएं ही जिम्मेदार।उनको वेतन देते देते,मां माटी मानुष की सरकार के राजकोष में किसी के हिस्से में कुछ रहबै ही नहीं। जबकि हालत यह कि मंहगाई भत्ते का अड़तीस फीसद अभी नहीं मिला है।


फिर बस हड़ताल की धमकी


अब छुट्टियों का मजा भी किरकिरा होने चला है। सीधे हावड़ा और सियालदह से राइटर्स तक पैदल भी जा सकते थे,पैदल ही निकल सकते थे।अब जाना है हुगली पार। कोलकाता हुगली के बीच आवाजाही सुगम करने की कवायद खूब हो गयी।नवान्न में बस अड्डा भी बन गया। लेकिन तेल कीमतों में बढ़ोतरी के मद्देनजर सड़कों से दो तिहाई बसें गायब है।टैक्सीवालों के नखरे अलग है।हुगलीपार मेट्रो कब पहुंचेगा,खुदा ही जाने।


राहत सिर्फ इतनी है कि आगे फिर दिवाली है।जैसे तैसे दो चार दिन कट ही जायेंगे।


लेकिन मुश्किल यह है कि बार बार हड़ताल स्थगित होने और बार बार मदनबाबू की धमकी से हथियार जाल देने वाले बस मालिक पूर्व घोषणा के मुताबिक काली पूजा के बाद हड़ताल करें या नहीं,कर्मचारियों और आम लोगों की यातायात समस्या सुलझने वाली नहीं है।


बल्कि खामोश तरीके से बसे खड़ी कर देने की मालिकों की रणनीति कोलकाता में ट्राफिक जाम करने वाली है। रोज रुटों की संख्या बढ़ाई जा रही है और रोज सड़कों पर बसों की संख्या घट रही है।


अजब गजब समीकरण साधने का कार्यभार है,जनगण के सामने। सरकार भाड़ा नहीं बढ़ायेगी,भीष्म प्रतिज्ञा है। लोग चाहे घर पर बैठे रहे,किसी को कोई सरदर्द है ही नहीं।


इस पर तुर्रा मेट्रो रेल का भाड़ा भी बढ़ गया और जेबें कटेंगी कालीपूजा बाद।


स्थाई भी हो सकता है राइटर्स स्थानांतरण


पश्चिम बंगाल में स्वतंत्रता के बाद पहली बार सत्ता की कुर्सी राइटर्स बिल्डिंग से स्थानांतरित हुई है। हालांकि इसे अस्थायी रूप से हटाया गया है।


ममता बनर्जी  11 विभागों को हावड़ा स्थित मंदिरतल्ला में 15 मंजिली नई इमारत नवान्न में ले गईं, जिनमें से 8 विभाग उन्हीं के अंतर्गत है।


नवान्न में स्थानांतरित किए गए अन्य प्रमुख विभागों में वित्त, पीडब्ल्यूडी और आपदा प्रबंधन शामिल हैं। कहा जा रहा है कि राइटर्स बिल्डिंग के जीर्णोद्धार के लिए इन विभागों को स्थानांतरित किया गया है।


जबकि जीर्णोद्धार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि राइटर्स बिल्डिंग के जीर्णोद्धार में 6 महीने से एक साल लग सकते हैं, लेकिन नौकरशाहों का मानना है कि हो सकता है बनर्जी के इस कार्यकाल में राइटर्स बिल्डिंग में न आ सकें।


एक प्रबावशाली नौकरशाहकी जबान बंदी , 'अगर बनर्जी नवान्न से लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती हैं तो कौन जानता है कि वह वापस राइटर्स बिल्डिंग में आएंगी या नहीं।'


खबर है कि  ज्योतिषी की सलाह पर ममता अपना घर बदल रही हैं। वह अपने दक्षिण कोलकाता में कालीघाट स्थित घर से पॉश अलीपोरा इलाके की आलीशन इमारत में जाने वाली हैं।


अपने कालीघाट वाले घर में ममता जन्म से ही रह रही हैं। उनके साथ पूरा परिवार भी रहता है।


सूत्रों के अनुसार ममता बनर्जी को ज्योतिषी ने घर और ऑफिस हुगली नदी के पश्चिम में बदलने की सलाह दी थी। उनका ऑफिस हावड़ा के मंदिरतला में पहले ही शिफ्ट हो चुका है।


नवान्न को बनर्जी के प्रिय रंग सफेद और नीले से रंगा गया है। आंतरिक सज्जा में भी नीले रंग को प्राथमिकता दी गई है। इतना ही नहीं भवन को ऊपर से नीचे तक नीले और सफेद रंग से रंगा गया है, यहां तक कि रोड डिवाइडरों में भी इसी रंग का इस्तेमाल किया गया है। ममता के प्रकृति प्रेम को देखते हुए ऐसा डिजाइन तैयार किया गया है कि वहां से हुगली नदी साफ नजर आती है।


कॉन्फ्रेंस रूम कॉरपोरेट से मिलते जुलते हैं, वहीं विजिटर रूम का साफ सुथरा लेआउट है। नवान्न के बुनियादी ढांचे के विकास पर 50 करोड़ रुपये लागत आई है। भवन की सुरक्षा के लिए कम से कम 3 निजी सुरक्षा एजेंसियों को नियुक्त किया गया है। नवान्न अपने आप में सांकेतिक है। पहली बात यह है कि इसमें सब कुछ है, जो राइटर्स में नहीं है। दूसरे, यह ममता की रुचि के मुताबिक है, जिनका लाल और शांत से दुराव साफ जाना जाता है।








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