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THE HIMALAYAN DISASTER: TRANSNATIONAL DISASTER MANAGEMENT MECHANISM A MUST

We talked with Palash Biswas, an editor for Indian Express in Kolkata today also. He urged that there must a transnational disaster management mechanism to avert such scale disaster in the Himalayas. http://youtu.be/7IzWUpRECJM

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

THE HIMALAYAN TALK: PALASH BISWAS TALKS AGAINST CASTEIST HEGEMONY IN SOUTH ASIA

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Saturday, October 26, 2013

कोई टैप कर रहा है आपकी बातचीत, सावधान! हर लीक ,हर खुलासा और हर भंडाफोड़ कारपोरेट हित में और उनका निपटारा भी कारपोरेटहितों के मुताबिक। ‘‘टाटा टेलीकाम को ही हर साल टेलीफोन सुनने के लिये 10 से 15 हजार अनुरोध मिलते हैं। सभी टेलीकाम कंपनियों को हर साल इस तरह के 60 से 70 हजार अनुरोध मिलते ही होंगे।’’ पारेख की ‘फाइल नोटिंग’ में सार्वजनिक हित का उल्लेख नहीं एअर इंडिया पर टाटा की नजर है और उन्होंने खुलकर एअर इंडिया के निजीकरण की दलील दी है,टाटा समूहाबरोबर भारतात लो कॉस्ट विमानसेवेत उतरण्याच्या प्रयत्नात असलेल्या एअर एशिया या मलेशियाच्या समूहास नागरी हवाई वाहतूक मंत्रालयाकडून ना हरकत प्रमाणपत्र मिळाले आहे

कोई टैप कर रहा है आपकी बातचीत, सावधान!

हर लीक ,हर खुलासा और हर भंडाफोड़ कारपोरेट हित में और उनका निपटारा भी कारपोरेटहितों के मुताबिक।


''टाटा टेलीकाम को ही हर साल टेलीफोन सुनने के लिये 10 से 15 हजार अनुरोध मिलते हैं। सभी टेलीकाम कंपनियों को हर साल इस तरह के 60 से 70 हजार अनुरोध मिलते ही होंगे।''

पारेख की 'फाइल नोटिंग' में सार्वजनिक हित का उल्लेख नहीं


एअर इंडिया पर टाटा की नजर है और उन्होंने खुलकर एअर इंडिया के निजीकरण की दलील दी है,टाटा समूहाबरोबर भारतात लो कॉस्ट विमानसेवेत उतरण्याच्या प्रयत्नात असलेल्या एअर एशिया या मलेशियाच्या समूहास नागरी हवाई वाहतूक मंत्रालयाकडून ना हरकत प्रमाणपत्र मिळाले आहे


पलाश विश्वास


सिर्फ राष्ट्रनेताओं की नहीं, किसी भी देश में किसी भी नागरिक की बातचीत टैप हो रही है।अमेरिकी सरकार की सर्वशक्तिमान प्रिज्म खुफिया प्रणाली है और गाइडेड मिसाइलों से लैस ड्रोन हमारे आसमान में दिनरात हमारी निगरानी कर रहा है।तो भारत सरकार और उसकी एजंसियां नागरिकों की गोपनीयता और निजता के अधिकार को चूना लगाते हुए न केवल बायोमोट्रिक डिजिटल खुपिया बंदोबस्त के तहत टेलीकाम और सोशल नेटवर्किंग के मार्फत हर नागरिक की खुफिया निगरानी कर रही हैं।कारपोरेट कंपनियां भी एक दूसरे की निगरानी और जासूसी में लगी हैं। जो तथ्य आते हैं वे कारपोरेटहितों के मुताबिक ही।सभी मामलों का निपटान भी कारपोरेट सिद्ध।

NSA website down, spy agency investigating: US official

The website, nsa.gov, went down on Friday afternoon, setting off speculation on Twitter that the site may have suffered a denial of service attack by hackers.



Reuters

Washington: The National Security Agency's website went down on Friday and the US spy service known for hacking into computer networks said it was investigating the outage, a spokesperson said.

"We are looking into this," said Vanee Vines of the NSA, without offering any details about what had caused the site to go dark.

The hacker group Anonymous joked about the website going down in a tweet without saying if it had played any role. "Aw don't panic about nsa.gov being down. They have a backup copy of the internet," it said.

The loosely organized, international hacker collective has frequently clashed with US authorities over file-sharing as well as allowing banks to handle donations to the anti-secrecy group WikiLeaks.

The NSA has been at the center of a furore over its vast electronic surveillance operations, revealed in a series of leaks from former intelligence contractor Edward Snowden, who has obtained asylum in Russia.

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एअर इंडिया पर टाटा की नजर है और उन्होंने खुलकर एअर इंडिया के निजीकरण की दलील दी है।नीरा राडिया के टैपिंग में उजागर गोलमालको सिरे से खारिज करते हुए उन्होंने इस लीक को कारपोरेट प्रतिद्वंद्विता का मामला करार दिया यानी कि लीक भी कारपोरेट।हर लीक ,हर खुलासा और हर भंडाफोड़ कारपोरेट हित में और उनका निपटारा भी कारपोरेटहितों के मुताबिक।धन्यावाद ,रतन टाटा महाशय इस अनुपम ज्ञानवर्धन के लिए।


रतन टाटा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि एयरइंडिया का निजीकरण हो तो वो उसमें भी निवेश करने के बारे में विचार कर सकते हैं।एयर एशिया, सिंगापुर एयरलाइंस के साथ ज्वाइंट वेंचर करने के बाद रतन टाटा एक बार फिर से एविएशन सेक्टर में अपना हाथ अजमा सकते हैं। दरअसल आज रतन टाटा ने विमानन मंत्री अजित सिंह से सिंगापुर एयरलाइंस ज्वाइंट वेंचर के सिलसिले में मुलाकात की। रतन टाटा ने सुबह वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा से भी मुलाकात की थी।हम आपको बता दें कि इस ज्वाइंट को पहले ही एफआईपीबी से मंजूरी मिल चुकी है। एक ओर रतन टाटा ने सरकार का शुक्रिया किया वहीं विमानन मंत्री अजित सिंह ने भरोसा दिलाया कि बिना किसी अड़चनों के टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस जल्द ही उड़ान भर सकेगी।


टाटा का यह बयान ऐसे समय में आया है जब सार्वजनिक क्षेत्र की इस विमानन कंपनी में हिस्सेदारी बेचने की सरकार की इच्छा संबंधी रपटें मीडिया में आई हैं। यह पूछे जाने पर कि यदि एयर इंडिया का निजीकरण किया जाय तो क्या वह इसमें रुचि लेना चाहेंगे, टाटा ने कहा कि जब भी यह होगा हम इसमें रुचि लेना चाहेंगे।


टाटा समूह के मानद चेयरमैन रतन टाटा ने कहा है कि यदि एयर इंडिया का निजीकरण हुआ तो उसमें मौजूद संभावनाओं के आकलन में उन्हें खुशी होगी। एयर इंडिया की स्थापना टाटा संस लिमिटेड की एक इकाई के रूप में हुई थी और 1946 तक टाटा एयरलाइंस उसका संचालन कर रही थी। इसके बाद वह एक सार्वजनिक क्षेत्र की लिमिटेड कंपनी बन गई।

टाटा ने कहा, 'जब कभी ऐसा होगा, हमें उसे हासिल करने में खुशी होगी।Ó टाटा के इस बयान से कुछ ही देर पहले नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने कहा कि यह उनका व्यक्तिगत विचार है कि एयर इंडिया का निजीकरण होना चाहिए। उन्होंने कहा, 'हम (मौजूदा सरकार) एयर इंडिया का निजीकरण नहीं करने जा रहे हैं। लेकिन सरकार को होटल और विमानन जैसे सेवा क्षेत्रों में बने रहने की जरूरत नहीं है। लोग एयर इंडिया ब्रांड का ध्यान रखते हैं और उसका मालिक कौन है इसकी अधिक परवाह नहीं करते।Ó

सिंह ने कहा कि निजीकरण एयर इंडिया के लिए एक संभावित विकल्प हो सकता है, अन्यथा वर्ष 2020-21 तक 30,000 करोड़ रुपये के पूंजी निवेश के बाद इस विमानन कंपनी को और अधिक कोष की जरूरत होगी।

टाटा-सिंगापुर एयरलाइंस द्वारा देश में फुल सर्विस विमानन कंपनी शुरू करने के प्रस्ताव को विदेशी निवेश संवद्र्धन बोर्ड से मंजूरी मिलने के एक दिन बाद रतन टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) गोह चून फोंग ने आज नागर विमानन मंत्री के साथ मुलाकात की। करीब 45 मिनट तक चली बैठक के बाद दोनों साझेदारों ने कहा कि उन्हें नई विमानन कंपनी का परिचालन मई-जून 2014 तक शुरू होने की उम्मीद है। टाटा एसआईए एयरलाइंस लिमिटेड के चेयरमैन प्रसाद मेनन ने कहा, 'हमें तेजी से मंजूरियां मिलने की उम्मीद है। इसलिए हम उम्मीद करते हैं कि अगले साल मई-जून तक नई विमानन कंपनी का परिचालन शुरू हो जाएगा।Ó

सिंह ने भी पुष्टिï की है कि नई विमानन कंपनी का परिचालन जल्द शुरू होने में उन्हें कोई समस्या नहीं दिख रही है। उन्होंने कहा, 'मुझे कोई समस्या नहीं दिख रही है। डीजीसीए को संतुष्टï करना बाकी है। बेड़े, पार्किंग की जगह, हवाई अड्डïे पर स्लॉट और रूट संबंधी कुछ मुद्दे बाकी हैं। इस उस बात पर निर्भर करेगा कि वे कितनी जल्द आंकड़े उपलब्ध कराते हैं।Ó

टाटा संस और सिंगापुर एयरलाइंस ने भारत में फुल सर्विस विमानन सेवा शुरू करने के लिए 10 करोड़ डॉलर के आरंभिक निवेश से संयुक्त उद्यम टाटा-एसआईए एयरलाइंस नाम से संयुक्त उद्यम का गठन किया है। इसमें टाटा के पास 51 फीसदी की बहुलांश हिस्सेदारी होगी जबकि सिंगापुर एयरलाइंस के पास शेष हिस्सेदारी होगी और वह 4.9 करोड़ डॉलर का निवेश करेगी। टाटा एसआईए के इस प्रस्ताव को एफआईपीबी से बिना शर्त मंजूरी मिल चुकी है।



टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष रतन टाटा ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय में कहा कि प्रमुख नेताओं, नौकरशाहों और कारोबारियों के साथ नीरा राडिया की टैप की गयी टेलीफोन की बातचीत औद्योगिक प्रतिद्वन्द्विता के कारण ही मीडिया को लीक की गयी थी।


इसी बीच विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) के टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस (एसआईए) के संयुक्त उद्यम को मंजूरी देने के एक दिन बाद ही टाटा समूह के चेयरमैन एमिरिटस रतन टाटा और सिंगापुर एयरलाइंस के प्रमुख गोह यून फोंग ने शुक्रवार को यहां नागर विमानन मंत्री अजित सिंह से मुलाकात की और विश्वास जताया कि अगले साल मई-जून से कंपनी उड़ानें शुरू कर देगी।


टाटा-एसआईए की संयुक्त उद्यम कंपनी टाटा एसआईए एयरलाइंस के चेयरमैन प्रसाद मेनन ने अजित सिंह के साथ करीब 45 मिनट चली बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा ''हमें काफी तेजी से मंजूरियां मिलने की उम्मीद है। हमें उम्मीद है कि मई.जून तक हम उड़ान सेवा शुरू कर लेंगे।'' रतन टाटा और गोह के साथ मेनन भी अजित सिंह से मुलाकात करने वाले शिष्टमंडल में शामिल थे।


अजित सिंह ने टाटा-एसआईए एयरलाइंस की भारतीय विमानन क्षेत्र में प्रवेश को देश के लिये फायदेमंद बताते हुये सिंह ने कहा सिंगापुर एयरलाइंस को पूरी दुनिया में उसके तकनीकी और बेहतर प्रबंधकीय मामलों के लिये जाना जाता है और यह दुनिया की बेहतरीन एयरलाइंस में से एक है।


नागर विमानन मंत्रालय इस नई विमानन कंपनी को कब मंजूरी देगा, इस सवाल पर अजित सिंह ने कहा ''मुझे कोई समस्या नहीं दिखाई देती। नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) को संतुष्ट होना चाहिये। इसमें विमानों के बेड़े, पार्किंग स्थल, उड़ान के समय और मार्ग जैसे अनेक मुद्दे इसमें हैं। यह इस पर निर्भर करेगा कि वह कितनी जल्दी इस संबंध में जानकारी और दस्तावेज उपलब्ध कराते हैं।''


न्यायमूर्ति जी एस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ के समक्ष रतन टाटा की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने यह सनसनीखेज खुलासा करते हुये कहा कि टाटा टेलीकम्युनिकेशंस को भी टेलीफोन की बातचीत सुनने के लिये हर साल सरकारी प्राधिकारियों से 10 से 15 हजार अनुरोध मिलते हैं। उन्होंने टैप की गयी बातचीत लीक करने वालों का पता नहीं लगाने पर केन्द्र सरकार की मंशा पर सवाल उठाया।


साल्वे ने कहा, ''टाटा टेलीकाम को ही हर साल टेलीफोन सुनने के लिये 10 से 15 हजार अनुरोध मिलते हैं। सभी टेलीकाम कंपनियों को हर साल इस तरह के 60 से 70 हजार अनुरोध मिलते ही होंगे।''


उन्होंने कहा कि टेलीफोन टैप करने का यह आदेश दूसरी वजहों से दिया गया था। यदि कापरेरेट जगत में लड़ाई नहीं चल रही होती तो यह सार्वजनिक दायर में नहीं आता। उन्होंने कहा कि उन्हें इसमें कोई संदेह नहीं है कि कापरेरेट प्रतिद्वन्द्विता के कारण ही सबसे पहले लीक हुआ था। इस पर न्यायाधीशों ने कहा कि इस मामले में आय कर विभाग की पहल पर टेलीफोन टैप किये गये थे और उसी समय कुछ सेवा प्रदाता ने लाइसेंस से वंचित होने के जोखिम पर यह किया था।


साल्वे ने कहा कि टैप की गयी बातचीत के विश्लेषण करके काम की सूचना का पता लगाने और निजी स्वरूप के अंशों को नष्ट करने की कोई उचित व्यवस्था नहीं है। उन्होंने जांच एजेन्सी पर भी सवाल उठाया और कहा कि उसने मीडिया का इस्तेमाल किया जो बहुत ही खतरनाक प्रवृत्ति है।


उन्होंने कहा, ''हमें नहीं मालूम की यह (राडिया टैप) क्यों और किसे शर्मसार करने के लिये लीक किये गये।'' साल्वे ने कहा कि सरकार को टैप की गयी बातचीत में से काम के अंश अपने पास रखने चाहिए और शेष अंश नष्ट कर देने चाहिए। टैप की गयी समूची बातचीत रखने की इजाजत नहीं है। लोगों के निजता के अधिकार की रक्षा करनी होगी।


उन्होंने कहा कि टैपिंग की समीक्षा करने वाली समिति पर काम का दबाव है और उसके लिये सुने गये सभी टेलीफोनों की समूची प्रक्रिया पर गौर करना संबंध नहीं है। साल्वे ने कहा, ''इस तरह के अनेक मामले सामने नहीं आये हैं। कौन है जो इन सभी मामलों को देख रहा है। क्या हम सरकार के लिये अनुपायोगी बातचीत को नष्ट नहीं करके किसी और वक्त पर इसे 'डायनामाइट' (सूचना की खान) के रूप में इस्तेमाल की अनुमति देने जा रहे हैं।''


उन्होंने कहा कि इस लीक की केन्द्र द्वारा करायी गयी जांच पूरी तरह सतही है और इस मामले में उसके हलफनामे में भी एकरूपता नहीं है। साल्वे ने इस बातचीत को सार्वजनिक नहीं करने की दलील देते हुये कहा, ''सरकार ने अपने हाथ खड़े कर लिये हैं। मीडिया और याचिकाकर्ता से परे नहीं हैं। आरटीआई है और सरकार को यह फैसला करना है कि टैप की गयी बातचीत को सार्वजनिक करना है या नहीं। हमारे पास तो अब पारदर्शिता के लिये आरटीआई की व्यवस्था है।''


उन्होंने कहा, ''सार्वजनिक मसलो की जांच का मीडिया को अधिकार है और कानून को एक सीमा तक उन्हें भी संरक्षण देना होगा। लेकिन महज संदेह के आधार पर सचूना का प्रकाशन नहीं किया जा सकता। मीडिया को इसे प्रकाशित करने से पहले गपशप की सत्यता का पता लगाने के लिये और आगे की जांच करलेनी चाहिए'' साल्वे ने कहा कि अदालतों में पेश दस्तावेजों को सार्वजनिक नहीं कहा जा सकता है।


उन्होंने कहा, ''मैं एक पत्रिका के इस दावे को चुनौती दे रहा हूं कि यदि कोई दस्तावेज शीर्ष अदालत में पेश कर दिया गया है तो वह सार्वजनिक है और उसे प्रकाशित करने का अधिकार है।


केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने नीरा राडिया के टेलीफोन टैपिंग से मिली जानकारी के आधार पर आठ नये प्रारंभिक जांच (पीई) प्रकरण दर्ज किए हैं। इनमें झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा, रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) और अन्य मामले शामिल हैं।


सूत्रों ने यहां बताया कि एक पीई झारखंड के सिंहभूम जिले के अंकुला में लौह अयस्क खान टाटा स्टील को आवंटित करने में कथित अनियमितताओं पर गौर करने के लिए शुरू की गयी है। भ्रष्टाचार के एक मामले में जमानत पर चल रहे कोड़ा और झारखंड के अज्ञात अधिकारियों को इसमें आरोपी के रूप में नामजद किया गया है। टाटा स्टील ने कहा कि इस पर प्रतिक्रिया देना अभी जल्दबाजी होगी।


सूत्रों ने बताया कि दूसरी पीई आरआईएल का तत्कालीन हाइड्राइकार्बन महानिदेशक वीके सिब्बल द्वारा कथित रूप से पक्ष लेने और परस्पर अवैध लाभ पहुंचाने को लेकर सिब्बल, आरआईएल और अन्य अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ दर्ज की गयी है। सिब्बल ने उनसे प्रतिक्रिया जानने के लिए भेजे गए संदेश का जवाब नहीं दिया। आरआईएल प्रवक्ता ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।


टाटा समूहाबरोबर भारतात लो कॉस्ट विमानसेवेत उतरण्याच्या प्रयत्नात असलेल्या एअर एशिया या मलेशियाच्या समूहास नागरी हवाई वाहतूक मंत्रालयाकडून ना हरकत प्रमाणपत्र मिळाले आहे. आता हवाई वाहतूक ऑपरेटरचा परवाना आणि ऑपरेटरचा परवाना मिळताच त्यांचा देशांतर्गत विमानसेवा सुरू करण्याचा मार्ग मोकळा होईल.


एअर एशिया ही टाटा सन्स लि. आणि अरुण भाटिया यांच्या टेलेस्ट्रा ट्रेडप्लेस प्रा. लि. या कंपन्यांबरोबर एअर एशिया इंडिया ही विमान कंपनी भारतात सुरू करणार आहे. त्यांना एप्रिलमध्ये भारताच्या विदेशी गुंतवणूक प्रोत्साहन मंडळाने अधिकृत संमती दिली.


गेल्या आठवड्यात टाटा सन्सने सिंगापूर एअरलाइन्सबरोबर विमान कंपनी सुरू करण्याचा इरादा स्पष्ट केल्यानंतर एअर एशिया इंडियातील भागीदार अरुण भाटिया यांनी जाहीर नापसंती व्यक्त केली होती.


नागरी हवाई वाहतूक मंत्रालयाकडून मिळालेले हे सर्वात जलद ना हरकत प्रमाणपत्र असून आता आम्ही हवाई ऑपरेटरचा परवाना लवकरात मिळविण्यावर लक्ष केंद्रित करू, असे एअर एशिया इंडियाचे सीईओ मित्तू चांडिल्य यांनी सांगितले.


एअर एशियाकडे सध्या एअरबस ए-३२० ही तीन विमाने व २०० जणांचा कर्मचारीवर्ग आहे. भारतात देशांतर्गत विमानसेवा सुरू करायची झाल्यास २० विमानांचा ताफा व पाच वर्षांचा अनुभव ही अट असली, तरी आता ती शिथिल होण्याचे संकेत खुद्द हवाई वाहतूक मंत्रालयानेच दिले आहेत. त्यामुळे एअर एशियाचा मार्गही निर्वेध बनेल, असा होरा आहे.


भारतीय उद्योग जगत के लिये दिवाली का मौसम मिला-जुला रख लेकर आया है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई से सितंबर) के दौरान घरेलू उद्योगों का शुद्ध लाभ औसतन 15 प्रतिशत बढ़ा है। कंपनियों के प्रदर्शन पर एसोचैम के ताजा अध्ययन से यह तस्वीर सामने आई है।

  

दूसरी तिमाही में भारतीय उद्योगों के प्रदर्शन का रुझान विषय पर एसोचैम के इस अध्ययन के अनुसार देश और विदेश के कमजोर वृहद आर्थिक हालात के चलते कंपनियों के शुद्ध लाभ की वृद्धि दर में इस दौरान सालाना आधार पर 1.8 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई। पिछले साल इसी तिमाही में यह वृद्धि औसतन 16.8 प्रतिशत रही।

  

एसोचैम इकनोमिक रिसर्च ब्यूरो द्वारा तैयार इस अध्ययन में कहा गया है कंपनियों ने खर्चों में भारी कटौती की जिससे उनके मुनाफे में वद्धि थोड़ी कम रही। हालांकि, कंपनियों के खर्च और बिक्री दोनों में ही गिरावट रही, लेकिन खर्च में कमी उनके बिक्री कारोबार की गिरावट से ज्यादा तेज रही। यही वजह रही कि कंपनियों के सकल मुनाफे में मात्र 1.8 प्रतिशत ही कमी रही।

  

अध्ययन के अनुसार सामान्य रुझान के अनुसार कंपनियों के कुल कारोबार और मुनाफे में हालांकि, ज्यादा अंतर नहीं रहा है लेकिन इस दौरान इनका प्रदर्शन हतोत्साह वाला रहा है। बावजूद इसके विभिन्न क्षेत्रों में अनेक कंपनियां प्रभावित हुये बिना ही सुस्त आर्थिक परिस्थितियों से आगे निकलते हुये प्रभावी आर्थिक वृद्धि के आंकड़े दर्ज करने में कामयाब रहीं।

  

एसोचैम महासचिव डी एस रावत ने कहा बडी भारतीय कंपनियां सस्ते आयातित कच्चे माल और विदेशों से जुटाये गये सस्ते कर्ज की बदौलत फायदे में रहीं, लेकिन दुनिया की प्रमुख मुद्राओं की तुलना में रपये की विनिमय दर गिरावट से जहां एक तरफ आयात पर निर्भर कंपनियों को मिलने वाला फायदा जाता रहा वहीं दूसरी तरफ निर्यात करने वाली कंपनियों को इससे फायदा हुआ।


पारेख की 'फाइल नोटिंग' में सार्वजनिक हित का उल्लेख नहीं

पूर्व कोयला सचिव पीसी पारेख ने ओडिशा में हिंडाल्को को कोयला खान आवंटन के आवेदन को खारिज करने के अपने पहले के फैसले को पलटते समय फाइल नोटिंग में किसी खास 'सार्वजनिक हित' का उल्लेख नहीं किया।


सीबीआई सूत्रों ने कहा है कि 25वीं जांच समिति की बैठक में हिंडाल्को का आवेदन खारिज करने से लेकर बाद में कंपनी को कोल ब्लॉक देने के बीच जो बदलाव हुआ वह यह कि इस दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से पारेख को दो पत्र भेजे गये और इसके अलावा इस दौरान पारेख की आदित्य बिड़ला समूह के चेयरमैन कुमार मंगलम बिड़ला के साथ व्यक्तिगत मुलाकात हुई।


सूत्रों ने कहा कि हालांकि, पारेख ने यह स्पष्टीकरण दिया है कि उन्होंने फैसला 'व्यापक जनहित' में पलटा था, लेकिन उन्होंने इस बारे में कुछ भी स्पष्ट नहीं किया कि ऐसा क्या था जो उन्हें अपना फैसला बदलना पड़ा या फिर ऐसी कौन सी वजह थी जो पहले उन्होंने आवेदन को खारिज किया। बार-बार फोन करने और संदेश भेजे जाने के बावजूद पारेख ने सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।


सूत्रों ने कहा कि सीबीआई ओडिशा सरकार के उस अधिकारी से विस्तृत पूछताछ करेगी जिसके पास हिंडाल्को से जुड़ी फाइलें थी। अधिकारी से कंपनी को इस तरह के समर्थन की वजह पूछी जाएगी। जांच से जुड़े अधिकारियों ने प्राथमिकी दर्ज करने को उचित ठहराते हुए कहा कि उन्होंने यह एफआईआर उपलब्ध तथ्यों के आधार पर दायर की है।



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